- विधार्थियो को दी जल बचने की सीख
बाड़मेरजल बचाने के लिए आमजनमानस को स्वयं विचार करना होगा. क्योंकि जल है तो कल है. हमें स्वयं इस बात पर गौर करना होगा कि रोजाना बिना सोचे समझे हम कितना पानी उपयोग में लाते हैं. आज गुजरता हर दिन पानी बचाने के संकल्प का दिन. पानी के महत्व को जानने का दिन और पानी के संरक्षण के विषय में समय रहते सचेत होने का अब समय आ गया है । हम वर्षा का पानी अधिक से अधिक बचाने की कोशिश करें. बारिश की एक-एक बूँद कीमती है । इन्हें सहेजना बहुत ही आवश्यक है। यदि अभी पानी नहीं सहेजा गया, तो संभव है पानी केवल हमारी आँखों में ही बच पाएगा। जल,जंगल और जमीन इन तीन तत्वों के बिना प्रकृति अधूरी है। प्रकृति के साथ छेड़छाड़ बंद नहीं की गई तो यह तो मानव के लिए ही नुकसान दायक साबित होगी। प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण के लिए कार्य करना होगा। आज जनसंख्या के बढ़ने के साथ ही समस्याएं भी बढ़ी हैं। हमें जहां एक ओर विकास योजना के माध्यम से हर व्यक्ति की आवश्यकताएं पूरी करनी हैं, वहीं 65 प्रतिशत वन संपदा का भी सही ढंग से दोहन करना होगा। यह कहना है शिक्षाविद अहिवर्द्धनसिंह सेंगर का। उन्होंने यह बात सीसीडीयू के आईईसी अनुभाग द्वारा आयोजित जल चेतना पोस्टर प्रदर्शनी और प्रोमिस फाॅर फ्यूचर शपथ कार्यक्रम में कही।सीसीडीयू के आईईसी कंसल्टेंट अशोकसिंह राजपुरोहित ने बताया की शुक्रवार की रोज गणेश उच्च माध्यमिक विद्यालय में जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग और सीसीडीयू द्वारा जल चेतना पोस्टर प्रदर्शनी और प्रोमिस फाॅर फ्यूचर शपथ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पोस्टर पर अंकित जल चेतना की बातो को विधार्थियो को बताते हुए ने कहा कि पानी के बिना हमारा जीवित रहना असंभव है। हमें इस कुदरत की अनमोल देन को हमेशा के लिए खत्म होने से बचाना है। बिना खाए इन्सान कुछ हफ्ते जिंदा रह सकता है, मगर पानी के बिना कुछ दिन भी जीवित नहीं रह सकता। इस अवसर पर विद्यालय प्रबंधक आनंद चैधरी ने कहा कि अपने पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए हमें सबसे पहले अपनी मुख्य जरूरत ‘जल’ को प्रदूषण से बचाना होगा। धनवंती चैधरी ने कहा कि आज हमारे कई किसान प्रदूषित पानी को सिंचाई के काम में लेते हैं। बच्चों को पर्यावरण सुरक्षा का समुचित ज्ञान समय-समय पर देते रहें। इस मौके पर अरविंद खत्री ने कहा कि वर्तमान में पानी को बचाना सबसे बड़ी आवश्यकता है। इस अवसर पर विद्यालय के जसवंत डूडी, राजेश गुप्ता, डाॅ. हनुमान चैधरी, संतोष चैधरी, पारू चैधरी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।