रविवार, 16 दिसंबर 2012

सुभाष चंद्र बोस की प्रेम कहानी और परिवार के बारे में

जानिए, सुभाष चंद्र बोस की प्रेम कहानी और परिवार के बारे में


नेताजी सुभाषचंद्र बोस की बेटी भी अब राजनीति में आ गई हैं। भारत में नहीं, जर्मनी में। अनिता प्‍़फॉफ आउग्सबुर्ग जिले के 15 हजार आबादी वाले स्टटबेर्गन शहर की डिप्‍टी मेयर हाल ही में चुनी गई हैं। 70 वर्षीय अर्थशास्त्री अनिता यूं तो 15-16 बार भारत आ चुकी हैं लेकिन उन्हें यहां की राजनीति में दिलचस्पी नहींहै। हालांकि पितृभूमि के प्रति उनके लगाव की झलक तीनों बच्चों के नाम में दिखाई देती है-पेटर अरुण, थोमास कृष्णा और माया करीना।

अनिता की मां एमिली शेंकल ऑस्ट्रिया की थीं। नेताजी से उनकी मुलाकात 1934 में हुई। अंग्रेजों की हिरासत से छूट कर वे विएना में स्वास्थ्य लाभ कर रहे थे। साथ ही वेअ पनी जीवनी भी लिखना चाहते थे। एक मित्र से अंग्रेजी की एक स्टेनोग्राफर से मिलाने को कहा। वह स्टेनोग्राफरए मिली थीं। उनमें प्रेम हुआ और उसी साल दिसंबर में दोनों ने शादी कर ली।
जानिए, सुभाष चंद्र बोस की प्रेम कहानी और परिवार के बारे में
अनिता का जन्म 1942 में हुआ। वेब ताती हैं, मैं सिर्फ एक महीने की थी, जब नेताजी ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए विएना छोड़ा। उसके बाद वे पिता से कभी न मिल सकीं। विमान हादसे में नेताजी की मृत्यु के समय वे सिर्फ ढाई साल की थीं।
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1960 में 18 साल की उम्र में पहली बार अनिता ने भारत में कदम रखे। नेताजी के प्रशंसकों ने उनकी बिटिया का दिल खोलकर इस्तकबाल किया। अपने पिता के प्रति इतनी आस्था देखकर अनिता अभिभूत हो गईं। लेकिन उनकी रुचि भारत की राजनीति में नहीं थी।पिता की जन्मभूमि से अनिता की नई जिंदगी शुरू हुई। बेंगलुरू में उनकी मुलाकात मार्टिन प्‍़फॉफ से हुई। ऑस्ट्रियाई मूल के मार्टिन दृष्टिहीनों के लिए एक संगठन में काम कर रहे थे। कुछ समय बाद वे अपने देश गए, जहां अनिता और उनकी शादी हुई। मार्टिन और अनिता ने एक साथ इकोनॉमिक्स में पीएचडी की। अमेरिका में पढ़ाया। जर्मनी की आउग्सबुर्ग यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हुए। मार्टिन जर्मनी की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़े। सांसद बने। एक समय तक तो अनिता राजनीति से दूर रहीं मगर अब अपने शहर की डिप्‍टी मेयर बन गई हैं। वे कहती हैं- मैं राजनीति में नहीं हूं। सिर्फ अपने शहर के लिए काम कर रही हूं।


नेताजी के परिवार से अनिता की मां एमिली का मिलना एक दिलचस्प घटना है। अब सुभाष बाबू के बड़े भाई शरतचंद्र बोस इस कहानी में आते हैं। वे नेताजी के लिए पिता तुल्य थे। 1948 में एक खत मिला। यह एमिली का था। इसमें उन्होंने खुद को नेताजी की पत्नी होने का दावा किया था। तब तक शरतचंद्र को नेताजी की पत्नी या बच्ची के बारे में कुछ भी पता नहीं था। मामला गंभीर था। वे सच्चाई परखने के लिए अपनी बेटी रोमा रेके साथ विएना जा पहुंचे। एमिली ने सुभाष बाबू का बंगाली में लिखा एक पत्र उन्हें सौंपा। इसमें उनकी शादी व बेटी का जिक्र था। एमिली को नेताजी के निर्देश थे कि अगर उन्हें कुछ होता है तो यह पत्र शरत बाबू के हाथों में ही सौंपें। अनिता के पास सोने की आठ चूडिय़ां भी हैं जो नेताजी की मां प्रभावतीदेवी ने अपनी सबसे छोटी बहू के लिए बनवाई थीं। उन्होंने मृत्यु के पहले शरतचंद्र की पत्नी विभावती को चूडिय़ां देते हुए कहा था कि सुभाष की शादी में बहू को सौंपना। विएना की उस मुलाकात में शरतचंद्र वह चूडिय़ां एमिली के सुपुर्द करना नहीं भूले। अनिता ने दादी की वह भेंट अब तक सहेजकर रखी है।


साभार।।।दैनिक भास्कर से 

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