सोमवार, 22 अक्टूबर 2012

जर्मन दीवार तोड़ सायना ने जीता खिताब

जर्मन दीवार तोड़ सायना ने जीता खिताब

ओडेन्से (डेनमार्क)। ओलंपिक कांस्य पदकधारी बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल ने घुटने की समस्या के बावजूद रविवार को यहां दबदबे वाली जीत दर्ज करते हुए डेनमार्क ओपन सुपर सीरीज प्रीमियर ट्रॉफी अपने नाम की। यह साल का उनका चौथा खिताब है। 22 वर्षीय साइना लंदन ओलंपिक खेलों के बाद अपने पहले टूर्नामेंट में भाग ले रही थीं। उन्होंने छठी वरीय जर्मनी की जूलियन शेंक को 35 मिनट में 21-17, 21-8 से शिकस्त दी और अपना दूसरा सुपर सीरीज प्रीमियर खिताब जीता। उन्हें कुल 400,000 डालर की कुल ईनामी राशि में से 30,000 डालर मिले। साइना ने इस तरह शेंक के खिलाफ जीत में ओवरआल 6-3 की बढ़त हासिल कर ली।

मैच निर्घारित समय से कुछ मिनट बाद शुरू हुआ, क्योंकि स्टेडियम में गलती से "फायर अलार्म" बज गया था। दोनों खिलाड़ी कोर्ट पर अपने छोर पर इंतजार कर रही थीं, जिसमें शेंक काफी असहज दिख रही थी, जबकि साइना अंपायर के पास खड़ी हुई थी और उनके चेहरे पर मुस्कुराहट थी।

साल में अपना चौथा फाइनल खेल रही साइना ने सीधे चार अंक जुटाकर मजबूत शुरूआत की, जिसमें उन्होंने अपने पसंदीदा क्रासकोर्ट स्मैश लगाए। इस पर शेंक का कोई जवाब नहीं था। साइना ने सेमीफाइनल में दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी यिहान वैंग को हराया था। वे मैच के तीसरे मिनट में 8-2 से आगे हो गई, जिसमें पांच स्मैश विनर शामिल थे पर शेंक ने वापसी करते हुए 9-9 से बराबरी की। शेंक की रणनीति साइना को नेट के करीब लाकर फायदा उठाने की थी, जिसमें वे सफल भी रहीं और जर्मनी की इस खिलाड़ी ने 10-9 से बढ़त बना ली।

भारत की तीसरी वरीय साइना ने हालांकि अपने शानदार बेसलाइन गेम से वापसी करते हुए 15-12 की बढ़त बना ली। दुनिया की सातवें नंबर की खिलाड़ी शेंक ने काफी कोशिश की, लेकिन दोनों खिलाडियों के बीच अंतर बड़ा हो गया था। साइना ने नौवें स्मैश विनर से शुरूआती गेम 19 मिनट में अपने नाम कर लिया। दूसरे गेम में शेंक ने अपने बेसलाइन गेम में सुधार किया, लेकिन बे्रक तक साइना 11-7 से आगे हो गई थीं। साइना ने 20-8 की बढ़त के बाद आसानी से शेंक को हरा दिया।


जीत की भूख बरकरार
मैं डेनमार्क और भारतीय प्रशंसकों का शुक्रिया अदा करती हूं, जिन्होंने मेरा पूरा समर्थन किया। मैंने इस टूर्नामेंट में जीत की उम्मीद कभी नहीं की थी। ओलंपिक के बाद मैंने काफी चीजें की थी, जिससे मैं तरोताजा महसूस कर रही थी। हर टूर्नामेंट कठिन होता है। मैं दाएं घुटने को लेकर परेशान थी, लेकिन मैं भगवान का शुक्रिया अदा करती हूं कि मेरे अंदर खिताब जीतने के लिए ऊर्जा मौजूद थी।
साइना नेहवाल, भारतीय शटलर

शेंक से बदला पूरा
यह जीत साइना के लिए एक तरह से बदला चुकता करने की तरह ही थी, क्योंकि वे पिछले साल शेंक से सीधे गेम में हार गई थीं। साइना ने मार्च में 22 वर्ष की होने के बाद स्विस ओपन में दुनिया की दूसरे नंबर की खिलाड़ी चीन की शियान वैंग को हराकर अपने खिताब का बचाव किया था। जून में साइना ने इंडोनेशिया ओपन सुपर सीरीज प्रीमियर जीतने के बाद थाईलैंड ओपन ग्रां प्री खिताब जीता था। इंडोनेशिया ओपन में उन्होंने दुनिया की तीसरे नंबर की खिलाड़ी चीन की ली शुएरूई को हराया और यह उनका तीसरा इंडोनेशियाई ओपन खिताब था।

सांसद मिर्धा ने कहा, जिले की जनता को नहरी पानी पिलाना पहली प्राथमिकता



पानी के लिए जापान जाना पड़ा तो जाऊंगी'


