शनिवार, 8 दिसंबर 2018
चुनाव के बाद नहीं रुके मानवेंद्र सिंह...अब भी जारी हैं...
चुनाव के बाद नहीं रुके मानवेंद्र सिंह...अब भी जारी हैं...
झालावाड़. राजस्थान में चुनावी शोर थम गया है. अब पार्टियों के प्रचार-प्रसार में लगे हुए पार्टी के प्रत्याशी और कार्यकर्तां आराम के मूड में नजर आ रहे हैं. लेकिन राजस्थान की हॉट सीट झालरापाटन से कांग्रेस के प्रत्याशी मानवेंद्र सिंह अभी भी रुकने के मूड में नहीं है.मानवेंद्र सिंह हमेशा की तरह सुबह जल्दी उठे और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर क्षेत्र में निकल गए. लेकिन इस बार वे लोगों से वोट मांगने के लिए नहीं बल्कि लोगों का आभार व्यक्त करने के लिए निकले हैं. मानवेंद्र सिंह पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलते हुए सहयोग के लिए आभार जता रहे हैं.मानवेंद्र सिंह कार्यकर्ताओं कांग्रेस के कार्यालय में सभी से मिल भी रहे हैं. साथ ही अन्य चुनावी कार्यालयों पर भी जाकर लोगों को धन्यवाद ज्ञापित कर रहे हैं. ईनाडु इंडिया ने मानवेन्द्र सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि जिस शीघ्रता से झालावाड़ की जनता ने मुझे स्वीकार किया है. उसके लिए वह झालावाड़ की जनता का आभार प्रकट करना चाहते हैं. उन्होंने कहा प्रचार के दौरान जो ऊर्जा व उत्साह देखने को मिला था उसकी उम्मीद उन्हें मतदान के दिन भी थी. और उसी ऊर्जा व उत्साह के साथ कार्यकर्ताओं और लोगों ने मतदान किया है. उन्होंने कहा कि मतदान केंद्र के बाहर लगी हुई लंबी लंबी कतारें जीत का संदेश है.
झालावाड़. राजस्थान में चुनावी शोर थम गया है. अब पार्टियों के प्रचार-प्रसार में लगे हुए पार्टी के प्रत्याशी और कार्यकर्तां आराम के मूड में नजर आ रहे हैं. लेकिन राजस्थान की हॉट सीट झालरापाटन से कांग्रेस के प्रत्याशी मानवेंद्र सिंह अभी भी रुकने के मूड में नहीं है.मानवेंद्र सिंह हमेशा की तरह सुबह जल्दी उठे और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर क्षेत्र में निकल गए. लेकिन इस बार वे लोगों से वोट मांगने के लिए नहीं बल्कि लोगों का आभार व्यक्त करने के लिए निकले हैं. मानवेंद्र सिंह पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलते हुए सहयोग के लिए आभार जता रहे हैं.मानवेंद्र सिंह कार्यकर्ताओं कांग्रेस के कार्यालय में सभी से मिल भी रहे हैं. साथ ही अन्य चुनावी कार्यालयों पर भी जाकर लोगों को धन्यवाद ज्ञापित कर रहे हैं. ईनाडु इंडिया ने मानवेन्द्र सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि जिस शीघ्रता से झालावाड़ की जनता ने मुझे स्वीकार किया है. उसके लिए वह झालावाड़ की जनता का आभार प्रकट करना चाहते हैं. उन्होंने कहा प्रचार के दौरान जो ऊर्जा व उत्साह देखने को मिला था उसकी उम्मीद उन्हें मतदान के दिन भी थी. और उसी ऊर्जा व उत्साह के साथ कार्यकर्ताओं और लोगों ने मतदान किया है. उन्होंने कहा कि मतदान केंद्र के बाहर लगी हुई लंबी लंबी कतारें जीत का संदेश है.
*चलिए झालरापाटन इतिहास रचने को तैयार,तीस साल का साम्राज्य खतरे में वसुंधरा राजे का*
*चलिए झालरापाटन इतिहास रचने को तैयार,तीस साल का साम्राज्य खतरे में वसुंधरा राजे का*
*राजस्थान की सबसे हॉट सीटों में से एक झालरापाटन पर सभी की निगाहें टिकी है।। 16 दिन पहले नामांकन से एक दिन पहले मारवाड़ की राजनीति से हाड़ौती की राजनीति में आने वाले कर्नल मानवेन्द्र सिंह ने अपनी व्यूह रचना से मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के तीस साल के साम्राज्य को जबरदस्त चुनोती दे डाली।।आज सम्पन हुए विधानसभा चुनावों के बाद झालरापाटन की बदलती तस्वीर लोगो को दिखाई देने लगी है।।मानवेन्द्र सिंह ने वसुंधरा राजे के परंपरागत मतों में जिस तरह सेंध लगाई है उससे महारानी का उधार लिया झालावाड़ का सिंहासन डोलने लग गया।।मतदान के दौरान उनके सांसद पुत्र दुष्यंत सिंह की बौखलाहट साफ नजर आ रही थी। मानवेन्द्र सिंह और चित्रा सिंह ने अपने सघन प्रचार अभियान से झालरापाटन की चुनावी फिजा को बदलने का जो प्रयास किया उसमे कितने सफल हुए यह अधिकृत रूप से ग्यारह दिसम्बर को ही सामने आएगा मगर झालरापाटन के कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओ ने आज शाम को ही जश्न मना लिया। मानवेन्द्र सिंह के स्वाभिमान ने राजपूत,मुस्लिम,सोनदिया राजपूत,गुर्जर ,ब्राह्मण ,और अनुसूचित जाति जन जाती के मतों में न केवल सेंध लगाई बल्कि भाजपा के कट्टर समर्थक 28 हजार दांगी समेज के वोटों से भी वसुंधरा राजे को वंचित कर दिया। दांगी समाज की और से श्रीलाल दांगी निर्दलीय उतरे थे पूरे समाज की और से अधिकृत प्रत्यासी थे। चुनाव प्रचार समाप्ति के बाद वसुंधरा राजे ने सर्व प्रथम दांगी समाज को साधने के लिए 5 दिसम्बर को मीटिंग रखी।मगर इस मीटिंग में दांगी समाज ने आने से मना किया तो रात्रि दो बजे दांगी समाज के बीच पहुंची जहां दांगी समाज ने वसुंधरा राजे को खाली हाथ लौट दिया।।।राजपूत पहले ही जा चुके थे।।5 दिसम्बर को वसुंधरा राजे तीस सालों में पहली बार ग्रामीणों की चौखट पर गई।।मगर उन्हें ज्यादा कोई उत्साह नही दिख। किसान वर्ग में समर्थन मूल्य से लहसुन और सोयाबीन की खरीद को लेकर ज़बरदस्त नाराजगी थी तो युवा में बेरोजगारी को लेकर आक्रोशित थे।।यह आक्रोश आज मतदान के दौरान साफ दिखा दी।।वसुंधरा राजे अपने सलाहकारों के भरोसे थी जो उन्हें जीत का आईना बराबर दिख रहे थे।वसुंधरा राजे ने उन पर विश्वास कर अपनीजीत के प्रति आश्वस्त रही।।वसुंधरा राजे के खिलाफ मानवेन्द्र सिंह को पूरे राज्य से सहयोग मिला,यहां तक कि वसुंधरा राजे के नजदीकी राजनीति लोग भी उनके साथ भितरघात कर उनको झटका देने तैयार हो गए चुनाव में स्वाभिमान लड़ाई का अन्त करन पहुंचे मानवेन्द्र सिंह ने खुद को पूरी झोंक दिया।। इधर 5 दिसम्बर को वसुंधरा राजे की गैर मौजूदगी में भाजपा ने रैली निकाली।।जिसमे नाममात्र के लोग शामिल थे।।हवा का रुख इस रैली के बाद बदल गया ।।शहर में कच्ची बस्तियों में दुष्यंत सिंह के दुर्व्यवहर को लेकर भी लोग नाराज बता जता रहे थे।।बहुत सारे फेक्टर वसुंधरा राजे के खिलाफ काम कर रहे थे। वसुंधरा को इसकी भनक तक नही लगी।।मानवेन्द्र सिंह को झालावाड़ के दिग्गज नेताओं शैलेन्द्र यादव ,प्रमोद शर्मा,रामलाल चौहान, मुकुला पंकज चौधरी,वीरेंद्र सिंह झाला, का बखूबी साथ मिला जो वसुंधरा राजे से किसी न किसी रूप में चोट खाये थे।।बहरहाल झालरापाटन की जनता ने बम्पर वोटिंग कर दोनो के भाग्य ई वी एम में बन्द कर दिए।
