सोमवार, 24 दिसंबर 2012

सागर के जिला अस्पताल में गैंगरेप

सागर के जिला अस्पताल में गैंगरेप
सागर। मध्यप्रदेश के सागर जिले में सामूहिक बलात्कार की शर्मसार करने वाली घटना सोमवार को सामने आई है। जिला अस्पताल में अपनी पांच साल की आग से जली बेटी का इलाज कराने आई महिला से शनिवार रात तीन सफाई कर्मचारियों ने बलात्कार किया और धमकाया कि पुलिस में रिपोर्ट नहीं करें। इसके बावजूद पीडित महिला ने सोमवार को पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई तो पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

नगर पुलिस अधीक्षक प्रमोद सोनकर ने बताया कि गोपाल गंज थाने में सोमवार को पीडिता ने इस मामले की रिपोर्ट दर्ज कराई। रिपोर्ट के अनुसार सागर जिले के बंडा के विनायका थाना क्षेत्र की इस महिला की पांच साल की बेटी आग से जल गई थी जिसे 13 दिसंबर को जिला अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था।

शनिवार की रात बर्न वार्ड में तीन सफाई कर्मचारियों ने उसके साथ बलात्कार किया तथा धमकाया कि पुलिस में रिपोर्ट नहीं कराए। धमकी के बावजूद महिला ने अपने पति से बात करने के बाद गोपालगंज थाना में उसके साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज करा दी। इसके तत्काल बाद पुलिस ने तीनों सफाईकर्मी राहुल वाल्मीकि, शनि वाल्मीकि और सचिन वाल्मीकि को गिरफ्तार कर लिया। तीनों आरोपी सागर शहर के निवासी हैं। पुलिस इस मामले में अस्पताल प्रबंधन से भी पूछताछ कर रही है।

॔पधारो म्हारी लाडो’ जागरूकता अभियान के तहत कार्याला का आयोजन



॔॔बेटियां ही बचाएं बेटियों को’’

॔पधारो म्हारी लाडो’ जागरूकता अभियान के तहत कार्याला का आयोजन

बाडमेर। बेटियां समाज में अहम भूमिका रखती हैं और बेटियों से ही समाज आगे ब़ता है। वर्तमान में बेटियों की स्थिति बेहद दयनीय है और कन्या भू्रण हत्या का ग्राफ ब़ता जा रहा है। इसलिए जरूरी है कि बेटियां आगे आएं और वे बेटियों को बचाने में अपनी भूमिका अदा करें। ये विचार सोमवार को आा सहयोगिनियो को संबोधित करते हुए विभिन्न वक्ताओं ने रखे, जो ॔’पधारो म्हारी लाडो’’ जागरूकता महाअभियान के तहत आयोजित कार्याला के दौरान बोल रहे थे। कार्याला में जिला आयुश अधिकारी डॉ. अनिल झा, जिला आईईसी समन्वयक विनोद बिनोई, आा समन्वयक राको भाटी, हेल्पेज इंडिया के अधिकारी केदार भार्मा, स्माईल फाउंडोन के अधिकारी संजय जोाी सहित सुपरवाईजर जगदीा कुमार आदि मौजूद थे।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जितेंद्रसिंह ने बताया कि आा सहयोगिनियों को इस मौके पर ॔॔पधारो म्हारी लाडो’’ अभियान के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्हें बताया गया और प्रेरित किया गया कि वे अपनी आंगनबाड़ी केंद्र पर जाकर बेटियां बचाने का संदो आमजन में दें। बेटियों को जन्मदिन मनाएं और बेटियों के जन्म पर थाली भी बजाएं। उन्हें बताया गया कि वे अपने नजदीकी चिकित्सा संस्थान पर जाकर बेटी के जन्म पर संबंधित परिजनों को थाली बजाने के लिए प्रेरित करें और स्वयं भी थाली बजाकर खुाी व्यक्त करें। इस मौके पर आाओं ने भी अपने क्षेत्र में इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करवाने की इच्छा जाहिर की, जिस पर निर्धारित किया गया कि आगामी दिनों में सिणधरी, चौहटन व बायतु ब्लॉक में पधारो म्हारी लाडो अभियान के तहत कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस अवसर पर हेल्पेज इंडिया के अधिकारी केदार भार्मा ने बताया कि विभाग के आईईसी अनुभाग, केयर्न इंडिया, स्माईल फाउंडोन व हेल्पेज की ओर से 17 अक्टूबर 2012 से उक्त कार्यक्रम की भाुरूआत की गई है। उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम एक वशर तक नियमित रूप से चलेगा, जिसके तहत नन्हीं बेटियों का जन्मदिन मनाया जा रहा है और उनके जन्म पर थाली भी बजाई जा रही है। इसके लिए विभाग द्वारा भी सभी संबंधित चिकित्सा अधिकारियों को लिखा गया है।




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मिलावट की जांच की जानकारी दी उपभोक्ताओं को

बाडमेर। राश्ट्रीय उपभोक्ता दिवस पर सोमवार को जिला प्रासन की ओर से लगाई गई प्रदार्नी में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर खाद्य वस्तुओं में मिलावट की जांच करने की जानकारी उपभोक्ताओं को दी गई। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जितेंद्रसिंह के निर्दोन में लगाई गई उपभोक्ता आईईसी प्रदार्नी में घी, दूध, तेल, मसाले, नमक, काली मिर्च आदि में मिलावट के संबंध में जानकारी दी गई। उपभोक्ताओं को बताया गया कि वे किस तरह साधारण वस्तुओं एवं घरेलु उपयोग में आने वाले सामान के जरिए खाद्य वस्तुओं की जांच कर सकते हैं। उपभोक्ताओं को इस दौरान आईईसी सामग्री भी उपलब्ध करवाई गई। इस मौके पर खाद्य सुरक्षा अधिकारी भूराराम गोदारा, जिला आईईसी समन्वयक विनोद बिनोई, अर्जुनसिंह एवं टेक्नीाियन मोहनलाल मौजूद रहे।

जैसलमेरजिले में पर्यटन सीजन, कि्रसमिस डे एवं नववर्ष पर पुलिस के सुरक्षा इंतजाम


जिले में पर्यटन सीजन, कि्रसमिस डे एवं नववर्ष पर पुलिस के सुरक्षा इंतजाम 

प्रभारी जिला विशेष शाखा के नेतृत्व में होटल की चैंकिग जारी


जैसलमेर जिले में पर्यटक सीजन, कि्रसमिस डे एवं आगामी नववर्ष के उपलक्ष पर सुरक्षा इंतजाम करने हेतु पुलिस अधीक्षक जिला जैसलमेर ममता राहुल द्वारा जिले के समस्त वृताधिकारियों एवं थानाधिकारियों को अपनेअपने हल्खा क्षैत्रों में कड़े सुरक्षा इंतजाम करने के निर्देश दिये। पुलिस अधीक्षक ने नव वर्ष पर प्रत्येक थाना क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थानों ंपर जाब्ता लगाने, रात्रि गश्त पर विशेष ध्यान देने के भी निर्देश दिए। पुलिस अधीक्षक ने छोटे होटल्स, रेस्टोरेंट्स, मोटल्स इत्यादि पर शाम के वक्त युवकों द्वारा बदमाशियां करने वालो के विरूद्ध कार्यवाही करने की हिदायते दी। पुलिस अधीक्षक ने नए वर्ष के अंतर्गत होने वाले विभिन्न आयोजनों के बारे में भी पुलिस अधिकारियों को विशोष सतर्कता रखते हुए कार्य करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि नव वर्ष पर शहर में आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा पर भी विशोष ध्यान रखा जाए। उन्होंने नव वर्ष के होटलों, क्लबों के आयोजनों को स्वीकृति के बाद ही उन्हें आयोजित करने देने के निर्देश दिए। नव वर्ष के जश्न के दौरान पुलिस की उपस्थिति सभी स्तरों पर सुनिश्चित करने और आयोजनों के दौरान कानून एवं शांति व्यवस्था की पालना के भी उन्होंने निर्देश दिए।

