रविवार, 16 दिसंबर 2012

जोधपुर में पाक विस्थापित डॉक्टरों व परिवारों के षिविरों मे किया दौरा,

बीकानेर सांसद अर्जुन राम मेघवाल ने

जोधपुर में पाक विस्थापित डॉक्टरों व परिवारों के षिविरों मे किया दौरा,

समस्याओं को संसद मे उठाने का दिया आष्वासन


नई दिल्ली। 17 दिसम्बर 2012। रविवार को बीकानेर सांसद अर्जुन राम मेघवाल ने पाकिस्तान से आये हुये डॉक्टरों व पाकिस्तान से सिरसा होकर आये हिन्दू परिवारों के षिविरों का दौरा किया। षिविर में लोगों ने बताया कि पाकिस्तान से आने के लिए उन्हे जोधुपर के लिए वीजा नहीं दिया गया इसलिए हमने सिरसा (हरियाणा) का वीजा लेकर भारत आ गये, जबकि हमारा सिरसा से कोई संबंध नहीं है। हम जोधपुर से गये हुये है। सभी 327 सदस्य मेघवाल है जो अनुसूचित जाति के है। सिरसा में 22 साल से नागरिकता नहीं मिलने के कारण अभी जोधपुर मे आ गये है। इन मे से 24 सदस्यों की नागरिकता का इंतजार करते करते मौत भी हो चुकी है। नागरिकता नहीं मिलने से कहीं भी आ जा नहीं सकते है, शादीयां नहीं कर सकते है तथा पाकिस्तान वापस नहीं जाना चाहते है। सीमान्त लोक संगठन के अध्यक्ष हिन्दू सिंह सोढ़ा ने यह मामला मानवाधिकार आयोग, अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के सामने रखने की मांग की है। संासद अर्जुन मेघवाल ने संसद की एस.सी. व एस.टी. कल्याण समिति का दौरा जोधपुर करवाने तथा संसद मे पुनः मामला उठाने का आष्वासन दिया है।
पाकिस्तान से आये हुये मेड़िकल ग्रेजुएट डॉक्टरों से बीकानेर सांसद ने मुलाकात की। मुलाकात में डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें 12 साल से नागरिकता नहीं मिली है, जिससे वो कहीं पर भी प्रेक्टिस नहीं कर सकते है। मेड़िकल कॉसिल ऑफ इण्डिया द्वारा प्रेक्टिस करने की अनुमति नहीं दी जाती है जिससे उनका भविष्य अध्ंाकार मे हैं तथा रोजगार भी नहीं मिल रहा है। सांसद मेघवाल ने डॉक्टरों का मामला स्वास्थ्य मंत्रालय, मानवधिकार आयेाग तथा मेड़िकल कॉसिल ऑफ इण्डिया मे उठाने का आष्वासन दिया।

100 रुपये महंगा होगा 1000 किमी का रेल सफर



नई दिल्‍ली. आर्थिक सुधारों के नाम पर कड़े फैसले लेने की सरकार की कवायद आम आदमी पर भारी पड़ रही है। सरकार एक ओर रेल किराया में बढ़ोतरी की तैयारी कर रही है वहीं डीजल और गैस पर सब्सिडी घटाने के संकेत हैं। उधर, दिल्‍ली की सीएम शीला दीक्षित के बयान पर सियासी घमासान शुरू हो गया है।
100 रुपये महंगा होगा 1000 किमी का रेल सफर
रेल राज्‍यमंत्री कोटला सूर्यप्रकाश रेड्डी ने कहा कि रेलवे की वित्तीय हालत को देखते हुए रेल भाड़ा बढ़ाना जरूरी है। उन्होंने विशाखापट्टनम में विशाखापट्टनम-चेन्नई और विशाखापट्टनम-शिरडी साप्ताहिक एक्सप्रेस रेलगाडिय़ों की शुरुआत करने वाले समारोह के दौरान कहा कि रेलवे की वित्तीय स्थिति खराब होने के कारण रेल भाड़ा बढ़ाना बहुत जरूरी हो गया है। रेड्डी ने राजमुंदरी में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अगले रेल बजट में रेल भाड़ा बढ़ाने का प्रस्ताव है। उन्‍होंने बताया कि रेल किराया 5 से 10 पैसे प्रतिकिलोमीटर बढ़ सकता है। यदि ऐसा हुआ तो एक हजार किलोमीटर का सफर करीब 100 रुपये महंगा हो सकता है।
गौरतलब है कि रेल किराये को लेकर तृणमूल कांग्रेस के यूपीए से रिश्‍तों में कड़वाहट आती रही। यूपीए की सहयोगी रही तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने रेल किराया में बढ़ोतरी का विरोध किया। उनका तर्क है कि इससे आम आदमी पर महंगाई का बोझ बढ़ेगा। ममता ने पिछले रेल बजट में रेल किराये में बढ़ोतरी का प्रस्‍ताव करने वाले अपनी ही पार्टी के सांसद दिनेश त्रिवेदी को मंत्रीपद से हटने को मजबूर किया। ममता ने आरोप लगाया था कि त्रिवेदी ने किराया बढ़ाने का फैसला लेने से पहले पार्टी को भरोसे में नहीं लिया था।

एक 'बोतल' में तय हुआ युवती की अस्मत का सौदा!


PICS: एक 'बोतल' में तय हुआ युवती की अस्मत का सौदा!

वाराणसी. चंद रुपये और शराब की एक बोतल के लिए एक औरत की अस्मत का सौदा कर दिया गया। कैंट थाना क्षेत्र के नई बस्ती में रहने वाली ममता (17) ने अपने जीजा की दूकान में काम करने वाली शराबी महिला आरती के ऊपर यह संगीन आरोप लगाया है। दो दिन पहले वह अपने जीजा के यहां कुछ पैसे लेने गई थी। वहां उसकी आरती श्रीवास्तव से मुलाकात हुई।आरती ने उसे शादी का झांसा देकर 13 की रात अपने घर बुला लिया। उसी रात नशे की आदती उस महिला ने ममता की अस्मत का सौदा चंद रुपयों और शराब की एक बोतल के लिए मल्लू नामक एक युवक से कर दिया। देर रात मौके का फायदा उठाकर पीड़ित किशोरी ममता आरती की बेटी की मदद से भाग निकली। सिगरा के सोनिया इलाके में अपने घर आ गई। पुलिस स्टेशन पहुंचकर लिखित शिकायत दर्ज कराया।पीड़ित महिला का कहना है कि आरती ने मुझे जबरदस्ती परसों रात में अपने घर रोक लिया था। अपने जीजा से मिलने दुकान गई थी। घर पर उसने मुझे झांसा दिया कि जीजा मल्लू को आरती ने अपने घर पर बुलाया और उसके साथ सौदा करने लगी। कुछ रुपये और शराब की बोतल पर दोनों राजी हो गए। मल्लू 16 तारीख को उसे लेने के लिए आने वाला था, लेकिन वहां से भाग निकली। र घर वाले उसकी शादी के लिए परेशान हैं। उसकी शादी अच्छे लड़के के साथ एक हफ्ते के अन्दर करा देगी।

