शनिवार, 7 मई 2011

दरीखाना में महारावल को नजराना पेश


दरीखाना में महारावल को नजराना पेश



राजपरिवार के सदस्य व शहरवासियों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया


जैसलमेर  जैसलमेर पूर्व रियासत की परंपराअनुसार आखातीज का दरीखाना शुक्रवार को आयोजित किया गया। स्थानीय मंदिर पैलेस में आयोजित दरीखाने से एकबारगी राजा-महाराजाओं के राज की याद ताजा हो गई। दरीखाना में पूर्व महारावल बृजराजसिंह सिंहासन पर बैठे और उनके पास उनके कामगार पारंपरिक वेशभूषा में खड़े थे।

दरीखाना के अवसर पर सर्वप्रथम महारावल के ज्येष्ठ पुत्र युवराज कुमार चैतन्यराजसिंह ने नजर की और महारावल ने शगुन के तौर पर मुट्ठी भरकर ताजा फल, फूल व सुपारी भेंट की। इसी क्रम में राजकुमार डॉ. जितेन्द्रसिंह, राजकुमार दुष्यंतसिंह, राजकुमार केसरीसिंह, कुंवर दिलीपसिंह राजावत ने भी नजर पेश व शगुन के फल प्राप्त किए। उसके बाद नगर के प्रबुद्धजनों में नारायणदान रतनू, ग्वालदास गोयदानी, शिवनारायण गोयदानी, सवाईसिंह देवड़ा, साबिर अली, चंद्रशेखर श्रीपत, रामसिंह ओला, मूलसिंह, लक्ष्मीनारायण खत्री, कृपाशंकर भाटिया के अलावा हजूरी समाज, राजपूत समाज, देशांतरी समाज, भाटिया समाज, खत्री समाज व अन्य समाजों के मौजिज लोगों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया।

फोर्ट पैलेस म्यूजियम के वरिष्ठ प्रबंधक डॉ. रघुवीरसिंह भाटी ने बताया कि बैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को सतयुग व त्रेतायुग का शुभारंभ माना जाता है। इस दिन भगवान के तृतीय अवतार हयग्रीव छठे अवतार परशुराम व कातिका पुराण के अनुसार नर नारायण अवतारित हुए थे। मत्स्य व भविष्य पुराण के अनुसार इस दिन गंगा स्नान, परशुराम व विष्णु पूजा, जप, तप, दान व तर्पण करने से अक्षय पुण्य फल प्राप्त होता है। उन्होंने बताया कि मध्यकाल में इस शुभ दिन को अलग अलग कोटडिय़ों तथा स्थानीय निवासी जंगल में जाकर शगुन देखकर वर्षा की स्थिति का आंकलन किया करते थे। दुर्ग महलात में सर्वोतम विलास के डागले पर मौसम यंत्र लगा है जिसे आखातीज पर इस्तेमाल करके आने वाले सुकाल व अकाल की भविष्यवाणियां की जाती थी।

ग्रामीण अंचलों में ‘शारदा एक्ट’ कानून) की धजिजयां उड़ाते हुए सैकड़ों की तादाद में बाल विवाह


ग्रामीण अंचलों में ‘शारदा एक्ट’ कानून) की धजिजयां उड़ाते हुए सैकड़ों की तादाद में बाल विवाह
बाड़मेर: पाकिस्‍तान की सीमा से लगे राजस्‍थान के बाड़मेर जिले में गुरुवार रात को ग्रामीण अंचलों में ‘शारदा एक्ट’ (बाल विवाह को हतोत्‍साहित करने के लिए बनाया गया कानून) की धजिजयां उड़ाते हुए सैकड़ों की तादाद में बाल विवाह सम्पन्न हुए। जिला प्रशासन को इसकी सूचना होने के बावजूद वह इन बाल विवाहों को रोकने में नाकाम रहा। अब प्रशासन कानूनी कार्रवाई की बात कर रहा है। जिले के एक थाने में बाल विवाह रोकने के लिऐं 17 स़ह शिकायते प्रापत होने के बावजूद रक भी बाल विवाह नही रोका गया।गा्रमीणों नें आाखा तीज के एक दिन पहले गुरूवार की रात ही विवाह सम्पन्न कराऐ वही कई गांवों में शुक्रवार को भी बाल विवाह सम्पन्न हुऐ।आष्चर्य की बात हैं कि जिला प्रशासन तथा पुलिस विभाग के पास बाल विवाह की सूचनाऐं होने के बाद भी बाल विवाह नही रूक पाऐं।