पुलिस अधीक्षक के आदेशानुसार शहर जैसलमेर, सम एवं खुहडी जैसे पर्यटक स्थलो में नव वर्ष के आयोजन स्थलो पर रामसिंह अति0 पुलिस अधीक्षक जैसलमेर एवं शायरसिंह वृताधिकारी वृत जैसलमेर के निर्देशन में शहर जैसलमेर में विरेन्द्रसिंह निपु थानाधिकारी पुलिस थाना जैसलमेर के नेतृत्व में शहर की होटलो में आयोजन स्थलो पर वर्दीधारी जाब्ता एवं सादावस्त धारी तैनात किये जावेगे। खुहडी गॉव में किशोरिंसह थानाधिकारी पुलिस थाना खुहडी के नेतृत्व में सघनतापूर्वक गश्त की जावेगी तथा गॉव के समस्त रिसोर्ट पर सुरक्षा के इंतजाम किये जावेगे तथा गॉव सम में फाउलाल निपु थानाधिकारी पुलिस थाना सम के नेतृत्व में पुलिस थाना सम के हल्खा में आने वाले समस्त रिसोटो पर आवश्यकतानुसार जाब्ता लगाया जाकर सुरक्षा इंतजाम किये जावेगे।

पुलिस अधीक्षक द्वारा जिले के समस्त वृताधिकारी एवं थानाधिकारी को लपको के विरूद्ध पर्यटन अधिनियम के तहत कार्यवाही करने के निर्देश दिये।




जिला विशेष शाखा द्वारा होटल चैंकिग अभियान जारी




इसके अलावा पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार कैलाश मेघवाल प्रभारी जिला विशेष शाखा के नेतृत्व में रामराजसिंह सउनि, हैड कानि0 रणवीरसिंह, कानि0 विजयसिंह, दईदानसिंह राजपुरोहित, पूरदान, शेरसिंह एवं दिपक कुमार द्वारा टीमो का गठन का शहर जैसलमेर में होटलो की चैकिंग जारी है। जिसके तहत आज मदरसा रोड, ब्बि पाडा एवं बाजार में स्थित होटलो की चैकिंग की गई तथा होटल संचालको को पर्यटको की सुरक्षा हेतु विशेष निर्देश दिये गये।

गैंग रेप की घटना से बाड़मेर में भी उबाल







गैंग रेप की घटना से बाड़मेर में भी उबाल 


युवा उतारे सड़को पर काली पट्टी बाँध किया विरोध प्रदर्शन 


बाड़मेर देश की राजधानी दिल्ली में चलती बस में मेडिकल छात्रा से गैंग रेप की घटना से बाड़मेर में भी उबाल आ गया है। इसकी चारों तरफ निंदा हो रही है।सोमवार दोपहर दो बजे ग्रुप फॉर पीपुल्स के आह्वान पर युवा घरों से निकलकर सड़कों पर पहुंच गए। गैंग रेप के खिलाफ रोष प्रदर्शन करते हुए आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा देने के लिए आवाज बुलंद की। साथ ही केंद्र सरकार से कानून में संशोधन करके ऐसा जघन्य और घिनौना अपराध करने वालों को फांसी देने की वकालत की। शहर के निवासियों ने सड़कों पर निकलकर प्रदर्शन किया। ग्रुप फॉर पीपुल्स के युवाओं ने इकट्ठे होकर हक की लड़ाई लड़ रहे दिल्ली के युवाओं पर पुलिस द्वारा किए गए बल प्रयोग की निंदा की। नारेबाजी करते हुए युवाओं ने लड़कियों की सुरक्षा को यकीनी बनाने की बात कही।युवाओं ने कहा कि युवाओं की आवाज दबाना लोकतंत्र का गला घोंटने के समान है।इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए कठोर कानून बनाने चाहिए।

इस मौके पर इंद्र प्रकाश पुरोहित ,रिड़मल सिंह दांता ,नरेश देव सारण ,अमित बोहरा ,दुर्जन सिंह गुडीसर ,दिलावर शैख़ ,किशोर चौधरी ,अब्दुल रहमान जायडू ,अशोक सिंह राजपुरोहित ,रमेश सिंह इन्दा ,नितेश दवे ,अशोक सारला ,भोम सिंह बलाई ,कबूल खान ,अदरीम खान रहूमा ,जीतेन्द्र फुलवारिया ,सवाई चावड़ा ,,भेराराम ,विजय सिंह खारा ,कैलाश जायडू ,भूर चन्द जांगिड ,अशोक गोस्वामी ,रामेश्वर सोनी ,देरावर चौधरी ,कन्हयालाल जीनगर दिनेश विश्नोई ,महिपाल वाघेला महावीर सिंह ,दीपक जेलिया ,दिनेश मेघवाल ,रतन तंवर ,सुरेश गेंहू ,सुरेन्द्र चौधरी ,दिनेश सिंह ,मुरीद खान प्रदीप भादू,सहित सेकड़ो युवाओं ने सड़को पर उतर कर बलात्कारियो को फांसी दो ,नया क़ानून बनाओ ,बहन बेटियों को सुरक्षा दो जैसे नारे लगा रहे थे ,दिल्ली की इस घटना से आक्रोशित युवाओं ने केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली में प्रदर्शन कारियों पर लाठी चार्ज करने की निंदा की ,युवाओं का मत था की इन्साफ मांग रही जनता पर सरकार अत्याचार कर रही हें,

सोमवार दोपहर दो बजे ग्रुप फॉर पीपुल्स के संयोजंक चन्दन सिंह भाटी के नेतृत्व में अहिंसा चौराहा में लोग इकट्ठे होने शुरू हो गए। सड़क पर युवाओं ने केंद्र सरकार को खूब लताड़ा। युवाओं ने कहा कि बड़े शर्म की बात है कि चलती बस में गैंग रेप हो रहा है और केंद्र सरकार डर के मारे वहां पर संघर्ष कर रहे युवाओं की जुबान बंद करने में लगी है। उन्होंने कहा कि बलात्कार की घटनाओं को रोकने के लिए कानून में संशोधन करके फांसी की सजा देने का प्रावधान बनाना समय की मांग है।दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली को लताड़ते हुए युवाओं ने कहा कि खुद पुलिस लड़कियों की रक्षा में करने में असफल है और जब युवा वर्ग संघर्ष करके सरकार की आंख खोलना चाहती है तो उनकी भी आवाज दबाने की कोशिश की जा रही है।

बाड़मेर के युवा इस घटना के विरोधस्वरूप काली पट्टी बाँध शांति मार्च में चल रहे थे ,शांति मार्च अहिंसा चौराहे से जिला कलेक्टर कार्यालय परिसर तक आकर राष्ट्रपति के नाम उप खंड अधिकारी विनीता सिंह तथा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नरेन्द्र सिंह को ज्ञापन सुपुर्द किया .

