लंदन. अगर तुरंत कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले पांच सालों में 358 साल पुराना ताजमहल गिर जाएगा। जानकारों का कहना है कि अगर ताजमहल की सड़ती बुनियाद को दुरुस्त नहीं किया गया तो लाखों सैलानियों को अपनी तरफ खींचने वाली यह इमारत जल्द ही इतिहास का हिस्सा होगी।
भारत में ताजमहल को देखने सबसे ज़्यादा लोग आते हैं। हर साल करीब चालीस लाख लोग दुनिया के आश्चर्यों में शामिल इस इमारत को देखते हैं। लेकिन ताजमहल के ठीक पीछे बहने वाली नदी यमुना में लगातार बढ़ता प्रदूषण, उद्योग और जंगलों के कटने की वजह से ताजमहल के वजूद पर संकट खड़ा हो गया है। जानकारों का कहना है कि पिछले साल ही ताजमहल की चार मीनारों और गुंबद में दरारें देखी गई हैं। इसके साथ ही ताजमहल की बुनियाद भी लगातार कमजोर हो रही है। ताजमहल को मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में बनवाया था।
एक कैंपेन ग्रुप ताजमहल के वजूद पर खतरे का आकलन कर रहा है। इस समूह में इतिहासकार, पर्यावरणविद और राजनेता शामिल हैं। आगरा के सांसद रामशंकर कठेरिया के हवाले से ब्रिटिश अख़बार 'डेली मेल' ने कहा है कि अगर ताजमहल पर ध्यान नहीं दिया गया तो दो से पांच साल के भीतर ताजमहल भरभराकर गिर जाएगा। कठेरिया के मुताबिक, 'ताजमहल की मीनारों के गिरने का खतरा बढ़ता जा रहा है, क्योंकि इसकी बुनियाद लकड़ी की बनी हुई है और यह पानी की कमी के चलते सड़ रही है।'
कठेरिया ने आगे कहा, 'ताजमहल की बुनियाद पिछले तीन दशकों में किसी ने नहीं देखी है। अगर सब कुछ सही है तो वहां किसी को जाने क्यों नहीं दिया जा रहा है?' ताजमहल पर शोध कर चुके इतिहासकार राम नाथ ने कहा, 'ताजमहल यमुना नदी के बिल्कुल किनारे है, लेकिन इसकी जड़ों में पानी सूख चुका है।' रामनाथ ने कहा, 'इस बात का अनुमान इसके निर्माताओं ने कभी नहीं किया होगा। यमुना नदी ताजमहल के वास्तु का एक अहम हिस्सा है। अगर नदी के वजूद पर संकट आता है तो ताजमहल टिक नहीं सकता है।'
भारत में ताजमहल को देखने सबसे ज़्यादा लोग आते हैं। हर साल करीब चालीस लाख लोग दुनिया के आश्चर्यों में शामिल इस इमारत को देखते हैं। लेकिन ताजमहल के ठीक पीछे बहने वाली नदी यमुना में लगातार बढ़ता प्रदूषण, उद्योग और जंगलों के कटने की वजह से ताजमहल के वजूद पर संकट खड़ा हो गया है। जानकारों का कहना है कि पिछले साल ही ताजमहल की चार मीनारों और गुंबद में दरारें देखी गई हैं। इसके साथ ही ताजमहल की बुनियाद भी लगातार कमजोर हो रही है। ताजमहल को मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में बनवाया था।
एक कैंपेन ग्रुप ताजमहल के वजूद पर खतरे का आकलन कर रहा है। इस समूह में इतिहासकार, पर्यावरणविद और राजनेता शामिल हैं। आगरा के सांसद रामशंकर कठेरिया के हवाले से ब्रिटिश अख़बार 'डेली मेल' ने कहा है कि अगर ताजमहल पर ध्यान नहीं दिया गया तो दो से पांच साल के भीतर ताजमहल भरभराकर गिर जाएगा। कठेरिया के मुताबिक, 'ताजमहल की मीनारों के गिरने का खतरा बढ़ता जा रहा है, क्योंकि इसकी बुनियाद लकड़ी की बनी हुई है और यह पानी की कमी के चलते सड़ रही है।'
कठेरिया ने आगे कहा, 'ताजमहल की बुनियाद पिछले तीन दशकों में किसी ने नहीं देखी है। अगर सब कुछ सही है तो वहां किसी को जाने क्यों नहीं दिया जा रहा है?' ताजमहल पर शोध कर चुके इतिहासकार राम नाथ ने कहा, 'ताजमहल यमुना नदी के बिल्कुल किनारे है, लेकिन इसकी जड़ों में पानी सूख चुका है।' रामनाथ ने कहा, 'इस बात का अनुमान इसके निर्माताओं ने कभी नहीं किया होगा। यमुना नदी ताजमहल के वास्तु का एक अहम हिस्सा है। अगर नदी के वजूद पर संकट आता है तो ताजमहल टिक नहीं सकता है।'