सुत्रों के मुताबिक बाड़मेर जिले के एक दर्जन गांवों में वाल विवाह बेरोकटोक संपन्‍न हुए। सानावड़ा और बाटाडू गांवों में 12 बाल विवाह हुए। इन विवाहों में कई राजनीतिज्ञ भी शामिल हुए। जिन बच्‍चों/बच्चियों का विवाह हो रहा था, उनमें कई इतने कम उम्र के थे कि अपनी शादी के वक्‍त सो रहे थे। एक मासूम बालिका को तो थाली में बिठाकर परिजनों ने फेरे लगवाए। जिले में बाल विवाहों की कुरीति निरन्तर बढ़ रही है, लेकिन इस पर रोक लगाने के लिए प्रशासन की ओर से कोई सार्थक कदम नहीं उठाया जा रहा है।

शुक्रवार, 6 मई 2011

Photographers Direct | professional stock photography images | buy photo stock images

Photographers Direct | professional stock photography images | buy photo stock images

जातीय पंचायत का तुगलकी फरमान जातीय पंचो ने हुका पानी बंद कर दिया


जातीय पंचायत का तुगलकी फरमान जातीय पंचो ने हुका पानी बंद कर दिया


बाड़मेर  राजस्थान के बाड़मेर जिले के नौसर गाँव में समाज के पंचॉ ने दो परिवारों का हुक्का पानी बंद कर दिया है क्योकि इस परिवार वालो ने एक नाबालिग लड़की की शादी जाितय पंचो के कहने पर करने से इनकार कर दिया है १२ गांवो के पंचो ने यह भी फरमान सुना दिया कि अब  नाबालिग शांति को उठा कर ले जाएगे और उसकी शादी पिरजनो की मजी के खिलाफ रामाराम से करने पर उतारू है र्लिहाजा अब शांति ने  पंचॉ के खोफ  से  पढाई छोड़ दी है 
घर का चूल्हा तो रोज  जल रहा हें लेकिन जिन्दगी थमी थमी सी हें राजस्थान के बाड़मेर जिले के नोसर गाव में चेनाराम और उसके ससुराल  वालो के 12 गांवों के  जातीय पंचो ने हुका पानी बंद कर दिया है पीड़ित शांति  का पिता  चेनाराम  के अनुसार  अपनी बेटी शांति का रिश्ता दस साल पहले रामराम के साथ तय किया था लेकिन रामराम ने पाच साल पहले ही अपनी शादी किसी और जाती में कर दी तब मैंने  ने अपनी बेटी का रिश्ता तोड़ दिया था दो माह पहले रामराम की पत्नी की मोत हो गई तो रामराम और उसके परिवार वालो ने 12 गांवों के पंचो को 27 अप्रैल को इकठा किया और कहा कि मेरी सगाई शांति से हो रखी है और उसके पिता चेनराम अब शादी नहीं कर रहे है इस पंचो ने फरमान सुना दिया कि नाबालिग शांति कि शादी तो रामराम से ही होगी इस पर मैंने अपनी बेटी रिश्ता करने से पंचायत में मना कर दिया तो मेरे और मेरे ससुराल वालो का हुका पानी बंद कर दिया है अगर अब मुझे समाज में वापिस  आना है तो में अपनी दो बेटियों कि शादी पंच जहा  पर कहे वहा करू  और ढाई लाख का जुर्माना भी भरो
 चेनाराम  पीड़ित शांति  का पिता  नाबालिक शांति कि शादी तो रामराम से ही होगी इस पर मैंने अपनी बेटी रिश्ता करने से पंचायत में मना कर दिया तो मेरे और मेरे ससुराल वालो का हुका पानी बंद कर दिया है अगर अब मुझे समाज में वापिस  आना है तो में अपनी दो बेटियों कि शादी पंच जहा  पर कहे वहा करू  और ढाई लाख का जुर्माना भरी द्ध
अब चेनराम के परिवार वालो का हुका पानी बंद होने के बाद जिन्दगी थम सी गई हो शांति के भाई गणेश के अनुसार पंचो ने अब यह फरमान सुना दिया है कि हम शांति को उठा कर ले जाएगे जिसके खोफ से  शांति ने स्कूल छोड़ दी है अब हम खोफ में जी रहे है
इस पुरे मामले में बाड़मेर पुलिस ने मामला दर्ज कर जाच भी कर ली है बायतु  बायतु थानाधिकरीजयराम नेबतायाकि ;चेनराम ने रिपोट पेश की थी और मैंने इस पुरे मामले कि जाँच कीाजाँचमें यह बात सही साबित हुई  है कि चेनराम को समाज से बहिष्कृतकर कर दिया है लिहाजा हमने 19 पंचो के खिलाफ मामल दर्ज करलियाहैतथा उन्हें  तीन चार दिनों में गिरफ्तार कर लिए  जाएगे

