रविवार, 31 मार्च 2013

राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए अब गुजरात के राजस्थानी भी आगे आये



राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए अब गुजरात के राजस्थानी भी आगे आये

राजस्थान दिवस के अवसर पर, यह कितना आश्चर्य जनक है कि देश को आजाद हुए ६५ वर्ष हो गए है फिर भी राजस्थानी भाषा को केंद्रीय सरकार ने मान्यता नहीं दी है और इसे सविंधान की आठवी सूचि में शामिल नहीं किया है | कुछ लोगो को भ्रम है की राजस्थानी सिर्फ एक बोली है और यह भाषा नहीं है | वास्तिवकता यह है कि राजस्थानी भाषा लगभग १२०० वी शताब्दी से बोली और लिखी जा रही है | इस भाषा में लगभग चार लाख हस्त लिखित पोथिया, लाखो पुस्तके है और १३४ रीति ग्रन्थ है | राजस्थानी भाषा में लगभग चार लाख शब्द है तथा दो लाख दस हजार शब्द तो एक शब्दकोष में है | लगभग ६० शब्दकोश बने हुए है | आजादी के पहले यह कई रियासतों की भाषा थी | लगभग ६ कहावतो के शब्दकोश बने हुए है तथा अन्य कई कहावतो की पुस्तके है | राजस्थानी भाषा की व्यवस्थित और वैज्ञानिक व्याकरण कई लेखको की छपी हुई है | तीज त्यौहार और शादी ब्याव के लिए हजारो गीत है जो गाए जाते है | राजस्थानी भाषा में गए वर्षो में लगभग 100 फिल्मे बनी है |

यह बहुत दुःख कि बात नहीं है की बहुत सी ऐसी भाषाओ को मान्यता मिल गई है जिनके बोलने वालो की संख्या राजस्थानी बोलने वालो से काफी कम है | पुरे विश्व में राजस्थानी बोलने, समझने वालो की संख्या लगभग १० करोड़ है | कुछ लोगो के मस्तिक में भ्रम है की राजस्थानी की अपनी कोई लिपि नही है इस लिए इसे मान्यता नहीं मिली है, पर सविधान ने उन आठ भाषाओ को मान्यता दे रखी है जिनकी लिपि देवनागरी है, जैसे की मराठी, नेपाली, कोंकणी, काश्मीरी, डोगरी, मैथली, संथाली और संस्कृत, तो फिर राजस्थानी भाषा जिसकी लिपि भी देवनागरी है को मान्यता देने में केंद्रीय सरकार क्यों देरी कर रही है |

जिसे भाषा विज्ञान का ज्ञान नहीं है वे कहते है कौन सी राजस्थानी ? उन्हें पता नहीं की ढुढाडी, मेवाड़ी, हाडोती, मारवाड़ी, मेवाती आदि राजस्थानी भाषा की 73 बोलिया है, हिंदी की 43, मराठी की 65, तेलगु की 36, तमिल की 22, कन्नड़ की 32, कोंकणी की 16, बंगाली की 15, पंजाबी की 29, गुजराती की 27 बोलिया है, तथा भाषा वैज्ञानिको के अनुसार जिस भाषा की ज्यादा बोलिया होती है वह भाषा उतनी ही सम्रद्ध और सामर्थ्यवान मानी जाती है |

गुजरात में राजस्थान से आये हुए लाखो परिवार आज राजस्थानी भाषा बोलते है तथा राजस्थान की गौरव शाली परम्पराओ से जुड़े हुए है | पर केंद्र की भारत सरकार द्वारा राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं देने और उसे सविधान की आठवी सूचि में शामिल नहीं करने से उनमे आज रोष है | इसलिए राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए के लिए, अब गुजरात में रहने वाले राजस्थानी लोग भी आगे आ रहे है | कुछ ही दिन पहले एक निजी टीवी चैनल और एक निजी पत्रिका के सवांददाता के सामने इन लोगो ने अपना दुःख व्यक्त किया और भारत की केंद्रीय और राजस्थान की सरकार से प्रार्थना की वे दोनों मिल कर इस पुरानी समस्या का शीघ्र समाधान करे और राजस्थानी भाषा बोलने वाले लगभग १० करोड़ लोगो के साथ न्याय करे | इस चैनल के सवाददाता के सामने निम्न व्यक्तियों ने अपने विचार रखे | भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) के कई वैज्ञानिक व उनके परिवार के सदस्य इसमे शामिल है, जिनमे प्रमुख है, आश्विन दवे, सूर्यकांत शर्मा, नाथू सिंह मेहता, हरीश सेठ, नरेश भटनागर, मीना सेठ, नीला भटनागर, नीरजा शर्मा, श्रीमती आश्विन दवे, है | इनके आलावा, अहमदाबाद में कई वर्षो से रहने वाले मूल रूप से राजस्थान से आये हुई है बड़े उद्योगपतियो और व्यापारियों ने भी इस साक्षात्कार में भाग लिया, जिनमे प्रमुख है: जबर राज सकलेचा, अध्यक्ष जोधपुर एसोसिएशन, अहमदाबाद, राजीव छाजेड, अन्तराष्ट्रीय अध्यक्ष,लायंस क्लब ऑफ़ कर्णावती ३२३ बी, कुशल भंसाली, MP ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्री, उत्तम चंद मेहता, पूर्व अध्यक्ष, मारवाड़ संघ, राजेंद्र मेहता, अध्यक्ष लायंस क्लब ऑफ़ कर्णावती, एम एम सिंघी, पूर्व अध्यक्ष, राजस्थान हॉस्पिटल, गनपत राज चोधरी, अध्यक्ष जीतो, फिल्म निदेशक तारा चंद जैन, केवल चंद भटेवरा, अध्यक्ष राजस्थान स्थानकवासी मेवाड़ संघ, विजय भट्ट (दक्षिण अफ्रीका में कार्यरत, पर अभी अहमदाबाद आये हुए), ओम प्रकाश तोला, मंजू तोला, और अन्य महानुभाव है जिन्होंने भी ऐसे ही विचार व्यक्त किये या इस दिशा में कई वर्षो से कार्य कर रहे है, जिनमे प्रमुख है, गिरवर सिंह शेखावत, भवानी सिंह शेखावत, प्रेम चन्द पटवा, पदम् कोठारी, प्रमोद बागरेचा, शांति लाल नाहर, अध्यक्ष मेवाड़ जय संघ, पुष्पलता शर्मा, जगदीश शर्मा, मंजू भटनागर, भूपति राम साकरिया (आनंद) , अम्बादान रोहडिया (राजकोट) प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रोफेसर नरेन्द्र भंडारी, प्रोफेसर राजमल जैन, इत्यादि |

सुरेन्द्र सिंह पोखरना (भूतपूर्व वैज्ञानिक, भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन)

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