रविवार, 9 दिसंबर 2012

जोधपुर।एक और एयरफोर्स कर्मचारी ने की आत्महत्या

जोधपुर।एक और एयरफोर्स कर्मचारी ने की आत्महत्या

जोधपुर। जोधपुर में एक और वायुसेना के कर्मचारी के कथित आत्महत्या का मामला सामने आया है। एयरफोर्स स्टेशन की आवासीय कॉलोनी में रविवार दोपहर एयरफोर्स के कर्मचारी राहुल सिंह ने अपने क्वार्टर में फांसी लगाकर जान दे दी।

24 वर्षीय सिंह मूलत: कानपुर के रहने वाले थे। उनके परिजनों को सूचना दे दी गई है। पोस्टमार्टम के लिए सिंह का शव महात्मा गांधी अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया है। सिंह एयरफोर्स में कॉप्सर पद पर तैनात थे।

वायुसेना ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। पुलिस भी मामले की जांच में जुट गई है। निजी चैनल के मुताबिक सिंह पिछले काफी समय से तनाव में थे। सिंह की साल भर पहले ही जोधपुर में पोस्टिंग हुई थी। गौरतलब है कि हाल ही में वायुसेना में अधिकारी अनंदिता दास ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। मृतका स्क्वाड्रन लीडर थी।

दूर्घटना का आरोपी पीरूखॉ गिरफतार

दूर्घटना का आरोपी पीरूखॉ गिरफतार

15 दिन की न्यायिक हिरासत में भिजवाया 

जैसलमेर सात दिसंबर को पुलिस थाना शाहगढ के हल्खा क्षैत्र में एक जीप ड्राईवर द्वारा इन्द्रसिंह पुत्र खेतिंसह को टक्कर मार कर भाग गया था। जिसके बाद इन्द्रसिंह की मृत्यु हो गई थी। जिस पर ग्रामीणों द्वारा उक्त घटना के विरोध में प्रदर्शन किया गया। उक्त घटना को गम्भीरता से लेते हुए उच्चाधिकारी रामसिंह अति0 पुलिस अधीक्षक जैसलमेर एवं शायरसिंह वृताधिकारी वृत जैसलमेर द्वारा घटनास्थल का मुआवना किया गया तथा अति0 पुलिस अधीक्षक द्वारा थानाधिकारी रामग को जीप ड्राईवर को जल्द से जल्द गिरफतार करने के निर्देश दिये। जिस पर मुकेश चावडा निपु मय आम्बसिंह हैड कानि0 प्रभारी अधिकारी शाहग एवं कानि0 अमरसिंह तथा महेन्द्रसिंह द्वारा वाछित की तलाश कर जीप ड्राईवर पीरूखॉ पुत्र बावरखॉ मुसलमान निवासी मिठे की ाणी पुलिस थाना शाहग को गिरफतार कर न्यायालय में पेश किया गया। जहॉ से उसे 15 दिन की न्यायिक हिरासत में भिजवाया गया।

अमर सागर गेट खोलने का कार्य हुआ शुरू

अमर सागर गेट खोलने का कार्य हुआ शुरू

 लोगों ने किया विरोध/ यातायात व्यवस्था सुधरने की है उम्मीद 

 सिकंदर शैख़

जैसलमेर/ 9 दिसम्बर /


जैसलमेर में पिछले लंबे समय से बढ़ते यातायात के दबाव को देखते हुए अमरसागर गेट को चौड़ा करने की कवायद चल रही थी। गणेश मंदिर ट्रस्ट और नगरपरिषद के बीच इस संबंध में विवाद भी चल रहा था। दोनों पक्षों के बीच मामला सुलझ गया और सरकार ने भी हरी झंडी दे दी थी। जयपुर से आदेश आते ही आज नगर परिषद् ने गेट को छोड़ा करने की कार्यवाही आरम्भ करी, कुछ लोगों के विरोध के बावजूद भी हटाने का कार्य जारी है और बहुत जल्द जैसलमेर वासियों को यातायात को लेकर आ रही परेशानियों से भी छुटकारा मिलेगा


काफी समय से यातायात में बाधक बन रहे अमरसागर गेट को खोलने का कार्य आज शुरू हो गया सवेरे से ही नगरपरिषद के सभापति अशोक तंवर, आयुक्त रामकिशोर महेश्वरी और ए,ई,राजकुमार सिंघल के नेतृत्व में लोडरों की मदद से गेट को चोडा करने का कार्य आरम्भ हो गया , वहाँ उपस्थित कुछ लोगो ने इसका विरोध भी किया मगर नगरपरिषद के कर्मचारियों और पुलिस बल ने लोगों को शांत कर दिया तथा अमर सागर गेट को चोड़ा करने का कार्य शुरू हो गया
गौरतलब है की जैसलमेर की पहचान बन चुके अमरसागर गेट जो पुरातन काल में जैसलमेर में आने का दरवाजा था वो बढ़ी जनसँख्या से लोगों के लिए परेशानी का सबब बन चूका था, आने जाने ले किये मात्र 10 फीट का ही रास्ता था जो की यहाँ कई बार जाम की स्थिति पैदा कर रहा था वहीँ कई वर्षों से नगरपरिषद की मंशा थी कि अमरसागर गेट के पास की जमीन का अधिग्रहण कर वहां रास्ता बना दिया जाए। यह जमीन गणेश मंदिर ट्रस्ट की है। इसके चलते विवाद चल रहा था और न्यायालय में भी लम्बित था।
नगर परिषद् के सभापति अशोक तंवर बताते हैं की " लगातार यातायात का दबाव बढ़ रहा है, यह मार्ग काफी संकरा था जिससे अक्सर यहां जाम की स्थिति रहती थी। लेकिन अब लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है। अमरसागर गेट के पास की जमीन गणेश मंदिर ट्रस्ट की है। ट्रस्ट और नगरपरिषद के बीच विवाद लंबे समय से चल रहा था। इस बार दोनों पक्षों के बीच विवाद सुलझ गया है। नगरपरिषद की प्रस्तावित जवाहर लाल नेहरू कॉलोनी में गणेश मंदिर ट्रस्ट को धर्मशाला के लिए 60 गुणा 90 का भूखंड देने पर सहमति बन गई है। सरकार की ओर से भी इस मामले में स्वीकृति मिल गई है। अमरसागर गेट कम चौड़ा होने के कारण यहां जाम की स्थिति रहती है। कई बार छोटी मोटी दुर्घटनाएं भी घटित हो चुकी है। साथ ही प्रोल के पास ही सब्जी मंडी होने के कारण पास वाली जमीन के सहारे कई ठेले भी खड़े रहते हैं। गेट के पास वाली जमीन पर सड़क मार्ग बन जाने से इन सभी समस्याओं से छुटकारा मिल जाएगा।