नागौर


'जिले में नहर का पानी बहुत पहले आ जाना चाहिए था। मैं कोशिश में जुटी हूं। केंद्रीय वित्त मंत्रालय से लेकर राज्य सरकार से व जापान की सहयोग एजेंसी जायका से भी संपर्क में हूं। नहरी पानी मुहैया कराना मेरा ध्येय है। इसके लिए जापान का दौरा करना पड़ा तो करूंगी। हर हाल में नागौर वासियों को नहरी पानी मिलेगा।' यह कहना है सांसद डॉ. ज्योति मिर्धा का। यहां सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत में सांसद ने कहा जायका टीम के पास जो प्रोजेक्ट भेजा गया था उसमें 450 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी करवानी थी। इसके लिए केंद्रीय वित्त मंत्रालय से संपर्क किया गया। जापान की केबिनेट से प्रस्ताव को मंजूरी दिलवाई गई। यह प्रोजेक्ट जिले की जनता के लिए काफी महत्वपूर्ण है। नहरी पानी मिल जाए तो बड़ी समस्या हल होगी। कांग्रेस सरकार चाहती है प्रत्येक कस्बे व गांव में शीघ्र नहरी पानी पहुंचे। 

मार्च से पहले किस्त दिलाने के प्रयास

यहां ज्योति मिर्धा ने खुलासा किया कि जायका टीम से ऋण एग्रीमेंट हो गया है। इस वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले नहरी पानी की किश्त के लिए राज्य सरकार को पैसा मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट काफी बड़ा है, मगर हम यह काम पूरा करके रहेंगे।

किसानों के साथ हूं मैं

सांसद ने कहा कि वर्तमान हालात में किसानों की फसलें काफी खराब हुई है। हमने केंद्र सरकार के समक्ष प्रस्ताव रखा है। पानी की व्यवस्था स्थानीय स्तर पर अधिकारियों व राज्य सरकार को करनी है, उसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी बात की गई है। पशुपालकों को आसानी से चारा मिले इसके लिए केंद्र सरकार से मांग कर चारे पर अनुदान का आग्रह किया गया है। मिर्धा ने कहा कि किसानों की फसलें व्यापक स्तर पर खराब हुई है। इसके मुआवजे के लिए सरकार से बात कर सही रिकार्ड मंगवाया जा रहा है। किसानों की हर समस्या का समाधान हो इसके प्रयास किए जा रहे हैं।

मातृ शक्ति के दर्शन। गोडवाड़ के पाली, सिरोही व जालोर जिले पर माता की मेहर


सुंधा माता, जसवंतपुरा यहां होती है माता के सिर की पूजा 




मान्यता अरावली पर्वत शृंखला में 1220 मीटर की ऊंचाई में सुंधा पर्वत पर विराजीं हैं सुंधा माता। यह मंदिर जालोर जिले का प्रमुख धार्मिक स्थल है। भीनमाल उपखंड मुख्यालय से लगभग 35 किमी दूर यह स्थान रानीवाड़ा तहसील क्षेत्र के मालवाड़ा-जसवंतपुरा मार्ग के मध्य दांतलावास ग्राम के पास स्थित है। कहते हैं कि इस मंदिर की महिमा अपार है। शिलाखंड के नीचे स्थित मां चामुंडा की दर्शनीय प्रतिमा है। यहां माता के सिर की पूजा होती है। कहा जाता है कि मां चामुंडा का धड़ कोरटा और पैर सुंदरला पाळ (जालोर) में स्थापित है। यहां आने वाले दर्शनार्थियों की झोली माता खुशियों से भर देती हैं। यही वजह है कि देश-प्रदेश के बड़े-बड़े राजनेता भी अक्सर माता के दर्शनार्थ यहां आते हैं। राजस्थान के अलावा गुजरात से प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता की कृपा पाने यहां पहुंचते हैं। मनोहारी प्रकृति व बहते झरनों के बीच अरावली की तलहटी पर स्थित माता के दरबार में आकर हर कोई सुकून महसूस करता है। मां सुंधा माता का वर्तमान मंदिर सफेद संगमरमर से बना हुआ है। यहां भी देलवाड़ा मंदिर की तरह बने कलात्मक खंभे आकर्षण का केंद्र हैं। सुंधा अभिलेख का भारतीय इतिहास के संकलन में काफी योगदान मिलता है। मुख्य मंदिर में ही शिव-पार्वती की युगल प्रतिमा तथा भगवान गणेश की मूर्ति बहुत प्राचीन मूर्तियां हैं। नवरात्रि में मां सुंधा के दर्शन के लिए राजस्थान के अलावा गुजरात व देश के सुदूर क्षेत्रों से हजारों श्रद्धालु माता के दर्शनार्थ यहां आते हैं।


