अब खाएं बाजरे के बिस्किट, स्वाद के साथ पाएं सेहत का तोहफा
जोधपुर। केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) ने शुष्क क्षेत्र की प्रमुख फसल बाजरा के आटे के बिस्किट बनाए हैं। ये बिस्कुट एक महीने तक सुरक्षित रह सकते हैं। जिंक और आयरन युक्त होने की वजह से एनिमिया से ग्रसित गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों के लिए काफी सेहतमंद होता है।
काजरी के प्रधान वैज्ञान डॉ. प्रभात कुमार मालविया ने बताया कि जल्द ही लोगों के लिए बड़े पैमाने पर बिस्कुट का उत्पादन किया जाएगा। मालविया ने बताया कि शहर में अधिकांश लोग गेहूं और चावल का इस्तेमाल करते हैं। बाजरे की फसल को बढ़ावा देने के लिए इस धान के बिस्कुट तैयार किए गए हैं।
चार तरह के बिस्कुट
बिस्कुट की चार किस्म बनाई गई है। पहली किस्म में 100 फीसदी बाजरा है लेकिन यह नमकीन बिस्कुट है। दूसरी किस्म 100 फीसदी बाजरे के साथ मीठे बिस्कुट है। तीसरी किस्म में 50 फीसदी बाजरा और 50 फीसदी मैदा के बिस्कुट हैं। चौथे प्रकार के बिस्कुट में 50-50 फीसदी बाजरा और गेहूं है।
इनका कहना है
आयरन की अधिकता की वजह से बाजरे को आयरन केप्सूल माना जाता है। इसमें सूक्ष्म पोषक तत्वों की पर्याप्त मात्रा होने के साथ यह चावल और गेहूं से अधिक पौष्टिक है।
डॉ. ओपी यादव, निदेशक, काजरी
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