*राजस्थान की सबसे हॉट सीटों में से एक झालरापाटन पर सभी की निगाहें टिकी है।। 16 दिन पहले नामांकन से एक दिन पहले मारवाड़ की राजनीति से हाड़ौती की राजनीति में आने वाले कर्नल मानवेन्द्र सिंह ने अपनी व्यूह रचना से मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के तीस साल के साम्राज्य को जबरदस्त चुनोती दे डाली।।आज सम्पन हुए विधानसभा चुनावों के बाद झालरापाटन की बदलती तस्वीर लोगो को दिखाई देने लगी है।।मानवेन्द्र सिंह ने वसुंधरा राजे के परंपरागत मतों में जिस तरह सेंध लगाई है उससे महारानी का उधार लिया झालावाड़ का सिंहासन डोलने लग गया।।मतदान के दौरान उनके सांसद पुत्र दुष्यंत सिंह की बौखलाहट साफ नजर आ रही थी। मानवेन्द्र सिंह और चित्रा सिंह ने अपने सघन प्रचार अभियान से झालरापाटन की चुनावी फिजा को बदलने का जो प्रयास किया उसमे कितने सफल हुए यह अधिकृत रूप से ग्यारह दिसम्बर को ही सामने आएगा मगर झालरापाटन के कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओ ने आज शाम को ही जश्न मना लिया। मानवेन्द्र सिंह के स्वाभिमान ने राजपूत,मुस्लिम,सोनदिया राजपूत,गुर्जर ,ब्राह्मण ,और अनुसूचित जाति जन जाती के मतों में न केवल सेंध लगाई बल्कि भाजपा के कट्टर समर्थक 28 हजार दांगी समेज के वोटों से भी वसुंधरा राजे को वंचित कर दिया। दांगी समाज की और से श्रीलाल दांगी निर्दलीय उतरे थे पूरे समाज की और से अधिकृत प्रत्यासी थे। चुनाव प्रचार समाप्ति के बाद वसुंधरा राजे ने सर्व प्रथम दांगी समाज को साधने के लिए 5 दिसम्बर को मीटिंग रखी।मगर इस मीटिंग में दांगी समाज ने आने से मना किया तो रात्रि दो बजे दांगी समाज के बीच पहुंची जहां दांगी समाज ने वसुंधरा राजे को खाली हाथ लौट दिया।।।राजपूत पहले ही जा चुके थे।।5 दिसम्बर को वसुंधरा राजे तीस सालों में पहली बार ग्रामीणों की चौखट पर गई।।मगर उन्हें ज्यादा कोई उत्साह नही दिख। किसान वर्ग में समर्थन मूल्य से लहसुन और सोयाबीन की खरीद को लेकर ज़बरदस्त नाराजगी थी तो युवा में बेरोजगारी को लेकर आक्रोशित थे।।यह आक्रोश आज मतदान के दौरान साफ दिखा दी।।वसुंधरा राजे अपने सलाहकारों के भरोसे थी जो उन्हें जीत का आईना बराबर दिख रहे थे।वसुंधरा राजे ने उन पर विश्वास कर अपनीजीत के प्रति आश्वस्त रही।।वसुंधरा राजे के खिलाफ मानवेन्द्र सिंह को पूरे राज्य से सहयोग मिला,यहां तक कि वसुंधरा राजे के नजदीकी राजनीति लोग भी उनके साथ भितरघात कर उनको झटका देने तैयार हो गए चुनाव में स्वाभिमान लड़ाई का अन्त करन पहुंचे मानवेन्द्र सिंह ने खुद को पूरी झोंक दिया।। इधर 5 दिसम्बर को वसुंधरा राजे की गैर मौजूदगी में भाजपा ने रैली निकाली।।जिसमे नाममात्र के लोग शामिल थे।।हवा का रुख इस रैली के बाद बदल गया ।।शहर में कच्ची बस्तियों में दुष्यंत सिंह के दुर्व्यवहर को लेकर भी लोग नाराज बता जता रहे थे।।बहुत सारे फेक्टर वसुंधरा राजे के खिलाफ काम कर रहे थे। वसुंधरा को इसकी भनक तक नही लगी।।मानवेन्द्र सिंह को झालावाड़ के दिग्गज नेताओं शैलेन्द्र यादव ,प्रमोद शर्मा,रामलाल चौहान, मुकुला पंकज चौधरी,वीरेंद्र सिंह झाला, का बखूबी साथ मिला जो वसुंधरा राजे से किसी न किसी रूप में चोट खाये थे।।बहरहाल झालरापाटन की जनता ने बम्पर वोटिंग कर दोनो के भाग्य ई वी एम में बन्द कर दिए।
शुक्रवार, 7 दिसंबर 2018
बाड़मेर। मतदान खत्म, शाम 5 बजे तक 73.56 फीसद हुई वोटिंग , युवाओ में दिखा उत्साह
बाड़मेर। मतदान खत्म, शाम 5 बजे तक 73.56 फीसद हुई वोटिंग , युवाओ में दिखा उत्साह
रिपोर्ट:- छगन सिंह चौहान/ बाड़मेर
बाड़मेर। सरहदी जिले बाड़मेर में शुक्रवार को लोकतंत्र पर्व पर लोगो ने दिल खोलकर मतदान किया। जिले कि सभी सातो सीटो पर शाम पांच बजे तक 73.56 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. मतदान का अंतिम आंकड़ा देर रात तक ही आ पाएगा क्योंकि कुछ मतदान केंद्रों में मतदान देर शाम तक जारी था ओर केन्द्रों में मतदाताओं की कतारें लगी हुई थी।
बाड़मेर जिले में शुक्रवार सुबह 8 बजे से मतदान शुरू हुआ । विधानसभा चुनाव को लेकर जिला एवं पुलिस प्रशासन की ओर से माकूल सुरक्षा इंतजाम किए गए। केंद्रीय पर्यवेक्षको के साथ जिला निर्वाचन अधिकारी शिवप्रसाद मदन नकाते एवं पुलिस अधीक्षक राहुल बारहट ने विभिन्न मतदान केंद्रों का निरीक्षण किया। स्काउट्स को सहयोगी के तौर पर लगाया गया।
जिले में आदर्श मतदान केंद्रों को विशेष तौर से सजाने के साथ मतदाताओं के लिए रेड कार्पेट बिछाया गया। कई मतदान केन्द्रों पर मतदाताओं के पहुंचने पर उनका तिलक लगाकर अभिनंदन किया गया, साथ ही उनके स्वागत के लिए रंगोली बनाई गई।
कहा कितना हुआ मतदान
जिले में शाम को 5 बजे तक प्राप्त सूचना के अनुसार 73.56 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। शिव विधानसभा में 76.06, बाड़मेर में 72.88, बायतु में 76.20, पचपदरा में 70.35, सिवाना में 65.71, गुडामालानी में 79.72 एवं चौहटन विधानसभा क्षेत्र में 74.04 फीसदी मतदान दर्ज किया गया।
पहली बार वोट डालने पहुंचे मतदाताओं में दिखा उत्साह
पहली बार वोटिंग करने पहुंचे मतदाताओं में उत्साह देखने को मिला। लाइन में लगने के बाद भी युवाओं का उत्साह देखते ही बन रहा था।
रिपोर्ट:- छगन सिंह चौहान/ बाड़मेर
बाड़मेर। सरहदी जिले बाड़मेर में शुक्रवार को लोकतंत्र पर्व पर लोगो ने दिल खोलकर मतदान किया। जिले कि सभी सातो सीटो पर शाम पांच बजे तक 73.56 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. मतदान का अंतिम आंकड़ा देर रात तक ही आ पाएगा क्योंकि कुछ मतदान केंद्रों में मतदान देर शाम तक जारी था ओर केन्द्रों में मतदाताओं की कतारें लगी हुई थी।
बाड़मेर जिले में शुक्रवार सुबह 8 बजे से मतदान शुरू हुआ । विधानसभा चुनाव को लेकर जिला एवं पुलिस प्रशासन की ओर से माकूल सुरक्षा इंतजाम किए गए। केंद्रीय पर्यवेक्षको के साथ जिला निर्वाचन अधिकारी शिवप्रसाद मदन नकाते एवं पुलिस अधीक्षक राहुल बारहट ने विभिन्न मतदान केंद्रों का निरीक्षण किया। स्काउट्स को सहयोगी के तौर पर लगाया गया।
