केप कैनेवरल। सूर्य से निकले वाली प्रचंड सौर ज्वालाओं के अगले शुक्रवार को पृथ्वी से टकराने से जीपीएस प्रणाली, रेडियो संचार तथा बिजली पारेषण तंत्र के बुरी तरह प्रभावित होने का खतरा पैदा हो गया है।
अमेरिका के मौसम विज्ञान केन्द्र ने यह चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि चुंबकीय रूप से आवेशित इन सौर ज्वालाओं (जिन्हें कारोनोल मास इजेंक्शन के नाम से भी जाना जाता है) के बारे में पूर्व चेतावनी काफी पहले ही जारी कर दी जाती है लेकिन इस बार इनके अचानक और सीधे पृथ्वी की दिशा में आने के कारण तत्काल अलर्ट जारी करना पड़ रहा है।
केन्द्र ने कहा है कि इन सौर ज्वालाओं का पहला प्रस्फुटन सूर्य के विचलित चुंबकीय क्षेत्र से सोमवार की रात को हुआ था। अंतरिक्ष की लंबी दूरी तय करते हुए इनके बृहस्पतिवार की रात को पृथ्वी से टकराने की आशंका है।
केन्द्र के निदेशक थामस बर्गर ने कहा कि सोमवार के बाद बुधवार को एक बार फिर से सूर्य की सतह से सौर ज्वालाएंं प्रचंड वेग से निकलती देखी गई हैं। यह भी सीधे पृथ्वी की दिशा की ओर ही आ रही हैं, ऎसे में इनका दुष्प्रभाव संचार तंत्र पर और घातक हो सकता हैै।
हर 11 साल में होती है यह प्रक्रिया
बर्गüर ने बताया कि हालांकि इन सौर ज्वालाओं से पृथ्वी पर बुनियादी ढांचे को किसी तरह का खतरा नहीं है लेकिन फिर भी इन पर कड़ी नजर रखी जा रही है। उन्हाेंने कहा कि सूर्य की सतह से इन ज्वालाओं का निकलना एक सामान्य घटना है। सूर्य की सतह पर प्रति ग्यारह वर्ष में यह प्रक्रिया तकरीबन 100 से 200 बार होती है। इस समय सूर्य इस चक्र के चरम पर है लिहाजा सौर ज्वालाएं प्रचंड वेग से निकल रही हैं। इस बार की अनोखी घटना यह है कि यह बहुत ही कम समय के अंतराल में दो बार निकल रही हैं।
बिजली ग्रिडों पर पड़ सकता काफी असर
मौसम विज्ञान केन्द्र के अनुसार इनसे संचार तंत्र के साथ ही बिजली ग्रिडाें पर भी काफी असर पड़ सकता है और यह ठप हो सकते हैं। पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में स्थित देशों के पावर ग्रिडों को सबसे ज्यादा खतरा है। इससे बडे क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति बंद हो सकती है।
अमेरिकी संघीय आपदा प्रबधंन एजेंसी ने ऎसी किसी भी आपात स्थिति से निबटने के लिए पूरी तैयारी कर ली है। सौर ज्वालाओं के पृथ्वी से टकराने के खतरे हैं, लेकिन इसका एक खूबसूरत पक्ष यह है कि इससे धु्रवीय क्षेत्रों में सतरंगी रौशनी का अद्भुत नजारा भी दिखाई देगा। -
अमेरिका के मौसम विज्ञान केन्द्र ने यह चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि चुंबकीय रूप से आवेशित इन सौर ज्वालाओं (जिन्हें कारोनोल मास इजेंक्शन के नाम से भी जाना जाता है) के बारे में पूर्व चेतावनी काफी पहले ही जारी कर दी जाती है लेकिन इस बार इनके अचानक और सीधे पृथ्वी की दिशा में आने के कारण तत्काल अलर्ट जारी करना पड़ रहा है।
केन्द्र ने कहा है कि इन सौर ज्वालाओं का पहला प्रस्फुटन सूर्य के विचलित चुंबकीय क्षेत्र से सोमवार की रात को हुआ था। अंतरिक्ष की लंबी दूरी तय करते हुए इनके बृहस्पतिवार की रात को पृथ्वी से टकराने की आशंका है।
केन्द्र के निदेशक थामस बर्गर ने कहा कि सोमवार के बाद बुधवार को एक बार फिर से सूर्य की सतह से सौर ज्वालाएंं प्रचंड वेग से निकलती देखी गई हैं। यह भी सीधे पृथ्वी की दिशा की ओर ही आ रही हैं, ऎसे में इनका दुष्प्रभाव संचार तंत्र पर और घातक हो सकता हैै।
हर 11 साल में होती है यह प्रक्रिया
बर्गüर ने बताया कि हालांकि इन सौर ज्वालाओं से पृथ्वी पर बुनियादी ढांचे को किसी तरह का खतरा नहीं है लेकिन फिर भी इन पर कड़ी नजर रखी जा रही है। उन्हाेंने कहा कि सूर्य की सतह से इन ज्वालाओं का निकलना एक सामान्य घटना है। सूर्य की सतह पर प्रति ग्यारह वर्ष में यह प्रक्रिया तकरीबन 100 से 200 बार होती है। इस समय सूर्य इस चक्र के चरम पर है लिहाजा सौर ज्वालाएं प्रचंड वेग से निकल रही हैं। इस बार की अनोखी घटना यह है कि यह बहुत ही कम समय के अंतराल में दो बार निकल रही हैं।
बिजली ग्रिडों पर पड़ सकता काफी असर
मौसम विज्ञान केन्द्र के अनुसार इनसे संचार तंत्र के साथ ही बिजली ग्रिडाें पर भी काफी असर पड़ सकता है और यह ठप हो सकते हैं। पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में स्थित देशों के पावर ग्रिडों को सबसे ज्यादा खतरा है। इससे बडे क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति बंद हो सकती है।
अमेरिकी संघीय आपदा प्रबधंन एजेंसी ने ऎसी किसी भी आपात स्थिति से निबटने के लिए पूरी तैयारी कर ली है। सौर ज्वालाओं के पृथ्वी से टकराने के खतरे हैं, लेकिन इसका एक खूबसूरत पक्ष यह है कि इससे धु्रवीय क्षेत्रों में सतरंगी रौशनी का अद्भुत नजारा भी दिखाई देगा। -
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