साफा बांधने की कला कोई रमेशजी से सीखे

साफा बांधने की कला कोई रमेशजी से सीखे


बाड़मेर रणबांकुरों की धरा राजस्थान में सिर पर साफा बांधने की परंपरा प्राचीनकाल से चली आ रही है। खासकर मारवाड़ प्रांत में तो उस जमाने में साफे से लोगों की जाति की पहचान होती थी। उस जमाने में साफा आदमी की इज्जत के रूप में माना जाता था।मान सम्मान का प्रतीक साफा स्टेटस सिम्बल का रूप ले चुका हें ,थार नगरी बाड़मेर में शादी विवाह या अन्य समारोह में घर के लोग आज भी साफा बांधने के हामी हें ,मगर आज के युवाओ को साफा बंधने का हुनर नहीं आता ,थार  की जीवनशैली में साफे का बड़ा महत्त्व हें ,घर घर में सर पर साफा पहने बड़े बुजुर्ग मिल जाते थे मग आज सर से साफा लगभग गायब हो चूका हें ,ऐसे में घरो में साफा बंधने की कला लोग भूल चुके हें ,बाड़मेर में किसी ज़माने में कई शख्स थे जो साफा बंधने में पारंगत थे ,मगर आज शहर में इक्के दुक्के लोग ही बच्चे हें जो इस कला हुनर को बचाए हुए हें .इनमे रमेश दवे का नाम प्रमुखता से लिया जाता हें .शादी विवाह की सीजन में रमेशजी के घर के आगे साफा बंधवाने वालो की भरी भीड़ रहती हें .दो दो तीन तीन दिन एडवांस साफा बंधवाने के लिए देके जाते हें . मगर रमेश दवे के मुताबिक आजकल केवल सामाजिक व धार्मिक आयोजनों पर ही साफा पहना जा रहा है। चंद मिनटों में साफा बांधने वाले रमेश दवे एक दिन में आठ सौ साफे बाँध लेते हें .कई बार शादी की सीजन में एक हज़ार से ज्यादा सेफ बाँध लेते हें । खुद की शादी से साफे बांधने का क्रम शुरू करने वाले इस शख्स को याद भी नहीं है कि आज तक वे कितने साफे बांध चुके हैं। वे बताते है कि नौ मीटर लंबे कलप किए कपड़े से जोधपुरी व गोल साफा बनता है वहीं दूल्हे के साफे के शगुन के तौर पर नारियल और दुकानदारों से प्रति नग के पच्चीस रुपए लेते हैं।
साफा बांधने में पचपन साल के रमेश दवे जैसा सानी नहीं, पलक झपकते बांध देते हैं कई पेच का साफा।

शादी का मंडप छोड़ प्रेमी के साथ भागी दुल्हन



नीमकाथाना. पूछलावाली ढाणी में शुक्रवार रात शादी का मंडप तैयार किया जा रहा था। इस दौरान दुल्हन अपने प्रेमी के साथ गायब हो गई। पूरा परिवार शादी की तैयारियों में मशगूल था। दुल्हन के साथ मेहंदी की रस्म में शामिल हुई महिलाएं भी रात को उसके साथ सो रही थी। रात करीब दो बजे दुल्हन के गायब होने की सूचना पर परिवार में हड़कंप मच गया। परिवार के लोग दुल्हन की तलाश में जुट गए। शनिवार को लड़की के पिता ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई। जिसमें बताया गया कि उसकी 23 वर्षीय लड़की की शादी शनिवार को होनी थी। शादी की तैयारियों के बीच उनकी बेटी गायब हो गई। रिपोर्ट में ढाणी के रहने वाले जितेंद्र कुमार पुत्र बाबूलाल पर लड़की को भगाने का आरोप लगाया गया है। आरोपी जितेंद्र कुमार एसएसबी में एएसआई के पद पर कार्यरत है। पुलिस ने मामला दर्ज कर गायब हुई दुल्हन व आरोपी की तलाश शुरू कर दी है।


फोन से रोकी बारात


दुल्हन के गायब होने के बाद शनिवार को आने वाली बारात को ग्रामीणों व परिवार के लोगों ने फोन कर रोक दिया। दिनभर ग्रामीण लड़की की तलाश में जानकारी जुटाते रहे। ढाणी में बारात की सभी तैयारियां रुक गई। परिवार व रिश्तेदार भी लड़की की तलाश के प्रयासों में लग गए। देर शाम तक ढाणी व परिवार के लोग लड़की की तलाश में लगे रहे।

