रविवार, 31 मार्च 2013
डॉक्टर ने 3 साल के बच्चे का लिंग काटा, इलाज के नाम पर किया था भर्ती
देवलापार. क्षेत्र के टुय्यापार ग्राम में रहने वाले सुरेन्द्रसिंग राठौर की विवाहित बेटी अंजु अमरसिंग भट्टेचोर निवासी अडेगांव त. मौदा ने यह आरोप लगाया है कि उसके तीन साल के बच्चे का लिंग कामठी के एक निजी अस्पताल के चिकित्सक ने ऑपरेश्न के दौरान काट डाला।
जानकारी के अनुसार कामठी (कन्हान) स्थित हायटेक हॉस्पिटल में अंजु ने अपने बच्चे अंशु को इलाज के लिए ले गई। अंशु शरीर व दिमाग से पूरी तरह स्वस्थ है।
केवल उसे हाल ही में पेशाब करने में परेशानी हो रही थी। इसलिए अंजु ने रामटेक के डॉ. आष्टनकर को अंशु को दिखाया। उन्होंने 8 दिन की दवा देकर 8 दिन बाद आने को कहा। 8 दिन बाद भी आराम नहीं लगने पर अंजु डॉ. आष्टनकर के पास पहुंची।डॉ. ने जांच कर कामठी के हायटेक हास्पिटल ने जाने की सलाह दी। उसी आधार पर अंजु अपने परिवार एवं बच्चे को लेकर हायटेक हॉस्पिटल पहुंची। वहां मौजूद डॉ. संदीप जैन को अपने बच्चे की परेशानी की जानकारी दी। डॉ. जैन ने बच्चे का चेकअप कर उसका एक छोटा ऑपरेश्न करने की बात परिवार के लोगों को बताई। और कहा की जिसका खर्च 25 से 30 हजार रुपए आएगा। अंजु की आर्थिक परिस्थिति कमजोर होने के बावजूद उसने बच्चे के ऑपरेश्न करने की मंजुरी दी। डॉ. जैन ने बच्चे को भर्ती कर ऑपरेशन किया। ऑपरेशन में डॉ. ने बच्चे का पूरा लिंग ही काट डाला।
और कुछ समय बाद नागपुर के मेयो अस्पताल में बच्चे को लेजाने की सलाह दी। परिवार के लोगों ने अंशु को मेयो अस्पताल में 10 से 12 दिन भर्ती रखा, फिर अंशु को मेडिकल रेफर किया गया। वहां के चिकिस्तको ने परिवार के लोगों को बताया की बच्चे का लिंग काटने की कोई आवश्यकता नहीं थी। यहा पर बच्चे का ऑपरेशन कर पेट से नली डाली गई, जिससे वो पेशाब कर रहा है। अंजू ने हायटेक हास्पिटल के चिकित्सक के खिलाफ कामठी पुलिस स्टेशन में 20 मार्च को शिकायत दर्ज कर कार्रवाई की मांग की है।
राजनाथ का मिशन 2014 का ऎलान
राजनाथ का मिशन 2014 का ऎलान
नई दिल्ली। बीजेपी ने मिशन 2014 का आगाज कर दिया है। इसी के तहत नए राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने अपनी नई टीम का रविवार सुबह ऎलान किया। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को पार्टी के संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया है। छह साल बाद मोदी की संसदीय बोर्ड में वापसी हुई है। भाजपा का यही संसदीय बोर्ड 2014 के आम चुनाव की अगुआई करेगा। तेजतर्रार महिला नेता उमा भारती को उपाध्यक्ष बनाया गया है। मुख्तार अब्बास नकवी (यूपी),प्रभात झा,स्मृति इरानी भी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी निभाएंगे। अनुराग ठाकुर युवा मोर्चा उपाध्यक्ष बने रहेंगे। सरोज पांडे महिला मोर्चा अध्यक्ष बनाया गया है।
मोदी के करीबी अमित शाह को राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है। 10 महासचिवों में से 5 महासचिव नितिन गडकरी की टीम के ही हैं। इस लिस्ट में सबको उम्मीद थी कि मध्य प्रदेश की तेज तर्रार नेता उमा भारती का नाम भी होगा,लेकिन अंत समय में धर्मेद्र प्रधान बाजी मार ले गए। उमा भारती को उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गई। महासचिव के एक और मजबूत दावेदार प्रभात झा को भी उपाध्यक्ष पद से संतोष करना पड़ा है।
संसदीय बोर्ड में मोदी की एंट्री
राजनाथ सिंह,अटल बिहारी वाजपेयी,लालकृष्ण आडवाणी,मुरली मनोहर जोशी,वेंकैया नायडू,नितिन गडकरी,सुषमा स्वराज,अरूण जेटली,रामलाल,अनंत कुमार,थावर चंद गहलोत और नरेंद्र मोदी।
ये बने महासचिव
रामलाल (संगठन),अनंत कुमार,थावर चंद गहलोत,राज्यसभा सांसद जेपी नड्डा,तापिर गांव,गुजरात बीजेपी नेता अमित शाह,राज्यसभा सांसद राजीव प्रताप रूडी,पीलीभीत सं सांसद वरूण गांधी,मुरलीधर राव और धर्मेद्र प्रधान।
ये बने उपाध्यक्ष
किरण माहेश्वरी,स्मृति ईरानी,सदानंद गौड़ा,मुख्तार अब्बास नकवी,डॉ. सीपी ठाकुर,जुएल उरांव,एसएस अहलूवालिया,बलबीर पुंज,सतपाल मलिक,प्रभात झा,उमा भारती,बिजॉय चक्रवर्ती,लक्ष्मीकांत चावला।
सचिव
विनोद पांडेय,त्रिवेंद्र रावत,रामेश्वर चौरसिया,श्याम जाजू,भूपेंद्र यादव,कृष्णा दास,अनिल जैन, आरती मेहरा,रेणु कुशवाहा,सुधा यादव,सुधा मलैया,पूनम महाजन,लुईस मरांडी,डॉ. तमिल एसाई,वाणी त्रिपाठी।
मोर्चाओं के अध्यक्ष
सरोज पांडेय को महिला मोर्चा,अनुराग ठाकुर युवा मोर्चा अध्यक्ष,संजय पासवान एसी मोर्चा अध्यक्ष,फगन सिंह कुलस्ते एसटी मोर्चा,अब्दिल राशिद को अल्पसंख्यक मोर्चा तथा ओम प्रकाश धनाकर को किसान मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया है।
पार्टी के नौ प्रवक्ता
प्रकाश जावडेकर,सैयद शाहनवाज हुसैन,निर्मला सीतारमन,विजयशंकर शास्त्री,डा. सुधांशु त्रिवेदी,मीनाक्षी लेखी,कैप्टन अभिमन्यु को प्रवक्ता बनाया गया है।
इन्हें नहीं मिली तवज्जो
नई टीम में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी जगह नहीं मिली है। उन्हें मोदी के साथ संसदीय बोर्ड में शमिल किए जाने की चर्चा थी। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को भी टीम से बाहर रखा गया है। भाजपा के मुस्लिम चेहरों मुख्तार अब्बास नकवी और सैयद शाहनवाज हुसैन को भी तवज्जो नहीं दी गई है और उन्हें क्रमश: उपाध्यक्ष तथा प्रवक्ता ही रखा गया है हालंाकि हुसैन को केन्द्रीय चुनाव समिति में भी जगह दी गई है। वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा का नम्बर भी नहीं आ सका।
नई दिल्ली। बीजेपी ने मिशन 2014 का आगाज कर दिया है। इसी के तहत नए राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने अपनी नई टीम का रविवार सुबह ऎलान किया। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को पार्टी के संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया है। छह साल बाद मोदी की संसदीय बोर्ड में वापसी हुई है। भाजपा का यही संसदीय बोर्ड 2014 के आम चुनाव की अगुआई करेगा। तेजतर्रार महिला नेता उमा भारती को उपाध्यक्ष बनाया गया है। मुख्तार अब्बास नकवी (यूपी),प्रभात झा,स्मृति इरानी भी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी निभाएंगे। अनुराग ठाकुर युवा मोर्चा उपाध्यक्ष बने रहेंगे। सरोज पांडे महिला मोर्चा अध्यक्ष बनाया गया है।
मोदी के करीबी अमित शाह को राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है। 10 महासचिवों में से 5 महासचिव नितिन गडकरी की टीम के ही हैं। इस लिस्ट में सबको उम्मीद थी कि मध्य प्रदेश की तेज तर्रार नेता उमा भारती का नाम भी होगा,लेकिन अंत समय में धर्मेद्र प्रधान बाजी मार ले गए। उमा भारती को उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गई। महासचिव के एक और मजबूत दावेदार प्रभात झा को भी उपाध्यक्ष पद से संतोष करना पड़ा है।
संसदीय बोर्ड में मोदी की एंट्री
राजनाथ सिंह,अटल बिहारी वाजपेयी,लालकृष्ण आडवाणी,मुरली मनोहर जोशी,वेंकैया नायडू,नितिन गडकरी,सुषमा स्वराज,अरूण जेटली,रामलाल,अनंत कुमार,थावर चंद गहलोत और नरेंद्र मोदी।
ये बने महासचिव
रामलाल (संगठन),अनंत कुमार,थावर चंद गहलोत,राज्यसभा सांसद जेपी नड्डा,तापिर गांव,गुजरात बीजेपी नेता अमित शाह,राज्यसभा सांसद राजीव प्रताप रूडी,पीलीभीत सं सांसद वरूण गांधी,मुरलीधर राव और धर्मेद्र प्रधान।