भीनमाल बाड़मेर की जूतियों का जवाब नहीं


 
आम आदमी के व्यक्तित्व की पहचान कराती  राजस्थानी जूतियाँ


भीनमाल बाड़मेर की जूतियों का जवाब नहीं 

पायत्रसंण पदपीठ पहनी खलों उपांन।
जोड़ी पानह जूतियॉ, कोटा रखी कुदान।।
पगसुख पनिया पगरखी, पाप पोस पैजार।
मौजा मोचा मोचड़ा, पग पाखर पय चार।।

राजस्थान के निवासियों ने अपना पहनावा, वेशभूषा, शिरोत्राण व पगरखियाँ देशकाल तथा भौगोलिक परिस्थितयों की आवश्यकता के अनुरुप ही अंगीकार किए हैं। उन सबका पृथक-पृथक महत्व है। यहाँ विभिन्न जूतियों का पृथक-पृथक पहनावा है तथा उनकी जूतियों की बनावट भी अलग-अलग है। इन जूतियों का उपयोग भी परम्पराओं से मुक्त नहीं है। जूतियाँ आम आदमी के व्यक्तित्व की पहचान कराती है। उसके सामाजिक स्तर, धर्म, आर्थिक स्थिति, परगना आदि की पहचान जानने वाले लोग उसकी जूतियों को देखकर कर लेते हैं। यहाँ तक कि रीति-रिवाजों और मर्यादाओं की लक्ष्मणरेखा भी जूतियों से आंकी जाती है।


पावरल छणी पादुका, जूती जबरो जाण।
चवो उपानन मोचड़ी, प्राण हिता पहचान।।

राजस्थान में जूतियों के लिए कई नाम व उपनाम प्रचलित हैं जो इस प्रकार हैं: - पग रक्षिका, पादुकाएँ, पगरखी ,जूतियाँ, कांटारखी (कांटे से रक्षा करने वाली), लपतरो, जूतड़, जूतीड़, खाहड़ा, जरबो, (मेवाड़ में), लितड़ा (फटे हुए जूते), जोड़ा, खेटर, ठेठर (जैसलमेर में), मोजड़ी, लिकतर, जूत, लपटा, पनोती इत्यादि।

राजा, महाराजा और जागीरदारों की जूतियाँ मखमल, जरी, मोती तथा अमूल्य रत्नों से जड़ित होती थीं। शादी के समय जब मोची दूल्हे के लिए विशेष जूतियाँ लाता था, तो उसे बिन्दोली कहा जाता था। इसके बदले में उसे नेग दिया जाता था। जागीरों के समय जागीरदारों एवं उनके परिवार के सदस्यों के लिए गाँव का मोची जूतियाँ बनाकर लाता था। उसके बदले में उसे पेटिया ( गेंहू या बाजरी) दिया जाता था ।

जरकस जरी रेसमी जांभौ, रतना साज सजावै।
मणियां जड़ी मोचड़ी चरणां, जोयां ही बण आवै।।

शादी - ब्याह के समय जूतियाँ हास - परिहास करने का साधन बनती हैं तथा जीजा - साली इस प्रकार की हँसी-ठिठोली के द्वारा जाने-अनजाने एक दूसरे के स्वभाव तथा उनके धैर्य इत्यादि से परिचित होते हैं। शादी के पश्चात् दूल्हा-दुल्हन देवताओं को धोकने जाते हैं, तो उनसे मजाक करने के लिए महिलाएँ एक आले में दुल्हन की जूतियों को पलिया ओढ़ाकर रख देती हैं और महिलाएँ दूल्हे के हाथ से नारियल वढ़वाती हैं और वहाँ उसके माथा नमन करती हैं। कभी-कभी दूल्हे की जूतियाँ छिपाकर साली नेग वसूल करती है। दूल्हन अपने बड़ों के सामने जूतियाँ पहनकर नहीं वलती हैं। मर्यादा के अनुसार बड़ों के सामने नंगे पाँव ही वलना होता है। महिलाएँ घर में मर्द की उपस्थिति का अनुमान ड्योढ़ी पर उसकी जूतियों को देखकर ही लगाती हैं। ऐसा विश्वास भी है नई दूल्हन, जो पीहर के घर से जूती पहनकर आती है, उसे जल्दी पहनकर फाड़ने का प्रयास करती है, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि उसकी जूतियाँ फटने से पीहर का कर्ज उतरता है।


मेह बिना धरती तरसै, मेहड़ों हुवण दै।
मोचड़ियाँ गणावूं मुखमलरी मेहड़ो हुवण दै।।

जोधपुर के रावटी महाराज तो जूतियों के इतने शौकीन थे कि वे अपनी मखमली जूतियों पर खरे मोती एवं हीरे-पन्ने लगवाते थे। वे इसके लिए विख्यात भी थे।

जूतियों के संबंध में और भी अनेक प्रकार के रिवाज एवं परम्पराएँ रहीं हैं। यहाँ ऐसी मान्यता है कि जब पुत्र के पैर में पिता की जूतियाँ बराबर आनी लगे, तब उसे बराबरी का दर्जा दे देना चाहिए।

जब किसी दुखियारी महिला के पीहर या मायके में कोई जीवित नहीं बचता है, तो कहा जाता है कि उसके लिए पगरखी उतारने की कोई ठौड़ अब नहीं रही है।

किसी अहसान की चरम सीमा को स्वीकार करने के लिए यहाँ आम बोलचाल में कहा जाता है कि मैं अपनी खाल के जूते भी आपको पहनाऊँ तो भी आपका अहसान नहीं उतार सकता हूँ।


घुड़ला सईयां दीसै य न ठांण।
ना रे पगाणे भँवरजी श मोचड़ा।।

पुराने जमाने में कई नामी चोर रात में चोरी करने के लिए किसी अन्य की जूतियाँ पहनकर चोरी करने जाता था और चोरी करके उसकी जूतियाँ वापस रख देता था। इस प्रकार पागी (पदचिन्ह के पारखी) जूतियों के निशान देखकर उसी को पकड़ते थे, जिसकी जूतियाँ चोर ने प्रयुक्त की थीं। किसी अपराध के साबित होने पर गाँववाले अपराधी को जूतों की माला पहनाते तथा उसे गधे पर बैठाकर पूरे गाँव में घुमाते थे। उसके लिए यह सबसे बड़ी बेइज्जती मानी जाती थी।

