दरीखाना में महारावल को नजराना पेश
राजपरिवार के सदस्य व शहरवासियों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया
जैसलमेर जैसलमेर पूर्व रियासत की परंपराअनुसार आखातीज का दरीखाना शुक्रवार को आयोजित किया गया। स्थानीय मंदिर पैलेस में आयोजित दरीखाने से एकबारगी राजा-महाराजाओं के राज की याद ताजा हो गई। दरीखाना में पूर्व महारावल बृजराजसिंह सिंहासन पर बैठे और उनके पास उनके कामगार पारंपरिक वेशभूषा में खड़े थे।
दरीखाना के अवसर पर सर्वप्रथम महारावल के ज्येष्ठ पुत्र युवराज कुमार चैतन्यराजसिंह ने नजर की और महारावल ने शगुन के तौर पर मुट्ठी भरकर ताजा फल, फूल व सुपारी भेंट की। इसी क्रम में राजकुमार डॉ. जितेन्द्रसिंह, राजकुमार दुष्यंतसिंह, राजकुमार केसरीसिंह, कुंवर दिलीपसिंह राजावत ने भी नजर पेश व शगुन के फल प्राप्त किए। उसके बाद नगर के प्रबुद्धजनों में नारायणदान रतनू, ग्वालदास गोयदानी, शिवनारायण गोयदानी, सवाईसिंह देवड़ा, साबिर अली, चंद्रशेखर श्रीपत, रामसिंह ओला, मूलसिंह, लक्ष्मीनारायण खत्री, कृपाशंकर भाटिया के अलावा हजूरी समाज, राजपूत समाज, देशांतरी समाज, भाटिया समाज, खत्री समाज व अन्य समाजों के मौजिज लोगों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया।
फोर्ट पैलेस म्यूजियम के वरिष्ठ प्रबंधक डॉ. रघुवीरसिंह भाटी ने बताया कि बैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को सतयुग व त्रेतायुग का शुभारंभ माना जाता है। इस दिन भगवान के तृतीय अवतार हयग्रीव छठे अवतार परशुराम व कातिका पुराण के अनुसार नर नारायण अवतारित हुए थे। मत्स्य व भविष्य पुराण के अनुसार इस दिन गंगा स्नान, परशुराम व विष्णु पूजा, जप, तप, दान व तर्पण करने से अक्षय पुण्य फल प्राप्त होता है। उन्होंने बताया कि मध्यकाल में इस शुभ दिन को अलग अलग कोटडिय़ों तथा स्थानीय निवासी जंगल में जाकर शगुन देखकर वर्षा की स्थिति का आंकलन किया करते थे। दुर्ग महलात में सर्वोतम विलास के डागले पर मौसम यंत्र लगा है जिसे आखातीज पर इस्तेमाल करके आने वाले सुकाल व अकाल की भविष्यवाणियां की जाती थी।
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