जिले में आदर्श मतदान केंद्रों को विशेष तौर से सजाने के साथ मतदाताओं के लिए रेड कार्पेट बिछाया गया। कई मतदान केन्द्रों पर मतदाताओं के पहुंचने पर उनका तिलक लगाकर अभिनंदन किया गया, साथ ही उनके स्वागत के लिए रंगोली बनाई गई।
कहा कितना हुआ मतदान
जिले में शाम को 5 बजे तक प्राप्त सूचना के अनुसार 73.56 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। शिव विधानसभा में 76.06, बाड़मेर में 72.88, बायतु में 76.20, पचपदरा में 70.35, सिवाना में 65.71, गुडामालानी में 79.72 एवं चौहटन विधानसभा क्षेत्र में 74.04 फीसदी मतदान दर्ज किया गया।
पहली बार वोट डालने पहुंचे मतदाताओं में दिखा उत्साह
पहली बार वोटिंग करने पहुंचे मतदाताओं में उत्साह देखने को मिला। लाइन में लगने के बाद भी युवाओं का उत्साह देखते ही बन रहा था।
*राजस्थान में 72 फीसदी मतदान ,बढ़ सकता है आंकड़ा*
*राजस्थान में 72 फीसदी मतदान ,बढ़ सकता है आंकड़ा*
जयपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2018 को लेकर आज सुबह आठ बजे से शुरू हुए मतदान में प्रदेशभर के 4.75 करोड़ से ज्यादा मतदाताओं ने 51687 मतदान केन्द्रों पर ईवीएम-वीवीपैट मशीनों में चुनावी उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला दर्ज कराया है। आज सुबह आठ बजे से लेकर 5 बजे तक प्रदेशभर में कुल 72.19 प्रतिशत मतदान हुआ।
बता दें कि प्रदेश की 200 विधानसभा सीटों में से 199 सीटों के लिए मतदान हुआ है, जिसके लिए चुनावी मैदान में कुल 2274 प्रत्याशी मौजूद हैं। वहीं अलवर जिले की रामगढ़ विधानसभा सीट पर बसपा के प्रत्याशी का निधन हो जाने के कारण यहां चुनाव स्थगित किया गया है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर समान जाति के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। राजस्थान चुनाव में जिन सीटों पर सभी की नजरें टिकीं हैं, उनमें से एक झालरापाटन सीट भी है, जहां मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह के बीच चुनावी मुकाबला है।
बहरहाल, राजस्थान में पांच बजने के साथ ही अब वोटिंग खत्म हो चुकी है और अब सबकी नजरें 11 दिसम्बर हो होने वाली मतगणना पर टिकी है। 11 दिसम्बर को जनता का अंतिम फैसला ईवीएम से निकलकर सबके सामने आएगा और इसका फैसला होगा कि राजस्थान में किसकी सरकार बनेगी। वहीं आज शाम को मतदान खत्म होने के साथ ही एग्जिट पोल पर लोगों की निगाहें जती हैं। इन एग्जिट पोल से कुछ हद तक मुकाबले की तस्वीर को साफ किए जाने की कोशिश की जाएगी।
जयपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2018 को लेकर आज सुबह आठ बजे से शुरू हुए मतदान में प्रदेशभर के 4.75 करोड़ से ज्यादा मतदाताओं ने 51687 मतदान केन्द्रों पर ईवीएम-वीवीपैट मशीनों में चुनावी उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला दर्ज कराया है। आज सुबह आठ बजे से लेकर 5 बजे तक प्रदेशभर में कुल 72.19 प्रतिशत मतदान हुआ।
बता दें कि प्रदेश की 200 विधानसभा सीटों में से 199 सीटों के लिए मतदान हुआ है, जिसके लिए चुनावी मैदान में कुल 2274 प्रत्याशी मौजूद हैं। वहीं अलवर जिले की रामगढ़ विधानसभा सीट पर बसपा के प्रत्याशी का निधन हो जाने के कारण यहां चुनाव स्थगित किया गया है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर समान जाति के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। राजस्थान चुनाव में जिन सीटों पर सभी की नजरें टिकीं हैं, उनमें से एक झालरापाटन सीट भी है, जहां मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह के बीच चुनावी मुकाबला है।
बहरहाल, राजस्थान में पांच बजने के साथ ही अब वोटिंग खत्म हो चुकी है और अब सबकी नजरें 11 दिसम्बर हो होने वाली मतगणना पर टिकी है। 11 दिसम्बर को जनता का अंतिम फैसला ईवीएम से निकलकर सबके सामने आएगा और इसका फैसला होगा कि राजस्थान में किसकी सरकार बनेगी। वहीं आज शाम को मतदान खत्म होने के साथ ही एग्जिट पोल पर लोगों की निगाहें जती हैं। इन एग्जिट पोल से कुछ हद तक मुकाबले की तस्वीर को साफ किए जाने की कोशिश की जाएगी।
प्रदेश की सर्वाधिक हाईप्रोफाइल झालरापटन सीट पर टिकी हैं प्रदेशभर की निगाहें
प्रदेश की सर्वाधिक हाईप्रोफाइल झालरापाटन सीट पर टिकी हैं प्रदेशभर की निगाहें
राजस्थान विधानसभा चुनाव-2018 में प्रदेश में सभी लोगों की निगाहें झालरापाटन सीट पर टिकी हैं. सीएम वसुंधरा राजे के इस अभेद्य गढ़ में सेंध लगाने के लिए कांग्रेस ने बीजेपी के संस्थापक सदस्य रहे पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह जसोल के बेटे मानवेन्द्र सिंह को भेजा है. जसवंत सिंह परिवार की बीजेपी खासतौर से सीएम राजे से नाराजगी किसी से छिपी हुई नहीं है।
गत लोकसभा चुनावों में बाड़मेर-जैसलमेर क्षेत्र से टिकट नहीं मिलने से जसवंत सिंह इतने खफा हुए कि जिस पार्टी को खड़ा करने में उन्होंने अपनी उम्र बिता दी उसी पार्टी के खिलाफ वे चुनाव मैदान में उतर गए थे. सिंह का टिकट कटने से मारवाड़ में राजूपत समाज के एक धड़े की भी बीजेपी से कुछ दूर बढ़ गई थी. बीजेपी की टिकट पर बाड़मेर के शिव विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए जसवंत सिंह के बेटे मानवेन्द्र ने भी बाद में पार्टी से किनारा कर लिया था. गत सितंबर में उन्होंने बीजेपी को अलविदा कहकर कांग्रेस ज्वॉइन कर ली।
इस पर कांग्रेस ने भी जसवंत सिंह के परिवार और राजपूत समाज के एक धड़े की बीजेपी से बढ़ी दूरियों का फायदा उठाने के लिए रणनीति के तहत मानवेन्द्र सिंह को झालरापाटन से सीएम के सामने चुनाव मैदान में उतार दिया. तब से प्रदेशभर की निगाहें झालरापाटन में होने वाले इस महा मुकाबले पर टिकी है।
राजे का अभेद्य मजबूत गढ़ है झालरापाटन
बीजेपी प्रत्याशी सीएम वसुंधरा राजे झालावाड़-बारां लोकसभा सीट से पांच से बार सांसद चुनी जा चुकी हैं. वहीं चार बार यहां से विधायक रह चुकी हैं. गत तीन बार से लगातार वे झालरापाटन से विधायक हैं. वे दूसरी बार राजस्थान की सीएम बनी हैं. वे एक बार प्रदेश बीजेपी की कमान भी संभाल चुकी हैं और केन्द्र में मंत्री भी रह चुकी हैं.