जैसलमेर रियासत कालेन राज चिन्ह
























जैसलमेर रियासत कालेन राज चिन्ह 

जैसलमेर की रियासत कालीन मुद्राऐं

जैसलमेर की रियासत कालीन मुद्राऐं ,मदन लयचा के पास हें  बेजोड़ संग्रह 






आज भी जनता में लोकप्रिय

लेखक .....चन्दन सिंह भाटी


जैसलमेर प्राचीन काल में जब मुद्राऐं प्रचलन में नहीं थी तब वस्तु विनिमय बारटर सिस्टम द्घारा व्यापार किया जाता था।इस तरह के व्यापार में कई प्रकार की समस्याऐं आती थी जैसे पाुओं का बंटवारा नही हो सकता था,जमीन को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना सम्भन नहीं था आदि।व्यापार में आने वाली इन समस्याओं से निजात पाने के लिऐ मुद्रा का प्रचलन भाुरू हुआ।ये मुद्राऐं रियासत कालीन भारत में अलग अलग राज्यों की अलग अलग होती थी।रियासतकालीन भारत में कागजी मुद्रा का चलन नहीं कें बराबर था,मुख्यत मुद्राऐं सोने चान्दी व ताम्बे की बनाई जाती थी यहां तक की एक राज में तो चमडे की मुद्रा अर्थात
चमडे के सिक्के भी चलायें गय जो कि वर्तमान में दुर्लभ हैं।जैसलमेर के गोपा चौक स्थित स्वर्ण व्यवसायी मदन लायचा के पास जैसलमेर के रियासतकालीन सिक्को का बेजोड़ संग्रह हें ,इस बेजोड़ संग्रह के चलते उन्हें छबीस  जनवरी को जिला  द्वारा  भी किया  .
इसी प्रकार रियासत काल में जैसलमेर रियासत की भी अपनी स्वतंत्र मुद्रा प्रचलन में थी जिसे महारावल सबलसिंह द्घारा सन 1659 में जारी किया गया यह मुद्रा डोडिया पैसा के नाम से जानी जाती थी।इस पर किसी भी प्रकार का राजचिन्ह या लेख नहीं होता था,यह ताम्बे की पतली चदर को छोटे छोटे असमान टुकडों में काट कर बनी होती थी तथा इस पर आडी टेडी समान्तर रेखाऐं व कहीं कहींये रेखाऐं आयात का रूप लेती हुई व उनके मध्य बिन्दु होता था।इनकी इकाई एक तथा आाधा डोडिया होती थी,एक डोडिये का वजन सवा दौ सौ ग्राम होंता था व आधे डोडीऐ का वजन सवा ग्राम होता था। उस काल में डोीऐ का प्रचलन बहुत थाक्योंकि वस्तुऐं बहुत कम ही मुल्य में उपलब्ध हो जाती थी।उस काल में कुछ वस्तुऐं डोयिें की डो सेर भी आती थी।इसिलिऐ इसका सामान्यजन में बहुतायात में प्रचलन होता था।डोडिऐ का प्रचलन जैसलमेर रियासत में के स्वतंत्र भारत में विलय तीस मार्च 1949 कें पचात भी काफी समय तक निर्बाध रूप से चलता रहा।सन 1947 में एक पैसा में दस डोडिया आते थे।डोडिऐ पैसे के बाद इससें बडी ताम्बे की मुद्रा ब्बू पैया होती थी।एक ब्बू पैसा में बीस डोऐिं पैसे होते थे। तथा इनका नाम ब्बू इनके भारी वनज के कारण पडा।इनका वजन 15 से 18 ग्राम के लगभग होता था।तथा इसें जैसलमेर टकसाल में नहीं छापा जाकर इसे जोधपुर टकसाल में छपवाया जाता था।जोधपुर के अलावा भी बीकानेर और भावलपुर रियासत में ब्बू पैसे प्रचलन में थे। आज भी कई घरों में काफी मात्रा में मिल जाऐंगें।


जैसलमेर रियासत का चान्दी का रूपया सर्वप्रथम महारावल अखैसिंह (1722..61)द्घारा सन 1756 में मुद्रित कराना आरम्भ किया था इसिलिऐ जैसलमेर की रजत मुद्रा को अखौाही नाम दिया गया।महारावल अखेसिह ने सिक्के छापने का कार्य करने वाले विोशज्ञ बाडमेर के जसोल (लोछिवाल) से नाथानी लायचा गोत्र के सोनी परिवार को जैसलमेर रियासत में ससम्मान निमन्ति्रत किया ताकि सिक्कों में निखार आ सके।महारावल नें उन्हे वांनुगत टकसाल का दरोगा भी बनाया गया तथा उन्हें रियासत की तमाम सुविधाऐं भी उपलब्ध कराई।यह परिवार आज भी जैसलमेर के परम्परागत आभूशण बनानें में जुटें हैं।
अखौाही सिक्के उस समय की मोहम्मद शाही सिक्कों का ही प्रतिरूप थें मगर उस पर जैसलमेरी रियासत की पहचान के लिऐ चिन्ह (22)बाईस फारसी में () इस रियासत की पहचान रूप था ।क्योंकि महारावल अखैसिह ने राजगद्धी 1722 में सम्भाली थी ,ये मोहम्मद भाही सिक्के बादाशाह की बिना आज्ञा के छापे गये थे। महारावल अखैसिह की मृत्यु के पचात उनके उत्तराधिकारी महारावल मूलराज (1761..1819)द्घारा बादाह से नियमित टकसाल स्थापित करने की आज्ञा लेकर जैसलमेर रियासत की टकसाल में स्वतंत्र रूप से सिक्के छापने आरम्भ किये गयें।
चान्दी के अखौाही में एक रूपया,आठ आनी,चार आनी,दो आनी,मुल्य के सिक्के चलन में थे।इनका वनज क्रमा 10,50 से 1160 ग्राम ,5,35 से 5,80 ग्राम 2,68 से 2,90 ग्राम,1,34 से 1,45 ग्राम होता था व भाुद्धता 95 से 96 प्रतित तक होती थी। उसी दौरान सोने की मुहर भी छपी गई एक मुहर ,आधी मुहर ,चौथाई मुहर और 1/8 मुहर उस समय 1 मुहर 15 चांदी के अखेशाही आते थे तथा 1 अखेशाही में दो तोला चांदी आती थी .उस समय अखेशाही मुग़ल बादशाह के नाम से ही छपे गए उनमे विद्यमान आलेख ,राज्यारोहन सन आदी का यथावाचत ही रखा तथा लिपि फारसी ही रखी गई जो निम्न प्रकार से थी ...एक और ----सिक्का मुबारक साहिब किसन सानी मोहम्मद शाह गाजी 1153


दूसरी और सनह 22 जुलुस मेम्नात मानूस जरब सियासत जैसलमेर इसी पटल पर टकसाल दरोगा का निशाँ होता था .इसके बाद विभिन समय समय जिन जिन महारावालों ने जैसलमेर रियासत के सिक्के छपवाए उन्होंने अपने समय की पहचान के लिए चिन्ह डाले जिससे पता चल सके की यह सिक्का किस महारावल के काल का हें ,जैसे मूलराज ,गज सिंह ,रणजीत सिंह ,बेरिशाल सिंह ने अपने अपने पहचान चिन्ह सिक्को में डाले .