मां ने किया अमौजा राक्षस का वध

क्षेमकंरी माता, भीनमाल




जिला मुख्यालय से दूरी - 72 किलोमीटर दूर

भीनमाल के निकट दूर पहाड़ी पर स्थित क्षेमकंरी माताजी का मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था केंद्र बना है। कहते हैं कि मां क्षेमकंरी अपने भक्तों के सभी दुख हर लेती हैं। कई शताब्दियों पहले स्थापित इस मंदिर का इतिहास भी लोकगाथाओं में भी मिलता है। श्रीमाल पुराण में भी क्षेमकंरी माताजी के मंदिर की स्थापना का वर्णन मिलता है। हालांकि हस्तलिखित श्रीमाल पुराण की मात्र एक प्रति ही उपलब्ध बताई जा रही है, जो काफी प्राचीन है। श्रीमाल पुराण के 31वें अध्याय में बताया गया है कि एक समय अमौजा नामक राक्षस ने श्रीमाल नगर में अशांति तथा हिंसा का तांडव मचा रखा था। तब वहां तपस्या कर रहे हजारों तपस्वियों तथा श्रीमाली ब्राह्मणों ने देवी का आह्वान किया। उसी आह्वान के फलस्वरूप एक शक्ति का प्राकट्य हुआ, जिसने इस राक्षस को मार दिया तथा उसे एक पहाड़ी के नीचे दबा दिया। उसी समय से इस पहाड़ी की चोटी पर इस शक्ति की देवी के रूप में पूजा अर्चना की जाने लगी तथा इसलिए यह माता क्षेमकंरी मां के नाम से प्रसिद्ध हुई। मान्यता यह भी है कि राक्षस फिर से किसी को यातना न दे, इसलिए उसे पहाड़ी के नीचे दबाकर पहाड़ी की चोटी पर अपनी चरण पादुका रख दी। इसीलिए इस स्थान पर नई पगरखी या जूतों का दान सर्वश्रेष्ठ माना गया है। जानकार बताते हैं कि क्षेमकंरी मंदिर की स्थापना राजा वर्मलात ने विक्रम संवत 682 में की थी। क्षेमकंरी मंदिर की स्थापना का उल्लेख बसंतगढ़ शिलालेख में आज भी विद्यमान है। क्षेमकंरी परिहार, देवल व सोलंकी कुल की कुलदेवी है। मंदिर में पहले स्थापित माताजी की दो मूर्तियों में से एक क्षेमकंरी की तथा एक चामुंडा या महालक्ष्मी है। दोनों मूर्तियां वर्तमान में बाहर की ओर स्थापित हैं। लगभग 52 वर्ष पूर्व निकटवर्ती गांव भागल के एक व्यक्ति ने मंदिर में स्थापित यह मूर्तियां पहाड़ी से नीचे फेंक दी थीं, जिससे ये मूर्तियां खंडित हो गई थीं। खंडित होने के कारण इन मूर्तियों को बाहर की ओर स्थापित कर दिया गया तथा मंदिर में स्थानीय जनसहयोग से दूसरी मूर्तियां स्थापित की गईं।


माता करती है भक्तों की हर मुराद पूरी


आशापुरी माता, मोदरान





यह मंदिर कितना पुराना है, इस बात का पता लगाना बहुत मुश्किल है। फिर भी मंदिर परिसर से एक प्राचीन शिलालेख प्राप्त हुआ है जो विक्रम संवत 1532 का है। यानी, यह मंदिर इससे भी पुराना होगा। इस शिलालेख में इस मंदिर का प्राचीन नाम आशापुरी बताया गया है। आशापुरी का अर्थ होता है आशा पूरी करने वाली। इसीलिए कहते हैं कि आशापुरी माता के दर्शन मात्र से कई संकट दूर होते हैं तथा श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी होती है। कहते हैं कि सोनगरा चौहान नाडोल (पाली) से जालोर आए थे। सोनगरा शाखा के संस्थापक कीर्तिपाल ने ईस्वी 1181 में इस क्षेत्र पर अपना अधिकार जमाया और तब से 1314 ईस्वी तक यह क्षेत्र चौहानों के अधीन रहा। इस काल में आशापुरी देवी के मंदिर इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में बने।

वर्तमान में इस मंदिर में जो मूर्ति स्थापित है वह लगभग एक हजार साल पुरानी है और गुजरात के खेरालु नामक गांव के एक भोजक से प्राप्त कर यहां स्थापित की गई है। मंदिर के मुख्य गर्भगृह के बाहर चारों कोनों पर छोटे-छोटे देवालय स्थापित हैं। इसमें श्वेत संगमरमर के सात घोड़ों पर सवार भगवान सूर्यदेव की मूर्ति बड़ी ही आकर्षक और दर्शनीय है। एक देवालय में आदि विनायक गणेश विराजमान हैं, जबकि पीछे की ओर एक देवालय में भगवान विष्णु अपनी आदिशक्ति लक्ष्मी के साथ विराजित हैं। दूसरे देवालय में भगवान शंकर का अखाड़ा है। मुख्य मंदिर संगमरमर का बना हुआ है। मंदिर के चारों और परकोटा भी है। नवरात्रि में यहां मेले का आयोजन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं।

यहां होती है मां दुर्र्गा के छठे रूप की पूजा


मां अधर देवी, माउंटआबू




52 शक्ति पीठों में माउंट आबू स्थित मां अर्बुदा देवी भी एक हैं। यह ऐसा स्थान है, जहां दर्शन करके श्रद्धालु अपना सौभाग्य मानते हैं। अर्बुदा माता को अधर देवी भी कहते हैं। गुफा में विराजित कात्यायनी स्वरूप मां अधर देवी का गुणानुवाद कई पुराण में भी हैं। प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों ने यहां कड़ा तप और साधना भी की। प्रतिदिन देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां के दर्शनार्थ यहां पहुंचते हैं। चैत्र व शारदीय नवरात्र में तो यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शनार्थ आते हैं। कहते हैं कि अर्बुदा देवी के दर्शन से मन की हर मुराद पूरी होती है। वैसे यहां मां कात्यायनी अर्थात् मां दुर्गा के छठे रूप की भी पूजा पूरे साल होती है। पुराणों के अनुसार यहां पर मां के अधर गिरे थे, जिसकी वजह से ये अधर देवी के नाम से प्रसिद्ध हैं। इसके अलावा स्कंद महापुराण के अर्बुद खंड में देवी कात्यायनी महात्म्य का विस्तृत चरित्र वर्णन मिलता है। इसके अनुसार अर्बुदांचल में तप करने वाले ऋषियों को शुभ नामक दैत्य अत्यधिक परेशान करता था और हर समय उनके धार्मिक जप-तप में बाधा डालकर उन्हें भयभीत करता था। उन्हीं ऋषियों के द्वारा मां की आराधना करने पर देवी ने ऋषियों को यह अभय आशीर्वाद दिया कि वे कुछ समय के उपरांत शुंभ को मारने वाली कात्यायनी देवी के रूप में अवतरित होंगी। अर्बुद खंड के आधार पर अधर देवी मंदिर के पीछे की ओर एक किलोमीटर दूर जाने पर एक पादुका मंदिर आता है। इस मंदिर में मां के पंजों की छाप आज भी एक शिला के पर अंकित है।