2003 में सबसे ज्यादा मतों से लोकसभा चुनाव जीते हैं मानवेन्द्र
कांग्रेस प्रत्याशी मानवेन्द्र सिंह वर्तमान में शिव से विधायक हैं. मानवेन्द्र सिंह पूर्व में बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं. 2003 के लोकसभा चुनाव में सिंह के नाम सबसे ज्यादा मतों से जीतने का रिकॉर्ड है. सिंह ने उस समय 2,72000 से भी अधिक मतों से जीत दर्ज की थी.
राजस्थान विधानसभा चुनाव-2018 में प्रदेश में सभी लोगों की निगाहें झालरापाटन सीट पर टिकी हैं. सीएम वसुंधरा राजे के इस अभेद्य गढ़ में सेंध लगाने के लिए कांग्रेस ने बीजेपी के संस्थापक सदस्य रहे पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह जसोल के बेटे मानवेन्द्र सिंह को भेजा है. जसवंत सिंह परिवार की बीजेपी खासतौर से सीएम राजे से नाराजगी किसी से छिपी हुई नहीं है।
गत लोकसभा चुनावों में बाड़मेर-जैसलमेर क्षेत्र से टिकट नहीं मिलने से जसवंत सिंह इतने खफा हुए कि जिस पार्टी को खड़ा करने में उन्होंने अपनी उम्र बिता दी उसी पार्टी के खिलाफ वे चुनाव मैदान में उतर गए थे. सिंह का टिकट कटने से मारवाड़ में राजूपत समाज के एक धड़े की भी बीजेपी से कुछ दूर बढ़ गई थी. बीजेपी की टिकट पर बाड़मेर के शिव विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए जसवंत सिंह के बेटे मानवेन्द्र ने भी बाद में पार्टी से किनारा कर लिया था. गत सितंबर में उन्होंने बीजेपी को अलविदा कहकर कांग्रेस ज्वॉइन कर ली।
इस पर कांग्रेस ने भी जसवंत सिंह के परिवार और राजपूत समाज के एक धड़े की बीजेपी से बढ़ी दूरियों का फायदा उठाने के लिए रणनीति के तहत मानवेन्द्र सिंह को झालरापाटन से सीएम के सामने चुनाव मैदान में उतार दिया. तब से प्रदेशभर की निगाहें झालरापाटन में होने वाले इस महा मुकाबले पर टिकी है।
राजे का अभेद्य मजबूत गढ़ है झालरापाटन
बीजेपी प्रत्याशी सीएम वसुंधरा राजे झालावाड़-बारां लोकसभा सीट से पांच से बार सांसद चुनी जा चुकी हैं. वहीं चार बार यहां से विधायक रह चुकी हैं. गत तीन बार से लगातार वे झालरापाटन से विधायक हैं. वे दूसरी बार राजस्थान की सीएम बनी हैं. वे एक बार प्रदेश बीजेपी की कमान भी संभाल चुकी हैं और केन्द्र में मंत्री भी रह चुकी हैं.
2003 में सबसे ज्यादा मतों से लोकसभा चुनाव जीते हैं मानवेन्द्र
कांग्रेस प्रत्याशी मानवेन्द्र सिंह वर्तमान में शिव से विधायक हैं. मानवेन्द्र सिंह पूर्व में बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं. 2003 के लोकसभा चुनाव में सिंह के नाम सबसे ज्यादा मतों से जीतने का रिकॉर्ड है. सिंह ने उस समय 2,72000 से भी अधिक मतों से जीत दर्ज की थी.
गुरुवार, 6 दिसंबर 2018
ब्रेकिंग।। बाड़मेर। विधायक मेवाराम जैन के निजी सहायक पर हमला
ब्रेकिंग।। बाड़मेर। विधायक मेवाराम जैन के निजी सहायक पर हमला
बाड़मेर। अभी अभी विधायक मेवाराम जैन के निजी सहायक पर बाड़मेर से 25 किलोमीटर दूर कुछ अज्ञात लोगों ने हमला कर दिया।
इस घटना की जानकारी जैसे ही कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को मिली तो मौके पर भारी भीड़ जमा हो गई. घटना के तुरंत बाद ही अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रामेश्वर मेघवाल मय जाब्ता मौके पर पहुंचे और पुरे घटना की जानकारी ली।
विधायक और निजी सहायक का आरोप है कि कुछ अज्ञात लोग उन पर हमला करने के लिए उनकी गाड़ी का पीछा कर रहे थे. लेकिन किसी भी तरीके से ओम प्रकाश अपनी जान बचाकर किसी घर में घुस गया और उसके बाद उसने इस घटना की जानकारी तुरंत पुलिस और विधायक को दी. वहीं पुलिस ने इस पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है।
बाड़मेर। अभी अभी विधायक मेवाराम जैन के निजी सहायक पर बाड़मेर से 25 किलोमीटर दूर कुछ अज्ञात लोगों ने हमला कर दिया।
इस घटना की जानकारी जैसे ही कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को मिली तो मौके पर भारी भीड़ जमा हो गई. घटना के तुरंत बाद ही अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रामेश्वर मेघवाल मय जाब्ता मौके पर पहुंचे और पुरे घटना की जानकारी ली।
विधायक और निजी सहायक का आरोप है कि कुछ अज्ञात लोग उन पर हमला करने के लिए उनकी गाड़ी का पीछा कर रहे थे. लेकिन किसी भी तरीके से ओम प्रकाश अपनी जान बचाकर किसी घर में घुस गया और उसके बाद उसने इस घटना की जानकारी तुरंत पुलिस और विधायक को दी. वहीं पुलिस ने इस पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है।
बाड़मेर। 16 लाख 62 हजार मतदाता कल करेगे मतदान
बाड़मेर। 16 लाख 62 हजार मतदाता कल करेगे मतदान
बाड़मेर। शुक्रवार सुबह 8.00बजे से शाम 5 बजे तक होगा मतदान। जिले में 2194 मतदान केन्द्र, 16 लाख 62 हजार 627 मतदाता करेगे मतदान , जिले में 14 हजार 925 दिव्यांग मतदाता, मिलेगी पूरी सुविधाएं। भयमुक्त एवं निष्पक्ष मतदान प्रशासन की प्राथमिकता, चप्पे -चप्पे पर रहेगी नजर। नियम तोड़ने वालों के खिलाफ होगी सख्त कार्यवाही।
बाड़मेर। शुक्रवार सुबह 8.00बजे से शाम 5 बजे तक होगा मतदान। जिले में 2194 मतदान केन्द्र, 16 लाख 62 हजार 627 मतदाता करेगे मतदान , जिले में 14 हजार 925 दिव्यांग मतदाता, मिलेगी पूरी सुविधाएं। भयमुक्त एवं निष्पक्ष मतदान प्रशासन की प्राथमिकता, चप्पे -चप्पे पर रहेगी नजर। नियम तोड़ने वालों के खिलाफ होगी सख्त कार्यवाही।
बुधवार, 5 दिसंबर 2018
*आज शाम को थम जाएगा चुनावी शोर* *प्रशासन के लिए चुनोती पूर्ण होगा निष्पक्ष चुनाव कराना*
*आज शाम को थम जाएगा चुनावी शोर*
