सोमवार, 5 नवंबर 2012

इंजेक्शन लगाकर आत्महत्या


इंजेक्शन लगाकर आत्महत्या  
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जयपुरजयपुर के महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे जोधपुर के मेडिकल छात्र शशांक संचेती (२२) ने रविवार दोपहर इंजेक्शन लगाकर आत्महत्या कर ली। शशांक फाइनल ईयर में पढ़ता था। उसकी सोमवार को परीक्षा थी। प्रथमदृष्टया जांच में सामने आया है कि शशांक डिप्रेशन में था। पुलिस को मौके पर इंजेक्शन की तीन खाली शीशी, तीन भरी हुई सीरिंज, गोलियों के खाली पत्ते और मेडिकल स्टोर की पर्ची मिली हैं। शशांक के गले में प्लास्टिक की रस्सी भी लिपटी हुई मिली। पोस्टमार्टम में दम घुटने से मौत होना नहीं आया है ऐसे में पुलिस का मानना है कि छात्र ने इंजेक्शन लगाने से पहले खुद ही गला घोंटने का प्रयास किया था। मौके पर सुसाइड नोट नहीं मिला है। पोस्टमार्टम के समय की गई जांच में दाहिनी जांघ और बाएं हाथ की बाजू पर इंजेक्शन लगाने के निशान मिले हैं। छात्र के कैंसर विशेषज्ञ पिता डॉ. सुरेश संचेती का जोधपुर में पाल लिंक रोड पर संचेती अस्पताल है।

मामले की जांच कर रहे एएसआई शिव सिंह ने बताया कि शशांक जयपुरिया अस्पताल के पास फ्लैट की तीसरी मंजिल पर अपने क्लासमेट दिल्ली निवासी समर्थ के साथ रहता था। रविवार सुबह समर्थ मेडिकल कॉलेज की लाइब्रेरी में पढऩे चला गया और शशांक तबीयत खराब होने की कहकर फ्लैट पर ही रुक गया। दोपहर में शशांक की मां डॉ. अमिता संचेती ने उसके मोबाइल पर फोन किया था लेकिन शशांक ने फोन नहीं उठाया। इसके बाद उन्होंने रूममेट समर्थ और उनके यहां खाना बनाने वाले अरविंद को फोन किया। समर्थ दोपहर 1.30 बजे कमरे पर आया। कमरा अंदर से बंद मिला। दरवाजा खटखटाने और काफी आवाज लगाने के बाद भी शशांक ने दरवाजा नहीं खोला। इसके बाद फ्लैट के गार्ड और उसी फ्लैट में रहने वाले अन्य लोगों ने धक्का देकर दरवाजा खोला। कमरे में शशांक मृत मिला। उसके गले में प्लास्टिक की रस्सी लिपटी हुई मिली। उसके पास दवाइयों के खाली रेपर, इंजेक्शन की खाली शीशी और सीरिंज पड़ी थी। इसके बाद समर्थ ने मुक्तानंद नगर निवासी शशांक के मामा दलपत लोढा को फोन किया। वे मौके पर पहुंचे और पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए जयपुरिया अस्पताल पहुंचाया। पोस्टमार्टम के बाद शव मामा को सौंप दिया गया।





आईमाता उणरी जोत सूं पीलै रंग रौ काजल पड़ै, जिणनै केसर केवै


आईमाता उणरी जोत सूं पीलै रंग रौ काजल पड़ै, जिणनै केसर केवै 
 
आईमाता रै रूप में पुजीजण वाली जीजी रौ जनम बीका नाम रै राजपूत रै घरै हुयौ हौ जिकौ डाबी वंस रौ हौ। जीजी रौ जनम वि.सं. 1472 रै आसै-पासै हुयौ। बीका डाबी कीं बगत बाद गुजरात रै अंबापुर नगर मांय आय'र रैवण लागियौ। जीजीबाई रौ सरू सूं ई देवी रौ पूरौ इष्टो हौ, सो अंबापुर मांय अंबायजी री सेवा करण लागी। जीजीबाई अणूंती रूपवती ही, सो ऊणरै रूप री चरचा सुण'र मांडल (मांडू) रौ बादसा महमूद खिलजी उणसूं ब्याव करणौ चावतौ हौ। वौ बीका डाबी नै बुलाय'र आ बात उणरै सामी राखी अर साथै औ ई कैयौ के जे थूं थारी लड़की री शादी म्हारै साथै नीं करैला, तौ म्हैं जबरदस्ती उठाय'र उणरै साथै ब्याव कर लूंला।

जद चिंता में पडियौड़ौ बीका डाबी घरै आयौ अर बेटी रै पूछियां सारी बात बताई तौ बेटी जीजीबाई बोली के आप चिन्ता मत करौ, उणनै तौ म्हैं आछी तरियां समझावूंला। पछै आपरै पिता नै कैयौ के आप जाय'र उण दुस्ट नै कैय आवौ के म्हैं म्हारी बेटी रौ ब्याव थारै साथै हिंदू मजहब रै मुताबिक करूंला, सो थांनै बरात लेय'र म्हारै गाम तांई आवणौ पडै़ला। जे आपनै गरीब समझ'र वौ कीं ई सामान साथ लिजावण सारू कैवै तौ आप मना कर दीजौ, कीं ई सामान मत लाईजौ। बीका डाबी जाय'र बादसा नै ब्याव री बात बताय दी। ब्याव रौ कोडायौ बादसा बात स्वीकार कर लीवी अर बरात लेय'र अंबापुर आय पूगियौ। जीजीबाई रै कैयां बीका डाबी बादसा री बरात नै तलाव माथै ठैराय'र कंवाररै भात रौ न्यूतौ देय आयौ। जीजीबाई अेक छोटी सी झूंपडी मांय बैठ'र बरात सारू जीमण रौ प्रबंध करि दियौ। बादसा रा आदमी आवता रैया अर जीमण रौ सामान लिजावता रैया। बादसा इचरज में पड़ग्यौ के अक गरीब राजबूत कनै इत्तौ सामान कठै सूं आयौ। कोई देवी करामात तौ उणरै कनै नीं? बादसा जांच करण नै सेवट उण झूंपड़ी कनै पूगियौ, जिण मांय जीजीबाई बैठी ही। तद जीजीबाई उणनै समझावण सारू झूंपडी सूं बारै निकली। बादसा नै अैड़ौ लखायौ मानौ कोई सिंघ सामी ऊभौ है। बादसा घबराग्यौ अर हेठै पड़ग्यौ। पछै प्रार्थना करण लागियौ के अम्मा, म्हैं भूल करी। म्हैं अबै थारै साचै रूप नै पिछाणग्यौ, अबै थूं म्हारां अपराधां नै छिमा कर। बादसा री प्रार्थना माथै जीजीबाई उणनै छोड दियौ अर हिंदुवां माथै लागण वाला केई 'कर' उणसूं छुडवाया। देवी जद तांी अंबापुर रैयी, बादसा तद तांी उणरै दरसणां सारू आया करतौ अर जोत सारू सामान भिजवाया करतौ।