आज की ताजा खबर.बाड़मेर


राजस्व अपील न्यायालय बाड़मेर स्थानांतरित
हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन ने विरोध जताया

बाड़मेर राजस्व विभाग के प्रमुख शासन सचिव ने 8 जुलाई 2007 को जारी आदेश निरस्त करते हुए जोधपुर स्थित राजस्व अपील अधिकारी के न्यायालय को तुरंत प्रभाव से बाड़मेर स्थानांतरित करने के आदेश दिए हैं। दूसरी ओर हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन ने सरकार के इस कदम पर विरोध प्रकट किया है। इसे लेकर गुरुवार को बैठक भी हुई।

एसोसिएशन के महासचिव हरीश पुरोहित ने बताया कि रणजीत जोशी की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह तय किया गया कि राजस्व अपील अधिकरण के बाड़मेर स्थानांतरण का विरोध करने से संबंधित ज्ञापन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को फैक्स व डाक के माध्यम से भेजा जाएगा। पुरोहित ने कहा कि 6 वर्ष पूर्व भी राजस्व अधिकरण को बाड़मेर स्थानांतरित करने के प्रयास किए गए थे, जिन्हें अधिवक्ताओं ने आंदोलन कर विफल कर दिया था। उन्होंने कहा कि इस बार भी सरकार के इस कदम का भारी विरोध किया जाएगा।


टांके में गिरने से मौत
बाड़मेर बायतु
नरसाली नाडी कोलू निवासी एक विवाहिता की गुरुवार को टांके में गिरने से मौत हो गई। 108 के ईएमटी खेमाराम व भियाराम के अनुसार जमना देवी (22) पत्नी मुकनाराम जाट की पानी से भरे टांके में गिरने से मौत हो गई। जानकारी के अनुसार घटना शाम करीब साढ़े पांच बजे की है। मृतका का शव अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरूकर दी है।

सड़क दुर्घटना में एक की मौत, दो घायल
 
बाड़मेर बायतु
  जेवनियाला रोड नया गांव में रात नौ बजे बाइक व टैंकर के बीच हुई भिडं़त में एक जने की मौत हो गई, वहीं दो जने घायल हो गए। 

108 के ईएमटी खेमाराम व भियाराम के अनुसार जेवनियाला रोड नया गांव में नेवला निवासी टीलाराम(25) पुत्र पदमाराम, नया गांव बायतू निवासी रमेश (22) पुत्र तुलछाराम व हीरा राम (22) पुत्र तुलछाराम रात नौ बजे बाइक पर सवार होकर विवाह समारोह में शरीक होने जा रहे थे। इस बीच टैंकर ने बाइक को टक्कर मार दी जिससे तीनों युवक घायल हो गए। इनमें से टीलाराम की हालत गंभीर होने पर उसे जोधपुर रेफर किया गया मगर बीच रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया। हादसे की जानकारी मिलने पर पुलिस मौके पर पहुुंच वाहनों को अपने कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है।
टैंकर-कार भिड़ंत में दो की मौत
बाड़मेर गुड़ामालानी  थाना क्षेत्र के डबोई गांव की सरहद स्थित नेशनल हाइवे पर गुरुवार दोपहर एक अनियंत्रित टैंकर की कार से भिड़ंत हो गई। टक्कर इतनी जोरदार थी कि कार के परखच्चे उड़ गए। दुर्घटना में कार में सवार दो जनों की मौत हो गई जबकि दो अन्य घायल हो गए। घायलों को प्राथमिक उपचार के बाद जोधपुर रेफर किया गया है। पुलिस के अनुसार राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 15 पर दोपहर 12 बजे कार बाड़मेर से अहमदाबाद की ओर जा रही थी। सामने से आ रहे अनियंत्रित टैंकर की डबोई गांव के पास कार से भिड़ंत हो गई। दुर्घटना में कार में सवार बटवा अहमदाबाद निवासी नेपाभाई पुत्र मालाभाई रबारी 55 की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं अहमदाबाद निवासी बहादुरसिंह पुत्र गुलाबसिंह 30 की गुड़ामालानी में प्राथमिक उपचार के बाद सांचौर ले जाते समय रास्ते में मौत हो गई। दुर्घटना में नेपाभाई पुत्र जीवनभाई व भीखाभाई पुत्र शोभाभाई घायल हो गए। दुर्घटना के बाद टैंकर चालक मौके से फरार हो गया। पुलिस ने दोनों शवों का पोस्टमार्टम करवा परिजन के सुपर्द कर दिए गए। पुलिस ने मामला दर्ज कर टैंकर चालक की तलाश प्रारंभ कर दी है। 