ये बने उपाध्यक्ष
किरण माहेश्वरी,स्मृति ईरानी,सदानंद गौड़ा,मुख्तार अब्बास नकवी,डॉ. सीपी ठाकुर,जुएल उरांव,एसएस अहलूवालिया,बलबीर पुंज,सतपाल मलिक,प्रभात झा,उमा भारती,बिजॉय चक्रवर्ती,लक्ष्मीकांत चावला।
सचिव
विनोद पांडेय,त्रिवेंद्र रावत,रामेश्वर चौरसिया,श्याम जाजू,भूपेंद्र यादव,कृष्णा दास,अनिल जैन, आरती मेहरा,रेणु कुशवाहा,सुधा यादव,सुधा मलैया,पूनम महाजन,लुईस मरांडी,डॉ. तमिल एसाई,वाणी त्रिपाठी।
मोर्चाओं के अध्यक्ष
सरोज पांडेय को महिला मोर्चा,अनुराग ठाकुर युवा मोर्चा अध्यक्ष,संजय पासवान एसी मोर्चा अध्यक्ष,फगन सिंह कुलस्ते एसटी मोर्चा,अब्दिल राशिद को अल्पसंख्यक मोर्चा तथा ओम प्रकाश धनाकर को किसान मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया है।
पार्टी के नौ प्रवक्ता
प्रकाश जावडेकर,सैयद शाहनवाज हुसैन,निर्मला सीतारमन,विजयशंकर शास्त्री,डा. सुधांशु त्रिवेदी,मीनाक्षी लेखी,कैप्टन अभिमन्यु को प्रवक्ता बनाया गया है।
इन्हें नहीं मिली तवज्जो
नई टीम में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी जगह नहीं मिली है। उन्हें मोदी के साथ संसदीय बोर्ड में शमिल किए जाने की चर्चा थी। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को भी टीम से बाहर रखा गया है। भाजपा के मुस्लिम चेहरों मुख्तार अब्बास नकवी और सैयद शाहनवाज हुसैन को भी तवज्जो नहीं दी गई है और उन्हें क्रमश: उपाध्यक्ष तथा प्रवक्ता ही रखा गया है हालंाकि हुसैन को केन्द्रीय चुनाव समिति में भी जगह दी गई है। वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा का नम्बर भी नहीं आ सका।
‘जल को जानें और पहचाने ’अभियान का आगाज बाड़मेर से
‘जल को जानें और पहचाने ’अभियान का आगाज बाड़मेर से
बाड़मेर , देश को विकसित बनाने के लिए जल एवं स्वच्छता को आम आदमी तक पहुंच सुनिश्चित करना होगा। स्वच्छता के अभाव एवं खेतों में रसायन के उपयोग से जलस्रोत एवं नदियां प्रदूषित हो रही हैं। भूजल के दोहन से पानी खत्म हो रहा है। हमें इसे रोकना होगा। संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस वर्ष को ‘अंतरराष्ट्रीय जल सहकार वर्ष’ घोषित किया है। इसी कर्म में बाड़मेर में सीसीड़ीयू जिले भर में आगामी साल भर तक जल को जाने और पहचाने अभियान को चलाएगा . राजस्थान में पहली बार आयोजित किये जाने वाले इस अभियान की अनूठी पहल बाड़मेर की धरा पर सार्थक होती नजर आएगी।सीसीड़ीयू की आईईसी कंसल्टेंट अशोक सिंह ने बताया की ‘जल को जाने और पहचाने ’ अभियान का उद्देश्य जल का महत्व, संबंधित विचार, स्रोतों की बुनियादी समझ, पानी के प्रति पारंपरिक व आधुनिक दृष्टि, चुनौती व समाधान जैसे मसलों को लोगों के मध्य ले जाना है। अभियान खासतौर पर शिक्षण संस्थाओं और अन्य युवाओं के बीच पानी की बात पहुंचाने का मन रखता है। सीसीड़ीयू का आईईसी अनुभाग छोटी-छोटी बुनियादी जानकारियों, पानी का काम कर रहे व्यक्तियों, संगठनों के कार्यों से जन-जन को अवगत कराने से लेकर अंतरराष्ट्रीय हो चुके पानी मुद्दों को इस अभियान में शामिल करेगा। विभिन्न स्तरीय प्रतियोगिता, अध्ययन, कार्यशाला, व्याख्यान, शिविर, प्रदर्शनी, कविता पाठ, नुक्कड़ नाटक, फिल्म-स्लाइड शो, सहित्य-पर्चे-बैज आदि का वितरण और यात्राओं के अलावा कई ज़मीनी और श्रम आधारित गतिविधियों को भी इस अभियान का हिस्सा बनाया गया है। सीसीड़ीयू के आईईसी अनुभाग का मानना है कि आज जल सुरक्षा को सबसे बड़ी चुनौती चार तरफ से है: कृषि, शौच, ठोस कचरा और औद्योगिक अवजल। और जल सहकार के लिए सात प्रमुख वर्ग ऐसे हैं, जिन्हें बुनियादी हकीक़त से अवगत कराना और दायित्वपूर्ति के लिए प्रेरित करना जरूरी है: किसान, स्थानीय निकाय, व्यापारिक प्रतिष्ठान, औद्योगिक इकाइयां, सरकारी अस्पताल, निजी नर्सिंग होम और नदी किनारे स्थापित आस्था केन्द्र। यह जल सहकार का असली काम होगा। पानी की सबसे ज्यादा खपत कृषि क्षेत्र में है। नहरी सिंचाई प्रणाली का दुरुपयोग, अधिक सिंचाई से कम उपज के प्रति जानकारी का अभाव, कम पानी में अधिक उपज के वैज्ञानिक तौर-तरीकों की जानकारी व संसाधनों का अभाव तथा कृषि में रसायनों का बढ़ता प्रयोग जैसे मसले चुनौती बढ़कर खड़े हैं। इन सभी बातो को आगामी मई, 2013 से मई, 2014 के दौरान एक विशेष अभियान में आम जनता के सामने रखा जायेगा इस अभियान में हर वर्ग को शामिल किया जायेगा . इतना ही नही इस अभियान की शुरुवात तो शहर से होगी लेकिन बात सरहद के आखिरी छोर तक बेठे आम आदमी तक पहुचाई जाएगी .
बाड़मेर , देश को विकसित बनाने के लिए जल एवं स्वच्छता को आम आदमी तक पहुंच सुनिश्चित करना होगा। स्वच्छता के अभाव एवं खेतों में रसायन के उपयोग से जलस्रोत एवं नदियां प्रदूषित हो रही हैं। भूजल के दोहन से पानी खत्म हो रहा है। हमें इसे रोकना होगा। संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस वर्ष को ‘अंतरराष्ट्रीय जल सहकार वर्ष’ घोषित किया है। इसी कर्म में बाड़मेर में सीसीड़ीयू जिले भर में आगामी साल भर तक जल को जाने और पहचाने अभियान को चलाएगा . राजस्थान में पहली बार आयोजित किये जाने वाले इस अभियान की अनूठी पहल बाड़मेर की धरा पर सार्थक होती नजर आएगी।सीसीड़ीयू की आईईसी कंसल्टेंट अशोक सिंह ने बताया की ‘जल को जाने और पहचाने ’ अभियान का उद्देश्य जल का महत्व, संबंधित विचार, स्रोतों की बुनियादी समझ, पानी के प्रति पारंपरिक व आधुनिक दृष्टि, चुनौती व समाधान जैसे मसलों को लोगों के मध्य ले जाना है। अभियान खासतौर पर शिक्षण संस्थाओं और अन्य युवाओं के बीच पानी की बात पहुंचाने का मन रखता है। सीसीड़ीयू का आईईसी अनुभाग छोटी-छोटी बुनियादी जानकारियों, पानी का काम कर रहे व्यक्तियों, संगठनों के कार्यों से जन-जन को अवगत कराने से लेकर अंतरराष्ट्रीय हो चुके पानी मुद्दों को इस अभियान में शामिल करेगा। विभिन्न स्तरीय प्रतियोगिता, अध्ययन, कार्यशाला, व्याख्यान, शिविर, प्रदर्शनी, कविता पाठ, नुक्कड़ नाटक, फिल्म-स्लाइड शो, सहित्य-पर्चे-बैज आदि का वितरण और यात्राओं के अलावा कई ज़मीनी और श्रम आधारित गतिविधियों को भी इस अभियान का हिस्सा बनाया गया है। सीसीड़ीयू के आईईसी अनुभाग का मानना है कि आज जल सुरक्षा को सबसे बड़ी चुनौती चार तरफ से है: कृषि, शौच, ठोस कचरा और औद्योगिक अवजल। और जल सहकार के लिए सात प्रमुख वर्ग ऐसे हैं, जिन्हें बुनियादी हकीक़त से अवगत कराना और दायित्वपूर्ति के लिए प्रेरित करना जरूरी है: किसान, स्थानीय निकाय, व्यापारिक प्रतिष्ठान, औद्योगिक इकाइयां, सरकारी अस्पताल, निजी नर्सिंग होम और नदी किनारे स्थापित आस्था केन्द्र। यह जल सहकार का असली काम होगा। पानी की सबसे ज्यादा खपत कृषि क्षेत्र में है। नहरी सिंचाई प्रणाली का दुरुपयोग, अधिक सिंचाई से कम उपज के प्रति जानकारी का अभाव, कम पानी में अधिक उपज के वैज्ञानिक तौर-तरीकों की जानकारी व संसाधनों का अभाव तथा कृषि में रसायनों का बढ़ता प्रयोग जैसे मसले चुनौती बढ़कर खड़े हैं। इन सभी बातो को आगामी मई, 2013 से मई, 2014 के दौरान एक विशेष अभियान में आम जनता के सामने रखा जायेगा इस अभियान में हर वर्ग को शामिल किया जायेगा . इतना ही नही इस अभियान की शुरुवात तो शहर से होगी लेकिन बात सरहद के आखिरी छोर तक बेठे आम आदमी तक पहुचाई जाएगी .
