सोमवार, 10 दिसंबर 2012

रईस बाप ने दिया नकली सोना, बेटी थाने पंहुची



कोच्चि।। एक रईस पिता ने बेटी की शादी में नकली सोने के सिक्के दे दिए, जिससे नाराज बेटी ने पुलिस का रुख किया है। बेटी ने मांग की है कि पिता उसे असली सोना दें। कोच्चि में रहने वालीं फातिमा ने गल्फ में बिजनस करने वाले अपने पिता के खिलाफ मल्लापुरम जिले में केस दर्ज करवाया है।
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19 साल की फातिमा हुसैन हाजी की 10 महीने पहले ही शादी हुई थी। शादी में उनके पिता ने उन्हें ब्रिटेन में चलने वाली सोने की मुद्राएं गिफ्ट की थीं। 30 सोने के सिक्कों में से 22 फर्जी निकले। फातिमा के पिता ई पी हुसैन एक बड़े बिजनसमैन हैं।

26 जनवरी 2012 के दिन ब्याही फातिमा का कहना है, 'मेरी शादी के कुछ महीने बाद मैंने पाया कि सोने के ज्यादातर सिक्के असली नहीं हैं। मेरे पति ने इस मामले को रफा-दफा करने के लिए कहा लेकिन मुझे लगा कि मेरे साथ धोखा किया गया है और इसीलिए मैं पुलिस के पास रपट लिखवाने गई।'गुस्साई फातिमा का कहना है कि उसके पिता एक अमीर इंसान हैं और अब वह चाहती हैं कि उनके पिता ये नकली सिक्के वापस लें और असली सोना उन्हें दें। उन्होंने कहा,'मैं उनसे इससे ज्यादा और कुछ नहीं चाहती।'
पुलिस ने हालांकि मामला दर्ज नहीं किया है लेकिन सर्कल इंस्पेक्टर जलील थोट्टाथिल का कहना है कि शिकायत की बिनाह पर पिता को थाने बुलाया गया है। शादी से जुड़ा मामला होने की वजह से हमने केस रजिस्टर नहीं किया है। स्थनीय जमात के सदस्यों को मामले से जोड़ कर मामला सुलझाने की कोशिश की जा रही है।

इसी बीच हुसैन ने केरल हाई कोर्ट में शिकायत की है कि पुलिस उन्हें मानसिक रूप से परेशान कर रही है। हालांकि कोर्ट में पुलिस ने कहा कि फातिमा की शिकायत के बाद हुसैने को उनका पक्ष जानने के लिए बुलाया गया था। इसके बाद कोर्ट ने हुसैन के केस को खारिज कर दिया। फातिमा चाहती हैं कि उनके पिता उनसे नकली सिक्के वापस लेकर 22 कैरट गोल्ड सोना दे दें।

बच्चो के सामने हत्या की माँ की पिता ने

बच्चो के  सामने हत्या की माँ की पिता ने 


संगरिया/हनुमानगढ़। कस्बे के वार्ड एक में नर्सरी मार्ग पर ब्यूटी पॉर्लर संचालिका कुलविंद्र कौर को उसके पति गुरदीप सिंह ने बच्चों पुत्र गुरप्रीत व पुत्री मनजीत के सामने ही चुन्नी से गला घोटकर मारा था। कुलविंद्र के चिल्लाने पर बेटी-बेटे की नींद टूट गई। मां का गला घोंटते देख उन्होंने शोर मचाया तो गुरदीप ने उन्हें भी मार डालने की धमकी दी।

इससे वे सहम गए और रजाई में दुबक गए। गुरदीप ने चुन्नी से बने फंदे को तब तक दबाए रखा जब तक कुलविंद्र मर नहीं गई, लेकिन बच्चों के पास कोई चारा नहीं था। मां को मरते देखते बच्चे सुबकते रहे। कुलविंद्र ने करीब तीन माह पहले जान-माल की रक्षा के संबंध में थाने में फरियाद की थी, लेकिन पुलिस ने गंभीरता से नहीं लिया।

बेटे के सामने मां से किया दुष्कर्म

बेटे के सामने मां से किया दुष्कर्म

कोटा। शहर के बजरंग नगर में मां-बेटे की हत्या का मामला पुलिस ने रविवार को सुलझा लिया। वारदात को अंजाम देने वाले तीन अपराधियों टीपू सुल्तान उर्फ आबिद, इमरान उर्फ दिल्ली वाला तथा कपिल महावर को गिरफ्तार कर लिया। तीनों पर हैवानियत इस कदर सवार थी कि उन्होंने किशोरवय रोहित के सामने उसकी मां गुड्डी के साथ दुष्कर्म किया। पुलिस के अनुसार गुड्डी के पति शातिर अपराधी शिवा की सुल्तान से एक नकबजनी के माल के बंटवारे को लेकर रंजिश चल रही थी।

घनश्याम गोस्वामी को मिली पीएचडी की उपाधि


घनश्याम गोस्वामी को मिली पीएचडी की उपाधि



जैसलमेर



मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्व-विद्यालय द्वारा चित्रकार घनश्याम गोस्वामी को पश्चिमी राजस्थान की चित्र शैलियों में चतुर्भुजदास कायस्थ रचित मधुमालती ग्रंथ चित्रों का विशलेषणात्मक अध्ययन-जोधपुर, बीकानेर, एवं जैसलमेर के संदर्भ में'' नामक विषय पर शोधप्रबंध पूर्ण करने पर पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई।

