रिश्वत लेते कैंसर विभागाध्यक्ष गिरफ्तार
-जयपुर एसएमएस मेडिकल कॉलेज से किया था एमबीबीएस व एमडी
-पंद्रह वर्ष से उदयपुर में है सेवारत
उदयपुर। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने संभाग मु यालय के महाराणा भूपाल चिकित्सालय के कैंसर विभागाध्यक्ष को शुक्रवार सुबह एक महिला रोगी के इलाज के लिए पांच सौ रूपए रिश्वत लेते उनके कक्ष से रंगे हाथ गिर तार किया। ब्यूरो की एक टीम उसके सरकारी आवास पर तलाशी ले रही है।
ब्यूरो चित्तौड़गढ़ के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भूपालसिंह चुण्डावत ने बताया कि कांकरोली राजसमंद निवासी श्यामसुंदर सुथार ने एक मई को शिकायत की कि उसकी रिश्तेदार एमड़ी निवासी कंकूबाई पत्नी स्व. रूपलाल सुथार के स्तन कैंसर के उपचार के लिए गत 29 मार्च को उदयपुर के महाराणा भूपाल चिकित्सालय में डॉ. सुरेश कुमार डंगायच को दिखाया। तब डॉ. डंगायच ने उनसे दो सौ रूपए फीस ली।
इसके बाद नौ अप्रेल को दुबारा दिखाकर भर्ती कराने पर डॉ. डंगायच ने पांच सौ रूपए ले लिये। एक मई को दिखाने जाने पर उन्होंने और पांच सौ रूपए की मांग की। वह यह राशि नहीं देना चाहता। इस पर ब्यूरो की टीम ने शिकायत का सत्यापन किया, जिसमें रिश्वत राशि मांग की पुष्टि हुई।
ब्यूरो दल ने शुक्रवार सुबह करीब सवा नौ बजे पीडित का इशारा मिलते ही डॉ. डंगायच के चिकित्सालय स्थित कक्ष में दबिश दी और उनके कमीज की जेब से रिश्वत के 500 रूपए का नोट बरामद किया। उनके हाथ धुलवाने पर लाल रंग आ गया। मूलत: जयपुर जिले में चौमू निवासी डॉ. डंगायच ने एसएमएस मेडिकल कॉलेज जयपुर से एमबीबीएस व एमडी किया। वे पिछले पंद्रह वर्ष से उदयपुर में सेवारत हैं और वर्ष 2010 से यहां कैंसर विभागाध्यक्ष के रूप में नियुक्त हैं।
एएसपी चुण्डावत ने बताया कि रिश्वत लेने के आरोप में गिर तार डॉ. डंगायत के चिकित्सालय परिसर स्थित सरकारी आवास पर निरीक्षक दिनेश सुखवाल के नेतृत्व में टीम तलाश ले रही है।
उधर,डॉ. डंगायच का कहना है कि उन्हें रंजिश के चलते फंसाया गया है। शिकायतकर्ता ने पिछले दिनों भी चिकित्सालय में पहले उपचार पाने के लिए हंगामा किया था। उन्होंने रिश्वत की राशि नहीं ली बल्कि शिकायतकर्ता ने जबरन उनकी जेब में रूपए रखे, जो निकालकर वापस उसे देते समय उनके हाथ पर रंग आ गया।
शुक्रवार, 3 मई 2013
जम्मू में पाक कैदी पर हमला,कोमा में गया
जम्मू में पाक कैदी पर हमला,कोमा में गया
जम्मू। पाकिस्तान में भारतीय कैदी सरबजीत सिंह पर लाहौर के कोट लखपत जेल में हमले से मौत के बाद जम्मू की कड़ी सुरक्षा वाली कोट बलवाल जेल में एक साथी कैदी ने एक पाकिस्तानी कैदी पर हमला कर दिया। सिर में गंभीर चोट आने से पाकिस्तानी कैदी कोमा में चला गया।
हमले के शिकार हुए पाकिस्तानी कैदी को फ्लाइट से चंडीगढ़ के अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया है। इसी बीच भारत और पाकिस्तान के बीच इस मामले को लेकर तनाव बढ़ने लगा है। जेल में हत्या के मामले में सजा काट रहे एक पूर्व भारतीय सैनिक ने शुक्रवार को सनाउल्लाह के सिर में हथौडे से वार किया था। दोनों में किसी बात पर झगड़ा हुआ था। पाकिस्तान में सियालकोट के रहने वाले सनाउल्लाह को पहले जम्मू के मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल ले जाया गया। डाक्टरों ने बताया कि वह कोमा में चला गया है।
भारत ने इस हमले को दुखद बताया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरूद्दीन ने कहा, मामले की जांच की जा रही है तथा दोषी को सजा मिलेगी। वहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा,"यह यकीनन भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की मौत का बदला लिया गया है।"
इसी बीच भारतीय विदेश मंत्रालय ने यह सुझाव दिया है कि दोनों देशों के अधिकारियों को मिलकर भारतीय और पाकिस्तानी कैदियों की सुरक्षा और मानवीय व्यवहार को सुनिश्चित करना चाहिए।
जम्मू कश्मीर सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं और जेल अधीक्षक को निलंबित भी कर दिया है। इसके अलावा भारत में पाकिस्तान के राजनयिकों को सनाउल्लाह से मिलने दिया जाएगा।
17 साल से जेल में है -
यह पाकिस्तानी कैदी पिछले 17 साल से कोट बलवाल जेल में है। उसके खिलाफ हत्या सहित आठ मामले दर्ज हैं। दो मामलों में उसे उम्रकैद की सजा हो चुकी है। वहीं विनोद पिछले छह साल से जेल में है। वह हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है।
जम्मू। पाकिस्तान में भारतीय कैदी सरबजीत सिंह पर लाहौर के कोट लखपत जेल में हमले से मौत के बाद जम्मू की कड़ी सुरक्षा वाली कोट बलवाल जेल में एक साथी कैदी ने एक पाकिस्तानी कैदी पर हमला कर दिया। सिर में गंभीर चोट आने से पाकिस्तानी कैदी कोमा में चला गया।
हमले के शिकार हुए पाकिस्तानी कैदी को फ्लाइट से चंडीगढ़ के अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया है। इसी बीच भारत और पाकिस्तान के बीच इस मामले को लेकर तनाव बढ़ने लगा है। जेल में हत्या के मामले में सजा काट रहे एक पूर्व भारतीय सैनिक ने शुक्रवार को सनाउल्लाह के सिर में हथौडे से वार किया था। दोनों में किसी बात पर झगड़ा हुआ था। पाकिस्तान में सियालकोट के रहने वाले सनाउल्लाह को पहले जम्मू के मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल ले जाया गया। डाक्टरों ने बताया कि वह कोमा में चला गया है।
भारत ने इस हमले को दुखद बताया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरूद्दीन ने कहा, मामले की जांच की जा रही है तथा दोषी को सजा मिलेगी। वहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा,"यह यकीनन भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की मौत का बदला लिया गया है।"
इसी बीच भारतीय विदेश मंत्रालय ने यह सुझाव दिया है कि दोनों देशों के अधिकारियों को मिलकर भारतीय और पाकिस्तानी कैदियों की सुरक्षा और मानवीय व्यवहार को सुनिश्चित करना चाहिए।
जम्मू कश्मीर सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं और जेल अधीक्षक को निलंबित भी कर दिया है। इसके अलावा भारत में पाकिस्तान के राजनयिकों को सनाउल्लाह से मिलने दिया जाएगा।
17 साल से जेल में है -
यह पाकिस्तानी कैदी पिछले 17 साल से कोट बलवाल जेल में है। उसके खिलाफ हत्या सहित आठ मामले दर्ज हैं। दो मामलों में उसे उम्रकैद की सजा हो चुकी है। वहीं विनोद पिछले छह साल से जेल में है। वह हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है।
पाक घुसपैठिए "बिलाल" से पूछताछ शुरू
पाक घुसपैठिए "बिलाल" से पूछताछ शुरू
बीकानेर। गंगानगर जिले के रावला थाना क्षेत्र में अवैध रूप से भारतीय सीमा में प्र्रवेश करते पकड़े गए पाकिस्तानी घुसपैठिए से भारतीय खुफिया एजेंंसियों ने शुक्रवार को पूछताछ शुरू कर दी है।
