बाड़मेर , राजस्थान में आम जनता में पानी को बचाने और पानी की एक एक बूंद के सदुपयोग की मुहीम में लगे सीसीडीयू के परामर्शदातोओ की राज्य स्तरीय कमेटी का गठन राज्य की राजधानी जयपुर में किया गया जिसमे बाड़मेर सीसीडीयू जिला बाड़मेर इकाई में आई इ सी कंसल्टेंट पद पर कार्यरत अशोक सिंह को कमेटी का प्रवक्ता और मिडिया प्रभारी बनाया गया है . जानकारी के मुताबित बीते 6 दिनों तक चले सीसीडीयू के परामर्शदातोओ राज्यस्तरीय धरने के बाद राज्य स्तरीय कमिटी का पुनर्गठन किया गया जिसमे जोधपुर सम्भाग प्रभारी पद पर सोहन सिंह चोधरी को मनोनीत किया गया वही दूसरी तरफ बाड़मेर में सीसीडीयू के काम और आम जनता में जनजागरण के काम को बेहतरीन ढंग से अंजाम दे रहे जिला बाड़मेर इकाई में आई इ सी कंसल्टेंट पद पर कार्यरत अशोक सिंह को सीसीडीयू राज्यस्तरीय कमेटी के प्रवक्ता पद पर मनोनीत किया गया है . सिंह का काम सीसीडीयू की राज्य स्तरीय कमेटी के द्वारा आगामी दिनों में किये जा रहे कार्यो को मिडिया के माध्यम से आम जनता के सामने पहुचना है साथ ही वह सीसीडीयू द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करना भी रहेगा .अशोकसिंह के सीसीडीयू राज्यस्तरीय कमेटी के प्रवक्ता बनने पर परामर्शदातोओ विभिन्न ने ख़ुशी प्रकट की है . गोरतलब है कि राज्य भर में सीसीडियू आम जनता में पानी बचाने की मुहीम को लेकर न केवल काबिल -ए - गोर बल्कि काबिल -ए - तारीफ काम कर रहा है साथ इन कामो के चलते ही राष्ट्रिय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम में राजस्थान देश में पहले स्थान पर पर रहा है . और केंद्र सरकार द्वारा राजस्थान को सहयोगी कार्यक्रमों के लिए अतिरिक्त बजट भी दिया गया है .
शनिवार, 8 दिसंबर 2012
77 वर्ष के हुए धर्मेंद्र
77 वर्ष के हुए धर्मेंद्र
हिंदुस्तानी हीमैन यानी धर्मेंद्र आज 77 वर्ष के हो गए हैं. धर्मेंद्र ने अपने 50 साल के फिल्मी करियर में हर तरह के रोल किए हैं. धर्मेंद्र ने शोले, आंखें, फरिश्ते,चरस, धर्मवीर, प्यार किया तो डरना क्या, अपने और यमला पगला दीवाना जैसी फिल्मों में काम किया है.
धर्मेंद्र ने कहा, "जब मैं काम नहीं करता तो लगता है तो लगता है कि ज़िंदगी बेकार है. अभिनय मेरे लिए ख़ूबसूरत संघर्ष की तरह है. और मैं लगातार इसका लुत्फ लेना चाहता हूं."
पिछले कई दिनों से धर्मेंद्र अपने दोनों बेटों सनी और बॉबी देओल के साथ फिल्म 'यमला पगला दीवाना-2' की शूटिंग में व्यस्त थे. इसकी शूटिंग ब्रिटेन के विभिन्न इलाकों में की जा रही है.
ये फिल्म पिछले साल की शुरुआत में रिलीज़ हुई 'यमला पगला दीवाना' का सीक्वल है.
कितना बदल गया सिनेमा
गुज़रे ज़माने से लेकर अब तक भारतीय सिनेमा में क्या क्या बदलाव आ गए हैं. इसके जवाब में धर्मेंद्र कहते हैं, "पुराने ज़माने में लोगों के पास वक़्त होता था, वो इत्मीनान से फिल्में देखते थे. तो उस वक्त की फिल्में भी वैसी ही बनती थीं. आहिस्ता आहिस्ता से कहानी कही जाती थी. बिना किसी जल्दबाज़ी के. अब ज़माना काफी तेज़ हो गया है. लोगों के पास समय नहीं है. तो फिल्में भी काफी तेज़ गति की बननी लगी हैं. बनाओ, देखो, खत्म करो."
धर्मेंद्र ने कॉमेडी, रोमांटिक, एक्शन हर तरह के रोल किए हैं. उन्हें हरफनमौला कलाकार कहा जाता है.
ये सुनने पर वो कहते हैं, "बड़ी खुशी होती है जब कोई मुझे ऑलराउंडर कहता है. मुझे कॉमेडी करने में बड़ा मज़ा आता है. आज भी जब टीवी पर चुपके चुपके जैसी फिल्म आती है तो मैं देखने बैठ जाता हूं."
धर्मेंद्र कहते हैं कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से उन्हें बहुत प्यार है. और वो इसे अपनी 'महबूबा' मानते हैं. धर्मेंद्र अपनी इस 'महबूबा' को छोड़ने के मूड में फिलहाल नहीं हैं.
साभार बीबीसी
भारतीय मूल की नर्स की लंदन में मौत
एक फर्जी फोन कॉल के जवाब में डचेस ऑफ कैम्ब्रिज की तबीयत के बारे में एक ऑस्ट्रेलियाई रेडियो स्टेशन को जानकारी देने वाली नर्स लंदन में मृत पाई गई हैं. केट मिडलटन गर्भवती हैं और अस्पताल में भर्ती थीं.
बताया जा रहा है कि रेडियो प्रस्तुतकर्ताओं को फोन पर इसकी जानकारी देने वाली जैसिंथा सैल्दान्हा नाम की ये नर्स भारतीय मूल की थीं.ड्यूक और डचेस ऑफ कैम्ब्रिज ने एक बयान जारी कर कहा है कि नर्स जैसिंथा सैल्दान्हा की मौत से उन्हें 'बहुत दुख हुआ है.'
किंग एडवर्ड सप्तम अस्पताल ने जैसिंथा की मौत की पुष्टि की है और उन्हें श्रद्धांजलि दी है.
इस बीच फर्जी फोन कॉल करने वाले ऑस्ट्रेलियाई रेडियो स्टेशन के दोनों प्रस्तुतकर्ताओं को फिलहाल हटा दिया गया है.
दो दिन पहले ऑस्ट्रेलिया के दो रेडियो प्रस्तोताओं ने महारानी और प्रिंस चार्ल्स बन कर अस्पताल में फोन किया. अस्पताल के कर्मचारियों ने समझा कि फोन शाही परिवार से आया है और गर्भवती डचेस ऑफ कैम्ब्रिज की तबीयत के बारे में रेडियो स्टेशन को सारी जानकारी दे दी गई.
'तन्हा और भ्रमित'
केट मिडलटन को सोमवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और गुरुवार को उन्हें छुट्टी दे दी गई.बीबीसी के शाही परिवार संवाददाता पीटर हंट का कहना है कि उन्हें पता चला कि सैल्दान्हा ही वो नर्स थीं जिन्होंने फर्जी फोन कॉल का जवाब दिया था. वो शादीशुदा थी और उनके दो बच्चे हैं.
बीबीसी को पता चलता है कि सैल्दान्हा को अस्पताल से न तो निलंबित किया गया और न ही किसी तरह की अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ा.
बीबीसी के निकोलस विचेच का कहना है कि संभवत वो इस पूरे घटनाक्रम को लेकर 'बेहद अकेली और भ्रमित थीं'.
इस बीच, इस खबर को प्रसारित करने वाले ऑस्ट्रेलियाई रेडियो ने इस प्रसारण को एक हादसा बताया है.
रेडियो कंपनी के सीईओ रिस होलेरान ने कहा कि उन दोनों प्रसारकों को घटना के तुरंत बाद कंपनी से निकाल दिया गया.
'बहुत अच्छी नर्स'
शाही महल के प्रवक्ता का कहना है कि इस घटना के बारे में अस्पताल से कभी कोई शिकायत नहीं की गई. बयान के अनुसार, “उल्टे हम इस घटनाक्रम से जुड़ी नर्सों और कर्मचारियों के साथ पूरा समर्थन जताते हैं.”
वहीं किंग एडवार्ड सप्तम अस्पताल के मुख्य कार्यकारी जॉन लॉफ्टहाउस ने बताया कि जैसिंथा चार साल से भी ज्यादा समय से इस अस्पताल में काम कर रही थीं.
उन्होंने कहा, “वो एक बहुत बढ़िया नर्स थीं और अपने साथियों के बीच काफी लोकप्रिय थीं और उन्हें खूब सम्मान दिया जाता था.”
पुलिस इसे संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत मान कर जांच कर रही है.
जो क़ैदियों के बच्चों को देती है मां का प्यार
नेपाल की रहने वाली 28 साल की पुष्पा बसनेट जब भी किसी क़ैदी के बच्चे को देखती हैं तो उन्हें अपनी शरण में ले लेती हैं.
