शुक्रवार, 3 मई 2013

राजकीय सम्मान के साथ हुआ सरबजीत का अंतिम संस्कार



नई दिल्ली। पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में बर्बर तरीके से मारे गए सरबजीत सिंह का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया। सरबजीत सिंह का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव भिखीविंड में शुक्रवार को दो बजे राजकीय सम्मान के साथ किया गया। सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने सरबजीत को मुखाग्नि दी। अंतिम रस्म के वक्त सरबजीत की बेटियों समेत परिजनों को अधिकारी संभाल रहे थे। सरबजीत के अंतिम दर्शन को लेकर लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा। प्रकाश सिंह बादल, सुखवीर सिंह कई नेता मौजूद थे। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी मौजूद थे।
live: Sarabjit's funeral, rahul reaches
जिस शहर के बाशिंदे आज भी इस जुमले पर गुमान करते हैं कि जिसने लाहौर नहीं देखा वह जन्मा ही नहीं, उसने भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह को तिल-तिल करते मरते हुए देखा भी और दुनिया को दिखाया भी। 49 साल के सरबजीत को कभी साझा रही सरहद को लांघने की गलती की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। बीते शुक्रवार को लाहौर की कोट लखपत जेल में नफरत से भरे खूंखार कैदियों के सुनियोजित हमले में मरणासन्न हुए सरबजीत ने जिन्ना अस्पताल में बुधवार आधी रात के बाद भारतीय समयानुसार डेढ़ बजे इस बेरहम दुनिया से विदा ले ली। तरनतारन के भिखीविंड गांव के सिख दलित परिवार के किसान सरबजीत को पाकिस्तान ने जीते जी तो रहम की भीख देने से इन्कार किया, लेकिन उनके शव की सुरक्षा में तमाम तामझाम दिखाया। पाकिस्तान ने उन्हें सुरक्षा तब दी जब उनके प्राण पखेरू हो चुके थे।

पूरे देश में गम और गुस्से की लहर के बीच सरबजीत सिंह का अंतिम संस्कार हुआ।

अगस्त, 1990 की एक रात वह भटकर मुल्क की सीमा लांघकर पाकिस्तान पहुंच गए। इसके बाद 1991 में उन्हें जासूसी और लाहौर व फैसलाबाद में हुए बम धमाकों का दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुना दी गई। तमाम अपील, अनुरोध और इस पुख्ता दलील के बाद भी उन्हें माफी नहीं दी गई कि वह गलत पहचान का शिकार हुए हैं।

मई, 2008 में पाकिस्तान सरकार ने सरबजीत को फांसी दिए जाने पर अनिश्चितकालीन रोक लगा दी थी। लगता है भारत के दुश्मनों ने तभी सरबजीत को मौत की सजा देने का वैकल्पिक रास्ता खोज लिया था। उसी के तहत पिछले शुक्रवार को कोट लखपत जेल में छह कैदियों ने उन पर जानलेवा हमला किया, जिसकी परिणति आज पूरे देश के सामने है। शुक्रवार को राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।

पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने पाकिस्तानी जेल में अमानवीय व्यवहार का शिकार हुए सरबजीत सिंह की नृशंस हत्या की कड़ी निंदा की है। सरबजीत को शहीद घोषित करते हुए बादल ने उनके परिवार को एक करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देने की बात कही। प्रदेश में तीन दिन का राजकीय शोक रहेगा। इसके अलावा सरकार सरबजीत की दोनों बेटियों को सरकारी नौकरी भी देगी।

अंतिम संस्कार के मौके पर हजारों लोगों की आमद को लेकर चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस जवान तैनात किए गए थे। पूरा गांव पुलिस छावनी में तब्दील हो गया था।

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