उल्लेखनीय है कि गुरूवार को खुफिया सूत्रों के मुताबिक सीमा सुरक्षा बल(बीएसएफ) ने पाकिस्तानी नागरिक बिलाल हुसैन(50) को पूछताछ के बाद पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस ने जरूरी कागजी कार्रवाई के बाद पुलिस ने उसे खुफिया एजेंसियों के सुपुर्द करने के आदेश जारी कर दिए।
सूत्रोंं के मुताबिक शुरूआती पूछताछ में बिलाल ने रास्ता भटककर गलती से भारतीय सीमा में आना बताया है। उसके पास आपत्तिजनक वस्तु नहीं मिली।
ज्ञात हो कि गत एक मई को वर्षा सीमा चौकी के पिलर नं.390 के पास बिलाल को बीएसएफ के जवानोंं ने भारतीय सीमा में अवैध रूप से प्रवेश करते पकडा था। उसने खुद को पाकिस्तान के भाकर जिले के कुंंदरावाली गांव का निवासी बताया है।
किशोर और युवती को लौटाया
हाल ही में जिले की अनूपगढ क्षेत्र में पाकिस्तान से भारतीय क्षेत्र में गलती से घुस आए एक किशोर और पंजाब के फाजिल्का क्षेत्र में रास्ता भटककर भारतीय सीमा में आई एक युवती को बीएसएफ ने मानवीय नजरिया अपनाते हुए एक दिन बाद ही पाकिस्तानी रेंजर के सुपुर्द कर दिया था।
बीकानेर। गंगानगर जिले के रावला थाना क्षेत्र में अवैध रूप से भारतीय सीमा में प्र्रवेश करते पकड़े गए पाकिस्तानी घुसपैठिए से भारतीय खुफिया एजेंंसियों ने शुक्रवार को पूछताछ शुरू कर दी है।
उल्लेखनीय है कि गुरूवार को खुफिया सूत्रों के मुताबिक सीमा सुरक्षा बल(बीएसएफ) ने पाकिस्तानी नागरिक बिलाल हुसैन(50) को पूछताछ के बाद पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस ने जरूरी कागजी कार्रवाई के बाद पुलिस ने उसे खुफिया एजेंसियों के सुपुर्द करने के आदेश जारी कर दिए।
सूत्रोंं के मुताबिक शुरूआती पूछताछ में बिलाल ने रास्ता भटककर गलती से भारतीय सीमा में आना बताया है। उसके पास आपत्तिजनक वस्तु नहीं मिली।
ज्ञात हो कि गत एक मई को वर्षा सीमा चौकी के पिलर नं.390 के पास बिलाल को बीएसएफ के जवानोंं ने भारतीय सीमा में अवैध रूप से प्रवेश करते पकडा था। उसने खुद को पाकिस्तान के भाकर जिले के कुंंदरावाली गांव का निवासी बताया है।
किशोर और युवती को लौटाया
हाल ही में जिले की अनूपगढ क्षेत्र में पाकिस्तान से भारतीय क्षेत्र में गलती से घुस आए एक किशोर और पंजाब के फाजिल्का क्षेत्र में रास्ता भटककर भारतीय सीमा में आई एक युवती को बीएसएफ ने मानवीय नजरिया अपनाते हुए एक दिन बाद ही पाकिस्तानी रेंजर के सुपुर्द कर दिया था।
राजकीय सम्मान के साथ हुआ सरबजीत का अंतिम संस्कार
नई दिल्ली। पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में बर्बर तरीके से मारे गए सरबजीत सिंह का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया। सरबजीत सिंह का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव भिखीविंड में शुक्रवार को दो बजे राजकीय सम्मान के साथ किया गया। सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने सरबजीत को मुखाग्नि दी। अंतिम रस्म के वक्त सरबजीत की बेटियों समेत परिजनों को अधिकारी संभाल रहे थे। सरबजीत के अंतिम दर्शन को लेकर लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा। प्रकाश सिंह बादल, सुखवीर सिंह कई नेता मौजूद थे। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी मौजूद थे।
जिस शहर के बाशिंदे आज भी इस जुमले पर गुमान करते हैं कि जिसने लाहौर नहीं देखा वह जन्मा ही नहीं, उसने भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह को तिल-तिल करते मरते हुए देखा भी और दुनिया को दिखाया भी। 49 साल के सरबजीत को कभी साझा रही सरहद को लांघने की गलती की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। बीते शुक्रवार को लाहौर की कोट लखपत जेल में नफरत से भरे खूंखार कैदियों के सुनियोजित हमले में मरणासन्न हुए सरबजीत ने जिन्ना अस्पताल में बुधवार आधी रात के बाद भारतीय समयानुसार डेढ़ बजे इस बेरहम दुनिया से विदा ले ली। तरनतारन के भिखीविंड गांव के सिख दलित परिवार के किसान सरबजीत को पाकिस्तान ने जीते जी तो रहम की भीख देने से इन्कार किया, लेकिन उनके शव की सुरक्षा में तमाम तामझाम दिखाया। पाकिस्तान ने उन्हें सुरक्षा तब दी जब उनके प्राण पखेरू हो चुके थे।
पूरे देश में गम और गुस्से की लहर के बीच सरबजीत सिंह का अंतिम संस्कार हुआ।
अगस्त, 1990 की एक रात वह भटकर मुल्क की सीमा लांघकर पाकिस्तान पहुंच गए। इसके बाद 1991 में उन्हें जासूसी और लाहौर व फैसलाबाद में हुए बम धमाकों का दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुना दी गई। तमाम अपील, अनुरोध और इस पुख्ता दलील के बाद भी उन्हें माफी नहीं दी गई कि वह गलत पहचान का शिकार हुए हैं।
मई, 2008 में पाकिस्तान सरकार ने सरबजीत को फांसी दिए जाने पर अनिश्चितकालीन रोक लगा दी थी। लगता है भारत के दुश्मनों ने तभी सरबजीत को मौत की सजा देने का वैकल्पिक रास्ता खोज लिया था। उसी के तहत पिछले शुक्रवार को कोट लखपत जेल में छह कैदियों ने उन पर जानलेवा हमला किया, जिसकी परिणति आज पूरे देश के सामने है। शुक्रवार को राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।
पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने पाकिस्तानी जेल में अमानवीय व्यवहार का शिकार हुए सरबजीत सिंह की नृशंस हत्या की कड़ी निंदा की है। सरबजीत को शहीद घोषित करते हुए बादल ने उनके परिवार को एक करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देने की बात कही। प्रदेश में तीन दिन का राजकीय शोक रहेगा। इसके अलावा सरकार सरबजीत की दोनों बेटियों को सरकारी नौकरी भी देगी।
अंतिम संस्कार के मौके पर हजारों लोगों की आमद को लेकर चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस जवान तैनात किए गए थे। पूरा गांव पुलिस छावनी में तब्दील हो गया था।
पाकिस्तान ने दिल और किडनी निकाल कर भेजा सरबजीत का शव
लाहौर/नई दिल्ली। पाकिस्तान की जेलों में 22 साल गुजराने के बाद लाहौर के जिन्ना अस्पताल में आखिरी सांस लेने वाले सरबजीत सिंह का शव गुरुवार रात उनके पैतृक गांव भिखीविंड ले जाया गया। इससे पहले लाहौर से शव लेकर एयर इंडिया का विशेष विमान जब अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरा तो वहां विदेश राज्य मंत्री परनीत कौर, पंजाब के डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल और पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा समेत कई नेता मौजूद रहे। लेकिन सरबजीत का शव लेकर लाहौर एयरपोर्ट से इस विमान के उड़ान भरने में वहां के अधिकारियों की वजह से देरी हुई। सरबजीत की लाश को भारत भेजते समय आखिरी वक्त में पाकिस्तान की लालफीताशाही आड़े आई। पहले पाकिस्तान के कस्टम अधिकारियों ने सरबजीत का शव भारत भेजने से रोका, फिर वहां की एंटी नारकोटिक्स फोर्स ने अड़ंगा डाला।
