रविवार, 31 मार्च 2013

‘जल को जानें और पहचाने ’अभियान का आगाज बाड़मेर से

‘जल को जानें और पहचाने ’अभियान का आगाज बाड़मेर से

बाड़मेर , देश को विकसित बनाने के लिए जल एवं स्वच्छता को आम आदमी तक पहुंच सुनिश्चित करना होगा। स्वच्छता के अभाव एवं खेतों में रसायन के उपयोग से जलस्रोत एवं नदियां प्रदूषित हो रही हैं। भूजल के दोहन से पानी खत्म हो रहा है। हमें इसे रोकना होगा। संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस वर्ष को ‘अंतरराष्ट्रीय जल सहकार वर्ष’ घोषित किया है। इसी कर्म में बाड़मेर में सीसीड़ीयू जिले भर में आगामी साल भर तक जल को जाने और पहचाने अभियान को चलाएगा . राजस्थान में पहली बार आयोजित किये जाने वाले इस अभियान की अनूठी पहल बाड़मेर की धरा पर सार्थक होती नजर आएगी।सीसीड़ीयू की आईईसी कंसल्टेंट अशोक सिंह ने बताया की ‘जल को जाने और पहचाने ’ अभियान का उद्देश्य जल का महत्व, संबंधित विचार, स्रोतों की बुनियादी समझ, पानी के प्रति पारंपरिक व आधुनिक दृष्टि, चुनौती व समाधान जैसे मसलों को लोगों के मध्य ले जाना है। अभियान खासतौर पर शिक्षण संस्थाओं और अन्य युवाओं के बीच पानी की बात पहुंचाने का मन रखता है। सीसीड़ीयू का आईईसी अनुभाग छोटी-छोटी बुनियादी जानकारियों, पानी का काम कर रहे व्यक्तियों, संगठनों के कार्यों से जन-जन को अवगत कराने से लेकर अंतरराष्ट्रीय हो चुके पानी मुद्दों को इस अभियान में शामिल करेगा। विभिन्न स्तरीय प्रतियोगिता, अध्ययन, कार्यशाला, व्याख्यान, शिविर, प्रदर्शनी, कविता पाठ, नुक्कड़ नाटक, फिल्म-स्लाइड शो, सहित्य-पर्चे-बैज आदि का वितरण और यात्राओं के अलावा कई ज़मीनी और श्रम आधारित गतिविधियों को भी इस अभियान का हिस्सा बनाया गया है। सीसीड़ीयू के आईईसी अनुभाग का मानना है कि आज जल सुरक्षा को सबसे बड़ी चुनौती चार तरफ से है: कृषि, शौच, ठोस कचरा और औद्योगिक अवजल। और जल सहकार के लिए सात प्रमुख वर्ग ऐसे हैं, जिन्हें बुनियादी हकीक़त से अवगत कराना और दायित्वपूर्ति के लिए प्रेरित करना जरूरी है: किसान, स्थानीय निकाय, व्यापारिक प्रतिष्ठान, औद्योगिक इकाइयां, सरकारी अस्पताल, निजी नर्सिंग होम और नदी किनारे स्थापित आस्था केन्द्र। यह जल सहकार का असली काम होगा। पानी की सबसे ज्यादा खपत कृषि क्षेत्र में है। नहरी सिंचाई प्रणाली का दुरुपयोग, अधिक सिंचाई से कम उपज के प्रति जानकारी का अभाव, कम पानी में अधिक उपज के वैज्ञानिक तौर-तरीकों की जानकारी व संसाधनों का अभाव तथा कृषि में रसायनों का बढ़ता प्रयोग जैसे मसले चुनौती बढ़कर खड़े हैं। इन सभी बातो को आगामी मई, 2013 से मई, 2014 के दौरान एक विशेष अभियान में आम जनता के सामने रखा जायेगा इस अभियान में हर वर्ग को शामिल किया जायेगा . इतना ही नही इस अभियान की शुरुवात तो शहर से होगी लेकिन बात सरहद के आखिरी छोर तक बेठे आम आदमी तक पहुचाई जाएगी .

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