पुष्पा ये काम पिछले आठ साल से कर रही हैं- इन बच्चों को पनाह देना, शिक्षा दिलाना और सबसे बढ़कर माँ का प्यार देना.अब उन्हें साल 2012 का सीएनएन हीरो ऑफ द ईयर का पुरस्कार मिला है. सीएनएन ने दुनियाभर में इसके लिए ऑनलाइन मतदान करवाया था.
जब वे इस पुरस्कार के लिए नामांकित हुई थीं तो उन्होंने कहा था कि अगर वे जीतती हैं तो उस पैसे का इस्तेमाल बच्चों को बेहतर सुविधाएँ देने के लिए करेंगी.
पिछले तीन सालों में सीएनएन हीरो अवॉर्ड जीतने वाली पुष्पा दूसरी नेपाली महिला हैं. अनुराधा कोइराला को भी ये सम्मान मिल चुका है.
पुष्पा को बच्चे प्यार से मामू बुलाते हैं. उनका कहना है कि दो लाख 50 हज़ार डॉलर की इनामी राशी का इस्तेमाल वो उन 80 बच्चों को नेपाली जेलों से बाहर लाने में खर्च करेंगी जो बिना ग़लती के वहाँ रहने को मजबूर हैं.
अकसर क़ैदियों के बच्चों को जेल में बंद अपने गरीब माता-पिता के साथ रहना पड़ता है क्योंकि उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं होता.
पुष्पा बताती हैं कि जो 46 बच्चे उनके साथ रहते हैं उनमें से कइयों ने भयावह किस्म के अपराध देखे हैं.
बीबीसी से बातचीत में पिछले हफ्ते उन्होंने बताया, “पाँच साल की एक बच्ची है जिसका उसके ही पिता ने बलात्कार किया था क्योंकि उसकी माँ किसी के साथ भाग गई थी. कई बच्चे घरेलू हिंसा का शिकार होते हैं.”
पुष्पा के लिए ये सिलसिला तब शुरु हुआ जब यूनिवर्सिटी की तरफ से वे एक स्थानीय जेल में गईं.
पुष्पा बताती हैं, “मैं आठ महीने की एक बच्ची को जेल में देखा. उसे और उसके जैसे और बच्चों की व्यथा मेरे दिल को छू गई. मुझे लगा कि इनके लिए कुछ करना चाहिए और मैं इस काम में जुट गई.” पुष्पा कहती हैं कि वे शादी नहीं करना चाहती.
लॉस एजेंलेस में एक शानदार समारोह में पुष्पा ने अवॉर्ड हासिल करते हुए उन बच्चों को याद किया जिनकी वे देखभाल करती हैं.
उन्होंने कहा, “ये पुरस्कार मेरे लिए बहुत मायने रखता है. जेल में अब भी 80 बच्चे हैं. मैं यकीन से कह सकती हूँ कि मामू आपको जेल से बाहर लेकर आएगी.”
वरिष्ठ चिकित्सक की हत्या की अफवाह से अफरा तफरी मची बाड़मेर में
वरिष्ठ चिकित्सक की हत्या की अफवाह से अफरा तफरी मची बाड़मेर में
बाड़मेर शुक्रवार को थार नगरी बाड़मेर में सब कुछ सामान्य चल रहा था इसी बीच दोपहर से ठीक पहले एक अफवाह ने बाज़ार को स्तब्ध कर दिया ,पुरे में की फेल गई की वरिष्ठ चिकित्सक डॉ रवींद्र शर्मा की अस्पताल परिसर में मार कर हत्या कर ,दी इस खबर की असलियत का पता लगाये बिना और अस्पताल की और दौड़ पड़े थोड़ी देर में भरी भीड़ अस्पताल परिसर में जमा हो गई ,अस्पताल कर्मियों को माजरा ,समझ में ,नहीं आया खबर जान कर और ने का पता लगाने फोन करने शुरू किये . डॉ रवींद्र शर्मा ना अस्पताल में थे ना घर में , में इस अफवाह को पंख लगने शुरू हो गए ,इसी बीच डॉ रवींद्र शर्मा के फोन पर किसी ने फोन किया तो उन्होंने बताया की वो ठीक ठाक ,हें एक डेलीगेसन के ,साथ हें डॉ रवींद्र शर्मा भी अपनी हत्या की खबर से स्तब्ध थे ,बाड़मेर अस्पताल में डॉ रवींद्र शर्मा को भगवान् का दर्जा प्राप्त हें ,उनके म्रदुभाशी के कायल हें .इस अफवाह की सच्चाई सामने में दो घंटे का लग गया . और बदहवास रहे इस ,दौरान थोड़ी देर में डॉ रवींद्र शर्मा अस्पताल आये लोगो से मिले तब लोगो को पता चला की कोरी अफवाह पर विश्वास कर लिया ..डॉ रवींद्र स्वस्थ हे यह जानकार लोगो को राहत मिली , दिन भर डॉ रवींद्र की हत्या की अफवाह का बाज़ार गर्म रहा
डॉ रवींद्र शर्मा ने बताया की में एक देलिगेसन के साथ के अस्पताल नहीं आ ,पाया इसी बीच मुझे फोन के जरिये मेरी हत्या की अफवाह की खबर मिली में स्तब्ध रह गया ,पहले परिवार को फोन कर खुद के स्वस्थ होने अफवाह पर ध्यान नहीं देने का कहा फिर अस्पताल आकर लोगो से ,मिला मई स्वस्थ ,हूँ कोरी अफवाह थी हत्या की जो किसी शरारती तत्वों ने फेलाई ,--
बाड़मेर शुक्रवार को थार नगरी बाड़मेर में सब कुछ सामान्य चल रहा था इसी बीच दोपहर से ठीक पहले एक अफवाह ने बाज़ार को स्तब्ध कर दिया ,पुरे में की फेल गई की वरिष्ठ चिकित्सक डॉ रवींद्र शर्मा की अस्पताल परिसर में मार कर हत्या कर ,दी इस खबर की असलियत का पता लगाये बिना और अस्पताल की और दौड़ पड़े थोड़ी देर में भरी भीड़ अस्पताल परिसर में जमा हो गई ,अस्पताल कर्मियों को माजरा ,समझ में ,नहीं आया खबर जान कर और ने का पता लगाने फोन करने शुरू किये . डॉ रवींद्र शर्मा ना अस्पताल में थे ना घर में , में इस अफवाह को पंख लगने शुरू हो गए ,इसी बीच डॉ रवींद्र शर्मा के फोन पर किसी ने फोन किया तो उन्होंने बताया की वो ठीक ठाक ,हें एक डेलीगेसन के ,साथ हें डॉ रवींद्र शर्मा भी अपनी हत्या की खबर से स्तब्ध थे ,बाड़मेर अस्पताल में डॉ रवींद्र शर्मा को भगवान् का दर्जा प्राप्त हें ,उनके म्रदुभाशी के कायल हें .इस अफवाह की सच्चाई सामने में दो घंटे का लग गया . और बदहवास रहे इस ,दौरान थोड़ी देर में डॉ रवींद्र शर्मा अस्पताल आये लोगो से मिले तब लोगो को पता चला की कोरी अफवाह पर विश्वास कर लिया ..डॉ रवींद्र स्वस्थ हे यह जानकार लोगो को राहत मिली , दिन भर डॉ रवींद्र की हत्या की अफवाह का बाज़ार गर्म रहा
डॉ रवींद्र शर्मा ने बताया की में एक देलिगेसन के साथ के अस्पताल नहीं आ ,पाया इसी बीच मुझे फोन के जरिये मेरी हत्या की अफवाह की खबर मिली में स्तब्ध रह गया ,पहले परिवार को फोन कर खुद के स्वस्थ होने अफवाह पर ध्यान नहीं देने का कहा फिर अस्पताल आकर लोगो से ,मिला मई स्वस्थ ,हूँ कोरी अफवाह थी हत्या की जो किसी शरारती तत्वों ने फेलाई ,--
बहन की हत्या कर थाने पहुंचा भाई
बहन की हत्या कर थाने पहुंचा भाई
कोलकाता। कोलकाता में इज्जत के नाम पर अपनी ही बहन के मर्डर का मामला सामने आया है। हत्यारा भाई बहन की हत्या कर उसके सिर को इलाके में लेकर घूमता रहा और फिर थाने में जाकर सरेंडर कर दिया।
पोर्ट इलाके में रहने वाली मृतका नीलोफर की शादी 8 साल पहले रवींद्र नगर में रहने वाले अकबर अली के साथ हुई थी। उसके एक बेटा और बेटी है। नीलोफर ने यह शादी घर वालों के दबाव में आकर की थी जबकि अयूबनगर इलाके के मोहम्मद फिरोज से प्यार करती थी।
कुछ दिनों पर आई थी पिता के घर
पिछले महीने वह अपने पिता के घर आई हुई थी लेकिन अचानक घर से गायब होने पर परिवार वालों ने पुलिस में मामला दर्ज करवाया। जब मृतका के भाई मेहताब आलम को पता चला कि वह अपने के प्रेमी के साथ रह रही है। ऎसे में वह शुक्रवार सुबह अयूबनगर पहुंचा और अपनी बहिन की तलवार से गला काटकर हत्या कर दी। उसके बाद कटे सिर को लेकर इलाके में घूमता रहा और फिर थाने में सरेंडर कर दिया।
