नई दिल्ली. आर्थिक सुधारों के नाम पर कड़े फैसले लेने की सरकार की कवायद आम आदमी पर भारी पड़ रही है। सरकार एक ओर रेल किराया में बढ़ोतरी की तैयारी कर रही है वहीं डीजल और गैस पर सब्सिडी घटाने के संकेत हैं। उधर, दिल्ली की सीएम शीला दीक्षित के बयान पर सियासी घमासान शुरू हो गया है।
रेल राज्यमंत्री कोटला सूर्यप्रकाश रेड्डी ने कहा कि रेलवे की वित्तीय हालत को देखते हुए रेल भाड़ा बढ़ाना जरूरी है। उन्होंने विशाखापट्टनम में विशाखापट्टनम-चेन्नई और विशाखापट्टनम-शिरडी साप्ताहिक एक्सप्रेस रेलगाडिय़ों की शुरुआत करने वाले समारोह के दौरान कहा कि रेलवे की वित्तीय स्थिति खराब होने के कारण रेल भाड़ा बढ़ाना बहुत जरूरी हो गया है। रेड्डी ने राजमुंदरी में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अगले रेल बजट में रेल भाड़ा बढ़ाने का प्रस्ताव है। उन्होंने बताया कि रेल किराया 5 से 10 पैसे प्रतिकिलोमीटर बढ़ सकता है। यदि ऐसा हुआ तो एक हजार किलोमीटर का सफर करीब 100 रुपये महंगा हो सकता है।
गौरतलब है कि रेल किराये को लेकर तृणमूल कांग्रेस के यूपीए से रिश्तों में कड़वाहट आती रही। यूपीए की सहयोगी रही तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने रेल किराया में बढ़ोतरी का विरोध किया। उनका तर्क है कि इससे आम आदमी पर महंगाई का बोझ बढ़ेगा। ममता ने पिछले रेल बजट में रेल किराये में बढ़ोतरी का प्रस्ताव करने वाले अपनी ही पार्टी के सांसद दिनेश त्रिवेदी को मंत्रीपद से हटने को मजबूर किया। ममता ने आरोप लगाया था कि त्रिवेदी ने किराया बढ़ाने का फैसला लेने से पहले पार्टी को भरोसे में नहीं लिया था।
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