कीं ई बगत में जीजी बाई री सिद्धाई री चरचा च्यारूंमेर फैलगी, सो जनता उणां रै दरसणां सारू आवण लागी। आपरी तपस्या में विघन पड़ता देख त माता-पिता रै साथै मेवाड़ राज्य में नारडाई में आयगी। कीं अरसै तांई अठै ठैर'र अखंड जोत थापन करी, पछै डायलाणै नाम रै गाम मांय आई। क्यूंकै गुजरात सूं मेवाड़ में देवी आई, सो जीजी रै स्थान माथै देवीजी नै लोग 'आईजी' रै नाम सूं बतलावण लागग्या। इण भांत जीजीबाई रौ नाम पैला देवीजी पड़ियौ अर पछै 'आईजी'।

डायलाणै मांय आईजी रै थरप्योड़ौ बड़ 'जीजीबड़' रै नाम सूं चावौ रैयौ। डायलाणै सूं रवाना हुय'र देवी पैला सोजत आई। उठै देवली रा दरसण करण नै राण कुंभा रा बेटा रायमल आया, जिका देस-निकालौ भुगत रैया हा। बाद में देवी रै कैयै मुजब रायमलजी मेवाड़ री राजगादी माथै बैठिया।

सोजत मांय कीं बगत बितायां रै बाद देवी वि.स.ं 1521 में बिलाड़ा आई। उण बगत बिलाड़ा रा अधिपति राव जोधाजी रा बेटा भारमलजी हा। देवी अबै घणी बूढ़ी हुय चुकी ही, सो तपस्या में विघन पड़तौ देख'र बिला सीरवी री ढाणी मांय रैवण लागी। वां दिनां भारमलजी रा कामदार जाणौजी रौ बेटौ किणी बात सूं रूठ'र रामपुरै गयौ परौ हौ, जठै वौ दीवाण बणग्यौ है। जद जाणौजी देवी कनै बेटै रौ ुख लेय'र गया तौ देवी कैयौ के थारौ बेटौ आणंद में है अर रामपुरै मांय दीवाण बणियौड़ौ है। तद जाणौजी देवी सूं प्रार्थना करी के हे मात, थूं माधवदास नै म्हारै सूं मिलवाय दै अर पछै थूं आपरै कनै राख। कीं बगत बाद देवी रै प्रताप सूं माधवदास रामपुर सूं आयग्यौ। बेटै नै देख'र जाणौजी रौ आणंद रौ पार नीं रैयौ अर वै उणनै माताजी रै चरणां में समरपित कर दियौ। माताजी माधवदास माथै आपरौ हाथ मेलियौ अर कैयौ के खूब भूलौ-फलौ। कीं बगत बाद माधवदास पाछौ रामपुरै गयौ अर रावजी सूं इजाजत लेय'र माताजी रै कनै आयग्यौ। उणरै पछै माताजी री इज सेवा मांय रैयौ। माताजी माधवदास रै डोरौ बांधियौ। माताजी माधवदास नै आपरौ प्रधान शिष्य बणायौ अर सगलै शिष्यां नै आग्या दीवी के औ माधव म्हारौ प्रधान है, इणरी आग्या थां सगलां नै मानणी पड़ैला। आं री शिष्य मंडली मांय सीरवी जात रा लोग बेसी हा।

माधवदास जीवण भर माताजी री सेवा मंय रैया अर बूढा हुय'र वि.सं. 1555 में सुरग सिधारिया। अबै माताजी उणां रै बेटै गोविंददास नै माधवदास री जगै प्रधान बणाया। गोविंददास नै औ पद वि.सं. 1557 रै माघ महीनै री चानणी दूज नै दियौ हौ, सो औ दिन डोराबंध लोग बडै उच्छब रै साथै मनावै। माताजी गोविन्ददास नै सगलै ई साधु-सेवकां री मंडली मांय उपदेश दियौ। वि.सं. 1550 सूं 1561 तांई भांत-भांत रा उपदेश दिया अर पछै आपरै सगलै ई अनुयायियां नै अेकठ कर'र कैयौ के आज म्हैं म्हारी जोत गोविन्दास मांय प्रगटूं। अैड़ौ कैय'र माताजी आपरै पाट स्थान कानी अेकांत मांय गोविन्ददास नै वचन सिद्धि री शक्ति दीवी अर सगली ई गुप्त योगाभ्यास री बातां ई समझाय दी। पछै आपरै पाट स्थान रा दरवाजा बंद करवा दिया। गोविन्ददास समेत माताजी पाट स्थान माथै सात दिन तांई बंद रैया। सातवैं दिन रोज जद दरवाजौ खोलियौ गयौ तो सगलां नै अेकाअेक जोरदार प्रकाश दीसियौ। सगलां री ई आंखियां चकाचूंध सूं बंद हुयगी। उणरै बाद गोविन्ददासजी रै पगां मांय सगला ई गिर पड़िया। गोविन्ददास सगलां नै अेकठ कर'र माताजी री आग्यावां समझाय दी।

आई माता रौ से सूं चावौ स्थान बिलाड़ा मांय इज है। अठै अेक भव्य मिंदर बणियौडौ़ है। आज ई बिलाड़ै मांय इणां री गादी अर दीवै री अखंड जोत रा दरसम करण नै हजारूं लोग आवै। अठै रा पुजारी दीवाण बाजै। इणां रा अनुयायी 'आईपंथ' रा 'डोराबंद' बाजै। दरअसल आई माता रै नाम रौ डोरौ बांधियौ जावै, जिणनै वै लोग 'बेल' कैवै। आईपंथी दारू-मांस रौ सेवन नीं करै। आईमाता रै स्थान नै अै लोग बढेर कैवै। हरेक बढेर मांय अेक कोटवाल हुवै जिकौ बढैर रौ काम करै। डोरेबंद नै 'बांढेरू' कैवै। इणां में जिकौ ई साधु हुय जावै। वौ आईजी री पूजा करै। लोग उणां नै 'बाबा' कैय'र बतलावै। आईमाता नै मानणिया घणकरा तौ सीरवी लोग इज है। आईपंथ रै सिद्धान्तां मुजब अै लौग गाड्या ई जावै।