गुरुवार, 5 मई 2011

क्यों मनाई जाती हैं अक्षय तृतीया या आखा तीज









क्यों मनाई जाती हैं अक्षय तृतीया या आखा तीज

अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैंए उनका अक्षय फल मिलता ह इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता हैख्,वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती हैए किंतुवैशाख माह की तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गई है। भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती हैए सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ है। भगवान विष्णु ने नर.नारायणए हयग्रीव और परशुराम जी का अवतरण भी इसी तिथि को हुआ था।ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी इसी दिन हुआ था।इस दिन श्री बद्रीनाथ जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है और श्री लक्ष्मी नारायण के दर्शन किए जाते हैं। प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के कपाट भी इसी तिथि से ही पुनः खुलते हैं। वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी जी मन्दिर में भी केवल इसी दिन श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैंए अन्यथा वे पूरे वर्ष वस्त्रों से ढके रहते हैं। जीण्एमण् हिंगे के अनुसार तृतीया ४१ घटी २१ पल होती है तथा धर्म सिंधु एवं निर्णय सिंधु ग्रंथ के अनुसार अक्षय तृतीया ६ घटी से अधिक होना चाहिए। पद्म पुराण के अनुसा इस तृतीया को अपराह्न व्यापिनी मानना चाहिए। इसी दिनमहाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था और द्वापर युग का समापन भी इसी दिन हुआ था।ऐसी मान्यता है कि इस दिन से प्रारम्भ किए गए कार्य अथवा इस दिन को किए गए दान का कभी भी क्षय नहीं होता। मदनरत्न के अनुसाररू


महत्व


अक्षय तृतीया का सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन बिना कोई पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे विवाहए गृह.प्रवेशए वस्त्र.आभूषणों की खरीददारी या घरए भूखंडए वाहन आदि की खरीददारी से संबंधित कार्य किए जा सकते हैं। नवीन वस्त्रए आभूषण आदि धारण करने और नई संस्थाए समाज आदि की स्थापना या उदघाटन का कार्य श्रेष्ठ माना जाता है। पुराणों में लिखा है कि इस दिन पितृ पक्षख्पितरों,, को किया गया तर्पण तथा पिन्डदान अथवा किसी और प्रकार का दानए अक्षय फल प्रदान करता है। इस दिन गंगा स्नान करने से तथा भगवत पूजन से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। यहाँ तक कि इस दिन किया गया जपए तपए हवनए स्वाध्याय और दान भी अक्षय हो जाता है। यह तिथि यदि सोमवार तथा रोहिणी नक्षत्र के दिन आए तो इस दिन किए गए दानए जप.तप का फल बहुत अधिक बढ़ जाता हैं।इसके अतिरिक्त यदि यह तृतीया मध्याह्न से पहले शुरू होकर प्रदोष काल तक रहे तो बहुत ही श्रेष्ठ मानी जाती है। यह भी माना जाता है कि आज के दिन मनुष्य अपने या स्वजनों द्वारा किए गए जाने.अनजाने अपराधों की सच्चे मन से ईश्वर से क्षमा प्रार्थना करे तो भगवान उसके अपराधों को क्षमा कर देते हैं और उसे सदगुण प्रदान करते हैंए अतः आज के दिन अपने दुर्गुणों को भगवान के चरणों में सदा के लिए अर्पित कर उनसे सदगुणों का वरदान माँगने की परंपरा भी है।


धार्मिक परंपराएँ


अक्षय तृतीया के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर समुद्र या गंगा स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की शांत चित्त होकर विधि विधान से पूजा करने का प्रावधान है।नैवेद्य में जौ या गेहूँ का सत्तूए ककड़ी और चने की दाल अर्पित किया जाता है। तत्पश्चात फलए फूलए बरतनए तथा वस्त्र आदि दान करके ब्राह्मणों को दक्षिणा दी जाती है। ब्राह्मण को भोजन करवाना कल्याणकारी समझा जाता है। मान्यता है कि इस दिन सत्तू अवश्य खाना चाहिए तथा नए वस्त्र और आभूषण पहनने चाहिए। गौए भूमिए स्वर्ण पात्र इत्यादि का दान भी इस दिन किया जाता है। यह तिथि वसंत ऋतु के अंत और ग्रीष्म ऋतु का प्रारंभ का दिन भी है इसलिए अक्षय तृतीया के दिन जल से भरे घडेए कुल्हडए सकोरेए पंखेए खडाऊँए छाताए चावलए नमकए घीए खरबूजाए ककड़ीए चीनीए सागए इमलीए सत्तू आदि गरमी में लाभकारी वस्तुओं का दान पुण्यकारी माना गया है। इस दान के पीछे यह लोक विश्वास है कि इस दिन जिन.जिन वस्तुओं का दान किया जाएगाए वे समस्त वस्तुएँ स्वर्ग या अगले जन्म में प्राप्त होगी। इस दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा सफेद कमल अथवा सफेद गुलाब या पीले गुलाब से करना चाहिये।