न्यारी है माता की महिमा मां चामुंडा, मुंडारा





बाली तहसील के मुंडारा कस्बे में करीब दो सौ वर्षों से भी ज्यादा प्राचीन चामुंडा माता मंदिर की महिमा के कारण यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। प्रतिवर्ष यहां मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान व देश के अन्य हिस्सों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शनार्थ आते हैं। कहते हैं कि यहां माता से जो कामना करते हैं वो जरूर पूरी होती है। इस मंदिर के केंद्र में चामुंडा माता की दिव्य प्रतिमा स्थापित है। साथ ही मंदिर में हिंगलाज माता तथा करणी माता की प्रतिमाएं भी दर्शनीय है। कहा जाता है कि मां चामुंडा का जालोर के घूमड़ा (भाद्राजून) से पाली जिले के रानी गांव तथा वहां से कांगड़ी गांव होते हुए मुंडारा में आगमन हुआ। इस मंदिर की प्रतिष्ठा संवत् 1869 में माघ महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी (बसंत पंचमी) के दिन हुई थी। इसी उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष यहां बसंत पंचमी के दिन विशाल मेला लगता है।
















सरकार व्यवस्था के नाम पर खेल, खेल रही है: भाटी


सरकार व्यवस्था के नाम पर खेल, खेल रही है: भाटी



मोहनगढ़. मालिक बनो प्रदेश यात्रा रविवार को कस्बे में पहुंचने पर कोलायत विधायक देवीसिंह भाटी का ग्रामीणों ने भव्य स्वागत किया। मुख्य बाजार में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए विधायक भाटी ने कहा कि पीढिय़ों से खून पसीने की मेहनत कर जिस जमीन को रोक रखा है कि आने वाला समय हमारा होगा। मगर उस जमीन को आज सरकार बाहरी कंपनियों को बेच रही है। जो यहां की जनता कतई बर्दाश्त नहीं करेगी। आज सरकार जो व्यवस्था की बात कर रही है। वो मात्र एक खेल खेला जा रहा है। मोहनगढ़ में गोचर, ओरण की भूमि नहीं है। और यहां की जमीन शहरी लोगों को आबंटित की जा रही है। उन्होंने ग्रामीणों से आह्वान किया कि अगर आपका साथ मिले तो इस क्षेत्र की जमीन यहीं के लोगों को मिलेगी। आज भी देश में अंग्रेजों के बनाए नियम चल रहे है। अचला राम जाट ने कहा कि मोहनगढ़ इतना बड़ा क्षेत्र नहीं है। यहां के पशुधन के लिए गोचर भूमि आरक्षित नहीं है। उन्होंने नहरी पानी की समस्या से भी अवगत करवाया। हाथीसिंह ने कहा कि अभी समय है अपनी गोचर, ओरण तालब की जमीनों को बचाना व सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज कराना होगा। इस अवसर पर बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे। आलम सिंह, कुंदनसिंह, गायडसिंह, अलसेरखां, आलम खां, भंवरसिंह, राधेश्याम सैकड़ों लोगों ने सभा में हिस्सा लिया। मंच संचालन शंकरसिंह राजपुरोहित ने किया।

रामगढ़. मालिक बनो प्रदेश यात्रा के रामगढ़ पहुंचने पर ग्रामीणों ने ढोल नगाड़ों के साथ विधायक भाटी का स्वागत किया। इस मौके पूर्व उप सरपंच प्रतापसिंह सोलंकी ने विधायक भाटी का साफा पहनाकर अभिनंदन किया। सभा में वासुदेव खत्री, जेठमल सोलंकी, खेतसिंह सहित कई जनप्रतिनिधि व ग्रामीण उपस्थित थे। कस्बे के मुख्य बाजार में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए भाजपा नेता व कोलायत विधायक देवीसिंह भाटी ने कहा कि सरकार यहां पर विदेशी दुकानें खोलने की अनुमति देकर एक बार पुन: देश की जनता को गुलाम बनाना चाहती है। जनता को जागरूक होकर सरकार की नीतियों का विरोध करके मालिक बनना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि चुनाव के समय किए गए वादे सत्ता में आने के बाद पूरे नहीं किए जाते हैं। गांव की जमीन गांव के भूमिहीन को दी जाए, गांव के मुरब्बे गांव के भूमिहीन किसानों को दिए जाए। स्थानीय बाशिंदों की भूमि को बाहरी कंपनियों को देकर लोगों के साथ कुठाराघात किया जा रहा है। अंत में उन्होंने आम जनता से जागरूक होने का आह्वान किया। कार्यक्रम का संचालन कर रहे झबरसिंह ने विधायक भाटी को अवगत कराया कि रामगढ़ के भूमिहीन किसानों को सामान्य आवंटन नहीं किया गया हैं, यहां गोचर भूमि नाम मात्र की नहीं है, आस पास खली पड़ी भूमि को किसी न किसी माध्यम से आरक्षित कर दी गई हैं आदि समस्याओं से अवगत कराया।