गोस्वामी ने बताया कि विगत चार सौ वर्ष प्राचीन मधुमालती कथानक के अप्रकाशित इन चित्रित ग्रंथों पर आधारित कलात्मक दृष्टिकोण से यह प्रथम शोध है। इस शोध के माध्यम से जैसलमेर चित्रशैली के चित्र प्रथम बार कला-मर्मज्ञों के सम्मुख उजागर हो सके हैं। गोस्वामी ने यह शोध डॉ. विष्णु प्रकाश माली के निर्देशन में पूरा किया। सुखाडिया विश्व विद्यालय के सामाजिक एवं मानविकी महाविद्यालय के दृश्य कला विभाग के सभागार में आयोजित साक्षात्कार में डीन (प्रशासन) एवं विभागाध्यक्ष दृश्य कला विभाग मदनसिंह राठौड़ ने गोस्वामी को पीएचडी की उपाधि प्रदान की। साक्षात्कार में उदयपुर के डॉ. जे.एस. खरकवाल, प्रो. सीआर सुथार, रघुनाथ सुथार, डॉ. युगल शर्मा, राजाराम व्यास, शाहिद परवेज, रविन्द्र दाहिमा, कमल शर्मा, संदीप पालीवाल, रंजना दीक्षित, अनिता शक्तावत, एवं कनिष्ठ चित्रकार उपस्थित थे।

बड़ी वारदात को अंजाम देने आए मास्टर माइंड धरे गए


बड़ी वारदात को अंजाम देने आए मास्टर माइंड धरे गए

बाड़मेर  शहर में वाहन चोरी की बड़ी वारदात को अंजाम देने के लिए आए मास्टर माइंड गिरोह को कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पकड़े गए आरोपियों में दो हिस्ट्रीशीटर भी शामिल है। जिनके खिलाफ विभिन्न पुलिस थानों में आपराधिक मामले दर्ज है। इन्हें गिरफ्तार कर मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेजा दिया। कोतवाली थानाधिकारी देवाराम ने बताया कि सूचना मिलने पर कोतवाली टीम मोहनजी का क्रेशर के पास पहुंची। जहां पर वाहन चोरी की वारदात को अंजाम देने की फिराक में टवेरा गाड़ी में घूम रहे युवकों को पकड़ा। जिसमें अर्जुन पुत्र रतनाराम माली निवासी जालोर, नरेश पुत्र रेवाराम कुम्हार निवासी जालोर, अली हुसैन पुत्र वली मोहम्मद निवासी मंदसौर (मध्यप्रदेश), इंसाफ पुत्र अब्बास खां निवासी सिवाना, सुरेश संत निवासी जालोर को गिरफ्तार कर लिया गया। जिनके कब्जे से मास्टर की, बाइक व वाहनों के लॉक खोलने के औजार बरामद किए गए। जिन्हें रविवार को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया, जहां से इन्हें जेल भेज दिया।

दो हिस्ट्रीशीटर भी शामिल: बाड़मेर में वाहन चोरी की फिराक में आई गैंग में दो हिस्ट्रीशीटर भी शामिल है। जिसमें अली हुसैन मंदसौर व इंसाफ सिवाना का हिस्ट्रीशीटर है। इनके खिलाफ अलग अलग पुलिस थानों में आपराधिक मामले दर्ज है। इनसे गहन पूछताछ करने पर चोरी की वारदाते खुलने की संभावना है।

बाड़मेर पुलिस ने पकड़ा बाइक व वाहन चोर का तीसरा गिरोह


पुलिस ने पकड़ा बाइक व वाहन चोर का तीसरा गिरोह

चार बोलेरो व बाइक चोरी करना कबूल किया, एक बोलेरो बरामद, पूछताछ में कई चोरियों के राज खुलने की संभावना


बाड़मेर जिले में बाइक व वाहन चोरी की वारदातों को अंजाम देने वाले एक ओर गिरोह का खुलासा करते हुए पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गिरोह के लोगों ने तीन बोलेरो व बाइक चोरी करना कबूल किया है। पुलिस की विशेष टीम ने भीनमाल के पास इन आरोपियों को पकड़ा। इस दौरान मुख्य आरोपी शैतान राम विश्नोई फरार हो गया, लेकिन बाद में जालोर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। उल्लेखनीय है कि पुलिस की मुस्तैदी से तीसरे गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। इससे पहले दो गिरोह के सदस्य पकड़े जा चुके हैं। जिनके कब्जे से डेढ़ दर्जन से अधिक बाइक बरामद की गई थी।