कस्टम अधिकारी शव को भारत भेजने से पहले एनओसी, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और पुलिस रिपोर्ट मांग रहे थे। पाकिस्तानी अधिकारी विदेश मंत्रालय से भी क्लियरेंस मांग रहे थे। इसके बाद एंटी नारकोटिक्स टीम ने सरबजीत का शव भारत भेजने की मंजूरी देने से पहले हॉस्पिटल की तरफ से क्लियरेंस की मांग की। इस तरह सरबजीत का शव लेने गया एयर इंडिया का विशेष विमान एयरबस 319 लाहौर एयरपोर्ट पर करीब तीन घंटे से अधिक समय तक खड़ा रहा। कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद शव को भारतीय विमान में रखा जा सका
सरबजीत को शव को पोस्टमॉर्टम के लिए पहले पट्टी ले जाया जाएगा। इसके बाद शव को परिजनों को सौंप दिया जाएगा। सरबजीत का परिवार दिल्ली से विमान के जरिये अमृतसर और फिर वहां से हेलिकॉप्टर के जरिये भिखीविंड पहुंचा जहां कल दोपहर दो बजे सरबजीत का अंतिम संस्कार होगा। लाहौर के जिन्ना अस्पताल में सरबजीत के शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सरबजीत की मौत का कारण टॉर्चर को बताया गया है। पोस्टमार्टम के बाद शव भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया गया। गत 26 अप्रैल को कोट लखपत जेल में पाकिस्तानी कैदियों के हमले में सरबजीत को गंभीर चोट आई थी जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। गुरुवार आधी रात के बाद करीब डेढ़ बजे सरबजीत के मौत की खबर आई।
इस बीच, जीते जी सुध नहीं लेने वाली सरकार मरने के बाद सरबजीत और उनके परिवार वालों पर कृपा बरसा रही है। मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री राहत कोष से सरबजीत के परिवार वालों को 25 लाख रुपये देने की घोषणा की तो पंजाब सरकार ने एक करोड़ रुपये देने का ऐलान कर दिया। पंजाब सरकार सरबजीत को शहीद का दर्जा देने के साथ सरबजीत की बेटियों को सरकारी नौकरी भी देगी। सरबजीत का अंतिम संस्कार भी पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। पंजाब में तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गई है।
कस्टम अधिकारी शव को भारत भेजने से पहले एनओसी, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और पुलिस रिपोर्ट मांग रहे थे। पाकिस्तानी अधिकारी विदेश मंत्रालय से भी क्लियरेंस मांग रहे थे। इसके बाद एंटी नारकोटिक्स टीम ने सरबजीत का शव भारत भेजने की मंजूरी देने से पहले हॉस्पिटल की तरफ से क्लियरेंस की मांग की। इस तरह सरबजीत का शव लेने गया एयर इंडिया का विशेष विमान एयरबस 319 लाहौर एयरपोर्ट पर करीब तीन घंटे से अधिक समय तक खड़ा रहा। कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद शव को भारतीय विमान में रखा जा सका
सरबजीत को शव को पोस्टमॉर्टम के लिए पहले पट्टी ले जाया जाएगा। इसके बाद शव को परिजनों को सौंप दिया जाएगा। सरबजीत का परिवार दिल्ली से विमान के जरिये अमृतसर और फिर वहां से हेलिकॉप्टर के जरिये भिखीविंड पहुंचा जहां कल दोपहर दो बजे सरबजीत का अंतिम संस्कार होगा। लाहौर के जिन्ना अस्पताल में सरबजीत के शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सरबजीत की मौत का कारण टॉर्चर को बताया गया है। पोस्टमार्टम के बाद शव भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया गया। गत 26 अप्रैल को कोट लखपत जेल में पाकिस्तानी कैदियों के हमले में सरबजीत को गंभीर चोट आई थी जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। गुरुवार आधी रात के बाद करीब डेढ़ बजे सरबजीत के मौत की खबर आई।
इस बीच, जीते जी सुध नहीं लेने वाली सरकार मरने के बाद सरबजीत और उनके परिवार वालों पर कृपा बरसा रही है। मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री राहत कोष से सरबजीत के परिवार वालों को 25 लाख रुपये देने की घोषणा की तो पंजाब सरकार ने एक करोड़ रुपये देने का ऐलान कर दिया। पंजाब सरकार सरबजीत को शहीद का दर्जा देने के साथ सरबजीत की बेटियों को सरकारी नौकरी भी देगी। सरबजीत का अंतिम संस्कार भी पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। पंजाब में तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गई है।
जैसलमेर 27 साल से कराची जेल में बंद है जमालदीन
27 साल से कराची जेल में बंद है जमालदीन
सरबजीत की मौत के बाद जमालदीन के घर वालों की भी बढ़ी चिंता, 27 सालों में एक ही खत आया था, उसके बाद से कोई अता पता नहीं है
जैसलमेर पाकिस्तान की जेल में बंद सरबजीत की मौत के बाद बांधा गांव में भी माहौल चिंतनीय हो गया है। बांधा गांव का जमालदीन पिछले 27 साल से कराची जेल में बंद है। एक छोटी सी भूल के चलते वह सीमापार कर पाकिस्तान जा पहुंच तब से वह कराची जेल में बंद है।
सरबजीत पर हुए हमले तथा उपचार के दौरान हुई मौत से जमाल के परिजनों एवं गांव वालों में भी भय का माहौल है। उन्हें भी लगता है कि कहीं उनके जमाल की स्थिति सरबजीत की तरह न हो। जमाल के पुत्र हासम खां ने बताया कि 1986 में जमालदीन मवेशी चराते हुए भूलवश पाकिस्तान की सीमा में चला गया। जहां पाकिस्तान पुलिस ने पकड़ कर उसे जेल में डाल दिया। तब से लेकर अभी तक न तो सरकार ने कोई कार्रवाई की है और न ही उसे रिहा किया गया है। 12 साल पहले एक खत आया था जिसमें 15 दिन बाद रिहाई का लिखा था। उसके बाद से लेकर आज तक न तो खत है नहीं कोई संदेश।
27 साल से कराची जैल में है बंद
जमालदीन 1986 में मवेशी चराते हुए भूलवश पाकिस्तान की सीमा में चला गया था। जहां उसे पुलिस ने पकड़ कर जेल में बंद कर दिया था। जमालदीन के पुत्र हासमखान का कहना है कि 26 मार्च 1991 को कराची की सेंट्रल जैल के वार्ड संख्या 6 से लिखा पत्र आया था। जिसमें लिखा था कि 15 दिन बाद रिहा कर दिया जाएगा। लेकिन उसके बाद से कोई जानकारी नहीं है। सरकार से मदद की गुहार भी की लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
कहीं मार तो नहीं दिया
जमालदीन के भाई कमाल दीन का कहना है कि उन्हें तो कभी- कभी डर भी लगता है कि कहीं उसे मार तो नहीं दिया गया है। पिछले 12 साल से कोई खबर नहीं आई है। कराची जैल में बंद है या कहीं और इसके बारे में भी कुछ नहीं जानते। 27 साल में मात्र एक पत्र ही पाकिस्तान से आया है। पाकिस्तान की कोट लखपत जैल में सरबजीत पर हुए हमले एवं उपचार के दौरान मौत के बाद से जमालदीन के घर वालों की चिंता और अधिक बढ़ गई है। गांव में भी लोग सहमे हुए है।
7 साल जेल के बाद तय हुआ नाबालिग है
7 साल जेल के बाद तय हुआ नाबालिग है
जोधपुर। सात साल जेल में बिताने के बाद दुष्कर्म के मामले में हाईकोर्ट ने तय किया कि घटना के समय आरोपी की उम्र 17 साल 2 माह थी, इसलिए अब मुकदमा किशोर कोर्ट में चलेगा।
नागौर जिले के पादुकलां थानान्तर्गत अरनियाला निवासी लुकमान खान को सेशन न्यायालय मेड़ता सिटी ने दस वर्ष के कारावास की सजा सुनाई थी। आरोपी की ओर से हाईकोर्ट में अपील दायर कर कहा कि घटना के वक्त आरोपी किशोर था।
स्कूल रिकॉर्ड के आधार पर आरोपी की आयु जांचने का अनुरोध किया। न्यायालय ने किशोर न्याय बोर्ड नागौर को आयु जांचने का आदेश दिया। जांच में स्पष्ट हुआ कि घटना के वक्त आरोपी की आयु 17 वर्ष 2 माह थी। न्यायाधीश कंवलजीत सिंह अहलूवालिया ने उसे किशोर मानते हुए मामले को निस्तारण के लिए किशोर न्याय बोर्ड को स्थानांतरित करते हुए अपील निस्तारित कर दी।
