पथरा गई आंखे
जैसलमेर। दो पड़ौसी मुल्को की सरहदो व दिलो के तारो को जोड़ने के लिए मुनाबाव-खोखरापार रेल सुविधा केंद्र सरकार ने भले ही शुरू कर दी हो, लेकिन सामरिक दृष्टि से देश के सीमान्त दो पड़ौसी जिलों जैसलमेर व बाड़मेर को रेल लाइन से जोड़ने के लिए सरकारी नजरें आज तक इनायत नहीं हो पाई हैं। आज भी दोनो जिलों के वाशिंदो की आंखे एक-दूसरे की सरहदो को जोड़ने के लिए सरकारी प्रयासो का इंतजार कर रही है।
आजादी के बाद 65 सालो मे जैसलमेर जिले के सौन्दर्यकरण के लिहाज से कई विकासात्मक परिवर्तन हुए, लेकिन यह दुर्भाग्य है कि जैसलमेर को उसके पड़ौसी जिले बाड़मेर से आपस मे रेल से जोड़ने के लिए आज तक कोई सरकारी कवायद नहीं हुई है। आवागमन के साधनो के विकास के साथ जैसलमेर में प्रदेश ही नहीं देश-विदेश से लोगो की आवक बढ़ी है, लेकिन बाड़मेर जिले के बाशिंदो को जैसलमेर आने व जैसलमेर से बाड़मेर जाने वाले लोगो को आज भी अपर्याप्त बसों व निजी वाहनो का सहारा लेना पड़ता है।
रिश्तो व व्यापार से जुड़े हैं तार
दोनो सरहदी जिलो जैसलमेर व बाड़मेर मे रहने वाले लोगो के बीच बेहद जुड़ाव है। दोनो जिलो मे रहने वाले बाशिंदे जहां रिश्तो की डोर से बंधे हैं, वहीं व्यापारिक लिहाज से भी दोनो जिलो के तार बंधे है। हर दिन सैकड़ो लोगो की आवाजाही एक-दूसरे जिलो मे होती रहती है। ऎसे मे रेल सेवा की सुविधा नहीं होना दोनो पड़ौसी जिलो के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। हालांकि दोनो जिलों से परस्पर रेल मार्ग से सरहदो को जोड़ने की मांगे पिछले कई सालों से उठ रही हैं, लेकिन न तो प्रशासनिक स्तर पर कोई सुनवाई हुई और न ही जनप्रतिनिधि आगे आए हैं। ऎसे मे वर्षो से दोनो जिलो की सरहदो के रेल मार्ग को आपस मे जुड़ने का इंतजार कर रहे लोगो की आंखे पथरा गई है।
यह है स्थिति
जैसलमेर रेलवे स्टेशन पर पांच जोड़े रेल गाडियो का संचालन हो रहा है। इनमे दो जोड़े जैसलमेर- बीकानेर मार्ग, दो जोड़े जैसलमेर-जोधपुर व एक जोड़ा जैसलमेर दिल्ली मार्ग पर संचालित हो रहे हैं। गौरतलब है कि जैसलमेर के एक और पड़ौसी जिले बीकानेर के बीच भी रेल सेवा करीब पांच साल पहले ही शुरू हुई है।
जैसलमेर। दो पड़ौसी मुल्को की सरहदो व दिलो के तारो को जोड़ने के लिए मुनाबाव-खोखरापार रेल सुविधा केंद्र सरकार ने भले ही शुरू कर दी हो, लेकिन सामरिक दृष्टि से देश के सीमान्त दो पड़ौसी जिलों जैसलमेर व बाड़मेर को रेल लाइन से जोड़ने के लिए सरकारी नजरें आज तक इनायत नहीं हो पाई हैं। आज भी दोनो जिलों के वाशिंदो की आंखे एक-दूसरे की सरहदो को जोड़ने के लिए सरकारी प्रयासो का इंतजार कर रही है।
आजादी के बाद 65 सालो मे जैसलमेर जिले के सौन्दर्यकरण के लिहाज से कई विकासात्मक परिवर्तन हुए, लेकिन यह दुर्भाग्य है कि जैसलमेर को उसके पड़ौसी जिले बाड़मेर से आपस मे रेल से जोड़ने के लिए आज तक कोई सरकारी कवायद नहीं हुई है। आवागमन के साधनो के विकास के साथ जैसलमेर में प्रदेश ही नहीं देश-विदेश से लोगो की आवक बढ़ी है, लेकिन बाड़मेर जिले के बाशिंदो को जैसलमेर आने व जैसलमेर से बाड़मेर जाने वाले लोगो को आज भी अपर्याप्त बसों व निजी वाहनो का सहारा लेना पड़ता है।
रिश्तो व व्यापार से जुड़े हैं तार
दोनो सरहदी जिलो जैसलमेर व बाड़मेर मे रहने वाले लोगो के बीच बेहद जुड़ाव है। दोनो जिलो मे रहने वाले बाशिंदे जहां रिश्तो की डोर से बंधे हैं, वहीं व्यापारिक लिहाज से भी दोनो जिलो के तार बंधे है। हर दिन सैकड़ो लोगो की आवाजाही एक-दूसरे जिलो मे होती रहती है। ऎसे मे रेल सेवा की सुविधा नहीं होना दोनो पड़ौसी जिलो के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। हालांकि दोनो जिलों से परस्पर रेल मार्ग से सरहदो को जोड़ने की मांगे पिछले कई सालों से उठ रही हैं, लेकिन न तो प्रशासनिक स्तर पर कोई सुनवाई हुई और न ही जनप्रतिनिधि आगे आए हैं। ऎसे मे वर्षो से दोनो जिलो की सरहदो के रेल मार्ग को आपस मे जुड़ने का इंतजार कर रहे लोगो की आंखे पथरा गई है।
यह है स्थिति
जैसलमेर रेलवे स्टेशन पर पांच जोड़े रेल गाडियो का संचालन हो रहा है। इनमे दो जोड़े जैसलमेर- बीकानेर मार्ग, दो जोड़े जैसलमेर-जोधपुर व एक जोड़ा जैसलमेर दिल्ली मार्ग पर संचालित हो रहे हैं। गौरतलब है कि जैसलमेर के एक और पड़ौसी जिले बीकानेर के बीच भी रेल सेवा करीब पांच साल पहले ही शुरू हुई है।