लोकनायक का आदर्श स्वरूप दर्शाया, राष्ट्र को दी नई दिशा युगपुरुष पं. मदनमोहन मालवीय




विशेष लेख (संदर्भजयंती 25 दिसम्बर 2012)



लोकनायक का आदर्श स्वरूप दर्शाया, राष्ट्र को दी नई दिशा

युगपुरुष पं. मदनमोहन मालवीय


अनिता महेचा

युगपुरुष पं. मदनमोहन मालवीय राष्ट्र के उन अग्रणी महापुरुषों में से एक थे जिन्होंने देशवासियों का पथ प्रदर्शन किया। उनके विलक्षण और विराट व्यक्तित्व तथा आदर्श कर्मयोग को देश सदा स्मरण करता रहेगा। भारत की तत्कालीन राजनीति को खास दिशा में ालने में मालवीय जी का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। अपनी प्राचीन संस्कृति के प्रति उन्हें विशेष लगाव व आर्कषण था। उसकी अभिवृद्धि के प्रति वे सदैव प्रयत्नशील रहे। वे न किसी भाषा के खिलाफ थे और न किसी मत या सम्प्रदाय के।

सुसंस्कारित किया परिवेश

मालवीयजी के समय मे देश में जो राजनैतिक नेता थे, वे विभिन्न प्रकार के विचारों के वाहक थे। उस काल में भारत वर्ष में अनेक महापुरुष हुए। उनमें से अधिकांश उस समय की एक मात्रा संस्था कांग्रेस की और आकर्षित हुए और उसकी सदस्यता ग्रहण की। यद्यपि कांग्रेस की स्थापना एक सेवानिवृत्त अंग्रेज अधिकारी ए. ओ. ह्युम ने की थी। मालवीय जी जैसे प्रखर विद्वान द्वारा कांग्रेस ग्रहण करने से संस्थान में व्याप्त अंग्रेजीयत धीरेधीरे कम होती चली गई और भारतीयता में ईजाफा होता गया। कांग्रेस के अधिवेशनों में जहां मंगलाचरण के रूप में इंगलैण्ड के सम्राट की सुखसमृद्धि का प्रशस्ति गान होता था, वहीं अब मालवीय जी की वजह से वन्दे मातरम का गान होने लगा था।

क्रिसमसडे को हुआ जन्म

पं. मदनमोहन मालवीय जी का जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में 25 दिसम्बर 1861 को हुआ। यह वही महान तिथि है जिसे सारे संसार के इसाई लोग अपने प्रभु ईसा का जन्म दिन मनाते हैं। मालवीय जी के पिता का नाम ब्रजनाथ और माता का नाम मुन्नादेवी था।

मालवीय जी को स्कूल में प्रविष्ट कराने से पूर्व पिता ने उन्हें श्लोक, स्तोत्रा तथा भजन कंठस्थ करा दिये थे। इनकी प्राथमिक शिक्षा पाँच वर्ष की उम्र में आचार्य हरिदेव की धर्म ज्ञानोपदेश पाठशाला में संस्कृत में शुरू हुई। यहां से शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्हे ’’ विद्या धर्म प्रवर्द्धिनी ’’ पाठशाला में भर्ती किया गया। विद्यालय के आचार्य पं. देवकीनंदन को उनकी वाणी बडी सुमधुर लगी तो उन्हें अपनी इच्छानुसार प्रशिक्षित करना प्रारम्भ कर दिया। उन्होंने विद्यालयी शिक्षा के दौरान ही ’मकरंद’ उपनाम से कविताएं लिखनी प्रारंभ की जो कई पत्रापत्रिकाओ में प्रकाशित हुई। हाई स्कूल परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने म्योर सैन्ट्रल कॉलेज में प्रवेश लिया।

सांस्कृतिक अभिरुचि ने निखारा व्यक्तित्व

कॉलेज मे प्रविष्ट होने के बाद वे वादविवाद, कविता पाठ, संगीत व नाट्यकला में भी रुचि लेने लगे। उन्होने ’मर्चेन्ट ऑफ वेनिस॔ में स्त्राी पात्रा ’’पोर्शिया ’’ की भूमिका को जीवन्त कर दिया था। इसी प्रकार कालिदास के प्रसिद्ध नाटक ॔अभिज्ञान शाकुन्तलम्’ में शकुन्तला की भूमिका में खूब प्रशंसा प्राप्त की। इस प्रकार नाटक के क्षेत्रा में भी उन्होंने खूब प्रसिद्धि प्राप्त की।

ओजस्वी वाणी ने हमेशा किया मंत्रामुग्ध

एक बार वे अपने चाचा पं. गदाधर प्रसाद के पास मिर्जापुर गये हुए थे। वहां किसी धार्मिक व्यवस्था के सम्बन्ध में विद्वानों की एक सभा का आयोजन भी हो रहा था। पन्द्रह वर्षीय मदनमोहन बड़े ध्यान से उन वक्ताओं को सुन रहे थे किन्तु उनको कहीं कुछ अखर रहा था। उन्होंने चाचा से अपने विचार प्रकट कराने की इच्छा जाहिर की। आज्ञा प्राप्त होने पर वे बोलने लगे। अपने भाषण में उन्होंने ऐसेऐसे तर्क प्रस्तुत किये कि वहां उपस्थित विद्वान दाँतों तले अंगुली दबाने लगे।

बीस वर्ष की आयु में इनका विवाह मिर्जापुर के पं. नंदराम जी की सुकन्या कुन्दनदेवी के साथ हुआ। मालवीय जी स्नातकोत्तर संस्कृत में करना चाहते थे। उनके पिता चाहते थे कि वे भागवत का अध्यापन करं, परन्तु पारिवारिक परिस्थितियों के कारण जुलाई 1884 में इलाहाबाद जिला विद्यालय में अध्यापक की नौकरी करनी पड़ी।

बह ुभाषी और बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न

मालवीय जी एक सफल शिक्षक भी थे। अध्यापक के पद पर कार्य करते समय वे घर पर अपना विषय पूर्ण रूप से तैयार करने के बाद पॄाया करते थे। उनका न केवल हिन्दी, संस्कृत और अंगे्रजी, बल्कि उर्दू व फारसी का उच्चारण भी बहुत ही शुद्ध और स्पष्ट होता था।

मालवीय जी विद्यालय में अध्यापन तो कराते ही थे, खाली समय में गलीमोहल्ले के निर्धन असहाय छात्राों को भी पॄ़ाते थे। इसके बाद भी वे सामाजिक तथा राजनैतिक कार्यों में ब़चढ़ कर हिस्सा लेते थे। इलाहाबाद की कोई भी सामाजिक व राजनैतिक गतिविधि उनकी उपस्थिति के बिना पूर्ण होने की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। धीरधीरे उनकी सामाजिक, राजनैतिक जागरूकता इलाहाबाद की सीमा लांघ कर देश व्यापी स्वरूप प्राप्त करती चली गई।

वैचारिक क्रांति के महानायक के रूप में हुए प्रसिद्ध

सन 1886 में कांग्रेस का द्वितीय अधिवेशन मालवीय जी के जीवन की दिशा बदलने में करगर सिद्ध हुआ। उस अधिवेशन ने मालवीय जी को भारत भर में प्रसिद्धि प्रदान की। इसका कारण था अधिवेशन में दिया गया मालवीय जी का ओजस्वी और विचारोत्तेजक भाषण। उन्होंने जोरदार भाषण दिया। चारों ओर से तालियों और वाहवाह की आवाजें गूंजती रहीं। उनके एक ही भाषण ने उन्हें सहसा राष्ट्रीय नेता की पंक्ति में खड़ा कर दिया।