बुरी न से बचाने के लिए आज भी फटी-फूटी जूती घर के ऊपर लटकाई जाती है। मिरगी का दौरा पड़ने पर अज्ञानवश आज भी रोगी को जूतियाँ सुंघाते हैं। कई बार रेगिस्तान में पानी रखने का बर्तन उपलब्ध न होने पर जूती में पानी भरकर कई आवश्यक कार्य निपटाते हैं। यह प्रयोग केवल अपरिहार्य परिस्थितयों में ही किया जाता है। कई बार भेड़ की जटा काटने के लिए उसे सुलाना पड़ता है। ऐसा करते समय खारी लोग अपनी जूती उसकी आँख पर उल्टी रख देते हैं और भेंड़ भय व आँख के सामने अंधेरा पाकर निर्जिंश्चत होकर पड़ी रहती है।

राजा-रजवाड़ों में चोंचदार जूतियाँ पहनने का रिवाज प्रचलित रहा है, जिनसे चलने पर करड़-करड़ की आवाज आना रौब का चिन्ह माना जाता था। शादी शुदा स्रियाँ रंगीन, कशीदे एवं जरी वाली पगरखियाँ पहनी हैं परन्तु विधवाएँ सिर्फ काले चमड़े की सादी जूतियाँ ही पहन सकती हैं। जनानी पगरखियाँ की एड़ी सदा मुड़ी हुई रहती हैं। चौधरी एवं रबारी महिलाएँ कस्से वाली एड़ी की जूतियाँ भी पहनती हैं।
Traditional Handmade Rajasthani Mojari
बाड़मेर और जैसलमेर के सिन्धी मुसलमानों की स्रियाँ मोटे तले, छोटे पंजे एवं रंगीन फून्दों वाली जूतियाँ पहनती हैं। इन जूतियों को शहर की मोलांगी स्रियाँ तो पहनकर चल भी नहीं सकतीं।

यहाँ यदि कोई जूतियों को चुराकर ले जावे, तो अच्छा माना जाता है। इस समय यह कहकर मन को समझाया जाता है कि मेरी पनोती उतर गई। शनिश्चर की दशा लगने पर देशान्तरी को अन्य दोनों के साथ-साथ शनिवार को जूतियाँ भी दी जाती हैं, ताकि उस दशा का स्थानान्तरण देशान्तरी पर हो जाए।

भेंड़ - बकरी चराने वाले देवदासियों की जूतियाँ बहुत कम फटती है, क्योंकि वे लोग ज्यादातर अपने जोड़ों को लकड़ी में अटकाकर कन्धे पर लेकर घूमते हैं। यदि उन्हें जंगल में पेड़ की छाया के नीचे आराम करना हो तो वे उनको सिरहाने रखकर सोते हैं। वैसे यह भी मान्यता है कि अगर किसी व्यक्ति को नींद में बुरे सपने आएँ तो उसे जूतियाँ सिरहाने रखकर सोना चाहिए। ऐसा करने से बुरे सपने नहीं आते हैं। यह भी मान्यता है कि किसी के घर से कोई अतिथि प्रस्थान कर रहा हो तो उसे वापस आते वक्त जूते अथवा जूतियाँ इत्यादि लाने के लिए नहीं कहना चाहिए।

पाँव में पहनने वाली जूतियों को बाल में सजाकर सुहाग की अन्य वस्तुओं के साथ पडले के साथ दूल्हे की तरफ से दुल्हन को भेजी जाती है। उसमें चूड़ा, नथ, तिमणिया और सिन्दूर के साथ जूतियों का जरीदार जोड़ा भी होता है, जिन्हें फेरों के समय पहनाया जाता है।

मुगलों के जमाने की नोंकदार जरी वाली जूतियाँ सली-शाही के नाम से मशहूर हुई। आज भी नवाबी घरानों में ये नाम कहे-सुने जाते हैं।

मनुष्य खाली हाथ संसार से विदा हो जाता है। शव को दाहसंस्कार के समय जब ले जाया जाता है, तब (चाहे राजा हो या रंक) उसे नई पगड़ी, धोती और कुर्ता इत्यादि पहनाए जाते हैं, परन्तु उसके पाँव नंगे ही रहते हैं। भगवान के घर विदा करते समय अमीर-गरीब किसी को भी जूतियाँ नहीं पहनाई जाती है। मृत्यु के पश्चात् ब्राह्मणों को जब धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार सुख सेज दान में दी जाती है, तो अन्य आवश्यक वस्तुओं के साथ जूतियों का दान भी दिया जाता है।

मारवाड़ में जूतियों से संबंधित अनेक प्रकार के मुहावरे भी प्रचलित हैं। जैसे - जूता पड़ना, जूता खाना, जूता बरसाना, जूतियाँ उठाणी, जूतियाँ काख में राखणी, जूतां री मन में आणे, जूतां रा भूत बातां सूं नीं मानै, जूत जरकावणा, म्हारी जाणै जूती, जूती जेड़ों तेल आदि-आदि।

इस प्रकार चमड़े की ये पादुकाएँ वर्षों का सफर तय करके आज भी अपने बदले हुए रुप में जिन्दा है। महाभारत काल में पाँच पतियों वाली द्रौपदी के कक्ष में किसी भाई की उपस्थिति का पता अन्य भाईयों की बाहर पड़ी हुई मोजड़ियों से ही चलता था। मोजड़ियों को देखकर अन्य भाई द्रौपदी के कक्ष में प्रवेश नहीं करते थे। यहाँ जूतियाँ एक मर्यादा रेखा का काम करती है।

जूतियों की दशा देखकर उनके जानकार लोग जुतियाँ पहनने वाले व्यक्ति के संबंध में भविष्यवाणी तक करते थे। उसकी चाल-ढाल, स्वभाव, वीरता तथा कायरता का अनुमान वे जूतियाँ देखकर ही कर लिया करते थे।