हरेक महिनै रै चानणै पख री बीज नै आईमाता री पूजा हुवै। उण दिन डोराबंद आपरै घरां सूं तरै-तरै रौ भोजन बढेर मांय लावै। आईमाता नै चढायां रे बाद सब प्रसाद बांट दियौ जावै। रात रा आईमाता रै जस रा गीत गाईजै। इणरै अलावा तीन 'बीजां' माथै खास उच्छब हुवै। पैलौ भादवै सुदी बीज नै, दूजौ माघ सुदी बीज नै अर तीजौ बैसाख सुदी बीज नै। भादवै सुदी बीज नै नवी जोत पधराईजै।

बिलाड़ा रै आईमाता रौ बढेर आखै भारत रै सीरवी समाज अर आईपंथी लोगां रौ धारमिक धाम है। मारवाड़़ रै बिलाड़ा कस्बै मांय आईजी रौ मिंदर है। 'खारड़िया सीरवी' (मारवाड़ रौ इतिहास- श्री जगदीशसिंह गहलोत मुजब सीरवी अेक कृषक जात है, जिकी राजपूतां सूं निकली कैयी जावै। औ ई कैयौ जावै कै 13 वीं सदी में अै जालौर माथै राज करता हा। अलाउद्दीन खिलजी रै अत्याचारां सूं सताईज्या अै लोग बिलाड़ा मांय आय'र बसिया अर सीर में खेतीबाड़ी करण सारू लागिया, जिणसूं अै सीरवी कैयीज्या। बाद में आईजी नाम री अेक राजपूत महिला इणां नै आपरै पंथ मांय मिलाया।) आईजी नै आपरी कुलदेवी मानै। आईजी रै मिंदर मांय धी रौ अखंड दीयौ जलतौ रैवै। उणरी जोत सूं पीलै रंग रौ काजल पड़ै, जिणनै केसर केवै। काजल री पीली झंई नै आईजी माता री करामात रौ फल समझियौ जावै। आईजी रा अनुयायी उणां रै नाम रा डोरा बांधै। भादवै री चांनणी बीज आईजी रे लोकान्तरित री तिथ हुवण सूं उण दिन सीरवी परिवार त्यूंहार रै पूर में मनावै। सीरवी आईजी रै मिंदर नै 'दरगाह' ई कैवै अर उठै जाय'र दीयै री जोत अर बिछायोड़ी गादी रा दरसण कर आपरौ धिनभाग मानै।

रविवार, 4 नवंबर 2012

शराब तस्कर व जुआरी की धरपकड़ :



शराब तस्कर व जुआरी की धरपकड़ :

जैसलमेर  ममता राहुल पुलिस अधीक्षक जिला जैसलमेर के निर्देशन व श्री सायरसिंह वृताधिकारी वृत जैसलमेर के सुपरविजन व वीरेन्द्रसिंह नि.पु. थानाधिकारी पुलिस थाना जैसलमेर के नेतृत्व में शहर जैसलमेर में शराब तस्करों व जुआरियों के विरूद्ध रविवार  को अभियान चलाया जाकर निम्न कार्यवाही की गई : रविवार  दुर्गाराम उ.नि. मय कानि0 विक्रमसिंह नं0 580, बस्ताराम कानि0 द्वारा कस्बा जैसलमेर सत्यदेव पार्क सार्वजनिक स्थान पर पर्चीयों पर अंक लगाकर जुआ खेल रहे कैलाश पुरी पुत्र गोविन्द पुरी स्वामी नि0 ब्बि पाड़ा जैसलमेर को पकड़ कर उसके कब्जा से जुआ राशि 160 रूपये व जुआ आिशयाय बरामद किया गया। भगवानसिंह स.उ.नि. मय कानि0 गंगासिंह नं0 706, बालेन्द्रसिंह 364, गंगासिंह 105, जोरावरसिंह नं0 602 व जसवंतसिंह चालक द्वारा मुखबीर ईतला से बबर मगरा में अवैध शराब बेच रहे ज्ञानसिंह पुत्र सांगसिंह बैलदार नि0 बबर मगरा जैसलमेर के कब्जा से 14 बोतल बीयर व 12 पव्वे बरामद किये जाकर मुल्जिम को गिर0 किया गया।

कन्हैयालाल वक्र अध्यक्ष नियुक्त

जोशी वरिष्ठ नागरिक एवम पेंशनर प्रकोष्ठ

जिला कांग्रेस बाड़मेर के अध्यक्ष नियुक्त


बाड़मेर, 04 नवंबर। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस द्वारा सभी जिलों में वरिष्ठ नागरिक एवम पेंशनर प्रकोष्ठ खोलने का निर्णय लेते हुए कन्हैयालाल वक्र को बाड़मेर प्रकोष्ठ का जिलाध्यक्ष घोषित किया गया है। उन्हें जिला एवम ब्लॉक वाइज प्रकोष्ठों के गठन की जिम्मेदारी सौंपी है।


वक्र ने बताया कि बाड़मेर समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिये शीघ्र ही कांग्रेस की विचारधारा और रीतिनीति समर्थित वरिष्ठ नागरिकों और पेंशनरों से सम्पर्क कर प्रकोष्ठ का गठन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक ब्लॉक में ब्लॉक स्तर के प्रकोष्ठ गठित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी वरिष्ठ नागरिकों से सम्पर्क कर उनकी समस्याओं के निराकरण हेतु ग्रामीण अंचल तक के लोगों को जागरूक करने के सुनिश्चित प्रयास किये जायेंगे।

उन्होंने कांग्रेस के सभी उच्च पदाधिकारियों द्वारा उन पर किये गये विश्वास के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस निर्णय से निश्चित ही दूरस्थ गांवों में रहने वाले लोगों की आवाज को बल मिलेगा। इससे कांग्रेस के जनाधार को ब़ाने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि जिला, राज्य और केन्द्रीय स्तर के सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों के सहयोग से इस कार्यक्रम को सफल बनायेंगे।

पागलों का गांव- वादुरा



चेन्नई।। कड़क धूप और पैरों और हाथों में पड़ी लोहे की बेड़ियों के दर्द को नज़रअंदाज़ करते हुए राजू यानि राजेन्द्र धेरे ज़मीन पर झुक कर मिट्टी पर उंगली से अपना नाम उकेरने लगता है। राजू की उम्र और उसका काम पूछिए तो वो झट से जवाब देता है एक और कक्षा एक और बेफ़िक्री से यहां-वहां घूमने लगता है। लेकिन क्या यह उसकी असली उम्र है ?
mental illness 
40 साल के राजू का यह दुःख वादुरा गांव के लगभग हर घर में पसरा हुआ है। वादुरा अमरावती ज़िले के बीचों-बीच नांदगांव-खंडेश्वर ब्लॉक में बसा है और इस गांव की आबादी करीब 1800 है। विदर्भ के दूसरे इलाके हमेशा ही ग़रीब किसानों की आत्महत्या को लेकर सुर्खियों में रहे हैं। लेकिन यह गांव वादुरा या कहें कि पागलों का वादुरा, जैसा कि इसे दूसरे इलाकों में कहा जाता है, के पास परेशान होने के लिए एक दूसरी बड़ी वजह है। इस गांव को पागलपन या कहें कि दिमागी बीमारी का श्राप है जिससे बरसों से इस गांव के लोग जूझ रहे हैं और अब सरकार के हस्तक्षेप की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