मालिक बनो यात्रा पहुंची मोहनगढ़ व रामगढ़, विधायक देवीसिंह ने किया सभा को संबोधित

रेगिस्तान पर हुआ बादल मेहरबान




एक महीने पहले तक अकाल के साये में जीवन यापन कर रहे रेगिस्तानी इलाकों के लोगों को अब हरे-भरे खेत देखकर उम्मीद की किरण नजर आने लगी है. पिछले दिनों हुई अच्छी बरसात ने पूरे माहौल को बदल दिया है. चारों तरफ हरियाली की चादर बिछी हुई है, तालाब और नादियां लबालब भरे हुए हैं. बढिय़ा मॉनसून की वजह से राज्य के 33 में से 32 जिलों में खरीफ की शानदार फसल होने की संभावना है. इस साल करीब 10 जिलों में सामान्य से अधिक बारिश हुई है, 13 जिलों में सामान्य बारिश हुई है, जबकि नौ जिलों में 75 फीसदी से भी ज्यादा बारिश दर्ज की गई है.

मॉनसून में देरी की वजह से 27 जिलों में सूखे की स्थिति पैदा हो गई थी. लोग पानी की एक बूंद-बूंद के लिए तरस रहे थे और जब जुलाई बीत जाने के बाद भी रेगिस्तान पर बादल मेहरबान नहीं हुए तो पाकिस्तान सीमा पर बसे गांवों में सूखे सरीखे हालात पैदा हो गए. पशुओं के लिए चारा-पानी की कमी हो गई तो किसानों के लिए हाहाकार जैसी स्थिति पैदा हो गई थी.

अगस्त माह के दो-तीन सप्ताह तक जब बारिश की एक बूंद भी नहीं गिरी तो अशोक गहलोत सरकार ने रेगिस्तानी इलाके के पांच जिलों को सूखा घोषित कर दिया. सीमा पर रहने वाले लोगों के लिए खाने-पीने के लाले पड़ गए. लोग बादलों को मनाने के लिए कई टोटके करने लगे तो कोई राग मल्हार गाकर बादलों को खुश करने में लग गया. जब अगस्त माह के अंत तक बादल बरसने को राजी नहीं हुए तो सीमा पर बसे गांवों के लोगों ने यह मान लिया कि इस साल सूखे के साथ जिंदगी बितानी पड़ेगी.

लेकिन सितंबर के पहले सप्ताह में बादल इस कदर मेहरबान हो गए कि पूरे रेगिस्तान में झमाझम बारिश होने लगी और इतना पानी बरसा कि कई नाले और तालाब उफन गए. लोग जिस बारिश की बूंदों के लिए तरस रहे थे, उन्हीं की वजह से उनके सामने आफत खड़ी हो गई और उनका जीना मुहाल हो गया.

5 सितंबर को सूखे का जायजा लेने के लिए केंद्रीय अध्ययन दल नागौर, बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर और जोधपुर आया, जिसने सीमा के दर्जनों गांवों का दौरा किया और लोगों की समस्याओं के बारे में पूछताछ की. मजे की बात यह थी कि केंद्रीय दल जहां-जहां जाता, एक रात पहले ही वहां जोरदार बारिश हो चुकी होती थी. दल को हर जगह पानी-ही-पानी भरा मिलता. जैसलमेर आए केंद्रीय अध्ययन दल के मुखिया यू.के. सिंह के अनुसार, समय पर बारिश न होने की वजह से इन इलाकों में फसल थोड़ी कम हो पाएगी, लेकिन किसानों को निराश नहीं होना पड़ेगा. गौरतलब है कि सिर्फ जैसलमेर ही इकलौता रेगिस्तानी जिला है, जहां सामान्य से कम बारिश होने की वजह से मात्र 37 फीसदी बुआई हो सकी. बहरहाल, इस दल के जाने के बाद रेगिस्तान में इस कदर बारिश हुई कि बाड़मेर शहर की निचली बस्तियों में पानी घुस गया, कई सड़कें पानी में बह गईं तो मुनाबाओ रेल खंड की पटरियों के नीचे की रेत बह गई.

लेकिन बढिय़ा मॉनसून की वजह से किसानों को अतिरिक्त जमीन पर बुआई करने का मौका मिल गया. कृषि निदेशालय के प्रवक्ता के मुताबिक, राज्य में पहले 1.5 करोड़ हेक्टेयर में बुआई का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन किसानों ने 15 सितंबर तक अतिरिक्त 38.40 लाख हेक्टेयर में बुआई की. निदेशालय के मुताबिक, 10 जिलों में लक्ष्य से ज्यादा बुआई हुई है, और 13 जिलों में 90 फीसदी से ज्यादा बुआई हुई है. नौ जिलों ने 60 से 89 फीसदी तक लक्ष्य हासिल कर लिया है. आज उनके खेतों में हरियाली है. उन्हें मूंगफली, सूरजमुखी, सोयाबीन, मक्का, बाजरा और कपास की अच्छी फसल होने की उम्मीद है. सबसे ज्यादा फायदा तो लाखों पशुओं को हुआ है, जिनके सामने पहले चारे का संकट था.