मानव ज्यों-ज्यों सभ्यता के सोपान पार करता गया, त्यों-त्यों भोग - विलास की सामग्री में भी बढ़ोत्तरी होती गई। उसका पहनावा ही उसकी सामाजिक स्थिति, रुतबे एवं पद की उच्चता का परिचायक बनता गया। प्रत्येक जाति एवं धर्म के व्यक्ति का सिर से पाँव तक अपना अलग ही पहनावा होता था, जो अब लगभग समाप्त हो चुका है। आज किसी का पहनावा, पगरखियाँ तथा उसकी वेष-भूषा देखकर उस व्यक्ति का सही परिचय नहीं हो सकता है। आज पगरखियों को पहनना किसी परम्परा से बंधित नहीं है, परन्तु यदा-कदा वे हमें पुराने रिवाजों की यादें जरुर ताजा कर देती हैं। आज भी अपने परिजन की शव को कंधे पर ले जाते वक्त बहुत से लोग जूतियाँ नहीं पहनते हैं तथा श्मशान तक नंगे पाँव जाते हैं। इस प्रकार कभी-कभी हमारी प्राचीन संस्कृति जूतियों के बहाने यदा-कदा जहाँ-तहाँ न आती है, जो आधुनिकता की होड़ में अब लुप्त प्राय हो रहीं हैं।युवा पीढी का आकर्षण अब जूतियों की और होने लगा हें परम्परागत पौशाकों के साथ युवक युवतिय शौक से जुतिया पहनती हें ,शहरी क्षेत्रो में भी प्रचलन बढ़ा हें ,ख़ास कशीदे की जूतियों की मांग भी बढ़ने लगी हें ,बाड़मेर तथा जालोर जिले के भीनमाल की जुतिया खास होती हें .

साभार .....http://www.ignca.nic.in/coilnet/rj097.htm

बलात्कार की शिकार लड़की की सरे राह हत्या

बलात्कार की शिकार लड़की की सरे राह हत्या
कानपुर। उत्तर प्रदेश के सिद्धाव गांव में रेप के आरोपी ने पीडिता की सरे राह हत्या कर दी। हत्यारा पीडिता और उसके परिजनों पर शिकायत वापस लेने के लिए दबाव बना रहा था।

सूत्रों के मुताबिक आरोपी नर्वदा निषाद शनिवार को 16 वर्षीय रेप पीडिता के घर पहुंचा। उसने पहले पीडिता की जमकर पिटाई की। इसके बाद गांव वालों के सामने उसकी हत्या कर दी। इसके बाद मौके से फरार हो गया। हैरानी वाली बात यह है कि किसी ने भी न तो पीडिता को बचाने की कोशि की और न ही आरोपी को पकड़ने की। सभी तमाशा देखते रहे।

आरोपी के फरार होने के बाद गांव वालों ने बहुआ पुलिस थाने को घटना की जानकारी दी। घटनास्थल पर पहुंची पुलिस शव को पोस्ट मार्टम के लिए ले गई। आरोपी ने पिछले साल दिसंबर में पीडिता से रेप किया था। पीडिता के पिता ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। गांव वालों का कहना है कि आरोपी पिछले कुछ समय से पीडिता और उसके घरवालों को धमका रहा था।

उसने धमकी दी थी कि अगर शिकायत वापस नहीं ली तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। पीडिता के परिजनों ने शिकायत वापस लेने से इनकार कर दिया। इससे गुस्साया निषाद शनिवार को पीडिता के घर पहुंचा। उस वक्त उसके माता-पिता किसी काम से बाहर गए हुए थे। पीडिता घर के दरवाजे के पास बैठी थी।

उसने दरवाजा बंद कर घर के अंदर जाने की कोशिश की लेकिन आरोपी ने उसे पकड़ लिया। वह उसे घर से बाहर खींचकर ले आया। पहले पीडिता की जमकर पिटाई की और बाद में हत्या कर दी। इसके बाद मौके से फरार हो गया। पीडिता के रिश्तेदारों का कहना है कि उन्होंने पुलिस को कई बार शिकायत की थी कि आरोपी धमकियां दे रहा है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

उप पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार ने बताया कि आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। उसे जल्द ही गिरफ्तार कर लेंगे। उन्होंने इस बात का कोई जवाब नहीं दिया कि धमकी की शिकायत करने के बावजूद आरोपी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

सोनिया ने की दिल्ली अन्नश्री योजना की शुरुआत

सोनिया ने की दिल्ली अन्नश्री योजना की शुरुआत
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संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दिल्ली सरकार के महत्वपूर्ण खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम 'दिल्ली अन्नश्री योजना' की शुरुआत की। इस योजना के तहत दो लाख गरीब परिवारों की बुजुर्ग महिलाओं को प्रतिमाह 600 रुपए की नकद सब्सिडी उनके बैंक खाते में भेजी जाएगी।स्थानीय त्यागराज स्टेडियम में आयोजित एक समारोह में सोनिया ने इस महत्वाकांक्षी योजना की औपचारिक शुरुआत की। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम से उन परिवारों की बुजुर्ग महिलाएं लाभान्वित होंगी जिन्हें न तो बीपीएल योजना और न ही अंत्योदय अन्न योजना के तहत सब्सिडी युक्त खाद्यान्न मिल पा रहा है।

उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी विशेषता होगी नकद सब्सिडी की राशि सीधे संबंधित महिलाओं के बैंक खाते में जाना। उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे महिलाओं का सशक्तीकरण तो होगा ही, उनके भीतर आत्मविश्वास भी पैदा होगा।

सोनिया ने कहा कि खाद्य सुरक्षा विधेयक संसद में जल्द ही लाया जाएगा। दिल्ली सरकार ने अपनी इस महत्वाकांक्षी योजना के क्रियान्वयन के लिए पांच शीर्ष बैंकों के साथ समझौता किया है। यह योजना गत एक अप्रैल से ही प्रभावी मानी जाएगी।

PHOTOS: मिस यूनीवर्स में 87 सुंदरियों को टक्‍कर दे रही है बिहार के गांव की छोरी


PHOTOS: मिस यूनीवर्स में 87 सुंदरियों को टक्‍कर दे रही है बिहार के गांव की छोरीPHOTOS: मिस यूनीवर्स में 87 सुंदरियों को टक्‍कर दे रही है बिहार के गांव की छोरीPHOTOS: मिस यूनीवर्स में 87 सुंदरियों को टक्‍कर दे रही है बिहार के गांव की छोरीPHOTOS: मिस यूनीवर्स में 87 सुंदरियों को टक्‍कर दे रही है बिहार के गांव की छोरीPHOTOS: मिस यूनीवर्स में 87 सुंदरियों को टक्‍कर दे रही है बिहार के गांव की छोरी


लास वेगास. 19 दिसंबर को यहां होने वाली मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में इस बार भारत का प्रतिनिधित्व कर रहीं हैं शिल्पा सिंह। ये बिहार के समस्तीपुर जिले की सिंघिया तहसील के दीहा गांव की हैं। मुंबई के एसवीकेएम यूनिवर्सिटी से इन्होंने कम्‍प्‍यूटर साइंस में बीटेक किया है।

