अमरीका ने उड़ाया मनमोहन का मजाक
वाशिंगटन। अमरीकी मीडिया ने एक बार फिर भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कोसा है। समाचार पत्र वाशिंगटन पोस्ट ने मनमोहन सिंह को भ्रष्ट सरकार का मुखिया बताते हुए उन्हें खामोश पीएम बताया है। वाशिंटन पोस्ट ने लिखा है कि कभी बेहद ईमानदार,विनम्र और बुद्धिजीवी प्रधानमंत्री की छवि अब फैसले न ले सकने वाले बेअसर नौकरशाह प्रधानमंत्री की रह गई है।
भारत को आधुनिकता और समृदि्ध की ओर ले जाने वाले मनमोहन सिंह सबसे खराब प्रधानमंत्री बनने की ओर अग्रसर हैं। आर्थिक सुधारों के जनक मनमोहन सिंह अमरीका के साथ मेल मिलाप बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं लेकिन वे भ्रष्टाचार में डूबी हुई सरकार के निष्प्रभावी नौकरशाह हैं। गौरतलब है कि इससे पहले टाइम मैगजीन ने मनमोहन सिंह को अंडरअचीवर करार दिया था।
माफी मांगने को लेकर असमंजस
समाचार पत्र ने प्रधानमंत्री कार्यालय को कुछ सवाल भेजे थे। इन पर प्रधानमंत्री से जवाब मांगे गए थे। प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा था कि मनमोहन सिंह बहुत व्यस्त हैं इसलिए संसद के मानसून सत्र के बाद ही जवाब दे पाएंगे। प्रधानमंत्री के जवाब आए बिना ही समाचार पत्र ने मनमोहन को कोसना शुरू कर दिया। इस पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने आपत्ति जताई। प्रधानमंत्री कार्यालय का दावा है कि वाशिंगटन पोस्ट ने माफी मांग ली है लेकिन समाचार पत्र का कहना है कि उसने कोई माफी नहीं मांगी है।
फोन को मनमोहन मोड में रखने का आदेश
मनमोहन सिंह के व्यक्तित्व में आई गिरावट देश की अर्थव्यवस्था में आई गिरावट के साथ आई है और देश के सुपरपॉवर बनने पर सवाल खड़े हो गए हैं। कोयला घोटाले में इस्तीफे की मांग को शायद मनमोहन झेल जाएं लेकिन इससे उनकी साख में आई गिरावट और साफ होती है। कभी मनमोहन सिंह का सबसे मजबूत पहलू रही ईमानदारी और अर्थशास्त्र का अनुभव उनकी सरकार की सबसे बड़ी नाकामी के ठीक विपरीत है। आर्थिक सुधार रूक गए हैं। रूपया लुढ़का है और आर्थिक विकास धीमा हुआ है और इस आरोप ने उनकी छवि को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है कि जब उनके मंत्री अपनी जेबें भर रहे थे उन्होंने नजर फेर रखी थी। वॉशिंगटन पोस्ट ने एक चुटकुले का जिक्र करते हुए कहा है कि बैठकों में लोगों को कहा जाता है कि वो अपने फोन को मनमोहन मोड में रखें।
वाशिंगटन। अमरीकी मीडिया ने एक बार फिर भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कोसा है। समाचार पत्र वाशिंगटन पोस्ट ने मनमोहन सिंह को भ्रष्ट सरकार का मुखिया बताते हुए उन्हें खामोश पीएम बताया है। वाशिंटन पोस्ट ने लिखा है कि कभी बेहद ईमानदार,विनम्र और बुद्धिजीवी प्रधानमंत्री की छवि अब फैसले न ले सकने वाले बेअसर नौकरशाह प्रधानमंत्री की रह गई है।
भारत को आधुनिकता और समृदि्ध की ओर ले जाने वाले मनमोहन सिंह सबसे खराब प्रधानमंत्री बनने की ओर अग्रसर हैं। आर्थिक सुधारों के जनक मनमोहन सिंह अमरीका के साथ मेल मिलाप बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं लेकिन वे भ्रष्टाचार में डूबी हुई सरकार के निष्प्रभावी नौकरशाह हैं। गौरतलब है कि इससे पहले टाइम मैगजीन ने मनमोहन सिंह को अंडरअचीवर करार दिया था।
माफी मांगने को लेकर असमंजस
समाचार पत्र ने प्रधानमंत्री कार्यालय को कुछ सवाल भेजे थे। इन पर प्रधानमंत्री से जवाब मांगे गए थे। प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा था कि मनमोहन सिंह बहुत व्यस्त हैं इसलिए संसद के मानसून सत्र के बाद ही जवाब दे पाएंगे। प्रधानमंत्री के जवाब आए बिना ही समाचार पत्र ने मनमोहन को कोसना शुरू कर दिया। इस पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने आपत्ति जताई। प्रधानमंत्री कार्यालय का दावा है कि वाशिंगटन पोस्ट ने माफी मांग ली है लेकिन समाचार पत्र का कहना है कि उसने कोई माफी नहीं मांगी है।
फोन को मनमोहन मोड में रखने का आदेश
मनमोहन सिंह के व्यक्तित्व में आई गिरावट देश की अर्थव्यवस्था में आई गिरावट के साथ आई है और देश के सुपरपॉवर बनने पर सवाल खड़े हो गए हैं। कोयला घोटाले में इस्तीफे की मांग को शायद मनमोहन झेल जाएं लेकिन इससे उनकी साख में आई गिरावट और साफ होती है। कभी मनमोहन सिंह का सबसे मजबूत पहलू रही ईमानदारी और अर्थशास्त्र का अनुभव उनकी सरकार की सबसे बड़ी नाकामी के ठीक विपरीत है। आर्थिक सुधार रूक गए हैं। रूपया लुढ़का है और आर्थिक विकास धीमा हुआ है और इस आरोप ने उनकी छवि को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है कि जब उनके मंत्री अपनी जेबें भर रहे थे उन्होंने नजर फेर रखी थी। वॉशिंगटन पोस्ट ने एक चुटकुले का जिक्र करते हुए कहा है कि बैठकों में लोगों को कहा जाता है कि वो अपने फोन को मनमोहन मोड में रखें।