जयपुर.कंबोडिया में यूनेस्को और वर्ल्ड हैरिटेज काउंसिल की जून में होने वाली मीटिंग में राजस्थान की छह हैरिटेज साइट्स को वर्ल्ड हैरिटेज साइट्स में शामिल होने का दर्जा मिल सकता है। भारत से इस बार राजस्थान के छह दुर्गो का ही सीरियल नॉमिनेशन हुआ है। जिसमें आमेर, चित्तौड़, रणथंभोर, कुंभलगढ़, गागरोन और जैसलमेर के दुर्ग शामिल हैं। इन दुर्गो की लिस्टिंग करने में जयपुर की हिस्टोरियन रीमा हूजा भी शामिल हैं। उन्होंने सरकारी नुमाइंदों और कंजर्वेटर आर्किटेक्ट शिखा जैन के साथ इन साइट्स की रिपोर्ट राइटिंग की है।
वे कहती हैं हम लोग तीन साल से इस प्रोजेक्ट में लगे हैं। जब भी यूनेस्को को अपनी साइट के बारे में ब्यौरा दिया जाता है। उसमें मॉन्यूमेंट्स की आउटस्टैंडिंग यूनिवर्सल वैल्यू बतानी होती है। मिसाल के तौर पर आमेर किले की यूनिवर्सल वैल्यू उसका जल प्रबंधन हैं वहीं चित्तौड़गढ़ किले में अलग-अलग भवनों का समूह उसकी एक खासियत है।
वे कहती हैं कि इसका डोसियर हमने राजस्थान सरकार को 2011 में तैयार करके दिया था। इसके बाद यह भारत सरकार के पास गया और अब सभी की निगाहें जून में होने वाली मीटिंग पर रहेंगी। राजस्थान के छह किलों का सीरियल नॉमिनेशन भी एक बड़ी उपलब्धि है।
क्या है आउटस्टैंडिंग यूनिवर्सल वैल्यू (ओयूवी)
जब किसी ऐतिहासिक स्मारक को यूनेस्को की ओर से वर्ल्ड हैरिटेज साइट का दर्जा दिलवाना होता है। उसकी रिपोर्ट राइटिंग में ओयूवी लिखना होता है, जो उस इमारत का यूनीक पॉइंट हैं। ताकि यूनेस्को ये सुनिश्चित कर सके कि ऐसी खूबी वाली इमारत दूसरी नहीं है। जैसे जंतर का ओयूवी पॉइंट है इसकी सटीक गणना जिसे देखकर आज भी समय का ज्ञान सहज हो सकता है। इसी तरह हर किले का भी ओयूवी तय किया जाता है।
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