जिले में लंबे समय से सक्रिय बाइक व वाहन चोर गिरोह की धरपकड़ के लिए एसपी राहुल बारहट के निर्देशन में विशेष टीमें गठित कर कार्रवाई को अंजाम दिया जा रहा है। एएसआई रूपा राम के नेतृत्व में बाड़मेर पुलिस टीम ने जालोर जिले के भीनमाल कस्बे के पास दबिश देकर रमेश उर्फ अमरा राम पुत्र रूगनाथ राम कलबी बरवा (नौसर जालोर), भंवराराम पुत्र रूगनाथ राम विश्नोई पूनासा भीनमाल (जालोर) को गिरफ्तार किया। इस दौरान मुख्य आरोपी शैतान राम विश्नोई मौके से भाग छूटा, जिसे बाद में जालोर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों से प्रारंभिक पूछताछ में उन्होंने बाड़मेर शहर से चार वाहन चोरी करना कबूल किया। जिस पर पुलिस ने गिरोह की निशानदेही पर चौहटन उड़ासर निवासी जोगाराम पुत्र कुचटाराम भील के कब्जे से एक बोलेरो गाड़ी बरामद कर उसे भी गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों ने बाइक व वाहन चोरी की कई वारदातों को अंजाम देना कबूला है। कोतवाली थानाधिकारी देवाराम ने बताया कि आरोपियों ने तीन बोलेरो व बाइक चोरी करना कबूल किया है। साथ ही गुजरात से वाहन चोरी करने की बात भी स्वीकार की है। इन्हें सोमवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा।


वाहन खरीदारों में हड़कंप

बीते पांच दिनों में बाइक व वाहन चोर गिरोह का खुलासा होने के बाद सस्ते दामों पर बाइक व वाहन खरीदने वालों में हड़कंप मचा हुआ है। वहीं चोरी की वारदातों को अंजाम देने वाले आरोपी भी इन दिनों भूमिगत हो गए है। बिना नंबर की गाडिय़ों की सघन जांच से ऐसे वाहन सड़कों पर कम नजर आ रहे हैं। पुलिस की कार्रवाई से आरोपियों में भय का माहौल बना है।

एक से डेढ़ लाख रुपए में बेच देते थे बोलेरो

वाहन चोर गिरोह के आरोपी अलग -अलग स्थानों से वाहन चोरी करने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में ओने पौने दामों पर वाहन बेच देते थे। छह से आठ लाख रुपए की बोलेरो एक से डेढ़ लाख रुपए में बेच देते थे। उड़ासर निवासी जोगाराम को बोलेरो बेचने के बाद आरोपी आधी राशि वसूलने के लिए जा रहे थे। इस बीच पुलिस के हत्थे चढ़ गए।

रविवार, 9 दिसंबर 2012

जैसलमेर के ऎतिहासिक अमरसागर प्रोल का विस्तार कार्य शुरू


जिला कलक्टर शुचि त्यागी की पहल रंग लायी
वर्षों से लंबित काम मिनटों में हुआ पूरा

जैसलमेर के ऎतिहासिक अमरसागर प्रोल का विस्तार कार्य शुरू
      

 जैसलमेर, 9 दिसम्बर/जैसलमेर के व्यापक सौन्दर्यीकरण तथा पर्यटन विकास को देखते हुए जिला कलक्टर शुचि त्यागी की पहल पर नगर परिषद ने युद्धस्तर पर अपनी गतिविधियों को अंजाम देना शुरू कर दिया है।
       इससे शहर की कई समस्याओं का खात्मा होने के साथ ही जैसलमेर में पर्यटकों तथा स्थानीय नागरिकों की आवागमन सहूलियतों में बढ़ोतरी होगी।
       जैसलमेर के इतिहास में यह पहला मौका है जब बढ़ती आबादी की वजह से पनपे यातायात के दबाव को देखते हुए आवागमन सुविधा को और अधिक सुचारू बनाने के लिए जैसलमेर रियासतकालीन सदियों पुराने ऎतिहासिक प्रवेश द्वार अमरसागर प्रोल क्षेत्र के विस्तार की कार्यवाही को रविवार को अंजाम दिया गया।
       उल्लेखनीय है कि जैसलमेर शहर के अमरसागर प्रोल के पास स्थित प्राचीन गणेश मन्दिर ट्रस्ट की भूमि एवं दीवार थी जिसे हटाने की बात लम्बे समय से चल रही थी और यह महसूस किया जा रहा था कि इस भूमि व दीवार के हट जाने से मार्ग चौड़ा होगा तथा शहर की यातायात व्यवस्था सुगम होगी।
       जिला कलक्टर शुचि त्यागी एवं नगर परिषद सभापति अशोक तँवर के सम्मिलित प्रयासों से ट्रस्ट पदाधिकारियों से परस्पर वार्ता कर इस मामले में सार्वजनिक हित में निर्णय किया गया। इसके अनुसार नगर परिषद ने यह तय किया कि गणेश ट्रस्ट को इस भूमि के बदले धर्मशाला निर्माण के लिए 60 गुणा 90 फीट का भूखण्ड आवंटित किया जाएगा।
       इस पर रजामंदी होने के बाद नगर परिषद ने युद्ध स्तर पर कार्यवाही करते हुए रविवार को प्रोल के पास स्थित दीवार को  दो बुलडोजर लगाकर ध्वस्त कर दिया एवं दस ट्रैक्टरों के माध्यम से मलबे को तत्काल हटा दिया गया।
       इसके साथ ही अमरसागर प्रोल के भीतर बने पुराने बड़े चबूतरे को भी हटाकर जमीन समतल कर दी गई। नगर परिषद अध्यक्ष अशोक तंवर ने बताया कि अब अमरसागर प्रोल का विस्तार कर दो तरफा यातायात का प्रावधान किया जाएगा तथा जैसलमेर शैली में ही ध्वस्त किए गए स्थान पर प्रोल बनायी जाएगी। इसके साथ ही पूरे मार्ग का डामरीकरण भी तत्काल ही कर दिया जाएगा। इससे जैसलमेर में यातायात की समस्या का समाधान होगा वहीं बाहर से आने वाले पर्यटकों को भी सुकून प्राप्त होगा।
       इस कार्य को अंजाम देने में नगर परिषद सभापति अशोक तंवरअतिरिक्त जिला कलक्टर परशुराम धानकानगरपरिषद आयुक्त रामकिशोर माहेश्वरी के साथ ही पुलिस प्रशासनगणेश ट्रस्ट के प्रतिनिधियों ने भी मौके पर रहकर भागीदारी निभायी।