फिलहाल इन्फोसिस कंपनी में कार्यरत हैं। इससे पहले शिल्पा 'आई एम शी-मिस यूनिवर्स इंडिया-2012' कॉन्टेस्ट में फर्स्‍ट रनर अप रहीं थीं। इस कांटेस्ट के विनर उर्वशी रौतेला मिस यूनिवर्स में निर्धारित आयु से ज्यादा की होने के कारण भाग नहीं ले पाईं। उनकी जगह शिल्पा का चयन किया गया।

भारतीय समययानुसार, 20 दिसंबर की सुबह 6.30 बजे विजेता के नाम की घोषणा होगी। इसमें 89 देश की सुदरियां हिस्सा ले रही हैं।शिल्‍पा सिंह का झारखंड से खास लगाव है। उन्‍होंने जमशेदपुर के सेक्रेड हर्ट कॉन्वेंट स्कूल से पढ़ाई की है। शिल्पा ने कक्षा एक से छह तक की पढ़ाई रांची में की है। उनके पिता सुरेश कुमार सिंह इंडियन ऑयल में नौकरी करते हैं। सिंह 1997 से 2001 तक रांची में कार्यरत रहे। इसके बाद वह जमशेदपुर आ गये। फिलहाल सुरेश सिंह मुंबई में हैं। मां का नाम रीता सिंह है. शिल्पा तीन भाई-बहन हैं। शिल्पा ने बी टेक की पढ़ाई मुंबई के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से की है। मिस यूनिवर्स 2012 में 88 देशों की सुंदरियां शामिल हो रही हैं। मिस यूनिवर्स 2012 प्रति‌योगिता में शिल्पा फैशन डिजायनर अंजली और अर्जुन कपूर के बनाए परिधानों में नजर आएंगी। प्रतियोगिता में मिस चाइना 2012 जी डान शू, चिली की सुंदरी कोनिग, मिस कोलम्बिया वेसक्वीज़ खिताब के लिए अपनी दावेदारी पेश करेंगी। इनके अलावा कनाडा की सुंदरी यामोह भी फाइनल मुकाबले में हैं। वहीं, सिंगापुर की सुंदरी लिन तेन और मिस पेराग्वे इग्नि इकेट की नजर भी खिताब पर है।
 

बाड़मेर जोधपुर में विजय दिवस मनाया गया


16 दिसम्बर का दिन भारतीय इतिहास का गौरवशाली दिन

बाड़मेर जोधपुर में विजय दिवस मनाया गया


बाड़मेर गौरव सैनिक सेवा परिषद बाड़मेर अध्यक्ष केप्टन हीरसिंह भाटी एवं केप्टन खेमाराम चौधरी ने विज्ञप्ति जारी कर बताया कि गौरव सैनिक सेवा परिषद बाड़मेर एवं नगरपरिशद बाड़मेर के सयुक्त तत्वावधान में हर वर्ष की भांति विजय दिवस के अवसर पर 16 दिसम्बर 2012 को प्रातः 11 बजे स्थानीय शहीद चौराहे पर विजय दिवस समारोह आयोजित किया गया । 16 दिसम्बर का दिन भारतीय इतिहास का गौरवशाली दिन है इस दिन पाकिस्तानी सेना के लेफिनेन्ट जनरल नियाजी ने अपने लगभग एक लाख सैनिको के साथ भारतीय सेना के कमाण्ड़र जनरल अरोड़ा के समक्ष आत्मसमर्पण किया था। इस युद्व के दौरान लेफिनेन्ट जनरल सगतसिंह व जनरल मानेक्शा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस युद्व के दौरान भारतीय सेना के चार हजार रणबांकुरो ने अपनी शहादत दी थी। भारतीय सेना की गौरवपूर्ण विजय व रणबांकुरो की शहादत को श्रृंद्वाजली देकर अक्षुण बनाये रखने के लिये यह दिवस विजय दिवस के रुप में मनाया गया । जिला मुख्यालय पर आयोजित इस समारोह में आर्मी, एयरफोर्स, बीएसएफ व राजस्थान पुलिस के अधिकारी/कर्मचारी उपस्थित रहेंगे एवं जवानो द्वारा गार्ड ऑफ आनर दिया गया । शहीद परिवारो को इस मौके पर सम्मानित किया गया ।


विजय दिवस : श्रृद्घांजलि समारोह

जोधपुर 16 दिसंबर 1971 भारतीय सेना के इतिहास का सुनहरा क्षण है। 1971 के भारतपाक युद्ध में हमारे वीर जवानों ने साहस, वीरता और बलिदान से पाकिस्तानी फौज को करारी शिकस्त दी। इस जीत ने भारत के इतिहास का रूख बदल दिया और भारतीय सेना की गौरवशाली परंपरा को कायम रखा।

विजय दिवस के अवसर पर जोधपुर कैन्ट में कोणाक्रर युद्ध स्मारक के पावन प्रांगण में श्रृद्घांजलि समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह में लेफि्टनेन्ट जनरल एम एम एस राय, जी ओ सी, डेजर्ट कोर ने सेना के वरिष्ठ अफसर और जवानों की उपस्थिति में शहीदों को श्रृद्घांजलि अर्पित की।

भारतीय सेना का गौरवमय इतिहास आज के सैनिक के लिए प्रेरणा का स्रोत है। आज भी सैनिक कठिन कार्य और मुश्किल हालात का सामना, दृ़ निश्चय और आत्मविश्वास से करते हैं। डेजर्ट कोर भारतीय सैनिक को सलाम करता है। ॔मुझे तोड़ लेना वनमाली उस पथ में देना फेंक, मातृभूमि पर शीश च़ाने, जिस पथ पर जाऐं वीर अनेक’

tasveere ...tanot longowala ki ...16 दिसम्बर को सन्नाटे को चीरता विजयी उद्घोष...। वर्ष 1971

जांबाजों के हौसले ने लिखा इतिहास

 लोंगेवाला की ऎतिहासिक लड़ाई 

जैसलमेर। नापाक इरादो के साथ सरहद के भीतर घुस आए दुश्मन को खदेड़ने की हुंकार, लक्ष्य को नेस्तनाबूत करने का जज्बा लिए लड़ाकू विमानो से आकाशवीरो के अचूक निशाने, अर्द्धरात्रि के समय धुएं के काले बादलो से घिरा आकाश और मुंह खुली तोपो से निकली कर्णभेदी आवाज, चारो ओर मां भारती के जयकारे और अंतत: 16 दिसम्बर को सन्नाटे को चीरता विजयी उद्घोष...। वर्ष 1971 का यह दिन गवाह बना उस दुश्मन के इरादो को नेस्तनाबूद करने का, जिसने हिमाकत की।