*प्रशासन के लिए चुनोती पूर्ण होगा निष्पक्ष चुनाव कराना*
*राजस्थान
की दो सौ विधानसभा में से 199 पर आज चुनावी शोर शाम को थम जाएगा।।पिछले एक माह से चुनावी माहौल पर लगाम कस जाएगी। अब प्रत्यासी डोर टू डोर जुटेंगे। जिलो के प्रशासन के लिए यह चुनाव निष्पक्ष करना चुनोती पुरत होगा। राजस्थान की हॉट शीटों में से खींवसर,झालावाड़,टोंक, अंता,लाडपुरा ,सरदार पूरा,उदयपुर पर सबकी निगाहें है। टोंक और झालावाड़ में जिला प्रशासन के लिए बड़ी चुनोती है निष्पक्ष चुनाव की। झालावाड़ में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे चुनाव लड़ रही है सामने कर्नल मानवेन्द्र सिंह। वसुंधरा राजे के चुनाव लड़ने के तरीके जुदा है।।इन जुदा तरीको से प्रशासन कितना निपटाता है यह देखने वाली बात है।टोंक में पैसा पानी की तरह बाह रहा है। कई स्थानों पर मुकाबले दिलचस्प हो गए। बाडमेर जेसलमेर में कड़े मुकाबले है मगर जेसलमेर में अप्रत्याशित परिणाम आने की संभावना है तो बाडमेर में कांग्रेस पांच स्थानों पर मस्त है । बायतु ,सिवाणा में मुकाबला रोचक है। कई दिग्गजों की राजनीति का अंतिम अवसर है।
*प्रशासन के लिए चुनोती पूर्ण होगा निष्पक्ष चुनाव कराना*
*राजस्थान
की दो सौ विधानसभा में से 199 पर आज चुनावी शोर शाम को थम जाएगा।।पिछले एक माह से चुनावी माहौल पर लगाम कस जाएगी। अब प्रत्यासी डोर टू डोर जुटेंगे। जिलो के प्रशासन के लिए यह चुनाव निष्पक्ष करना चुनोती पुरत होगा। राजस्थान की हॉट शीटों में से खींवसर,झालावाड़,टोंक, अंता,लाडपुरा ,सरदार पूरा,उदयपुर पर सबकी निगाहें है। टोंक और झालावाड़ में जिला प्रशासन के लिए बड़ी चुनोती है निष्पक्ष चुनाव की। झालावाड़ में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे चुनाव लड़ रही है सामने कर्नल मानवेन्द्र सिंह। वसुंधरा राजे के चुनाव लड़ने के तरीके जुदा है।।इन जुदा तरीको से प्रशासन कितना निपटाता है यह देखने वाली बात है।टोंक में पैसा पानी की तरह बाह रहा है। कई स्थानों पर मुकाबले दिलचस्प हो गए। बाडमेर जेसलमेर में कड़े मुकाबले है मगर जेसलमेर में अप्रत्याशित परिणाम आने की संभावना है तो बाडमेर में कांग्रेस पांच स्थानों पर मस्त है । बायतु ,सिवाणा में मुकाबला रोचक है। कई दिग्गजों की राजनीति का अंतिम अवसर है।
*झालावाड़ अगर आप मीडिया या खुफ़िया विभाग से हैं तो झालरापाटन से वसुंधरा राजे ही जीतेंगी, नहीं तो...*
*झालावाड़ अगर आप मीडिया या खुफ़िया विभाग से हैं तो झालरापाटन से वसुंधरा राजे ही जीतेंगी, नहीं तो...*
राजस्थान के झालरापाटन में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के सामने पूर्व भाजपाई और अब कांग्रेस प्रत्याशी मानवेंद्र सिंह के आ जाने से मुकाबला रोचक हो गया है
*पुलकित भारद्वाज से साभार*
राजस्थान विधानसभा चुनाव में कुछ ही दिन बचे होने के चलते सियासी शोर चरम पर है. लेकिन राजनैतिक लिहाज से प्रदेश में सबसे महत्वपूर्ण माने जा रहे झालावाड़ में अजीब सी खामोशी है. झालरापाटन नाम से पहचानी जाने वाली इस सीट पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे बीते तीन चुनावों से लगातार अपना परचम लहरा पाने में सफल रही हैं. इससे पहले वे 1989 से 2004 तक इस क्षेत्र से सांसद चुनी जाती रही थीं. 2004 के बाद से इस सीट पर उनके बेटे दुष्यंत सिंह का कब्जा है. झालावाड़ में राजे की पकड़ को देखकर सूबे के राजनैतिक गलियारों में कहा जाता है कि वहां से चुनाव जीतना वसुंधरा राजे के बाएं हाथ का खेल है. लेकिन इस बार मामला कुछ अलग नज़र आता है. पूर्व विदेश मंत्री जसंवत सिंह के पुत्र और भाजपा से बाग़ी हो चुके दिग्गज नेता मानवेंद्र सिंह को झालरापाटन से उतारकर कांग्रेस ने इस मुकाबले को रोचक बना दिया है.
छोटे कस्बे की शक्ल वाले झालावाड़ शहर के लोग पहली मुलाकात में चुनावी रुझान को लेकर गोलमोल जवाब देते हैं. वे कहते हैं कि यहां से वसुंधरा राजे को डिगा पाना नामुमकिन की हद तक मुश्किल है. लेकिन उनकी यह राय तब तक ही कायम रहती है जब तक वे आपको मीडिया या सुरक्षा और खुफ़िया विभागों से जुड़ा हुआ समझते हैं. आपके आम पर्यटक होने का यकीन होते ही इन लोगों की बातचीत का अंदाज पूरी तरह बदल जाता है. शहर के आम मतदाता की बातों से वसुंधरा राजे और खासतौर पर दुष्यंत सिंह के लिए गहरी नाराज़गी झलकती है. क्षेत्र की 65 फीसदी आबादी जिन गांवों में बसती है वहां यह आक्रोश और ज्यादा महसूस किया जा सकता है. लेकिन यहां खुलेआम बोलने से हर कोई बचना चाहता है. एक व्यापारी रामजी (बदला हुआ नाम) के शब्दों में, ‘कुछ कहते हुए डर लगता है.’ रामजी ने अपनी दुकान के दोनों तरफ भाजपा का झंडा लगा रखा है. इससे जुड़े सवाल पर वे मजाकिया लहज़े में कहते हैं, ‘जिसके घर-दुकान पर जितने ज्यादा झंडे लगाए गए हैं, वह उतना ही नाराज है.’
हालांकि झालावाड़ के जिन पुराने लोगों ने इस शहर की बदहाली देखी है वे वसुंधरा राजे के के कार्यकाल से काफी हद तक संतुष्ट नज़र आते हैं. लेकिन जिले से बाहर की दुनिया से राब्ता रखने वाले लोग अपने बुज़ुर्गों की बातों से ज्यादा इत्तेफाक़ नहीं जताते. उन्हें शिकायत है कि दो बार मुख्यमंत्री बनने के बावजूद वसुंधरा राजे, झालावाड़ में किसी बड़े रोजगार का ज़रिया उपलब्ध नहीं करवा पाई हैं. संतरे के बंपर उत्पादन के लिए झालावाड़ को राजस्थान का नागपुर कहा जाता है. यहां धनिए की भी जबरदस्त पैदावार होती है. लेकिन स्थानीय जानकारों का कहना है कि क्षेत्र में ऐसी कोई ठोस कार्य योजना नहीं बनाई गई जो किसानों को कुछ खास फायदा दिला सके.