मॉनसून के अंतिम चरण में जोरदार बारिश से न केवल खरीफ की बंपर फसल की संभावना है बल्कि रबी की फसल भी बेहतर हो सकती है. किसान इस महीने से रबी की फसल की तैयारी कर रहे हैं. लेकिन एक ओर जहां उनके ऊपर प्रकृति मेहरबान है, वहीं उन्हें सरकार से कोई राहत नहीं मिल पा रही है. उन्हें फर्टिलाइजर और डीजल की कीमत में इजाफे की मार झेलनी पड़ेगी. यही नहीं, रबी की फसल के लिए उन्हें प्रमाणित बीज के लिए 45 फीसदी अतिरिक्त पैसा चुकाना होगा.

बहरहाल, राजस्थान में पिछले कुछ समय से मौसम का मिजाज बदल रहा है. अकाल और रेगिस्तान एक-दूसरे के पर्याय हुआ करते थे. पहली बार रेगिस्तान में 2006 में भयंकर बारिश से बाढ़ आई. उसके बाद हर साल राज्य के रेगिस्तानी इलाकों में बारिश हो रही है. बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर और जोधपुर जैसे रेगिस्तानी जिलों में औसत से अधिक बारिश हुई.

वैज्ञानिक डॉ. जे.पी. सिंह के अनुसार, ''मौसम में बदलाव का सबसे बड़ा कारण ग्लोबल वार्मिंग है. पूरी दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग के कारण जो उठापटक हो रही है, उसका असर मौसम पर पड़ा है. राजस्थान में इसका असर नजर आ रहा है. अब हम पहले की तरह अनुमान नहीं लगा सकते कि मॉनसून कब आएगा.” माना जा रहा है कि मौसम में बदलाव की वजह से आने वाले समय में राज्य का बड़ा हिस्सा खेती योग्य हो जाएगा. कहते हैं, हर चीज के दो पहलू होते हैं. राजस्थान के लोग ग्लोबल वार्मिंग के सुखद पहलू को देख रहे हैं.

तेमड़े राय ,पनोधरराय ,माता मंदिर जैसलमेर




तेमड़े राय माता मंदिर जैसलमेर


श्री तेमड़े राय मन्दिर : यह स्थान जैसलमेर शहर से २५ की. मी. दक्षिण की तरफ़ बना हुवा हें! इस स्थान को दूसरा हिंगलाज स्थान के नाम से जाना जाता हें ! इस पर्वत पर तेमड़ा नामक विशालकाय हुण जाति का असुर रहता था ! जिसको मातेश्वरी ने उक्त पर्वत की गुफा मे गाढ दिया था उसके ऊपर एक भयंकर पत्थर रख दिया था जो आज भी वहा मोजूद हें ! यहाँ मातेश्वरी ने काफी समय निवास किया ! मैया का परिवार कुछ समय इस माड़ प्रदेश मे रहा फ़िर वापिस कच्छ प्रान्त अपने वतन को चले गए ! मातेश्वरी ने सन ९९९ को सातों बहनों सहित हिंगलाज धाम को गमन किया ! तब तत्कालीन शाशक श्री देवराज ने इस पर्वत पर मन्दिर बनाया ! यहाँ मेलार्थी आने लगे ! मैया के प्रति भक्तो की आस्था मे बढोतरी हो गई ! वर्त्तमान मे हजारो आदमी पैदल व अपने साधनों से प्रति वर्ष मैया के आलोलिक रूप का दर्शन करते हें ! मैया सब की पुकार सुनती हें अभी कुछ सालो पहले किसी ने चार भुजा धरी शेरो वाली मैया की मूर्ति स्थापित कर दी मैया की प्रत्येक मूर्ति सात रूपों मे हें ! मैया सबकी रक्षा करे !!!!

पनोधरराय मंदिर

आवड़ा माता का यह स्थान मोहनगढ़ से ६ की. मी. उतर की और सिथत हे उसके चारो और रेत के टीले हें पुराने समय मे इस जगह पर एक कच्चा मन्दिर था उसके पास एक खेजड़ी का पुराना वृक्ष था जिसके निचे पानी का कुवा था ! यहाँ पर पुराने समय मे लाड जाती का एक मुसलमान भेड बकरिया चराया करता था व खेजड़ी वृक्ष के खोखे खाया करता था , एक दिन अचानक खोखे लेते हुवे पैर फिसलने से कुवे मे गिर गया ! कुवा बहोत गहरा था ! फ़िर भी वही व्यक्ति अनार्य होते हुवे उक्त देवी का स्मरण मन ही मन करने लगा ! उसके घरवालो ने चार पाँच दिन तक खोज ख़बर ली आख़िर फिरते हुवे कुवे के पास आए तो उसने आवाज दी मे सकुशल पाच दिन से कुवे मे बता हू , खाने के लिए मैया खेजड़ी के खोखे डाल रही हें , पीने को पानी हें मुझे इस खेजड़ी वाली मैया ने बचाया हें ! उसको बहार निकला गया वह शुद्ध भावः से मैया की वंदना करने लगा ! कहते हें उक्त मुसलमान का नाम पनु था , उसका मैया ने उद्धार किया इसलिए उक्त स्थान को पनोधरी रायके नाम से लोग पुकारने लगे , वर्तमान मे बड़ा भव्य मन्दिर बना हुवा हें !!

