रविवार, 31 मार्च 2013

राजस्थानी बिना केड़ो राजस्थान काली मुख्पति बाँध मांगी मान्यता




राजस्थानी बिना केड़ो राजस्थान काली मुख्पति बाँध मांगी मान्यता 

मायड भाषा ओर मॉ में कोई अन्तर नही मॉ का अपमान अब सहन नही होगा

बाडमेर तीस मार्च र राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता की मांग को लेकर अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति बाड़मेर , राजस्थानी छात्र परिषद् ,राजस्थानी चिंतन परिषद् ,राजस्थानी भाषा महिला परिषद तथा राजस्थानी मोटियार परिषद के तत्वाधान में शनिवार को राजस्थान दिवस पर राजस्थानी बिना गुंगो राजस्थान कार्यक्रम के तहत कार्यकर्ताओ ने काली मुख्पत्ति लगाकर राजस्थानी को संवेधानिक मान्यता की मांग को ले कर रेल्ली निकाल कर प्रधानमंत्री के नाम का ज्ञापन अतिरिक्त जिला  अरुण पुरोहित को सुपुर्द किया .इस अवसर पर जोधपुर संभाग उप पाटवी चन्दन सिंह भाटी ,जिला पाटवी रिड़मल सिंह दांता ,डॉ लक्ष्मीनारायण जोशी ,इन्दर प्रकाश पुरोहित ,सांग सिंह लुणु ,अशोक सिंह राजपुरोहित ,रमेश गौड ,दुर्जन सिंह गुडीसर ,सुलतान सिंह रेडाना ,अशरफ अली ,शिव सेना के जिला अध्यक्ष बसंत खत्री ,कल्याण सिंह दाखां ,मान सिंह भाटी ,सुखराम जैन ,हिन्दू सिंह तामलोर ,रमेश सिंह इन्दा ,दिग्विजय सिंह चुली ,अशोक सारला ,अवार सिंह सोढा ,जीतेन्द्र फुलवारिया ,भेरा राम सुथार ,सहित कई पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित थे ,इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए डॉ लक्ष्मीनारायण जोशी ने कहा की राजस्थानी भाषा का साहित्य और इतिहास उच्च कोटि का हें ,राजस्थानी भाषा का शब्द ग्रन्थ सबसे विशाल हें ,उन्होंने कहा की राजस्थान के बारह करोड़ राजस्थानियों की मायड भाषा हे जिसे अब हर सूरत में मान्यता मिलनी चाहिए ,इस अवसर पर संभाग उप पाटवी चन्दन सिंह भाटी  ने कहा की राजस्थानी भाषा और हमारी माँ में कोई अंतर नहीं हे ,मायड भाषा का अपमान अब सहन नहीं होगा .जब छोटी छोटी भाषाओ को केंद्र सरकार मान्यता दे रही हे तो राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं देकर राजस्थानियों के हितो के साथ कुठाराघात क्यों कर रही हें सरकार ।,कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला पाटवी रिडमल सिंह दांता ने कहा की क्षेत्रीय सांसद हरीश चौधरी ने राजस्थानी भाषा को मान्यता देने की मांग सांसद में उठा कर सराहनीय कार्य किया हें .पूरा राजस्थान उनका आभार प्रकट करता हें .राजस्थानी भाषा चिंतन परिषद के जिला अध्यक्ष रमेश गौड़ ने कहा की राजस्थान की पहचान राजस्थानी भाषा से हे ,माँ का दूसरा रूप मायड भाषा में निहित हे ,इस अभियान को महिलाओ के बीच ले जाया जा रहा हे दृमातृशक्ति राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने का पूरा दबाव केंद्र सर्कार पर बनाएगी।अन्होने कार्यकर्ताओ  से आहवान किया कि बाडमेर राजस्थानी भाशा को मान्यता दिलाने में अहम भूमिकानिभाने जा रहा हैं।आओ अपनी मायड भाशा को मिलकर मान दिलाऐं।,इस अवसर पर समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष इन्द्र प्रकाश पुरोहित ने कहा की राजस्थानी को मान्यता देकर ही राजस्थान का स्वाभिमान, राजस्थान की पहचान, अस्मिता, राजस्थानी भाषा, साहित्य और उसकी संस्कृति, राजस्थान का रोजगार तथा उसके बालकों का भविष्य बचाया जा सकता है। समिति के कल्याण सिंह दाखां  ने कहा की राजस्थान की विधानसभा में 25 अगस्त 2003 को जो सर्वसम्मत संकल्प प्रस्ताव पास करके केन्द्र सरकार को भेजा गया वह सम्पूर्ण राजस्थान का जनमत है और उसी को आधार मानकर राजस्थानी भाषा को तत्काल मान्यता दी जानी चाहिए थी, मगर उसके आठ वर्षों बाद तक भी उस पर अमल नहीं किया जाना जनमत का अपमान है। भाटी ने आक्रोश व्यक्त किया है कि प्रत्येक राजस्थानी उम्मीद लगाए बैठा था कि संसद के शीतकालीन सत्र में उनकी मातृभाषा को उसका वाजिब हक मिल जाएगा, मगर हाल ही में केन्द्र की ओर से यूपीएसी की समिति की बात सामने आने से उन्हें ठेस पहुंची है और 68 वर्षों से शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे राजस्थानियों की सब्र का बांध टूट चुका है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब अन्य 22 भारतीय भाषाओं को संवैधानिक मान्यता देने में यूपीएससी की समिति की जरूरत नहीं पड़ी तो अब राजस्थानी के मामले में ही ऐसा क्यों? राजस्थानी जनता अपने इस हक के लिए आखिर कितना इंतजार करे। यह देश की बहुत बड़ी जनसंख्या जो राजस्थानी भाषी है और राजस्थान, देश तथा विदेश में बसती है उसकी भावनाओं और आत्मसम्मान पर कुठाराघात है।समिति के सांग सिंह लुणु ने कहा की आम जुबान की भाषा राजस्थानी हे जिसका अपना महत्त्व हे ,राजस्थान के लोग सहज और सरल हे शांतिपूर्वक तरीके से 68 सालो से अपना अधिकार मांग रहे हें ,उन्होंने कहा की राजस्थानी भाषा की मान्यता का मुद्दा प्रदेश के युवाओं के भविष्य का प्रश्न बन गया हें ,भाषा को अब संविधान की आठवी सूचि में शामिल कर मान्यता देनी ही पड़ेगी .इससे पहले राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओ ने अहिंसा चौराहे पर महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर मुख पर काली पट्टी बाँध रेली का ,आयोजन किया रेली अहिंसा चौराहे से जिला कलेक्टर कार्यालय , कलेक्टर कर्यलर बंद होने के कारण समिति ने अतिरिक्त जिला कलेक्टर अरुण पुरोहित के घर जाकर प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सुपुर्द किया ,

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें