सोमवार, 17 दिसंबर 2018

ब्वॉय फ्रेंड को पायलट बनवाने के लिए लड़की ने अपने घर से उड़ाए एक करोड़

ब्वॉय फ्रेंड को पायलट बनवाने के लिए लड़की ने अपने घर से उड़ाए एक करोड़

अहमदाबाद: इश्क के चक्कर में एक लड़की ने अपने ही घर में एक करोड़ की चोरी कर डाली. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है. वह गुजरात के राजकोट की रहने वाली है.

20 साल की यह लड़की एक लड़के के साथ रिलेशनशिप में थी. वह चाहती थी कि उसका ब्यॉय फ्रेंड पायलट बने. लेकिन उसके पास पैसे नहीं थे. इसलिए ट्रेनिंग कोर्स में दाखिले के लिए उसने एक करोड़ रुपये का इंतजाम किया. लेकिन ये पैसे उसने अपने ही घर से चुरा लिए थे.

लड़की के पिता जब घर लौटे, तो अस्त-व्यस्त घर देखकर उन्हें चोरी का शक हुआ. उन्होंने पुलिस को सूचना दे दी. इसके बाद पुलिस की पूछताछ में कुछ पता नहीं चला. लेकिन जब मां ने पूरा हाल पूछा, तो पता चल गया कि चोरी उसकी बेटी ने ही की है.


मां चाहती है कि उसका केस वापस ले लिया जाए. हालांकि, पुलिस ने मामला दर्ज कर लड़की को गिरफ्तार कर लिया. उसका ब्यॉय फ्रेंड भी गिरफ्तार कर लिया गया है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक लड़की ने तीन किलो सोना घर से ले लिए थे. इसके अलावा दो किलो चांदी और कुछ नकदी बटोर लिए थे.

पुलिस को इस मामले की तह तक पहुंचने में 17 दिन का समय लग गया. राजकोट के भक्तिनगर पुलिस थाने में मामला दर्ज है.

RAS MAINS EXAM 2018 : तारीख बढ़ी, अब 28 और 29 जनवरी को होगी परीक्षा

RAS MAINS EXAM 2018 : तारीख बढ़ी, अब 28 और 29 जनवरी को होगी परीक्षा


अजमेर. आरएएस 2018 की मुख्य परीक्षा की तारीख को आखिर कार आगे बढ़ा दिया गया है. अब यह परीक्षा 28 और 29 जनवरी 2019 में होगी. पहले यह परीक्ष 22 और 23 दिसंबर को होने थे. लेकिन आरएएस प्री में पास अभ्यर्थियों की मांग के बाद आयोग ने यह फैसला लिया है.

गौरतलब है कि आरएएस मुख्य परीक्षा 2018 की तिथि को लेकर राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) ने उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया था. आपको बता दें कि हाईकोर्ट ने पिछले दिनों आयोग को ऐसे अभ्यर्थियों को परीक्षा में शामिल करने के आदेश दिए हैं. इसके बाद आयोग ने पूर्व में घोषित प्रारम्भिक परीक्षा परिणाम के क्रम में विस्तारित परिणाम जारी किया गया. इसमें ओबीसी और एमबीसी श्रेणी के 7145 अभ्यर्थियों को अस्थायी रूप से सफल घोषित किया गया. इन अभ्यर्थियों ने तैयारी का समय कम बताते हुए आयोग से मुख्य परीक्षा की तिथि आगे बढ़ाने की मांग की थी.

क्या था मामला
RAS Pre - 2018 परीक्षा का आयोजन 5 अगस्त को हुआ, जिसका परिणाम 23 अक्टूबर को घोषित किया गया. सामान्य वर्ग की कटऑफ 76.06 और अन्य पिछड़ा वर्ग की कटऑफ 99.33 गई. इसमें 15 हजार 44 अभ्यर्थियों को क्वालिफाई किया. हाईकोर्ट ने 1 दिसम्बर को ओबीसी अभ्यर्थियों को राहत देते हुए उन्हें भी मुख्य परीक्षा में शामिल करने के निर्देश दिए. इसके बाद आरपीएससी ने 13 दिसम्बर को आरएएस-प्री का विस्तारित परिणाम जारी किया. इसमें 7 हजार 145 नए अभ्यर्थियों को आरएएस मुख्य परीक्षा के लिए पात्र माना. मुख्य परीक्षा में चयन के बावजूद परीक्षा की तैयारी के लिए अब मात्र नौ दिन का ही समय बचा था. लेकिन अब आयोग के फैसले के बाद अभ्यर्थियो को अच्छा समय मिल जाएगा.

वसुंधरा राजे शहीद किशन सिंह के घर पहुंची...दरी पट्टी पर बैठी...कहा जो शहीद के परिवार को मिलना चाहिए वो दिलवाएंगे

वसुंधरा राजे शहीद किशन सिंह के घर पहुंची...दरी पट्टी पर बैठी...कहा जो शहीद के परिवार को मिलना चाहिए वो दिलवाएंगे
vasundhara raje in churu


चूरू. जिले की रतनगढ़ तहसील के गांव भींचरी में आज पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पहुंची. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भींचरी गांव के शहीद किशन सिंह के घर पहुंचकर शहीद के तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की.




पूर्व मुख्यमंत्री ने शहीद किशन सिंह के परिवार से मुलाकात की और परिवार को ढांढस बंधाया. पूर्व मुख्यमंत्री ने शहीद की माता मोहन कंवर से और पत्नी संतोष कंवर से भी मुलाकात की. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मोहन कंवर ने एक ऐसे सपूत को जन्म दिया जिसनें तीन आतंकवादियों को ढेर कर दिया. तीन आतंकवादियों को ढेर करने के बाद किशन सिंह ने देश की सुरक्षा के लिए शहादत दी है.



इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा शहीद के परिवार को जो भी सुविधाएं मिलनी है. उसे शीघ्र दिलवाने का पूरा प्रयास करेंगी. तथा शहीद की पत्नी संतोष कंवर की शैक्षणिक योग्यता के अनुसार उसे सरकारी नौकरी दिलवाने का भी प्रयास करेंगी. शहीद किशन सिंह का आज ही उनके पैतृक गांव भींचरी में अंतिम संस्कार हुआ है. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ भाजपा विधायक राजेंद्र राठौड़ और अभिनेश महर्षी मौजूद रहे.

गहलोत के मंत्रिमंडल में मारवाड़ के जाट, राजपूत, विश्नोई, ओबीसी के इन विधायकों को मिल सकती है जगह

गहलोत के मंत्रिमंडल में मारवाड़ के जाट, राजपूत, विश्नोई, ओबीसी के इन विधायकों को मिल सकती है जगह


जोधपुर. अशोक गहलोत ने तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ सोमवार को ले ली. इसके बाद प्रदेश में बनने वाली मंत्री परिषद के सदस्यों के संभावित नामों पर कवायद शुरू हो गई है. खासकर मारवाड़ के तीन जिलों में इस बार तीन से चार विधायकों को मंत्री बनने उम्मीद जगी है.

इसकी वजह है जोधपुर, बाडमेर व जैसलमेर में जिले की 19 सीटों में 15 सीटें कांग्रेस को मिलना. इनमें जोधपुर जिले में 7, बाडमेर में 6 व जैसलमेर में दो सीटें शामिल है. इनमें खास तौर से जाट, राजपूत, विश्नोई, ओबीसी के साथ साथ महिला वर्ग व अनुसूचित जाति को साधने का प्रयास होगा.


इसके अलावा लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर भी मंत्री परिषद के चेहरे तय होंगे जिसके चलते पार्टी को फायदा हो. तमाम बड़ी जातियां के साथ-साथ बाडमेर से लगातार दूसरी बार जीतने वाले मेवाराम जैन भी इस बार मंत्री की रेस में है. वे मोदी लहर में भी नहीं हारे थे.


2 अल्पसंख्य चेहरे, अमीन खां मजबूत 
मारवाड़ में दो अल्पसंख्य  विधायक चुनकर पहुंचे है. इनमें बाडमेर की शिव सीट से पूर्व मंत्री अमीन खां और पोकरण में ध्रुवीकरण को धत्ता बता जीत दर्ज करने वाले सालेह मोहम्म्द भी है. लेकिन बडा कद अमीन खां का होने से वे मजबूत दावेदार है.


3 जाट, आगे हेमाराम
जोधपुर, बाड़मेर से तीन जाट विधायक बने है. इनमें गुढामलानी से हेमाराम चौधरी, बायतू से हरीश चौधरी व ओसियां से दिव्या मदेरणा शामिल है. लेकिन बाडमेर जिले से ही गुढामलानी से जीते हेमाराम चौधरी पहले मंत्री रहे हैं वे सरल जाट नेता हैं और गहलोत गुट के होने से मजबूत दावेदार हैं. दिव्या की लॉटरी उस स्थिति में लग सकती है जब मंत्री परिषद में लोकसभा क्षेत्र के हिसाब से प्रतिनिधित्व दिया गया तो क्योंकि ओसियां पाली लोकसभा में आता है. पाली में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला है.

3 विश्नोई, सुखराम मजबूत दावेदार
इसी तरह से लोहावट, लूणी व सांचौर से कांग्रेस के  विश्नोई विधायक चुने गए है. इननमें लोहावट से किशनाराम, लूणी से महेंद्र व सांचौर से सुखराम विश्नोई शामिल है. सुखराम विश्नोई गत चुनाव में मोदी लहर के बावजूद चुनाव जीतने वालों में से है. ऐसे में उनका नाम सबसे आगे हैं.


3 अनुसूचित जाति एमएलए, रूपाराम बडे दावेदार
मारवाड़ में  बाडमेर की चौहटन से पदमाराम, जैसलमेर से रूपाराम व बिलाडा से हीराराम मेघवाल ने इस बार जीत दर्ज की है. इनमें मंत्री बनने के लिए रूपाराम सबसे मजबूत दावेदार है. राजकीय सेवा में अधिकारी रहे रूपाराम गत चुनाव कुछ सौ मतों से हार गए थे. जैसलमेर सीट सामान्य वर्ग के लिए है लेकिन उन्हें दूसरी बार मौका दिया गया और जीत गए. ऐसे में प्रबल दावेदार है.

3 महिलाएं, एक को उम्मीद
जोधपुर जिले में इस बार कांग्रेस की तीन महिला उम्मीदवार जीती है. राहुल गांधी की नीति के अनुसार अगर महिलाओं को मंत्री परिषद में बडी भागीदारी दी गई तो शायद किसी की लॉटरी खुल सकती है. इसमें जोधपुर शहर से विधायक बनी मनीषा पंवार सबसे आगे है. क्योंकि दिव्या मदेरणा जाट व मीना  कंवर राजपूत है, और दोनों जातियों के अन्य विधायक मंत्री बन रहे हैं तो मनीषा पंवार जो ओबीसी से आती है और खुद रावणा राजपूत है तो उनकी मजबूत दावेदारी है. 


पहले रहे है 5 से 6 मंत्री
अशोक गहलोत की 1998 की सरकार में गहलोत के अलावा जोधपुर जिले से रामसिंह विश्नोई, खेतसिंह राठौड, राजेंद्र चौधरी कैबिनेट मंत्री बने और परसराम मदेरणा विधानसभा अध्यक्ष रहे. इसके अलावा जैसलमेर, बाडमेर व जालौर के विधायक भी मंत्री रहे हैं. ऐसे में इस बार भी उम्मीद की जा रही है कि मारवाड़ की मंत्री परिषद में बडी भागीदारी हो सकती है. 

मुंबई के अस्पताल में भीषण आग, 2 की मौत, 108 लोग झुलसे

मुंबई के अस्पताल में भीषण आग, 2 की मौत, 108 लोग झुलसे
मुंबई के अस्पताल में लगी आग. फोटो एएनआई

मुंबई के अंधेरी इलाके में सोमवार शाम ईएसआईसी कामगार अस्पताल में भीषण आग लग गई. शुरुआती खबरों में आग में 2 व्यक्तियों की झुलसने से मौत हो गई, जबकि 108 से अधिक लोग गंभीर रूप से झुलस गए.

इनमें से 7 लोगों को ट्रॉमा अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इसकी हालत स्थिर है. वहीं 30 लोगों को सेवन हिल्स हॉस्पिटल और 40 लोगों को होली स्पिरिट अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इसके अलावा कूपर अस्पताल में 15 लोग, जोगेश्वरी स्थित पी ठाकरे अस्पताल में 23 लोग भर्ती हैं.आग किन कारणों से लगी, अभी इसका पता नहीं चल सका है. इससे पहले आग लगते ही अस्पताल से फौरन लोगों को बाहर निकाला जाने लगा. 10 से अधिक फायर ब्रिगेड की गाड़ियां आग पर काबू पाने में जुटी हुईं हैं.

मुख्यमंत्री बनने के घंटे भर के भीतर कमलनाथ ने पास की किसानों की कर्जमाफी की फाइल

मुख्यमंत्री बनने के घंटे भर के भीतर कमलनाथ ने पास की किसानों की कर्जमाफी की फाइल
किसानों की कर्जमाफी की फाइल पर साइन करते कमलनाथ. PHOTO- ANIमध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की कमान संभालते ही कमलनाथ ने अपने वादे को पूरा करते हुए किसानों की कर्जमाफी की फाइल पर दस्तखत कर दिए. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अपने वचन पत्र में जनता से जो वादे किए थे, उनमें से सबसे अहम वादा किसानों की कर्जमाफी का ही था.

शपथ ग्रहण के फौरन बाद कमलनाथ भोपाल में नए बने मंत्रालय एनेक्सी के उद्घाटन के लिए पहुंचे और इसके फौरन बाद सीएम आफिस पहुंच गए. सीएम ऑफिस का जायज़ा लेने के बाद कमलनाथ ने सीएम का पदभार ग्रहण किया और कुर्सी पर बैठते ही किसानों के कर्ज माफी से जुड़ी फ़ाइल पर दस्तखत कर दिये. इस आदेश पर दस्तखत करते ही मध्यप्रदेश के किसानों का 2 लाख तक का कर्जा माफ हो गया है. माना जा रहा है कि इस फैसले का असर करीब 30 लाख से ज्यादा किसानों पर पड़ेगा.

पहले ही दिन लिए 3 बड़े फैसले

पहले ही दिन सीएम कमलनाथ ने किसानों का कर्जा माफ करने के बाद दो और बड़े फैसले लिए. सरकार ने मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना की राशि को 28 हजार से बढ़ाकर 51 हजार कर दिया. इसके अलावा तीसरा बड़ा फैसला है, नए उद्योग लगाने पर या मध्यप्रदेश में निवेश करने पर उद्योगपतियों को सिर्फ तभी सब्सिडी मिलेगी जब उद्योगों में 70 प्रतिशत रोजगार स्थानीय लोगों को दिया जाएगा.

शिवराज ने कहा था- करेंगे 10 दिन इंतजार

कुर्सी गंवाने के बाद शिवराज सिंह ने भी कहा था कि वो उम्मीद करते हैं कि कांग्रेस की सरकार आते ही 10 दिनों के भीतर किसानों की कर्जमाफी की जाएगी. अब कमलनाथ ने अपने वादे पर खरा उतरते हुए कर्जमाफी की फाइल पास कर दी. कमलनाथ सरकार ने राज्य के किसानों का 2 लाख रुपये कर्ज माफ करने का आदेश दे दिया है.


शपथ ग्रहण में पहुंचे थे शिवराज

कुछ ही देर पहले भोपाल के जम्बूरी मैदान में कमलनाथ ने मध्य प्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है. इस मौके पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मौजूद रहे. निवर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इस समारोह में शिरकत की. उन्होंने यहां मौजूद तमाम कांग्रेसी और गैर-बीजेपी दलों के नेताओं से मुलाकात की. कई मौकों पर वो मुस्कराते भी दिखे. साथ ही उन्होंने शपथ ग्रहण के बाद कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के हाथ पकड़कर जनता का अभिवादन किया.

कर्जमाफी जुमला नहीं, गोशाला पर वादा भी करेंगे पूरा

इससे पहले कमलनाथ ने कहा था कि सीएम बनने के बाद उनकी पहली प्राथमिकता किसानों की कर्ज माफी है. आजतक के साथ बातचीत में उन्होंने कहा था कि कर्ज माफी कोई जुमला नहीं है, बल्कि किसानों का एक भरोसा है. कमलनाथ ने कहा था कि किसान कर्ज में जन्म लेता है, कर्ज में मरता है. उन्होंने दावा किया कि उनके शासनकाल में चीजें बदलेंगी. कमलनाथ ने कहा कि उनकी पार्टी वचनपत्र में लिखे गए वादों को पूरा करेगी. उन्होंने कहा कि गोशाला पर किए गए वादे को भी वे पूरा करेंगे.

चौहटन। पांच हजार की रिश्वत लेते डिस्कॉम कर्मचारी गिरफ्तार

चौहटन। पांच हजार की रिश्वत लेते डिस्कॉम कर्मचारी गिरफ्तार



चौहटन। परिवादी की शिकायत पर एसीबी ने कार्यवाही करते हुए चौहटन डिस्कॉम कर्मचारी को पांच हजार की रिश्वत लेते हुए पकड़ा। स्टोरकीपर ने विद्युत कनेक्शन की सामग्री के लिए 5 हजार की रिश्वत की मांग की थी। मिली जानकारी के मुताबिक भ्रष्ट्राचार ब्यूरों बाड़मेर को षिकायत मिली की चौहटन डिस्काॅम स्टोरकीपर अशोक कुमार ने ट्रासफाॅर्मर/डीपी देने के एवज में परिवादी सताराम से पांच हजार की रिश्वत की मांग की है जिस पर एसीबी ने सोमवार को पांच हजार की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथो गिरफ्तार किया।