पुलिस के अनुसार मेहताब ने बताया फिरोज घर पर नहीं था वरना वह भी मेरे हाथों मारा जाता। वहीं पुलिस का कहना है कि नीलोफर को बचाने फिरोज की भाभी शबाना आई तो मेहताब ने उसका हाथ काट दिया। शबाना फिलहाल अस्पताल में भर्ती है।
कोलकाता। कोलकाता में इज्जत के नाम पर अपनी ही बहन के मर्डर का मामला सामने आया है। हत्यारा भाई बहन की हत्या कर उसके सिर को इलाके में लेकर घूमता रहा और फिर थाने में जाकर सरेंडर कर दिया।
पोर्ट इलाके में रहने वाली मृतका नीलोफर की शादी 8 साल पहले रवींद्र नगर में रहने वाले अकबर अली के साथ हुई थी। उसके एक बेटा और बेटी है। नीलोफर ने यह शादी घर वालों के दबाव में आकर की थी जबकि अयूबनगर इलाके के मोहम्मद फिरोज से प्यार करती थी।
कुछ दिनों पर आई थी पिता के घर
पिछले महीने वह अपने पिता के घर आई हुई थी लेकिन अचानक घर से गायब होने पर परिवार वालों ने पुलिस में मामला दर्ज करवाया। जब मृतका के भाई मेहताब आलम को पता चला कि वह अपने के प्रेमी के साथ रह रही है। ऎसे में वह शुक्रवार सुबह अयूबनगर पहुंचा और अपनी बहिन की तलवार से गला काटकर हत्या कर दी। उसके बाद कटे सिर को लेकर इलाके में घूमता रहा और फिर थाने में सरेंडर कर दिया।
पुलिस के अनुसार मेहताब ने बताया फिरोज घर पर नहीं था वरना वह भी मेरे हाथों मारा जाता। वहीं पुलिस का कहना है कि नीलोफर को बचाने फिरोज की भाभी शबाना आई तो मेहताब ने उसका हाथ काट दिया। शबाना फिलहाल अस्पताल में भर्ती है।
सोनिया गाँधी के आरोपों का मुंह तोड़ जवाब
मोदीराज में घटा भ्रष्टाचार,बाकी राज्यों में बढ़ा
सोनिया गाँधी के आरोपों का मुंह तोड़ जवाब
सोनिया गाँधी के आरोपों का मुंह तोड़ जवाब
नई दिल्ली। देश की राजनीति में लगातार चर्चा का केन्द्र बन रहे भ्रष्टाचार के मुद्दे पर शुक्रवार को जारी इंडिया करप्शन स्टडी-2012 के अनुसार गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में इस वर्ष भ्रष्टाचार का आंकड़ा सबसे कम रहा जबकि देश की आर्थिक राजधानी मुंबई इस मामले में शीर्ष पर है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित शोध संस्थान सेंटर फार मीडिया स्टडीज (सीएमएस) द्वारा शुक्रवार को जारी इस अध्ययन में देश के नौ राज्यों की राजधानियों में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सर्वेक्षण किया गया है और इन नौ शहरों को आधार माने तो देश में भ्रष्टाचार का स्तर गत चार वर्ष में लगभग दोगुना हो गया है। यह संस्था वर्ष 2000 से ही देश में भ्रष्टाचार के आंकड़ों का अध्ययन कर रही है। हालांकि यह भी दिलचस्प तथ्य है कि रिपोर्ट के अनुसार कुल आंकड़ों के विपरीत अहमदाबाद में भ्रष्टाचार का स्तर 2008 के मुकाबले लगभग आधा हो गया है जबकि मुंबई में यह पांच गुना से भी ज्यादा हो गया है। अहमदाबाद इस सर्वेक्षण में शामिल इकलौता शहर है जिसमें भ्रष्टाचार का ग्राफ घटा है।
शेष सभी शहरों में ग्राफ ऊपर चढ़ा है। अहमदाबाद में 2008 में 41 प्रतिशत लोगों ने भ्रष्टाचार का सामना करने की बात कबूली थी जबकि इस वर्ष यह आंकड़ा 23 प्रतिशत रहा है। मुंबई में यह आंकड़ा 2005 में 17 प्रतिशत पर था जो इस वर्ष 96 प्रतिशत हो गया है। सभी नौ शहरों को मिलाकर 2008 में यह आंकड़ा 34 प्रतिशत था जो अब कुल 67 प्रतिशत हो गया है। पिछले आंकड़ों के मुकाबले सबसे ज्यादा 17 गुना इजाफा पश्चिम बंगाल की राजधानी में कोलकाता में देखा गया है। इस शहर में 2008 में भ्रष्टाचार का आंकड़ा महज पांच प्रतिशत था जो अब 65 प्रतिशत हो गया है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित शोध संस्थान सेंटर फार मीडिया स्टडीज (सीएमएस) द्वारा शुक्रवार को जारी इस अध्ययन में देश के नौ राज्यों की राजधानियों में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सर्वेक्षण किया गया है और इन नौ शहरों को आधार माने तो देश में भ्रष्टाचार का स्तर गत चार वर्ष में लगभग दोगुना हो गया है। यह संस्था वर्ष 2000 से ही देश में भ्रष्टाचार के आंकड़ों का अध्ययन कर रही है। हालांकि यह भी दिलचस्प तथ्य है कि रिपोर्ट के अनुसार कुल आंकड़ों के विपरीत अहमदाबाद में भ्रष्टाचार का स्तर 2008 के मुकाबले लगभग आधा हो गया है जबकि मुंबई में यह पांच गुना से भी ज्यादा हो गया है। अहमदाबाद इस सर्वेक्षण में शामिल इकलौता शहर है जिसमें भ्रष्टाचार का ग्राफ घटा है।
शेष सभी शहरों में ग्राफ ऊपर चढ़ा है। अहमदाबाद में 2008 में 41 प्रतिशत लोगों ने भ्रष्टाचार का सामना करने की बात कबूली थी जबकि इस वर्ष यह आंकड़ा 23 प्रतिशत रहा है। मुंबई में यह आंकड़ा 2005 में 17 प्रतिशत पर था जो इस वर्ष 96 प्रतिशत हो गया है। सभी नौ शहरों को मिलाकर 2008 में यह आंकड़ा 34 प्रतिशत था जो अब कुल 67 प्रतिशत हो गया है। पिछले आंकड़ों के मुकाबले सबसे ज्यादा 17 गुना इजाफा पश्चिम बंगाल की राजधानी में कोलकाता में देखा गया है। इस शहर में 2008 में भ्रष्टाचार का आंकड़ा महज पांच प्रतिशत था जो अब 65 प्रतिशत हो गया है।
दुर्ग के पांच परिवार किला छोडऩे के लिए हुए राजी
दुर्ग के पांच परिवार किला छोडऩे के लिए हुए राजी
दुर्ग के पांच परिवार किला छोडऩे के लिए हुए राजी
एमपॉवर कमेटी की बैठक में दुर्ग से संबंधित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर हुई चर्चा
जैसलमेर जिला स्तर पर गठित एमपॉवर कमेटी की बैठक शुक्रवार को कलेक्ट्रेट सभागार में हुई। बैठक में दुर्ग से संबंधित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। मुख्य रूप से दुर्ग के खिड़की पाड़ा में स्थित पांच परिवार जो किला छोडऩे के लिए राजी है, उन्हें अन्यत्र जगह देने पर विचार विमर्श हुआ। नगरपरिषद आयुक्त आर.के. माहेश्वरी ने बताया कि इस मामले में राज्य सरकार से मंजूरी मिल चुकी है और पांचों परिवारों को लक्ष्मीचंद सांवल कॉलोनी में भूखंड आवंटित किए जाएंगे। माहेश्वरी ने बताया कि आगामी एक दो दिन में ये पांचों परिवार दुर्ग स्थित मकान खाली कर देंगे।
अभी भी चल रहे हैं अवैध निर्माण: बैठक में दुर्ग व आसपास के चिह्नित 92 अवैध निर्माणों पर चर्चा हुई। कलेक्टर ने इस मामले में प्रगति जाननी चाही तो पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इन सबको नोटिस दिए जा चुके हैं। लेकिन वर्तमान में भी ढिब्बा पाड़ा में 5 - 6 निर्माण कार्य चल रहे हैं, इसे रोकने की कार्रवाई नहीं हो रही है। कलेक्टर शुचि त्यागी ने नगरपरिषद के आयुक्त को इस संबंध में निर्देश जारी किए। वहीं पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने नगरपरिषद से सही सूची मांगी ताकि संबंधित व्यक्ति को ही नोटिस जारी किया जा सके। उनका कहना था कि हमारे पास मकान मालिकों की सूची नहीं है।