दिल्ली की तरफ बढ़े मोदी के कदम
दिल्ली की तरफ बढ़े मोदी के कदम
नई दिल्ली। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की छह साल बाद बीजेपी की संसदीय समिति में वापसी हो गई है। भाजपा का यही संसदीय समिति 2014 के आम चुनाव की अगुआई करेगी। समिति ही पार्टी में फैसले लेने वाली सबसे ताकतवर समिति है। संसदीय बोर्ड में वह अकेले मुख्यमंत्री हैं। इससे साफ हो गया है कि केंद्रीय राजनीति में मोदी का कद बढ़ चुका है और अगले लोकसभा चुनाव में उनकी बड़ी भूमिका होने जा रही है। राजनीतिक गलियारे में मोदी की वापसी को भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित किए जाने की ओर उनके बढ़ते कदम के तौर पर देखा जा रहा है। दीगर बात है कि पिछली बार भी राजनाथ सिंह ने ही मोदी को पार्टी के संसदीय बोर्ड में लेकर आए थे लेकिन एक साल बाद ही मोदी को हटाना पड़ा था।
दागी अमित शाह का कद बढ़ा
इतना ही नहीं बल्कि उनके करीबी माने जाने वाले गुजरात के नेता अमित शाह को महासचिव बनाया गया है। 2005 में हुए सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में आरोपी बनाए जाने के बाद शाह को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। वरूण गांधी के खिलाफ, 2009 के आम चुनाव के दौरान घृणास्पद भाषण देने के लिए दो मामले दर्ज किए गए थे। इस महीने के प्रारम्भ में उन्हें हालांकि आरोपमुक्त कर दिया गया था।
मोदी पर सहमत नहीं थे आडवाणी-सुषमा!
सूत्रों के अनुसार मोदी को एकमात्र सीएम के तौर पर संसदीय बोर्ड में लाने के फैसले को सुषमा और आडवाणी ने एक बार फिर से चुनौती दी थी। मगर मोदी का नाम आखिर तक मजबूती से चला। भाजपा अध्यक्ष ने जेटली से भी भेंट कर उनसे उनकी राय ली। दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद धर्मेन्द्र प्रधान को भी बतौर महासचिव बरकरार रखने का फैसला हुआ।
अंतिम समय तक उहापोह की स्थिति
अंतिम समय में संघर्ष के चलते टीम राजनाथ की घोषणा शनिवार को रूक गई और रविवार को वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात की। राजनाथ ने शनिवार को अपने पदाधिकारियों की सूची को लेकर सुषमा स्वराज और अरूण जेटली से मंत्रणा की थी। सूत्रों के अनुसार नरेंद्र मोदी को इकलौते मुख्यमंत्री के तौर पर संसदीय बोर्ड में लाने और धर्मेन्द्र प्रधान को दोबारा से महासचिव बनाने का अंतिम विरोध हुआ। धर्मेन्द्र की जगह प्रभात झा के नाम की चर्चा चली, लेकिन उनके नाम को पार्टी नेताओं का सर्मथन नहीं मिला है। उनके लिए महज संघ के सुरेश सोनी प्रयासरत रहे। मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी उन पर आपत्ति थी। इसलिए झा को उपाध्यक्ष पद ही मिल सका।
वरूण के विरोध में कटियार!
राजनाथ सिंह की नई टीम बनने के साथ ही मतभेद भी शुरू हो गए। पूर्व उपाध्यक्ष और पूर्व महासचिव विनय कटियार ने वरूण गांधी को महासचिव बनाए जाने पर परोक्ष रूप से अपनी नाराजगी जताई है। रामजन्मभूमि आंदोलन के सक्रिय नेता रहे विनय कटिहार का कहना है कि "गांधी" सरनेम का सबको फायदा मिलता है चाहे वह कांग्रेस में हो या भाजपा में।
नई दिल्ली। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की छह साल बाद बीजेपी की संसदीय समिति में वापसी हो गई है। भाजपा का यही संसदीय समिति 2014 के आम चुनाव की अगुआई करेगी। समिति ही पार्टी में फैसले लेने वाली सबसे ताकतवर समिति है। संसदीय बोर्ड में वह अकेले मुख्यमंत्री हैं। इससे साफ हो गया है कि केंद्रीय राजनीति में मोदी का कद बढ़ चुका है और अगले लोकसभा चुनाव में उनकी बड़ी भूमिका होने जा रही है। राजनीतिक गलियारे में मोदी की वापसी को भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित किए जाने की ओर उनके बढ़ते कदम के तौर पर देखा जा रहा है। दीगर बात है कि पिछली बार भी राजनाथ सिंह ने ही मोदी को पार्टी के संसदीय बोर्ड में लेकर आए थे लेकिन एक साल बाद ही मोदी को हटाना पड़ा था।
दागी अमित शाह का कद बढ़ा
इतना ही नहीं बल्कि उनके करीबी माने जाने वाले गुजरात के नेता अमित शाह को महासचिव बनाया गया है। 2005 में हुए सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में आरोपी बनाए जाने के बाद शाह को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। वरूण गांधी के खिलाफ, 2009 के आम चुनाव के दौरान घृणास्पद भाषण देने के लिए दो मामले दर्ज किए गए थे। इस महीने के प्रारम्भ में उन्हें हालांकि आरोपमुक्त कर दिया गया था।
मोदी पर सहमत नहीं थे आडवाणी-सुषमा!
सूत्रों के अनुसार मोदी को एकमात्र सीएम के तौर पर संसदीय बोर्ड में लाने के फैसले को सुषमा और आडवाणी ने एक बार फिर से चुनौती दी थी। मगर मोदी का नाम आखिर तक मजबूती से चला। भाजपा अध्यक्ष ने जेटली से भी भेंट कर उनसे उनकी राय ली। दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद धर्मेन्द्र प्रधान को भी बतौर महासचिव बरकरार रखने का फैसला हुआ।
अंतिम समय तक उहापोह की स्थिति
अंतिम समय में संघर्ष के चलते टीम राजनाथ की घोषणा शनिवार को रूक गई और रविवार को वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात की। राजनाथ ने शनिवार को अपने पदाधिकारियों की सूची को लेकर सुषमा स्वराज और अरूण जेटली से मंत्रणा की थी। सूत्रों के अनुसार नरेंद्र मोदी को इकलौते मुख्यमंत्री के तौर पर संसदीय बोर्ड में लाने और धर्मेन्द्र प्रधान को दोबारा से महासचिव बनाने का अंतिम विरोध हुआ। धर्मेन्द्र की जगह प्रभात झा के नाम की चर्चा चली, लेकिन उनके नाम को पार्टी नेताओं का सर्मथन नहीं मिला है। उनके लिए महज संघ के सुरेश सोनी प्रयासरत रहे। मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी उन पर आपत्ति थी। इसलिए झा को उपाध्यक्ष पद ही मिल सका।
वरूण के विरोध में कटियार!
राजनाथ सिंह की नई टीम बनने के साथ ही मतभेद भी शुरू हो गए। पूर्व उपाध्यक्ष और पूर्व महासचिव विनय कटियार ने वरूण गांधी को महासचिव बनाए जाने पर परोक्ष रूप से अपनी नाराजगी जताई है। रामजन्मभूमि आंदोलन के सक्रिय नेता रहे विनय कटिहार का कहना है कि "गांधी" सरनेम का सबको फायदा मिलता है चाहे वह कांग्रेस में हो या भाजपा में।
दिल्ली की तरफ बढ़े मोदी के कदम
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नई दिल्ली। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की छह साल बाद बीजेपी की संसदीय समिति में वापसी हो गई है। भाजपा का यही संसदीय समिति 2014 के आम चुनाव की अगुआई करेगी। समिति ही पार्टी में फैसले लेने वाली सबसे ताकतवर समिति है। संसदीय बोर्ड में वह अकेले मुख्यमंत्री हैं। इससे साफ हो गया है कि केंद्रीय राजनीति में मोदी का कद बढ़ चुका है और अगले लोकसभा चुनाव में उनकी बड़ी भूमिका होने जा रही है। राजनीतिक गलियारे में मोदी की वापसी को भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित किए जाने की ओर उनके बढ़ते कदम के तौर पर देखा जा रहा है। दीगर बात है कि पिछली बार भी राजनाथ सिंह ने ही मोदी को पार्टी के संसदीय बोर्ड में लेकर आए थे लेकिन एक साल बाद ही मोदी को हटाना पड़ा था।
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इतना ही नहीं बल्कि उनके करीबी माने जाने वाले गुजरात के नेता अमित शाह को महासचिव बनाया गया है। 2005 में हुए सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में आरोपी बनाए जाने के बाद शाह को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। वरूण गांधी के खिलाफ, 2009 के आम चुनाव के दौरान घृणास्पद भाषण देने के लिए दो मामले दर्ज किए गए थे। इस महीने के प्रारम्भ में उन्हें हालांकि आरोपमुक्त कर दिया गया था।
मोदी पर सहमत नहीं थे आडवाणी-सुषमा!
सूत्रों के अनुसार मोदी को एकमात्र सीएम के तौर पर संसदीय बोर्ड में लाने के फैसले को सुषमा और आडवाणी ने एक बार फिर से चुनौती दी थी। मगर मोदी का नाम आखिर तक मजबूती से चला। भाजपा अध्यक्ष ने जेटली से भी भेंट कर उनसे उनकी राय ली। दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद धर्मेन्द्र प्रधान को भी बतौर महासचिव बरकरार रखने का फैसला हुआ।
अंतिम समय तक उहापोह की स्थिति
अंतिम समय में संघर्ष के चलते टीम राजनाथ की घोषणा शनिवार को रूक गई और रविवार को वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात की। राजनाथ ने शनिवार को अपने पदाधिकारियों की सूची को लेकर सुषमा स्वराज और अरूण जेटली से मंत्रणा की थी। सूत्रों के अनुसार नरेंद्र मोदी को इकलौते मुख्यमंत्री के तौर पर संसदीय बोर्ड में लाने और धर्मेन्द्र प्रधान को दोबारा से महासचिव बनाने का अंतिम विरोध हुआ। धर्मेन्द्र की जगह प्रभात झा के नाम की चर्चा चली, लेकिन उनके नाम को पार्टी नेताओं का सर्मथन नहीं मिला है। उनके लिए महज संघ के सुरेश सोनी प्रयासरत रहे। मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी उन पर आपत्ति थी। इसलिए झा को उपाध्यक्ष पद ही मिल सका।
वरूण के विरोध में कटियार!