ट्रासफाॅर्मर/डीपी देने के एवज में मांगी रिश्वत 

स्टोरकीपर अशोक कुमार ने परिवादी सताराम के नाम से अपने गांव खेराज का तला नेतराड़ में स्थित पुष्तैनी खेत में बने ट्यूबैल पर स्वीकृत सुदा कृषि बिजली कनेक्षन हेतु ट्रासफाॅर्मर/डीपी देने की एवज पांच हजार रूपये की रिष्वत की मांग की थी जिस पर एसीबी ने रिश्वत लेते गिरफ्तार किया।


यह थे कार्यवाही टीम में

चौहटन में एसीबी की कार्यवाही भ्रष्ट्राचार निरोधक ब्यूरो के उपअधीक्षक अन्नराज के नेतृत्व में प्रेमाराम, रमझाराम, सोहनराम, मिश्रीलाल, ठाकराराम, सुराब खां, बांकाराम शामिल थे।

मानवेंन्द्र सिंह ने जताई बाड़मेर से लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा

मानवेंन्द्र सिंह ने जताई बाड़मेर से लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा

बाड़मेर. लोकसभा चुनाव के लिहाज से इस बार सबसे महत्तपूर्ण सीट बाड़मेर की होने वाली है. जहां पर मानवेन्द्र सिंह ने अपना दावा अभी से ठोक दिया है. मानवेन्द्र सिंह ने साफ कहा है कि उनकी इच्छा लोकसभा चुनाव लड़ने की है और वे चाहते हैं कि उन्हें टिकट मिले।

मानवेन्द्र सिंह ने बताया कि अब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन चुकी है और कांग्रेस का पहला काम होगा राहुल गांधी की किसानों को लेकर की गई लोन माफी की घोषणा को पूरा करना.

वहीं उन्होंने संकेत दिया कि राजस्थान की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. उसी के चलते मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केन्द्र को सहायता देने की बात कही है.


मानवेन्द्र सिंह ने कहा कि देश में फेडरल सिस्टम है. इसमें केन्द्र में सरकार किसी भी पार्टी की हो उसे राज्य सरकार की सहायता करनी चाहिए, क्योंकि राज्य सरकारें भी अपनी आमदनी का हिस्सा केन्द्र को देती हैं. राजस्थान में अभी विधानसभा चुनावों के रिजल्ट आए है. जिसमें राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी हैं. लेकिन प्रदेश में अभी से कांग्रेस में लोकसभा चुनावों को लेकर रणनीति बननी शुरू हो गयी है.

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सिवाना। गढ़ सिवाणा 2018 के तीन दिवसीय उत्सव को लेकर बैठक हुई आयोजित

सिवाना। गढ़ सिवाणा 2018  के तीन दिवसीय उत्सव को लेकर बैठक हुई आयोजित


रिपोर्ट :- सुनील दवे / जीत जांगिड़ - सिवाना 

सिवाना। कस्बे के डाक बंगले में सिवाणा के स्थापना दिवस को सिवाणा उत्सव के रूप में मनाने को लेकर चर्चा हुई । सर्व प्रथम कार्यक्रम के संयोजक जीवराज वर्मा के सानिध्य में एक कमेटी का गठन किया गया । बैठक में सिवाणा उत्सव के दौरान 25 दिसंबर से 27 दिसंबर तक विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे । कमेटी के गणपत चोधरी ने बताया कि 25 दिसंबर को राबाउमावि सिवाना में निबंध,सामान्य ज्ञान व प्रशन मंच प्रतियोगिता होगी । 26 दिसंबर को राबाउमावि सिवाना में चित्र कला प्रतियोगिता एवं राउप्रावि सोलंकियों का वास सिवाणा में बॉलीबाल प्रतियोगिता होगी जिसमें क्षेत्र की टीमें भाग लेंगी । वही 27 दिसंबर को सुबह 7 बजे किले पर ध्वजारोहण होगा उसके बाद 8 बजे अम्बेडकर सर्किल बालोतरा रोड से मैराथन दौड़ शुरू होगा । उसके बाद सुबह 10 बजे राउमावि सिवाना के खेल मैदान में सदभावना किर्केट मैच का आयोजन होगा । उत्सव का समापन राबाउमावि सिवाणा में 2 बजे आयोजित होगा जिसमें विभिन विद्यालय के छात्र छात्राओं द्वारा सांस्क्रतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे । 


इस अवसर पर क्षेत्र की प्रतिभाओं को सिवाना गौरव के पुरस्कार के रूप में समानीत किया जाएगा । सिवाना उत्सव के दौरान विभिन्न चौराहों को रंगोली व रोशनी से सजाया जाएगा ओर किले पर भी लाइटिंग की विशेष सजावट की जाएगी । इस अवसर पर हनुमान प्रसाद दवे,जसराज सेन,हुकम सिंह गुड़ानाल,देव शर्मा,राजेश जोशी,कमरूदीन मेली, यासीन खा, हिन्दू सिंह सिणेर,हितेश अग्रवाल,अम्बालाल माली,प्रकाश शर्मा,जगदीश प्रजापत,महेन्द चोधरी,डायाराम माली,तारा राम घांची,गणपत चोधरी,सवाई सिंह पादरली,दीप सिंह राजपुरोहित,नरपत सिंह मवडी,महेश नाहटा,जितेंद्र सिंह गुड़ानाल, जालम सिंह पिपलून, ईश्वर सिंह सोढा,गजेंद्र शर्मा,अजय सिंह कुसीप,थान सिंह,मेलाराम भील,सेला,हरीश जेन,सुरेन्द्र सिंह पादरली,नरेंद्र सिंह सिवाना मोजूद थे ।