निर्भीक संपादन की धाक जमायी

अपने भाषण से उन्होंने दादाभाई नौरोजी को प्रभावित किया। कालाकांकर के राजा रामपालसिंह मालवीय जी के विद्वतापूर्ण भाषण को सुनकर मंत्रामुग्ध हो गये और उन्होंने हिन्दुस्तान दैनिक के सम्पादक का दायित्व मालवीय जी को सौंप दिया। कालाकांकर से निकलने वाला हिन्दुस्तान दैनिक पंडित मदनमोहन मालवीय के सम्पादकत्व में देश की सेवा करता रहा। इससे न केवल मालवीय जी को लोकप्रियता हासिल हुई, बल्कि हिन्दुस्तान दैनिक देश भर मे लोकप्रिय पत्रा माने जाने लगा। ाई साल बाद मालवीय जी ने पं. अयोध्यानाथ के अंग्रेजी अखबार इंडियन ओपिनियन में सह सम्पादक के पद पर भी कार्य किया। उसके बाद इलाहाबाद से वकालात की डिग्री पूरी की।

वकालात में पायी शोहरत

सन 1891 में उन्होंने वकालात आरम्भ कर दी। पहले तो उन्होंने जिला कोर्ट में ही वकालत करते रहे, वहाँ जब सफलता के शीर्ष पर पहुंचे तो फिर उच्च न्यायालय में वकालत प्रारभ कर दी। वहां भी उसी प्रकार सफल होते गये जिस प्रकार की जिला कोर्ट में हुए। मालवीय जी कोई झूठा मुकदमा नहीं लेते थे। वकालत से खूब पैसा मिल रहा था। वे गरीबों तथा व परिचितों के मामले बिना फीस लिये लड़ते थे। दीवानी मामलों में उनकी वकालत खूब चमक उठी। तब वे इलाहाबाद के चार प्रमुख वकीलों में गिनेलाने लगे। वकालत करना मालवीय जी का उद्देश्य नहीं था। उन्होंने वकालत इसलिए शुरू की कि किसी प्रकार आजीविका अबाध रूप से चलती रहे।

ज्ञान के महासागर का स्वप्न साकार किया

मालवीय जी महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति थे लेकिन खुदगर्ज नहीं। उनकी आकांक्षाएं देश और समाज के कल्याण की थीं। उनकी एक बहुत बड़ी आकांक्षा थी एक यथार्थ भारतीय विश्व विद्यालय की स्थापना करना। उन्होंने इसकी स्थापना का संकल्प लिया और वकालात को तिलांजलि दे दी। जिसने भी यह सुना स्तब्ध रह गया। सन 1911 में उनकी मुलाकात एनी बिसेन्ट से हुई और दोनों ने मिलकर वाराणसी में हिन्दू विश्वविद्यालय को स्थापित करने की अवधारणा पर कार्य किया। इस कार्य को मूर्त रूप 1961 में मिला, जब इनके प्रयासों से हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना हुई। इसे स्थापित करने का उनका मूल उद्देश्य यह था कि भारत में आधुनिक वैज्ञानिक, तकनीकी शिक्षा का प्रारम्भ हो। इससे देश की वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति में सहायता मिलेगी।

जब निर्णय बदल कर फिर वकालात का चमत्कार दिखाया

पांच फरवरी 1922 को देश में एक महान घटना घटित हुई। कुछ देशभक्तों ने सरकार के कारनामों से उत्तेजित होकर गोरखपुर जिले के चौराचारा पुलिस थाने को आग लगा दी। इस घटना में 21 पुलिस सिपाही आग में जलकर भस्म हो गये। परिणामस्वरूप उस काण्ड में उस इलाके के 225 लोगों को बन्दी बनाकर उन पर अभियोग चलाया गया। इनमें 170 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई। सत्रा न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील की गई। कांग्रेस की तरफ से पं. मोतीलाल नेहरू को अभियोग में दंडितों की पैरवी करने को कहा गया। मोतीलाल नेहरू ने कागजात देखे और कहा कि इस अपील में उच्च न्यायालय में यदि कोई भी लाभ इन दण्डितों को दिला सकता है। तो वह एक मात्रा पं. मदन मोहन मालवीय ही हो सकते हैं। मालवीय जी ने न्याय दिलाने की खातिर अभियुक्तों की ओर से पैरवी करतें हुए 150 लोगों को फांसी का दंड रद्द करवा दिया। मानवता के नाते देश हित में बिना पारिश्रमिक लिए ही उन्होंने यह मुकदमा लड़ा।

अस्पृश्यता निवारण को बनाया जनान्दोलन

मालवीय जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1909, 1918,1930 व 1932 में अध्यक्ष रहे। मालवीय जी बड़े ही हरिजन पे्रमी थे। उन्होंने जाति प्रथा व छूआछूत का जमकर विरोध किया तथा दलितों के उत्थान के लिए भी कार्य किया। इसके लिए उन्हें अपने समाज के लोगों प्रतिरोध सहना पड़ा लेकिन जल्दी ही लोगों ने उनके कार्य के महत्त्व को समझ लिया। उन्होंने कई दिनों तक सुबह से शाम तक हरिजनों को केवल ॔ओम नमो नारायण’ का मन्त्रा देकर शुद्ध किया और मन्दिर में प्रवेश भी दिलवाया। इतने उदार हृदय थे मालवीय जी।

आहत का कराया राहत का अहसास

मालवीय जी का स्वास्थ निरन्तर गिरता जा रहा था। तभी 15 जनवरी 1934 को आए भयंकर भूकंप ने सारे बिहार को तहसनहस कर दिया। इससे हजारों व्यक्ति मारे गये, हजारों घर नष्ट हो गए, लाखों बेघर, बेरोजगार हो गये। इस विनाश लीला से बिहार का एक भूभाग ही नष्ट हो गया। मालवीय जी अपने स्वास्थ्य की चिन्ता किये बिना बिहार चले गये। और जितना उनसे हो सकता था उतना उन्होने वहाँ के पीड़ितों को सहायता देने का सत्कार्य किया।

मानवता की पाठशाला ही था उनका व्यक्तित्व

मालवीय जी एक उच्च कोटि के विद्वान महान शिक्षाविद्, निर्भीक पत्राकार, समाजसेवक, न्यायप्रिय वकील, क्रियाशील राजनीतिज्ञ और हिन्दूमुस्लिम एकता के पक्षधर ही नहीं बल्कि शुचिता, पवित्राता, देशभक्ति, धर्मनिष्ठ, आत्मत्याग आदि के पुण्यों के फलस्वरूप ही किसी राष्ट्र को प्राप्त होते हैं।

मालवीय जी चौरासी वर्ष दस माह और सत्राह दिन की आयु में 12 नवम्बर 1946 को देवलोकगमन कर गये। मालवीय जी महामानव थे। वे अजात शत्राु थे। वे उन लोगों में थे, जिन्होंने आधुनिक भारतीय राष्ट्रीयता की नीेंव रखी।

निस्पृह देशभक्त को पीयिं भुला न पाएंगी

आइये हम ऐसे महापुरुष के प्रति श्रद्घांजलि अर्पित करें जिन्होंने वर्तमान भारत की नींव स्थापित करने में इतना महान कार्य किया। भारत के लोकनायकों में पंडित मदनमोहन मालवीय का स्थान सर्वोपरि रहेगा।

