बुधवार, 7 नवंबर 2012

पार्टी ने दी क्लीन चिट,बच गई कुर्सी

पार्टी ने दी क्लीन चिट,बच गई कुर्सी

नई दिल्ली। वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों के मद्देनजर पार्टी के भीतर से सतह पर उठ रही आवाजों को नजरअंदाज करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को कहा कि वह अपने अध्यक्ष नितिन गडकरी के साथ खड़ी है और उसे उनपर पूरा भरोसा है। पार्टी ने साथ ही अपने नेताओं को हिदायत दी कि वे इस मसले पर सार्वजनिक चर्चा ना करें। पार्टी ने गडकरी पर लगे आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने न तो कानूनी तौर पर और न ही नैतिक आधार पर कुछ गलत किया है।

गडकरी पर लगे आरोपों और जाने-माने अधिवक्ता राम जेठमलानी की ओर से उठाए गए मुद्दों पर भाजपा नेताओं की दिन भर चली आपसी मुलाकातों के दौर के बाद शाम को मुख्यालय में पार्टी के शीर्ष नेताओं की एक बैठक हुई। पार्टी के शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी इस बैठक से दूर रहे।

बैठक के बाद प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने संवाददाताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली ने एक संयुक्त बयान जारी किया है। इसके मुताबिक पूर्ति समूह की जिन 18 कम्पनियों को लेकर गडकरी पर सवाल उठाए गए हैं, उनमें गडकरी ने कानूनी या नैतिक रूप से कुछ भी गलत नहीं किया है। पार्टी को गडकरी पर पूरा भरोसा है। उन्होंने खुद आगे आकर जांच की बात कही है।

पार्टी गडकरी के तर्कों से सहमत

भाजपा नेताओं की इस बैठक में एस. गुरूमूर्ति विशेष रूप से उपस्थित थे। बैठक के दौरान उन्होंने गडकरी पर लगे आरोपों से सभी भाजपा नेताओं को अवगत कराया। प्रसाद ने कहा कि गुरूमूर्ति एक जाने माने चार्टर्ड अकाउंटेट और वित्तीय विश्लेषक हैं। वह गडकरी पर लगे आरोपों को कानूनी रूप से देख रहे हैं। गडकरी की अनुपस्थिति में उन्होंने पूरे मामले से भाजपा नेताओं को अवगत कराया। पार्टी उनके तर्को से सहमत हुई। प्रसाद के मुताबिक गुरूमूर्ति इस बारे में सुबह ही वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को अवगत करा चुके थे इसलिए वह शाम की बैठक में उपस्थिति नहीं हुए जबकि मामला गडकरी से जुड़ा था, इसलिए वह जानबूझकर इस बैठक से दूर रहे।

उड़ती रही इस्तीफे की खबरें

इससे पहले दिन भर इस प्रकार की खबरें उड़ती रही कि गडकरी किसी भी वक्त इस्तीफा दे सकते हैं। इन खबरों को जाने-माने अधिवक्ता एवं राज्यसभा सदस्य राम जेठमलानी के बगावती तेवरों ने बल दिया जिसमें उन्होंने सीधे गडकरी के इस्तीफे की मांग की थी। गडकरी के खिलाफ खुले तौर पर बगावत का झंडा बुलंद करते हुए जेठमलानी ने दावा किया कि पार्टी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा, जसवंत सिंह और शत्रुघ्न सिन्हा भी उनके साथ हैं। जेठमलानी के मुताबिक ये सभी चाहते हैं कि गडकरी अपना पद छोड़ दें।

जेठमलानी ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि वे भी वैसा ही कदम उठाएंगे। हम एकमत हैं और मुझे इसमें कोई संशय नहीं है। उन्होंने अपने विचार सार्वजनिक नहीं किए हैं, मैं उम्मीद करता हूं कि वे जल्द ही अपने विचार प्रकट करेंगे। जेठमलानी ने इस सिलसिले में आडवाणी को पत्र भी लिखा था। जिसमें उन्होंने कहा है कि गडकरी का अध्यक्ष पद पर बने रहना भाजपा और देश के लिए एक त्रासदी है।

जेठमलानी ने अपने पत्र में कहा कि गडकरी को तुरंत इस्तीफा देने के लिए कहा जाना चाहिए और यदि पार्टी संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने तक इंतजार करती है तो यह देश के साथ विश्वासघात होगा। उन्होंने कहा कि लोगों को संदेह होने लगा है कि भाजपा के प्रमुख नेता भ्रष्ट सत्ताधारियों से मिले हुए हैं।

जानेमाने अधिवक्ता ने संवाददाताओं से कहा कि इसके अलावा, लोकसेवकों के इस्तीफे का दर्शन सरकारी कर्मचारियों के जीवन से मेल खाता है। यदि किसी लोकसेवक के खिलाफ कोई जांच चल रही होती है तो आमतौर पर उसे निलंबित कर दिया जाता है और दोषमुक्त हो जाने पर इज्जत के साथ उसे बुला लिया जाता है, गडकरी के साथ ठीक ऎसा ही होना चाहिए।

दिनभर मेल मुलाकात का दौर

इसके कुछ घंटों बाद ही भाजपा में बैठकों और मिलने जुलने का दौर शुरू हो गया। गडकरी ने लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली से अलग-अलग मुलाकात की। उधर कुछ नेताओं ने वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी से भी मुलाकात की। इस बीच, गुरूमूर्ति यशवंत सिन्हा और जसवंत सिंह से भी मिले। गुरूमर्ति ने आडवाणी से उनके आवास पर भी मुलाकात की।

इन मेल-मुलाकातों के बीच, सुषमा स्वराज ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट टि्वटर पर लिखा, "इस तरह की मीडिया रिपोर्ट बिल्कुल गलत है कि मैं नितिन गडकरी का समर्थन नहीं कर रही हूं। मैंने हमेशा उनका समर्थन किया है और मैं एक बार फिर उनके प्रति अपना समर्थन जाहिर करती हूं।"

विवेकानंद पर टिप्पणी,मांगी माफी

गडकरी की एक कम्पनी पर हाल ही में वित्तीय गड़बड़झाला का आरोप लगा है। उनके खिलाफ जांच चल ही रही है, इस बीच रविवार को बुद्धिमत्ता के स्तर पर स्वामी विवेकानंद और भगोड़ा अंडरवल्र्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की तुलना कर वह एक नए विवाद में फंस गए। विवेकानंद पर की गई टिप्पणी पर खेद जताते हुए गडकरी ने एक बयान में कहा, "मैं दोहराना चाहता हूं कि मैंने कभी भी स्वामी विवेकानंद की तुलना किसी से नहीं की। स्वामी विवेकानंद को उनकी छवि से किसी भी रूप में कमतर दिखाने का मेरा कोई इरादा नहीं था। यदि स्वामी विवेकानंद के सम्बंध में मेरे शब्दों से किसी भी रूप में लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं, तो मैं उसके लिए खेद प्रकट करता हूं।"

मनाने के बाद भी नहीं आए आडवाणी

माना जा रहा है कि आडवाणी गडकरी को अध्यक्ष पद पर दूसरी पारी देने के इच्छुक नहीं थे। उन्हें भनक लग गई थी कि बैठक में गडकरी के समर्थन में प्रस्ताव आएगा। इसलिए वे बैठक में नहीं गए। सुषमा से लेकर गुरूमूर्ति तक उन्हें मनाने गए। करीबियों की मानें तो आडवाणी भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेंस की नीति मानते हैं।

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