जयपुर। अशोक गहलोत ने ली मुख्यमंत्री पद की शपथ, सचिन पायलट बने डिप्टी सीएम

जयपुर। अशोक गहलोत ने ली मुख्यमंत्री पद की शपथ, सचिन पायलट बने डिप्टी सीएम


जयपुर। अशोक गहलोत ने तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने हैं. गहलोत ने सोमवार को जयपुर के अल्बर्ट हॉल में सीएम पद की शपथ ली. इनके साथ ही सचिन पायलट राज्य के डिप्टी सीएम बने. राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह ने गहलोत और पायलट को शपथ दिलायी. इस दौरान मंच पर कई विपक्षी दलों के नेता मौजूद थे. बता दें कि अशोक गहलोत 1998 में पहली बार मुख्यमंत्री बने और 2008 में दूसरी बार मुख्यमंत्री का पदभार संभाला. वहीं, उप-मुख्यमंत्री बने पायलट फिलहाल राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हैं. वह लोकसभा सदस्य और मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री रह चुके हैं. वह अपने जमाने में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत राजेश पायलट के पुत्र हैं. राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिलने के बाद मुख्यमंत्री पद के चयन को लेकर लंबी खींचतान हुई. गहलोत और पायलट दोनों इस पद की दौड़ में शामिल थे. मैराथन बैठकों और गहन मंथन के बाद गत 14 दिसंबर को कांग्रेस अध्यक्ष ने गहलोत को मुख्यमंत्री और पायलट को उप मुख्यमंत्री नामित करने का फैसला किया. गहलोत और पायलट के शपथ के बाद अब भोपाल में कमलनाथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. वहीं शाम करीब चार बजे भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ सीएम की शपथ लेंगे. इन तीनों राज्यों में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस सरकार बना रही है. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ तीनों ही राज्यों में कांग्रेस ने जीत हासिल की है. इन तीनों राज्यों में भाजपा की सरकार थी.

LIVE UPDATES: अशोक गहलोत ने ली मुख्यमंत्री पद की शपथ, सचिन पायलट बने डिप्टी सीएम

*1984 के सिख दंगे में 34 साल बाद सज्जन कुमार दोषी करार, अमरनाथ पर भी संकट*

*1984 के सिख दंगे में 34 साल बाद सज्जन कुमार दोषी करार, अमरनाथ पर भी संकट*

नई दिल्ली/  तकरीबन 34 साल के बाद 1984 सिख दंगे से जुड़े एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट की डबल बेंच ने सोमवार को निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए सज्जन कुमार को दंगे के लिए दोषी माना है. सज्जन को हिंसा कराने और दंगा भड़काने का दोषी पाया गया है।
यह मामला एक हत्याकांड से जुड़ा है जिसमें नवंबर 1984 को दिल्ली छावनी के राजनगर क्षेत्र में एक ही परिवार के पांच सदस्यों को मार दिया गया था. इस हत्याकांड में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार भी आरोपी हैं।
इसी मामले पर हाई कोर्ट की डबल बेंच के जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस विनोद गोयल की बेंच ने बीते 29 अक्टूबर को सीबीआई, पीड़ितों और दोषियों की ओर से दायर अपीलों पर दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. दिल्ली हाई कोर्ट में कुल 7 अपील हैं जिन पर आज दिल्ली हाई कोर्ट को अपना फैसला सुनाया ।

सज्जन कुमार को निचली अदालत ने बरी कर दिया था

इससे पहले 1984 सिख दंगा मामले में 2013 में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को निचली अदालत ने बरी कर दिया था, जबकि सज्जन कुमार के अलावा बाकी और आरोपियों को कोर्ट ने दोषी करार दिया था. इसमें पूर्व कांग्रेस पार्षद बलवान खोखर, कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल और दो अन्य लोग शामिल थे। कोर्ट ने अपने आदेश में इनको दंगा भड़काने में दोषी माना था और पूर्व कांग्रेस पार्षद बलवान खोखर, भागमल और गिरधारी लाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जबकि पूर्व विधायक महेंद्र यादव और किशन खोखर को तीन तीन साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी।
दिलचस्प यह भी है कि आज ही कमलनाथ मध्य-प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले रहे हैं और उनको मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर भी सिख समुदाय को आपत्ति है. इसमें मुख्य वजह वह आरोप है जिसमें कमलनाथ के 1984 के सिख दंगे में शामिल होने के आरोप हैं।

जयपुर। अशोक गहलोत-सचिन पायलट के शपथग्रहण में पहुंची वसुंधरा राजे

जयपुर। अशोक गहलोत-सचिन पायलट के शपथग्रहण में पहुंची वसुंधरा राजे



जयपुर। राजस्थान में अगले मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत शपथ लेने जा रहे हैं। इसी के साथ वह राज्य के तीसरी बार मुख्यमंत्री बनेंगे। उनके साथ उपमुख्यमंत्री के रूप में सचिन पायलट भी शपथ लेंगे। इस दौरान पूर्व सीएम वसुंधरा राजे भी कार्यक्रम स्थल में पहुंची। समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह, नवजोत सिंह सिद्धू, जितिन प्रसाद समेत यूपीए के कई दिग्गज मौजूद हैं। जयपुर के ऐतिहासिक अल्बर्ट हॉल में शपथग्रहण का समारोह हो रहा है।



अशोक गहलोत-सचिन पायलट के शपथग्रहण में पहुंची वसुंधरा राजे के लिए इमेज परिणाम



लंबे समय से राजनीति में सक्रिय अशोक गहलोत राजस्थान में काफी लोकप्रिय रहे हैं और उन्हें 'राजनीति का जादूगर' और 'मारवाड़ का गांधी' जैसे उपनामों से भी बुलाया जाता है। साल 2013 के राजस्थान विधानसभा चुनाव और फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद भी अशोक गहलोत ने राज्य में अपनी पार्टी को प्रासंगिक बनाए रखा। राजस्थान में ‘राजनीति का जादूगर’ माने जाने वाले गहलोत ने 2018 के राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत के जादुई आंकड़े के करीब लाने में अहम भूमिका निभाई है।




राज्य में तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने वाले अशोक गहलोत चौथे नेता हैं। गहलोत से पहले भैंरोसिंह शेखावत और हरिदेव जोशी ही तीन-तीन बार मुख्यमंत्री बने। हालांकि मोहन लाल सुखाड़िया सबसे अधिक 4 बार इस पद पर रहे। राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप कार्यभार संभालने जा रहे गहलोत 1998 में पहली बार मुख्यमंत्री बने थे।