जोधपुर। सात साल जेल में बिताने के बाद दुष्कर्म के मामले में हाईकोर्ट ने तय किया कि घटना के समय आरोपी की उम्र 17 साल 2 माह थी, इसलिए अब मुकदमा किशोर कोर्ट में चलेगा।
नागौर जिले के पादुकलां थानान्तर्गत अरनियाला निवासी लुकमान खान को सेशन न्यायालय मेड़ता सिटी ने दस वर्ष के कारावास की सजा सुनाई थी। आरोपी की ओर से हाईकोर्ट में अपील दायर कर कहा कि घटना के वक्त आरोपी किशोर था।
स्कूल रिकॉर्ड के आधार पर आरोपी की आयु जांचने का अनुरोध किया। न्यायालय ने किशोर न्याय बोर्ड नागौर को आयु जांचने का आदेश दिया। जांच में स्पष्ट हुआ कि घटना के वक्त आरोपी की आयु 17 वर्ष 2 माह थी। न्यायाधीश कंवलजीत सिंह अहलूवालिया ने उसे किशोर मानते हुए मामले को निस्तारण के लिए किशोर न्याय बोर्ड को स्थानांतरित करते हुए अपील निस्तारित कर दी।
बाड़मेर रंगरेलिया मनाते एक महिला समेत ३ गिरफ्तार
बाड़मेर रंगरेलिया मनाते एक महिला समेत ३ गिरफ्तार
बाड़मेर धोरीमन्ना थाना क्षेत्र के खरड़ गांव के धोरों में रंगरेलिया मनाते एक महिला के साथ दो युवकों को पुलिस ने गिरफ्तार किया। पुलिस ने बताया कि खरड़ गांव के धोरों में गोविंद पुत्र राणाराम सुथार निवासी खरड़, राजेश पुत्र प्रकाश निवासी बाछड़ाऊ, मोहनी पत्नी रेखाराम रंगरेलिया मना रहे थे। सूचना मिलने पर पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार किया।
सास की नाक काटने वाला जंवाई सहित चार जने गिरफ्तार
सास की नाक काटने वाला जंवाई सहित चार जने गिरफ्तार चारों आरोपी गिरफ्तार, दामाद ने बताई हकीकत बाड़मेर चार रोज पूर्व अपनी सास का नाक कटवाने वाले दामाद को चार जनों समेत गिरफ्तार कर लिया .जिले के गुड़ामालानी थाना क्षेत्र के गोलिया गर्वा के युवक की शादी खंडाली गांव की एक लड़की से हो रखी थी, मगर मुकलावा करने से सुसराल पक्ष ने इनकार कर दिया। इससे खफा हुआ दामाद अपने दो साथियों के साथ ससुराल जा पहुंचा। जहां पर उसने अपनी सास का नाक काट दिया। बाद में सोने की नथ छिनकर भाग गए। इस आशय का सास ने पुलिस थाना गुड़ामालानी में मामला दर्ज करवाया था। पुलिस ने नाक काटने के आरोपी दामाद समेत चार जनों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने बताया कि शनिवार रात्रि को गोलिया गर्ग निवासी सुरजनराम विश्नोई की शादी खंडाली गांव निवासी परमेश्वरी पुत्र आसूराम से हो रखी थी। मुकालावे को लेकर दामाद ने ससुराल पक्ष के सामने प्रस्ताव रखा। इस पर ससुरालवालों ने फिलहाल मुकलावे से इनकार कर दिया। इससे गुस्साए दामाद सुरजनराम अपने साथी वागाराम, विरधाराम व मोहनराम पुत्र रूपाराम निवासी माणकी के साथ खंडाली गांव पहुंचा। जहां पर सास का नाक काट दिया। बाद में सोने की नथ छिनकर भाग गए। पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जिन्हें शुक्रवार को न्यायालय में पेश किया जाएगा। |
बाड़मेर दो नाबालिग किशोरियों के साथ गेंग रेप के मामले
बाड़मेर दो नाबालिग किशोरियों के साथ गेंग रेप के मामले
बाड़मेर सीमावर्ती बाड़मेर जिले में गेंग रेप की घटाने सुरसा के मुंह की तरह दिन ब दिन बढाती जा रही हें .गुरूवार को जिले में गेंग रेप के दो मामले अलग अलग थाना क्षेत्रो में दर्ज हुए .पुलिस सूत्रानुसार सिणधरी थानातंर्गत एक नाबालिग का अपहरण कर सामूहिक दुष्कर्म का मामला दर्ज किया गया है। पीडि़ता को बोलेरो में डालकर जोधपुर ले गए। जहां पर स्थित एक गेस्ट हाऊस में उसे दो दिन तक बंधक बनाकर रखा। इसके बाद गुजरात ले जाते वक्त हिम्मतनगर में पीडि़ता का भाई मिलने पर आरोपी उसे छोड़कर भाग गए। सिणधरी थानाधिकारी सहदेव चौधरी ने बताया कि क्षेत्र के एक गांव की नाबालिग लड़की ने मामला दर्ज करवाया कि 30 अप्रैल रात्रि को वह अपने घर से शौच करने के लिए खेत में गई। इस दौरान एक बोलेरो मेरे पास आकर रूकी। जिसमें सवार मेरे ही गांव के निवासी महेन्द्र सिंह पुत्र भंवरसिंह रावणा राजपूत, ढलीया उर्फ ढले खां मिरासी, भीखसिंह पुत्र रामसिंह, भाऊ खां पुत्र मांगु खां मिरासी ने उसे पकड़कर बोलेरो में डाल दिया। फिर जान से मारने की धमकी देकर चुप रहने की नसीहत दी। ये लोग उसे जोधपुर स्थित एक गेस्ट हाऊस में लेकर गए। जहां पर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। दो दिन रूकने के बाद आरोपी महेन्द्र सिंह उसे गुजरात के लिए बस में बैठाकर रवाना हुआ। बस हिम्मतनगर की एक होटल पर रूकी। जहां पर मैंने मेरे भाई उत्तमसिंह को देखा तो चिल्लाने लगी। इस पर आरोपी महेन्द्र सिंह भाग गया। भाई ने मेरे परिजनों को सूचना दी। गुरुवार को पुलिस थाने में सामूहिक दुष्कर्म का मामला दर्ज किया गया। पीडि़ता का मेडिकल मुआयना करवाया गया। चौधरी ने बताया कि आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए टीम गठित कर तलाश शुरू की गई। वहीं पचपदरा पचपदरा थाना क्षेत्र में गुरुवार को एक किशोरी को बंधक बनाकर दुष्कर्म करने का मामला दर्ज हुआ। पुलिस के अनुसार पटाऊ कला निवासी एक किशोरी ने रिपोर्ट पेश कर बताया कि अभिषेक पुत्र ओमप्रकाश विश्रोई निवासी जोधपुर वगैरह 4 जनों ने उसे बहला फुसलाकर अपहरण कर ले गए। बंधक बनाकर अभिषेक व उसके साथी अनिल पुत्र खेमाराम विश्रोई निवासी पटाऊ कला ने उसके साथ दुष्कर्म किया। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की। गौरतलब हें की इस सप्ताह जिले में सामूहिक दुष्कर्म के छः मामले दर्ज हो चुके हें
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बाड़मेर सीमावर्ती बाड़मेर जिले में गेंग रेप की घटाने सुरसा के मुंह की तरह दिन ब दिन बढाती जा रही हें .गुरूवार को जिले में गेंग रेप के दो मामले अलग अलग थाना क्षेत्रो में दर्ज हुए .पुलिस सूत्रानुसार सिणधरी थानातंर्गत एक नाबालिग का अपहरण कर सामूहिक दुष्कर्म का मामला दर्ज किया गया है। पीडि़ता को बोलेरो में डालकर जोधपुर ले गए। जहां पर स्थित एक गेस्ट हाऊस में उसे दो दिन तक बंधक बनाकर रखा। इसके बाद गुजरात ले जाते वक्त हिम्मतनगर में पीडि़ता का भाई मिलने पर आरोपी उसे छोड़कर भाग गए। सिणधरी थानाधिकारी सहदेव चौधरी ने बताया कि क्षेत्र के एक गांव की नाबालिग लड़की ने मामला दर्ज करवाया कि 30 अप्रैल रात्रि को वह अपने घर से शौच करने के लिए खेत में गई। इस दौरान एक बोलेरो मेरे पास आकर रूकी। जिसमें सवार मेरे ही गांव के निवासी महेन्द्र सिंह पुत्र भंवरसिंह रावणा राजपूत, ढलीया उर्फ ढले खां मिरासी, भीखसिंह पुत्र रामसिंह, भाऊ खां पुत्र मांगु खां मिरासी ने उसे पकड़कर बोलेरो में डाल दिया। फिर जान से मारने की धमकी देकर चुप रहने की नसीहत दी। ये लोग उसे जोधपुर स्थित एक गेस्ट हाऊस में लेकर गए। जहां पर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। दो दिन रूकने के बाद आरोपी महेन्द्र सिंह उसे गुजरात के लिए बस में बैठाकर रवाना हुआ। बस हिम्मतनगर की एक होटल पर रूकी। जहां पर मैंने मेरे भाई उत्तमसिंह को देखा तो चिल्लाने लगी। इस पर आरोपी महेन्द्र सिंह भाग गया। भाई ने मेरे परिजनों को सूचना दी। गुरुवार को पुलिस थाने में सामूहिक दुष्कर्म का मामला दर्ज किया गया। पीडि़ता का मेडिकल मुआयना करवाया गया। चौधरी ने बताया कि आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए टीम गठित कर तलाश शुरू की गई। वहीं पचपदरा पचपदरा थाना क्षेत्र में गुरुवार को एक किशोरी को बंधक बनाकर दुष्कर्म करने का मामला दर्ज हुआ। पुलिस के अनुसार पटाऊ कला निवासी एक किशोरी ने रिपोर्ट पेश कर बताया कि अभिषेक पुत्र ओमप्रकाश विश्रोई निवासी जोधपुर वगैरह 4 जनों ने उसे बहला फुसलाकर अपहरण कर ले गए। बंधक बनाकर अभिषेक व उसके साथी अनिल पुत्र खेमाराम विश्रोई निवासी पटाऊ कला ने उसके साथ दुष्कर्म किया। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की। गौरतलब हें की इस सप्ताह जिले में सामूहिक दुष्कर्म के छः मामले दर्ज हो चुके हें
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उपेक्षित बेरियां,लाचार ग्रामीण
उपेक्षित बेरियां,लाचार ग्रामीण
शिव। दशकों से अकाल की मार झेल रहे क्षेत्र में पारम्परिक पेयजल स्त्रोत संरक्षण के अभाव में अस्तित्व खोते जा रहे हैं। मनरेगा में नाडी खुदाई पर बड़ा बजट खर्च किया जा रहा है वहीं सीमावर्ती गांवों में पेयजल का एक मात्र साधन बेरियां ग्राम पंचायतों एवं प्रशासनिक उदासीनता के चलते उपेक्षित हैं। क्षेत्र में एक तरफ बड़ी संख्या में बेरियां विलुप्त होती जा रही हैं। वहीं बड़े तालाब अतिक्रमण की भेंट चढ़ रहे है।
ऊंट के मुंह में जीरा
महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारन्टी योजना ब्लाक में वर्ष 2007 से प्रारम्भ की गई। इस योजना में अभी तक लगभग 5000 कार्य स्वीकृत हुए हैं। जिसमें बेरियों के रख रखाव महज 20-25 कार्य सीमावर्ती रोहीड़ी व बिजावल ग्राम पंचायतों में ही पूर्ण हुए हैं। इस कार्य में स्वीकृत राशि 15 से 20 हजार रूपए होने के कारण पंचायतें इसे नजरअंदाज कर रही हंै।
क्षेत्र के लिए वरदान
डीएनपी क्षेत्र के दुरूह गांवों के रेत के धोरो में जहां पानी की कल्पना ही नहीं की जा सकती वहां पुरातन बेरियों से मीठा पानी निकल रहा है। हजारों की संख्या में बनी ये बेरियां लोगों के पेयजल का एक मात्र सहारा बनी हुई हैं। गर्मी के चार माह में तालाबों का पानी सूख जाता है। सरकारी पेयजल योजनाएं ठप हो जाती हंै। ऎसे में इस क्षेत्र के वाशिन्दों व पशुओं के लिए यह बेरियां मददगार साबित होती हैं।
क्या है बेरी
रेगिस्तानी इलाके में धोरों के निकट ही समतल जमीन होती है जहां पानी का बहाव या भराव रहता है। इसे पानी का सेजा कहते हैं। यहां जमीन की खुदाई करने पर भूगर्भ से पानी निकल आता है। छोटे कुएं की खुदाई ग्रामीण अपने स्तर पर करते है तीस से पचास फीट पर पानी निकल आता है। रहट से इसको निकाला जाता है। इस छोटे कुएं को बेरी कहते हैं।
रिपोर्ट बनी रोड़ा
पारम्परिक पेयजल स्त्रोतों को प्रशासन ने कार्य योजना में शामिल किया, लेकिन जिला परिषद ने पंचायतों के लिए भू-जल विभाग की ओर से जारी पानी की उपलब्धता की रिपोर्ट को अनिवार्य करने पर यह रिपोर्ट रोड़ा बनी हुई थी लेकिन अब यह रिपोर्ट नई बेरी खुदाई के लिए अनिवार्य करने से इस कार्य में कुछ राहत के आसार हैं। इससे पहले बेरियों के संरक्षण को लेकर ब्लाक में नरेगा का कार्य नगण्य था।
तो जिन्दा नहीं रहते
विकट भौगोलिक परिस्थितियों वाले गांव द्राभा के ग्रामीण हरिसिंह सोढ़ा एवं खंगारसिंह सोढ़ा कहते है कि गांव के पास बेरियां होने से हमारा बचाव हुआ है। यहां मीलों तक पानी का कोई अन्य माध्यम नहीं है। इन बेरियों का दशकों से पानी पी रहे हैं तभी जिन्दा है।
राहत मिलेगी
मेरी पंचायत के दस गांवों में कुल चार सौ बेरियां हैं। इनके रख रखाव को लेकर पंचायत समिति में प्रस्ताव दिए थे। लेकिन लम्बे इन्तजार के बाद भी स्वीकृति नहीं हुई है। यदि इनको पर्याप्त संरक्षण मिलता है तो निश्चित तौर पर यहां के वाशिन्दों को राहत मिलेगी।
सरादीन,सरपंच, शहदाद का पार
शिव। दशकों से अकाल की मार झेल रहे क्षेत्र में पारम्परिक पेयजल स्त्रोत संरक्षण के अभाव में अस्तित्व खोते जा रहे हैं। मनरेगा में नाडी खुदाई पर बड़ा बजट खर्च किया जा रहा है वहीं सीमावर्ती गांवों में पेयजल का एक मात्र साधन बेरियां ग्राम पंचायतों एवं प्रशासनिक उदासीनता के चलते उपेक्षित हैं। क्षेत्र में एक तरफ बड़ी संख्या में बेरियां विलुप्त होती जा रही हैं। वहीं बड़े तालाब अतिक्रमण की भेंट चढ़ रहे है।
ऊंट के मुंह में जीरा
महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारन्टी योजना ब्लाक में वर्ष 2007 से प्रारम्भ की गई। इस योजना में अभी तक लगभग 5000 कार्य स्वीकृत हुए हैं। जिसमें बेरियों के रख रखाव महज 20-25 कार्य सीमावर्ती रोहीड़ी व बिजावल ग्राम पंचायतों में ही पूर्ण हुए हैं। इस कार्य में स्वीकृत राशि 15 से 20 हजार रूपए होने के कारण पंचायतें इसे नजरअंदाज कर रही हंै।
क्षेत्र के लिए वरदान
डीएनपी क्षेत्र के दुरूह गांवों के रेत के धोरो में जहां पानी की कल्पना ही नहीं की जा सकती वहां पुरातन बेरियों से मीठा पानी निकल रहा है। हजारों की संख्या में बनी ये बेरियां लोगों के पेयजल का एक मात्र सहारा बनी हुई हैं। गर्मी के चार माह में तालाबों का पानी सूख जाता है। सरकारी पेयजल योजनाएं ठप हो जाती हंै। ऎसे में इस क्षेत्र के वाशिन्दों व पशुओं के लिए यह बेरियां मददगार साबित होती हैं।
क्या है बेरी
रेगिस्तानी इलाके में धोरों के निकट ही समतल जमीन होती है जहां पानी का बहाव या भराव रहता है। इसे पानी का सेजा कहते हैं। यहां जमीन की खुदाई करने पर भूगर्भ से पानी निकल आता है। छोटे कुएं की खुदाई ग्रामीण अपने स्तर पर करते है तीस से पचास फीट पर पानी निकल आता है। रहट से इसको निकाला जाता है। इस छोटे कुएं को बेरी कहते हैं।
रिपोर्ट बनी रोड़ा
पारम्परिक पेयजल स्त्रोतों को प्रशासन ने कार्य योजना में शामिल किया, लेकिन जिला परिषद ने पंचायतों के लिए भू-जल विभाग की ओर से जारी पानी की उपलब्धता की रिपोर्ट को अनिवार्य करने पर यह रिपोर्ट रोड़ा बनी हुई थी लेकिन अब यह रिपोर्ट नई बेरी खुदाई के लिए अनिवार्य करने से इस कार्य में कुछ राहत के आसार हैं। इससे पहले बेरियों के संरक्षण को लेकर ब्लाक में नरेगा का कार्य नगण्य था।
तो जिन्दा नहीं रहते
विकट भौगोलिक परिस्थितियों वाले गांव द्राभा के ग्रामीण हरिसिंह सोढ़ा एवं खंगारसिंह सोढ़ा कहते है कि गांव के पास बेरियां होने से हमारा बचाव हुआ है। यहां मीलों तक पानी का कोई अन्य माध्यम नहीं है। इन बेरियों का दशकों से पानी पी रहे हैं तभी जिन्दा है।
राहत मिलेगी