इन गांव वालों को 2010 के ड्राफ्ट मेन्टल हेल्थ केयर बिल के बारे में कुछ भी नहीं पता, जिसके मुताबिक दिमागी बीमारी से जूझ रहे किसी भी व्यक्ति को बेड़ियों में जकड़ना कानूनन जुर्म है। राजू के परिवार का कहना है कि उसे बांध कर रखना ही उसे कंट्रोल में रखने का एकमात्र तरीका है। वो बताते हैं कि राजू अक्सर हिंसक हो जाता है। हमने उसे नागपुर स्थित स्थानीय मेन्टल हॉस्पिटल में तीन बार भर्ती करवाया लेकिन कोई फ़र्क नहीं पड़ा। राजू अपने छोटे भाई और उसकी पत्नी के साथ रहता है। राजू के पिता ने 3 साल पहले गरीबी से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी। गांव के लोगों ने बताया कि राजू को एक बहुत बुद्धिमान लड़का माना जाता था, जिसने बहुत कम उम्र में ही तैराकी सीख ली थी। लेकिन, उस प्रतिभा का कोई भी अंश आज राजू में दिखाई नहीं देता।इसी तरह इस गांव के 52 वर्षीय लक्ष्मण सतंगे उर्फ़ टाइगर में भी उनके जवानी के दिनों की कोई बात नज़र नहीं आती। वह अपने घर में ही घूमते रहते हैं या एक कोने में चुपचाप बैठ कर किसी भी चीज़ को घंटों तक एकटक देखते रहते हैं। कुछ ऐसा ही हाल उनके छोटे बेटे प्रभाकर का है। दो महीने पहले वह गांव भर में भटकता रहता था। लेकिन अब वह सिर्फ़ खुद से बात करता है, और ज़्यादातर वक़्त सोते हुए बिताता है।
पागलों का गांव नाम से जाना जाने वाले वादुरा में दिमागी बीमारी का अनुपात चिन्ताजनक रूप से बेहद ऊँचा है। लेकिन शायद सरकार को इस गाँव की तरफ़ देखने की फिलहाल फ़ुर्सत नहीं है।

पत्नी ने संबंध बनाने से मना किया तो पति ने कर दिया टुकड़े-टुकड़े

जम्मू. पत्नी ने संबंध बनाने से मना किया तो शराबी पति ने उसे मार डाला। शव के टुकड़े -टुकड़े कर जलाने का प्रयास किया। लेकिन साले ने लोगों की मदद से जीजा को पकड़वा दिया।
 
वारदात शनिवार रात दो बजे उधमपुर जिले के वैगड़ में हुई। पुलिस आरोपी पति मनचंद को गिरफ्तार कर लिया। दोनों का विवाह चार साल पहले ही हुआ था। पुलिस को आरोपी ने बताया कि पत्नी कांता ने उससे संबंध बनाने से मना कर दिया था।

उसका साला देशराज घर पर मिलने आया था। वह पत्नी को जबरन दूसरे कमरे में ले गया। वहां धारदार हथियार से उसके टुकड़े -टुकड़े कर दिए। शव को मिट्टी का तेल डालकर जलाने का प्रयास करने लगा। लेकिन उसके साले ने मोहल्ले के लोगों की मदद से उसे ऐसा करने से रोक दिया।

ये इंसान है या चलता फिरता ब्लड बैंक?



बाड़मेर : आम राय होती हैं कि इंसान खून का नाम सुनकर सन्न रह जाता हैं या यूँ कहे कि खून देखकर ही विचलित हो जाता हैं तो यह सही होगा। लेकिन पश्चिमी राजस्थान में एक और जहां राज्य सरकार ने अपने स्तर पर रक्तदान को महान बता कर इसके बारे में फैलाई गई भ्रांतियां तोड़ने की कई कोशिशे की हैं लेकिन इन सारी योजनाओं और कोशिशों से ज्यादा एक युवक का शगल ज्यादा भारी पड़ा है। इस युवक ने ना केवल अपने खून से कई जाने बचाई हैं बल्कि सबसे ज्यादा बार रक्तदान करने का रिकॉर्ड भी राज्य में बना दिया हैं। इस युवक का मानना हैं कि खून के रिश्ते को दुनिया का सबसे अटूट बंधन माना जाता है और अपनी रगों में बहते खून के चंद कतरे ''दान'' करके आप ऐसे अनजाने लोगो की जान निस्वार्थ भाव से बचा सकते हैं जो आपसे कभी मिले नहीं या फिर आपका कोई उनसे वास्ता नहीं रहा हो। इस युवक की मानसिकता से प्रभावित होकर बाड़मेर शहर में बहुत से लोग रक्तदान के महत्व को समझते हैं और अब तक सैकड़ों युवक इस युवक से प्रेरणा लेकर कई बार रक्तदान कर चुके हैं।








रतन भवानीरतन की सोच हैं कि रक्तदान को महादान माना जाता है। इससे रक्तदाता को आत्मसंतोष और किसी की जान बचाने का सुकुन हासिल होता है। स्वस्थ व्यक्ति हर तीन माह में एक बार रक्तदान कर सकता है और अगर देश का हर स्वस्थ नागरिक नियमित रूप से रक्तदान करे तो रक्त की कमी से किसी की मौत नहीं होगी। अब तक सत्तर से ज्यादा बार रक्तदान कर चुके 40 वर्षीय रतन भवानी ने बताया कि मैं कई सालों से रक्तदान कर रहा हूँ, साल में चार बार रक्तदान जरूर करता हूं। रक्तदान मेरे लिए दूसरों का जीवन बचाने और उनकी मदद करने का जरिया है। ब्लड डोनर के तौर पर मेरा खून बहुत से लोगों के काम आता है। बाड़मेर निवासी इस चलते फिरते ब्लड बैंक को लोग रतन भवानी से ज्यादा रक्त भवानी के नाम से जानते हैं और बड़ी इज्जत के साथ इनसे लोग मिलते भी हैं। 75 बार अपना खून गैरों की रगों में बहा कर उन्हें नवजीवन देने वाले इस साहसिक युवक की माने तो जब हर क्षण नया खून बनता हैं और पुराने खून का अस्तित्व खत्म हो जाता हैं तो हमे रक्तदान में किस बात की हिचक।

