रविवार, 3 नवंबर 2013

कांग्रेस कि पहली सूचि। राहुल गांधी फॉर्मूले कि ऐसी तैसी कि अशोक गहलोत ने

कांग्रेस कि पहली सूचि। राहुल गांधी फॉर्मूले कि ऐसी तैसी कि अशोक गहलोत ने



खोदा पहाड़ निकला चूहा। दो माह कि मशकत टिकटे पुरानो को


बाड़मेर दो माह से राजस्थान कोंग्रेस में आगामी विधानसभा चुनावो में प्रत्यासियो को टिकट देने में राहुल गांधी के फार्मूले को आधार बनाने कि बड़ी चर्चा रही ,जब तक टिकटों का खुलासा नहीं हुआ लगता था कांग्रेस ने अब तक भाजपा के पक्ष में आये समस्त सर्वे को चुनौती मान प्रत्यासी उतरने कि कारगर रणनीति बनाई हें टिकट वितरण में शायद रही हें। राहुल फॉर्मूले के कायदे आते तो लगता कि कोंग्रेस आमूल चूल परिवर्तन कर नए चेहरो को जनता के बीच उतारेगी। राहुल नियमो ने कइयो कि नींद उड़ा दी। बाकायदा बैठको के उपडेट आते रहे। बैठको में दिग्गजों कि ताकत काटने से लेकर वर्त्तमान विधायको के टिकट काटने कि बात सामने आई। बाद में सांसद चुनावो में विधायक क्षेत्र से पीछे रहने इन विधायको टिकट काटने कि बात आई। बीस हज़ार से अधिक हारे हुए , टिकट आईए तो उम्मीद जगी कि कांग्रेस नै उम्मीदे जगाएगी ,नए चेहरो के साथ चुनावी वैतरणी ओआर करने कि उम्मीदे बढ़ी। मगर शनिवार कि रात को जो सूचि अधिकृत होक आई उसमे कई राहुल फॉर्मूले के विपरीत इस बार हज़ारो वोटो से हरे ,दो बार हरे ,लोगो को टिकट दिया। पार्टी कार्यकर्ताओ और आम वोरोध के बावजूद टिकट दिए कई जगह पार्टी लाइन से बाहर के लोगो को टिकट दिए जिसका खामियाज़ा कांग्रेस को
बाड़मेर जिले के सिवाना में कांग्रेस ने टिकट के लिय्रे कई चेहरे परखे जिसमे भंवर लाल देवासी ,महेंद्र टाइगर ,अणदाराम ,बालाराम ,पृथ्वी सिंह ,गणपत सिंह ,खेताराम देवासी। मगर कांग्रेस को पसंद आया महंत निर्मलदास का चेहरा जो बाहरी प्रत्यासी होने के साथ स्थानीय कांग्रेस के साथ कभी रहा नहीं। सिवाना कोंग्रेस ने विरोध शुरू कर दिया। नेताओ ने सिफारिश कि किसी और कि टिकर दिया किसी और को। पचपदरा का रहा जहा वर्त्तमान विधायक का बार बार विरोध किया कांग्रेस कमिटी ने एक स्वर में मदन प्रजापत के अलावा किसी को भी टिकट देने कि पैरवी कि। मगर कांग्रेस आलाकमान ने उसे भी अनदेखा किया। टिकट वितरण में बाड़मेर नेताओ कि नहीं चली स्व्यं राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी को मनचाही जस्गाह यिक्त नहीं गुड़ा कि दावेदारी भी दूसरी सूचि तक टल गई। हेमाराम चौधरी जैसे कद्दावर नेता का नाम पहली सूचि में ना आना गहलोत कि जाट विरोधी छवि के रूप ने समाज देख रहा हें। आखिर हेमाराम को बाड़मेर न सही गुड़ा से टिकट दी जा सकळती थी ,इन टिकट वितरण में हेमनाराम कि साड़ी गणित फेल हो गयी शायद वो चुनाव लड़ने से मनाकर दे ,गुड़ा से महिपाल मदेरणा कि पुत्री मदेरणा को उतरा जा सकता हें हेमाराम कि जगह या सांसद हरीश चौधरी गुड़ा से आ जाये तो कोई आश्चर्य नहीं। हेमाराम चौधरी को सांसद चुनाव लड़ाने का लोलयपोप दिया जा सकता हें।


शेष बाड़मेर से मेवाराम जैव ,बायतु कर्नल सोनाराम ,चौहटन से पदमाराम शिव से अमिन खान को टिकट दिया यह टिकट चार माह पूर्व भी दे दिए होते तो कोई फर्क नहीं पड़ता। कर्नल को छोड़ कर सरे उम्मीदवार हरने योग्य हें। भाजपा के घर बेठे वारे न्यारे हो गए ,


राहुल फॉर्मूले कि ऐसी तैसी कर दी अशोक गहलोत ने। जैसलमेर के पोकरण में राष्ट्रद्रोही आरोपो से घिरे साले मोहम्मद को सांसद चुनावो में सांसद को अपने क्षेत्र में पीछे अमिन खान को भी टिकट दिया हेमन। अब कांग्रेस क्या करेगी।


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