राजनाथ सिंह की नई टीम बनने के साथ ही मतभेद भी शुरू हो गए। पूर्व उपाध्यक्ष और पूर्व महासचिव विनय कटियार ने वरूण गांधी को महासचिव बनाए जाने पर परोक्ष रूप से अपनी नाराजगी जताई है। रामजन्मभूमि आंदोलन के सक्रिय नेता रहे विनय कटिहार का कहना है कि "गांधी" सरनेम का सबको फायदा मिलता है चाहे वह कांग्रेस में हो या भाजपा में।
नई दिल्ली। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की छह साल बाद बीजेपी की संसदीय समिति में वापसी हो गई है। भाजपा का यही संसदीय समिति 2014 के आम चुनाव की अगुआई करेगी। समिति ही पार्टी में फैसले लेने वाली सबसे ताकतवर समिति है। संसदीय बोर्ड में वह अकेले मुख्यमंत्री हैं। इससे साफ हो गया है कि केंद्रीय राजनीति में मोदी का कद बढ़ चुका है और अगले लोकसभा चुनाव में उनकी बड़ी भूमिका होने जा रही है। राजनीतिक गलियारे में मोदी की वापसी को भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित किए जाने की ओर उनके बढ़ते कदम के तौर पर देखा जा रहा है। दीगर बात है कि पिछली बार भी राजनाथ सिंह ने ही मोदी को पार्टी के संसदीय बोर्ड में लेकर आए थे लेकिन एक साल बाद ही मोदी को हटाना पड़ा था।
दागी अमित शाह का कद बढ़ा
इतना ही नहीं बल्कि उनके करीबी माने जाने वाले गुजरात के नेता अमित शाह को महासचिव बनाया गया है। 2005 में हुए सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में आरोपी बनाए जाने के बाद शाह को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। वरूण गांधी के खिलाफ, 2009 के आम चुनाव के दौरान घृणास्पद भाषण देने के लिए दो मामले दर्ज किए गए थे। इस महीने के प्रारम्भ में उन्हें हालांकि आरोपमुक्त कर दिया गया था।
मोदी पर सहमत नहीं थे आडवाणी-सुषमा!
सूत्रों के अनुसार मोदी को एकमात्र सीएम के तौर पर संसदीय बोर्ड में लाने के फैसले को सुषमा और आडवाणी ने एक बार फिर से चुनौती दी थी। मगर मोदी का नाम आखिर तक मजबूती से चला। भाजपा अध्यक्ष ने जेटली से भी भेंट कर उनसे उनकी राय ली। दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद धर्मेन्द्र प्रधान को भी बतौर महासचिव बरकरार रखने का फैसला हुआ।
अंतिम समय तक उहापोह की स्थिति
अंतिम समय में संघर्ष के चलते टीम राजनाथ की घोषणा शनिवार को रूक गई और रविवार को वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात की। राजनाथ ने शनिवार को अपने पदाधिकारियों की सूची को लेकर सुषमा स्वराज और अरूण जेटली से मंत्रणा की थी। सूत्रों के अनुसार नरेंद्र मोदी को इकलौते मुख्यमंत्री के तौर पर संसदीय बोर्ड में लाने और धर्मेन्द्र प्रधान को दोबारा से महासचिव बनाने का अंतिम विरोध हुआ। धर्मेन्द्र की जगह प्रभात झा के नाम की चर्चा चली, लेकिन उनके नाम को पार्टी नेताओं का सर्मथन नहीं मिला है। उनके लिए महज संघ के सुरेश सोनी प्रयासरत रहे। मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी उन पर आपत्ति थी। इसलिए झा को उपाध्यक्ष पद ही मिल सका।
वरूण के विरोध में कटियार!
राजनाथ सिंह की नई टीम बनने के साथ ही मतभेद भी शुरू हो गए। पूर्व उपाध्यक्ष और पूर्व महासचिव विनय कटियार ने वरूण गांधी को महासचिव बनाए जाने पर परोक्ष रूप से अपनी नाराजगी जताई है। रामजन्मभूमि आंदोलन के सक्रिय नेता रहे विनय कटिहार का कहना है कि "गांधी" सरनेम का सबको फायदा मिलता है चाहे वह कांग्रेस में हो या भाजपा में।
खेलते-खेलते पहुंची पाक बार्डर,फिर गुम
खेलते-खेलते पहुंची पाक बार्डर,फिर गुम
बीकानेर। खाजूवाला क्षेत्र में दो दिन पहले एक बालिका खेलते-खेलते पाकिस्तान सीमा पहुंच गई, वहां से वापस नहीं लौटी। जानकारी के अनुसार खाजुवाला क्षेत्र के 43 केवाईडी के निवासी पुखरात की 7 वर्षीय बेटी पूजा और परिवार के अन्य बच्चे सीमा के पास पशु चरा रहे थे। शाम के समय पूजा खेलते-खेलते पाकिस्तान सीमा के करीब जा पहुंची।
जिसके बाद से वह लापता है। परिवारवालों ने इसकी जानकारी जिला प्रशासन को दी तो हड़कप मच गया। बीएसएफ और जनप्रतिनिधि ने बच्ची के बारे में पाकिस्तान के अधिकारियों को जानकारी दी। इसके बाद सीमा अधिकारियों ने मीटिंग की जिसमें पाकिस्तान के रेंजर्स मौजूद थे। रेंजर्स द्वारा पूजा की खोजबीन का अभियान चलाया गया लेकिन पूजा के पैरों के निशान करीब एक किलोमीटर तक ही मिले।
बीकानेर। खाजूवाला क्षेत्र में दो दिन पहले एक बालिका खेलते-खेलते पाकिस्तान सीमा पहुंच गई, वहां से वापस नहीं लौटी। जानकारी के अनुसार खाजुवाला क्षेत्र के 43 केवाईडी के निवासी पुखरात की 7 वर्षीय बेटी पूजा और परिवार के अन्य बच्चे सीमा के पास पशु चरा रहे थे। शाम के समय पूजा खेलते-खेलते पाकिस्तान सीमा के करीब जा पहुंची।
जिसके बाद से वह लापता है। परिवारवालों ने इसकी जानकारी जिला प्रशासन को दी तो हड़कप मच गया। बीएसएफ और जनप्रतिनिधि ने बच्ची के बारे में पाकिस्तान के अधिकारियों को जानकारी दी। इसके बाद सीमा अधिकारियों ने मीटिंग की जिसमें पाकिस्तान के रेंजर्स मौजूद थे। रेंजर्स द्वारा पूजा की खोजबीन का अभियान चलाया गया लेकिन पूजा के पैरों के निशान करीब एक किलोमीटर तक ही मिले।
बाड़मेर नाबालिग की गेंगरेप के बाद हत्या ?
बाड़मेर नाबालिग की गेंगरेप के बाद हत्या ?
बाड़मेर सीमावर्ती बाड़मेर जिले के सदर थाना क्षेत्र के रडवा गाँव में एक नाबालिग के साथ गेंग रेप के बाद हत्या का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया .घटना की सूचना मिलते ही पुलिस दल मौके पर पहुँच गया .सूत्रानुसार बाड़मेर जिला मुख्यालय से बाईस किलोमीटर चोहटन मार्ग पर स्थित रदावा गाँव में एक नाबालिग बालिका के साथ गाँव के ही छह जानो ने सामूहिक बलात्कार कर मासूम की हत्या कर शव पहाडियों के बीच फेंक दिया .सूत्रानुसार रडवा गाँव के दो परिवारों के बीच आपसी रंजिस चल रही थी ,जिसके चलते इस घटना को अंजाम दिया जाना बताया जा रहा हें .हालांकि पुलिस गेंगरेप की घटना की पुष्टि नहीं कर रही हें .अलबता लड़की का शव पहाडियों के बीच मिलाना स्वीकार कर रहे हें ,गेंग रेप की पुष्टि पोस्ट मार्टम की रिपोर्ट के बाद ही कुछ पता चलने की बात कह रही हें पुलिस .पुलिस अधीक्षक राहुल बारहट ने बताया की अभी तक गेंग रेप जैसी कोई बात सामने नहीं आई ,मगर नाबालिग बालिका का शव बरामद हुआ हें ,अलबता लड़की के परिजन लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या के आरोप लगा रहें हें .मृतका बालिका का मुंह कपडे से बांधा हुआ हें ,बालिका का शव देखने से पता चलता हें की बालिका के साथ बेरहम तरीके से बलात्कार किया गया .
बाड़मेर सीमावर्ती बाड़मेर जिले के सदर थाना क्षेत्र के रडवा गाँव में एक नाबालिग के साथ गेंग रेप के बाद हत्या का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया .घटना की सूचना मिलते ही पुलिस दल मौके पर पहुँच गया .सूत्रानुसार बाड़मेर जिला मुख्यालय से बाईस किलोमीटर चोहटन मार्ग पर स्थित रदावा गाँव में एक नाबालिग बालिका के साथ गाँव के ही छह जानो ने सामूहिक बलात्कार कर मासूम की हत्या कर शव पहाडियों के बीच फेंक दिया .सूत्रानुसार रडवा गाँव के दो परिवारों के बीच आपसी रंजिस चल रही थी ,जिसके चलते इस घटना को अंजाम दिया जाना बताया जा रहा हें .हालांकि पुलिस गेंगरेप की घटना की पुष्टि नहीं कर रही हें .अलबता लड़की का शव पहाडियों के बीच मिलाना स्वीकार कर रहे हें ,गेंग रेप की पुष्टि पोस्ट मार्टम की रिपोर्ट के बाद ही कुछ पता चलने की बात कह रही हें पुलिस .पुलिस अधीक्षक राहुल बारहट ने बताया की अभी तक गेंग रेप जैसी कोई बात सामने नहीं आई ,मगर नाबालिग बालिका का शव बरामद हुआ हें ,अलबता लड़की के परिजन लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या के आरोप लगा रहें हें .मृतका बालिका का मुंह कपडे से बांधा हुआ हें ,बालिका का शव देखने से पता चलता हें की बालिका के साथ बेरहम तरीके से बलात्कार किया गया .