जाति गुणे जोगनी , धावे जो चित ध्यान ! पड्यो नाम पनोधरी पूजे लाड प्रधान !

रविवार, 21 अक्टूबर 2012

मुन्ना भाई सांप वाला वो बचाता है जिंदगियां

मुन्ना भाई सांप वाला  वो बचाता है जिंदगियां


करता है साँपों से मुहब्बत

-सिकंदर शैख़
Sikandar Shaikh

साँपों का नाम सुनते ही शरीर में एक कंपकंपी सी दौड़ जाती है, और इस रेंगने वाले जीव से हर कोई दूर ही रहना पसंद करता है , हालांकि कई सपेरे जैसी जातियां इनके साथ ही पलती बढती है मगर आज कल उन्होंने भी इनसे खेलना बंद कर दिया है, मगर जैसलमेर में जैन परिवार में जन्मे मुन्ना का तो मानो यही काम है , साँपों से लोगों की इन्दगी बचाना ही उसका मकसद नहीं है वरन साँपों को भी बचाना मानो उसकी ही ज़िन्दगी का एक हिस्सा बन गया है ,


भारत -पाक सीमा पर बसा जैसलमेर क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा जिला है और सुदूर इलाकूं में बसी बस्तियां जहाँ बरसात के मौसम में सबसे ज्यादा साँपों से नुक्सान का भय बना रहता है , बरसात के दिन आते ही साँपों के काटने की घटनाएं बढ़ जाती है और जैसलमेर जैसे सीमावर्ती जिले में तो ग्रामीण इलाकों से ऐसी घटनाए आम है, लोग इन साँपों से बचने के लिए जरूरी उपाय तो करते ही है मगर कभी कभी साँपों को मार भी डालते हैं, ऐसे में एक सख्स ऐसा ब्व्ही है जो इन साँपों से लोगों की जिंदगियां तो बचाता ही है साथ ही साथ लोगों से इन साँपों की जिंदगियां भी बचाता है,

जैसलमेर शहर में एक जैन परिवार में जन्मे मुन्ना की ज़िन्दगी का तो यही मकसद लगता है , शहर में जब भी कोई सांप निकलता है तो लोगों की ज़बान पर एक ही नाम आता है मुन्ना भाई।।।
मुन्ना भाई इस शहर में मुन्ना भाई सांप वाला" के नाम से मशहूर हो गया है , वो इन साँपों को पकड़ता है और इन्हें दूर निर्जन स्थानों पर छोड़ देता है ताकि सांप को कोई नुक्सान नहीं पहुंचे

मुन्ना बताता है की " बचपन में वो मदारियों को साँपों के साथ खेलते देखता था तब से उसको ये सब बहुत अच्छा लगने लगा, उसके बाद मवो जब महारष्ट्र रहते थे तब स्कूल में सांप निकलते थे तो वो उनको पकड़ लेता और लोगों से छोड़ देता था क्योंकि उसको दर रहता था की कोई इन खूबसूरत साँपों को मार न दे" फिर यहाँ जैसलमेर आने पर उसने देखा की काफी तादाद में साँपों के काटने की घटनाये होती है और लोग उनको मार डालते थे जिससे उसने ये बीड़ा उठाया की वो इनको मरने नहीं देगा . और फिर तबसे मुन्ना कोई काम नहीं करता है बस वो इन साँपों को बचने की धुन में ही लगा रहता है
ऐसा नहीं है की मुन्ना को साँपों ने कभी काटा नहीं है मुन्ना कहता है की उसको चार बार साँपों ने काटा है मगर लोगों को साँपों से बचने और साँपों की जिंदगियां बचने के लिए उसको अपने प्राणों की भी चिंता नहीं है

जर्मनी में भारतीयों को फ्री एज्युकेशन

जर्मनी में भारतीयों को फ्री एज्युकेशन

नई दिल्ली। भारत में चाहे बच्चों को शिक्षा प्रदान हो या न हो लेकिन गुणवक्ता वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार के लिए मशहूर जर्मनी ने प्रतिभाशाली भारतीय छात्रों को मुफ्त में शिक्षा प्रदान करने का फैसला लिया है। जर्मनी के प्रतिनिधियों का कहना है कि यह फैसला छात्रों का प्रोत्साहन बढ़ाने के लिए किया गया है। जर्मनी विश्वविद्यालयों में फीस न होना भी इसी का एक हिस्सा है।

जर्मनी के प्रतिनिधि माइकल स्टैनर का कहना है कि जर्मनी में पढ़ाई के लिए छात्रों को फीस नहीं देनी होगी। छात्रों को केवल वहां रहने तथा वहां तक पहुंचने का खर्चा उठाना होगा।

उनके अनुसार वर्तमान में लगभग 6000 भारतीय छात्र जर्मनी में पढ़ाई कर रहें हैं। लेकिन वे चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा छात्र वहां आए और पढ़ाई करें।

शादी से इनकार पर 15 लाख हर्जाना!

शादी से इनकार पर 15 लाख हर्जाना!