अर्थात सभी महीनों की तृतीया में सफेद पुष्प से किया गया पूजन प्रशंसनीय माना गया है।


ऐसी भी मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर अपने अच्छे आचरण और सद्गुणों से दूसरों का आशीर्वाद लेना अक्षय रहता है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है। इस दिन किया गया आचरण और सत्कर्म अक्षय रहता है।


संस्कृति में


इस दिन से शादी.ब्याह करने की शुरुआत हो जाती है। बड़े.बुजुर्ग अपने पुत्र.पुत्रियों के लगन का मांगलिक कार्य आरंभ कर देते हैं। अनेक स्थानों पर छोटे बच्चे भी पूरी रीति.रिवाज के साथ अपने गुड्‌डा.गुड़िया का विवाह रचाते हैं। इस प्रकार गाँवों में बच्चे सामाजिक कार्य व्यवहारों को स्वयं सीखते व आत्मसात करते हैं। कई जगह तो परिवार के साथ.साथ पूरा का पूरा गाँव भी बच्चों के द्वारा रचे गए वैवाहिक कार्यक्रमों में सम्मिलित हो जाता है। इसलिए कहा जा सकता है कि अक्षय तृतीया सामाजिक व सांस्कृतिक शिक्षा का अनूठा त्यौहार है। कृषक समुदाय में इस दिन एकत्रित होकर आने वाले वर्ष के आगमनए कृषि पैदावार आदि के शगुन देखते हैं। ऐसा विश्वास है कि इस दिन जो सगुन कृषकों को मिलते हैंए वे शत.प्रतिशत सत्य होते हैं। राजपूत समुदाय में आने वाला वर्ष सुखमय होए इसलिए इस दिन शिकार पर जाने की परंपरा है।

बालविवाह की गाज कर्मचारियों पर गिरेगी



आखातीज पर बाल विवाह
 रोकथाम के पुख्ता प्रबन्ध
होगी जिम्मेदारी तय तथा कड़ी कार्यवाही
बाडमेर, 5 मई। जिले में अक्षय तृतीया अथवा आखातीज के मौके पर बाल विवाह की रोकथाम के लिए पुख्ता किए गए है। इस सामाजिक कुरीति के विरूद्ध समझाईश तथा कानूनी प्रावधानों के व्यापक प्रचार प्रसार पर जोर दिया गया है। साथ ही किसी क्षेत्र में बाल विवाह होने पर इस संबंधित क्षेत्र में कार्यरत सरकारी कार्मिकों की जिम्मेदारी तय कर उनके विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
          जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने बताया कि जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह को रोकने के लिए ग्राम स्तर पर कार्यरत ग्राम सेवक, अध्यापक, पटवारी, भू0अ0 निरीक्षक, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम, बीट कान्टेबलों की जिम्मेवारी रहेगी कि वे उनके क्षेत्र में उक्त पर्व पर आयोजित होने वाले बाल विवाह होने का अंदेशा होने पर तत्काल नजदीक के पुूलिस स्टेशन पर उक्त विवाह की सूचना उपलब्ध करावे ऐसा नहीं करने पर उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जावेगी।
          उन्होंने बताया कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के अन्तर्गत सभी उपखण्ड अधिकारियों को बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी बनाया गया है, जो बाल विवाह रोकने के संबंध में कोई शिकायत अथवा सूचना प्राप्त होने पर संबंधित दोषी व्यक्ति के विरूद्ध कार्यवाही करेंगे। उन्होंने बताया कि बाल विवाह को संज्ञेय अपराध मानकर संबंधित उपखण्ड मजिस्ट्रेट तथा पुलिस दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही करेंगी। उन्होंने समस्त उपखण्ड मजिस्ट्रेट्स को निर्देश दिए है कि वे अधिनियम की तहत कार्यवाही करें तथा अधिनस्थ तहसीलदार, थानाधिकारी को मौके पर भेजकर  बाल विवाह रोकने की कार्यवाही सुनिश्चित करें।
गोयल ने बताया कि अक्षय तृतीया के पर्व पर विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाहों के आयोजन की आशंका रहती है। उन्होने संबंधित अधिकारियों को अक्षय तृतीया के अवसर पर जिले के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में बाल विवाह को रोकने के लिए अभियान चलाया जाकर तहसील व गांव स्तर पर अधिकारियों एवं कर्मचारियों को दायित्व सौपने तथा घर-घर, गांव-गांव में बाल विवाह रोकने का सन्देश पहुंचाने तथा जन चेतना जागृत करने की कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए है ।
नियन्त्रण कक्ष
जिले में अक्षय तृतीया पर बाल विवाह की रोकथाम के लिए जिला कार्यालय के कांफ्रेन्स हॉल में नियन्त्रण कक्ष की स्थापना की गई है। नियन्त्रण कक्ष के टेलीफोन नम्बर 2982- 222226 एवं टोल फ्री - 1077 है।  नियन्त्रण कक्ष के ऑल ओवर इन्चार्ज अतिरिक्त जिला कलेक्टर अरूण कुमार पुरोहित होगे, जिनके टेलीफोन नम्बर कार्यालय 02982- 220007 तथा निवास 02982- 220008 है। जिला मजिस्टेªट ने जिले के उपखण्ड मजिस्टेªट्ों को बाल विवाह की रोकथाम हेतु अपने अधिनस्थ सभी तहसीलदारों, भू अभिलेख निरीक्षकों व पटवारियों को निर्देर्शित करने तथा उनके कार्यालय में नियन्त्रण कक्ष स्थापित कर 24 घण्टे कार्यशील रखने के निर्देश दिए है।

