गुवाहटी।ये हैं असम के नए CM: अभी तक हैं कुंवारे, घर में नहीं है एक भी AC
असम में कांग्रेस का किला ढहाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता सर्बानंद सोनोवाल ने मंगलवार को राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। सोनोवाल के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, लालकृष्ण आडवाणी समेत पार्टी के कई बड़े नेता शरीक हुए। गौरतलब है कि नार्थ ईस्ट के किसी राज्य में पहली बार बीजेपी की सरकार बनी है।
इन लोगों ने भी ली शपथ
राज्यपाल पी.बी. आचार्य ने सर्बानंद समेत पूरे मंत्री मडल को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। सोनोवाल के साथ 10 मिनिस्टर्स ने भी शपथ ली। इनमें अतुल बोरा, प्रमिला रानी, हेमंत विश्वा, परमिल शुक्ल वैद्य, चंद्रमहोन पटवारी, केशव महंता, रंजीत दत्ता शामिल हैं।
पीएम मोदी रैली को करेंगे संबोधित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोनोवाल के शपथ ग्रहण समारोह के बाद एक बड़ी रोली को संबोधित करेंगे। शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन असम की राजधानी गुवाहाटी के खानपारा मैदान में आयोजित किया गया है। गौरतलब है कि 126 सदस्यीय असम विधानसभा में बीजेपी ने 60 सीटों पर जीत दर्ज की है। बीजेपी गठबंधन की सहयोगी पार्टी असम गण परिषद और बोडो पीपुल्स फ्रंट ने क्रमश: 14 और 12 सीटों पर जीत हासिल की है।
कौन हैं सर्बानंद सोनोवाल
31 अक्टूबर 1962 को डिब्रूगढ़ जिले के दिंजन में पैदा हुए सर्बानंद सोनोवाल ने गुवाहाटी और डिब्रूगढ़ यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1992 में की थी। केंद्र सरकार में खेल मंत्रालय संभाल रहे सोनोवाल निजी तौर पर फुटबॉल और बैडमिंटन के खिलाड़ी भी रहे हैं। सोनोवाल को बचपन में फुटबॉल खेलना पसंद था। उनके पास फुटबॉल खरीदने के लिए पैसे नहीं होते थे, तो वे लोकल फ्रुट 'टंगा' से खेलते थे। तीसरी और चौथी क्लास में सर्बानंद स्कूल में सफाई मंत्री चुने गए थे। आम लोगों से जुड़े रहने के लिए सर्बानंद ने अपने घर में एसी नहीं लगाया है। सर्वानंद को हाईस्पीड कार और बाइक का शौकीन बताया जाता है।
2011 में बीजेपी में हुए थे शामिल
सर्बानंद ने डिब्रूगढ़ यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने के बाद अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। सर्बानंद 1992-1999 तक ऑल आसाम स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष रहे जिसके बाद उन्होंने असम गण परिषद के टिकट पर 2001 में पहली बार विधायक का चुनाव लड़कर जीत हासिल की।तीन साल बाद ही उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा और कांग्रेस के कद्दावर नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री पबन सिंह घाटोवर को हराकर 2004 में लोकसभा पहुंचे। 2011 में एजीपी में आतंरिक खटपट के चलते उन्होंने पार्टी छोड़ दी और भाजपा में शामिल हुए। 2014 में फिर से लोकसभा चुनाव जीतकर वो मोदी के मंत्रीमंडल में शामिल हुए।