अमरीका कांग्रेस में पहुंची पहली हिंदू सांसद
वाशिंगटन। अमरीका के हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में पहली बार कोई हिंदू सांसद चुनी गई है। इनका नाम है तुलसी गब्बार्ड। तुलसी डेमोक्रेट उम्मीदवार थी। उन्होंने हवाई से चुनाव लड़ा और रिपब्लिकन उम्मीदवार को भारी अंतर से हराया है।
उनकी जीत से हिंदू अमरीकन में खुशी की लहर दौड़ गई है। हिंदू अमरीकन समुदाय की संख्या 6 लाख से 2.3 मिलियन के बीच है। इनमें से ज्यादातर भारतीय मूल के अमरीकी नागरिक हैं। तुलसी का जन्म अमरीका के समोआ में हुआ था। उनके पिता कैथोलिक हैं जबकि मां हिंदू है। तुलसी 2002 में हवाई स्टेट लेजिसलेचर के लिए चुनी गई थी। उस समय उनकी उम्र मात्र 21 साल थी।
तुलनी ने कहा कि उनका विश्वास ही अमरीकी कांग्रेस में उनकी सबसे बड़ी पूंजी होगी। इससे अमरीका और भारत के बीच बेहतर समझ विकसित करने में मदद मिलेगी। यह साफ है कि भारत और अमरीका के बीच नजदीकी वर्किग रिलेशनशिप की जरूरत है।
वाशिंगटन में फैसले लेने वाले लोग अगर 800 मिलियन हिंदूओं के धार्मिक विश्वासों और मूल्यों के बारे में कम जानते हैं तो ये संबंध कैसे विकसित हो सकते हैं। तुलसी ने उम्मीद जताई कि कांग्रेस में अमरीकी के रूप में मौजूदगी से अमरीका की भारत के बारे में और भारत की अमरीका के बारे में समझ बढ़ेगी। उन्होंने इंडियन-अमरीकन के समर्थन का स्वागत किया है।
वाशिंगटन। अमरीका के हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में पहली बार कोई हिंदू सांसद चुनी गई है। इनका नाम है तुलसी गब्बार्ड। तुलसी डेमोक्रेट उम्मीदवार थी। उन्होंने हवाई से चुनाव लड़ा और रिपब्लिकन उम्मीदवार को भारी अंतर से हराया है।
उनकी जीत से हिंदू अमरीकन में खुशी की लहर दौड़ गई है। हिंदू अमरीकन समुदाय की संख्या 6 लाख से 2.3 मिलियन के बीच है। इनमें से ज्यादातर भारतीय मूल के अमरीकी नागरिक हैं। तुलसी का जन्म अमरीका के समोआ में हुआ था। उनके पिता कैथोलिक हैं जबकि मां हिंदू है। तुलसी 2002 में हवाई स्टेट लेजिसलेचर के लिए चुनी गई थी। उस समय उनकी उम्र मात्र 21 साल थी।
तुलनी ने कहा कि उनका विश्वास ही अमरीकी कांग्रेस में उनकी सबसे बड़ी पूंजी होगी। इससे अमरीका और भारत के बीच बेहतर समझ विकसित करने में मदद मिलेगी। यह साफ है कि भारत और अमरीका के बीच नजदीकी वर्किग रिलेशनशिप की जरूरत है।
वाशिंगटन में फैसले लेने वाले लोग अगर 800 मिलियन हिंदूओं के धार्मिक विश्वासों और मूल्यों के बारे में कम जानते हैं तो ये संबंध कैसे विकसित हो सकते हैं। तुलसी ने उम्मीद जताई कि कांग्रेस में अमरीकी के रूप में मौजूदगी से अमरीका की भारत के बारे में और भारत की अमरीका के बारे में समझ बढ़ेगी। उन्होंने इंडियन-अमरीकन के समर्थन का स्वागत किया है।