देशभर में कुछ ही जिला मुख्यालय ऐसे होंगे जिन के रेलवे स्टेशन झालावाड़ जितने सूने हों. यहां आपको दूर-दराज तक एक चाय की दुकान तक नज़र नहीं आती. यहां के निवासियों को वर्षों से रेलमार्ग के ज़रिए भोपाल से जुड़ने उम्मीद है. लेकिन अभी यहां से संचालित होने वाली इक्का-दुक्का रेलगाड़ियों की मदद से सिर्फ कोटा तक पहुंचा जा सकता है. इसी वीराने में जिले का डाक बंगला भी स्थित है. झालावाड़ प्रवास के दौरान वसुंधरा राजे अक्सर यहीं रुकती हैं. लेकिन चौंकाने वाली बात है कि यहां एक भी स्थायी कर्मचारी नज़र नहीं आता. बताया जाता है कि वसुंधरा राजे की यात्रा के दौरान सुरक्षा से लेकर रसोइए तक पूरा स्टाफ जयपुर से जाता है.
झालावाड़ रेलवे स्टेशन पर पसरा सन्नाटा
झालावाड़ समेत पूरा कोटा संभाग करीब तीन दशक से भाजपा का गढ़ माना जाता है. लेकिन कोटा शहर से झालावाड़ तक के बीच का अधिकतर रास्ता इतना खस्ताहाल है कि 90 किलोमीटर की दूरी तय करने में तीन से पांच घंटे लग जाते हैं. इसके अलावा यहां अफ़ीम और लहसुन की फसलों का पूरा मुआवज़ा न मिलने, खाद वितरण में पुलिस बल का प्रयोग, किसानों की आत्महत्या, अपराधों में बढ़ोतरी, डीज़ल-पेट्रोल-गैस के बढ़ते दाम, बिजली और जलापूर्ति जैसे मुद्दों की वजह से भी लोगों में भाजपा समेत मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के प्रति रोष है. शायद यही कारण है कि बीते दिनों क्षेत्र की तीन नगरपालिकाओं के चुनावों में से दो में कांग्रेस जीत हासिल करने में सफल रही और एक पर वह सिर्फ एक वोट से हारी थी. वहीं, इसी साल हुए छात्रसंघ चुनावों में भी क्षेत्र की प्रमुख शिक्षण संस्थाओं में कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई ने बाजी मारी थी.
राजस्थान के झालरापाटन में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के सामने पूर्व भाजपाई और अब कांग्रेस प्रत्याशी मानवेंद्र सिंह के आ जाने से मुकाबला रोचक हो गया है
*पुलकित भारद्वाज से साभार*
राजस्थान विधानसभा चुनाव में कुछ ही दिन बचे होने के चलते सियासी शोर चरम पर है. लेकिन राजनैतिक लिहाज से प्रदेश में सबसे महत्वपूर्ण माने जा रहे झालावाड़ में अजीब सी खामोशी है. झालरापाटन नाम से पहचानी जाने वाली इस सीट पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे बीते तीन चुनावों से लगातार अपना परचम लहरा पाने में सफल रही हैं. इससे पहले वे 1989 से 2004 तक इस क्षेत्र से सांसद चुनी जाती रही थीं. 2004 के बाद से इस सीट पर उनके बेटे दुष्यंत सिंह का कब्जा है. झालावाड़ में राजे की पकड़ को देखकर सूबे के राजनैतिक गलियारों में कहा जाता है कि वहां से चुनाव जीतना वसुंधरा राजे के बाएं हाथ का खेल है. लेकिन इस बार मामला कुछ अलग नज़र आता है. पूर्व विदेश मंत्री जसंवत सिंह के पुत्र और भाजपा से बाग़ी हो चुके दिग्गज नेता मानवेंद्र सिंह को झालरापाटन से उतारकर कांग्रेस ने इस मुकाबले को रोचक बना दिया है.
छोटे कस्बे की शक्ल वाले झालावाड़ शहर के लोग पहली मुलाकात में चुनावी रुझान को लेकर गोलमोल जवाब देते हैं. वे कहते हैं कि यहां से वसुंधरा राजे को डिगा पाना नामुमकिन की हद तक मुश्किल है. लेकिन उनकी यह राय तब तक ही कायम रहती है जब तक वे आपको मीडिया या सुरक्षा और खुफ़िया विभागों से जुड़ा हुआ समझते हैं. आपके आम पर्यटक होने का यकीन होते ही इन लोगों की बातचीत का अंदाज पूरी तरह बदल जाता है. शहर के आम मतदाता की बातों से वसुंधरा राजे और खासतौर पर दुष्यंत सिंह के लिए गहरी नाराज़गी झलकती है. क्षेत्र की 65 फीसदी आबादी जिन गांवों में बसती है वहां यह आक्रोश और ज्यादा महसूस किया जा सकता है. लेकिन यहां खुलेआम बोलने से हर कोई बचना चाहता है. एक व्यापारी रामजी (बदला हुआ नाम) के शब्दों में, ‘कुछ कहते हुए डर लगता है.’ रामजी ने अपनी दुकान के दोनों तरफ भाजपा का झंडा लगा रखा है. इससे जुड़े सवाल पर वे मजाकिया लहज़े में कहते हैं, ‘जिसके घर-दुकान पर जितने ज्यादा झंडे लगाए गए हैं, वह उतना ही नाराज है.’
हालांकि झालावाड़ के जिन पुराने लोगों ने इस शहर की बदहाली देखी है वे वसुंधरा राजे के के कार्यकाल से काफी हद तक संतुष्ट नज़र आते हैं. लेकिन जिले से बाहर की दुनिया से राब्ता रखने वाले लोग अपने बुज़ुर्गों की बातों से ज्यादा इत्तेफाक़ नहीं जताते. उन्हें शिकायत है कि दो बार मुख्यमंत्री बनने के बावजूद वसुंधरा राजे, झालावाड़ में किसी बड़े रोजगार का ज़रिया उपलब्ध नहीं करवा पाई हैं. संतरे के बंपर उत्पादन के लिए झालावाड़ को राजस्थान का नागपुर कहा जाता है. यहां धनिए की भी जबरदस्त पैदावार होती है. लेकिन स्थानीय जानकारों का कहना है कि क्षेत्र में ऐसी कोई ठोस कार्य योजना नहीं बनाई गई जो किसानों को कुछ खास फायदा दिला सके.
देशभर में कुछ ही जिला मुख्यालय ऐसे होंगे जिन के रेलवे स्टेशन झालावाड़ जितने सूने हों. यहां आपको दूर-दराज तक एक चाय की दुकान तक नज़र नहीं आती. यहां के निवासियों को वर्षों से रेलमार्ग के ज़रिए भोपाल से जुड़ने उम्मीद है. लेकिन अभी यहां से संचालित होने वाली इक्का-दुक्का रेलगाड़ियों की मदद से सिर्फ कोटा तक पहुंचा जा सकता है. इसी वीराने में जिले का डाक बंगला भी स्थित है. झालावाड़ प्रवास के दौरान वसुंधरा राजे अक्सर यहीं रुकती हैं. लेकिन चौंकाने वाली बात है कि यहां एक भी स्थायी कर्मचारी नज़र नहीं आता. बताया जाता है कि वसुंधरा राजे की यात्रा के दौरान सुरक्षा से लेकर रसोइए तक पूरा स्टाफ जयपुर से जाता है.