सैकड़ों रक्तदाताओं की टीम बना चुके हैं रतन : पहली बार रतन भवानी ने उस वक्त रक्तदान किया जब वे खेल के मैदान में खेल रहे थे और उन्हें सूचना मिली कि उनके पड़ोस में रहने वाली आठ साल की बच्ची छत से पतंग उड़ाते समय गिर गई हैं और उसे खून चाहिए, घरवालों के मना करने और काफी डर होने के बाद भी रतन सीधे अस्पताल पहुंचे ब्लड ग्रुप को चेक करवाया और किस्मत से ब्लडग्रुप वही निकला जो उस बच्ची को चाहिए था, बस फिर क्या था इस रक्तदान अभियान की शुरुआत हो गई और उसके बाद यह सिलसिला चल पड़ा। अब तक रतन भवानी कई लोगो को जीवनदान दे चुके हैं और साथ ही साथ रक्तदाताओं की ऐसी टीम बना चुके हैं, जिसके सदस्य पन्द्रह या बीस नहीं बल्कि डेढ़ सौ से ज्यादा हैं, जो हर आपातकाल में रक्तदान के लिए तत्पर रहते हैं। बाड़मेर अस्पताल में अब जब भी रक्तदान की बात आती हैं चिकित्सक से आम आदमी हर किसी के मुंह से सीधे यही वाक्य निकलता हैं कि रतन भवानी को पूछो। ऐसे में रतन भवानी और उनकी टीम बाड़मेर के लोगों की लाइफलाइन बन कर साबित हो रहे हैं। रतन भवानी के साथ इस रक्तदान के मिशन को उनके साथी संजय जोशी भी आगे बढ़ा रहे हैं। संजय जोशी पेशे से शारीरिक शिक्षक हैं और वो भी रतन भवानी के सम्पर्क में आने के बाद करीब चालीस बार रक्तदान कर चुके हैं। संजय जोशी के अनुसार पहली बार जब रक्तदान किया तो काफी भयभीत था लेकिन जब इस बात की संतुष्टि मिली कि इस खून से किसी को नई जिन्दगी मिली हैं तो भय भी खत्म हो गया और एक नए मिशन की नींव मन में स्थापित हो गई।

प्रशासन चाहे तो सैकड़ों रतन हो सकते हैं बाड़मेर में : दरअसल बाड़मेर के इस साहसिक रक्तदाता को कभी प्रशासन या सरकार ने प्रोत्साहित करने का प्रयास ही नहीं किया। एक बाद अस्पताल प्रशासन की अनुशंसा के आधार पर रतन भवानी को पन्द्रह अगस्त पर प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया, लेकिन उसके बाद कभी भी उनके इस हौसले की तारीफ करने को आगे नहीं आया। चाहे कवास में आई बाढ़ हो या फिर हर बाद मलेरिया की भीषण महामारी रतन भवानी हर बार अस्पताल में ब्लड बैंक के आगे ही नज़र आये। बाड़मेर में लोग रात को तीन बजे भी अगर फ़ोन कर लें रतन भवानी उनके सहयोग के लिए तत्पर नज़र आयेंगे, लेकिन ना जाने क्यूँ प्रशासन ने इस साहस का कभी अपने स्तर पर सम्मान करना उचित नहीं समझा, जिसके चलते रतन भवानी काफी व्यथित हैं। बाड़मेर जिला कलेक्टर कार्यालय में बतौर वरिष्ठ लिपिक कार्य करने वाले रतन भवानी कहते हैं कि सरकार और जिला प्रशासन कोई ऐसी मुहिम चलाए जिसके कारण युवा वर्ग रक्तदान के प्रति अग्रसर हो और उसके कारण कई लोगों की अकाल मौत ना हो पाए। रतन इस तरह के अभियान में अपनी सेवाएँ देने को हमेशा तैयार रहते हैं।



दूरदर्शन भी बना चुका हैं रतन पर टेलीफिल्म : रतन भवानी के रक्तदान के प्रति समर्पण और जज्बे के कारण दिल्ली दूरदर्शन ने दो एपिसोड की डॉक्युमेंट्री फिल्म जिसका नाम किरण था को शूट कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित किया था, जिसके बाद पूरे भारत में रतन भवानी का नाम हुआ और लोग उनसे जरिये पत्र और टेलीफोन सम्पर्क करने लगे साथ ही लोग उनसे पूछते थे कि रक्तदान करने से क्या मिलता हैं तो रतन उन्हें जवाब देते कि रक्तदान ने जिन्दगी बचाने का पुण्य और बार-बार रक्तदान करने का हौसला मिलता हैं।

बिहार को वाजिब हक दिलाकर दम लेंगे नीतीश

बिहार को वाजिब हक दिलाकर दम लेंगे नीतीश
Nitish Kumar government splurges Rs 50 crores on adhikar rally 

पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना के गांधी मैदान में रविवार को आयोजित अधिकार रैली में बिहार को उसका वाजिब हक दिलाकर ही दम लेने का संकल्प लिया। विशेष दर्जा के अपने अभियान के फलक का भी उन्होंने विस्तार किया और कहा कि विकास में राष्ट्रीय औसत से पीछे रहने वाले सभी राज्यों को विशेष दर्जा मिले। इसके लिए केंद्र सरकार अपनी विकास की नीति बदले। उन्होंने मार्च में अगली रैली दिल्ली के रामलीला मैदान में करने का भी एलान किया। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि रैली में पूरा बिहार आकर खड़ा हो गया है। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी जनता की इस आवाज को नजरअंदाज नहीं कर सकतीं।

नीतीश कुमार ने कहा कि विशेष दर्जा की मांग को लेकर वह लंबी लड़ाई लड़ेंगे। राजनीतिक दलों को उन्होंने स्पष्ट संकेत दे दिया कि 2014 में केंद्र में उसी पार्टी की सरकार बनेगी जो उनकी मांग का समर्थन करेगी। कहा, 'यह भी हमारा संकल्प है। सात सालों में हम आगे बढ़े हैं। दुनिया के सभी पिछड़े राज्यों में बिहार को देख उत्साह जगा है। यह कहा जा रहा है कि जब बिहार आगे बढ़ सकता है तो हम क्यों नहीं?' नीतीश ने मौके पर भीड़ से पूछा कि क्या हमारी युवा पीढ़ी इतना इंतजार कर सकती है। भीड़ ने काफी जोश में हाथ उठाकर कहा-'नहीं'।