मालवीय जी न केवल सम्मान के साथ जिये बल्कि उन्होंने अपने देशवासियों को सम्मान भरा जीवन जीने की कला सिखाई। पत्राकार के रूप में जो गरिमा अर्जित की, वकील के रूप में भी उसी गरिमा को स्थायी रखा और राजनीति में भी जल कमलवत ही रहे। उनका समग्र जीवन निस्पृह कर्मयोग का सागर था। युगों तक महामानव मालवीयजी देशवासियों के लिए प्रेरणा के स्रोत बने रहेंगे।

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( अनिता महेचा )

कलाकार कॉलोनी जैसलमेर345001

मो.9414391179

हिन्दी-राजस्थानी के रचनाकार कन्हैया सेवक मधुर कण्ठ से झरते हैं गीत-भजन और काव्य रस


विशेष लेख(  संदर्भ - जन्म दिन 25 दिसंबर)                                    
हिन्दी-राजस्थानी के रचनाकार कन्हैया सेवक
मधुर कण्ठ से झरते हैं गीत-भजन और काव्य रस
डॉ. दीपक आचार्य
9413306077
       कलासंस्कृति और साहित्य की अजस्र धाराएँ बहाने वाली जैसलमेर की धरती ने इन विधाओं को परिपुष्ट करने वाले रचनाकारों को अंकुरितपल्लवित और पुष्पित किया है।
       सदियों से प्रवहमान इन लोक सांस्कृतिक सरणियों के अनवरत प्रवाह के साक्षी व सृष्टा सृजनधर्मियों में नई पीढ़ी के सशक्त हस्ताक्षर के रूप में श्री कन्हैया सेवक का नाम सम्मान से लिया जाता है।
       सन् 1977 में 25 दिसंबर को जन्म लेने वालेपेशे से मूलतः शिक्षक कन्हैया सेवक कवितागीतभजन गायकी व भजन लेख में सिद्धहस्त हैं। जैसलमेर के सोनार दुर्ग में पहली प्रोल के अंदर रहने वाले कन्हैया सेवक हिन्दी व राजस्थानी में विभिन्न विधाओं में सृजन के लिए जाने जाते हैं।
       विभिन्न कार्यक्रमों में माधुर्य बिखेरने वाले उनके भजनों का श्रवण हर किसी को आनंदित करने वाला होता है और यही कारण है कि जब कन्हैया सेवक भजन गायकी में रम जाते हैं तब रसिक सुमधुर भजन गंगा में गोते लगाते हुए अजीब से आनंद से भर उठते हैं।
       भजन गायकी की ही तरह उनका काव्य भी विभिन्न धाराओं का प्रतिनिधित्व करता है। राष्ट्रभक्ति से लेकर सम सामयिक भाव धाराओंश्रृंगार से लेकर जीवन माधुर्य,  आम आदमी की पीड़ाओं और संवेदनाओं पर उनकी रचनाएं हर कहीं सराही जाती रही हैं। उनकी रचनाओं में जिस उदात्त भावना के साथ परिस्थितियोंपरिवेश और संवेदनाओं का चित्रण समाहित है वह उनके काव्य की अन्यतम विशेषता है। उनकेे जन्मदिन पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ....।

पांच रेपिस्ट्स की फांसी की सजा माफ कर चुकी हैं प्रतिभा पाटील

नई दिल्ली।। देश राजधानी में दिल दहला देने वाले गैंगरेप के आरोपियों को फांसी की सजा दिलाने की मांग भले ही कर रहा हो लेकिन पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने अपने कार्यकाल के दौरान 35 लोगों की फांसी की सजा माफ कर दी, उनमें से 5 रेपिस्ट हैं।pratibha patil
याद दिला दें कि पूर्व प्रेजिडेंट ने अपने कार्यकाल के दौरान आखिरी दिनों में 35 लोगों की मौत की सजा माफ कर दिया था। कोर्ट द्वारा सजायाफ्ता अपराधियों ने मर्डर और रेप जैसे दुर्दांत अपराध किए थे। यहां बता दें कि यूपीए सरकार की सलाह पर प्रेजिडेंट ने यह फैसला लिया था।

15 साल की लड़की के साथ रेप कर उसे और उसके परिवार वालों की हत्या कर देने वाले धर्मेंद्र सिंह और नरेंद्र यादव की मौत की सजा को प्रतिभा पाटील ने माफ कर दिया था। प्रेजिडेंट ने यह फैसला तत्कालीन होम मिनिस्टर पी चिदंबरम की सिफारिश पर लिया था।1994 में धर्मेंद्र और नरेंद्र ने अलीगढ़ के कमरा बाग गांव में लड़की से रेप के बाद चाकुओं से गोद कर उसकी हत्या कर दी थी। इसके बाद उसके परिवार के लोगों को भी मौत के घाट उतार दिया था। इस मामले पर चिदंबरम ने प्रेजिडेंट को लिखित तौर पर कहा था- दोनों परिवारों के बीच कटुता का इतिहास रहा है। यह अपराध लालच, कामुकता और पारिवारिक झगड़े के चलते हुआ है जोकि अन-कॉमन है। चिदंबरम ने यह भी कहा कि इस कांड के वक्त धर्मेंद्र 25 साल का था और उसके दो छोटे बच्चे थे। साथ ही मां और दादी भी उस पर डिपेंड थीं।


इसी सूची में एक और रेपिस्ट सतीश था जिसने 6 साल की बच्ची का रेप कर मर्डर किया था। 2001 में यह यूपी में यह वारदात हुई थी। दो और, मोलाई राम और संतोष यादव, ने एक जेलर की 10 साल की बेटी का रेप और मर्डर किया था।

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की बेटी को भी दिल्ली में लगता है डर

नई दिल्ली।। जब राजा से फकीर तक की आवाज आने लगे कि इस शहर में हमें डर लगता है तब लोग सवाल पूछते हैं कि कानून-व्यवस्था किसके हाथ में है। कुछ ऐसी ही हालत दिल्ली की है। देश के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि दिल्ली में मुझे भी डर लगता है। शर्मिष्ठा ने कहा, 'मैं कोशिश करती हूं कि देर रात से पहले घर पहुंच जाऊं। रात 9 बजे के बाद धीर-धीरे डर सताने लगता है। मैं जिस इलाके में रहती हूं वहीं से मेरी दोस्त के पर्स छीन लिए गए। जब एक महिला से बेखौफ अपराधी अकेले पाकर पर्स छीन सकते हैं तो कुछ भी करने की हिम्मत रखते होंगे।'Sharmistha-Mukherjee
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा, मुझे अच्छा लग रहा है कि दिल्ली के नौजवान महिलाओं की सुरक्षा के लिए सड़क पर निकलकर आवाज बुलंद कर रहे हैं। इस आवाज को बनाए रखने की जरूरत है ताकि आने वाले समय में कोई महिला को बुरी नजर से देखने की हिम्मत न करे। गौरतलब है कि शर्मिष्ठा केवल इसलिए नहीं जानी जाती हैं कि वह राष्ट्रपति की बेटी हैं बल्कि मशहूर कथक डांसर भी हैं।