जींस पहनने पर छात्राओं पर जुर्माना

जींस पहनने पर छात्राओं पर जुर्माना
हिसार। हरियाणा में हिसार जिले के आदर्श महिला कालेज में छात्राओं के जींस पहनने पर पाबंदी लगाने और इसका उल्लंघन करने वाली चार छात्राओं पर जुर्माना किए जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। कालेज की छात्राओं में इसे लेकर रोष है,वहीं जनवादी महिला समिति और अनेक छात्र संगठनों ने इसे तुगलकी फरमान बताते हुए इसे तुरंत खत्म किए जाने की मांग की है।

जनवादी महिला समिति की हिसार जिला इकाई ने इसे महिलाओं के अधिकारोें पर कुठाराघात बताया है। समिति का कहना है कि कालेज की प्रिन्सिपल द्वारा एक महिला होते हुए इस तरह के फरमान थोपा जाना बेहद निंदनीय है। यह कालेज प्रबंधन की दकियानूसी सोच को दर्शाता है।

इंडियन नेशनल लोकदल की छात्र विंग इनसो ने इसे छात्राऔं की आजादी पर हमला बताते हुए कहा कि ऎसे फरमान जारी करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। भारतीय जनवादी नौजवान सभा ने कहा है कि चार छात्राओं पर जुर्माने की कार्रवाई को तुरंत रद्द किया जाए तथा छात्राओं के जींस पहनने पर लगाई गई रोक को खत्म किया जाए।

आदर्श कॉलेज की प्रिसिपल डॉ. अलका शर्मा का कहना है कि कॉलेज में मोबाइल लाने व जींस पहनने की मनाही है। छात्राएं जींस के साथ लॉन्ग कुर्ता व सूट पहन सकती है, लेकिन शॉर्ट शर्ट या टीशर्ट मान्य नहीं है। सभी छात्राओं को आदेश दिए हुए हैं। निरीक्षण कमेटी समय समय पर ड्रेस कोड की जांच करती है।

चार छात्राओं पर 100-100 रूपए जुर्माना लगा दिया गया,क्योंकि उन्होंने जींस-टीशर्ट पहनी थी। कालेज प्रशासन ने छात्राओं के लिए सोमवार को सफेद सलवार सूट ड्रेस कोड लागू किया हुआ है। अगर कोई छात्रा इस ड्रेस कोड में नहीं आती है तो उस पर जुर्माना किया जाता है। कई बार तो छात्राओं को सजा के रूप मे कॉलेज में ही नहीं आने दिया जाता।

जींस पर पाबंदी और ड्रेस कोड बारे मे कॉलेज प्रशासन का कहना है कि यह कॉलेज के नियमों में शामिल है। इन नियमों का पालन करना छात्राओं व शिक्षिकाओं के जरूरी है। अगर कोई इन नियमों को तोड़ता है तो उस पर नियमानुसार जुर्माने किया जाता है। इस कॉलेज में ड्रेस कोड को लेकर विवाद नया नहीं है।

कुछ माह पूर्व भी ड्रेस कोड को लेकर विवाद उठा था और सोमवार के दिन सफेद सूट, सलवार नहीं पहनने पर कॉलेज की अनेक छात्राओं को कॉलेज में नहीं आने दिया गया था। अनेक छात्राएं कॉलेज गेट पर खड़ी रही। कॉलेज के बाहर जाम जैसी स्थिति हो गई थी। इस कॉलेज ने तुगलकी फरमान सुनाकर पुराने विवाद को फिर भड़का दिया है।

कॉलेज की छात्राएं इस नियम से खुश नहीं है और इसे अपनी स्वतंत्रता पर पाबंदी मानती है। इस नियम के खिलाफ एक दो बार छात्राओं ने आवाज उठाने की कोशिश भी की, लेकिन सभी छात्राओं का समर्थन न मिलने पर उनकी आवाज दबकर रह गई।

जोधपुर।एक और एयरफोर्स कर्मचारी ने की आत्महत्या

जोधपुर।एक और एयरफोर्स कर्मचारी ने की आत्महत्या

जोधपुर। जोधपुर में एक और वायुसेना के कर्मचारी के कथित आत्महत्या का मामला सामने आया है। एयरफोर्स स्टेशन की आवासीय कॉलोनी में रविवार दोपहर एयरफोर्स के कर्मचारी राहुल सिंह ने अपने क्वार्टर में फांसी लगाकर जान दे दी।

24 वर्षीय सिंह मूलत: कानपुर के रहने वाले थे। उनके परिजनों को सूचना दे दी गई है। पोस्टमार्टम के लिए सिंह का शव महात्मा गांधी अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया है। सिंह एयरफोर्स में कॉप्सर पद पर तैनात थे।