मुख्यमंत्री ने कहा, 'इसी कारण हम विशेष दर्जा की मांग कर रहे हैं। तरक्की करने का हर बिहारी का भी हक है। हम यह अधिकार लेकर रहेंगे। सूबे की साढ़े दस करोड़ की आबादी को नजरअंदाज कर देश में समावेशी विकास कैसे होगा? जब सवा करोड़ बिहारियों के हस्ताक्षर के साथ जदयू का शिष्टमंडल प्रधानमंत्री से मिला तो उन्होंने विशेष दर्जा के सवाल पर अंतर मंत्रालयी समूह गठित किया। उसने अपनी रिपोर्ट में बिहार के पिछड़ेपन को स्वीकार किया, लेकिन हमारी मांग को खारिज कर दिया। हमारी मांग है कि इस सवाल पर केंद्र सरकार विशेषज्ञों की टीम गठित करे और सभी पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा दे। मांग पूरी न की गई तो मार्च में दिल्ली के रामलीला मैदान में अगली रैली करेंगे।'

शरद यादव ने इस मौके पर कहा कि प्रधानमंत्री व सोनिया जी देख लें कि आज रैली में पूरा बिहार खड़ा है। जेपी के नेतृत्व में जब बिहार खड़ा हुआ था तब इंदिरा गांधी जैसी ताकतवर नेत्री की सत्ता चली गई थी। बिहार ने हिंदुस्तान बदला है। संप्रग सरकार में हुए विभिन्न घोटालों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि 12 लाख करोड़ लूटा दिए गए। अगर एक लाख करोड़ भी बिहार को दे देते तो नीतीश कुमार के नेतृत्व में यह प्रदेश कहां से कहां चला जाता।

सात मिनट बाद फिर जिंदा हो उठा

सात मिनट बाद फिर जिंदा हो उठा

लंदन। लंदन के वोरसेस्टर शहर के एक कालेज में पढ़ने वाले 17 वर्षीय युवा की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई और वह करीब सात मिनट तक मृत रहा लेकिन उसके बाद अचानक उसके दिल की धड़कनें लौट आई। वोरसेस्टर कालेज आफ टेक्नोलाजी में इंजीनियरिंग का छात्र डेन एडवर्ड अपने कालेज की सीढियां चढ़ रहा था और अचानक दिल का दौरा पड़ने से वह सीढियों पर गिर गया।

डेन के टीचर माट हार्वुड ने बताया कि उन्होंने डेन के गिरने की आवाज सुनी और दौड़ कर उसे उठा कर उसकी नब्ज टटोली। इस दौरान कालेज प्रशासन ने अस्पताल फोन करके डाक्टरों को घटना की सूचना दी माट ने पाया कि उसके दिल की धड़कने बंद है उन्होंने तुरंत उसके हार्ट को पंप करना शुरू किया। देखते ही देखते वहां भीड़ लग गई और डेन के साथी भी उसे प्राथमिक उपचार देने में जुट गए।

सारे उपाय करके हार चुके टीचर और उनके दल ने देखा की डेन की हालत में कोई सुधार नहीं और सात मिनट तक उसके दिल की धडकने बंद पड़ी हैं। डेन के जिंदा होने की उम्मीद लगभग छोड़ चुके माट और उसके साथियों ने उसे अस्पताल पहुंचाया और सब को आश्चर्य में डालते हुए डेन वापस जिंदा हो गया। पूरी तरह ठीक हो जाने के बाद डेन ने बताया कि सीढियों पर गिरने के बाद उसे ऎसा लगा कि जैसे वह स्वीमिंग पूल में पड़ा और गहरी नींद में है। उसने बताया कि उस दौरान हल्की-हल्की आवाजें सुनाई पड़ रही थी पर वह कुछ कर नहीं पा रहा था।

जेल में कैद आतंकी कसाब को डेंगू!





मुंबई। मुंबई हमले के गुनहगार अजमल आमिर कसाब को डेंगू होने की खबर है। हालांकि तीन बार हुए टेस्ट में रिपोर्ट नेगेटिव आई है। कसाब बीते चार दिन से बुखार से पीडित है। कसाब मुंबई की आर्थर रोड जेल में कैद है।


रिपोर्ट की पुष्टि करते हुए जे.जे. अस्पताल के डीन टी.पी. लहाने ने कहा कि बुखार के लक्षण डेंगू की तरह थे लेकिन उन्होंने इस बीमारी के होने की सम्भावना से इनकार किया।


लहाने ने कहा कि चिकित्सक कसाब के स्वास्थ्य पर नजर रख रहे हैं। कसाब के कई परीक्षण किए गए हैं जिसमें डेंगू के लक्षण नहीं पाए गए। जेल अधिकारियों के अनुसार कसाब को अस्पताल में नहीं भेजा जाएगा। मुम्बई हमले के दोषी कसाब को मौत की सजा मिली है।

हाल ही में गृह मंत्रालय ने कसाब की दया याचिका खारिज कर दी थी। गृह मंत्रालय ने अपनी सिफारिश राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भेज दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कसाब की फांसी की सजा को बरकरार रखा था। निचली अदालत ने कसाब को फांसी की सजा सुनाई थी,जिसे उसने बोम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी लेकिन हाईकोर्ट ने उसे कोई राहत नहीं दी और फांसी की सजा बरकरार रखी।




उल्लेखनीय है कि 26 से 29 नवम्बर 2008 को 10 पाकिस्तानी आतंककारियों द्वारा किए गए हमले मं 166 लोगों की मौत हो गई थी। इसमें सभी आतंकी मारे गए थे जबकि कसाब को गिरफ्तार कर लिया गया था।

सोनिया-राहुल ने विपक्ष पर बोला हमला

सोनिया-राहुल ने विपक्ष पर बोला हमला

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी महासचिव राहुल गांधी ने जहां यूपीए सरकार की आर्थिक सुधार की नीतियों का पुरजोर समर्थन किया वहीं भाजपा पर हमला बोलते हुआ आरोप लगाया कि वह लोगों को बरगला रही है।

भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबी है भाजपा

दिल्ली के रामलीला मैदान में कांग्रेस की महारैली में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि भाजपा भ्रष्टाचार में पूरी तरह डूबी हुई है और देश में लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर कर रही है। सोनिया ने कहा कि भ्रष्टाचार कैंसर की बीमारी की तरह है और सरकार इसे खत्म करने के लिए दृढ़ संकल्प है। सरकार भ्रष्टाचार का पूरी शक्ति से मुकाबला करेगी और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।

लोकपाल के लिए संघर्ष जारी रहेगा

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस ही सूचना का अधिकार कानून लाई है और लोकपाल कानून बनाने के लिए भी पूरी तरह से प्रयासरत है। लोकसभा में इसे पास कराया गया लेकिन भाजपा ने इसे राज्यसभा में पास नहीं होने दिया। लोकपाल विधेयक को पास कराने तक कांग्रेस का संघर्ष जारी रहेगा और हमें उम्मीद है कि इसमें कामयाब होंगे।

