प्रदेश की सर्वाधिक हाईप्रोफाइल झालरापाटन सीट पर टिकी हैं प्रदेशभर की निगाहें
राजस्थान विधानसभा चुनाव-2018 में प्रदेश में सभी लोगों की निगाहें झालरापाटन सीट पर टिकी हैं. सीएम वसुंधरा राजे के इस अभेद्य गढ़ में सेंध लगाने के लिए कांग्रेस ने बीजेपी के संस्थापक सदस्य रहे पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह जसोल के बेटे मानवेन्द्र सिंह को भेजा है. जसवंत सिंह परिवार की बीजेपी खासतौर से सीएम राजे से नाराजगी किसी से छिपी हुई नहीं है।
गत लोकसभा चुनावों में बाड़मेर-जैसलमेर क्षेत्र से टिकट नहीं मिलने से जसवंत सिंह इतने खफा हुए कि जिस पार्टी को खड़ा करने में उन्होंने अपनी उम्र बिता दी उसी पार्टी के खिलाफ वे चुनाव मैदान में उतर गए थे. सिंह का टिकट कटने से मारवाड़ में राजूपत समाज के एक धड़े की भी बीजेपी से कुछ दूर बढ़ गई थी. बीजेपी की टिकट पर बाड़मेर के शिव विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए जसवंत सिंह के बेटे मानवेन्द्र ने भी बाद में पार्टी से किनारा कर लिया था. गत सितंबर में उन्होंने बीजेपी को अलविदा कहकर कांग्रेस ज्वॉइन कर ली।
इस पर कांग्रेस ने भी जसवंत सिंह के परिवार और राजपूत समाज के एक धड़े की बीजेपी से बढ़ी दूरियों का फायदा उठाने के लिए रणनीति के तहत मानवेन्द्र सिंह को झालरापाटन से सीएम के सामने चुनाव मैदान में उतार दिया. तब से प्रदेशभर की निगाहें झालरापाटन में होने वाले इस महा मुकाबले पर टिकी है।
राजे का अभेद्य मजबूत गढ़ है झालरापाटन
बीजेपी प्रत्याशी सीएम वसुंधरा राजे झालावाड़-बारां लोकसभा सीट से पांच से बार सांसद चुनी जा चुकी हैं. वहीं चार बार यहां से विधायक रह चुकी हैं. गत तीन बार से लगातार वे झालरापाटन से विधायक हैं. वे दूसरी बार राजस्थान की सीएम बनी हैं. वे एक बार प्रदेश बीजेपी की कमान भी संभाल चुकी हैं और केन्द्र में मंत्री भी रह चुकी हैं.
2003 में सबसे ज्यादा मतों से लोकसभा चुनाव जीते हैं मानवेन्द्र
कांग्रेस प्रत्याशी मानवेन्द्र सिंह वर्तमान में शिव से विधायक हैं. मानवेन्द्र सिंह पूर्व में बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं. 2003 के लोकसभा चुनाव में सिंह के नाम सबसे ज्यादा मतों से जीतने का रिकॉर्ड है. सिंह ने उस समय 2,72000 से भी अधिक मतों से जीत दर्ज की थी.
राजस्थान विधानसभा चुनाव-2018 में प्रदेश में सभी लोगों की निगाहें झालरापाटन सीट पर टिकी हैं. सीएम वसुंधरा राजे के इस अभेद्य गढ़ में सेंध लगाने के लिए कांग्रेस ने बीजेपी के संस्थापक सदस्य रहे पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह जसोल के बेटे मानवेन्द्र सिंह को भेजा है. जसवंत सिंह परिवार की बीजेपी खासतौर से सीएम राजे से नाराजगी किसी से छिपी हुई नहीं है।
गत लोकसभा चुनावों में बाड़मेर-जैसलमेर क्षेत्र से टिकट नहीं मिलने से जसवंत सिंह इतने खफा हुए कि जिस पार्टी को खड़ा करने में उन्होंने अपनी उम्र बिता दी उसी पार्टी के खिलाफ वे चुनाव मैदान में उतर गए थे. सिंह का टिकट कटने से मारवाड़ में राजूपत समाज के एक धड़े की भी बीजेपी से कुछ दूर बढ़ गई थी. बीजेपी की टिकट पर बाड़मेर के शिव विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए जसवंत सिंह के बेटे मानवेन्द्र ने भी बाद में पार्टी से किनारा कर लिया था. गत सितंबर में उन्होंने बीजेपी को अलविदा कहकर कांग्रेस ज्वॉइन कर ली।
इस पर कांग्रेस ने भी जसवंत सिंह के परिवार और राजपूत समाज के एक धड़े की बीजेपी से बढ़ी दूरियों का फायदा उठाने के लिए रणनीति के तहत मानवेन्द्र सिंह को झालरापाटन से सीएम के सामने चुनाव मैदान में उतार दिया. तब से प्रदेशभर की निगाहें झालरापाटन में होने वाले इस महा मुकाबले पर टिकी है।
राजे का अभेद्य मजबूत गढ़ है झालरापाटन
बीजेपी प्रत्याशी सीएम वसुंधरा राजे झालावाड़-बारां लोकसभा सीट से पांच से बार सांसद चुनी जा चुकी हैं. वहीं चार बार यहां से विधायक रह चुकी हैं. गत तीन बार से लगातार वे झालरापाटन से विधायक हैं. वे दूसरी बार राजस्थान की सीएम बनी हैं. वे एक बार प्रदेश बीजेपी की कमान भी संभाल चुकी हैं और केन्द्र में मंत्री भी रह चुकी हैं.
2003 में सबसे ज्यादा मतों से लोकसभा चुनाव जीते हैं मानवेन्द्र
कांग्रेस प्रत्याशी मानवेन्द्र सिंह वर्तमान में शिव से विधायक हैं. मानवेन्द्र सिंह पूर्व में बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं. 2003 के लोकसभा चुनाव में सिंह के नाम सबसे ज्यादा मतों से जीतने का रिकॉर्ड है. सिंह ने उस समय 2,72000 से भी अधिक मतों से जीत दर्ज की थी.
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