गुरुवार, 2 मई 2013

स्वतंत्रता सेनानी नहीं क्रांतिकारी

स्वतंत्रता सेनानी नहीं क्रांतिकारी

लखनऊ।सारा देश भले ही देश को आजाद कराने में महान क्रांतिकारियों द्वारा दी गई आहुतियों को अपने दिल में संजो कर रखता हो लेकिन लगता है कि सरकार की नजरों में इसका कोई मायने नहीं है।


लखनऊ में कक्षा सात की 11 वर्षीय छात्रा और देश की सबसे कम उम्र की बाल आरटीआई कार्यकर्ता ऎश्वर्या पाराशर के इस संबंध में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगे जवाब पर सरकार ने कोई साफ उत्तर न देकर गोलमोल जानकारी दी है।


ऎश्वर्या ने प्रधानमंत्री कार्यालय से 25 मार्च 13 को भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव, चंद्र शेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और मंगल पांडेय को स्वतंत्रता सेनानी घोषित करने के भारत सरकार के आदेशों की फोटो कॉपी मांगी थी।

आरसी नायक, निदेशक (स्वतंत्रता सेनानी) एवं गृह मंत्रालय के जन सूचना अधिकारी द्वारा ऎश्वर्या को भेजे गए जवाब में केवल यह लिखा गया है कि
राष्ट्रीय स्वतन्त्रता संग्राम में इन क्रांतिकारियों की शहादत एक ऎतिहासिक तथ्य है।

याचिकाकर्ता ने की प्रथम अपील


स्वतंत्रता सेनानी सम्मान पेंशन स्कीम 1980 के तहत गृह मंत्रालय की स्वतंत्रता सेनानी शाखा उन स्वतंत्रता सेनानियों को पेंशन देता है, जो स्वतंत्रता सेनानी सम्मान पेंशन स्कीम 1980 में निर्धारित मापदंड और प्रमाणिक आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। क्रांतिकारियों को स्वतंत्रता सेनानी घोषित करने के भारत सरकार के आदेशों की फोटो कॉपी देने के बारे में यह पत्र मौन है।


जनसूचना अधिकारी द्वारा दी गई भ्रमपूर्ण जानकारी प्राप्त होने पर ऎश्वर्या दुखी और हताश है। ऎश्वर्या ने कहा कि उसे तो भारत सरकार के आदेशों की फोटो कॉपी चाहिए थी जो उसे नहीं मिलीं। अब उसने इस मामले में प्रथम अपील की है।

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