मेरी पंचायत के दस गांवों में कुल चार सौ बेरियां हैं। इनके रख रखाव को लेकर पंचायत समिति में प्रस्ताव दिए थे। लेकिन लम्बे इन्तजार के बाद भी स्वीकृति नहीं हुई है। यदि इनको पर्याप्त संरक्षण मिलता है तो निश्चित तौर पर यहां के वाशिन्दों को राहत मिलेगी।
सरादीन,सरपंच, शहदाद का पार
गुरुवार, 2 मई 2013
पुत्र देने के नाम पर तांत्रिक बना हैवान
पुत्र देने के नाम पर तांत्रिक बना हैवान
नाथद्वारा। तंत्रमंत्र से गढ़ा धन खोजने में एक दिन पहले ही जहां राजधानी में एक व्यक्ति को जान गंवानी पड़ी,वहीं नाथद्वारा में गुरूवार को तंत्र के जरिए पुत्र देने के नाम पर एक तांत्रिक ने महिला से दुष्कर्म कर डाला।
पुलिस ने तांत्रिक पाली निवासी गणपतलाल को गिरफ्तार कर लिया है। बंद कमरे में पीडित विवाहिता के साथ इस कु कर्म का पता जब घरवालों को चला तो उन्होंने तांत्रिक की जम कर धुनाई कर डाली।
पुलिस ने विवाहिता का मेडिकल करवाने के बाद मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस अभियुक्त तांत्रिक को शुक्रवार को अदालत में पेश करेगी।
चढ़ा ली "तंत्र" की शराब
पुलिस के अनुसार गणपतलाल पिछले दो तीन दिन से ऎसे किसी शिकार की तलाश में मोगाणा गांव में ही घूम रहा था। दावा कर रहा था कि वह गृह क्लेश, पुत्र न होना जैसी समस्याओं के तांत्रिक विद्या से ईलाज करता है।
झांसे में आए महिला के परिजनों ने भी उनके यहां पुत्र नहीं होने की बात बताई तो तांत्रिक ने महिला पर भूत-प्रेत का चक्कर बता कर उन्हें इस विश्वास में ले लिया कि वह ईलाज कर देगा।
तंत्र क्रिया के लिए ग्वारपाटा, तेल के साथ दो बोतल शराब आदि सामग्री के साथ दो शराब की बोतल मंगवा ली। बंद कमरे में विवाहिता को बुला कर कपड़े उतरवाए। फिर शराब पीकर उसके साथ दुष्कर्म किया।
चिल्लाई तो पता चला
तांत्रिक क्रिया के दौरान गणपतलाल ने परिजनों को कमरे से बाहर निकाल दिया और फिर विवाहिता अस्मत से खेलने लगा। हैवान तांत्रिक का यह रूप देखा तो महिला जोर से चिल्ला उठी। आवाज सुन कर बाहर बैठे परिजन भीतर आए और तांत्रिक को आपत्तिजनक अवस्था में पाया। इसे देख परिजनों ने मिल कर तांत्रिक की जमकर धुनाई की।
नाथद्वारा। तंत्रमंत्र से गढ़ा धन खोजने में एक दिन पहले ही जहां राजधानी में एक व्यक्ति को जान गंवानी पड़ी,वहीं नाथद्वारा में गुरूवार को तंत्र के जरिए पुत्र देने के नाम पर एक तांत्रिक ने महिला से दुष्कर्म कर डाला।
पुलिस ने तांत्रिक पाली निवासी गणपतलाल को गिरफ्तार कर लिया है। बंद कमरे में पीडित विवाहिता के साथ इस कु कर्म का पता जब घरवालों को चला तो उन्होंने तांत्रिक की जम कर धुनाई कर डाली।
पुलिस ने विवाहिता का मेडिकल करवाने के बाद मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस अभियुक्त तांत्रिक को शुक्रवार को अदालत में पेश करेगी।
चढ़ा ली "तंत्र" की शराब
पुलिस के अनुसार गणपतलाल पिछले दो तीन दिन से ऎसे किसी शिकार की तलाश में मोगाणा गांव में ही घूम रहा था। दावा कर रहा था कि वह गृह क्लेश, पुत्र न होना जैसी समस्याओं के तांत्रिक विद्या से ईलाज करता है।
झांसे में आए महिला के परिजनों ने भी उनके यहां पुत्र नहीं होने की बात बताई तो तांत्रिक ने महिला पर भूत-प्रेत का चक्कर बता कर उन्हें इस विश्वास में ले लिया कि वह ईलाज कर देगा।
तंत्र क्रिया के लिए ग्वारपाटा, तेल के साथ दो बोतल शराब आदि सामग्री के साथ दो शराब की बोतल मंगवा ली। बंद कमरे में विवाहिता को बुला कर कपड़े उतरवाए। फिर शराब पीकर उसके साथ दुष्कर्म किया।
चिल्लाई तो पता चला
तांत्रिक क्रिया के दौरान गणपतलाल ने परिजनों को कमरे से बाहर निकाल दिया और फिर विवाहिता अस्मत से खेलने लगा। हैवान तांत्रिक का यह रूप देखा तो महिला जोर से चिल्ला उठी। आवाज सुन कर बाहर बैठे परिजन भीतर आए और तांत्रिक को आपत्तिजनक अवस्था में पाया। इसे देख परिजनों ने मिल कर तांत्रिक की जमकर धुनाई की।
अमृतसर पहुंचा सरबजीत का शव
अमृतसर पहुंचा सरबजीत का शव
अमृतसर/लाहौर। भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह का शव गुरूवार शाम अमृतसर पहुंचा। अमृतसर से हेलीकॉप्टर के जरिए शव सरबजीत के पैतृक गांव भिखीविंड ले जाया जाएगा। जहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ शुक्रवार को उनका अंतिम संस्कार होगा।
पंजाब सरकार ने घोषणा की है कि शव का फिर से पोस्टमार्टम कराया जाएगा,ताकि वास्तविकता सामने आ सके। पंजाब सरकार ने सरबजीत के परिजनों को एक करोड़ रूपए का मुआवजा देने की घोषणा की है। पंजाब सरकार ने सरबजीत को शहीद का दर्जा दिया है। पंजाब के उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि सरबजीत की दोनों बेटियों को सरकारी नौकरी दी जाएगी।
उन्होंने केन्द्र सरकार से सरबजीत की हत्या का मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने की मांग की है। प्रधानमंत्री सहायता कोष से सरबजीत के परिजनों को 25 लाख रूपए की आर्थिक मदद दी जाएगी। करीब एक हफ्ते से लाहौर के जिन्ना अस्पताल में भर्ती सरबजीत ने बुधवार देर रात अस्पताल में दम तोड़ दिया था। अस्पताल में शव का पोस्टमार्टम किया गया।
पाक अधिकारियों ने लगाया अड़ंगा
शव को भारत लाने के लिए एक विशेष विमान पाकिस्तान भेजा गया था। पाकिस्तान के अधिकारियों की वजह से प्लेन लाहौर एयरपोर्ट से काफी देरी से रवाना हुआ।
नारकोटिक्स विभाग के अधिकारियों ने शव को प्लेन में चढ़ाने से रोक लिया था। विभाग का कहना था कि शव को भारत भेजने के लिए जरूरी अस्पताल का क्लीयरेंस सर्टिफिकेट नहीं दिया गया है।
जरूरी कागजी कार्रवाई पूरी होने पर शव को प्लेन में चढ़ाने की अनुमति दे दी गई। इससे पहले कस्टम विभाग के अधिकारियों ने भी कागजी कार्रवाई के नाम पर अड़ंगा लगा दिया था।
कस्टम विभाग के अधिकारियों ने शव को प्लेन में चढ़ाने से पहले विदेश विभाग का नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट और पुलिस रिपोर्ट मांगी। जरूरी दस्तावेज मुहैया कराने के बाद अधिकारियों ने शव को भारत ले जाने की अनुमति दी।
जरदारी के पुतले फूंके -
सरबजीत की मौत से गुस्साए लोगों ने कोलकाता में विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के पुतले फूंके। पाकिस्तान में पंजाब प्रांत के कार्यवाहक मुख्यमंत्री नजम सेठी ने कोट लखपत जेल में कैद भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की मौत की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं।
सरबजीत पर 26 अप्रैल को लाहौर की कोटलखपत जेल में कुछ कै दियों ने ईटो और धारदार हथियारों से प्राणघातक हमला किया था जिसके बाद उसे मरणासन्न हालत में लाहौर के जिन्ना अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सरबजीत को डाक्टरों ने बुधवार देर रात मृत घोषित किया। सेठी ने गुरूवार को यहां जारी अपने आदेश में सरबजीत की मौत से जुड़े प्रत्येक पहलू की जांच के निर्देश दिए हैं। बताया जा रहा है कि सरबजीत सिंह की मौत ब्रेन हेमरेज से हुई है।