वायुसेना ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। पुलिस भी मामले की जांच में जुट गई है। निजी चैनल के मुताबिक सिंह पिछले काफी समय से तनाव में थे। सिंह की साल भर पहले ही जोधपुर में पोस्टिंग हुई थी। गौरतलब है कि हाल ही में वायुसेना में अधिकारी अनंदिता दास ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। मृतका स्क्वाड्रन लीडर थी।

दूर्घटना का आरोपी पीरूखॉ गिरफतार

दूर्घटना का आरोपी पीरूखॉ गिरफतार

15 दिन की न्यायिक हिरासत में भिजवाया 

जैसलमेर सात दिसंबर को पुलिस थाना शाहगढ के हल्खा क्षैत्र में एक जीप ड्राईवर द्वारा इन्द्रसिंह पुत्र खेतिंसह को टक्कर मार कर भाग गया था। जिसके बाद इन्द्रसिंह की मृत्यु हो गई थी। जिस पर ग्रामीणों द्वारा उक्त घटना के विरोध में प्रदर्शन किया गया। उक्त घटना को गम्भीरता से लेते हुए उच्चाधिकारी रामसिंह अति0 पुलिस अधीक्षक जैसलमेर एवं शायरसिंह वृताधिकारी वृत जैसलमेर द्वारा घटनास्थल का मुआवना किया गया तथा अति0 पुलिस अधीक्षक द्वारा थानाधिकारी रामग को जीप ड्राईवर को जल्द से जल्द गिरफतार करने के निर्देश दिये। जिस पर मुकेश चावडा निपु मय आम्बसिंह हैड कानि0 प्रभारी अधिकारी शाहग एवं कानि0 अमरसिंह तथा महेन्द्रसिंह द्वारा वाछित की तलाश कर जीप ड्राईवर पीरूखॉ पुत्र बावरखॉ मुसलमान निवासी मिठे की ाणी पुलिस थाना शाहग को गिरफतार कर न्यायालय में पेश किया गया। जहॉ से उसे 15 दिन की न्यायिक हिरासत में भिजवाया गया।

अमर सागर गेट खोलने का कार्य हुआ शुरू

अमर सागर गेट खोलने का कार्य हुआ शुरू

 लोगों ने किया विरोध/ यातायात व्यवस्था सुधरने की है उम्मीद 

 सिकंदर शैख़

जैसलमेर/ 9 दिसम्बर /


जैसलमेर में पिछले लंबे समय से बढ़ते यातायात के दबाव को देखते हुए अमरसागर गेट को चौड़ा करने की कवायद चल रही थी। गणेश मंदिर ट्रस्ट और नगरपरिषद के बीच इस संबंध में विवाद भी चल रहा था। दोनों पक्षों के बीच मामला सुलझ गया और सरकार ने भी हरी झंडी दे दी थी। जयपुर से आदेश आते ही आज नगर परिषद् ने गेट को छोड़ा करने की कार्यवाही आरम्भ करी, कुछ लोगों के विरोध के बावजूद भी हटाने का कार्य जारी है और बहुत जल्द जैसलमेर वासियों को यातायात को लेकर आ रही परेशानियों से भी छुटकारा मिलेगा


काफी समय से यातायात में बाधक बन रहे अमरसागर गेट को खोलने का कार्य आज शुरू हो गया सवेरे से ही नगरपरिषद के सभापति अशोक तंवर, आयुक्त रामकिशोर महेश्वरी और ए,ई,राजकुमार सिंघल के नेतृत्व में लोडरों की मदद से गेट को चोडा करने का कार्य आरम्भ हो गया , वहाँ उपस्थित कुछ लोगो ने इसका विरोध भी किया मगर नगरपरिषद के कर्मचारियों और पुलिस बल ने लोगों को शांत कर दिया तथा अमर सागर गेट को चोड़ा करने का कार्य शुरू हो गया
गौरतलब है की जैसलमेर की पहचान बन चुके अमरसागर गेट जो पुरातन काल में जैसलमेर में आने का दरवाजा था वो बढ़ी जनसँख्या से लोगों के लिए परेशानी का सबब बन चूका था, आने जाने ले किये मात्र 10 फीट का ही रास्ता था जो की यहाँ कई बार जाम की स्थिति पैदा कर रहा था वहीँ कई वर्षों से नगरपरिषद की मंशा थी कि अमरसागर गेट के पास की जमीन का अधिग्रहण कर वहां रास्ता बना दिया जाए। यह जमीन गणेश मंदिर ट्रस्ट की है। इसके चलते विवाद चल रहा था और न्यायालय में भी लम्बित था।
नगर परिषद् के सभापति अशोक तंवर बताते हैं की " लगातार यातायात का दबाव बढ़ रहा है, यह मार्ग काफी संकरा था जिससे अक्सर यहां जाम की स्थिति रहती थी। लेकिन अब लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है। अमरसागर गेट के पास की जमीन गणेश मंदिर ट्रस्ट की है। ट्रस्ट और नगरपरिषद के बीच विवाद लंबे समय से चल रहा था। इस बार दोनों पक्षों के बीच विवाद सुलझ गया है। नगरपरिषद की प्रस्तावित जवाहर लाल नेहरू कॉलोनी में गणेश मंदिर ट्रस्ट को धर्मशाला के लिए 60 गुणा 90 का भूखंड देने पर सहमति बन गई है। सरकार की ओर से भी इस मामले में स्वीकृति मिल गई है। अमरसागर गेट कम चौड़ा होने के कारण यहां जाम की स्थिति रहती है। कई बार छोटी मोटी दुर्घटनाएं भी घटित हो चुकी है। साथ ही प्रोल के पास ही सब्जी मंडी होने के कारण पास वाली जमीन के सहारे कई ठेले भी खड़े रहते हैं। गेट के पास वाली जमीन पर सड़क मार्ग बन जाने से इन सभी समस्याओं से छुटकारा मिल जाएगा।