जनवरी तक सभी ट्रांसफार्मर शिफ्ट करें: कलेक्टर शुचि त्यागी ने डिस्कॉम के अधिकारियों को निर्देश दिए कि शहर के भीतरी हिस्सों में चिह्नित सभी टावरों को आगामी जनवरी माह तक शिफ्ट करने की कार्रवाई करवाएं। प्राथमिकता के आधार पर सबसे पहले गांधी चौक उसके बाद दुर्ग स्थित, गड़सीसर, शिव रोड व डेडानसर रोड स्थित ट्रांसफार्मरों को शिफ्ट करना है।
दुर्ग पर मोबाइल टावर लगना बर्दाश्त से बाहर है
पुरातत्व विभाग ने बैठक में बताया कि हाल ही में दुर्ग के एक मकान की छत पर मोबाइल टावर लगा है। इस मामले को कलेक्टर ने गंभीरता से लेते हुए कहा कि दुर्ग पर मोबाइल टावर लगना बर्दाश्त से बाहर है। उन्होंने नगरपरिषद के अधिकारियों से दुर्ग स्थित टावर हटाने की कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
शीघ्र ही सब्जी मंडी विस्थापन करें
बैठक में कलेक्टर ने नगरपरिषद के आयुक्त को निर्देश दिए कि गोपा चौक स्थित सब्जी मंडी को शीघ्र ही विस्थापित किया जाए। इस मामले में ढिलाई नहीं करें। परिषद आयुक्त माहेश्वरी ने बताया कि चंद्रमोलेश्वर मंदिर के पास जगह चिह्नित कर दी गई है वहां सब्जी विक्रेताओं को थडिय़ां लगाने की जगह दी जाएगी।
लापता व्यक्ति का शव मिला, हत्या का मामला दर्ज
लापता व्यक्ति का शव मिला, हत्या का मामला दर्ज
बालेरा सरहद की पहाडिय़ों पर मिला शव, मृतक के भाई ने दर्ज करवाया नामजद आरोपियों के खिलाफ हत्या का मामला
बाड़मेर गत दिनों मजदूरी पर गए एक व्यक्ति के लापता होने के 14 दिन बाद उसका शव बालेरा सरहद की पहाडिय़ों में मिला है। मृतक के भाई ने नामजद आरोपियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करवाया है। सदर थानाधिकारी लूणसिंह ने बताया कि 25 नवंबर को गोपालदास पुत्र हरजीराम निवासी जटियों का वास, हमीरपुरा ने थाने में पेश होकर मामला दर्ज करवाया था कि उसका भाई लालचंद बाड़मेर निवासी मोडाराम के साथ रंगरोगन का कार्य करने के लिए बालेरा गांव के वीरसिंह राजपुरोहित पुत्र इंद्रसिंह राजपुरोहित के घर पर गया था। तीन दिन तक उसने वहां पर काम किया। 23 नवंबर की रात को वह पेशाब करने के लिए गया। इसके बाद वह लौटकर नहीं आया। शुक्रवार को ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी कि बालेरा सरहद की पहाडिय़ों में एक व्यक्ति का शव पड़ा है। इसपर थानाधिकारी लूणसिंह मय जाब्ता के साथ मौके पर पहुंचे। वहीं घटना की जानकारी मिलने पर काफी संख्या में लोग एकत्रित हो गए। इसके बाद पुलिस शव को राजकीय अस्पताल की मोर्चरी में लाई। यहां पर शव का पोस्टमार्टम कर दिया गया, लेकिन देर शाम तक परिजनों ने शव नहीं उठाया था। मृतक के भाई गोपालदास ने मोडाराम व वीरसिंह के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करवाया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
बालेरा सरहद की पहाडिय़ों पर मिला शव, मृतक के भाई ने दर्ज करवाया नामजद आरोपियों के खिलाफ हत्या का मामला
बाड़मेर गत दिनों मजदूरी पर गए एक व्यक्ति के लापता होने के 14 दिन बाद उसका शव बालेरा सरहद की पहाडिय़ों में मिला है। मृतक के भाई ने नामजद आरोपियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करवाया है। सदर थानाधिकारी लूणसिंह ने बताया कि 25 नवंबर को गोपालदास पुत्र हरजीराम निवासी जटियों का वास, हमीरपुरा ने थाने में पेश होकर मामला दर्ज करवाया था कि उसका भाई लालचंद बाड़मेर निवासी मोडाराम के साथ रंगरोगन का कार्य करने के लिए बालेरा गांव के वीरसिंह राजपुरोहित पुत्र इंद्रसिंह राजपुरोहित के घर पर गया था। तीन दिन तक उसने वहां पर काम किया। 23 नवंबर की रात को वह पेशाब करने के लिए गया। इसके बाद वह लौटकर नहीं आया। शुक्रवार को ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी कि बालेरा सरहद की पहाडिय़ों में एक व्यक्ति का शव पड़ा है। इसपर थानाधिकारी लूणसिंह मय जाब्ता के साथ मौके पर पहुंचे। वहीं घटना की जानकारी मिलने पर काफी संख्या में लोग एकत्रित हो गए। इसके बाद पुलिस शव को राजकीय अस्पताल की मोर्चरी में लाई। यहां पर शव का पोस्टमार्टम कर दिया गया, लेकिन देर शाम तक परिजनों ने शव नहीं उठाया था। मृतक के भाई गोपालदास ने मोडाराम व वीरसिंह के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करवाया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
कार दुर्घटना में पूर्व प्रधान बालड व ड्राइवर की मौत
कार दुर्घटना में पूर्व प्रधान बालड व ड्राइवर की मौत
सिवाना में शोक की लहर, आज अंतिम संस्कार तक व्यापारिक प्रतिष्ठान रहेंगे बंद
सिवाना कस्बे के वयोवृद्ध कांग्रेस नेता एवं पूर्व प्रधान रतनचंद बालड़ का शुक्रवार दोपहर सिवाना-बालोतरा राजमार्ग पर कार दुर्घटना में निधन हो गया। घटना की खबर मिलते ही कस्बे में शोक की लहर छा गई। इस दुर्घटना में कार ड्राइवर की भी मौके पर ही मौत हो गई।
शुक्रवार को नाकोड़ा में दिवंगत साध्वी की बैकुंठी यात्रा में भाग लेकर कार से सिवाना आ रहे पूर्व प्रधान रतनचंद बालड़ की कार थापन से दो किलोमीटर आगे राजमार्ग पर अचानक पलटी खा गई। दुर्घटना में रतनचंद बालड़ व कार ड्राइवर मनीष पुत्र बलंवतराज जैन की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि कार में सवार महेंद्र कुमार बागरेचा बच गए, जिन्हें खरोंच तक नहीं आई। मौके पर पहुंची पुलिस शवों को स्थानीय चिकित्सालय लेकर आई। जहां पहले से ही ग्रामीणों की भारी भीड़ जमा थी।
प्रतिष्ठान बंद रहेंगे: बालड़ का अंतिम संस्कार आज दोपहर में किया जाएगा।
क्त की।
एएसआई और कांस्टेबल रिश्वत लेते गिरफ्तार
एएसआई और कांस्टेबल रिश्वत लेते गिरफ्तार
जोधपुर। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने हनुमानगढ़ के नोहर थाने के एएसआई व कांस्टेबल को छह हजार रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया। यह रिश्वत उन्होंने पड़ोसी राज्य हरियाणा से डीजल लेकर आए एक किसान से ली थी। अवैध डीजल परिवहन का मुकदमा दर्ज करने की धमकी देकर वे किसान से नौ हजार रुपए पहले ले चुके थे। ब्यूरो के डीआईजी संजीब कुमार नार्जारी ने बताया कि नोहर के मंदरपुरा निवासी हुसैन खां हरियाणा से 862 लीटर डीजल लेकर आ रहा था। नोहर पुलिस ने गश्त के दौरान उसकी जीप पकड़ ली। जीप में डीजल के ड्रम भरे होने पर एएसआई मंगलसिंह ने अवैध डीजल परिवहन का मुकदमा दर्ज करने की धमकी दी और पंद्रह हजार रुपए रिश्वत के मांगे। पुलिस से बचने के लिए हुसैन ने नौ हजार रुपए हाथों-हाथ दे दिए, अब एएसआई उसे शेष छह हजार रुपए देने पर दबाव बना रहा था। इस शिकायत का सत्यापन कराने के बाद शुक्रवार को ट्रैप की योजना बनाई। ब्यूरो की योजना के मुताबिक हुसैन छह हजार रुपए एएसआई मंगलसिंह के पास गया तो उसने यह राशि पुलिस जीप चालक राजेंद्र कुमार को देने को कहा। राजेंद्र कुमार ने यह रुपए आरएसी के कांस्टेबल भींयाराम को दिला दिए। ब्यूरो टीम ने दबिश देकर कांस्टेबल भींयाराम से रिश्वत राशि बरामद की और उसके बयान पर एएसआई मंगलसिंह को भी गिरफ्तार कर लिया।
