*चलिए झालरापाटन इतिहास रचने को तैयार,तीस साल का साम्राज्य खतरे में वसुंधरा राजे का*
*राजस्थान की सबसे हॉट सीटों में से एक झालरापाटन पर सभी की निगाहें टिकी है।। 16 दिन पहले नामांकन से एक दिन पहले मारवाड़ की राजनीति से हाड़ौती की राजनीति में आने वाले कर्नल मानवेन्द्र सिंह ने अपनी व्यूह रचना से मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के तीस साल के साम्राज्य को जबरदस्त चुनोती दे डाली।।आज सम्पन हुए विधानसभा चुनावों के बाद झालरापाटन की बदलती तस्वीर लोगो को दिखाई देने लगी है।।मानवेन्द्र सिंह ने वसुंधरा राजे के परंपरागत मतों में जिस तरह सेंध लगाई है उससे महारानी का उधार लिया झालावाड़ का सिंहासन डोलने लग गया।।मतदान के दौरान उनके सांसद पुत्र दुष्यंत सिंह की बौखलाहट साफ नजर आ रही थी। मानवेन्द्र सिंह और चित्रा सिंह ने अपने सघन प्रचार अभियान से झालरापाटन की चुनावी फिजा को बदलने का जो प्रयास किया उसमे कितने सफल हुए यह अधिकृत रूप से ग्यारह दिसम्बर को ही सामने आएगा मगर झालरापाटन के कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओ ने आज शाम को ही जश्न मना लिया। मानवेन्द्र सिंह के स्वाभिमान ने राजपूत,मुस्लिम,सोनदिया राजपूत,गुर्जर ,ब्राह्मण ,और अनुसूचित जाति जन जाती के मतों में न केवल सेंध लगाई बल्कि भाजपा के कट्टर समर्थक 28 हजार दांगी समेज के वोटों से भी वसुंधरा राजे को वंचित कर दिया। दांगी समाज की और से श्रीलाल दांगी निर्दलीय उतरे थे पूरे समाज की और से अधिकृत प्रत्यासी थे। चुनाव प्रचार समाप्ति के बाद वसुंधरा राजे ने सर्व प्रथम दांगी समाज को साधने के लिए 5 दिसम्बर को मीटिंग रखी।मगर इस मीटिंग में दांगी समाज ने आने से मना किया तो रात्रि दो बजे दांगी समाज के बीच पहुंची जहां दांगी समाज ने वसुंधरा राजे को खाली हाथ लौट दिया।।।राजपूत पहले ही जा चुके थे।।5 दिसम्बर को वसुंधरा राजे तीस सालों में पहली बार ग्रामीणों की चौखट पर गई।।मगर उन्हें ज्यादा कोई उत्साह नही दिख। किसान वर्ग में समर्थन मूल्य से लहसुन और सोयाबीन की खरीद को लेकर ज़बरदस्त नाराजगी थी तो युवा में बेरोजगारी को लेकर आक्रोशित थे।।यह आक्रोश आज मतदान के दौरान साफ दिखा दी।।वसुंधरा राजे अपने सलाहकारों के भरोसे थी जो उन्हें जीत का आईना बराबर दिख रहे थे।वसुंधरा राजे ने उन पर विश्वास कर अपनीजीत के प्रति आश्वस्त रही।।वसुंधरा राजे के खिलाफ मानवेन्द्र सिंह को पूरे राज्य से सहयोग मिला,यहां तक कि वसुंधरा राजे के नजदीकी राजनीति लोग भी उनके साथ भितरघात कर उनको झटका देने तैयार हो गए चुनाव में स्वाभिमान लड़ाई का अन्त करन पहुंचे मानवेन्द्र सिंह ने खुद को पूरी झोंक दिया।। इधर 5 दिसम्बर को वसुंधरा राजे की गैर मौजूदगी में भाजपा ने रैली निकाली।।जिसमे नाममात्र के लोग शामिल थे।।हवा का रुख इस रैली के बाद बदल गया ।।शहर में कच्ची बस्तियों में दुष्यंत सिंह के दुर्व्यवहर को लेकर भी लोग नाराज बता जता रहे थे।।बहुत सारे फेक्टर वसुंधरा राजे के खिलाफ काम कर रहे थे। वसुंधरा को इसकी भनक तक नही लगी।।मानवेन्द्र सिंह को झालावाड़ के दिग्गज नेताओं शैलेन्द्र यादव ,प्रमोद शर्मा,रामलाल चौहान, मुकुला पंकज चौधरी,वीरेंद्र सिंह झाला, का बखूबी साथ मिला जो वसुंधरा राजे से किसी न किसी रूप में चोट खाये थे।।बहरहाल झालरापाटन की जनता ने बम्पर वोटिंग कर दोनो के भाग्य ई वी एम में बन्द कर दिए।
