बुधवार, 7 नवंबर 2012

बराक ओबामा ने अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव जीता

बराक ओबामा

बराक ओबामा ने अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव जीता  
बराक ओबामा
कड़े संघर्ष के बाद आखिरकार बराक ओबामा ने अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव जीत लिया है. उन्‍होंने अपने प्रतिद्वंद्वी मिट रोमनी को शिकस्‍त दे दी है.

देश-दुनिया की निगाहें इस वक्‍त सुपरपावर अमेरिका की ओर टिकी हुई हैं, जहां राष्‍ट्रपति चुनाव में बराक ओबामा व मिट रोमनी के बीच कांटे की टक्‍कर के बाद ओबामा ने जीत हासिल की.

इंडियाना में जीत गए मिट रोमनी
अमेरिका में बराक ओबामा और मिट रोमनी के बीच ह्वाइट हाउस की रेस लगी है, लेकिन यह रेस आसान नहीं है. 270 के जादुई आंकड़े के लिए जो जंग है, उसमें कई रोमांच अभी से दिखने लगे हैं. कभी ओबामा आगे निकल रहे हैं, तो कभी रोमनी बढ़त बना रहे हैं. अब तक के जो रुझान और नतीजे सामने आए हैं, उनके मुताबिक ओबामा के खाते में 143 इलेक्टोरल वोट और रोमनी के खाते में 153 इलेक्टोरल वोट आ चुके हैं. ओबामा के लिए बड़ा झटका यह है कि जिस इंडियाना पर ओबामा ने पिछली बार फतेह हासिल की थी, वहां रोमनी जीत गए हैं.

न्यू हैम्पशायर में नतीजा 'ऐतिहासिक' बराबरी पर
राष्ट्रपति चुनाव के लिए न्यू हैम्पशायर राज्य के डिक्सविले नॉच कस्बे में हुए मतदान में नतीजे बराबरी पर आ गए हैं. डेमोक्रेट उम्मीदवार बराक ओबामा और उनके रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी मिट रोमनी को बराबर वोट मिले हैं. न्यू हैम्पशायर राज्य के पूर्वोत्तर छोर पर स्थित डिक्सविले नॉच कस्बे में राष्ट्रपति चुनाव के लिए मध्यरात्रि को मतदान हुआ, जिसमें ओबामा और रोमनी दोनों को यहां 5-5 वोट मिले हैं. यहां वर्ष 1960 से ही राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान के दिन मध्यरात्रि को वोट डलता आ रहा है.

डिक्सविले नॉच में सौ फीसदी मतदान
डिक्सविले नॉच में जबसे पहले मतदान की परम्परा शुरू हुई है, यहां 100 प्रतिशत मतदान होता आ रहा है. न्यू हैम्पशायर के मतदान कानून के अनुसार, यदि सभी पंजीकृत मतदाता आधिकारिक रूप से अपना वोट डाल देते हैं तो मतदान केंद्र बंद किया जा सकता है. यहां 10 पंजीकृत मतदाताओं के वोट डालने के कुछ बाद मध्यरात्रि को ही मतगणना हो गई.

कहीं ओबामा आगे, कहीं रोमनी
न्यू हैम्पशायर के एक अन्य छोटे शहर हैर्ट्स लोकेशन ने भी वर्ष 1940 के बाद मध्यरात्रि में मतदान की प्रक्रिया शुरू की. वहां ओबामा को 23 और रोमनी को नौ मत मिले.

दुनिया के हर देश में उत्‍सुकता
पूरी दुनिया में इस वक्त अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव ही सुर्खियों में है. अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति के चुनाव के रुझान और नतीजे तेज़ी से आ रहे हैं. न्यूयॉर्क से लेकर नई दिल्ली तक, कैलिफोर्निया से लेकर काबुल तक, मिशिगन से लेकर मास्को तक, शायद ही दुनिया का ऐसा कोई मुल्क हो, जहां अमेरिका चुनाव के नतीजों का इंतजार ना हो रहा हो.

बेचैन और बेकरार हैं ओबामा
बात जब दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क के, सबसे ताकतवर शख्स के चुनाव की हो, तो इस किस्म का इंतजार और ऐसी बैचेनी लाजिम भी है. लेकिन सबसे ज्यादा बेसब्री ओबामा और मिट रोमनी को है, जिनकी किस्मत दांव पर लगी है. दोबारा राष्ट्रपति बनने की आस लगाए ओबामा की बेचैनी उनके शब्दों में बयां होती है, 'मेरे दिल-ओ-दिमाग़ में तभी से खलबली मची हुई है, जब से मैंने दोबारा राष्ट्रपति चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया. बाक़ी सब कुछ जनता के फ़ैसले पर निर्भर करता है.'

ओबामा की इस बेताबी को समझा जा सकता है. उन्होंने जनता के बीच जाकर खूब पसीना बहाया है और अपने अधूरे कामों को पूरा करने के लिए अमेरिका की जनता से एक और कार्यकाल मांगा है.

रोमनी समझा रहे बदलाव की जरूरत
दूसरी ओर राष्ट्रपति की रेस में पहली बार किस्मत आजमाने उतरे रिपब्लिकन मिट रोमनी ने जनता को ये समझाने में जान लड़ा दी कि चार साल के बाद अब अमेरिका को बदलाव की ज़रूरत है.

ओबामा को दादी का आशीर्वाद
अब तक हुई वोटिंग से एक ही तस्वीर उभर कर सामने आ रही है कि मामला फिफ्टी-फिफ्टी का है और टक्कर कांटे की है. यह और बात है कि ओबामा को चाहने वालों को उन्हीं की जीत नज़र आ रही है. ऐसे लोगों में ओबामा की बूढ़ी दादी भी हैं. बराक ओबामा की दादी सारा ओबामा ने कहा, मेरा दिल कहता है कि वो जीत जाएगा. फिलहाल मैंने सबकुछ भगवान के ऊपर छोड़ दिया है.

कुछ अनुमान में तो यह भी कहा जा रहा है कि ओबामा और रोमनी को बराबर सीटें मिल सकती हैं और टाई हो सकता है. मतलब ओबामा और रोमनी को अभी थोड़ा और इंतजार करना होगा. इलेक्टोरल कॉलेज के वोटों की तस्वीर साफ होने के बाद ही दुनिया को पता चलेगा कि अमेरिका के मुकद्दर का अगला सिंकदर कौन होगा.


 

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