शर्मिष्ठा ने इस गैंगरेप केस में दोषियों को फांसी पर लटकाने की मांग का जोरदार तरीके समर्थन किया। उन्होंने कहा कि इन दरिंदो की तुलना हम जानवरों से भी नहीं कर सकते क्योंकि जानवरों में संवेदनशीलता होती है। यदि जानवरों से तुलना करती हूं तो उनकी तौहीन ही होगी। शर्मिष्ठा ने कहा कि जिस तरीके से लड़की के साथ किया गया है वह कत्ल से भी जघन्य अपराध है। यह वाकई 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' मामला है। इसमें फांसी की सजा ही इन दरिंदों को मिलनी चाहिए।दूसरी तरफ देश के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के बेटी नूरिया अंसारी भी बेहद गुस्से में हैं। उन्होंने कहा कि महिलाएं इस शहर में सुरक्षित नहीं हैं। इनकी सुरक्षा हर हाल में होनी चाहिए। नूरिया ने कहा कि इस लड़की साथ जैसा किया गया है उसमें केवल फांसी की सजा ही मिलनी चाहिए। नूरिया ने कहा कि मैं उन नौजवानों के साथ हूं जो इन दरिंदों को फांसी पर लटकाने की मांग कर रहे हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिदे की बेटी परिणिता शिंदे ने कहा कि यदि इन दरिंदों को फांसी देने के लिए कानून इजाजत नहीं देता है तो कानून बदलने की जरूरत है। परिणिता ने कहा कि हमें कानून को वक्त के साथ अपडेट करना चाहिए। परिणिता ने भी फांसी की सजा की मांग का खुले दिल से समर्थन किया है। शर्मिष्ठा, नूरिया और परिणिती ने ये बातें आज तक से कहीं हैं।

'सख्‍त' कानून बनने के बाद भी बीवी से बलात्‍कार की रहेगी 'छूट'!



नई दिल्‍ली। दिल्‍ली गैंगरेप के बाद बलात्‍कारियों को फांसी की मांग पर देश भर में उबाल आया हुआ है। सरकार की ओर से भी कहा जा रहा है कि बलात्‍कार की घटनाओं को लेकर हर संभव सख्‍ती होगी। लेकिन दिल्‍ली में हुई वारदात से ठीक बारह दिन पहले यौन शोषण के खिलाफ संसद में जो बिल पेश किया गया है, उसमें बलात्‍कार के प्रति 'जीरो टॉलरेंस' का वादा पूरा करने की झलक नहीं दिखाई देती है। बिल में पत्‍नी से जबरन सेक्‍स को रेप नहीं माना गया है। आईपीसी की धारा 375 और 376 बिल के प्रावधानों के मुताबिक केवल 15 साल की उम्र होने पर ही पत्‍नी से उसकी मर्जी के बिना सेक्‍स बलात्‍कार की श्रेणी में आएगा।
'सख्‍त' कानून बनने के बाद भी बीवी से बलात्‍कार की रहेगी 'छूट'!
आईपीसी की धारा 375 और 376 में शादी के बाद सेक्‍स का जिक्र है। इसमें कहा गया है कि अगर पत्‍नी 15 साल से कम उम्र की है तो उसके साथ बिना उसकी मर्जी से शारीरिक संबंध बनाना रेप माना जाएगा। सरकार ने ताजा बिल का जो मसौदा पेश किया है, उसमें इस उम्र सीमा को एक साल बढ़ा भर दिया गया है। मूल रूप से पत्‍नी की मर्जी के बिना सेक्‍स के प्रति उसे सुरक्षा देने का कोई इंतजाम इस बिल में नहीं है। हां, इतना प्रावधान जरूर किया गया है कि अगर 16 साल तक की उम्र में पत्‍नी से कोई बिना उसकी मर्जी से सेक्‍स करता है तो उसे अधिकतम उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। सजा की अधिकतम सीमा फिलहाल दो साल की जेल ही है। प्रस्‍तावित कानून लागू होने पर एक बदलाव यह भी होगा कि कानूनी तौर पर अलग रहते हुए अगर कोई शख्‍स अपनी पत्‍नी से रेप करता है तो उसे अब दो साल के बजाय सात साल तक जेल में बिताना पड़ सकता है।



इस बिल में यौन शोषण के दोषियों के लिए सजा दो साल से बढ़ाकर पांच साल करने और यौन उत्‍पीड़न या छेड़छाड़ पर सजा को एक साल से बढ़ाकर तीन साल करने का भी प्रावधान किया गया है। लेकिन शादी के बाद रेप (पत्‍नी से) के मामले में इक्‍कीसवीं सदी की सोच इस बिल में कहीं नहीं झलकती है। यह तब हो रहा है कि जब दुनिया के सौ से अधिक देशों ने बीवी के साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाने को अपराध माना है।



दिसंबर की शुरुआत में दिल्ली की एक अदालत ने भी साफ कर दिया था कि पत्‍नी के साथ जबरदस्‍ती सेक्‍स करना रेप नहीं माना जाएगा। कोर्ट ने कहा कि आईपीसी में वैवाहिक बलात्कार जैसा कोई मामला नहीं होता है। यदि शादी कानूनन सही है तो पत्‍नी से सेक्स (भले ही जबरन किया गया हो) रेप जैसा मामला नहीं है। पत्नी से रेप के आरोप में एक आरोपी को अदालत ने यह दलील देते हुए बरी कर दिया।

बारूद की स्थिति का जायजा लेने पहुंचे सैन्य विशेषज्ञ

बारूद की स्थिति का जायजा लेने पहुंचे सैन्य विशेषज्ञ

जैसलमेर। जैसलमेर के ऎतिहासिक सोनार किले के बुर्ज मे चार दिन पहले मिले बारूद की सुध लेने जोधपुर से सेना का रविवार को विशेषज्ञ दल यहां पहुंचा। दल ने बुर्ज मे पांच कुपियो मे मिले 15 क्विंटल बारूद के बारे मे जानकारी हासिल की और वर्षो पुराने बारूद की मौजूदा स्थिति की जानकारी हासिल की।

गौरतलब है कि गत गुरूवार को सोनार दुर्ग मे जैन मंदिर के पीछे बनी मोरी के एक बुर्ज मे भारी मात्रा मे रियासतकालीन बुर्ज मिलने से सनसनी फैल गई थी। उसके बाद से पुलिस ने यह रास्ता बंद कर, बुर्ज के दोनोंओर से आवाजाही बंद करवा दी थी और समूचे क्षेत्र को अपनी निगरानी मे ले रखा था। सैन्य दल के साथ शहर कोतवाल वीरेन्द्रसिंह जोधा भी थे।

करंट की चपेट में आने से कार्मिक की मौत

करंट की चपेट में आने से कार्मिक की मौत

बाटाडू। गिड़ा थाना क्षेत्र के रतेऊ ग्राम पंचायत स्थित 33 केवी जीएसएस पर कार्यरत एक कार्मिक की विद्युत करंट के चपेट में आने से घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गई। पुलिस ने बताया कि रतेऊ जीएसएस पर कार्यरत कार्मिक प्रहलादराम ने गिड़ा थाने में मामला दर्ज कर बताया कि रामाराम पुत्र हिमथाराम (21) जाट निवासी रतेऊ जो कि रतेऊ जीएसएस पर कार्यरत था। रविवार अलसुबह करीब 4 बजे रतेऊ से कूकणों का तला जाने वाली 11 केवी कृषि लाइन में विद्युत आपूर्ति चालू करते वक्त चपेट में आ गया।

घटनास्थल पर ही दम तोड़ दिया। घटना की जानकारी पर जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के अधिकारियों बायतु तहसीलदार महावीर जैन, गिड़ा थानाधिकारी धन्नाराम विश्नोई ने घटनास्थल पर जाकर मौका मुआयना किया। मृतक का पोस्टमार्टम करवा कर शव को अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को सुपुर्द किया। प्रशासनिक अधिकारियों ने शोक संतप्त परिवारजनों को ढांढस बंधा कर आवश्यक मदद दिलाने का आश्वासन दिया। जानकारी के अनुसार रामाराम आश्रित वर्ग से जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के अन्तर्गत रतेऊ जीएसएस पर करीब 3 वर्ष से कार्यरत था।

प्यार करने की सजा: प्रेमी युगल को नंगा कर दी गईं कड़ी यातनाएं!

