*जैसलमेर'राजपरिवार का राजनीति में आने का ऐलान' : जैसलमेर की राजनीति में आया भूचाल, रोकने के हो रहे हैं तुच्छ प्रयास*
*महलों में रहने वाले पीढ़ियों से कर रहे हैं जनसेवा, कई कार्य बिना प्रशासनिक सहयोग से नहीं होते*
*'महारानी राशेश्वरी राज्य लक्ष्मी' चुनाव लड़ जैसलमेर को विकसित जिलों में सुमार करने को दृढ़ निश्चित*
जैसलमेर । जब से राजपरिवार ने विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की जैसलमेर की राजनीति में भूचाल आ गया । पूर्व में बिछी राजनीतिक शतरंज के मोहरे हिलने लग गए तो, कईयों को राजनीति जमीन खिसकने का डर सताने लगा। सोशल मीडिया पर, पर्दे के पीछे, राजपरिवार के राजनीति में उतरने का तर्क कुतर्को से विरोध करने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है जिसका असर ये हुआ कि राजपरिवार का चुनाव लड़ने का इरादा और मजबूत हो गया ।
*आखिर क्यों आना चाहता है राजपरिवार राजनीति में ? कुछ बेबाक सवालों के जवाब के साथ 'बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक' का बिश्लेशन राजपरिवार के सदस्य के साथ ।*
*राजनीति में आने का उद्देश्य ?*
राजनीति परिवार के खून में है । जनसेवा पीढ़ी दर पीढ़ी हमारा परिवार करता आ रहा है । राजपरिवार के दरवाजे हमेशा अपनों के लिए खुले रहे है और रहेंगे । जैसलमेर की जनता मेरा परिवार है । इसलिए मेरा फर्ज है कि जैसलमेर विकसित जिलों में सुमार हो । लेकिन मेरा सबसे बड़ा कारण राजनीति में आने का यही होगा की जब हम जैसलमेर की बुनियादी कारकों की तुलना देश और विदेश के अन्य क्षेत्रों से करते हैं, तब हम इस सचाई से अवगत होते है कि, 'प्राचीन सिल्क रूट' का जाना माने 'योद्धाओं का गढ' जिनका योगदान सिर्फ प्राचीन और मध्यकालीन में ही नहीं बल्कि समकालीन में भी पर्याप्त से अधिक रहा है, वह गढ आज पिछड़ा कहलाया जाता है | यह सच मेरे हृदय में एक ऐसा भाव उत्पन करता है जिससे मैं आज की यह स्थिति नज़रअंदाज़ नहीं कर पाती |
*बिना राजनीति में आये भी आप सेवा कर सकते है*
बिल्कुल सही कहा । अब तक हम यही समझते और करते आये । परन्तु कई कार्य जनहित मे ऐसे करने पड़ते है जिसके लिए आपको प्रशासनिक अधिकार की आवश्यकता पड़ती है। विकास कार्यो के लिए सार्वजनिक मानसिकता में, सकारात्मक परिवर्तन की जरूरत होती है और कोई जैसलमेर के राजपरिवार पर यह नहीं थोप सकता कि हमने लोकतंत्र में दूसरे नेताओं को मौका नहीं दिया है । परन्तु अब स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है की हमारा यह दायित्व बनता है की हम अब राजनितिक मैदान पर उतरे और अपने पूर्वजो की तरह जैसलमेर का नाम रोशन करे |
*आपके क्या मुद्दे रहेंगे जैसलमेर के विकास के लिए ?*
सबसे बड़ा मुद्दा शिक्षा का होगा । हालात सबके सामने है । विद्यालय खुले हैं मगर अध्यापक नही है । जब विद्यालय में अध्यापक नहीं है तो विद्यालय का कोई अस्तित्व नही रह जाता । आजकल तो ऐसा देखने मे आता है कि जैसलमेर समय की नीति में उल्टा चल रहा है | पूरे विश्व में यह कहा जाता है कि जैसे—जैसे एक लोकतंत्र देश समय के साथ परिपक्व होता है, तो उसकी नीतियां भी समग्र रूप से सफल होती दिखाई पड़ती है | परन्तु जो कानून और विधियाँ हमने 15 साल पहले बनाई थी, इन विधियों को आज हम ठुकरा रहे हैं | मैं तो इस बात पर आश्चर्यचकित हूँ कि कैसे, किसी भी दल के नेता ने अभी तक, हाल ही में हुए लगभग 600 अध्यापकों के स्थानांतरण पर वोट बैंक के कारण चुपी साध रखी है | आज जैसलमेर शिक्षा, विज्ञानिक शिक्षा के क्षेत्र में बहुत पिछड़ा है । सभी विद्यालयों में शिक्षक लगे यह पहला प्रयास होगा, फिर शिक्षा के सुदृढीकरण पर काम करेंगे । जैसलमेर में कला, विज्ञान और वाणिज्य के सभी विषयों को शामिल कराएंगे । जिले में अधिक से अधिक बालिका स्कूल खुलवाने के प्रयास होंगे । जैसलमेर में कृषि विद्यालय, पशुपालन, नर्सिंग डिप्लोमा, विधि महाविद्यालय, इंजीनियरिंग कॉलेज और रोजगारोपयोग प्रशिक्षण केंद्र खुलवाना प्राथमिकता होगी ।
मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना प्राथमिकता
कई शासनों के बाद भी जैसलमेर आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। पानी की समस्या आज भी हर गांव और ढाणी में है । पेयजल की नई परियोजनाओं को चिन्हित कर उसे स्वीकृत करने का काम होगा । हर घर मे नियमित पानी पहुंचे । जिले के कई गांव आज भी बिजली और सड़कों से वंचित है । सड़कें और बिजली विकास का मार्ग है, इसमें सुधार करना ।
गांवों के लोग छोटी से छोटी बीमारी में इलाज के लिए शहर आते है । शहर से उन्हें बाहरी जिलों में रेफर कर दिया जाता है । यह गम्भीर स्थति है । जिला मुख्यालय के एक मात्र राजकीय चिकित्सालय, जो कि हमारे पूर्वज महाराज जवाहरसिंह के नाम पर है, के हालात हम देख रहे है । जिला मुख्यालय के अस्पताल में पूरे चिकित्सक, आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराकर इसे आदर्श अस्पताल बनाना तथा स्वास्थ्य केंद्रों के ढांचों में बदलाव कर ग्रामीणों को वही मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध हो इसका दृढ संकल्प लिय है ।
*जिले के लिए आपकी क्या योजना रहेगी ?*
जैसलमेर जिला किसान और पशुपालन आधारित है । किसानों की समस्याएं, नहरों में पानी की उपलब्धता, नहरी जमीन का आवंटन, भूमिहीन और शहरी मध्यम वर्ग को नहरी क्षेत्र में आवंटन, कई स्थानों पर आबादी विस्तार के काम बकाया है । शहरी क्षेत्र में स्टेट ग्रांट और कच्ची बस्ती आबादी भूमि के पट्टों का वितरण करवाना मेरी योजना में शामिला ।
जिले में सबसे बड़ा मुद्दा डीएनपी क्षेत्र में आये गांवो का अवरुद्ध पड़ा विकास है । इन गांवों में सतत विकास शुरू करने के साथ डीएनपी का क्षेत्रफल कम करवाना। अकाल के समय ग्रामीण काफी दिक्कत में होते है । जिस प्रकार 'गाय को फेमिन कोड' में शामिल किया उसी तर्ज पर 'भेड़ बकरियों को फेमिना कोड में' शामिल कराना प्राथमिकता रहेगी । जिले में गौशालाओं का निर्माण भी जरूरी है। स्थानीय युवाओं को यहां काम करने वाली कम्पनियां प्राथमिकता से योग्यतानुसार रोजगार उपलब्ध कराए, सामुदायिक संगठन मद बजट का सदुपयोग हो । इस वर्ष भी आकाल की स्थिति में जैसलमेर के निवासियों का हाल बेहाल होता दिख रहा है परन्तु प्रशासन की विधि में तिलमात्र फरक नहीं पड़ा है |
जैसलमेर के पर्यटन उद्योग को पुनः स्थापित करने के लिए खास योजना बनाई जाएगी ।
जेसलमेर का हस्तशल्प उच्च कोटि का है जो एक्पोर्ट होता है।मगर उसकी कीमत बनाने वालों को पूरी नही मिलती।जेसलमेर में ही हसशिल्प बिक्री केंद्र खुलवाने के प्रयास होगा ताकि हस्तशिल्पियों को पूरी कीमत मिले।।
जैसलमेर में रेल सेवाओं के विस्तार, रोडवेज डिपो विधिवत रूप से शुरू करवाना, ग्रामीण बसों का संचालन, सरकारी सेवाओं में नॉन ट्रांफेरेबल नियुक्ति हो, जैसलमेर में उद्योग स्थापित करने के प्रयास होंगे । जैसलमेर सुंदर, स्वच्छ और हरा भरा हो इसके लिए प्राथमिकता से प्रयास होंगे । जैसलमेर की शिक्षा प्रणाली के कारण अन्य क्षेत्रों के नागरिक जैसलमेर का रोज़गार छीन रहे है |
*जनता से अपनी बात*
कुछ लोग भ्रामक बातें फैला रहे हैं कि राजपरिवार और जनता के बीच दूरियां है तो मैं यह आश्वस्त करना चाहती हूूं कि राजपरिवार और जैसलमेर की जनता के बीच कभी दूरियां नहीं रही और न ही कभी रहेगी । मेरी पीड़ा है कि जैसलमेर का जिस तरह विकास होना चाहिए वैसा नहीं हुआ । मेरा उद्देश्य जनता की सेवा का है।
जैसलमेर का विकास करना है, इस लक्ष्य के लेकर हमें साथ चलना है । इसलिए आओ, 'नया जैसलमेर बनाएं' । इसे खुशहाल बनाएं । आप सभी का मान सम्मान और स्नेह हमेशा हमारे परिवार को मिलता रहा है आगे भी मिलता रहे ।