इंदिरा की मदद से राजनीति में आए अशोक गहलोत
जानकारों का कहना है कि ‘मारवाड़ का गांधी’ माने जाने वाले गहलोत को राजनीति में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी लेकर आई थीं। ऐसा कहा जाता है कि वह पूर्वोत्तर क्षेत्र में शरणार्थियों के बीच अच्छा काम कर रहे थे और इंदिरा उनके काम से काफी प्रभावित थीं। कुछ महीने पहले गुजरात में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के दमदार प्रदर्शन का श्रेय गहलोत को ही दिया जाता है।

पिछले कुछ समय से कांग्रेस के महासचिव (संगठन) का पदभार संभाल रहे गहलोत को जमीनी नेता और अच्छा संगठनकर्ता माना जाता है। मूल रूप से जोधपुर के रहने वाले गहलोत (67 वर्ष) 1998 से 2003 और 2008 से 2013 तक राजस्थान के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। तीन मई 1951 को जन्मे गहलोत ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1974 में एनएसयूआई के अध्यक्ष के रूप में की थी। वह 1979 तक इस पद पर रहे। गहलोत 1979 से 1982 तक कांग्रेस पार्टी के जोधपुर जिला अध्यक्ष रहे और 1982 में प्रदेश कांग्रेस कमिटी के महासचिव बने। उसी दौरान 1980 में गहलोत सांसद बने।

पांच बार लोकसभा सांसद और कई बार मंत्री भी रहे
गहलोत 1980 से 1999 तक पांच बार 7वीं, 8वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं लोकसभा के लिए भी चुने गए। गहलोत 1999 से जोधपुर के सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वह 11वीं, 12वीं,13वीं और 14वीं राजस्थान विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं।

रादस्थान के युवा चेहरे सचिन पायलट
सचिन राजनीति में ज्यादा पुराने तो नहीं हैं लेकिन युवाओं में काफी पसंद किए जाते हैं। सचिन इस बार टोंक विधानसभा से विधायक चुने गए हैं। इससे पहले वह दो बार सांसद रह चुके हैं। हालांकि, 2014 की 'मोदी लहर' में सचिन लोकसभा चुनाव हार गए थे। सचिन पायलट ने पहली बार 14वीं लोकसभा में दौसा से जीत हासिल की थी। तब वह सबसे कम उम्र के सांसद थे, उस वक्त सचिन की उम्र मात्र 26 वर्ष थी, इसके बाद वह 2009 में अजमेर से लोकसभा सांसद चुने गए और इस बार टोंक से विधायक चुने गए हैं।

इस बार उन्होंने बीजेपी के एकमात्र मुस्लिम कैंडिडेट युनूस खान को 54,179 वोटों के भारी अंतर से हराया है। सचिन पायलट पिछले 5 साल से राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष पद पर काबिज हैं।

राजस्थान में वसुंधरा सरकार के खिलाफ माहौल बनाने और जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करने का श्रेय उन्हें ही जाता है। उनके नेतृत्व में ही पार्टी को पिछले चुनाव में 21 से इस बार 99 सीटें मिली है। सचिन पायलट पार्टी के युवा चेहरे हैं और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी भी हैं। सचिन पायलट के नेतृत्व में पांच साल में जितने भी चुनाव और उपचुनाव हुए सभी कांग्रेस ने जीते।

गौरवमयी इतिहास का प्रतिक गागरोन फोर्ट ,दुर्ग शौर्य ही नहीं, भक्ति और त्याग की गाथाओं का साक्षी

गौरवमयी इतिहास का प्रतिक गागरोन फोर्ट ,दुर्ग शौर्य ही नहीं, भक्ति और त्याग की गाथाओं का साक्षी






गागरोन दुर्ग राजस्थान के झालावाड़ में स्थित है। यह प्रसिद्ध दुर्ग 'जल-दुर्ग' का बेहतरीन उदाहरण है। गागरोन दुर्ग हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है। यहाँ सूफ़ी संत मीठे शाह की दरगाह भी है। मधुसूदन और हनुमान जी का मंदिर भी देखने लायक है। विश्व धरोहर में शामिल किए गए इस अभेद्य दुर्ग की नींव सातवीं सदी में रखी गई थी और चौदहवीं सदी तक इसका निर्माण पूर्ण हुआ। यहाँ मोहर्रम के महीने में हर साल बड़ा आयोजन होता है, जिसमें सूफ़ी संत मीठे शाह की दरगाह में दुआ करने सैंकड़ों की संख्या में मुस्लिम एकत्र होते हैं। वहीं मधुसूदन और हनुमान मंदिर में भी बड़ी संख्या में हिन्दू माथा टेकते हैं।

स्थिति तथा निर्माण
झालावाड़ से 10 कि.मी. की दूरी पर अरावली पर्वतमाला की एक सुदृढ़ चट्टान पर काली सिन्ध और आहू नदियों के संगम पर बना यह क़िला जल-दुर्ग की श्रेणी में आता है। इस क़िले का निर्माण कार्य डोड राजा बीजलदेव ने बारहवीं सदी में करवाया था। दुर्गम पथ, चौतरफ़ा विशाल खाई तथा मजबूत दीवारों के कारण यह दुर्ग अपने आप में अनूठा और अद्भुत है। यह दुर्ग शौर्य ही नहीं, भक्ति और त्याग की गाथाओं का साक्षी है।