मां से मिलने की जिद की तो 6 साल के बेटे को 16 बार काटा
जब भारतीय मूल की अमीना को चूमने लगते थे नेल्सन मंडेला !
जोहानिसबर्ग। रंगभेद विरोधी आंदोलन के नेता नेल्सन मंडेला भारतीय मूल की आमिना कंसालिया को जीवनसाथी बनाना चाहते थे। लेकिन, आमिना ने यह पेशकश ठुकरा दी थी। अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस के दिवंगत नेता यूसुफ कसालिया की पत्नी आमिना का पिछले महीने 83 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। आमिना की जीवनी ‘व्हेन होप एंड हिस्ट्री राइम’ में कहा गया है कि 27 वर्ष तक जेल में रहने के बाद बाहर निकलने पर मंडेला ने उनसे शादी का प्रस्ताव रखा था। आमिना के बच्चों गालिब और कोको कंसालिया ने भी इसकी पुष्टि की है। उनका कहना है कि उन्हें मां ने इस प्रस्ताव के बारे में बताया था।
आमिना ने लिखा है कि मंडेला किस तरह अकेले उनके अपार्टमेंट आते थे और वह उनके दफ्तर व घर जाया करती थीं। उन्होंने लिखा, ‘वह (मंडेला) मेरे सामने सोफे पर बैठे और मुझे चूमने लगे। अपनी उंगलियों से मेरे बालों को सहलाते हुए बोले कि क्या तुम नहीं जानती कि तुम कितनी बला-की खूबसूरत, जिंदादिल और मनमोहक नौजवान महिला हो। मैंने सहज भाव से जवाब दिया कि मैं नौजवान महिला नहीं, एक अधेड़ उम्र की महिला हूं। मंडेला ने कहा कि ठीक है फिर से शुरू करते हैं। इसके बाद उन्होंने मुझे कई उपमाएं दीं।’
आमिना ने उस शाम का जिक्र भी किया जब मंडेला जोहानिसबर्ग स्थित उनके फ्लैट पर आए थे। उन्होंने मंडेला के लिए क्रेफिश बनाई थी। लेकिन मंडेला ने उसे नहीं खाया। आमिना ने लिखा, ‘उस रात नेल्सन ने मुझसे प्रेम की घोषणा कर दी। मैंने उन्हें रोका। याद दिलाया कि वे शादीशुदा हैं। मैं स्वतंत्र थी, लेकिन वे नहीं। इसी बात से वे आहत हो गए। मैंने उनकी भावनाओं को आहत किया था। मैंने उनसे रुककर क्रेफिश खाने को कहा, लेकिन वे चले गए।’
आमिना ने लिखा है कि मंडेला किस तरह अकेले उनके अपार्टमेंट आते थे और वह उनके दफ्तर व घर जाया करती थीं। उन्होंने लिखा, ‘वह (मंडेला) मेरे सामने सोफे पर बैठे और मुझे चूमने लगे। अपनी उंगलियों से मेरे बालों को सहलाते हुए बोले कि क्या तुम नहीं जानती कि तुम कितनी बला-की खूबसूरत, जिंदादिल और मनमोहक नौजवान महिला हो। मैंने सहज भाव से जवाब दिया कि मैं नौजवान महिला नहीं, एक अधेड़ उम्र की महिला हूं। मंडेला ने कहा कि ठीक है फिर से शुरू करते हैं। इसके बाद उन्होंने मुझे कई उपमाएं दीं।’
आमिना ने उस शाम का जिक्र भी किया जब मंडेला जोहानिसबर्ग स्थित उनके फ्लैट पर आए थे। उन्होंने मंडेला के लिए क्रेफिश बनाई थी। लेकिन मंडेला ने उसे नहीं खाया। आमिना ने लिखा, ‘उस रात नेल्सन ने मुझसे प्रेम की घोषणा कर दी। मैंने उन्हें रोका। याद दिलाया कि वे शादीशुदा हैं। मैं स्वतंत्र थी, लेकिन वे नहीं। इसी बात से वे आहत हो गए। मैंने उनकी भावनाओं को आहत किया था। मैंने उनसे रुककर क्रेफिश खाने को कहा, लेकिन वे चले गए।’
पाकिस्तान में हिंदू युवती को जबरन बनाया मुसलमान, करवाया निकाह
इस्लामाबाद। पाकिस्तान में हिंदू लड़की के साथ शोषण जारी है। इस बार मामला पाक के सिंध प्रांत का है। यहां एक हिंदू लड़की का अपहरण कर उसका धर्मांतरण कर मुसलमान बनाया गया और फिर एक मुस्लिम युवक से उनका निकाह कर दिया गया है। इससे पहले भी पाकिस्तान में ऐसी कई घटना घट चुकी है। जिसे रोकने में वहां की सरकार असफल साबित हुई। कुछ वक्त पहले रिंकल कुमारी नामक युवती को भी जबरन मुसलमान बनाया गया था। रिंकल के परिजन न्याय पाने पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट तक गए, लेकिन जबरिया निकाह का शिकार रिंकल ने भयवश यह मान लिया था कि उसने स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन किया है।
ताजा घटना के बाद हिंदू समुदाय सड़कों पर उतर आया। इसकी वजह से जैकबाबाद में शुक्रवार को हिंदू पंचायत के लिए होने वाले चुनाव को स्थगित करना पड़ गया। पाकिस्तान के अखबारों के अनुसार, सोना व्यापारी अशोक कुमार की बेटी गंगा का अपहरण कर उसका दूसरे व्यापारी बहादुर अली सुरहियो के बेटे आसिफ अली से अमरोत शरीफ की दरगाह पर जबरन निकाह करवा दिया गया।
डान अखबार के अनुसार, हिंदू धर्म से इस्लाम में धर्मांतरण के बाद गंगा का नाम आसिया रख दिया गया। लड़की के माता-पिता व अन्य निकाह की जानकारी मिलने पर जब तक दरगाह पहुंचे, तब तक उनकी शादी हो चुकी थी।
इसके बाद गंगा के परिजनों ने जैकबाबाद आकर इस संबंध में शिकायत दर्ज करवाई। जिसके मुताबिक, आसिफ, उसके भाई, पिता व एक अन्य व्यक्ति ने गंगा को अगवा कर लिया है। इस संबंध में पुलिस ने आसिफ के भाई, पिता व एक अन्य व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि आसिफ पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ पाया था।
इस घटना के विरोध में पाकिस्तान में हिंदू समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए और उन्होंने जमकर प्रदर्शन किया। हिंदू समुदाय पर बढ़ते अत्याचारों के खिलाफ हिंदूओं में गुस्सा है।
गंगा के अपहरण और जबरिया निकाह के खिलाफ जैकोबाबाद में जनता हाल से प्रेस क्लब तक रैली का आयोजन किया गया। लोगों ने गंगा को उसके परिवार से मिलाने के नारों के साथ मार्च किया। हिंदू नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो समुदाय के लोग शहर भर में हड़ताल और विरोध प्रदर्शन करेंगे।
ताजा घटना के बाद हिंदू समुदाय सड़कों पर उतर आया। इसकी वजह से जैकबाबाद में शुक्रवार को हिंदू पंचायत के लिए होने वाले चुनाव को स्थगित करना पड़ गया। पाकिस्तान के अखबारों के अनुसार, सोना व्यापारी अशोक कुमार की बेटी गंगा का अपहरण कर उसका दूसरे व्यापारी बहादुर अली सुरहियो के बेटे आसिफ अली से अमरोत शरीफ की दरगाह पर जबरन निकाह करवा दिया गया।
डान अखबार के अनुसार, हिंदू धर्म से इस्लाम में धर्मांतरण के बाद गंगा का नाम आसिया रख दिया गया। लड़की के माता-पिता व अन्य निकाह की जानकारी मिलने पर जब तक दरगाह पहुंचे, तब तक उनकी शादी हो चुकी थी।
इसके बाद गंगा के परिजनों ने जैकबाबाद आकर इस संबंध में शिकायत दर्ज करवाई। जिसके मुताबिक, आसिफ, उसके भाई, पिता व एक अन्य व्यक्ति ने गंगा को अगवा कर लिया है। इस संबंध में पुलिस ने आसिफ के भाई, पिता व एक अन्य व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि आसिफ पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ पाया था।
इस घटना के विरोध में पाकिस्तान में हिंदू समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए और उन्होंने जमकर प्रदर्शन किया। हिंदू समुदाय पर बढ़ते अत्याचारों के खिलाफ हिंदूओं में गुस्सा है।
गंगा के अपहरण और जबरिया निकाह के खिलाफ जैकोबाबाद में जनता हाल से प्रेस क्लब तक रैली का आयोजन किया गया। लोगों ने गंगा को उसके परिवार से मिलाने के नारों के साथ मार्च किया। हिंदू नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो समुदाय के लोग शहर भर में हड़ताल और विरोध प्रदर्शन करेंगे।
राजस्थान के 6 दुर्गों को मिल सकता हैं वर्ल्ड हैरिटेज में शामिल होने का दर्जा!