खास खबर बीपीएल की दरों पर ही मिलेंगे गैर बीपीएल को भी पट्टे
खास खबर बीपीएल की दरों पर ही मिलेंगे गैर बीपीएल को भी पट्टे
जयपुर प्रदेश की कच्ची बस्तियों में अब सभी लोगों को प्रशासन शहरों के संग अभियान में बीपीएल परिवारों के लिए तयशुदा दरों पर ही पट्टे मिलेंगे। मंत्रिमंडलीय एम्पावर्ड कमेटी के फैसले के बाद स्वायत्त शासन विभाग ने सभी नगरीय निकायों को आदेश जारी कर दिए। स्वायत्त शासन निदेशक ताराचंद मीणा ने बताया कि पहले नियमन के लिए बीपीएल परिवारों और गैर बीपीएल परिवारों के लिए अलग-अलग दरें तय की गई थीं, परंतु अभियान में ज्यादा से ज्यादा लोग पट्टे ले सकें, इसलिए अब दरें एक ही रखी गईं। इनमें 50 वर्गगज तक नगर निगम क्षेत्र में 20 रुपए, नगर परिषद क्षेत्र में 15 रुपए और नगरपालिका क्षेत्र में 10 रुपए प्रति वर्गगज होगी, जबकि 51 से 110 वर्गगज तक के पट्टों के लिए ये दरें दोगुनी हो जाएंगी।
अभियान में आवासीय उद्देश्य के लिए 110 वर्ग गज और व्यावसायिक उद्देश्य के लिए केवल 15 वर्ग गज तक का ही पट्टा दिया जा सकेगा। व्यावसायिक भूमि की नियमन दर सामान्य आवासीय नियमन दर से दोगुनी होगी। कच्ची बस्तियों के नियमन के लिए हाईकोर्ट के आदेश से पहले 1 अप्रैल, 2004 तय की गई थी, परंतु 15 अगस्त, 2009 तक के गैर सर्वेधारियों को भी पट्टे जारी करने पर मंत्रिमंडलीय समिति ने अपनी सहमति दे दी। कच्ची बस्तियों के नियमन के संबंध में पट्टा जारी करने के लिए स्थानीय निकाय स्तर की कमेटी को ही अधिकृत किया गया।
परिवार अलग-अलग हैं तो सभी को मिलेंगे पट्टे : राज्य सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर एक ही परिवार के तीन वयस्क सदस्यों का परिवार यदि अलग-अलग रह रहा है तो सभी को अलग-अलग अधिकतम 110-110 वर्गगज के पट्टे जारी किए जा सकते हैं।
डी-नोटिफाइड करने के निर्देश: जिन कच्ची बस्तियों में पर्याप्त आधारभूत सुविधाएं विकसित हो चुकी हैं और पक्के आवासों का निर्माण हो गया है। ऐसी बस्तियों को कच्ची बस्तियों की सूची से बाहर किया जाना चाहिए।
बाड़मेर राजनितिक शख्शियत। । मरुधर की राजनीती के पथ प्रदर्शक।रामदान चौधरी
बाड़मेर राजनितिक शख्शियत। । मरुधर की राजनीती के पथ प्रदर्शक।रामदान चौधरी
समाज में शिक्षा क्रान्ति के जनक
सन १८३६ में जाटों का एक काफिला मालानी क्षेत्र में आकर रुका. इनमें एक परिवार तेजाजी डऊकिया का भी था. ये सन १८३० में बाड़मेर से ३० की.मी. दक्षिण-पूर्व में स्थित सरली गाँव में बस गए. तेजाजी के पूर्वज नागौर के 'पिरोजपुरा' गाँव के मूल निवासी थे. परन्तु कालांतर में झंवर और आगोलाई में बस गए थे और आगोलाई से ही प्रस्थान कर तेजाजी ने 'सरली' को अपनी कर्म स्थली बनाया.
चौधरी रामदानजी का जन्म चैत बदी ३ संवत १९४० तदनुसार १५ मार्च १८८४ को सरली नामक गाँव में चौधरी तेजारामजी के यहाँ हुआ था. आपका गोत्र डऊकिया तथा नख तंवर था. आपकी माताजी का नाम श्रीमती दौली देवी था. आप भाई बहीनों में सबसे छोटे थे. जब आप सात वर्ष के थे तब आपका परिवार १८९१ में सरली से खड़ीन आ गया. आप जब १३ वर्ष के थे तब आपके पिताजी का देहांत हो गया था. इसके दो वर्ष बाद १८९९ में (विक्रम संवत १९५६) में मारवाड़ में भयंकर छपनिया अकाल पड़ा तो आपको परिवार के सिंध की और पलायन करना पड़ा. रामदान जी को रेल लाइन बिछाने में काम मिल गया. उसी समय आपके बड़े भाई रूपाजी का देहांत हो गया इसलिए नौकरी छोड़ खड़ीन वापस आना पड़ा. १९०० से १९०५ तक आप गाँव में रहकर खेती करते रहे. इस दौरान १९०४ में आपकी शादी श्रीमती कस्तूरी देवी भाकर के साथ हो गयी. १५ मार्च १९०५ में पुनः आपको रेलवे में ट्रोली-मैन के पद पर रख लिया. १९०७ में आपको जमादार के पद पर पदोन्नत किया. १९०७ से १९२० तक रेलवे में जमादार के पद पर रहे. इस दौरान आपने स्वतः के प्रयास से पढ़ना लिखना सीख लिया. १९२० में आपको रेल-पथ निरिक्षक के पद पर पदोन्नत कर समदड़ी में लगा दिया. १९२३ में आपको जोधपुर में भेजा गया. जोधपुर प्रवास के दौरान आपका परिचय कई प्रबुद्ध जाटों से हुआ.
अक्टूबर १९२५ में कार्तिक पूर्णिमा को अखिल भारतीय जाट महासभा का एक अधिवेसन पुष्कर में हुआ था उसमें मारवाड़ के जाटों में जाने वालों में चौधरी गुल्लाराम, चौधरी मूलचंद जी सियाग,मास्टर धारासिंह, चौधरी रामदान जी, भींया राम सिहाग आदि पधारे थे. इस जलसे की अध्यक्षता भरतपुर के तत्कालीन महाराजा श्री किशनसिंह जी ने की. इस समारोह में उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली के अलावा राजस्थान के हर कोने से जाट सम्मिलित हुए थे. इन सभी ने पुष्कर में अन्य जाटों को देखा तो अपनी दशा सुधारने का हौसला लेकर वापिस लौटे. उनका विचार बना किमारवाड़ में जाटों के पिछड़ने का कारण केवल शिक्षा का आभाव है
कुछ समय बाद चौधरी गुल्लारामजी के रातानाड़ा स्थित मकान पर चौधरी मूलचंद सिहाग नागौर, चौधरी भिंयारामजी सिहाग परबतसर, चौधरी गंगारामजी खिलेरी नागौर, बाबू दूधारामजी औरमास्टर धारा सिंह की एक मीटिंग हुई. यह तय किया गया कि किसानों से विद्या प्रसार के लिए अनुरोध किया जाए. तदनुसार २ मार्च १९२७ को ७० जाट सज्जनों की एक बैठक श्री राधाकिसन जी मिर्धा की अध्यक्षता में हुई. इस बैठक में चौधरी गुल्लारामजी ने जाटों की उन्नति का मूलमंत्र दिया कि - "पढो और पढाओ" . साथ ही एक जाट संस्था खोलने के लिए धन की अपील की गयी. यह तय किया गया कि बच्चों को निजी स्कूल खोल कर उनमें भेजने के बजाय सरकारी स्कूलों में भेजा जाय पर उनके लिए ज्यादा से ज्यादा होस्टल खोले जावें. चौधरी गुल्लारामजी ने इस मीटिंग में अपना रातानाडा स्थित मकान एक वर्ष के लिए छात्रावास हेतु देने और बिजली, पानी, रसोइए का एक वर्ष का खर्च उठाने का वायदा किया. इस तरह ४ अप्रेल १९२७ को चौधरी गुल्लारामजी के मकान में "जाट बोर्डिंग हाउस जोधपुर" की स्थापना की । इसमें चौधरी रामदानजी का भी पूरा योगदान रहा. आपने न केवल मासिक चन्दा देकर बल्कि रेलवे के अन्य लोगों से भी काफी सहायता दिलवाई. आप लंबे समय तक तन-मन-धन से इस संस्था की सहायता करते रहे.