साफा बांधने की कला कोई रमेशजी से सीखे

साफा बांधने की कला कोई रमेशजी से सीखे


बाड़मेर रणबांकुरों की धरा राजस्थान में सिर पर साफा बांधने की परंपरा प्राचीनकाल से चली आ रही है। खासकर मारवाड़ प्रांत में तो उस जमाने में साफे से लोगों की जाति की पहचान होती थी। उस जमाने में साफा आदमी की इज्जत के रूप में माना जाता था।मान सम्मान का प्रतीक साफा स्टेटस सिम्बल का रूप ले चुका हें ,थार नगरी बाड़मेर में शादी विवाह या अन्य समारोह में घर के लोग आज भी साफा बांधने के हामी हें ,मगर आज के युवाओ को साफा बंधने का हुनर नहीं आता ,थार  की जीवनशैली में साफे का बड़ा महत्त्व हें ,घर घर में सर पर साफा पहने बड़े बुजुर्ग मिल जाते थे मग आज सर से साफा लगभग गायब हो चूका हें ,ऐसे में घरो में साफा बंधने की कला लोग भूल चुके हें ,बाड़मेर में किसी ज़माने में कई शख्स थे जो साफा बंधने में पारंगत थे ,मगर आज शहर में इक्के दुक्के लोग ही बच्चे हें जो इस कला हुनर को बचाए हुए हें .इनमे रमेश दवे का नाम प्रमुखता से लिया जाता हें .शादी विवाह की सीजन में रमेशजी के घर के आगे साफा बंधवाने वालो की भरी भीड़ रहती हें .दो दो तीन तीन दिन एडवांस साफा बंधवाने के लिए देके जाते हें . मगर रमेश दवे के मुताबिक आजकल केवल सामाजिक व धार्मिक आयोजनों पर ही साफा पहना जा रहा है। चंद मिनटों में साफा बांधने वाले रमेश दवे एक दिन में आठ सौ साफे बाँध लेते हें .कई बार शादी की सीजन में एक हज़ार से ज्यादा सेफ बाँध लेते हें । खुद की शादी से साफे बांधने का क्रम शुरू करने वाले इस शख्स को याद भी नहीं है कि आज तक वे कितने साफे बांध चुके हैं। वे बताते है कि नौ मीटर लंबे कलप किए कपड़े से जोधपुरी व गोल साफा बनता है वहीं दूल्हे के साफे के शगुन के तौर पर नारियल और दुकानदारों से प्रति नग के पच्चीस रुपए लेते हैं।
साफा बांधने में पचपन साल के रमेश दवे जैसा सानी नहीं, पलक झपकते बांध देते हैं कई पेच का साफा।

शादी का मंडप छोड़ प्रेमी के साथ भागी दुल्हन



नीमकाथाना. पूछलावाली ढाणी में शुक्रवार रात शादी का मंडप तैयार किया जा रहा था। इस दौरान दुल्हन अपने प्रेमी के साथ गायब हो गई। पूरा परिवार शादी की तैयारियों में मशगूल था। दुल्हन के साथ मेहंदी की रस्म में शामिल हुई महिलाएं भी रात को उसके साथ सो रही थी। रात करीब दो बजे दुल्हन के गायब होने की सूचना पर परिवार में हड़कंप मच गया। परिवार के लोग दुल्हन की तलाश में जुट गए। शनिवार को लड़की के पिता ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई। जिसमें बताया गया कि उसकी 23 वर्षीय लड़की की शादी शनिवार को होनी थी। शादी की तैयारियों के बीच उनकी बेटी गायब हो गई। रिपोर्ट में ढाणी के रहने वाले जितेंद्र कुमार पुत्र बाबूलाल पर लड़की को भगाने का आरोप लगाया गया है। आरोपी जितेंद्र कुमार एसएसबी में एएसआई के पद पर कार्यरत है। पुलिस ने मामला दर्ज कर गायब हुई दुल्हन व आरोपी की तलाश शुरू कर दी है।


फोन से रोकी बारात


दुल्हन के गायब होने के बाद शनिवार को आने वाली बारात को ग्रामीणों व परिवार के लोगों ने फोन कर रोक दिया। दिनभर ग्रामीण लड़की की तलाश में जानकारी जुटाते रहे। ढाणी में बारात की सभी तैयारियां रुक गई। परिवार व रिश्तेदार भी लड़की की तलाश के प्रयासों में लग गए। देर शाम तक ढाणी व परिवार के लोग लड़की की तलाश में लगे रहे।