अमृतसर/लाहौर। भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह का शव गुरूवार शाम अमृतसर पहुंचा। अमृतसर से हेलीकॉप्टर के जरिए शव सरबजीत के पैतृक गांव भिखीविंड ले जाया जाएगा। जहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ शुक्रवार को उनका अंतिम संस्कार होगा।
पंजाब सरकार ने घोषणा की है कि शव का फिर से पोस्टमार्टम कराया जाएगा,ताकि वास्तविकता सामने आ सके। पंजाब सरकार ने सरबजीत के परिजनों को एक करोड़ रूपए का मुआवजा देने की घोषणा की है। पंजाब सरकार ने सरबजीत को शहीद का दर्जा दिया है। पंजाब के उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि सरबजीत की दोनों बेटियों को सरकारी नौकरी दी जाएगी।
उन्होंने केन्द्र सरकार से सरबजीत की हत्या का मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने की मांग की है। प्रधानमंत्री सहायता कोष से सरबजीत के परिजनों को 25 लाख रूपए की आर्थिक मदद दी जाएगी। करीब एक हफ्ते से लाहौर के जिन्ना अस्पताल में भर्ती सरबजीत ने बुधवार देर रात अस्पताल में दम तोड़ दिया था। अस्पताल में शव का पोस्टमार्टम किया गया।
पाक अधिकारियों ने लगाया अड़ंगा
शव को भारत लाने के लिए एक विशेष विमान पाकिस्तान भेजा गया था। पाकिस्तान के अधिकारियों की वजह से प्लेन लाहौर एयरपोर्ट से काफी देरी से रवाना हुआ।
नारकोटिक्स विभाग के अधिकारियों ने शव को प्लेन में चढ़ाने से रोक लिया था। विभाग का कहना था कि शव को भारत भेजने के लिए जरूरी अस्पताल का क्लीयरेंस सर्टिफिकेट नहीं दिया गया है।
जरूरी कागजी कार्रवाई पूरी होने पर शव को प्लेन में चढ़ाने की अनुमति दे दी गई। इससे पहले कस्टम विभाग के अधिकारियों ने भी कागजी कार्रवाई के नाम पर अड़ंगा लगा दिया था।
कस्टम विभाग के अधिकारियों ने शव को प्लेन में चढ़ाने से पहले विदेश विभाग का नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट और पुलिस रिपोर्ट मांगी। जरूरी दस्तावेज मुहैया कराने के बाद अधिकारियों ने शव को भारत ले जाने की अनुमति दी।
जरदारी के पुतले फूंके -
सरबजीत की मौत से गुस्साए लोगों ने कोलकाता में विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के पुतले फूंके। पाकिस्तान में पंजाब प्रांत के कार्यवाहक मुख्यमंत्री नजम सेठी ने कोट लखपत जेल में कैद भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की मौत की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं।
सरबजीत पर 26 अप्रैल को लाहौर की कोटलखपत जेल में कुछ कै दियों ने ईटो और धारदार हथियारों से प्राणघातक हमला किया था जिसके बाद उसे मरणासन्न हालत में लाहौर के जिन्ना अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सरबजीत को डाक्टरों ने बुधवार देर रात मृत घोषित किया। सेठी ने गुरूवार को यहां जारी अपने आदेश में सरबजीत की मौत से जुड़े प्रत्येक पहलू की जांच के निर्देश दिए हैं। बताया जा रहा है कि सरबजीत सिंह की मौत ब्रेन हेमरेज से हुई है।
स्वतंत्रता सेनानी नहीं क्रांतिकारी
स्वतंत्रता सेनानी नहीं क्रांतिकारी
लखनऊ।सारा देश भले ही देश को आजाद कराने में महान क्रांतिकारियों द्वारा दी गई आहुतियों को अपने दिल में संजो कर रखता हो लेकिन लगता है कि सरकार की नजरों में इसका कोई मायने नहीं है।
लखनऊ में कक्षा सात की 11 वर्षीय छात्रा और देश की सबसे कम उम्र की बाल आरटीआई कार्यकर्ता ऎश्वर्या पाराशर के इस संबंध में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगे जवाब पर सरकार ने कोई साफ उत्तर न देकर गोलमोल जानकारी दी है।
ऎश्वर्या ने प्रधानमंत्री कार्यालय से 25 मार्च 13 को भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव, चंद्र शेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और मंगल पांडेय को स्वतंत्रता सेनानी घोषित करने के भारत सरकार के आदेशों की फोटो कॉपी मांगी थी।
आरसी नायक, निदेशक (स्वतंत्रता सेनानी) एवं गृह मंत्रालय के जन सूचना अधिकारी द्वारा ऎश्वर्या को भेजे गए जवाब में केवल यह लिखा गया है कि
राष्ट्रीय स्वतन्त्रता संग्राम में इन क्रांतिकारियों की शहादत एक ऎतिहासिक तथ्य है।
याचिकाकर्ता ने की प्रथम अपील
स्वतंत्रता सेनानी सम्मान पेंशन स्कीम 1980 के तहत गृह मंत्रालय की स्वतंत्रता सेनानी शाखा उन स्वतंत्रता सेनानियों को पेंशन देता है, जो स्वतंत्रता सेनानी सम्मान पेंशन स्कीम 1980 में निर्धारित मापदंड और प्रमाणिक आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। क्रांतिकारियों को स्वतंत्रता सेनानी घोषित करने के भारत सरकार के आदेशों की फोटो कॉपी देने के बारे में यह पत्र मौन है।
जनसूचना अधिकारी द्वारा दी गई भ्रमपूर्ण जानकारी प्राप्त होने पर ऎश्वर्या दुखी और हताश है। ऎश्वर्या ने कहा कि उसे तो भारत सरकार के आदेशों की फोटो कॉपी चाहिए थी जो उसे नहीं मिलीं। अब उसने इस मामले में प्रथम अपील की है।
लखनऊ।सारा देश भले ही देश को आजाद कराने में महान क्रांतिकारियों द्वारा दी गई आहुतियों को अपने दिल में संजो कर रखता हो लेकिन लगता है कि सरकार की नजरों में इसका कोई मायने नहीं है।
लखनऊ में कक्षा सात की 11 वर्षीय छात्रा और देश की सबसे कम उम्र की बाल आरटीआई कार्यकर्ता ऎश्वर्या पाराशर के इस संबंध में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगे जवाब पर सरकार ने कोई साफ उत्तर न देकर गोलमोल जानकारी दी है।
ऎश्वर्या ने प्रधानमंत्री कार्यालय से 25 मार्च 13 को भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव, चंद्र शेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और मंगल पांडेय को स्वतंत्रता सेनानी घोषित करने के भारत सरकार के आदेशों की फोटो कॉपी मांगी थी।
आरसी नायक, निदेशक (स्वतंत्रता सेनानी) एवं गृह मंत्रालय के जन सूचना अधिकारी द्वारा ऎश्वर्या को भेजे गए जवाब में केवल यह लिखा गया है कि
राष्ट्रीय स्वतन्त्रता संग्राम में इन क्रांतिकारियों की शहादत एक ऎतिहासिक तथ्य है।
याचिकाकर्ता ने की प्रथम अपील
स्वतंत्रता सेनानी सम्मान पेंशन स्कीम 1980 के तहत गृह मंत्रालय की स्वतंत्रता सेनानी शाखा उन स्वतंत्रता सेनानियों को पेंशन देता है, जो स्वतंत्रता सेनानी सम्मान पेंशन स्कीम 1980 में निर्धारित मापदंड और प्रमाणिक आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। क्रांतिकारियों को स्वतंत्रता सेनानी घोषित करने के भारत सरकार के आदेशों की फोटो कॉपी देने के बारे में यह पत्र मौन है।
जनसूचना अधिकारी द्वारा दी गई भ्रमपूर्ण जानकारी प्राप्त होने पर ऎश्वर्या दुखी और हताश है। ऎश्वर्या ने कहा कि उसे तो भारत सरकार के आदेशों की फोटो कॉपी चाहिए थी जो उसे नहीं मिलीं। अब उसने इस मामले में प्रथम अपील की है।
भारत को सौंपा सरबजीत का शव
भारत को सौंपा सरबजीत का शव
नई दिल्ली। पाकिस्तान ने गुरूवार को सरबजीत का शव भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया। जिन्ना अस्पताल में सरबजीत का पोस्टमार्टम किया गया। करीब एक हफ्ते से लाहौर के जिन्ना अस्पताल में भर्ती सरबजीत ने बुधवार देर रात अस्पताल में दम तोड़ दिया था।