इसके बाद सन 1860 में महारावल रणजीत सिंह के समय चंडी के सिक्को पर से मुग़ल बादशाह के नाम हटा कर महारानी विक्टोरिया का नाम छपा जाने लगा तथा इसी समय सिक्कों पर जैसलमेर के राज् चिन्ह के रूप में छत्र और चिड़िया को भी एक और अंकित किया गया .इस नई मुद्रा में भी रुपया ,आठ आना ,चार आणि ,दो आणि और सोने की मोहर जारी की गई थी ,जो की वजन व् आकर में पूर्ववर्ती सिक्कों की भांति ही थी ,स्वतंत्र भारत की मुद्रा आने तक इनका प्रचालन जारी रहा


नज़राना सिक्कें ------जैसलमेर रियासत के महारावालो ने समय समय पर नज़राना सिक्कें भी चलाये जो की वजन से सामान्य सिक्कों से अधिक वजन में थे व् साईज में भी बड़े थे ,नज़रानी सिक्कें गोल ,चौरस व् अष्ट पहलू में चलाये गए तथा इनका वज़न सवा रुपया ,14-15 ग्राम ,डेड रुपया पौने दो रुपया व् दो रूपया यह सोने व् चांदी दोनों धातुओ में निकाले गए थे .


पुष्ठा मुद्रा ------द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1939 में तोपों में व् युद्ध सामग्री के लिए काफी मात्र में चंडी और ताम्बे के सिक्कों को गलाया गया था .उन्हें ब्रिटेन ले जाने की वजह से छोटी मुद्राओ का संकट आ गया .इससे निजात पाने के लिए महारावल जवाहर सिंह 1914-48 के समय पुट्ठा मुद्रा का चलन जनता में किया गया ,जिसे जनता ने भी स्वीकार .यह मुद्रा स्वतंत्र भारत की नई मुद्रा आने तक प्रचाल;अन में रही .इस प्रकार भी संग्रहकर्ताओं का आकर्षण रियासत कालीन मोहम्मद शाही ,अखेशाही की तरफ अधिक रहता हें .इस प्रकार स्थानीय शासको द्वारा समय समय पर अपनी जनता की आवश्यकताओ की पूर्ति के लिए कई प्रतिबंधो के बावजूद भी अपनी रियासत की जनता के हित को सर्वोपरि मानते हुए स्वतंत्र मुद्रा अखेशाही के प्रकार से स्थानीय प्रजा को अपने शासको को पूर्ण अधिकार एवं स्वयं भू होने का तो विश्वास प्राप्त हुआ ही प्रतिदिन लें दें एवं व्यापर में भी आसानी हो गई .जैसलमेर के निवासी ब्रिटिश चांदी के कलदार या अन्य पडौसी राज्यों की चांदी की मुद्रा की अपेक्षा स्थानीय अखेशाही में ही लेनदेन को प्राथमिकता देते थे ,स्थानीय जनता की यह भावना अपने राज्य की स्वतंत्र मुद्रा में विशवास का प्रतिक थी ,स्वतंत्र भारत में जैसलमेर रियासत के विलय दिनांक तीस मार्च 1949 के पश्चात भी लोगों की पहली पसंद रही तथा आज भी जारी हें ,धन तेरस और दीवाली को आज भी जैसलमेर के लोग अखेशाही सिक्के या मुद्रा लेना प्राथमिकता से पसंद करते हें

बेटी को मारने के लिए पैरेंट्स ने दी डेढ़ लाख की सुपारी

चंडीगढ़/कोच्चि. पंजाब के होशियारपुर में पैरेंट्स ने अपनी बेटी को ही ठिकाने लगा दिया। नर्स मनप्रीत की हत्या उसके मां-बाप ने ही तीन लोगों के साथ मिलकर की थी। हत्या को दुर्घटना बनाने के लिए लाश को बीच सड़क पर फेंकवा दिया था। इसके लिए लड़की के पिता ने डेढ़ लाख रुपए भी दिए थे। शनिवार को इसका खुलासा करते हुए पुलिस ने मां बाप समेत चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं, एक हत्यारोपी फरार है। हत्या का कारण मनप्रीत का एक लड़के के साथ प्रेम संबंध बताया जा रहा है। गौरतलब है कि वीरवार तड़के माहिलपुर के निकट बघौड़ा चककटारु चौक के पास एक लड़की का शव बरामद किया गया था।
उधर, केरल में अपने सगे-संबंधियों द्वारा मासूम को अपनी हवस का शिकार बनने की एक और वारदात सामने आई है। एर्नाकुलम जिले में कुरुपडी के इस मामले में पिता पर आरोप है कि उसने अपनी छह साल की बेटी को पहले जबरन शराब पिलाई फिर उसके साथ कुकर्म किया।

पीडित लड़की की मां ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उसका पति इस मासूम के साथ पिछले छह महीने से कुकर्म कर रहा था। आरोपी 40 साल का यह शख्‍स अभी फरार है लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस का कहना है कि इस मामले में प्रोटेक्‍शन ऑफ चिल्‍ड्रन अगेंस्‍ट सेक्‍सुअल ऑफेंसेज एक्‍ट और आईपीसी की 328 के तहत केस दर्ज कर लिया गया है।
यह मामला तब सामने आया जब बच्‍ची के व्‍यवहार से जुड़ी कुछ समस्‍याएं सामने आने के बाद उसे पहले एक बाल रोग विशेषज्ञ और फिर एक मनोरोगियों का इलाज करने वाले के पास ले जाया गया।

पीएम बोले,मोदी कर रहे हैं लोगों को गुमराह

पीएम बोले,मोदी कर रहे हैं लोगों को गुमराह
अहमदाबाद। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रविवार को गुजरात सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी लोगों को गुमराह कर रहे हैं। वसंदा में एक रैली के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात में विकास कुछ ही लोगों के लिए है और बड़ा तबका इससे अछूता है। उन्होंने लोगों से उन नेताओं से मुक्ति पानी की अपील की जो
विभाजनकारी राजनीति करते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी तो हर नागरिक खुद को सुरक्षित महसूस करेगा। हम विपक्षी दलों की तरह लोगों के बीच भेदभाव नहीं करते। हम राज्य में एकता और विकास चाहते हैं। मनमोहन सिंह ने शिक्षा के क्षेत्र खराब रिकॉर्ड के लिए मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि गुजरात सरकार विकास के बीच बैलेंस नहीं बना पा रही है। गुजरात को तभी लाभ होगा जब वह केन्द्र की योजनाओं को लागू करेगा। केन्द्र की योजनाओं का लाभ हर व्यक्ति तक नहीं पहुंच रहा है।

वसंदा दक्षिण गुजरात में आता है। यहां 13 दिसंबर को होने वाले पहले चरण के दिन मतदान होगा। प्रधानमंत्री की यह रैली उस वक्त हुई है जब दो दिन पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राज्य का तूफानी दौरा किया था,जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर हमले बोला था। सोनिया ने सूरत जिले के मांडवी में एक चुनावी जनसभा में आरोप लगाया था कि मोदी सरकार विकास के लंबे लंबे वादे कर रही है,जो राज्य में कहीं भी नहीं दिखाई दे रहा है।

बीकानेर सुहागरात से पहले आ गई मौत....