सराड़ा/सेमारी (उदयपुर).साल 2012 समाप्ति की ओर है।यह साल अपने दामन में कई ऐसी कड़वी यादें दे जा रहा है जिन्हें सोचकर आज भी इंसानियत शर्मसार नज़र आती है।ऐसी ही कड़वी यादों में से एक घटनाक्रम है उदयपुर जिले के सराड़ा गांव में घटी एक ऐसी घटना जिसमें एक प्रेमी जोड़ा जातीय पंचायत के फैसले का शिकार हुआ। जातीय पंचायत के इस फैसले में प्रेमी जोड़े को न केवल कड़ी यातनाएं दी गईं बल्कि सरेआम निर्वस्त्र भी किया गया।
प्यार करने की सजा: प्रेमी युगल को नंगा कर दी गईं कड़ी यातनाएं!

आजादी के बाद अंग्रेजों ने जो संस्कार छोड़े, उनको कांग्रेस ने अपना लिया है



जोधपुर.पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा है कि आजादी के बाद अंग्रेजों ने जो संस्कार छोड़े, उनको कांग्रेस ने अपना लिया है। यही वजह है कि कांग्रेस देश के लोगों को तो भूल रही है और विदेशी लोगों को यहां लाकर पनपाना चाहती है।

अरे ...कांग्रेस के बारे में यह क्या कह रही हैं वसुंधरा!
वसुंधरा ने रविवार को यहां पोलो ग्राउंड में स्वदेशी मेले के उद्घाटन समारोह में ये विचार व्यक्त किए। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस यह भूल रही है कि हिंदुस्तान के लोगों के पास वो टेक्नोलॉजी और दिमाग है जो विदेश में नौकरी करते हुए मिनटों में हिसाब निबटा लेते हैं, जबकि विदेश के लोगों को ऐसे काम के लिए कैलकुलेटर और कंप्यूटर का उपयोग करना पड़ता है। कांग्रेस शासन पर प्रहार करते हुए वसुंधरा ने कहा ‘देश हो चाहे राजस्थान, चार साल के शासन में लोगों को तकलीफें ही झेलनी पड़ी हैं। 

ऐसे कैसे आगे बढ़ेगा राजस्थान 
वसुंधरा ने कहा कि कांग्रेस की सरकार ऐसे फैसले लेगी, लोगों के विकास, प्रदेश में उन्नति की बात नहीं करेगी तो कैसे हमारा प्रदेश आगे बढ़ेगा। इस अवसर पर स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संगठक कश्मीरी लाल, स्वागताध्यक्ष पूर्व मंत्री राजेंद्र गहलोत, स्वदेशी मेले के संयोजक पूर्व सांसद जसवंत सिंह विश्नोई ने भी संबोधित किया। संचालन संदीप काबरा व अनिल अग्रवाल ने किया।
वे इस मौके पर एक शेर सुनाते हुए बोलीं, ‘यह नफरत बुरी है न पालो इसे, दिलों में खलिस है निकालो इसे..न तेरा, न मेरा न उसका, ये सबका राजस्थान है, बचा लो इसे..।’ इस अवसर पर स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संगठक कश्मीरी लाल, स्वागताध्यक्ष पूर्व मंत्री राजेंद्र गहलोत, स्वदेशी मेले के संयोजक पूर्व सांसद जसवंत सिंह विश्नोई ने भी संबोधित किया। संचालन संदीप काबरा व अनिल अग्रवाल ने किया।

रविवार, 23 दिसंबर 2012

दीनों के दयाल- दीनदयाल तँवर


दीनों के दयाल- दीनदयाल तँवर

पश्चिमी राजस्थान की यह मरुधरा रत्न उपजने वाली रही है जहाँ सदियों से ऎसे महान् रत्नों की सुदीर्घ श्रृंखला सतत प्रवाहित रही है जिन्होंने हर युग में अपने युगीन कर्मयोग को जीवन में अपनाते हुए आदर्श व्यक्तित्व की गंध से तन-मन व परिवेश को जीवनी शक्ति की अद्भुत गंध से सींचा और लोक मंगल की ऎसी छाप छोड़ गए कि पीढ़ियाँ उन्हें भुला न पाएंगी। जैसलमेर की सरजमी पर जन्म लेने वाले कर्मयोगियों क परम्परा में स्व. दीनदयाल तँवर का नाम श्रृद्धा और आद से लिया जाता है।