बुधवार, 4 मई 2011

समस्याओं के समाधान की राह ने दिया ग्रामीणों को दिली सुकूनजिला कलक्टर गिरिराजसिंह कुशवाहा ने


जिला कलक्टर की चाँधन में रात्रि चौपाल खूब जमी,

समस्याओं के समाधान की राह ने दिया ग्रामीणों को दिली सुकून
      जैसलमेर, 4 मई/जिला कलक्टर गिरिराजसिंह कुशवाहा की चाँधन गांव में रात्रि चौपाल खूब जमी और ग्राम्य समस्याओं का हाथों हाथ समाधान पाने के साथ ही ग्रामीणों को सरकार की विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के बारे में जानकारी पायी।

      जिला कलक्टर की चौपाल में ग्रामीणों ने क्षेत्र की समस्याओं के बारे में जिला कलक्टर से खुलकर चर्चा की। जिला कलक्टर ने सभी समस्याओं को तसल्ली से सुना और ठोस कार्यवाही तथा निस्तारण के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए और कई मामलों में त्वरित समाधान किया।

      रात्रि चौपाल में ग्रामीणों द्वारा चांधन से जेठा तक 4 किलोमीटर सड़क बनवाई जाने की मांग करने पर जिला कलक्टर ने सड़क निर्माण का आष्वासन दिया। ग्रामीणों द्वारा ग्राम चांधन में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं ट्रोमा सेन्टर बनाये जाने की मांग की गई जिस पर तहसीलदार, जैसलमेर को केन्द्र हेतु भूमि आरक्षित करने के निर्देष दिये गये।

      ग्राम सोजिया के ग्रामीणों द्वारा पानी की समस्या के समाधान की मांग करने पर अधीक्षण अभियन्ता, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग को समाधान करने के निर्देष दिये गये। ग्राम सूजिया के श्री अलारख विकलांग होने के कारण आर्थिक सहायता एवं बी.पी.एल. में नाम जुड़वाये जाने की मांग की गई जिस पर बीपीएल में नाम जुड़वाने हेतु नियमानुसार प्रक्रिया पूरी करने के निर्देष दिये गये।

      गांव चांधन में कृषि जिन्स के लिये गोदाम निर्माण के लिये नाबार्ड योजना में लाभान्वित करने के निर्देष दिये गये। ग्रामीणों की मांग पर हायर सैकण्डरी परीक्षा केन्द्र बनाये जाने के सम्बन्ध में पूर्ण रिपोर्ट भिजवाने हेतु जिला षिक्षा अधिकारी, माध्यमिक को निर्देष दिये गये।

      करमों की ढाणी से चांधन तक सड़क मरम्मत की मांग किये जाने पर अधीक्षण अभियन्ता, सा.नि.वि. को आवष्यक कार्यवाही करने के निर्देष दिये गये। यह भी निर्देष दिये गये कि 1996 से यह सड़क क्यों नहीं बनी इसकी सूचना भेजी जाये।