सुहागरात से पहले आ गई मौत....
बीकानेर। इसे किसकी बदनसीबी कहें। उस लड़की की...जिसने अभी पति से चार मीठी बातें भी नहीं की थी और जिसकी मेहंदी का रंग अभी फीका भी नहीं पड़ा था या फिर उस पति की...जिसने बीवी का चेहरा भी ढंग से नहीं देखा था।

बस...इसे कुदरत का खेल ही कह सकते हैं कि किसी को सुहागरात से पहले मौत आ जाए। कुछ ऎसा ही हुआ बीकानेर के नथूसर गांव के पंकज सोनी के साथ,जो नई नेवेली दुल्हन के लिए शादी के बाद पहला गिफ्ट खरीदने बाजार गया था लेकिन फिर कभी नहीं लौटा। लौटी तो सिर्फ उसकी लाश।

पंकज की दो दिन पहले ही शादी हुई थी। उसकी बारात रतनगढ़ गई थी। पंकज के घर में खुशी का माहौल था। रिसेप्शन की तैयारियां चल रही थी। इस बीच पंकज की लाश घर पहुंची तो मातम छा गया। घर वालों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। पत्नी तो समझ ही नहीं पाई थी कि हो क्या रहा है,जब वह बदहवास सी भागती हुई आई तो देखा कि पति का शव पड़ा है। वह वहीं बेहोश हो गई। चारों ओर चीख-पुकार से ऎसा लग रहा था मानो पूरा मोहल्ला रो रहा हो।

शनिवार को पंकज अपनी पत्नी के लिए गिफ्ट लेने बाजार गया था। उसने मां और पत्नी को कहा था कि वह जल्द ही लौट आएगा लेकिन जब शाम तक नहीं लौटा तो घर वालों ने नयेसर थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने तुरंत पंकज की तलाश शुरू कर दी। रविवार सुबह पुलिस को गजनेर रेलवे ट्रेक पर एक शव पड़ा मिला। पहचान के लिए पंकज के घर वालों को बुलाया गया। घर वालों ने शव देखते ही उसकी पहचान पंकज के रूप में की। पुलिस ने पोस्टमार्टम कराकर शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया।

अभी यह पता नहीं चल पाया है कि पंकज ने आत्महत्या की है या उसकी हत्या हुई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। पंकज अपने घर में पिता के साथ सोने-चांदी की दुकान चलाता था। पंकज के एक भाई और दो बहनें है। पंकज इनमें से सबसे छोटा था।

7 विकेट से तीसरा टेस्ट हारा भारत

7 विकेट से तीसरा टेस्ट हारा भारत

कोलकाता। इंग्लैण्ड ने तीसरे टेस्ट में भी भारत को धूल चटा दी। कोलकाता में खेला गया तीसरा टेस्ट टीम इण्डिया सात विकेट से हार गई। इंग्लैण्ड को जीत के लिए 41 रन बनाने थे। उसने तीन विकेट खोकर यह लक्ष्य हासिल कर लिया।

4 टेस्ट की सीरीज में इंग्लैण्ड 2-1 से आगे हो गई है। अहमदाबाद में खेला गया पहला टेस्ट भारत ने 9 विकेट से जीता था। मुंबई में खेला गया दूसरा टेस्ट इंग्लैण्ड ने 10 विकेट से जीता था। सीरीज में बराबरी के लिए भारत को नागपुर में खेला जाने वाले टेस्ट हर हाल में जीतना होगा।

जीत के लिए 41 रन के टारगेट का पीछा करने उतरी इंग्लैण्ड की शुरूआत काफी खराब रही। कप्तान एलिस्टर कुक सिर्फ 2 के स्कोर पर चलते बने। अश्विन ने कुक को धोनी के हाथों कैच करवाया। कुक के आउट होने के कुछ देर बाद ही ट्रॉट भी चलने बने। प्रज्ञान ओझा ने ट्राट को अपना शिकार बनाया।

केवीन पीटरसन को भी अश्विन ने जल्द ही चलता कर दिया। पीटरसन बिना खाता खोले चलते बने। अश्विन ने पीटरसन को धोनी के हाथों कैच करवाया। इयान बेल 28 और क्राम्पटन 9 रन बनाकर नाबाद रहे। टीम इण्डिया ने दूसरी पारी में 247 रन बनाए थे।


अश्विन ने पारी की हार से बचाया

आठवें नंबर के बल्लेबाज रविचंद्रन अश्विन ने भारत को पारी की हार से बचा लिया। अश्विन 157 गेंद में 15 चौकों की मदद से 91 रन बनाकर नाबाद रहे। एक समय लग रहा था कि इंग्लैंड चौथे दिन ही जीत दर्ज करके सीरीज में 2-1 से बढ़त हासिल कर लेगा, लेकिन अश्विन ने उसके मंसूबों को पूरा नहीं होने दिया।

बचपन में कभी बल्लेबाज बनने का सपना देखने वाले दाएं हाथ के बल्लेबाज अश्विन ने अपनी रक्षात्मक तकनीक का बेजोड़ नमूना पेश किया। जिस इंग्लिश आक्रमण के सामने भारत के दिग्गज बल्लेबाज आयाराम गयाराम साबित हुए, अश्विन ने उनका डटकर सामना करके भारत का कुछ सम्मान बचाए रखा। अश्विन ने तब क्रीज पर कदम रखा, जबकि स्कोर छह विकेट पर 122 रन था। उन्होंने बीच इशांत शर्मा (10) के साथ नौवें विकेट के लिए 38 रन की साझेदारी की।

नेल्सन मंडेला अस्पताल में भर्ती

नेल्सन मंडेला अस्पताल में भर्ती

जोहांसबर्ग। दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला को नियमित जांच के लिए प्रिटोरिया के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है।