१९३० तक जब जोधपुर के छात्रावास का काम ठीक ढंग से जम गया और जोधपुर सरकार से अनुदान मिलने लग गया तब चौधरी मूलचंद जी, बल्देवराम जी मिर्धा, भींया राम सियाग, गंगाराम जी खिलेरी, धारासिंह एवं अन्य स्थानिय लोगों के सहयोग से बकता सागर तालाब पर २१ अगस्त १९३० को नए छात्रावास की नींव नागौर में डाली । बाद में चौधरी रामदानजी के सहयोग से बाडमेर में व १९३५ में चौधरी पूसरामजी पूलोता, डांगावास के महाराजजी कमेडिया, प्रभुजी घतेला, तथा बिर्धरामजी मेहरिया के सहयोग से मेड़ता में छात्रावास स्थापित किया गया
आपने जाट नेताओं के सहयोग से अनेक छात्रावास खुलवाए । बाडमेर में १९३४ में चौधरी रामदानजी डऊकिया की मदद से छात्रावास की आधरसिला राखी । १९३५ में मेड़ता छात्रवास खोला । आपने जाट नेताओं के सहयोग से जो छात्रावास खोले उनमें प्रमुख हैं:- सूबेदार पन्नारामजी ढ़ीन्गसरा व किसनाराम जी रोज छोटी खाटू के सहयोग से डीडवाना में, इश्वर रामजी महाराजपुरा के सहयोग से मारोठ में, भींयाराम जी सीहाग के सहयोग से परबतसर में, हेतरामजी के सहयोग से खींवसर में छात्रावास खुलवाए । इन छात्रावासों के अलावा पीपाड़, कुचेरा, लाडनुं, रोल, जायल, [[Alay|अलाय, बीलाडा, रतकुडि़या, आदि स्थानों पर भी छात्रावासों की एक श्रंखला खड़ी कर दी । इस प्रकार मारवाड़ के जाट नेताओं जिसमें चौधरी बल्देवराम मिर्धा, चौधरी गुल्लारामजी, चौधरी मूलचंदजी, चौधरी भींयारामजी, चौधरी रामदानजी बाडमेर आदि प्रमुख थे, ने मारवाड़ में छात्रावासों की एक श्रंखला स्थापित करदी तथा इनके सुचारू संचालन हेतु एक शीर्ष संस्था "किसान शिक्षण संस्थान जोधपुर" स्थापित कर जोधपुर सरकार से मान्यता ले ली, जिसे सरकार से छात्रावासों के संचालन हेतु आर्थिक सहायता प्राप्त होने लगी. इस शिक्षा प्रचार में मारवाड़ के जाटों ने अपने पैरों पर खड़ा होने में राजस्थान के तमाम जाटों को पीछे छोड़ दिया ।
जाट बोर्डिंग हाऊस बाडमेर के संस्थापक
चौधरी रामदानजी का १९२९ में जोधपुर से बायतू तथा १९३० में बाड़मेर स्थानान्तरण हो गया. अब आपने बाड़मेर के किसानों पर ध्यान देना शुरू किया. आपने बाडमेर में एक जाटावास बस्ती बसाई और वहीं अपना मकान बनाया. बाड़मेर को अपनी कर्म स्थली बनाते हुए इस एरिया के किसानों से सम्पर्क किया. कुछ बच्चों को लाकर अपने निवास स्थान पर लाकर रखा और पढाना शुरू किया. उस समय बाडमेर में एक मिडिल स्कूल और एक प्राथमिक स्कूल था. बच्चे वहां पढ़ने जाते और रामदानजी के मकान में रहते. यहाँ आपकी पत्नी सबके भोजन की व्यवस्था करती थी. जब बच्चों की संख्या बढ़ने लगी तब अपने पड़ौस के मकान में श्री भीकमचंदजी का मकान किराये पर लिया और वहां ३० जून १९३४ को जाट बोर्डिंग हाऊस बाड़मेर की स्थापना की. चौधरी मूलचंदजी नागौर के कर कमलों से इसका उदघाटन हुआ. उस समय १९ छात्रों ने इसमें प्रवेश लिया था
इस संस्था की स्थापना करने के बाद रामदान जी तन-मन-धन से इसकी उन्नति में लग गए. बाड़मेर के आसपास के गाँवों का भ्रमण कर आपने कई और बच्चों को बोर्डिंग में भर्ती करवाया. धीरे-धीरे बच्चों की संख्या बढ़ने लगी तो इस छात्रावास का आर्थिक भार भी बढ़ने लगा, तब आपने ग्रामीण एरिया और रेलवे कर्मचारियों से चन्दा एकत्रित कर छात्रावास का खर्चा चलाया. इस कार्य मेंचौधरी आईदानजी भादू बाड़मेर ने आपका पूरा सहयोग किया. जून १९३६ तक इस संस्था में ३५ विद्यार्थी हो गए और बाड़मेर में यह संस्था अपने आप में एक अनूठी संस्था बन गयी. १९३७ में इस छात्रावास को जोधपुर सरकार से ३० रूपया मासिक अनुदान मिलने लग गया. अब चौधरी रामदानजी इस बोर्डिंग के लिए स्थाई निर्माण करवाने में लग गए. गाँवों में घूम कर तथा रेलवे कर्मचारियों से चंदा एकत्रित कर १९४१ तक वर्तमान छात्रावास के आधे भाग का निर्माण पूरा कर लिया. अब किराए के भवन से बोर्डिंग नए भवन में स्थानांतरण करवा दिया. इस हेतु १९४२ तथा १९४४ में बाड़मेर में किसान सम्मेलन आयोजित किए. इनमें चौधरी बलादेवरामजी मिर्धा, हाकिम गोवर्धनसिंह्जी, चौधरी मूलचंदजी नागौर, चौधरी रामदानजी ने छात्रावास को पूरा करने हेतु चंदे की अपील की. तिलवाड़ा पशु मेले से भी चन्दा एकत्रित किया. इन प्रयासों से छात्रावास का निर्माण १९४६ तक पूरा हो गया.
बाडमेर जिला किसान सभा की स्थापना
चौधरी रामदानजी १४ मार्च १९४६ को बाड़मेर से रेलवे के प्रथम-रेलपथ-निरीक्षक पद से सेवानिवृत हो गए. इसके बाद आपने पूरा ध्यान समाज सेवा में लगा दिया. अब आपने जाट बोर्डिंग हाऊस बाड़मेर के साथ मारवाड़ किसान सभा का भी काम देखना शुरू कर दिया. किसानों की प्रगती को देखकर मारवाड़ के जागीरदार बोखला गए । उन्होंने किसानों का शोषण बढ़ा दिया और उनके हमले भी तेज हो गए । जाट नेता अब यह सोचने को मजबूर हुए कि उनका एक राजनैतिक संगठन होना चाहिए । सब किसान नेता २२ जून १९४१ को जाट बोर्डिंग हाउस जोधपुर में इकट्ठे हुए जिसमें तय किया गया कि २७ जून १९४१ को सुमेर स्कूल जोधपुर में मारवाड़ के किसानों की एक सभा बुलाई जाए और उसमें एक संगठन बनाया जाए । तदानुसार उस दिनांक कोमारवाड़ किसान सभा की स्थापना की घोषणा की गयी और मंगल सिंह कच्छवाहा को अध्यक्ष तथा बालकिशन को मंत्री नियुक्त किया गया. ९४६ में बलदेव रामजी मिर्धा ने मारवाड़किसान सभा की कार्यकारिणी का पुनर्गठन किया जिसमें श्री नरसिंह्जी कच्छवाहा को अध्यक्ष व श्री नाथूरामजी मिर्धा को मंत्री बनाया तथा चौधरी रामदानजी को कार्यकारिणी का सदस्य नियुक्त किया. साथ ही बाड़मेर परगने में भी किसान सभा की एक इकाई का गठन कर श्री रामदानजी को वहां का अध्यक्ष नियुक्त किया. ३ मार्च १९४८ को श्री जयनारायणजी व्यास के नेतृत्व में जोधपुर में नयी सरकार बनी जिसमें मारवाड़ किसान सभा की और से श्री नाथूरामजी मिर्धा कृषि मंत्री बने. [28]इस सरकार ने किसानों के हित में १९४९ के शुरू में मारवाड़ लैंड रेवेन्यू एक्ट व मारवाड़ टेनेन्सी एक्ट १९४९ पारित कर दिए जिसमें लागबाग आदि समाप्त करते हुए किसान को अपनी जमीन का मालिक बना दिया. इन कानूनों के बनते ही श्री रामदान जी मालानी के गाँव-गाँव ढाणी-ढाणी जाकर किसानों को इन कानूनों की जानकारी दी और लागबाग द करवाई
लगबाग बंद होने से जागीरदार तिलमिला गए और अत्याछार बढ़ा दिए. किसान नेताओं पर कातिलाना हमला कर हत्याएं करना शुरू कर दिया. इन घटनाओं में मालानी में २७ लोगों ने प्राण गँवाए. इसे समय में रामदांजी पहाड़ बन कर किसानों के रक्षार्थ सामने आए और किसानों की हर प्रकार से मदद की. आप द्वारा बाड़मेर किसान सभा के अध्यक्ष तथा बाद में विधायक की हैसियत से जो सेवाएं आपने किसानों की करी आज तक भी बाड़मेर के किसान उनको याद कर आपके प्रति श्रद्धानत होते हैं. मारवाड़ किसान सभा तथा १४ अगस्त १९४९ को जयपुर में गठित राजस्थान किसान सभा के अध्यक्ष श्री बलदेव राम जी मिर्धा व अन्य नेताओं के प्रयासों का परिणाम यह हुआ की १९५२ के प्रारम्भ में राजस्थान की सरकार ने जागीरदारी प्रथा समाप्त करने का अधिनियम पारित कर दिया. इससे राजस्थान का किसान सदा के लिए जागीरदारी प्रथा से मुक्त हो गया. १९५५ में राजस्थान टेनेन्सी एक्ट बन जाने के बाद तो किसान स्वयम अपने जमीन का मालिक बन गया. इस कार्य में श्री बलदेव राम मिर्धा और अन्य जाट नेताओं के साथ श्री रामदान जी का भी महत्वपूर्ण योगदान था.