      चांधन गांव में मास्टर प्लान बनाये की मांग किये जाने पर ग्रामसेवक को विकास अधिकारी से चर्चा कर मास्टर प्लान बनाकर प्रस्तुत करने के निर्देष दिये गये। ग्रामीणों द्वारा नरेगा कार्यों में कच्चे काम की जगह पक्के काम लेने की मांग की गई।

      ग्रामीणों द्वारा मांग की गई कि चांधन में अनुसूचित जाति बस्ती में पीने के पानी की पाईप लाईन गटर पाईप लाईन से जुड़ गई है जिसे अलग करवाई जाए। इस पर अधीक्षण अभियन्ता, जन स्वा. अभि. विभाग को पाईप लाईन दुरूस्त करने के निर्देष दिये गये।

      ग्रामीणों द्वारा मांग की गई कि गांव में निवास कर रहे जोगी, ग्वारिया व भील बस्ती में पाईप लाईन डाली हुई है लेकिन कनेक्षन नहीं दिये गये हं। इस पर अधीक्षण अभियन्ता, जन स्वा. अभि. वि. को को आवष्यक कार्यवाही करने के निर्देष दिये गये।

      ग्रामीणों द्वारा चांधन नदी पर बांध बनाने का आग्रह किया गया जिस पर भू जल विभाग को चांधन नदी में नलकूपों से रिचार्ज के प्रस्ताव बनाने के निर्देष दिये गये। ग्रामीणों द्वारा शमषानघाट के लिये जमीन आरक्षित करने का भी आग्रह किया गया। ग्रामीणों द्वारा सूचना के अधिकार के तहत सभी विभागों के आगे सूचना के अधिकार के प्रभारियों की सूचना के बोर्ड लगाये जाने की मांग किये जाने पर सभी विभागों को ये सूचना बोर्ड पर लगाये जाने के निर्देष दिये गये।

      ग्रामीणों द्वारा शराब की दुकान 8 बजे के बाद खुली रहने की षिकायत की गई। ग्रामीणों द्वारा डेयरी दूध की रेट बढ़ाने की भी मांग की गई। ग्रामीणों द्वारा चांधन में बुलशेड की स्थापना किये जाने की मांग की गई जिस पर प्रभारी, भू जल वैज्ञानिक को चांधन प्रभारी से चर्चा कर प्रस्ताव भिजवाने के निर्देष दिये।

      ग्रामीणों द्वारा मांग की गई कि मलूकों की ढाणी में राजीव गांधी पाठषाला बंद कर दी गई है जिसे चालू करवाया जाए। इस पर जिला षिक्षा अधिकारी, प्रारम्भिक को आवष्यक कार्यवाही करने के निर्देष दिये गये।

      राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, सगरा का निरीक्षण करने पर प्रधानाध्यापक राचूराम ने बताया कि विद्यालय में 106 छात्र/छात्राएं नामांकित हैं तथा कुल 4 अध्यापक कार्यरत हैं।

      ग्रामीणों द्वारा मांग की गई कि सगरा गांव में मानव रहित रेल्वे फाटक बना हुआ था जिसे बंद कर दिया गया है जिससे ग्रामीणों को आने-जाने में परेषानी हो रही है तथा जो पुल बन रहा है वह छोटा है जिसे बड़ा बनाये जाने की मांग की गई। ग्रामीणों द्वारा मांग की गई कि गांव के बीचों-बीच से पानी की पाईप लाईन जा रही है जिससे एक सार्वजनिक नल गांव में लगाया जाये।

---000---

जिला कलक्टर ने किया ग्राम्यांचलों का निरीक्षण

जैसलमेर, 4 मई/जिला कलक्टर गिरिराजसिंह कुशवाहा ने बुधवार को जैसलमेर जिले के विभिन्न गांवों का दौरा किया और ग्रामीण विकास तथा परिवेशीय हालातों की जमीनी हकीकत जानी।

जिला कलक्टर ने राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, सांवला का निरीक्षण किया। वहां प्रधानाध्यापक सवाईसिंह ने अवगत करवाया कि विद्यालय में 58 छात्र/छात्रांएं नामांकित हैं तथा कुल 5 अध्यापक कार्यरत हैं।