पूर्व राष्ट्रपति के प्रवक्ता मैक महाराज ने एक बयान में कहा कि मंडेला को नियमित जांच के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस तरह की जांच पहले भी कराई जाती रही है। मंडेला 18 जुलाई को 94 साल के हुए। रंगभेद के खिलाफ संघर्ष के दौरान मंडेला 27 साल तक जेल में रहे। वह 1994 में दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति चुने गए थे।

नास्त्रेदमस की 10 भविष्यवाणियां, जिन्होंने सच होकर मचा दी खलबली

21 दिसंबर को 2012 के महाप्रलय को लेकर लोगों का मानना है कि फ्रेंच भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस ने अपनी मशहूर किताब 'द प्रोफेसीज' में 2012 में घटने वाली घटनाओं के भविष्यवाणी पहले ही कर दी थी। इसके मुताबिक, धनु राशि का तीर एक स्याह हलचल की ओर इशारा कर रहा है, विनाश की शुरुआत से पहले तीन ग्रहण पड़ेंगे और तब सूरज और धरती पर तीव्र भूकंप आएंगे।


जैसे-जैसे 2012 के करीब पहुंचते जाएंगे, आपदाएं भी बढ़ने लगेंगी। सूरज पर भूकंप से विकिरण के तीव्र तूफान उठेंगे। यह धरती को इस तरह गर्मा देंगे कि ध्रुवों की बर्फ पिघलने लगेगी। जब ऐसा होगा तो धरती के ध्रुव भी बदल जाएंगे।


कुंभ राशि के युग की शुरुआत में आसमान से एक बड़ी आफत धरती पर आ टूटेगी। धरती का ज्यादातर हिस्सा प्रलयंकारी बाढ़ की चपेट में आ जाएगा। जान और माल की भारी क्षति होगी। हैरानी की बात ये है नास्त्रेदमस ने कुंभ राशि के जिस युग की शुरुआत की बात की है वो वक्त है 21 दिसंबर 2012 के बाद का


महान फ्रेंच भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस का जन्म 14 दिसंबर 1503 को फ्रांस के छोटे से गांव सेंट रेमी में हुआ था। उन्होंने अपनी जवानी के दिनों से भविष्यवाणियां करना शुरु कर दी थीं। एक घटना तो ऐसी थी कि जिससे पूरे यूरोप महाद्वीप में सनसनी फैल गई। एक बार वे अपने दोस्त के साथ इटली की सड़कों पर घूम रहे थे। तभी उन्होंने एक युवक को भीड़ में देखा। जब युवक पास आया तो उन्होंने उसे सिर झुकाकर अभिवादन किया। दोस्त ने हैरान होते हुए इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि यह व्यक्ति आगे चलकर पोप का आसन ग्रहण करेगा। यह आदमी फेलिस पेरेसी था, जो 1585 में पोप चुना गया। ।


1550 में नास्त्रेदमस ने अपना खुद का पंचाग भी निकालना शुरू कर दिया था, जिसमें ग्रहों की स्थिति, मौसम और फसलों के बारे में पूर्वानुमान होते थे। उनमें से ज्यादातर सच निकलते थे। उन्हें अपनी मौत का भी आभास हो गया था। यहां तक कि उन्होंने कहा था कि उनकी मौत के 225 साल बाद कुछ समाज विरोधी तत्व उनकी कब्र खोदने और अवशेषों को निकालने का प्रयास करेंगे, लेकिन उनकी तुरंत मौत हो जाएगी। वास्तव में ऐसा ही हुआ फ्रांसीसी क्रांति के बाद 1791 में तीन लोगों ने उनकी कब्र खोदनी चाही, लेकिन उनकी वहीं मौत हो गई।


अपनी मौत के समय तक की गई उनकी भविष्यवाणी सही साबित हुई। आज भी यह दावा किया जाता है कि नेपोलियन बोनापार्ट, एडोल्फ हिटलर, दोनों विश्वयुद्ध, हिरोशिमा-नागासाकी में एटमी हथियारों के विनाश की भविष्यवाणियां एकदम सटीक साबित हुई। यहां तक की अंतरिक्ष शटल चैलेंजर और 9/11 हमले की बात भी उन्होंने कई शताब्दियों पहले कर दी थीं। दुनिया के अंत को लेकर भी नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी क्या सच साबित होगी। इसका जवाब उन्हीं के कोड में लिखा है।




द ग्रेट फायर ऑफ लंदन

लंदन के पुडिंग लेन स्थित थॉमस फैरिनर की बेकरी में 2 सितंबर 1966 (in the year '66) को बहुत छोटी सी आग लगी थी. इस जरा सी आग ने तीन दिन में पूरे शहर जला कर राख कर दिया। शहर के मध्य भाग को भारी नुकसान पहुंचा। इसमें 13,200 घर, 87 चर्च, शहर के सरकारी इमारतों सहित 70 हजार घर जल गए और 80,000 लोग बेघर हो गए थे।






फ्रांसीसी क्रांति

फ्रांस में सामाजिक और राजनीतिक उथल-पुथल के लिए फ्रांसीसी क्रांति (1789-99) को याद किया जाता है। यह फ्रेंच और यूरोपियन इतिहास की सबसे बड़ी घटना थी। 1789 में फ्रांसीसी क्रांति की शुरुआत हुई. फ्रांस के लोग राजशाही से परेशान होकर सडकों पर उतर आए. भीड़ (enslaved populace) ने पेरिस शहर का पूरा नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया. उग्र लोगों ने बड़े लोगों (सामंतों और शासकों) के किले (prisons) में बंद कर दिया और उनके सिर कलम (headless idiots) कर दिए.