जयपुर.कंबोडिया में यूनेस्को और वर्ल्ड हैरिटेज काउंसिल की जून में होने वाली मीटिंग में राजस्थान की छह हैरिटेज साइट्स को वर्ल्ड हैरिटेज साइट्स में शामिल होने का दर्जा मिल सकता है। भारत से इस बार राजस्थान के छह दुर्गो का ही सीरियल नॉमिनेशन हुआ है। जिसमें आमेर, चित्तौड़, रणथंभोर, कुंभलगढ़, गागरोन और जैसलमेर के दुर्ग शामिल हैं। इन दुर्गो की लिस्टिंग करने में जयपुर की हिस्टोरियन रीमा हूजा भी शामिल हैं। उन्होंने सरकारी नुमाइंदों और कंजर्वेटर आर्किटेक्ट शिखा जैन के साथ इन साइट्स की रिपोर्ट राइटिंग की है।
वे कहती हैं हम लोग तीन साल से इस प्रोजेक्ट में लगे हैं। जब भी यूनेस्को को अपनी साइट के बारे में ब्यौरा दिया जाता है। उसमें मॉन्यूमेंट्स की आउटस्टैंडिंग यूनिवर्सल वैल्यू बतानी होती है। मिसाल के तौर पर आमेर किले की यूनिवर्सल वैल्यू उसका जल प्रबंधन हैं वहीं चित्तौड़गढ़ किले में अलग-अलग भवनों का समूह उसकी एक खासियत है।
वे कहती हैं कि इसका डोसियर हमने राजस्थान सरकार को 2011 में तैयार करके दिया था। इसके बाद यह भारत सरकार के पास गया और अब सभी की निगाहें जून में होने वाली मीटिंग पर रहेंगी। राजस्थान के छह किलों का सीरियल नॉमिनेशन भी एक बड़ी उपलब्धि है।
क्या है आउटस्टैंडिंग यूनिवर्सल वैल्यू (ओयूवी)
जब किसी ऐतिहासिक स्मारक को यूनेस्को की ओर से वर्ल्ड हैरिटेज साइट का दर्जा दिलवाना होता है। उसकी रिपोर्ट राइटिंग में ओयूवी लिखना होता है, जो उस इमारत का यूनीक पॉइंट हैं। ताकि यूनेस्को ये सुनिश्चित कर सके कि ऐसी खूबी वाली इमारत दूसरी नहीं है। जैसे जंतर का ओयूवी पॉइंट है इसकी सटीक गणना जिसे देखकर आज भी समय का ज्ञान सहज हो सकता है। इसी तरह हर किले का भी ओयूवी तय किया जाता है।
वे कहती हैं हम लोग तीन साल से इस प्रोजेक्ट में लगे हैं। जब भी यूनेस्को को अपनी साइट के बारे में ब्यौरा दिया जाता है। उसमें मॉन्यूमेंट्स की आउटस्टैंडिंग यूनिवर्सल वैल्यू बतानी होती है। मिसाल के तौर पर आमेर किले की यूनिवर्सल वैल्यू उसका जल प्रबंधन हैं वहीं चित्तौड़गढ़ किले में अलग-अलग भवनों का समूह उसकी एक खासियत है।
वे कहती हैं कि इसका डोसियर हमने राजस्थान सरकार को 2011 में तैयार करके दिया था। इसके बाद यह भारत सरकार के पास गया और अब सभी की निगाहें जून में होने वाली मीटिंग पर रहेंगी। राजस्थान के छह किलों का सीरियल नॉमिनेशन भी एक बड़ी उपलब्धि है।
क्या है आउटस्टैंडिंग यूनिवर्सल वैल्यू (ओयूवी)
जब किसी ऐतिहासिक स्मारक को यूनेस्को की ओर से वर्ल्ड हैरिटेज साइट का दर्जा दिलवाना होता है। उसकी रिपोर्ट राइटिंग में ओयूवी लिखना होता है, जो उस इमारत का यूनीक पॉइंट हैं। ताकि यूनेस्को ये सुनिश्चित कर सके कि ऐसी खूबी वाली इमारत दूसरी नहीं है। जैसे जंतर का ओयूवी पॉइंट है इसकी सटीक गणना जिसे देखकर आज भी समय का ज्ञान सहज हो सकता है। इसी तरह हर किले का भी ओयूवी तय किया जाता है।
राजस्थानी बिना केड़ो राजस्थान काली मुख्पति बाँध मांगी मान्यता
राजस्थानी बिना केड़ो राजस्थान काली मुख्पति बाँध मांगी मान्यता
मायड भाषा ओर मॉ में कोई अन्तर नही मॉ का अपमान अब सहन नही होगा
बाडमेर तीस मार्च र राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता की मांग को लेकर अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति बाड़मेर , राजस्थानी छात्र परिषद् ,राजस्थानी चिंतन परिषद् ,राजस्थानी भाषा महिला परिषद तथा राजस्थानी मोटियार परिषद के तत्वाधान में शनिवार को राजस्थान दिवस पर राजस्थानी बिना गुंगो राजस्थान कार्यक्रम के तहत कार्यकर्ताओ ने काली मुख्पत्ति लगाकर राजस्थानी को संवेधानिक मान्यता की मांग को ले कर रेल्ली निकाल कर प्रधानमंत्री के नाम का ज्ञापन अतिरिक्त जिला अरुण पुरोहित को सुपुर्द किया .इस अवसर पर जोधपुर संभाग उप पाटवी चन्दन सिंह भाटी ,जिला पाटवी रिड़मल सिंह दांता ,डॉ लक्ष्मीनारायण जोशी ,इन्दर प्रकाश पुरोहित ,सांग सिंह लुणु ,अशोक सिंह राजपुरोहित ,रमेश गौड ,दुर्जन सिंह गुडीसर ,सुलतान सिंह रेडाना ,अशरफ अली ,शिव सेना के जिला अध्यक्ष बसंत खत्री ,कल्याण सिंह दाखां ,मान सिंह भाटी ,सुखराम जैन ,हिन्दू सिंह तामलोर ,रमेश सिंह इन्दा ,दिग्विजय सिंह चुली ,अशोक सारला ,अवार सिंह सोढा ,जीतेन्द्र फुलवारिया ,भेरा राम सुथार ,सहित कई पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित थे ,इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए डॉ लक्ष्मीनारायण जोशी ने कहा की राजस्थानी भाषा का साहित्य और इतिहास उच्च कोटि का हें ,राजस्थानी भाषा का शब्द ग्रन्थ सबसे विशाल हें ,उन्होंने कहा की राजस्थान के बारह करोड़ राजस्थानियों की मायड भाषा हे जिसे अब हर सूरत में मान्यता मिलनी चाहिए ,इस अवसर पर संभाग उप पाटवी चन्दन सिंह भाटी ने कहा की राजस्थानी भाषा और हमारी माँ में कोई अंतर नहीं हे ,मायड भाषा का अपमान अब सहन नहीं होगा .जब छोटी छोटी भाषाओ को केंद्र सरकार मान्यता दे रही हे तो राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं देकर राजस्थानियों के हितो के साथ कुठाराघात क्यों कर रही हें सरकार ।,कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला पाटवी रिडमल सिंह दांता ने कहा की क्षेत्रीय सांसद हरीश चौधरी ने राजस्थानी भाषा को मान्यता देने की मांग सांसद में उठा कर सराहनीय कार्य किया हें .पूरा राजस्थान उनका आभार प्रकट करता हें .राजस्थानी भाषा चिंतन परिषद के जिला अध्यक्ष रमेश गौड़ ने कहा की राजस्थान की पहचान राजस्थानी भाषा से हे ,माँ का दूसरा रूप मायड भाषा में निहित हे ,इस अभियान को महिलाओ के बीच ले जाया जा रहा हे दृमातृशक्ति राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने का पूरा दबाव केंद्र सर्कार पर बनाएगी।अन्होने कार्यकर्ताओ से आहवान किया कि बाडमेर राजस्थानी भाशा को मान्यता दिलाने में अहम भूमिकानिभाने जा रहा हैं।आओ अपनी मायड भाशा को मिलकर मान दिलाऐं।,इस अवसर पर समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष इन्द्र प्रकाश पुरोहित ने कहा की राजस्थानी को मान्यता देकर ही राजस्थान का स्वाभिमान, राजस्थान की पहचान, अस्मिता, राजस्थानी भाषा, साहित्य और उसकी संस्कृति, राजस्थान का रोजगार तथा उसके बालकों का भविष्य बचाया जा सकता है। समिति के कल्याण सिंह दाखां ने कहा की राजस्थान की विधानसभा में 25 अगस्त 2003 को जो सर्वसम्मत संकल्प प्रस्ताव पास करके केन्द्र सरकार को भेजा गया वह सम्पूर्ण राजस्थान का जनमत है और उसी को आधार मानकर राजस्थानी भाषा को तत्काल मान्यता दी जानी चाहिए थी, मगर उसके आठ वर्षों बाद तक भी उस पर अमल नहीं किया जाना जनमत का अपमान है। भाटी ने आक्रोश व्यक्त किया है कि प्रत्येक राजस्थानी उम्मीद लगाए बैठा था कि संसद के शीतकालीन सत्र में उनकी मातृभाषा को उसका वाजिब हक मिल जाएगा, मगर हाल ही में केन्द्र की ओर से यूपीएसी की समिति की बात सामने आने से उन्हें ठेस पहुंची है और 68 वर्षों से शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे राजस्थानियों की सब्र का बांध टूट चुका है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब अन्य 22 भारतीय भाषाओं को संवैधानिक मान्यता देने में यूपीएससी की समिति की जरूरत नहीं पड़ी तो अब राजस्थानी के मामले में ही ऐसा क्यों? राजस्थानी जनता अपने इस हक के लिए आखिर कितना इंतजार करे। यह देश की बहुत बड़ी जनसंख्या जो राजस्थानी भाषी है और राजस्थान, देश तथा विदेश में बसती है उसकी भावनाओं और आत्मसम्मान पर कुठाराघात है।समिति के सांग सिंह लुणु ने कहा की आम जुबान की भाषा राजस्थानी हे जिसका अपना महत्त्व हे ,राजस्थान के लोग सहज और सरल हे शांतिपूर्वक तरीके से 68 सालो से अपना अधिकार मांग रहे हें ,उन्होंने कहा की राजस्थानी भाषा की मान्यता का मुद्दा प्रदेश के युवाओं के भविष्य का प्रश्न बन गया हें ,भाषा को अब संविधान की आठवी सूचि में शामिल कर मान्यता देनी ही पड़ेगी .इससे पहले राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओ ने अहिंसा चौराहे पर महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर मुख पर काली पट्टी बाँध रेली का ,आयोजन किया रेली अहिंसा चौराहे से जिला कलेक्टर कार्यालय , कलेक्टर कर्यलर बंद होने के कारण समिति ने अतिरिक्त जिला कलेक्टर अरुण पुरोहित के घर जाकर प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सुपुर्द किया ,