गौरतलब है कि दिल्ली से एक विशेष विमान लाहौर के लिए भेजा जा रहा है। यह विमान उनके पार्थिव शरीर को अमृतसर लेकर आएगा,उसके बाद सरबजीत के पैतृक गांव भिखीविंड ले जाया जाएगा जहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार होगा। इधर,पंजाब सरकार ने घोषणा की है कि सरबजीत के शव का फिर से पोस्टमार्टम कराया जाएगा,ताकि वास्तविकता सामने आ सके।
पाक ने दिए न्यायिक जांच के आदेश-
पाकिस्तान में पंजाब प्रांत के कार्यवाहक मुख्यमंत्री नजम सेठी ने कोट लखपत जेल में कैद भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की मौत की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। सरबजीत पर 26 अप्रैल को लाहौर की कोटलखपत जेल में कुछ कै दियों ने ईटो और धारदार हथियारों से प्राणघातक हमला किया था जिसके बाद उसे मरणासन्न हालत में लाहौर के जिन्ना अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सरबजीत को डाक्टरों ने बुधवार देर रात मृत घोषित किया। सेठी ने गुरूवार को यहां जारी अपने आदेश में सरबजीत की मौत से जुड़े प्रत्येक पहलू की जांच के निर्देश दिए हैं। बताया जा रहा है कि सरबजीत सिंह की मौत ब्रेन हेमरेज से हुई है।
सरबजीत नॉन रिवर्सिबल कोमा में चले गए थे। सरबजीत की तबीयत में जब सुधार नहीं हो रहा था तो परिजन और भारत सरकार लगातार पाकिस्तान से अपील करते रहे कि उसे इलाज के लिए भारत या किसी अन्य देश भेज दिया जाए लेकिन उसने एक नहीं सुनी। पाकिस्तान इस बात पर अड़ा रहा कि इलाज वहीं होगा। पाकिस्तान की इसी जिद ने उनकी जान ले ली।
आरोपी रिजवान और आमिर के खिलाफ हत्या की कोशिश का केस दर्ज किया गया था। सरबजीत सिंह को 1990 में लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाकों का दोषी करार दिया गया था। 1991 में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी।
28 अगस्त 1990 को सरबजीत गलती से पाकिस्तान की सीमा में चले गए थे। पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के आठ दिन बाद पुलिस ने उन पर लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाकों का आरोप लगाया। 1990 से ही वह लाहौर की कोट लखपत जेल में कैद थे। 1991 में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। कई बार उनकी फांसी टल गई। उनकी ओर से पांच दया याचिकाएं दाखिल की गई थी। हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरबजीत की फांसी की सजा को बरकरार रखा।
मार्च 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी फांसी की सजा पर पुर्नविचार के लिए दाखिल याचिका खारिज कर दी थी। मामले पर सुनवाई के दौरान उनके वकील कोर्ट में पेश नहीं हुए इसलिए याचिका खारिज कर दी गई। 3 मार्च 2008 को तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने उनकी दया याचिका खारिज कर दी। 26 जून 2012 को पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने सरबजीत को रिहा करने का फैसला किया लेकिन कुछ घंटे बाद ही अपना फैसला बदल लिया क्योंकि जमात ए इस्लामी और जमात उद दावा ने कड़ा एतराज जताया था। पाकिस्तान की सरकार ने सफाई दी कि सरबजीत नहीं बल्कि सुरजीत सिंह को रिहा किया जा रहा है।
नई दिल्ली। पाकिस्तान ने गुरूवार को सरबजीत का शव भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया। जिन्ना अस्पताल में सरबजीत का पोस्टमार्टम किया गया। करीब एक हफ्ते से लाहौर के जिन्ना अस्पताल में भर्ती सरबजीत ने बुधवार देर रात अस्पताल में दम तोड़ दिया था।
गौरतलब है कि दिल्ली से एक विशेष विमान लाहौर के लिए भेजा जा रहा है। यह विमान उनके पार्थिव शरीर को अमृतसर लेकर आएगा,उसके बाद सरबजीत के पैतृक गांव भिखीविंड ले जाया जाएगा जहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार होगा। इधर,पंजाब सरकार ने घोषणा की है कि सरबजीत के शव का फिर से पोस्टमार्टम कराया जाएगा,ताकि वास्तविकता सामने आ सके।
पाक ने दिए न्यायिक जांच के आदेश-
पाकिस्तान में पंजाब प्रांत के कार्यवाहक मुख्यमंत्री नजम सेठी ने कोट लखपत जेल में कैद भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की मौत की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। सरबजीत पर 26 अप्रैल को लाहौर की कोटलखपत जेल में कुछ कै दियों ने ईटो और धारदार हथियारों से प्राणघातक हमला किया था जिसके बाद उसे मरणासन्न हालत में लाहौर के जिन्ना अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सरबजीत को डाक्टरों ने बुधवार देर रात मृत घोषित किया। सेठी ने गुरूवार को यहां जारी अपने आदेश में सरबजीत की मौत से जुड़े प्रत्येक पहलू की जांच के निर्देश दिए हैं। बताया जा रहा है कि सरबजीत सिंह की मौत ब्रेन हेमरेज से हुई है।
सरबजीत नॉन रिवर्सिबल कोमा में चले गए थे। सरबजीत की तबीयत में जब सुधार नहीं हो रहा था तो परिजन और भारत सरकार लगातार पाकिस्तान से अपील करते रहे कि उसे इलाज के लिए भारत या किसी अन्य देश भेज दिया जाए लेकिन उसने एक नहीं सुनी। पाकिस्तान इस बात पर अड़ा रहा कि इलाज वहीं होगा। पाकिस्तान की इसी जिद ने उनकी जान ले ली।
आरोपी रिजवान और आमिर के खिलाफ हत्या की कोशिश का केस दर्ज किया गया था। सरबजीत सिंह को 1990 में लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाकों का दोषी करार दिया गया था। 1991 में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी।
28 अगस्त 1990 को सरबजीत गलती से पाकिस्तान की सीमा में चले गए थे। पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के आठ दिन बाद पुलिस ने उन पर लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाकों का आरोप लगाया। 1990 से ही वह लाहौर की कोट लखपत जेल में कैद थे। 1991 में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। कई बार उनकी फांसी टल गई। उनकी ओर से पांच दया याचिकाएं दाखिल की गई थी। हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरबजीत की फांसी की सजा को बरकरार रखा।
मार्च 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी फांसी की सजा पर पुर्नविचार के लिए दाखिल याचिका खारिज कर दी थी। मामले पर सुनवाई के दौरान उनके वकील कोर्ट में पेश नहीं हुए इसलिए याचिका खारिज कर दी गई। 3 मार्च 2008 को तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने उनकी दया याचिका खारिज कर दी। 26 जून 2012 को पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने सरबजीत को रिहा करने का फैसला किया लेकिन कुछ घंटे बाद ही अपना फैसला बदल लिया क्योंकि जमात ए इस्लामी और जमात उद दावा ने कड़ा एतराज जताया था। पाकिस्तान की सरकार ने सफाई दी कि सरबजीत नहीं बल्कि सुरजीत सिंह को रिहा किया जा रहा है।
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