रात के सन्नाटे को चीरती हवा के बीच धोरों में आती टैंक चलने की घर्र-घर्र आवाज। यह सब कुछ भारतीय सेना के सतर्क व होशियार जवानों को इस बात का आभास कराने के लिए काफी था कि दुश्मन ने आंख उठाने की हिमाकत की है। पश्चिमी सीमा के जैसलमेर सेक्टर में करीब चार दशक पहले लड़ी गई लोंगेवाला की ऎतिहासिक लड़ाई का नाम आते ही आज भी पाकिस्तानी सेना की रूह कांप उठती होगी। इस लड़ाई में पाकिस्तान को न सिर्फ मुंह की खानी पड़ी, बल्कि लोंगेवाला सामरिक इतिहास में दुश्मन के टैंकों की कब्रगाह के रूप में अमर हो गया।

...और लिखा सुनहरा इतिहास
वर्ष 1971 के युद्ध में भारत की पाकिस्तान पर विजय देशवासियों के लिए गौरवपूर्ण गाथा तो है ही, जैसलमेर के लिए खास मायना भी रखती है। यही वो जिला है, जहां पाकिस्तानी सैनिकों ने घुसने का दुस्साहस किया था लेकिन भारतीय सेना के जांबाजों ने लोंगेवाला में उन्हें करारी शिकस्त देकर उनके टैंकों की कब्रगाह बना दी और लिख दिया। इस युद्ध में मिली विजय आज भी थार के युवाओं को सरहद की रक्षा के लिए प्रेरणा प्रदान करती है।

दिखाई दुनिया को ताकत
सरहदी जैसलमेर जिले का सीमा पर बसा गांव लोंगेवाला आज भी सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। काबुल और सिंध से अजमेर और आगरा के रास्तों से जुड़े इस गांव में पंजाब रेजिमेन्ट की 23वीं बटालियन और वायुसेना के विमानों ने अपनी ताकत के झंडे गाड़े थे।

बारूदी सुरंगें न हथियारो का जखीरा
मशहूर फिल्म निर्माता निर्देशक जेपी दत्ता की फिल्म "बॉर्डर" की बदौलत एक छोटा से गांव को देश व दुनिया के घर-घर में पहचान मिली। लोंगेवाला की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले लेफ्टिनेंट धर्मवीर के शब्दों में यह लड़ाई बरसों तक वीरता की अनूठी कहानी, कत्तüव्य के प्रति समर्पण भाव, राष्ट्रभक्ति और जवानों के उत्साह के साथ गर्व से याद की जाएगी। इस लड़ाई में न तो दुश्मन को रोकने के लिए बारूदी सुरंगें बिछाई गई थी और न ही बड़े हथियारों का जखीरा। साथ था तो सिर्फ जवानों का हौसला और राष्ट्रसेवा की भावना, जिसने 4 व 5 दिसम्बर 1971 को वीरता का नया इतिहास लिख डाला। लोंगेवाला पोस्ट की सुरक्षा का जिम्मा उठाने वाली टुकड़ी पर सीमा स्तम्भ संख्या 632 व 239 के बीच के क्षेत्र में दायित्व सौंपा गया था।

यूं चला घटनाक्रम
भारत-पाक युद्ध के तहत तीन दिसम्बर 1971 को शुरू हुई लड़ाई में पाकिस्तान ने जोधपुर सहित पश्चिमी सीमा के कई वायु रक्षा ठिकानों को निशाना बनाया था, लेकिन दुश्मन की थल सेना की हलचल दिखाई नहीं दी। अगले दिन सुबह नौ बजे कमांडिंग आफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल एम. के. हुसैन ने स्थिति की समीक्षा की और वहां से लौटकर मेजर चांदपुरी ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कड़ी चौकसी की हिदायत दी। आधी रात को दो बजे गोलाबारी शुरू हुई। पाकिस्तान ने पूरी आम्र्ड रेजिमेंट व दो इंफेन्ट्री स्क्वाड्रन के साथ धावा बोलने का दुस्साहस किया था, लेकिन भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों के अचूक निशानों से लोंगेवाला को पाकिस्तानी टैंकों की कब्रगाह बना डाला। पाकिस्तान के करीब चालीस टैंक वहां दफन हो गए।

शादी से इन्कार पर बारात लेकर पहुंची दुल्हन


शादी से इन्कार पर बारात लेकर पहुंची दुल्हन


शादी तय होने के बाद लड़के के मुकर जाने पर एक लड़की ने साहस भरा कदम उठाया। परिजनों के साथ बाकायदा बारात लेकर वह शनिवार को लड़के के घर जा पहुंची। पुलिस तक मामला गया। अंतत: लड़के को शादी करनी पड़ी।Bridal barat arrived at the groom's house
झारखंड के गिरिडीह जिला स्थित डुमरी तीन नंबर निवासी बसंत तूरी के पुत्र अनिल तूरी की शादी जमुई निवासी शंकर तूरी की बेटी गुडि़या से तय हुई थी। अनिल राज मिस्त्री का काम करता है। मुहूर्त 15 दिसंबर का था। अचानक लड़के ने लड़की की आंख में मोतियाबिंद होने की बात कह शादी से इन्कार कर दिया। ऐसा सुनकर शादी की तैयारी कर चुके पिता शंकर तूरी के होश गुम हो गए, मगर लड़की ने हिम्मत नहीं हारी। उसने पिता को दिलासा दिलाया और कई रिश्तेदारों को लेकर लड़के के घर पहुंच गई। वहां अफरा-तफरी की स्थिति पैदा हो गई।

सूचना पर पुलिस व आसपास के कुछ सम्मानित लोग भी मौके पर पहुंच गए। इन सभी को देख लड़के वालों की हेकड़ी गुम हो गई। इस आश्वासन के बाद कि लड़की का ऑपरेशन करवाया जाएगा, लड़का पक्ष ने रजामंदी दे दी। इसके बाद पास के ही शिव मंदिर में शादी करा दी गई।

हरियाणा में सड़क हादसे में 7 श्रद्धालुओं की मौत

pilgrims killed in road accident in haryana

हरियाणा के जींद जिले में रविवार सुबह एक सड़क हादसे में 7 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 9 अन्य घायल हो गए। हादसे का कारण धुंध बताया जा रहा है।