जैसलमेर रियासत कालेन राज चिन्ह
























जैसलमेर रियासत कालेन राज चिन्ह 

जैसलमेर की रियासत कालीन मुद्राऐं

जैसलमेर की रियासत कालीन मुद्राऐं ,मदन लयचा के पास हें  बेजोड़ संग्रह 






आज भी जनता में लोकप्रिय

लेखक .....चन्दन सिंह भाटी


जैसलमेर प्राचीन काल में जब मुद्राऐं प्रचलन में नहीं थी तब वस्तु विनिमय बारटर सिस्टम द्घारा व्यापार किया जाता था।इस तरह के व्यापार में कई प्रकार की समस्याऐं आती थी जैसे पाुओं का बंटवारा नही हो सकता था,जमीन को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना सम्भन नहीं था आदि।व्यापार में आने वाली इन समस्याओं से निजात पाने के लिऐ मुद्रा का प्रचलन भाुरू हुआ।ये मुद्राऐं रियासत कालीन भारत में अलग अलग राज्यों की अलग अलग होती थी।रियासतकालीन भारत में कागजी मुद्रा का चलन नहीं कें बराबर था,मुख्यत मुद्राऐं सोने चान्दी व ताम्बे की बनाई जाती थी यहां तक की एक राज में तो चमडे की मुद्रा अर्थात
चमडे के सिक्के भी चलायें गय जो कि वर्तमान में दुर्लभ हैं।जैसलमेर के गोपा चौक स्थित स्वर्ण व्यवसायी मदन लायचा के पास जैसलमेर के रियासतकालीन सिक्को का बेजोड़ संग्रह हें ,इस बेजोड़ संग्रह के चलते उन्हें छबीस  जनवरी को जिला  द्वारा  भी किया  .
इसी प्रकार रियासत काल में जैसलमेर रियासत की भी अपनी स्वतंत्र मुद्रा प्रचलन में थी जिसे महारावल सबलसिंह द्घारा सन 1659 में जारी किया गया यह मुद्रा डोडिया पैसा के नाम से जानी जाती थी।इस पर किसी भी प्रकार का राजचिन्ह या लेख नहीं होता था,यह ताम्बे की पतली चदर को छोटे छोटे असमान टुकडों में काट कर बनी होती थी तथा इस पर आडी टेडी समान्तर रेखाऐं व कहीं कहींये रेखाऐं आयात का रूप लेती हुई व उनके मध्य बिन्दु होता था।इनकी इकाई एक तथा आाधा डोडिया होती थी,एक डोडिये का वजन सवा दौ सौ ग्राम होंता था व आधे डोडीऐ का वजन सवा ग्राम होता था। उस काल में डोीऐ का प्रचलन बहुत थाक्योंकि वस्तुऐं बहुत कम ही मुल्य में उपलब्ध हो जाती थी।उस काल में कुछ वस्तुऐं डोयिें की डो सेर भी आती थी।इसिलिऐ इसका सामान्यजन में बहुतायात में प्रचलन होता था।डोडिऐ का प्रचलन जैसलमेर रियासत में के स्वतंत्र भारत में विलय तीस मार्च 1949 कें पचात भी काफी समय तक निर्बाध रूप से चलता रहा।सन 1947 में एक पैसा में दस डोडिया आते थे।डोडिऐ पैसे के बाद इससें बडी ताम्बे की मुद्रा ब्बू पैया होती थी।एक ब्बू पैसा में बीस डोऐिं पैसे होते थे। तथा इनका नाम ब्बू इनके भारी वनज के कारण पडा।इनका वजन 15 से 18 ग्राम के लगभग होता था।तथा इसें जैसलमेर टकसाल में नहीं छापा जाकर इसे जोधपुर टकसाल में छपवाया जाता था।जोधपुर के अलावा भी बीकानेर और भावलपुर रियासत में ब्बू पैसे प्रचलन में थे। आज भी कई घरों में काफी मात्रा में मिल जाऐंगें।


जैसलमेर रियासत का चान्दी का रूपया सर्वप्रथम महारावल अखैसिंह (1722..61)द्घारा सन 1756 में मुद्रित कराना आरम्भ किया था इसिलिऐ जैसलमेर की रजत मुद्रा को अखौाही नाम दिया गया।महारावल अखेसिह ने सिक्के छापने का कार्य करने वाले विोशज्ञ बाडमेर के जसोल (लोछिवाल) से नाथानी लायचा गोत्र के सोनी परिवार को जैसलमेर रियासत में ससम्मान निमन्ति्रत किया ताकि सिक्कों में निखार आ सके।महारावल नें उन्हे वांनुगत टकसाल का दरोगा भी बनाया गया तथा उन्हें रियासत की तमाम सुविधाऐं भी उपलब्ध कराई।यह परिवार आज भी जैसलमेर के परम्परागत आभूशण बनानें में जुटें हैं।
अखौाही सिक्के उस समय की मोहम्मद शाही सिक्कों का ही प्रतिरूप थें मगर उस पर जैसलमेरी रियासत की पहचान के लिऐ चिन्ह (22)बाईस फारसी में () इस रियासत की पहचान रूप था ।क्योंकि महारावल अखैसिह ने राजगद्धी 1722 में सम्भाली थी ,ये मोहम्मद भाही सिक्के बादाशाह की बिना आज्ञा के छापे गये थे। महारावल अखैसिह की मृत्यु के पचात उनके उत्तराधिकारी महारावल मूलराज (1761..1819)द्घारा बादाह से नियमित टकसाल स्थापित करने की आज्ञा लेकर जैसलमेर रियासत की टकसाल में स्वतंत्र रूप से सिक्के छापने आरम्भ किये गयें।
चान्दी के अखौाही में एक रूपया,आठ आनी,चार आनी,दो आनी,मुल्य के सिक्के चलन में थे।इनका वनज क्रमा 10,50 से 1160 ग्राम ,5,35 से 5,80 ग्राम 2,68 से 2,90 ग्राम,1,34 से 1,45 ग्राम होता था व भाुद्धता 95 से 96 प्रतित तक होती थी। उसी दौरान सोने की मुहर भी छपी गई एक मुहर ,आधी मुहर ,चौथाई मुहर और 1/8 मुहर उस समय 1 मुहर 15 चांदी के अखेशाही आते थे तथा 1 अखेशाही में दो तोला चांदी आती थी .उस समय अखेशाही मुग़ल बादशाह के नाम से ही छपे गए उनमे विद्यमान आलेख ,राज्यारोहन सन आदी का यथावाचत ही रखा तथा लिपि फारसी ही रखी गई जो निम्न प्रकार से थी ...एक और ----सिक्का मुबारक साहिब किसन सानी मोहम्मद शाह गाजी 1153