बालिका उच्च प्राथमिक सांवला के निरीक्षण के समय प्रधानाध्यापिका श्रीमती तरूणा चौहान द्वारा अवगत करवाया गया कि विद्यालय में 50 छात्राएं नामांकित हैं तथा कुल 4 अध्यापिकाएं कार्यरत हैं जिनमें से 2 अध्यापिकाएं श्रीमती शारदा पुरोहित चांधन में एवं श्रीमती कौषल्या भार्गव खुमानसर विद्यालय में प्रतिनियुक्ति पर है। इस पर जिला कलक्टर ने प्रतिनियुक्ति के बारे में वस्तुस्थिति की जानकारी देने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए।

निरीक्षण के दौरान सांवला ग्राम के बीचों-बीच सीमेन्ट की पानी के गिरे हुए ओवर हेड टेंक को वहां से हटाकर गांव से बाहर डलवाये जाने के निर्देश दिए गए।

---000---

जैसलमेर की चित्रकला










जैसलमेर की चित्रकला 

चित्रकला
 की दृष्टि से जैसलमेर का विशिष्ट स्थान है। भारत के पश्चिम थार मरुस्थल क्षेत्र में विस्तृत इस नगर में दूर तक मरु के टीलों का विस्तार है, वहीं कला संसार का ख़ज़ाना भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं है। प्राचीन काल से ही व्यापारिक स्वर्णिम मार्ग के केन्द्र में होने के कारण जैसलमेर ऐश्वर्य, धर्म एवं सांस्कृतिक अवदान के लिए प्रसिद्ध रहा है।चित्रकला की दृष्टि से जैसलमेर का विशिष्ट स्थान रहा है। भारत के पश्चिम थार मरुस्थल क्षेत्र में विस्तृत यह राज्य यहाँ दूर तक मरु के टीलों का विस्तार है, वहीं कला संसार का खजाना भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। प्राचीन काल से ही व्यापारिक स्वर्णिम मार्ग के केन्द्र में होने के कारण जैसलमेर ऐश्वर्य, धर्म एवं सांस्कृतिक अवदान के लिए प्रसिद्ध रहा है। जैसलमेर में स्थित सोनार किला, चिन्तामणि पार्श्वनाथ जैन मंदिर (१४०२-१४१६ ई.), सम्भवनाथ जैन मंदिर (१४३६-१४४० ई.), शांतिनाथ कुन्थनाथ जैन मंदिर (१४८० ई.), चन्द्रप्रभु जैन मंदिर तथा अनेक वैषण्व मंदिर धर्म के साथ-साथ कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। १८वीं-१९वीं शताब्दी में बनी जैसलमेर की प्रसिद्ध हवेलियाँ तो स्थापत्य कला की बेजोड़ मिसाल है। इन हवेलियों में बने भित्ति चित्र काफी सुंदर हैं। सालिम सिंह मेहता की हवेली, पटवों की हवेली, नथमल की हवेली तथा किले के प्रासाद और बादल महल आदि ने जैसलमेर की कलात्मदाय को आज संसार भर में प्रसिद्ध कर दिया है। जैसलमेर में स्थित सोनार क़िला, चिन्तामणि पार्श्वनाथ जैन मंदिर (1402-1416 ई.), सम्भवनाथ जैन मंदिर (1436-1440 ई.), शांतिनाथ कुन्थनाथ जैन मंदिर (1480 ई.), चन्द्रप्रभु जैन मंदिर तथा अनेक वैष्णव मंदिर धर्म के साथ-साथ कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। 18वीं-19वीं शताब्दी में बनी जैसलमेर की प्रसिद्ध हवेलियाँ तो स्थापत्य कला की बेजोड़ मिसाल है। इन हवेलियों में बने भित्ति चित्र काफ़ी सुंदर हैं। सालिम सिंह मेहता की हवेली, पटवों की हवेली, नथमल की हवेली तथा क़िले के प्रासाद और बादल महल आदि ने जैसलमेर की कलात्मकता को आज संसार भर में प्रसिद्ध कर दिया है। जैसलमेर में चित्रकला के निर्माण, सचित्र ग्रंथों की नकल एवं प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथों के संरक्षण के लिए जितना योगदान रहा है, उतना किसी अन्य स्थान का नही। जब आक्रमणकारी भारतीय स्थापत्य कला एवं पांडुलिपियों को नष्ट कर रहे थे, उस समय भारत के सुदूर मरुस्थली पश्चिमांचल में जैसलमेर का त्रिकुटाकार दुर्ग उनकी रक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण स्थान समझा गया। इसलिए संभात, पारण, गुजरात, अलध्यापुर एवं राजस्थान के अन्य भागों से प्राचीन साहित्य, कला की सामग्री को क़िले के जैन मंदिरों के तलघरों में सुरक्षित रखा गया।