लोकतंत्र को कमजोर करने की हो रही कोशिश

भाजपा का नाम लिए बगैर कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि जो लोग हमें भ्रष्टाचार पर भाषण देते हैं,वे खुद पूरी तरह से भ्रष्टाचार के कीचड में डूबे हुए हैं। उन्होंने कहा कि जो दूसरों के लिए गbा खोदता है,उसके लिए स्वयं कुआं तैयार रहता है। देश की जनता ने पहले 2004 और फिर 2009 में कांग्रेस में विश्वास व्यक्त किया जिसे हमारे कुछ राजनीतिक विरोधी अब तक पचा नहीं पाए।

वे चुनी सरकार को कमजोर करने में जुटे हुए हैं। संसद की कार्यवाही में बाधा डालकर जन कल्याण के कानून पास नहीं होने देते और महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा नहीं होने देना चाहते क्योंकि वे खुद भ्रष्टाचार के दलदल में फंसे हुए हैं और इससे उनका दोहरा चेहरा बेनकाब हो जाएगा। लोकतंत्र की बुनियाद कमजोर करने वाले लोग झूठे आरोप लगाने में भी संकोच नहीं करते। कांग्रेस ने देश में संसदीय लोकतंत्र की आधारशिला रखने में अहम भूमिका निभाई है और वह किसी को भी संविधान के साथ खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं देगी।

कांग्रेस ही बदल सकती है राजनीतिक सिस्टम

इससे पहले कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने कहा कि मौजूद राजनीतिक सिस्टम आम आदमी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। राहुल ने कहा कि कांग्रेस ही इस सिस्टम को बदल सकती है। राहुल गांधी ने कहा कि हम देश को बदलने आए हैं और इसके लिए सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह ने रास्ता दिखाया है। जबकि विपक्ष ने केवल बिना सोचे-समझे विरोध किया है।

उन्होंने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा रोजगार कार्यक्रम (मनरेगा)हमने ही शुरू किया। पारदर्शिता लाने के लिए आज जो भी कुछ हो रहा है वह आरटीआई के जरिए हो रहा है और यह आरटीआई हमने ही जनता को सौंपा है। हमारी सरकार ने ही हजारों करोड़ों का कर्ज माफ किया। जो आधी रोटी खाते है हम उसे पूरी रोटी देंगे। उनकी सरकार फिर से लोकपाल बिल लेकर आएगी और पास करवाएगी। राहुल ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि लोग विरोध करते हैं,रास्ता नहीं दिखाते। हमने दिखाया रास्ता है।

बाखासर में पाकिस्तानी घुस्पेठिया पकड़ा गया

बाखासर में पाकिस्तानी घुस्पेठिया पकड़ा गया


बाड़मेर भारत पाकिस्तान की बाड़मेर जिले की सरहद बाखासर के पास आज सुबह सीमा सुरक्षा बल ने पाकिस्तान से भारतीय  सीमा में घुसे एक पाकिस्तानी घुशापेथिये को पकड़  लिया .पाकिस्तानी घुस्पेठिये से बल पूछताछ कर रही हें ,सीमा सुरक्षा बल के सूत्रों ने बताया की रवीवार प्रातः छः बजे भाखासर सरहद पर पाकिस्तानी घुस्पेठीया प्रवेश कर गया ,सीमा सुरक्षा बल की 81 वीवाहिनी के जवानो ने उसे तार बंदी पर करते देख लिया .जवानो के ललकारने पर उसने समर्पण कर दिया बल ने उसे पकड़ लिया हें सूत्रानुसार बल उससे पूछताछ कर रहा हें ,अभी कोई विशेष जानकारी नहीं आई हें

पिता का साया सर से उठने के बावजूद ये बेटियां बनीं गांव का गौरव


पिता का साया सर से उठने के बावजूद ये बेटियां बनीं गांव का गौरव

बाड़मेर.  बालोतरा उपखंड के तिरसिंगड़ी चौहान गांव की विधवा महिला लेहरो देवी के पति का दो वर्ष पूर्व देहांत हुआ तो मानो उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। तीन बेटियों व सबसे छोटे बेटे की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई, वे एकदम टूट सी गई।

मगर आज उनका अपनी होनहार बेटियों की मेहनत के बूते साधन संपन्न परिवार हैं। घर में धन-धान की कोई कमी नहीं। सरपंच सहित गांव वाले भी लेहरोदेवी की बेटियों को गांव का गौरव मानते हैं।


अल सवेरे से काम पर जुट जाती हैं तीनों बहने
 

लेहरोदेवी की 12 वर्षीय बेटी मापू अलसवेरे बस में बालोतरा जाती है और वहां से अपनी दुकान के लिए ताजी सब्जियां खरीदकर लाती हैं। उनकी दूसरी बेटी शांति (16 वर्ष) फुटकर किराना की दुकान व आटा चक्की संभालती हैं और छोटी बेटी हुड़की भी दुकान में उसका सहयोग करती हैं।

करीब पांच सौ की आबादी वाले तिरसिंगड़ी चौहान गांव में इस दुकान पर बिक्री भी अच्छी चलती है। इतना ही नहीं ये अपने छोटे भाई नरपत को नियमित स्कूल भी भेजती हैं। वह गांव की स्कूल में तीसरी कक्षा में पढ़ रहा है।


दुर्घटना में उठा पिता का साया
करीब दो वर्ष पूर्व तिरसिंगड़ी चौहान गांव में अपनी दुकान पर मांगीलाल गवारिया एक ग्राहक की गाड़ी के टायर से पंचर निकालने के लिए टायर खोल रहे थे। तभी टायर की रिंग व व्हील उछलकर उनके सिर पर लगी। इससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी।

लेहरो देवी गर्व के साथ कहती है कि पति के देहांत के बाद मैं तो एकदम टूट गई थी, पर बेटियों ने हौसला बंधाया और दुकान का कामकाज पहले की तरह संभाल लिया। बेटियों के कारण ही लोगों के सामने हाथ फैलाने की नौबत नहीं आई।

भीनमाल एसएचओ सहित पांच के विरुद्ध मामला दर्ज करने के आदेश


भीनमाल एसएचओ सहित पांच के विरुद्ध मामला दर्ज करने के आदेश
कोर्ट परिसर से 1 नवंबर को तीन व्यक्तियों को जबरन जीप में डालकर थाने ले जाने व मारपीट का आरोप

भीनमाल एसीजेएम सीताराम खोवाल ने गुरुवार को न्यायालय परिसर से तीन व्यक्तियों को जबरन जीप में डालने, थाने ले जाकर मारपीट करने और रातभर लॉकअप में बंद रखने के मामले में जालोर एसपी को भीनमाल थानाधिकारी, एक एसआई और एक कांस्टेबल सहित पांच जनों के विरुद्ध मामला दर्ज करने के आदेश दिए हैं। न्यायालय ने यह आदेश पीडि़त की ओर से पेश किए गए इस्तगासे के आधार पर दिए। न्यायालय ने सुनवाई करते हुए मामले की जांच किसी निष्पक्ष अधिकारी से करवाने और फिर जांच रिपोर्ट न्यायालय में पेश करने के भी आदेश दिए हैं।