नेपोलियन का उदय

नास्त्रेदमस ने नेपोलियन की भविष्यवाणी एकदम सटीक की थी। उन्होंने एक आदमी का जिक्र करते हुए अपने कोड में PAU, NAY, LORON का जिक्र किया था। अगर इसके नाम को आगे-पीछे मिलाया जाए तो napoleon roy (नेपोलियन रोय) या नेपोलियन बोनापार्ट बनता है। यह फ्रांस का सबसे प्रसिद्ध राजा था। नास्त्रेदमस में तीसरी लाइन में (refuse entry to the Piuses) जो नाम लिया है वह पोप पियूस छठवां ( Popes Pius VI) और पियूस सातवां (Popes Pius VII) को उल्लेखित करता है। हैरत की बात थी कि दोनों ही नेपोलियन द्वारा बंदी बना लिए गए थे।




लुई पाश्चर

फ्रेंच केमिस्ट और माइक्रोबॉयोजॉलिस्ट लुई पाश्चर (Pasteur will be celebrated) का जन्म 1822 में 'डोल' में हुआ था। उन्होंने असमय होने वाली मौत के कारण और बीमारियों की रोकथाम के लिए शोध किए(lost thing is discovered, hidden for many centuries)। उन्होंने दुनिया में पहली बार एंथ्रेक्स और रैबीज बिमारियों के लिए टीका विकसित किए। उनका पूरा शोध कार्य रोगों के जीवाणु सिद्धांत पर आधारित था। उनकी पाश्चुरीकृत विधि से दूध और वाइन के खुले तौर पर इस्तेमाल पर रोक लग गई। उन्हें इतिहास के तीन सबसे बड़े माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट में से एक माना जाता है।




एडोल्फ हिटलर

यहां Beasts (बीस्ट) का मतलब जानवर से हैं। नास्त्रेदमस के बीस्ट की तुलना जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर से की जाती है। ऑस्ट्रिया में पैदा हुआ यह जर्मन नेता नेशनल सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी (नाजी) का प्रमुख था। वह 1933 से 1945 तक जर्मनी का चांसलर और 1934 से 1945 तक राष्ट्राध्यक्ष था। उसकी सेना ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान फ्रांस पर कब्जा कर लिया था। उसे यूरोप में फांसीवाद के उदय, द्वितीय विश्व युद्ध और लाखों मासूमों के नसंहार के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है।






द्वितीय विश्वयुद्ध


द्वितीय विश्वयुद्ध और एडोल्फ हिटलर के उदय के बारे नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी एकदम सटीक साबित हुई। 1939-1945 तक चले इस विश्वयुद्ध में दुनिया के बड़े देशों ने भाग लिया था। यह इतिहास का सबसे बड़ा युद्ध था, जिसमें दुनियाभर से 10 करोड़ सैनिको ने हिस्सा लिया था। विशेषज्ञों ने इसे 'प्रलय' का नाम दिया था। क्योंकि इसमें पांच से सात करोड़ लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी।



परमाणु बमबारी

जापान के हिरोशिमा और नागासाकी (within two cities) पर परमाणु हमले का उल्लेख नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी में मिलता है। अमेरिका द्वारा किए गए इस हमले के साथ ही द्वितीय विश्वयुद्ध का अंत हो गया और जापान ने घुटने टेक दिए। हिरोशिमा में 90 से एक लाख 66 हजार लोग और नागासाकी में 60 से 80 हजार लोग काल के गाल में समां गए थे। यह परमाणु हमले की पहली और आखिरी घटना है। जिसमें एक बार में ही कुल डेढ़ से ढाई लाख लोग मारे गए। (Crying to the great immortal God for relief).


अमेरिकी राष्ट्रपति और उसके भाई की मौत

जॉन एफ कैनेडी (great man) अमेरिका के 35वें राष्ट्रपति थे। उन्हें मौत की कई धमकी (petition) मिल चुकीं थीं.उन्हें पत्नी के सामने ही गोली मार दी गई (thunderbolt), जब वह टेक्सास की यात्रा पर थे। उसके ठीक पांच साल बाद 1968 में लॉस एंजिलिस में उसके भाई बॉबी कैनेडी की आधी रात को हत्या कर दी गई। इन दोनों घटनाओं से पूरी दुनिया स्तब्ध रह गई.(Conflict at Reims, London).

राजकुमारी डायना की मौत



1997 में पेरिस में कार दुर्घटना में ब्रिटेन की राजकुमारी डायना की मौत हो गई। उस समय उनके साथ ब्वॉयफ्रेंड डोडी फयाद भी मौजूद थे। उसके पिता का नाम मोहम्मद था(the surname of Prophet). मर्सडीज बेन्ज डब्ल्यू140 का ड्राइवर हेनरी पॉल था। इस हादसे में जिंदा बचा डोडी का बॉडीगार्ड ट्रेवर रीस जोंस का कहना था कि उनके पीछे मीडिया की गाड़ी थी। जिससे बचने के दौरान यह हादसा हो गया। इस घटना के लिए मीडिया पर पैपराजी पत्रकारिता का आरोप भी लगा था। 1999 में फ्रांसीसी न्यायिक जांच में खुलासा हुआ कि इस हादसे का जिम्मेदार हेनरी ड्राइवर था, जो कार पर से अपना नियंत्रण खो चुका था। उसने बहुत शराब पी रखी थी।



9/11 वर्ल्ड ट्रेंड सेंटर पर आंतकी हमला


यहां New City (न्यूयॉर्क) और center of the Earth (वर्ल्ड ट्रेड सेंटर) और Two great rocks (ट्विन टॉवर) का मतलब साल 2001 के 9/11 के हमले से जोड़ा गया है। नास्त्रेदमस के Arethusa को 'लादेन' से जोड़ा गया। इस घटना में अपहरणकर्ताओं ने दो प्लेन को हाइजैक कर ट्विन टॉवर में क्रैश करा दिया था। प्लेन में बैठे यात्री और इमारत में काम करने वाले लोग मारे गए। दोनों टॉवर सिर्फ दो घंटे के अंदर जमींदोज हो गए। प्लेन में बैठा कोई भी यात्री जिंदा न बच सका।

राजस्थान-गुजरात सीमा पर बनेंगी 52 चेक पोस्ट



गुजरात में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजस्थान व गुजरात की सीमा पर 52 स्थानों पर नाकाबंदी के लिए चेक पोस्टें लगेंगी। दोनों राज्यों की सीमा सील करने के लिए की जा रही इस कवायद में 19 चेक पोस्ट गुजरात सीमा में और 33 चेक पोस्ट स्थल राजस्थान की सीमा में चिह्नित किए गए हैं।

एडीजी (इंटेलीजेंस) दलपत सिंह दिनकर ने बताया कि शनिवार को जोधपुर में बीएसएफ सीमांत मुख्यालय के कॉन्फ्रेंस हॉल में सीमावर्ती राज्य गुजरात के साथ को-ऑर्डिनेशन मीटिंग आयोजित की गई।

राजस्थान के डीजीपी हरीश मीणा और गुजरात के डीजीपी चितरंजन सिंह की मौजूदगी में हुई बैठक में गुजरात में हो रहे चुनाव शांतिपूर्ण संपन्न करवाने के लिए दोनों राज्यों की पुलिस द्वारा संयुक्त चेकिंग कार्यवाही पर चर्चा की गई।