जानकारी के अनुसार हादसा जींद के ढाकल गांव के समीप हुआ। हादसे के वक्त क्षेत्र में धुंध छाई हुई थी, जिस वजह से टाटा-एस और कैंटर आपस में टकरा गए। जिससे 7 श्रद्धालुओं की मौके पर ही मौत हो गई और 9 अन्य घायल हो गए।

हादसे में मारे गए लोग चंडीगढ़ से आ रहे थे। वे सिरसा में आयोजित एक सत्संग में शामिल होने जा रहे थे। घायलों को नजदीक के अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

सुभाष चंद्र बोस की प्रेम कहानी और परिवार के बारे में

जानिए, सुभाष चंद्र बोस की प्रेम कहानी और परिवार के बारे में


नेताजी सुभाषचंद्र बोस की बेटी भी अब राजनीति में आ गई हैं। भारत में नहीं, जर्मनी में। अनिता प्‍़फॉफ आउग्सबुर्ग जिले के 15 हजार आबादी वाले स्टटबेर्गन शहर की डिप्‍टी मेयर हाल ही में चुनी गई हैं। 70 वर्षीय अर्थशास्त्री अनिता यूं तो 15-16 बार भारत आ चुकी हैं लेकिन उन्हें यहां की राजनीति में दिलचस्पी नहींहै। हालांकि पितृभूमि के प्रति उनके लगाव की झलक तीनों बच्चों के नाम में दिखाई देती है-पेटर अरुण, थोमास कृष्णा और माया करीना।

अनिता की मां एमिली शेंकल ऑस्ट्रिया की थीं। नेताजी से उनकी मुलाकात 1934 में हुई। अंग्रेजों की हिरासत से छूट कर वे विएना में स्वास्थ्य लाभ कर रहे थे। साथ ही वेअ पनी जीवनी भी लिखना चाहते थे। एक मित्र से अंग्रेजी की एक स्टेनोग्राफर से मिलाने को कहा। वह स्टेनोग्राफरए मिली थीं। उनमें प्रेम हुआ और उसी साल दिसंबर में दोनों ने शादी कर ली।
जानिए, सुभाष चंद्र बोस की प्रेम कहानी और परिवार के बारे में
अनिता का जन्म 1942 में हुआ। वेब ताती हैं, मैं सिर्फ एक महीने की थी, जब नेताजी ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए विएना छोड़ा। उसके बाद वे पिता से कभी न मिल सकीं। विमान हादसे में नेताजी की मृत्यु के समय वे सिर्फ ढाई साल की थीं।
जानिए, सुभाष चंद्र बोस की प्रेम कहानी और परिवार के बारे में

1960 में 18 साल की उम्र में पहली बार अनिता ने भारत में कदम रखे। नेताजी के प्रशंसकों ने उनकी बिटिया का दिल खोलकर इस्तकबाल किया। अपने पिता के प्रति इतनी आस्था देखकर अनिता अभिभूत हो गईं। लेकिन उनकी रुचि भारत की राजनीति में नहीं थी।पिता की जन्मभूमि से अनिता की नई जिंदगी शुरू हुई। बेंगलुरू में उनकी मुलाकात मार्टिन प्‍़फॉफ से हुई। ऑस्ट्रियाई मूल के मार्टिन दृष्टिहीनों के लिए एक संगठन में काम कर रहे थे। कुछ समय बाद वे अपने देश गए, जहां अनिता और उनकी शादी हुई। मार्टिन और अनिता ने एक साथ इकोनॉमिक्स में पीएचडी की। अमेरिका में पढ़ाया। जर्मनी की आउग्सबुर्ग यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हुए। मार्टिन जर्मनी की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़े। सांसद बने। एक समय तक तो अनिता राजनीति से दूर रहीं मगर अब अपने शहर की डिप्‍टी मेयर बन गई हैं। वे कहती हैं- मैं राजनीति में नहीं हूं। सिर्फ अपने शहर के लिए काम कर रही हूं।


नेताजी के परिवार से अनिता की मां एमिली का मिलना एक दिलचस्प घटना है। अब सुभाष बाबू के बड़े भाई शरतचंद्र बोस इस कहानी में आते हैं। वे नेताजी के लिए पिता तुल्य थे। 1948 में एक खत मिला। यह एमिली का था। इसमें उन्होंने खुद को नेताजी की पत्नी होने का दावा किया था। तब तक शरतचंद्र को नेताजी की पत्नी या बच्ची के बारे में कुछ भी पता नहीं था। मामला गंभीर था। वे सच्चाई परखने के लिए अपनी बेटी रोमा रेके साथ विएना जा पहुंचे। एमिली ने सुभाष बाबू का बंगाली में लिखा एक पत्र उन्हें सौंपा। इसमें उनकी शादी व बेटी का जिक्र था। एमिली को नेताजी के निर्देश थे कि अगर उन्हें कुछ होता है तो यह पत्र शरत बाबू के हाथों में ही सौंपें। अनिता के पास सोने की आठ चूडिय़ां भी हैं जो नेताजी की मां प्रभावतीदेवी ने अपनी सबसे छोटी बहू के लिए बनवाई थीं। उन्होंने मृत्यु के पहले शरतचंद्र की पत्नी विभावती को चूडिय़ां देते हुए कहा था कि सुभाष की शादी में बहू को सौंपना। विएना की उस मुलाकात में शरतचंद्र वह चूडिय़ां एमिली के सुपुर्द करना नहीं भूले। अनिता ने दादी की वह भेंट अब तक सहेजकर रखी है।


साभार।।।दैनिक भास्कर से 

जोधपुर सेक्स रैकेट: रेड लाइट एरिया में 2 पुरुषों के साथ पकड़ी गईं 29 महिलाएं


सेक्स रैकेट:  रेड लाइट एरिया में 2 पुरुषों के साथ पकड़ी गईं 29 महिलाएंसेक्स रैकेट:  रेड लाइट एरिया में 2 पुरुषों के साथ पकड़ी गईं 29 महिलाएंसेक्स रैकेट:  रेड लाइट एरिया में 2 पुरुषों के साथ पकड़ी गईं 29 महिलाएंसेक्स रैकेट:  रेड लाइट एरिया में 2 पुरुषों के साथ पकड़ी गईं 29 महिलाएं

जोधपुरशहर के घासमंडी क्षेत्र में अनैतिक कारोबार फिर से जोरों पर चलने की सूचना पर पुलिस टीमों ने शनिवार को आकस्मिक कार्रवाई करते हुए 29 महिला व पुरुषों को पीटा एक्ट के तहत गिरफ्तार किया।