सामाजिक सेवा
चौधरी रामदानजी मारवाड़ के अन्य जाट नेताओं की तरह किसानों में प्रचलित सामाजिक कुरीतियाँ हटाने के हामी थे. आप बाल विवाह, म्रत्यु-भोज, मुकदमेबाजी, अफीम, तम्बाकू, दीन-प्रथा[ आदि कुरीतियों के विरोधी थे और जीवनभर इनके खिलाफ संघर्ष करते रहे. श्री रामदानजी म्रत्यु-भोज को किसानों का दुश्मन मानते थे. अतः उन्होंने ब्याह-शादियों, किसान-सम्मेलनों. तिलवाडा चैत्री पशु मेला, राजनैतिक-सम्मेलनों आदि सभी अवसरों पर म्रत्यु-भोज को बंद करने का आव्हान करते थे. जब इसमें आपको आशातीत सफलता नहीं मिली तब इसे कानूनन बंद कराने का प्रयास किया. १९५७ में जब आप विधायक बने तब आपने मुख्यमंत्री श्री मोहन लाल सुखाडिया जी से आग्रह कर "राजस्थान म्रत्यु-भोज निवारण अधिनियम १९६०" विधान सभा में पारित करवाया. इसके परिणाम स्वरूप बाड़मेर में म्रत्यु-भोज में बहुत कमी आई. दीन-प्रथा समाप्त करने के लिए आपने सर्वप्रथम अपने परिवार की लड़कियों का धर्म-विवाह करके किसानों के सामने इस प्रथा के खिलाफ एक उदाहरण प्रस्तुत किया और इस प्रथा को समाप्त करने में सफल रहे. आप लड़कों की शिक्षा के साथ लड़कियों की शिक्षा के भी हिमायती थे. बाड़मेर इलाके में स्त्री-शिक्षा का प्रचार आपके प्रयत्नों से ही हुआ. आपके प्रयासों का ही परिणाम था की १९५३ तक ३१८ लड़कियाँ मिडिल तक पढ़ने में सफल हुई. आपने किसानों के बच्चों की पढाई के साथ साथ द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान बड़ी संख्या में जाट युवकों को सेना में भर्ती करवाया. १९५१ से १९५५ के बीच राजस्थान में पुलिस प्रशासन का विस्तार हुआ तो बड़ी संख्या में किसानों के बच्चो को पुलिस में नौकरी दिलवाकर किसानों का बड़ा भला किया.
परिवार का उत्थान
जहाँ आपने किसानों के बच्चों की शिक्षा व उनको नौकरियों में लगाने पर ध्यान दिया, उसी तरह अपने परिवार के बच्चों की शिक्षा पर भी विशेष ध्यान रखा. आपके पाँच पुत्र और चार पुत्रियाँ थी और उनको सबको उच्च शिक्षा दिलवाई. आपके सबसे बड़े पुत्र श्री केसरीमलजी को ऊंची शिक्षा दिलाने के बाद व्यापार के साथ ही जाट बोर्डिंग हाऊस जोधपुर को संभालने का जिम्मा सौंपा. दूसरे पुत्र लालसिंह को ऍम ऐ , एल एल बी करवाने के बाद जोधपुर में हाकिम के पद पर नियुक्त कराया. जिन्होंने राजस्थान में विभिन्न पदों पर रहकर महत्त्व पूर्ण दायित्व निभाया. तीसरे पुत्रगंगाराम चौधरी को एल एल बी की शिक्षा दिलाकर वकालत में लगाया और समाज सेवा का अवसर दिया. बाद में गंगाराम चौधरी ने राजनीती में आकर राजस्थान के विभिन्न विभागों में मंत्री रहकर जनता की सेवा की. चोथे पुत्र खंगारमलजी तथा पांचवें पुत्र फतहसिंह्जी को भी उच्च शिक्षा दिलवाई. उस समय आपका परिवार मारवाड़ में काफी बड़ा और प्रगतिशील था.
राजनीती के माध्यम से समाज सेवा
१९५२ के प्रथम आम चुनाव से पहले १९५१ के आख़िर में मारवाड़ किसान सभा व राजस्थान किसान सभा का कांग्रेस में विलय हो जाने पर चौधरी रामदानजी भी कांग्रेस में सम्मिलित हो गए. १९५३ में नया पंचायती राज अधिनियम लागू हुआ. आपके प्रयासों से अनेक किसान सरपंच चुने गए. इसके बाद तहसील पंचायत के चुनाव हुए जिसमें १९५४ में आप बाड़मेर तहसील पंचायत के सरपंच चुने गए. बाड़मेर में १९५३ से १९५५ तक हुए भूमि-बंदोबस्त में भी किसानों का आपने व आपके पुत्र श्री गंगारामजी ने बराबर मार्गदर्शन किया. भूमि के वाजिब लगान निर्धारित करवाए. १९५७ में द्वितीय आम चुनाव में गुडामालानी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्यासी के रूप में चुनाव लड़ा और विजयी रहे. १९५७ से १९६२ तक विधायक रहते बहुत समाज सेवा की. इस दौरान बाड़मेर में डाकू उन्मुलक करवाया तथा जागीर जब्ती क़ानून में जागीरों का अधिग्रहण करवाया. १९५९ में गुडामलानी पंचायत समिती के प्रधान पद पर पुत्र गंगारामजी को निर्वाचित करवाया. १९६० में म्रत्यु-भोज निवारण अधिनियम पास करवाकर बाड़मेर के किसानों को बर्बादी से बचाया. १९६२ में श्री रामदानजी ने राजनीती से सन्यास ले लिया और अपने उत्तराधिकारी के रूप में श्री गंगारामजी चौधरी को १९६२ के तृतीय आम चुनाव में कांग्रेस से गुडामलानी से विधायक जितवाया. बाड़मेर एरिया में आपके द्वारा की गयी सेवा के कारण श्री गंगारामजी बराबर बाड़मेर से चुनाव जीतते रहे तथा राजस्थान सरकार में कई विभागों के मंत्री रहे.
चौधरी रामदानजी १४ मार्च १९४६ को बाड़मेर से रेलवे के प्रथम-रेलपथ-निरीक्षक पद से सेवानिवृत हो गए. इसके बाद आपने पूरा ध्यान समाज सेवा में लगा दिया. अब आपने जाट बोर्डिंग हाऊस बाड़मेर के साथ मारवाड़ किसान सभा का भी काम देखना शुरू कर दिया. किसानों की प्रगती को देखकर मारवाड़ के जागीरदार बोखला गए । उन्होंने किसानों का शोषण बढ़ा दिया और उनके हमले भी तेज हो गए । जाट नेता अब यह सोचने को मजबूर हुए कि उनका एक राजनैतिक संगठन होना चाहिए । सब किसान नेता २२ जून १९४१ को जाट बोर्डिंग हाउस जोधपुर में इकट्ठे हुए जिसमें तय किया गया कि २७ जून १९४१ को सुमेर स्कूल जोधपुर में मारवाड़ के किसानों की एक सभा बुलाई जाए और उसमें एक संगठन बनाया जाए । तदानुसार उस दिनांक कोमारवाड़ किसान सभा की स्थापना की घोषणा की गयी और मंगल सिंह कच्छवाहा को अध्यक्ष तथा बालकिशन को मंत्री नियुक्त किया गया. ९४६ में बलदेव रामजी मिर्धा ने मारवाड़किसान सभा की कार्यकारिणी का पुनर्गठन किया जिसमें श्री नरसिंह्जी कच्छवाहा को अध्यक्ष व श्री नाथूरामजी मिर्धा को मंत्री बनाया तथा चौधरी रामदानजी को कार्यकारिणी का सदस्य नियुक्त किया. साथ ही बाड़मेर परगने में भी किसान सभा की एक इकाई का गठन कर श्री रामदानजी को वहां का अध्यक्ष नियुक्त किया. ३ मार्च १९४८ को श्री जयनारायणजी व्यास के नेतृत्व में जोधपुर में नयी सरकार बनी जिसमें मारवाड़ किसान सभा की और से श्री नाथूरामजी मिर्धा कृषि मंत्री बने. [28]इस सरकार ने किसानों के हित में १९४९ के शुरू में मारवाड़ लैंड रेवेन्यू एक्ट व मारवाड़ टेनेन्सी एक्ट १९४९ पारित कर दिए जिसमें लागबाग आदि समाप्त करते हुए किसान को अपनी जमीन का मालिक बना दिया. इन कानूनों के बनते ही श्री रामदान जी मालानी के गाँव-गाँव ढाणी-ढाणी जाकर किसानों को इन कानूनों की जानकारी दी और लागबाग द करवाई
लगबाग बंद होने से जागीरदार तिलमिला गए और अत्याछार बढ़ा दिए. किसान नेताओं पर कातिलाना हमला कर हत्याएं करना शुरू कर दिया. इन घटनाओं में मालानी में २७ लोगों ने प्राण गँवाए. इसे समय में रामदांजी पहाड़ बन कर किसानों के रक्षार्थ सामने आए और किसानों की हर प्रकार से मदद की. आप द्वारा बाड़मेर किसान सभा के अध्यक्ष तथा बाद में विधायक की हैसियत से जो सेवाएं आपने किसानों की करी आज तक भी बाड़मेर के किसान उनको याद कर आपके प्रति श्रद्धानत होते हैं. मारवाड़ किसान सभा तथा १४ अगस्त १९४९ को जयपुर में गठित राजस्थान किसान सभा के अध्यक्ष श्री बलदेव राम जी मिर्धा व अन्य नेताओं के प्रयासों का परिणाम यह हुआ की १९५२ के प्रारम्भ में राजस्थान की सरकार ने जागीरदारी प्रथा समाप्त करने का अधिनियम पारित कर दिया. इससे राजस्थान का किसान सदा के लिए जागीरदारी प्रथा से मुक्त हो गया. १९५५ में राजस्थान टेनेन्सी एक्ट बन जाने के बाद तो किसान स्वयम अपने जमीन का मालिक बन गया. इस कार्य में श्री बलदेव राम मिर्धा और अन्य जाट नेताओं के साथ श्री रामदान जी का भी महत्वपूर्ण योगदान था.