इसके लिए दोनों राज्यों की सीमा सील कर पुख्ता सुरक्षा बंदोबस्त करने पर विचार विमर्श किया। इस दौरान दोनों राज्यों की पुलिस अवैध शराब, हथियार, मानव तस्करी, नशीले पदार्थ की तस्करी की रोकथाम के साथ चुनावों को प्रभावित करने वाले संदिग्ध लोगों पर भी नजर रखेगी।

इन व्यवस्थाओं के लिए राजस्थान पुलिस की ओर से एडीजी सुरेश चौधरी को समन्वयक बनाया गया है। बैठक में एडीजी (रेलवे) सुरेश चौधरी, जोधपुर पुलिस कमिश्नर भूपेंद्र कुमार दक, जोधपुर रेंज आईजी डीसी जैन, उदयपुर रेंज आईजी टीसी डामोर के साथ गुजरात बॉर्डर रेंज के आईजी वीएम पारगी, गांधीनगर आईजी शमशेर सिंह, डीआईजी कानून-व्यवस्था राजू भार्गव, जोधपुर पुलिस के डीसीपी राहुल प्रकाश, एसीपी कुंवर राष्ट्रदीप व प्रीति जैन शामिल हुए।


ज्वाइंट पेट्रोलिंग पर सहमति

गुजरात व राजस्थान राज्य की पुलिस संयुक्त रूप से दोनों राज्यों में रहने वाले अभियुक्तों की धरपकड़ करने के साथ अपराधियों की संपूर्ण सूचनाओं का आदान प्रदान किया जाएगा। वाहन चोरी की बढ़ती वारदातों पर अंकुश लगाने व पूर्व में चोरी हो चुके वाहन जब्त होने की पूर्ण सूची दोनों राज्य एक-दूसरे को सौंपेंगे।

दोनों राज्यों के वांछित सक्रिय अपराधियों, फरार, उद्घोषित अपराधियों, स्थायी वारंटियों की सूची का आदान-प्रदान करेंगे। डीजीपी ने चुनावों के बाद भी ऐसा ही समन्वय बनाए रखकर अपराधियों के खिलाफ सामूहिक अभियान चलाकर कार्रवाई करने पर सहमति जताई।

शनिवार, 8 दिसंबर 2012

तीन दिन के अन्दर होगी आरोपियों की गिरफ्तारी


ए एस पी के आश्वासन के बाद उठाया लालू का शव 


तीन दिन के अन्दर होगी आरोपियों की गिरफ्तारी 

जटिया समाज ने निकाला मौन जूलूस 

बाड़मेर 8 दिसम्बर। 14 दिन गायब रहने के बाद मिले लालू के शव को ए एस पी नरेन्द्र सिंह मीणा के आश्वासन के बाद देर रात परिजनों द्वारा उठाया लिया गया। वहीं जटिया समाज के अध्यक्ष मोहनलाल गोसाईवाल, मजदूर नेता लक्ष्मण वडेरा, उदाराम, महामंत्री भेरूसिंह फुलवारिया, युवा प्रकोष्ठ अध्यक्ष ईश्वरचंद नवल, भोजाराम मंगल, पदम गोसाई सहित कई नेताओं के साथ जटिया समाज के हजारों लोगो ने मौन जूलूस निकालकर मुख्यमंत्री के नाम अतिरिक्त जिला कलक्टर अरूण पुरोहित व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नरेन्द्रसिंह मीणा व सहायक पुलिस अधीक्षक नाजिम अली को ज्ञापन सौंपकर कार्यवाही की मांग की। मामले की गंभीरता को देखतें हुए जटिया समाज के हनुमान मंदिर, कलेक्ट्रेट, अस्पताल परिसर, चौहटन रोड़ व शहर के मुख्य मार्गो पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया। 
ज्ञापन में बताया गया हैं कि पुलिस ने लालचंद के मामले को गंभीरता से नहीं लिया। तथा जांच करने में दिलचस्पी नही दिखाई। जिसकें चलतें शुक्रवार को लालू का शव क्षतविक्षत हालात में बालेरा की पहाड़ियों मे प्राप्त हुआ। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि लालचंद को क्रुरता पूर्वक मारा गया हैं तथा उसकें मौत हुए पांच से छः दिन हो चुके हैं। पुलिस ने अब तक लालचंद के हत्यारों को गिरफ्तार नही किया हैं। तथा पुलिस की निष्क्रयता व मुलजिमानों के प्रति नरम रवैये से सम्पूर्ण जटिया समाज में रोष व्याप्त हैं। 
शनिवार को जटिया समाज के हनुमान मंदिर में जटिया समाज के लोगो की बैठक हुई। बैठक में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नरेन्द्रसिंह मीणा, डिप्टी नाजिम अली, सदर कोतवाल लूणसिंह भाटी, शहर कोतवाल देवाराम चौधरी सहित भारी मात्रा में पुलिस दल पहुंचा। जहां समाज व पुलिस के मध्य समझाईश के कई दौर चलें। आखिरकार ए एस पी नरेन्द्रसिंह मीणा की समझाईश पर समाज के लोग लालू का शव उठाने के लिए तैयार हो गयें। ए एस पी ने तीन दिन के भीतर आरोपियों की गिरफ्तारी का आश्वासन देते हुए कहा कि जटिया समाज के साथ पूर्ण रूप से न्याय होगा, नही तों वो अपनी नौकरी छोड़ देगें। जटिया समाज के नेताओं ने ए एस पी के आश्वासन को मानते हुए कहा कि अगर तीन दिन के अन्दर आरोपियों की गिरफ्तारी नही होती हैं, तो समाज द्वारा उग्र आन्दोलन किया जायेगा। 
गौरतलब हैं कि लालू उर्फ लालचंद पुत्र हरजीराम जटिया निवासी बाड़मेर को मोडाराम देशान्तरी, वीरसिह राजपुरोहित निवासी बालेरा के यहां रंग रौगन के कार्य के लिए ले गया था। वहां से लालू लापता हो गया। जिसकी गुमशुदगी रिपोर्ट परिजनों ने सदर थानें में दर्ज करवायी थी। चौदह दिन बाद लालू का शव बालेरा की पहाड़ियों से क्षतविक्षत हालात में प्राप्त हुआ।