विस्तार
गागरोन दुर्ग झालावाड़ तक फैली विंध्यालच की श्रेणियों में एक मध्यम ऊंचाई की पठारनुमा पहाड़ी पर निर्मित है। दुर्ग 722 हेक्टेयर भूमि पर फैला हुआ है। गागरोन का क़िला जल-दुर्ग होने के साथ-साथ पहाड़ी दुर्ग भी है। इस क़िले के एक ओर पहाड़ी तो तीन ओर जल घिरा हुआ है। क़िले के दो मुख्य प्रवेश द्वार हैं। एक द्वार नदी की ओर निकलता है तो दूसरा पहाड़ी रास्ते की ओर। क़िला चारों ओर से ऊंची प्राचीरों से घिरा हुआ है। दुर्ग की ऊंचाई धरातल से 10-15 से 25 मीटर तक है। क़िले के पृष्ठ भाग में स्थित ऊंची और खड़ी पहाड़ी ’गिद्ध कराई’ इस दुर्ग की रक्षा किया करती थी। पहाड़ी दुर्ग के रास्ते को दुर्गम बना देती है।

गौरवमयी इतिहास
गागरोन दुर्ग अपने गौरवमयी इतिहास के कारण भी जाना जाता है और उल्लेखनीय स्थान रखता है। यह दुर्ग खींची राजपूत क्षत्रियों की वीरता और क्षत्राणियों की महानता का गुणगान करता है। कहा जाता है एक बार यहां के वीर शासक अचलदास खींची ने शौर्य के साथ मालवा के शासक हुशंगशाह से युद्ध किया। दुश्मन ने धर्म की आड़ में धोखा किया और कपट से अचलदास को हरा दिया। तारागढ़ के दुर्ग में राजा अचलदास के बंदी बनाए जाने से खलबली मच गई। राजपूत महिलाओं को प्राप्त करने के लिए क़िले को चारों ओर से घेर लिया गया; लेकिन क्षत्राणियों ने संयुक्त रूप से 'जौहर' कर शत्रुओं को उनके नापाक इरादों में कामयाब नहीं होने दिया। इस तरह यह दुर्ग राजस्थान के गौरवमयी इतिहास का जीता जागता उदाहरण है।

एकता का प्रतीक
इस अभेद्य दुर्ग की नींव सातवीं सदी में रखी गई और चौदहवीं सदी तक इसका निर्माण पूर्ण हुआ। यह दुर्ग हिन्दू-मुस्लिम एकता का ख़ास प्रतीक है। यहां मोहर्रम के महीने में हर साल बड़ा आयोजन होता है, जिसमें सूफ़ी संत मीठेशाह की दरगाह में दुआ करने सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम एकत्र होते हैं। वहीं मधुसूदन और हनुमान मंदिर में भी बड़ी संख्या में हिन्दू माथा टेकते हैं। इसके अलावा यहां गुरू रामानंद के आठ शिष्यों में से एक संत पीपा का मठ भी है।

शिल्पकला
दुर्ग में अठारवीं और उन्नीसवीं सदी में झाला राजपूतों के शासन के समय के बेलबूटेदार अलंकरण और धनुषाकार द्वार, शीश महल, जनाना महल, मर्दाना महल आदि आकर्षित करते हैं। यहां उन्नीसवीं सदी के शासक जालिम सिंह झाला द्वारा निर्मित अनेक स्थल राजपूती स्थापत्य का बेजोड़ नमूना हैं। इसके अलावा सोलवहीं सदी की दरगाह व अठारहवीं सदी के मदनमोहन मंदिर व हनुमान मंदिर भी अपनी बनावट से पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। राजस्थान के अन्य क़िलों की भांति गागरोन क़िले में भी अनेक स्मारक, जलाशय, कुएं, भंडारण के लिए कई इमारतें और बस्तियों के रहने लायक स्थल मौजूद हैं।

मौत का क़िला
गागरोन दुर्ग की ख़ात विशेषता यह भी है कि इस दुर्ग का इस्तेमाल अधिकांशत: शत्रुओं को मृत्युदंड देने के लिए किया जाता था। गागरोन के क़िले का स्थापत्य बारहवीं सदी के खींची राजपूतों की डोडिया और सैन्य कलाओं की ओर इंगित करता है। प्राचीरों के भीतर स्थित महल में राजसभाएं लगती थीं और किनारे पर स्थित मंदिर में राजा-महाराजा पूजा, उपासना किया करते थे।

आकर्षण
गागरोन का क़िला अपने प्राकृतिक वातावरण के साथ-साथ रणनीतिक कौशल के आधार पर निर्मित होने के कारण भी विशेष स्थान रखता है। यहां बड़े पैमान पर हुए ऐतिहासिक निर्माण और गौरवशाली इतिहास पर्यटकों का विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करते हैं। दुर्ग में 'गणेश पोल', 'नक्कारखाना', 'भैरवी पोल', 'किशन पोल', 'सिलेहखाना का दरवाज़ा' आदि क़िले में प्रवेश के लिए महत्पवूर्ण दरवाज़े हैं। इसके अलावा 'दीवान-ए-आम', 'दीवान-ए-ख़ास', 'जनाना महल', 'मधुसूदन मंदिर', 'रंग महल' आदि दुर्ग परिसर में बने अन्य महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल हैं। क़िले की पश्चिमी दीवार से सटा 'सिलेहखाना' उस दौर में हथियार और गोला-बारूद जमा करने का गोदाम था। एक तरफ़ गिद्ध कराई की खाई से सुरक्षित और तीन तरफ़ से काली सिंध और अहू नदियों के पानी से घिरे इस दुर्ग की ख़ास विशेषता यह है कि यह दुर्ग जल की रक्षा भी करता रहा है और जल से रक्षित भी होता रहा है। यह एक ऐसा दुर्लभ दुर्ग है, जो एक साथ जल, वन और पहाड़ी दुर्ग है। दुर्ग के चारों ओर मुकुंदगढ़ क्षेत्र स्थित है।

रविवार, 16 दिसंबर 2018

राजस्थान की खराब आर्थिक हालत से परेशान गहलोत, बोले- पीएम को कहना चाहिए 'Don't Worry'

राजस्थान की खराब आर्थिक हालत से परेशान गहलोत, बोले- पीएम को कहना चाहिए 'Don't Worry'



जयपुर. मुख्यमंत्री पद की शपथ भी लेने से पहले ही अशोक गहलोत ने प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर चिंता प्रकट कर दी है. इसके लिए उन्होंने वसुंधरा राजे को जिम्मेदार भी ठहराया है. अब सवाल उठता है कि चुनावी घोषणा के मुताबिक 10 दिन के भीतर किसानों के 99 हजार करोड़ रुपए के कर्जे कैसे माफ होंगे.