*राजस्थान की सबसे हॉट सीटों में से एक झालरापाटन पर सभी की निगाहें टिकी है।। 16 दिन पहले नामांकन से एक दिन पहले मारवाड़ की राजनीति से हाड़ौती की राजनीति में आने वाले कर्नल मानवेन्द्र सिंह ने अपनी व्यूह रचना से मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के तीस साल के साम्राज्य को जबरदस्त चुनोती दे डाली।।आज सम्पन हुए विधानसभा चुनावों के बाद झालरापाटन की बदलती तस्वीर लोगो को दिखाई देने लगी है।।मानवेन्द्र सिंह ने वसुंधरा राजे के परंपरागत मतों में जिस तरह सेंध लगाई है उससे महारानी का उधार लिया झालावाड़ का सिंहासन डोलने लग गया।।मतदान के दौरान उनके सांसद पुत्र दुष्यंत सिंह की बौखलाहट साफ नजर आ रही थी। मानवेन्द्र सिंह और चित्रा सिंह ने अपने सघन प्रचार अभियान से झालरापाटन की चुनावी फिजा को बदलने का जो प्रयास किया उसमे कितने सफल हुए यह अधिकृत रूप से ग्यारह दिसम्बर को ही सामने आएगा मगर झालरापाटन के कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओ ने आज शाम को ही जश्न मना लिया। मानवेन्द्र सिंह के स्वाभिमान ने राजपूत,मुस्लिम,सोनदिया राजपूत,गुर्जर ,ब्राह्मण ,और अनुसूचित जाति जन जाती के मतों में न केवल सेंध लगाई बल्कि भाजपा के कट्टर समर्थक 28 हजार दांगी समेज के वोटों से भी वसुंधरा राजे को वंचित कर दिया। दांगी समाज की और से श्रीलाल दांगी निर्दलीय उतरे थे पूरे समाज की और से अधिकृत प्रत्यासी थे। चुनाव प्रचार समाप्ति के बाद वसुंधरा राजे ने सर्व प्रथम दांगी समाज को साधने के लिए 5 दिसम्बर को मीटिंग रखी।मगर इस मीटिंग में दांगी समाज ने आने से मना किया तो रात्रि दो बजे दांगी समाज के बीच पहुंची जहां दांगी समाज ने वसुंधरा राजे को खाली हाथ लौट दिया।।।राजपूत पहले ही जा चुके थे।।5 दिसम्बर को वसुंधरा राजे तीस सालों में पहली बार ग्रामीणों की चौखट पर गई।।मगर उन्हें ज्यादा कोई उत्साह नही दिख। किसान वर्ग में समर्थन मूल्य से लहसुन और सोयाबीन की खरीद को लेकर ज़बरदस्त नाराजगी थी तो युवा में बेरोजगारी को लेकर आक्रोशित थे।।यह आक्रोश आज मतदान के दौरान साफ दिखा दी।।वसुंधरा राजे अपने सलाहकारों के भरोसे थी जो उन्हें जीत का आईना बराबर दिख रहे थे।वसुंधरा राजे ने उन पर विश्वास कर अपनीजीत के प्रति आश्वस्त रही।।वसुंधरा राजे के खिलाफ मानवेन्द्र सिंह को पूरे राज्य से सहयोग मिला,यहां तक कि वसुंधरा राजे के नजदीकी राजनीति लोग भी उनके साथ भितरघात कर उनको झटका देने तैयार हो गए चुनाव में स्वाभिमान लड़ाई का अन्त करन पहुंचे मानवेन्द्र सिंह ने खुद को पूरी झोंक दिया।। इधर 5 दिसम्बर को वसुंधरा राजे की गैर मौजूदगी में भाजपा ने रैली निकाली।।जिसमे नाममात्र के लोग शामिल थे।।हवा का रुख इस रैली के बाद बदल गया ।।शहर में कच्ची बस्तियों में दुष्यंत सिंह के दुर्व्यवहर को लेकर भी लोग नाराज बता जता रहे थे।।बहुत सारे फेक्टर वसुंधरा राजे के खिलाफ काम कर रहे थे। वसुंधरा को इसकी भनक तक नही लगी।।मानवेन्द्र सिंह को झालावाड़ के दिग्गज नेताओं शैलेन्द्र यादव ,प्रमोद शर्मा,रामलाल चौहान, मुकुला पंकज चौधरी,वीरेंद्र सिंह झाला, का बखूबी साथ मिला जो वसुंधरा राजे से किसी न किसी रूप में चोट खाये थे।।बहरहाल झालरापाटन की जनता ने बम्पर वोटिंग कर दोनो के भाग्य ई वी एम में बन्द कर दिए।
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