उल्लेखनीय है कि वर्षो पहले जोधपुर में एसपी रहे सुधीर प्रताप सिंह और पी रामजी के समय इस कारोबार का घासमंडी क्षेत्र से पूरी तरह सफाया कर दिया गया था, लेकिन पिछले कुछ अर्से से पुलिस की लापरवाही के चलते धीरे-धीरे इस क्षेत्र में यह दुबारा चालू हो गया।डीसीपी (पूर्व) राहुल प्रकाश ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से घासमंडी क्षेत्र में अनैतिक कारोबार की शिकायतें मिल रही थीं। इस मुद्दे पर गत दिनों हुई क्राइम मीटिंग में भी अधिकारियों को सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे। शनिवार को एडीसीपी (कानून-व्यवस्था-पूर्व) केडी रतनू के निर्देशन में एसीपी प्रीति जैन, कुंवर राष्ट्रदीप व पहाड़सिंह राजपुरोहित की टीमों ने व्यूह रचना बनाकर घासमंडी क्षेत्र में बोगस ग्राहक बनाकर भेजे।इनसे पुष्टि करने के बाद पुलिस टीमों ने घासमंडी क्षेत्र के कई मकानों पर दबिश देकर 29 महिलाओं एवं दो पुरुषों को अनैतिक कारोबार में लिप्त होने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। पुलिस इनके खिलाफ पीटा एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज कर इन्हें मकान एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने वाले लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई कर रही है।

शनिवार, 15 दिसंबर 2012

बाड़मेर में कोहरे ने सर्दी का असर बढ़ाया ..शीतलहर चली

बाड़मेर में कोहरे ने सर्दी का असर बढ़ाया ..शीतलहर चली

बाड़मेर देश के कई हिस्सों में हुए हिमपात का असर थार के रेगिस्तानी इलाको में पडा हें ,सरहदी जिले बाड़मेर में हिमपात की वजह से जबरदस्त कोहरा छ गया .कोहरे और ठंडी हवाओ ने सर्दी का असर एकाएक बढ़ गया .आज दिन भर बाड़मेर में सर्दी का जोरदार असर रहा .जिला मुख्यालय समेत पूरे बाड़मेर में शुक्रवार से जारी शीतलहर का कहर जारी है. शीतलहर का कहर अभी और बढ़ेने का आसार है.अचानक आई सर्दी की वजह से लोगो ने गर्म कपडे निकलने शुरू कर दिए .लोग सर्दी से बचाव के लिए तामझाम करने लगे हें ,

मौसम विभाग ने अपने पूर्वानुमान में कहा है कि आनेवाले एक सप्ताह में शीतलहर का कहर अभी और बढ़ेगा तथा कोहरे से भी राहत की उम्मीद नहीं है.

हालांकि तापमान में कोई खास गिरावट दर्ज नहीं की गई है, लेकिन कोहरे की वजह से कंपन बढ़ गई है. शाम ढलते कोहरे का प्रभाव बढ़ने लगता है तथा दोपहर तक छाया रहता है. इस वजह सेवाहनों न के परिचालन पर भी प्रभाव पड़ रहा है.

उधर राज्य के कई जिलों में तो न्यूनतम तापमान सामान्य से भी छह-सात डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया. मौसम विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस साल भी यहां का न्यूनतम तापमान अपने निचले स्तर तक पहुंचने की आशंका है.

शुक्रवार को राजधानी का न्यूनतम तापमान 12.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. मौसम विभाग ने अपने पूर्वानुमान में कहा है कि आनेवाले दिनों में कोहरा एवं शीतलहर का प्रभाव बढ़ेगा, जिससे राजधानी समेत पूरे राज्यवासियों को भारी शीतलहर का सामना कर पड़ सकता है.

इसके साथ ही तापमान में भी गिरावट दर्ज की जाएगी. शुक्रवार को यहां का अधिकतम तापमान 21.4 डिग्री सेल्सियस तथा न्यूनतम तापमान 12.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.
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बीकानेर से प्रयाग तक स्पेशल रेल चलने की मांग

महाकुम्भ की व्यवस्थाओं का मुद्दा संसद में बीकानेर सांसद  अर्जुन मेघवाल ने उठाया

बीकानेर से प्रयाग तक स्पेशल रेल चलने की मांग 

नई दिल्ली। 15 दिसम्बर 2012। शुक्रवार को लोक सभा में बीकानेर सांसद अर्जुन राम मेघवाल ने शून्यकाल के दौरान मुद्दा उठाते हुये कहा कि इलाहाबाद (प्रयाग) में 14 जनवरी 2013 से महाकुम्भ होने वाला है, जो लगभग 50 दिन तक चलेगा। महाकुम्भ मे देष के हर क्षेत्र से लोगों का आना जाना रहता है। मेरे संसदीय क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों से भी इस दौरान लाखों की संख्या मे लोग धार्मिक आस्था के कारण महाकुम्भ मे जायेगें। वर्तमान मे बीकानेर से इलाहाबाद के लिए कोई स्पेषल ट्रेन नहीं चलाई जाती है ऐसी स्थिति में इलाहाबाद जाने वाली समस्त ट्रेनों में तथा आरक्षित कोच मे भी खड़े - खडे़ यात्रा करनी पड़ती है। बीकानेर संभाग मुख्यालय है तथा श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चुरू और नागौर जिले की सीमाऐं भी बीकानेर से लगती है। ऐसी स्थिति मे महाकुम्भ के दौरान एक स्पेषल ट्रेन बीकानेर से इलाहाबाद तक चलाई जानी चाहिए जिससे यात्रियों के लिए महाकुम्भ की यात्रा संभव हो सकें। इस संबंध मे यह भी किया जा सकता है कि स्पेषल ट्रेन के कुछ डिब्बे जोधुपर से चलाये जा सकते है और कुछ बीकानेर से चलाये जा सकते और मेड़ता रोड़ पर उनका मिलान होने से वाया जयपुर अगर इस स्पेषल ट्रेन का रूट कर दिया जाये तो लगभग -लगभग राजस्थान की अधिकांष जनता को इसका लाभ मिल सकता है। कुम्भ स्नान से पहले व बाद मे लाखों लोग अयोध्या व वाराणासी भी जाते है। अतः वाराणासी से जोधुपर जाने वाली मरूधर एक्सप्रेस मे इन पूरे 50 दिनों मे अतिरिक्त कोच लगाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। मैं आपके माध्यम से भारत सरकार के रेल मंत्रालय से मांग करता हूॅ कि समय रहते इन व्यवस्थाओं को अंजाम दे जिससे महाकुम्भ के यात्रियों को किसी तरह की तकलीफ न हो सकें।