क्या है मामला : जानकारी के अनुसार अरणू निवासी चंदनसिंह पुत्र अजीतसिंह राजपूत ने एसीजेएम कोर्ट भीनमाल में इस्तगासा पेश कर बताया कि १ नवंबर को सवेरे १० बजे वह अपने काकाई भाई जोगसिंह व शैतानसिंह पुत्र लालसिंह, वगतसिंह पुत्र मोहबतसिंह और हड़मतसिंह पुत्र लालसिंह के साथ न्यायालय परिसर में पेशी संबंधी कार्य के लिए अधिवक्ता के पास बैठा हुआ था। इस दौरान एसआई माधोसिंह राजपुरोहित, कांस्टेबल बाबूलाल विश्नोई और जुंजाणी निवासी जबरसिंह पुत्र हकसिंह व मोडसिंह पुत्र खंगारसिंह राजपूत उनके पास आए और जमानत लेनेे की बात कहकर उसे तथा जोगसिंह व शैतानसिंह थाने लेकर चले गए। जहां पुलिस थाने में थानाधिकारी दिनेशकुमार व एसआई माधोसिंह ने उनके साथ मारपीट के बाद लॉकअप में बंद कर दिया और रातभर हवालात में बंद कर मारपीट की।

इनके खिलाफ होगा मामला दर्ज

न्यायालय द्वारा इस्तगासे के आधार पर दिए गए आदेश के बाद अब इसकी कॉपी थाने पहुंचेगी। जिसके बाद थानाधिकारी दिनेशकुमार व एसआई माधोसिंह सहित अन्य पांच जनों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा।

जिनके नाम पर मांगी फिरौती, वे खुद पहुंचे थाने


जिनके नाम पर मांगी फिरौती, वे खुद पहुंचे थाने

सायला के दो युवक थे तीन दिन से लापता
परिजनों का आरोप- अपहरणकर्ताओं ने मांगी थी दो लाख की फिरौती
तीन दिन बाद खुद ही बाड़मेर थाने पहुंचे युवक


सायला  कस्बे के दो युवकों का फिरौती के लिए अपहरण करने का मामला सामने आया है। हालांकि तीन दिन से लापता बताए जा रहे युवक शनिवार को बाड़मेर पुलिस थाने पहुंच गए। इधर परिजनों का आरोप है कि कुछ लोगों ने फिरौती के लिए उनका अपहरण किया था। लापता युवकों के परिजनों ने गुरुवार शाम को एएसपी पृथ्वीराज मीणा को अपहरण व फिरौती की मांगने का मामला दर्ज करने की मांग की थी। इसके बाद सायला पुलिस ने एक टीम शुक्रवार को युवकों की तलाश में भेजी थी।

पुलिस के अनुसार सायला निवासी ईश्वरलाल पुत्र कानाराम मेघवाल ने रिपोर्ट पेश कर बताया कि उसका पुत्र मुकेश व उसका दोस्त अमृत दोनों कलर का काम करते हैं। मजदूरी के बकाया रुपए लेने के लिए 30 अक्टूबर को दोनों मोटरसाइकिल से आलवाड़ा गए थे, लेकिन शाम को नहीं लौटे। इस पर रिश्तेदारों के यहां व अन्य स्थानों पर तलाश करने पर भी उनका पता नहीं चला। इसके अगले दिन 31 अक्टूबर को उसके मोबाइल पर किसी व्यक्ति का फोन आया कि अमृत व मुकेश का उसने अपहरण कर लिया है, अगर उनको जिंदा देखना चाहते हो तो दो लाख रुपए की फिरौती देनी होगी। इस व्यक्ति ने अपना नाम भेड़ाना निवासी केसा उर्फ किशन पुत्र मादाराम चौधरी बताया। साथ ही यह रकम सायला पुलिस थाने के सामने स्थित एक दुकान पर देने की बात कही। मामला सामने आने के बाद अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पृथ्वीराज मीणा ने सायला थाने में शुक्रवार को एक टीम गठित की। इधर, नाटकीय घटनाक्रम के तहत दोनों युवक शनिवार सवेरे अपने आप बाड़मेर कोतवाली पहुंच गए। इन युवकों को लेने के लिए सायला पुलिस की टीम हैड कांस्टेबल जयकिशन विश्नोई के नेतृत्व में बाड़मेर रवाना हो गई।

क्या कहते हैं परिजन

इस मामले में युवक मुकेश के पिता ईश्वरलाल का कहना है कि दोनों युवक रात को आरोपियों के चुंगल से भाग निकले और रात को बाड़मेर के एक मठ में रहे। इसके बाद पुलिस थाने पहुंच गए। हालांकि मामले में अपहरण की कहानी समझ से परे है। इनमें से एक युवक मुकेश का पिता आरसीसी का ठेकेदार है जबकि दूसरे युवक अमृत का पिता साइकिल के पंचर सुधारता है। ऐसे में केवल रुपए के लिए अपहरण की बात पुलिस की भी समझ से परे है।

अपहरण या कोई और कहानी!

हालांकि युवकों के परिजनों ने तो युवकों का फिरौती के लिए अपहरण होना बताया है, लेकिन पुलिस अभी तक इस नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है। इधर दोनों युवकों का अपने आप बाड़मेर पुलिस के सामने पेश होना भी संदेह पैदा करता है। पुलिस का इस बारे में कहना है कि युवकों से पूछताछ के बाद ही हकीकत सामने आ पाएगी।

पूछताछ के बाद सामने आएगी हकीकत

॥परिजनों ने दो युवकों का फिरौती के लिए अपहरण करने की बात कही थी। इस पर हमने टीम गठित कर उनकी तलाश में भेजी थी, लेकिन दोनों युवक शनिवार को बाड़मेर कोतवाली में पहुंच गए हैं। उनसे पूछताछ के बाद ही मामले की सच्चाई सामने आ पाएगी। - आनंद कुमार, थाना प्रभारी, सायला

॥परिजनों ने अपहरण की रिपोर्ट दी थी। हमने अपनी कार्रवाई शुरू कर दी थी, लेकिन दोनों युवक शनिवार को बाड़मेर कोतवाली पहुंच गए हैं। इनसे पूछताछ के बाद ही हम किसी नतीजे पर पहुंच पाएंगे। सत्येन्द्रपालसिंह, पुलिस उप अधीक्षक, जालोर