बाडमेर तीस मार्च र राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता की मांग को लेकर अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति बाड़मेर , राजस्थानी छात्र परिषद् ,राजस्थानी चिंतन परिषद् ,राजस्थानी भाषा महिला परिषद तथा राजस्थानी मोटियार परिषद के तत्वाधान में शनिवार को राजस्थान दिवस पर राजस्थानी बिना गुंगो राजस्थान कार्यक्रम के तहत कार्यकर्ताओ ने काली मुख्पत्ति लगाकर राजस्थानी को संवेधानिक मान्यता की मांग को ले कर रेल्ली निकाल कर प्रधानमंत्री के नाम का ज्ञापन अतिरिक्त जिला अरुण पुरोहित को सुपुर्द किया .इस अवसर पर जोधपुर संभाग उप पाटवी चन्दन सिंह भाटी ,जिला पाटवी रिड़मल सिंह दांता ,डॉ लक्ष्मीनारायण जोशी ,इन्दर प्रकाश पुरोहित ,सांग सिंह लुणु ,अशोक सिंह राजपुरोहित ,रमेश गौड ,दुर्जन सिंह गुडीसर ,सुलतान सिंह रेडाना ,अशरफ अली ,शिव सेना के जिला अध्यक्ष बसंत खत्री ,कल्याण सिंह दाखां ,मान सिंह भाटी ,सुखराम जैन ,हिन्दू सिंह तामलोर ,रमेश सिंह इन्दा ,दिग्विजय सिंह चुली ,अशोक सारला ,अवार सिंह सोढा ,जीतेन्द्र फुलवारिया ,भेरा राम सुथार ,सहित कई पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित थे ,इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए डॉ लक्ष्मीनारायण जोशी ने कहा की राजस्थानी भाषा का साहित्य और इतिहास उच्च कोटि का हें ,राजस्थानी भाषा का शब्द ग्रन्थ सबसे विशाल हें ,उन्होंने कहा की राजस्थान के बारह करोड़ राजस्थानियों की मायड भाषा हे जिसे अब हर सूरत में मान्यता मिलनी चाहिए ,इस अवसर पर संभाग उप पाटवी चन्दन सिंह भाटी ने कहा की राजस्थानी भाषा और हमारी माँ में कोई अंतर नहीं हे ,मायड भाषा का अपमान अब सहन नहीं होगा .जब छोटी छोटी भाषाओ को केंद्र सरकार मान्यता दे रही हे तो राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं देकर राजस्थानियों के हितो के साथ कुठाराघात क्यों कर रही हें सरकार ।,कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला पाटवी रिडमल सिंह दांता ने कहा की क्षेत्रीय सांसद हरीश चौधरी ने राजस्थानी भाषा को मान्यता देने की मांग सांसद में उठा कर सराहनीय कार्य किया हें .पूरा राजस्थान उनका आभार प्रकट करता हें .राजस्थानी भाषा चिंतन परिषद के जिला अध्यक्ष रमेश गौड़ ने कहा की राजस्थान की पहचान राजस्थानी भाषा से हे ,माँ का दूसरा रूप मायड भाषा में निहित हे ,इस अभियान को महिलाओ के बीच ले जाया जा रहा हे दृमातृशक्ति राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने का पूरा दबाव केंद्र सर्कार पर बनाएगी।अन्होने कार्यकर्ताओ से आहवान किया कि बाडमेर राजस्थानी भाशा को मान्यता दिलाने में अहम भूमिकानिभाने जा रहा हैं।आओ अपनी मायड भाशा को मिलकर मान दिलाऐं।,इस अवसर पर समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष इन्द्र प्रकाश पुरोहित ने कहा की राजस्थानी को मान्यता देकर ही राजस्थान का स्वाभिमान, राजस्थान की पहचान, अस्मिता, राजस्थानी भाषा, साहित्य और उसकी संस्कृति, राजस्थान का रोजगार तथा उसके बालकों का भविष्य बचाया जा सकता है। समिति के कल्याण सिंह दाखां ने कहा की राजस्थान की विधानसभा में 25 अगस्त 2003 को जो सर्वसम्मत संकल्प प्रस्ताव पास करके केन्द्र सरकार को भेजा गया वह सम्पूर्ण राजस्थान का जनमत है और उसी को आधार मानकर राजस्थानी भाषा को तत्काल मान्यता दी जानी चाहिए थी, मगर उसके आठ वर्षों बाद तक भी उस पर अमल नहीं किया जाना जनमत का अपमान है। भाटी ने आक्रोश व्यक्त किया है कि प्रत्येक राजस्थानी उम्मीद लगाए बैठा था कि संसद के शीतकालीन सत्र में उनकी मातृभाषा को उसका वाजिब हक मिल जाएगा, मगर हाल ही में केन्द्र की ओर से यूपीएसी की समिति की बात सामने आने से उन्हें ठेस पहुंची है और 68 वर्षों से शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे राजस्थानियों की सब्र का बांध टूट चुका है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब अन्य 22 भारतीय भाषाओं को संवैधानिक मान्यता देने में यूपीएससी की समिति की जरूरत नहीं पड़ी तो अब राजस्थानी के मामले में ही ऐसा क्यों? राजस्थानी जनता अपने इस हक के लिए आखिर कितना इंतजार करे। यह देश की बहुत बड़ी जनसंख्या जो राजस्थानी भाषी है और राजस्थान, देश तथा विदेश में बसती है उसकी भावनाओं और आत्मसम्मान पर कुठाराघात है।समिति के सांग सिंह लुणु ने कहा की आम जुबान की भाषा राजस्थानी हे जिसका अपना महत्त्व हे ,राजस्थान के लोग सहज और सरल हे शांतिपूर्वक तरीके से 68 सालो से अपना अधिकार मांग रहे हें ,उन्होंने कहा की राजस्थानी भाषा की मान्यता का मुद्दा प्रदेश के युवाओं के भविष्य का प्रश्न बन गया हें ,भाषा को अब संविधान की आठवी सूचि में शामिल कर मान्यता देनी ही पड़ेगी .इससे पहले राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओ ने अहिंसा चौराहे पर महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर मुख पर काली पट्टी बाँध रेली का ,आयोजन किया रेली अहिंसा चौराहे से जिला कलेक्टर कार्यालय , कलेक्टर कर्यलर बंद होने के कारण समिति ने अतिरिक्त जिला कलेक्टर अरुण पुरोहित के घर जाकर प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सुपुर्द किया ,
राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए अब गुजरात के राजस्थानी भी आगे आये
राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए अब गुजरात के राजस्थानी भी आगे आये
राजस्थान दिवस के अवसर पर, यह कितना आश्चर्य जनक है कि देश को आजाद हुए ६५ वर्ष हो गए है फिर भी राजस्थानी भाषा को केंद्रीय सरकार ने मान्यता नहीं दी है और इसे सविंधान की आठवी सूचि में शामिल नहीं किया है | कुछ लोगो को भ्रम है की राजस्थानी सिर्फ एक बोली है और यह भाषा नहीं है | वास्तिवकता यह है कि राजस्थानी भाषा लगभग १२०० वी शताब्दी से बोली और लिखी जा रही है | इस भाषा में लगभग चार लाख हस्त लिखित पोथिया, लाखो पुस्तके है और १३४ रीति ग्रन्थ है | राजस्थानी भाषा में लगभग चार लाख शब्द है तथा दो लाख दस हजार शब्द तो एक शब्दकोष में है | लगभग ६० शब्दकोश बने हुए है | आजादी के पहले यह कई रियासतों की भाषा थी | लगभग ६ कहावतो के शब्दकोश बने हुए है तथा अन्य कई कहावतो की पुस्तके है | राजस्थानी भाषा की व्यवस्थित और वैज्ञानिक व्याकरण कई लेखको की छपी हुई है | तीज त्यौहार और शादी ब्याव के लिए हजारो गीत है जो गाए जाते है | राजस्थानी भाषा में गए वर्षो में लगभग 100 फिल्मे बनी है |
यह बहुत दुःख कि बात नहीं है की बहुत सी ऐसी भाषाओ को मान्यता मिल गई है जिनके बोलने वालो की संख्या राजस्थानी बोलने वालो से काफी कम है | पुरे विश्व में राजस्थानी बोलने, समझने वालो की संख्या लगभग १० करोड़ है | कुछ लोगो के मस्तिक में भ्रम है की राजस्थानी की अपनी कोई लिपि नही है इस लिए इसे मान्यता नहीं मिली है, पर सविधान ने उन आठ भाषाओ को मान्यता दे रखी है जिनकी लिपि देवनागरी है, जैसे की मराठी, नेपाली, कोंकणी, काश्मीरी, डोगरी, मैथली, संथाली और संस्कृत, तो फिर राजस्थानी भाषा जिसकी लिपि भी देवनागरी है को मान्यता देने में केंद्रीय सरकार क्यों देरी कर रही है |