सामाजिक सेवा
चौधरी रामदानजी मारवाड़ के अन्य जाट नेताओं की तरह किसानों में प्रचलित सामाजिक कुरीतियाँ हटाने के हामी थे. आप बाल विवाह, म्रत्यु-भोज, मुकदमेबाजी, अफीम, तम्बाकू, दीन-प्रथा[ आदि कुरीतियों के विरोधी थे और जीवनभर इनके खिलाफ संघर्ष करते रहे. श्री रामदानजी म्रत्यु-भोज को किसानों का दुश्मन मानते थे. अतः उन्होंने ब्याह-शादियों, किसान-सम्मेलनों. तिलवाडा चैत्री पशु मेला, राजनैतिक-सम्मेलनों आदि सभी अवसरों पर म्रत्यु-भोज को बंद करने का आव्हान करते थे. जब इसमें आपको आशातीत सफलता नहीं मिली तब इसे कानूनन बंद कराने का प्रयास किया. १९५७ में जब आप विधायक बने तब आपने मुख्यमंत्री श्री मोहन लाल सुखाडिया जी से आग्रह कर "राजस्थान म्रत्यु-भोज निवारण अधिनियम १९६०" विधान सभा में पारित करवाया. इसके परिणाम स्वरूप बाड़मेर में म्रत्यु-भोज में बहुत कमी आई. दीन-प्रथा समाप्त करने के लिए आपने सर्वप्रथम अपने परिवार की लड़कियों का धर्म-विवाह करके किसानों के सामने इस प्रथा के खिलाफ एक उदाहरण प्रस्तुत किया और इस प्रथा को समाप्त करने में सफल रहे. आप लड़कों की शिक्षा के साथ लड़कियों की शिक्षा के भी हिमायती थे. बाड़मेर इलाके में स्त्री-शिक्षा का प्रचार आपके प्रयत्नों से ही हुआ. आपके प्रयासों का ही परिणाम था की १९५३ तक ३१८ लड़कियाँ मिडिल तक पढ़ने में सफल हुई. आपने किसानों के बच्चों की पढाई के साथ साथ द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान बड़ी संख्या में जाट युवकों को सेना में भर्ती करवाया. १९५१ से १९५५ के बीच राजस्थान में पुलिस प्रशासन का विस्तार हुआ तो बड़ी संख्या में किसानों के बच्चो को पुलिस में नौकरी दिलवाकर किसानों का बड़ा भला किया.
परिवार का उत्थान
जहाँ आपने किसानों के बच्चों की शिक्षा व उनको नौकरियों में लगाने पर ध्यान दिया, उसी तरह अपने परिवार के बच्चों की शिक्षा पर भी विशेष ध्यान रखा. आपके पाँच पुत्र और चार पुत्रियाँ थी और उनको सबको उच्च शिक्षा दिलवाई. आपके सबसे बड़े पुत्र श्री केसरीमलजी को ऊंची शिक्षा दिलाने के बाद व्यापार के साथ ही जाट बोर्डिंग हाऊस जोधपुर को संभालने का जिम्मा सौंपा. दूसरे पुत्र लालसिंह को ऍम ऐ , एल एल बी करवाने के बाद जोधपुर में हाकिम के पद पर नियुक्त कराया. जिन्होंने राजस्थान में विभिन्न पदों पर रहकर महत्त्व पूर्ण दायित्व निभाया. तीसरे पुत्रगंगाराम चौधरी को एल एल बी की शिक्षा दिलाकर वकालत में लगाया और समाज सेवा का अवसर दिया. बाद में गंगाराम चौधरी ने राजनीती में आकर राजस्थान के विभिन्न विभागों में मंत्री रहकर जनता की सेवा की. चोथे पुत्र खंगारमलजी तथा पांचवें पुत्र फतहसिंह्जी को भी उच्च शिक्षा दिलवाई. उस समय आपका परिवार मारवाड़ में काफी बड़ा और प्रगतिशील था.
राजनीती के माध्यम से समाज सेवा
१९५२ के प्रथम आम चुनाव से पहले १९५१ के आख़िर में मारवाड़ किसान सभा व राजस्थान किसान सभा का कांग्रेस में विलय हो जाने पर चौधरी रामदानजी भी कांग्रेस में सम्मिलित हो गए. १९५३ में नया पंचायती राज अधिनियम लागू हुआ. आपके प्रयासों से अनेक किसान सरपंच चुने गए. इसके बाद तहसील पंचायत के चुनाव हुए जिसमें १९५४ में आप बाड़मेर तहसील पंचायत के सरपंच चुने गए. बाड़मेर में १९५३ से १९५५ तक हुए भूमि-बंदोबस्त में भी किसानों का आपने व आपके पुत्र श्री गंगारामजी ने बराबर मार्गदर्शन किया. भूमि के वाजिब लगान निर्धारित करवाए. १९५७ में द्वितीय आम चुनाव में गुडामालानी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्यासी के रूप में चुनाव लड़ा और विजयी रहे. १९५७ से १९६२ तक विधायक रहते बहुत समाज सेवा की. इस दौरान बाड़मेर में डाकू उन्मुलक करवाया तथा जागीर जब्ती क़ानून में जागीरों का अधिग्रहण करवाया. १९५९ में गुडामलानी पंचायत समिती के प्रधान पद पर पुत्र गंगारामजी को निर्वाचित करवाया. १९६० में म्रत्यु-भोज निवारण अधिनियम पास करवाकर बाड़मेर के किसानों को बर्बादी से बचाया. १९६२ में श्री रामदानजी ने राजनीती से सन्यास ले लिया और अपने उत्तराधिकारी के रूप में श्री गंगारामजी चौधरी को १९६२ के तृतीय आम चुनाव में कांग्रेस से गुडामलानी से विधायक जितवाया. बाड़मेर एरिया में आपके द्वारा की गयी सेवा के कारण श्री गंगारामजी बराबर बाड़मेर से चुनाव जीतते रहे तथा राजस्थान सरकार में कई विभागों के मंत्री रहे.
शुक्रवार, 7 दिसंबर 2012
इन तस्वीरों में छिपी है सगी बहनों और डांस बार की एक शर्मनाक सच्चाई!
नागपुर. हैदराबाद निवासी दो बहनें शहर के बीयर बार में नाचते हुए पकड़ी गईं। पुलिस ने बुधवार की मध्यरात्रि में वर्धा मार्ग स्थित ओपेल तंदूर बार व रेस्टोरेंट में छापेमारी की।
इस दौरान 5 युवतियों, ग्राहकों व बार मालिक समेत 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया। विधानमंडल के शीतसत्र के पहले उपराजधानी में गुलजार हो रहे डांस बार का पर्दाफाश होने से पुलिस प्रशासन में भी हड़कंप मचा है।
सामाजिक सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालनेवाली पुलिस की अपराध शाखा की सक्रियता कसौटी पर है। पता चला है कि युवतियों को विशेष पैकेज पर स्टेज डांस के नाम पर बुलाया गया था। पुलिस मामले की जांच में जुटी है।
पकड़े गए आरोपियों में बार संचालक प्रवीण अशोक महाजन (40) निवासी स्नेहनगर, अर्पण दिलीप ठाकरे (20) इतवारी, राजेश श्रवणसिंह चौहान (45) मोहननगर, मनोज राजाराम सावरकर (45) पांचपावली व बृजेश रामनरेश पांडे (35) शिवणगांव मार्ग के अलावा मोनिका (25) निवासी भिलाई, चंचल (30) भिलाई, कविता (35) भिलाई, गीता (22) हैदराबाद व मनीषा (23) हैदराबाद शामिल हैं
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को ओपेल तंदूर बार में डांस चलने की गुप्त सूचना मिली थी। उपायुक्त चंद्रकुमार मीणा ने अपने अधीनस्थ अधिकारियों को छापा मारने के निर्देश दिए। छापामार दल में थानेदार तुकाराम वहिले के अलावा उपनिरीक्षक राहुल सूर्यतल, संजय गुप्ता, शैलेंद्र चौधरी, दीपक इंगले व किरण पाटील शामिल थे
नीलामी: 36 करोड़ में बिकी एंटीक और दुनिया की सबसे महंगी घड़ी
यह है दुनिया की सबसे महंगी घड़ी। इस घड़ी को 1795 में अब्राहम लुईस ब्रिगेट ने बनाया था।
स्विस वॉच कंपनी ब्रिगेट के संस्थापक लुईस लीडिंग वॉचमेकर के तौर पर जाने जाते थे। उनके द्वारा बनाई गई इन सिंपेथिक घड़ियों को नेपोलियन और ब्रिटेन के जॉर्ज चतुर्थ ने भी उपयोग किया है।
इनका इस्तेमाल स्पेन और रूस के राजघरानो में भी किया गया । अब ऐसी सिर्फ 10 से 12 घड़ियां ही अस्तित्व में हैं। लुईस द्वारा बनाई गई सोने की यह घड़ी करीब 37 करोड़ रुपए में बिकी।
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