झालावाड़ रेलवे स्टेशन पर पसरा सन्नाटा
झालावाड़ समेत पूरा कोटा संभाग करीब तीन दशक से भाजपा का गढ़ माना जाता है. लेकिन कोटा शहर से झालावाड़ तक के बीच का अधिकतर रास्ता इतना खस्ताहाल है कि 90 किलोमीटर की दूरी तय करने में तीन से पांच घंटे लग जाते हैं. इसके अलावा यहां अफ़ीम और लहसुन की फसलों का पूरा मुआवज़ा न मिलने, खाद वितरण में पुलिस बल का प्रयोग, किसानों की आत्महत्या, अपराधों में बढ़ोतरी, डीज़ल-पेट्रोल-गैस के बढ़ते दाम, बिजली और जलापूर्ति जैसे मुद्दों की वजह से भी लोगों में भाजपा समेत मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के प्रति रोष है. शायद यही कारण है कि बीते दिनों क्षेत्र की तीन नगरपालिकाओं के चुनावों में से दो में कांग्रेस जीत हासिल करने में सफल रही और एक पर वह सिर्फ एक वोट से हारी थी. वहीं, इसी साल हुए छात्रसंघ चुनावों में भी क्षेत्र की प्रमुख शिक्षण संस्थाओं में कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई ने बाजी मारी थी.
मंगलवार, 4 दिसंबर 2018
आनंदपाल की मां और बेटी ने झालावाड़ पहुंचकर दिया मानवेन्द्र को समर्थन
आनंदपाल की मां और बेटी ने झालावाड़ पहुंचकर दिया मानवेन्द्र को समर्थन
झालावाड़. राजस्थान के विधानसभा चुनाव में हॉट सीट बनी हुई झालरापाटन में सियासी माहौल अपने चरम पर है. कांग्रेस और बीजेपी की तरफ से लगातार स्टार प्रचारकों के माध्यम से पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है.
आपको बता दें कांग्रेस झालावाड़ में राजपूत कार्ड खेलने की कोशिश में है और मानवेंद्र सिंह को यहां से उतार कर अपने इरादे पहले ही जता चुकी है. वहीं मंगलवार को आनंदपाल की मां और बेटी ने अपना समर्थन मानवेंद्र सिंह को देने की अपील लोगों से की. आनंदपाल की मां निर्मल कंवर और बेटी योगिता ने झालावाड़ पहुंचकर मानवेंद्र सिंह को अपना समर्थन दिया है.
आनंदपाल की बेटी योगिता का कहना है कि इस वसुंधरा सरकार ने हम सब पर अन्याय व अत्याचार किया है. वसुंधरा राजे के खिलाफ हमारी व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है. यह हर एक उस युवा की आवाज है. जो सांवराद आंदोलन में साथ था और वर्तमान में भी लड़ाई कर रहा है.
उन्होंने कहा कि हम जातिगत आधार पर मानवेंद्र सिंह का समर्थन नहीं कर रहे हैं. हम उनके स्वाभिमान के सम्मान में उनका समर्थन कर रहे हैं. जो वसुंधरा राजे के अत्याचारी नीतियां हैं उनकी खिलाफत करते हुए विरोध कर रहे हैं. हमारा एक ही नारा है हमारी भूल, कमल का फूल.
झालावाड़. राजस्थान के विधानसभा चुनाव में हॉट सीट बनी हुई झालरापाटन में सियासी माहौल अपने चरम पर है. कांग्रेस और बीजेपी की तरफ से लगातार स्टार प्रचारकों के माध्यम से पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है.
आपको बता दें कांग्रेस झालावाड़ में राजपूत कार्ड खेलने की कोशिश में है और मानवेंद्र सिंह को यहां से उतार कर अपने इरादे पहले ही जता चुकी है. वहीं मंगलवार को आनंदपाल की मां और बेटी ने अपना समर्थन मानवेंद्र सिंह को देने की अपील लोगों से की. आनंदपाल की मां निर्मल कंवर और बेटी योगिता ने झालावाड़ पहुंचकर मानवेंद्र सिंह को अपना समर्थन दिया है.
आनंदपाल की बेटी योगिता का कहना है कि इस वसुंधरा सरकार ने हम सब पर अन्याय व अत्याचार किया है. वसुंधरा राजे के खिलाफ हमारी व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है. यह हर एक उस युवा की आवाज है. जो सांवराद आंदोलन में साथ था और वर्तमान में भी लड़ाई कर रहा है.
उन्होंने कहा कि हम जातिगत आधार पर मानवेंद्र सिंह का समर्थन नहीं कर रहे हैं. हम उनके स्वाभिमान के सम्मान में उनका समर्थन कर रहे हैं. जो वसुंधरा राजे के अत्याचारी नीतियां हैं उनकी खिलाफत करते हुए विरोध कर रहे हैं. हमारा एक ही नारा है हमारी भूल, कमल का फूल.
बाड़मेर। जैन खुद ही बने स्टार प्रचारक , रोड शो कर विरोधी दलों को दिखाई ताकत , भीड़ मतदान में बदली तो बिगड़गे सारे समीकरण
बाड़मेर। जैन खुद ही बने स्टार प्रचारक , रोड शो कर विरोधी दलों को दिखाई ताकत , भीड़ मतदान में बदली तो बिगड़गे सारे समीकरण
@ छगनसिंह चौहान / बाड़मेर
बाड़मेर। आगामी विधानसभा चुनावों के लिए राजनीतिक पार्टियों के दिग्गज नेता ओर स्टार प्रचारक चुनावी सभाए ओर रोड शो के माध्यम से प्रचार-प्रसार में कोई कमी नहीं छोड़ रहे। इसी क्रम में बाड़मेर विधानसभा सीट से कॉंग्रेस प्रत्याशी मेवाराम जैन खुद ही स्टार प्रचारक की भूमिका में नजर आए। आज मेवाराम जैन ने चार पहिया वाहन में सवार होकर बाड़मेर शहरभर में रोड शो किया । जैन को लेकर दीवानगी का ऐसा आलम देखने को मिला कि जिन जगहों से जैन को गुजरना है वहां पर पहले से ही कॉंग्रेस के समर्थक व कार्यकर्ता जमे हुए थे। जैसे ही जैन यहां पर पहुंचे तो कहो दिल से मेवाराम फिर से , मेवाराम जैन जिंदाबाद के नारे लगने लगे। जिस तरह से जेन के रोड शो में भीड़ उमड़ी है। उससे विरोधी दल परेशान हो सकते हैं।
जैन के बाड़मेर शहर में रोड शो के दौरान अपार जनसैलाब उमड़ पड़ा। हर तरफ मेवाराम जैन के पक्ष में जोरदार नारेबाजी के साथ जगह जगह पुष्पवर्षा एवं माला पहनाकर जैन का स्वागत किया गया। जैन ने हाथ हिला कर लोगों का अभिनंदन करते हुए । इस दौरान उनके साथ रथ पर नगर परिषद सभापति लूणकरण बोथरा , उषा जैन , मृदुरेखा चौधरी , पुष्पा चौधरी , एडवोकेट मुकेश जैन सहित कई अन्य नेता मौजूद थे।
विरोधी दलों को दिखाई ताकत
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भाजपा प्रत्याशी कर्नल सोनाराम के समर्थन मे एक दिसम्बर को भी रोड शो किया तो वही दो दिसम्बर को निर्दलीय प्रत्याशी डॉ राहुल बामणिया ने कार्यकर्ता व समर्थकों के रविवार को रोड शो के जरिए शक्ति प्रदर्शन किया था। ऐसे में कथित रूप से रोड शो करके जैन ने विरोधी दलो को अपनी ताकत दिखा दी ।
@ छगनसिंह चौहान / बाड़मेर