दूसरी और सनह 22 जुलुस मेम्नात मानूस जरब सियासत जैसलमेर इसी पटल पर टकसाल दरोगा का निशाँ होता था .इसके बाद विभिन समय समय जिन जिन महारावालों ने जैसलमेर रियासत के सिक्के छपवाए उन्होंने अपने समय की पहचान के लिए चिन्ह डाले जिससे पता चल सके की यह सिक्का किस महारावल के काल का हें ,जैसे मूलराज ,गज सिंह ,रणजीत सिंह ,बेरिशाल सिंह ने अपने अपने पहचान चिन्ह सिक्को में डाले .


इसके बाद सन 1860 में महारावल रणजीत सिंह के समय चंडी के सिक्को पर से मुग़ल बादशाह के नाम हटा कर महारानी विक्टोरिया का नाम छपा जाने लगा तथा इसी समय सिक्कों पर जैसलमेर के राज् चिन्ह के रूप में छत्र और चिड़िया को भी एक और अंकित किया गया .इस नई मुद्रा में भी रुपया ,आठ आना ,चार आणि ,दो आणि और सोने की मोहर जारी की गई थी ,जो की वजन व् आकर में पूर्ववर्ती सिक्कों की भांति ही थी ,स्वतंत्र भारत की मुद्रा आने तक इनका प्रचालन जारी रहा


नज़राना सिक्कें ------जैसलमेर रियासत के महारावालो ने समय समय पर नज़राना सिक्कें भी चलाये जो की वजन से सामान्य सिक्कों से अधिक वजन में थे व् साईज में भी बड़े थे ,नज़रानी सिक्कें गोल ,चौरस व् अष्ट पहलू में चलाये गए तथा इनका वज़न सवा रुपया ,14-15 ग्राम ,डेड रुपया पौने दो रुपया व् दो रूपया यह सोने व् चांदी दोनों धातुओ में निकाले गए थे .


पुष्ठा मुद्रा ------द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1939 में तोपों में व् युद्ध सामग्री के लिए काफी मात्र में चंडी और ताम्बे के सिक्कों को गलाया गया था .उन्हें ब्रिटेन ले जाने की वजह से छोटी मुद्राओ का संकट आ गया .इससे निजात पाने के लिए महारावल जवाहर सिंह 1914-48 के समय पुट्ठा मुद्रा का चलन जनता में किया गया ,जिसे जनता ने भी स्वीकार .यह मुद्रा स्वतंत्र भारत की नई मुद्रा आने तक प्रचाल;अन में रही .इस प्रकार भी संग्रहकर्ताओं का आकर्षण रियासत कालीन मोहम्मद शाही ,अखेशाही की तरफ अधिक रहता हें .इस प्रकार स्थानीय शासको द्वारा समय समय पर अपनी जनता की आवश्यकताओ की पूर्ति के लिए कई प्रतिबंधो के बावजूद भी अपनी रियासत की जनता के हित को सर्वोपरि मानते हुए स्वतंत्र मुद्रा अखेशाही के प्रकार से स्थानीय प्रजा को अपने शासको को पूर्ण अधिकार एवं स्वयं भू होने का तो विश्वास प्राप्त हुआ ही प्रतिदिन लें दें एवं व्यापर में भी आसानी हो गई .जैसलमेर के निवासी ब्रिटिश चांदी के कलदार या अन्य पडौसी राज्यों की चांदी की मुद्रा की अपेक्षा स्थानीय अखेशाही में ही लेनदेन को प्राथमिकता देते थे ,स्थानीय जनता की यह भावना अपने राज्य की स्वतंत्र मुद्रा में विशवास का प्रतिक थी ,स्वतंत्र भारत में जैसलमेर रियासत के विलय दिनांक तीस मार्च 1949 के पश्चात भी लोगों की पहली पसंद रही तथा आज भी जारी हें ,धन तेरस और दीवाली को आज भी जैसलमेर के लोग अखेशाही सिक्के या मुद्रा लेना प्राथमिकता से पसंद करते हें