मंगलवार, 6 नवंबर 2012

सौदे से पहले पकड़े गए हथियारों के सौदागर


सौदे से पहले पकड़े गए हथियारों के सौदागर





भीलवाड़ा। हथियार बेचने मध्यप्रदेश से आए दो युवकों को स्थानीय एक युवक सहित भीमगंज पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इनसे दो पिस्टल व आठ जिंदा कारतूस बरामद हुए हैं। तीनों आरोपी सौदे से पहले हथियारों की परख करते समय पुलिस के हत्थे चढ़ गए।


एसपी डॉ. नितिनदीप बल्लगन ने बताया कि भीमगंज थाना प्रभारी नेमीचंद चौधरी सोमवार शाम तिलकनगर आउटर में गश्त कर रहे थे। सिद्धि विनायक अस्पताल के पीछे सुनसान जगह पर मौजूद तीन युवक पुलिस को देख झाडिय़ों में छिपने का प्रयास करने लगे। पुलिस ने तीनों को पकड़ा और पूछताछ की। युवकों ने खुद को मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले के गांव दोरार निवासी सुगर सिंह उर्फ अमन पाल पुत्र गोपीराम, राममोहन पाल पुत्र सवाईलाल पाल तथा भीलवाड़ा के भवानी नगर निवासी हरीश पुत्र छगन भरावा बताया। संदेह के आधार पर पुलिस ने इनकी तलाशी ली।


सुगर सिंह व राम मोहन के पास एक-एक पिस्टल व तीन-तीन कारतूस, जबकि हरीश के पास दो जिंदा कारतूस मिले। पुलिस ने हथियार बरामद कर तीनों को गिरफ्तार कर लिया। ग्वालियर के युवकों ने पुलिस को बताया कि वे हरीश के मार्फत हथियार बेचने के लिए यहां आए थे। हरीश भीमगंज थाने का हिस्ट्रीशीटर है। उसके खिलाफ पहले भी हथियारों की खरीद-फरोख्त व वाहन चोरी के मामले दर्ज हैं। उल्लेखनीय है कि भीमगंज पुलिस ने ही 16 जुलाई को पांच लोगों को गिरफ्तार कर चार हथियार बरामद किए थे।
लोडेड थी पिस्टल: भीमगंज थाना प्रभारी का कहना है कि पुलिस ने जब पिस्टल बरामद कर चेक की तो इनमें तीन-तीन कारतूस लोड थे। ये, दोनों फायर कर हरीश को हथियारों की परख कराने की फिराक में थे तभी पुलिस वहां पहुंच गई।

उदयपुर जेल में हुई पहचान: हरीश वाहन चोरी के मामले में करीब एक-डेढ़ साल पहले उदयपुर जेल में बंद था। इस दौरान मध्यप्रदेश के भी कुछ युवक जेल में थे। इन युवकों से मिलने के लिए सुगर सिंह व राम मोहन वहां आते थे। जेल में बंद युवकों के मार्फत इन दोनों से हरीश की पहचान हो गई। इनके बीच धंधे की बात भी हुई। हरीश ने इनसे बेचने के लिए हथियार मंगवाए थे।

25-25 हजार में बेचनी थी पिस्टल: आरोपियों ने पूछताछ में कबूला कि उन्होंने ये दोनों पिस्टल मध्यप्रदेश में विजय सिंह नाम के एक व्यक्ति से 15-15 हजार रुपए में खरीदी थी। वे ये दोनों पिस्टल 25-25 हजार रुपए में यहां बेचने वाले थे। सौदे के बाद मिलने वाली राशि में से हरीश को कमीशन देना था।

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