बाड़मेर। आगामी विधानसभा चुनावों के लिए राजनीतिक पार्टियों के दिग्गज नेता ओर स्टार प्रचारक चुनावी सभाए ओर रोड शो के माध्यम से प्रचार-प्रसार में कोई कमी नहीं छोड़ रहे। इसी क्रम में बाड़मेर विधानसभा सीट से कॉंग्रेस प्रत्याशी मेवाराम जैन खुद ही स्टार प्रचारक की भूमिका में नजर आए। आज मेवाराम जैन ने चार पहिया वाहन में सवार होकर बाड़मेर शहरभर में रोड शो किया । जैन को लेकर दीवानगी का ऐसा आलम देखने को मिला कि जिन जगहों से जैन को गुजरना है वहां पर पहले से ही कॉंग्रेस के समर्थक व कार्यकर्ता जमे हुए थे। जैसे ही जैन यहां पर पहुंचे तो कहो दिल से मेवाराम फिर से , मेवाराम जैन जिंदाबाद के नारे लगने लगे। जिस तरह से जेन के रोड शो में भीड़ उमड़ी है। उससे विरोधी दल परेशान हो सकते हैं।
जैन के बाड़मेर शहर में रोड शो के दौरान अपार जनसैलाब उमड़ पड़ा। हर तरफ मेवाराम जैन के पक्ष में जोरदार नारेबाजी के साथ जगह जगह पुष्पवर्षा एवं माला पहनाकर जैन का स्वागत किया गया। जैन ने हाथ हिला कर लोगों का अभिनंदन करते हुए । इस दौरान उनके साथ रथ पर नगर परिषद सभापति लूणकरण बोथरा , उषा जैन , मृदुरेखा चौधरी , पुष्पा चौधरी , एडवोकेट मुकेश जैन सहित कई अन्य नेता मौजूद थे।
विरोधी दलों को दिखाई ताकत
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भाजपा प्रत्याशी कर्नल सोनाराम के समर्थन मे एक दिसम्बर को भी रोड शो किया तो वही दो दिसम्बर को निर्दलीय प्रत्याशी डॉ राहुल बामणिया ने कार्यकर्ता व समर्थकों के रविवार को रोड शो के जरिए शक्ति प्रदर्शन किया था। ऐसे में कथित रूप से रोड शो करके जैन ने विरोधी दलो को अपनी ताकत दिखा दी ।
बहुचर्चित लवजिहाद प्रकरण। बाड़मेर। कुपवाड़ा से भागकर अपने घर पहुंची युवती ने बताई आपबीती , एसपी से लगाई न्याय की गुहार
बहुचर्चित लवजिहाद प्रकरण। बाड़मेर। कुपवाड़ा से भागकर अपने घर पहुंची युवती ने बताई आपबीती , एसपी से लगाई न्याय की गुहार
आरोपों के मुताबिक इस साल मार्च में एक कश्मीरी युवक ने बाड़मेर की एक हिंदू लड़की को लव जिहाद के जाल में फंसाया। लड़की का धर्म परिवर्तन कराने के बाद युवक ने उससे शादी कर ली। इसके बाद उसे कुपवाड़ा ले जाया गया। आतंकवाद प्रभावित कुपवाड़ा में लड़की की तलाश करने के लिए बाड़मेर की पुलिस तीन बार गई लेकिन उसे खाली हाथ लौटना पड़ा था।
युवती ने बताया है कि करीब डेढ़ साल पहले खान ने उसकी कुछ तस्वीरें ली थीं और इनके आधार पर वह उसे ब्लैकमेल कर रहा था। 16 मार्च को उसे धमकाते हुए दिल्ली और अहमदाबाद के रास्ते श्रीनगर ले जाया गया। यहां उससे दस्तावेजों पर दस्तखत कराए गए। पीड़ित का आरोप है कि जान से मारने की धमकी देते हुए युवक ने शादी की सहमति देने का उसका विडियो बनाया और इसे यूट्यूब पर अपलोड कर दिया। जबरन हस्ताक्षर करवाकर बयान व याचिका पेश करवाई। लड़की का आरोप है कि उसे जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में भी बयान देने के लिए मजबूर किया गया। पीड़ित का कहना है कि कुपवाड़ा निवासी युवक ने यह भी कहा था कि वह उसे दुबई में बेच देगा।
गौरतलब है कि युवती इस साल 16 मार्च को घर से गायब हुई, जिसकी 21 मार्च को कोतवाली थाने में गुमशुदगी दर्ज हुई। युवती के मोबाइल की कॉल डिटेल के आधार पर लोकेशन कुपवाड़ा की आई। पुलिस टीम युवती की तलाश में जम्मू गई। इस दौरान पुलिस को 22 मार्च को डाक के जरिए कश्मीर हाईकोर्ट से दस्तावेज मिले। जिसमें युवती का 27 दिसम्बर को जम्मू में मुस्लिम धर्म परिवर्तन होने की कथित जानकारी सामने आई। दस्तावेज के अनुसार 30 दिसम्बर को युवती का कथित निकाह कुपवाड़ा निवासी मुस्लिम युवक के साथ हो चुका था।
युवती के 16 मार्च को घर से गायब होने के बाद परिजन ने आरोप लगाया था कि कश्मीर हाईकोर्ट से मिले दस्तावेज में जो कथित निकाह व धर्म परिवर्तन की तिथि अंकित है, वह गलत है। उन्होंने दस्तावेज को भी फर्जी तरीके से तैयार करने का आरोप लगाया था।
सोमवार, 3 दिसंबर 2018
झालरापाटन । वसुंधरा के खेल पर भारी पड़ेंगे ये खिलाड़ी, वसुंधरा के गढ़ में मानवेन्द्र का साथ देने पहुंचे सिद्धू
झालरापाटन । वसुंधरा के खेल पर भारी पड़ेंगे ये खिलाड़ी, वसुंधरा के गढ़ में मानवेन्द्र का साथ देने पहुंचे सिद्धू
झालावाड़. वसुंधरा के गढ़ कहे जाने वाले झालरापाटन सीट पर इस बार उनको मानवेन्द्र सिंह चुनौती दे रहे है. जहां मानवेन्द्र का साथ देने बड़े-बड़े दिग्गज नेता आ रहे है. इसी कड़ी में नवजोत सिंह सिद्धू भी मानवेन्द्र का साथ देने आए.
जैसा कि लोगों के बीच सिद्धू की छवि है. वे एक अच्छे शायर भी है. और जब मंच पर सिद्धू आए तो उन्होंने कांग्रेस पार्टी और मानवेन्द्र के समर्थन में शायरी की और लोगों से कहा यदि आप सिक्स मारना चाहते है तो वसुंधरा और भाजपा को राजस्थान की बाउंड्री से बाहर कर मार सकते है.
खास बात यह है कि मानवेन्द्र और सिद्धू में एक समानता यह है कि दोनों ही खेल की पृष्ठभूमि से है. दरअसल मानवेद्र सिंह पूर्व में कर्नल और फुटबॉल के खिलाड़ी रहे हैं. वहीं नवजोत सिंह सिद्धू भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी रहे हैं. दोनों का साथ आना वसुंधरा के खेल पर भारी पड़ सकता है.
झालावाड़. वसुंधरा के गढ़ कहे जाने वाले झालरापाटन सीट पर इस बार उनको मानवेन्द्र सिंह चुनौती दे रहे है. जहां मानवेन्द्र का साथ देने बड़े-बड़े दिग्गज नेता आ रहे है. इसी कड़ी में नवजोत सिंह सिद्धू भी मानवेन्द्र का साथ देने आए.
जैसा कि लोगों के बीच सिद्धू की छवि है. वे एक अच्छे शायर भी है. और जब मंच पर सिद्धू आए तो उन्होंने कांग्रेस पार्टी और मानवेन्द्र के समर्थन में शायरी की और लोगों से कहा यदि आप सिक्स मारना चाहते है तो वसुंधरा और भाजपा को राजस्थान की बाउंड्री से बाहर कर मार सकते है.
खास बात यह है कि मानवेन्द्र और सिद्धू में एक समानता यह है कि दोनों ही खेल की पृष्ठभूमि से है. दरअसल मानवेद्र सिंह पूर्व में कर्नल और फुटबॉल के खिलाड़ी रहे हैं. वहीं नवजोत सिंह सिद्धू भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी रहे हैं. दोनों का साथ आना वसुंधरा के खेल पर भारी पड़ सकता है.
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