हर दिल अजीज शख्सियत तँवर ने अपने लोक सेवी कर्मयोग से समाज, जीवन में अनूठी छाप छोड़ी तथा अपने नाम को सार्थक करते हुए दीनों के प्रति दयालु स्वभाव का ऎसा परिचय दिया कि हर दिल अजीज के रूप में पहचान कायम कर अविस्मरणीय इतिहास का सृजन कर दिया। जैसलमेर में तँवर ( तुँवर ) गोत्रीय संस्कारित परिवार में पिता अचलसिंह के घर माताश्री सोनल कँवर की कोख से 24 दिसम्बर सन् 1933 में जन्म लेने वाले दीनदयाल को मानवीय मूल्यों व लोकोपकारी संस्कार अपने दादा दलसिंह तथा पिता अचलसिंह से प्राप्त हुए। चार बहनों में मूली व नैनी उनसे बड़ी तथा माणका एवं मोहिनी छोटी थी। पूरे परिवार में एकमात्र कुलदीपक दीनदयाल ने अपने ताऊ पूंजाराजसिंह के बेटों बाबूलाल एवं भोपालसिंह को अपना सगा भाई माना और जिन्दगी भर वैसा ही व्यवहार किया। बहुआयामी हुनर ने दी विलक्षणता दीनदयाल ने आरंभिक शिक्षा-दीक्षा जैसलेर में पायी। ज्ञान के क्षेत्र में हर जिज्ञासा को शांत करने की उनमें ऎसी धुन सवार थी कि कड़ी मेहनत की बदौलत थोड़े समय में ही उन्होंने कई विषयों में जबर्दस्त महारत हासिल कर ली। विलक्षण मेधा के धनी दीनदयाल तंवर का पूरा जीवन फर्श से अर्श तक की यात्रा का साक्षी रहा। एक मामूली वाहन चालक से अपने केरियर की शुरूआत कर वे इंजीनियर के पद पर पहुंँचे। आसमाँ के संकेत तक भाँपने में माहिर बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी दीनदयाल ड्राईविंग, मोटर मैकेनिक, इलेक्ट्रीशियन, पाकशास्त्री, भजन गायकी, फाग गायकी, स्वरमाधुर्य की मूर्ति, प्रखर वक्ता, पर्यावरण प्रेमी, सगुन विचार आदि कई विलक्षणताओं से परिपूर्ण थे। खगोलशास्त्र के ज्ञाता इतने कि आसमान में तारामण्डल को देख कर सटीक समय बताने के साथ ही खगोलीय घटनाओं का पूर्वाभास भी कर लेते। कई पदों को किया गौरवान्वित सन् 1956 में जैसलमेर राज परिवार में दरबार साहब के निजी ड्राईवर के रूप में नौकरी की शुरुआत करने के बाद ओ.एन.जी.सी में नौकरी की, पुलिस में कानिस्टेबल/ ड्राईवर रहे, बाड़मेर सार्वजनिक निर्माण विभाग में ड्राईवर व मिस्त्री का काम किया तथा अपनी योग्यता के बूते सुपरवाईजर का दायित्व संभाला और कनिष्ठ अभियंता पद से 31 दिसम्बर 1991 को सेवानिवृत्त हुए। उनकी अधिकतर सेवाएँ बाड़मेर को मिली। वर्ष 1960 से 1985 तक पूरे बाड़मेर जिले में सत्तर फीसदी सड़कों का सर्वे या निर्माण उनकी देखरेख में हुआ। बाड़मेर जिले भर में चिरपरिचित हस्ताक्षर के रूप में उन्होंने खूब ख्याति पायी । मजबूत की वंश समृद्धि की नींव दीनदयाल का दाम्पत्य जीवन आजादी पाने के वर्ष सन् 1947 में शुरु हुआ जब रामप्यारीदेवी से उनका पाणिग्रहण हुआ। उनकी संतानों में तीन पुत्र व दो पुत्रियां (घनश्याम सिंह, चंदा, शांति, कमलसिंह एवं उम्मेदसिंह) हैैं। उम्मेदसिंह तंवर इस समय जैसलमेर नगर विकास न्यास के अध्यक्ष पद को गौरवान्वित कर रहे हैं। दीनदयाल तँवर की धर्मपत्नी श्रीमती रामप्यारी देवी 15 दिसम्बर , 2004 को ही राम को प्यारी हो गई। इसके बाद दीनदयाल ने अपने आपको पूरी तरह संसार की सेवा में समर्पित कर दिया। मुँह बोलते थे उनके काम दीनदयाल तँवर जहाँ कहीं रहे वहाँ पूर्ण मनोयोग एवं ईमानदारी से अपने कामों को अंजाम दिया। यही कारण था कि उनके द्वारा किए हुए काम अपनी गुणवत्ता व उपादेयता का बखान खुद करने लगते। इन कामों ने उन्हें खूब शोहरत भी दी और आत्म संतुष्टि भी। सन् 1967-68 में प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया का अकाल राहत जायजा लेने सेउवा का दौरा हो या कोटड़ा के पास ’दीना नाड़ी’ का निर्माण या फिर आँचलिक विकास का कोई सा काम, हर काम उनकी यश कीर्ति को ऊँचाइयां देता रहा। बमबारी के बीच बनवाई सैन्य सड़क सन् 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान गडरा सेक्टर में भारतीय सेना के नेवीगेटर ( रास्ता दर्शक ) केे रूप में की गई उनकी सेवाओं ने सेना के शीर्ष अधिकारियों की खूब सराहना पायी। राष्ट्रभक्ति का जब्जा रखने वाले दीनदयाल ने सन् 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान जसाई स्थल में भारी बम्बबारी बीच सड़क का निर्माण कार्य करवा कर अपने अदम्य साहस का परिचय दिया। स्वाभिमान और स्वामीभक्ति की मिसाल स्वाभिमानी ऎसे कि अपनी आन के लिये जैसलमेर रियासत के तत्कालीन राजदरबार की सेवा को देख कर चल दिए। इसी तरह विश्वस्त स्वामी भक्त इतने कि उसी राजदरबार की दो पीढ़ियों तक जब-जब राजकुमारियाँ ब्याही गयी तब तक चँवरी ( विवाह मण्डप ) से जनवासे तथा जनवासे से उनके सुसराल तक पहुँचाने के लिए विशेष रुप से उन्हें बाड़मेर से बुलाया जाता तथा वे नवविवाहित दम्पत्ति के वाहन को ड्राईव करके उसे गंतव्य तक पहुंचाते थे, जबकि राज दरबार में उस समय ड्राईवरों की कोई कमी नहीं थी। पूरे जज्बे के साथ निभाया लोक सेवाओं का फर्ज मानवीय संवेदनाओं एवं नैतिक मूल्यों के साथ लोकसेवा का आदर्श स्थापित करने वाले दीनदयाल ने दृढ़ आत्मविश्वास के साथ हर काम को अंजाम दिया। खलीफे की बावड़ी प्रकरण में उन्होेंने विपदाग्रस्तों की पूर्ण मदद की और पूरी जिम्मेदारी अपने ऊपर ओढ़ ली। दीनदयाल हर जरूरतमंद, असहाय व गरीब की सहायता के फर्ज को कभी नहीं भूले बल्कि हर संभव योगदान देकर उदार मानवीय मूल्यों व सहृदयता का परिचय दिया। दूर-दूर तक व्याप्त थी व्यक्तित्व की गंध अदम्य साहस व अपार ऊर्जा इतनी कि एक बार बस दुर्घटना में फंस गए तब अकेले ही बस की पिछली जाली तोड़ कर बाहर निकले। उनके कर्मयोग की झलक दिखाने के लिए वर्षो तक चित्र प्रदर्शनियों मेें उनके सृजन से जुड़े चित्रों का योगदान भी रहा। उनके मित्रों में पूर्व विधायक अब्दुल हादी का नाम प्रमुख है। अपनी पूरी जिंदगी में नवसृजन, सेवा एवं सम्बल की त्रिवेणी बहाने वाले दीनदयाल तंवर ने इसी वर्ष 10 अगस्त ( कृष्ण जन्माष्टमी- रमजान के पाक महीने में जुम्मे के दिन शुक्रवार को संसार से विदा ले ली। युगों तक संचरित होती रहेगी कर्मयोग की प्रेरणा दीनदयाल तंवर आज हमारे मध्य मौजूद नहीं हैं लेकिन मानवीय आदर्शों से भरे उनके लोकसेवी कर्मयोग की गंध नवसृजन के पथिकों के लिए आने वाले कई युगों तक पथ प्रदर्शन करती रहेगी। उनकी 79 वीं जन्म जयंती पर कृतज्ञ मरुधरावासियों की ओर से कोटि-कोटि नमन् एवं भावभीनी श्रृद्धांजलि।

अजमेर में गहलोत को दिखाए काले झंडे

अजमेर में गहलोत को दिखाए काले झंडे

अजमेर। दिल्ली गैंगरेप की घटना के खिलाफ भड़की विरोध की आग धीरे धीरे पूरे राजस्थान में फैलती जा रही है। राजधानी जयपुर समेत प्रदेश कई के जिलों में लोग सड़कों पर उतर आए है। अजमेर में रविवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को प्रदर्शनकारियों के कडे विरोध का सामना करना पड़ा।

प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री को काले झंडे दिखाए और उनके खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शनकारी "वी वांट जस्टिस"के नारे लगा रहे थे। प्रदर्शनकारियों में ज्यादातर छात्र और छात्राएं सामने थी। मुख्यमंत्री राजीव गांधी विद्या भवन का उद्घाटन करने के लिए अजमेर पहुंचे थे।

जैसे ही प्रदर्शनकारियों को गहलोत के शहर में पहुंचने की खबर मिली वे विरोध प्रदर्शन करने लगे। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि मुुख्यमंत्री महिलाओं की सुरक्षा के संबंध में उनसे बात करे। विरोध प्रदर्शन के चलते मुख्यमंत्री की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।