रविवार को शपथ ग्रहण स्थल अल्बर्ट हॉल का जायजा लेने पहुंचे अशोक गहलोत ने कहा कि वे उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार को आगे बढ़कर यह संदेश पूरे देशभर में देना चाहिए कि 'डॉन्ट वरी..चाहे सरकार हमारी नहीं बनी लेकिन हमारी तरफ से सहयोग में कोई कमी नहीं रहेगी.


गहलोत ने कहा कि जब वे पिछली बार मुख्यमंत्री थे तब केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी. तब राजस्थान में कोई कमी नहीं थी. जब एक पत्रकार ने पूछा कि पीएम मोदी का आधिकारिक बयान आया है उस पर आप क्या कहेंगे. तब गहलोत ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि प्राइम मिनिस्टर का पहला ट्वीट यह आना चाहिए कि हमारी तरफ से सहयोग में कोई कमी नहीं होगी. राजस्थान की जनता भले ही 10 दिनों के भीतर कर्ज माफी की उम्मीद में है और विपक्ष कांग्रेस के इस वादे को पूरा नहीं किए जाने पर आरोप लगाने के लिए तैयार बैठा है. लेकिन मुख्यमंत्री की शपथ लेने से पहले ही अशोक गहलोत ने गेंद केंद्र सरकार के पाले में डाल दी है. चुनाव प्रचार में राहुल गांधी 10 दिनों में कर्ज माफी का लगातार वादा करते रहे. लेकिन अब जबकि कांग्रेस की सरकार बन गई है तब कर्ज माफी पर गहलोत ने कोई संतोषजक जबाव नहीं दिया.

अशोक गहलोत ने कहा कि राजस्थान सरकार तो अपना काम करेगी ही लेकिन पीएम मोदी को भी आगे बढ़कर राजस्थान सरकार को यह भरोसा देना चाहिए कि डोंट वरी... चुनौती भरे इस काम को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार उनके साथ है. उन्होंने उम्मीद जताई कि केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार राजस्थान में कांग्रेस सरकार को पूर्ण सहयोग करेगी और कांग्रेस सरकार के साथ कोई राजनीतिक भेदभाव नहीं होगा.


राजस्थान के हालातों के लिए वसुंधरा राजे जिम्मेदार
गहलोत ने वसुंधरा राजे पर एक बार फिर से गंभीर आरोप लगाए और कहा कि पिछले कार्यकाल में जो योजनाएं शुरू की गई थी उन्हें वसुंधरा राजे ने बंद कर दिया. रिफाइनरी के मामले में तो हमें बेवजह बदनाम किया गया. उन्होंने कहा कि वसुंधरा राजे को 162 विधायकों का समर्थन मिला था, लेकिन उन्होंने सरकार चलाने में लापरवाही बरती.

इस लापरवाही को ही कांग्रेस ने उजागर किया. आज हम सत्ता में हैं और वसुंधरा राजे विपक्ष में. यदि हम भी जनता की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरेंगे तो हमें भी बदल दिया जाएगा... मैं 24 घंटे 365 दिन जनता के बीच रहता हूं... मुझे कोई पद प्रभावित नहीं करता.

अशोक गहलोत चाहते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी खुद आगे बढ़कर यह मैसेज राजस्थान सरकार को दें कि 'डोंट वरी' केंद्र सरकार उनके साथ है. राजस्थान में भले ही भाजपा की सरकार नहीं बनी हो लेकिन उन्हें यह संदेश देना चाहिए कि वो राजस्थान की मदद वैसे ही करेंगे जैसे वो खुद की सरकार होने पर करते थे. 

गहलोत का शपथ ग्रहण समारोह इस बार जश्न के साथ होगा ताकि जीत की गूंज पूरे देश में सुनाई दे

गहलोत का शपथ ग्रहण समारोह इस बार जश्न के साथ होगा ताकि जीत की गूंज पूरे देश में सुनाई दे

जयपुर. प्रदेश में चुनावों के नतीजे आने के बाद अब अशोक गहलोत का मुख्यमंत्री बनना तय हो चुका है. इसी के चलते पहली बार अशोक गहलोत एक बड़े जश्न और समारोह के साथ अल्बर्ट हॉल पर शपथ लेने जा रहे हैं. ऐसा पहली बार होगा जब अशोक गहलोत राजभवन में सादगी से शपथ लेने की जगह जयपुर के अल्बर्ट हॉल पर शपथ लेंगे.

राजस्थान में हर बार शपथ ग्रहण समारोह राजभवन या विधानसभा के बाहर जनपथ पर होता आया है. यह पहली बार है जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अल्बर्ट हॉल में हजारों लोगों के सामने शपथ लेंगे. गहलोत ने अपने पिछले दो कार्यकाल में राजभवन में ही शपथ ली है.


दरअसल अब तक केवल भाजपा ही ऐसे बड़े समारोह करती आई है. इसी के चलते कांग्रेस अपनी जीत का बड़ा संदेश पूरे प्रदेश और देश की जनता तक पहुंचाना चाहती है. इससे पहले भाजपा सरकार के शपथ ग्रहण समारोह विधानसभा के बाहर जनपथ पर हुए हैं.

गहलोत सरकार का भी शपथ ग्रहण समारोह पहले जनपथ पर होना तय हुआ था. कुछ दिन पहले हाईकोर्ट की ओर से जनपथ स्थित अम्बेडकर सर्किल के आसपास आयोजनों पर रोक लगाई गई थी. इसी की चलते हाईकोर्ट से अनुमति मांगी गई थी. कोर्ट ने इस मसले पर शनिवार को लंबी सुनवाई के बाद सशर्त आयोजन की अनुमति दे दी थी. कोर्ट ने ट्रैफिक बाधित नहीं करने की शर्त लगाई थी. उसके बाद सरकार ने समारोह की जगह ही बदल डाली.