जिसे भाषा विज्ञान का ज्ञान नहीं है वे कहते है कौन सी राजस्थानी ? उन्हें पता नहीं की ढुढाडी, मेवाड़ी, हाडोती, मारवाड़ी, मेवाती आदि राजस्थानी भाषा की 73 बोलिया है, हिंदी की 43, मराठी की 65, तेलगु की 36, तमिल की 22, कन्नड़ की 32, कोंकणी की 16, बंगाली की 15, पंजाबी की 29, गुजराती की 27 बोलिया है, तथा भाषा वैज्ञानिको के अनुसार जिस भाषा की ज्यादा बोलिया होती है वह भाषा उतनी ही सम्रद्ध और सामर्थ्यवान मानी जाती है |
गुजरात में राजस्थान से आये हुए लाखो परिवार आज राजस्थानी भाषा बोलते है तथा राजस्थान की गौरव शाली परम्पराओ से जुड़े हुए है | पर केंद्र की भारत सरकार द्वारा राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं देने और उसे सविधान की आठवी सूचि में शामिल नहीं करने से उनमे आज रोष है | इसलिए राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए के लिए, अब गुजरात में रहने वाले राजस्थानी लोग भी आगे आ रहे है | कुछ ही दिन पहले एक निजी टीवी चैनल और एक निजी पत्रिका के सवांददाता के सामने इन लोगो ने अपना दुःख व्यक्त किया और भारत की केंद्रीय और राजस्थान की सरकार से प्रार्थना की वे दोनों मिल कर इस पुरानी समस्या का शीघ्र समाधान करे और राजस्थानी भाषा बोलने वाले लगभग १० करोड़ लोगो के साथ न्याय करे | इस चैनल के सवाददाता के सामने निम्न व्यक्तियों ने अपने विचार रखे | भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) के कई वैज्ञानिक व उनके परिवार के सदस्य इसमे शामिल है, जिनमे प्रमुख है, आश्विन दवे, सूर्यकांत शर्मा, नाथू सिंह मेहता, हरीश सेठ, नरेश भटनागर, मीना सेठ, नीला भटनागर, नीरजा शर्मा, श्रीमती आश्विन दवे, है | इनके आलावा, अहमदाबाद में कई वर्षो से रहने वाले मूल रूप से राजस्थान से आये हुई है बड़े उद्योगपतियो और व्यापारियों ने भी इस साक्षात्कार में भाग लिया, जिनमे प्रमुख है: जबर राज सकलेचा, अध्यक्ष जोधपुर एसोसिएशन, अहमदाबाद, राजीव छाजेड, अन्तराष्ट्रीय अध्यक्ष,लायंस क्लब ऑफ़ कर्णावती ३२३ बी, कुशल भंसाली, MP ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्री, उत्तम चंद मेहता, पूर्व अध्यक्ष, मारवाड़ संघ, राजेंद्र मेहता, अध्यक्ष लायंस क्लब ऑफ़ कर्णावती, एम एम सिंघी, पूर्व अध्यक्ष, राजस्थान हॉस्पिटल, गनपत राज चोधरी, अध्यक्ष जीतो, फिल्म निदेशक तारा चंद जैन, केवल चंद भटेवरा, अध्यक्ष राजस्थान स्थानकवासी मेवाड़ संघ, विजय भट्ट (दक्षिण अफ्रीका में कार्यरत, पर अभी अहमदाबाद आये हुए), ओम प्रकाश तोला, मंजू तोला, और अन्य महानुभाव है जिन्होंने भी ऐसे ही विचार व्यक्त किये या इस दिशा में कई वर्षो से कार्य कर रहे है, जिनमे प्रमुख है, गिरवर सिंह शेखावत, भवानी सिंह शेखावत, प्रेम चन्द पटवा, पदम् कोठारी, प्रमोद बागरेचा, शांति लाल नाहर, अध्यक्ष मेवाड़ जय संघ, पुष्पलता शर्मा, जगदीश शर्मा, मंजू भटनागर, भूपति राम साकरिया (आनंद) , अम्बादान रोहडिया (राजकोट) प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रोफेसर नरेन्द्र भंडारी, प्रोफेसर राजमल जैन, इत्यादि |
सुरेन्द्र सिंह पोखरना (भूतपूर्व वैज्ञानिक, भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन)
जमीन से निकली मोहरें सिंधु घाटी सभ्यता की, 94 मोहरें सरकारी कोष में जमा
जमीन से निकली मोहरें सिंधु घाटी सभ्यता की, 94 मोहरें सरकारी कोष में जमा
मोहरों पर है चित्र लिपि अंकित
लाडनूं झंडा चौक में निर्माणाधीन भवन की खुदाई के दौरान निकली 94 प्राचीन मोहरें शनिवार को मकान मालिक लाभचंद प्रजापत ने राजकोष में जमा कराने के लिए उपखंड अधिकारी को सौंप दिए। इन सिक्कों पर मिली चित्र लिपि व अन्य संकेतों से ये सिंधु घाटी सभ्यता के होने की संभावना भी जताई जा रही है।
उपखंड अधिकारी राजपाल सिंह ने इनकी गिनती व वजन कराने के बाद सीलबंद कर जिला कोषागार में जमा कराने भेज दिया। इस मामले में उन्होंने अनेक लोगों के बयान लिए। मकान मालिक को लिखित रूप से आगे खुदाई में किसी भी प्रकार की कोई प्राचीन वस्तु मिलने पर उसकी सूचना कार्यालय में देने के लिए पाबंद किया है। मोहरों का वजन कुल 400 ग्राम निकला।
एसडीएम राजपाल सिंह द्वारा अपने स्तर पर जांच की गई तो ये छोटे आकार की मोहरें वजन में भारी थीं। ये मटमैली थीं। हरी जंग लगी थी। इस मैल को मामूली रगडऩे पर नीचे सुनहरा रंग नजर आया। पत्थर पर घिसाई करने पर चांदी नुमा सफेदी दिखाई दी। इनकी धातु के बारे में कोई अनुमान नहीं लगाया जा सका। इन पर एक तरफ तीन मेखला वाली यज्ञवेदी का चित्र व कुछ लाइनों की अलग लिपि नजर आ रही थी, तो दूसरी तरफ अद्र्ध मानवाकृति, पीछे सर्पाकार आकृति आदि थी, जिन्हें देखने पर लगता है कि वह कोई चित्रलिपि है, जिसे फिलहाल पढ़ा जाना संभव नहीं है। उपखंड अधिकारी राजपाल सिंह का मानना है कि ये मोहरें करीब सात हजार साल पुरानी व सिंधु घाटी सभ्यता के समकालीन हो सकती हैं। इन पर अंकित लिपि व आकृतियां उसी सभ्यता से मिलती-जुलती नजर आ रही हैं। उन्होंने जिस लाल मिट्टी के कलश में ये मोहरें मिली थी, उसके टूटे टुकड़े भी सरकारी कोष में जमा करवाने के निर्देश मकान मालिक को दिए। ताकि उनकी कार्बन-डेटिंग की जा सके।
एसडीएम ने देखा मौका
उपखंड अधिकारी राजपाल सिंह ने ये मोहरें जमा करने के बाद स्वयं मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। मालिक लाभचंद प्रजापत को पाबंद किया कि वे चारों तरफ के पिलर बनवाने के अलावा भूमि के बीच के हिस्से में कोई निर्माण कार्य नहीं करवाए, ताकि उसका जायजा पुरातत्व विभाग के अधिकारी व विशेषज्ञ ले सकें।
गुजराती कलाकारों ने दी गेर नृत्य की प्रस्तुति
गुजराती कलाकारों ने दी गेर नृत्य की प्रस्तुति
गेर महोत्सव के तीसरे दिन दिखा उत्साह, महोत्सव को देखने के लिए उमड़ी भीड़
जालोर भक्त प्रहलाद चौक में भक्त प्रहलाद उत्सव समिति के नेतृत्व में चल रहे गेर महोत्सव के तीसरे दिन गुजरात के वीरम गांव से रौनक एंड पार्टी के नेतृत्व में गेर नर्तकों ने गुजराती ढोल व गीतों की धुनों पर डांडिया नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी। समिति अध्यक्ष बंशीलाल सोनी ने बताया कि महोत्सव के दौरान बाड़मेर जिले के बिठूजा गांव की वागा गेर दल व जालोर के माली समाज के लोगों ने भी गेर नृत्य प्रस्तुत किया। ढोल व थाली की धुन पर सिर पर साफा व पैरों में घुंघरु बांधे गेर नृत्य करते नर्तक वातावरण में अलग ही समां बांधते नजर आए। मदमस्त होकर नाचते गेर नर्तकों के डांडियों की धुनों पर पांडाल में उपस्थित दर्शक भी झूमने लगे।
इसी प्रकार स्थानीय माली समाज और घांची समाज के गेर नर्तकों ने भी मनमोहक प्रस्तुति देकर सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। सोनी ने बताया कि शनिवार को पांडाल में कर्मचारी नेता ईश्वरलाल शर्मा सहित कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
सात दिवसीय गेर महोत्सव के तहत भक्त प्रहलाद चौक में तीसरे दिन लोगों की भीड़ उमड़ी। लय और ताल पर थिरकते गेरियों ने हर किसी का मनोरंजन किया। वहीं ढोल की थाप माहौल को और भी आनंदमयी बना रहा था।
आज भी प्रस्तुति देंगे कई क्षेत्र के गेरिये : भक्त प्रहलाद उत्सव सेवा समिति के अध्यक्ष बंशीलाल सोनी ने बताया कि रविवार को भी दो सत्रों में विभिन्न क्षेत्रों के गेरिये प्रस्तुति देंगे। उन्होंने बताया कि रविवार को सिंदली, भोरड़ा, सराणा के कालबेलिया गेर नर्तक प्रस्तुतियां देंगे।
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