राजगढ़। मध्य प्रदेश के राजगढ़ में एक किशोरी ने बचपन में तय किए गए रिश्ते को मानने से इनकार कर दिया तो वर पक्ष ने हर्जाना के तौर पर उसके परिवार से 15 लाख रूपए की मांग की और हर्जाना न देने पर गांव को आग के हवाले करने की चेतावनी भी दे डाली। नातरा प्रथा के कारण किशोरी का परिवार भारी मुसीबत में फंस गया है।

यह मामला महिला जनसुनवाई के दौरान सामने आया है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आर.के.एस. सगर ने रविवार को बताया कि राजगढ़ इलाके के बारमा मलवर की एक लड़की ने शिकायत की है कि वह अभी 10वीं में पढ़ रही है और उस पर शादी का दवाब है। वह उससे शादी नहीं करना चाहती, जिससे बचपन में रिश्ता तय हुआ था।

जानकारी के अनुसार, राजगढ़ व उसके आसपास के इलाके में नातरा प्रथा प्रचलित है। इस प्रथा के मुताबिक लड़का व लड़की जब कुछ माह के होते हैं, तभी उनका रिश्ता तय कर दिया जाता है। इसके लिए एक रस्म भी होती है, जिसमें लड़के पक्ष के सदस्य लड़की पक्ष को बतौर रकम देतेे हैं। यह रकम रिश्ते की पेशगी मानी जाती है। जब लड़की पक्ष रिश्ता तोड़ लेता है तो उसे हर्जाना देना होता है।

लड़की ने पुलिस अधिकारी सहित अन्य को बताया है कि बचपन में उसका रिश्ता कल्लीखेड़ी गांव में तय हुआ था। वहां शादी न करने पर 15 लाख रूपए की मांग की जा रही है। उसकी मां मजदूरी कर परिवार चलाती है। इतनी बड़ी रकम चुकाना उसके वश की बात नहीं है। लगातार मिल रही धमकियों के चलते वह अपने मामा के गांव चली गई है।

बताया गया है कि लड़की पढ़ाई कर रही है, जबकि जिस लड़के से रिश्ता तय हुआ है, वह अनपढ़ है और कुएं में गिर जाने से अपाहिज भी हो गया है। लड़की ऎसे लड़के से शादी नहीं करना चाहती है।

सगर ने कहा कि लड़की की उम्र अभी शादी की नहीं है। साथ ही कोई दवाब डालकर ऎसा कर भी नहीं सकता। पुलिस ने धमकाने वालों को साफ तौर पर हिदायत दे दी है कि अगर उन्होंने लड़की के परिजनों को परेशान किया तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मानते हैं कि इस तरह की प्रथा इस इलाके में वर्षो से चली आ रही है। बच्चों के जन्म के कुछ दिन बाद ही उनके रिश्ते तय हो जाते हैं। नातरा प्रथा में आगे चलकर विवाद भी सामने आते हैं, क्योंकि जब भी रिश्ते को मानने से इनकार किया जाता है तो कई वर्षो पूर्व दी गई रकम को ब्याज सहित चुकाने की मांग की जाती है।

यश चोपड़ा का निधन,बॉलीवुड गमगीन

यश चोपड़ा का निधन,बॉलीवुड गमगीन

मुंबई। जानेमाने फिल्म डायरेक्टर और प्रोडयूसर यशराज चोपड़ा (80) का रविवार शाम को निधन हो गया। डेंगू रोग से पीडित होने के बाद से लीलावती अस्पताल में उनका उपचार चल रहा था। अस्पताल में ही उन्होंने अंतिम सांस ली। चोपड़ा के निधन का समचार मिलते ही फिल्म इंडस्ट्रीज में शोक व्याप्त हो गया।

यश चोपड़ा ने अपने जीवनकाल में करीब 22 फिलमों का निर्देशन किया था। उनकी किंग ऑफ रोमांस फिल्म ने खूब चली और चोपड़ा को नाम चर्चित हो गया। उन्होंने "जब तक है जान" का फिल्म के बाद संन्यास का एलान किया था। यह फिल्म 19 नवम्बर को रिलीज होगी।

यश ने अपने जीवनकाल में कई कलाकारों को स्थापित किया तथा उनके सानिध्य में ेकई कलाकारों ने ऊंचाइयां छुई। 1975 में दीवार फिल्म में अमिताभ बच्चन का अभिनय इस कदर निखरा की वे एंग्रीमैन के रूप में फैमस हो गए। 1993 में फिल्म डर से शाहरूख को सफलता का नया मार्ग मिला।

जैसलमेर तीन लपके गिरफ्तार

जैसलमेर तीन लपके गिरफ्तार


जैसलमेर आगामी पर्यटक सिजन को देखते हुए ममता राहुल पुलिस अधीक्षक जिला जैसलमेर द्वारा लपको के विरूद्ध कार्यवाही करने के आदेश एवं जिला जैसलमेर में पर्यटक सीजन के समय पुलिस के अभियान ॔॔अतिथि देवे भवः॔॔ के तहत रामसिंह मीणा अति0 पुलिस अधीक्षक जैसलमेर एवं शायरसिंह वृताधिकारी जैसलमेर के निर्देश में जिला जैसलमेर में पुलिस की टीमे गठीत कर तथा पर्यटक सुरक्षा दल के प्रभारी शैतानसिंह महेचा के नेतृत्व में शहर जैसलमेर में अभियान को फिर से शुरू किया गया जिसके तहत कल दिनांक 20.10.2012 को शायरसिंह वृताधिकारी वृत जैसलमेर ने दौराने कस्बा गश्त एक मोटर साईकिल चालक को पर्यटको की गाडी का पिदा करते हुए देखा जिसको पिछाकर गडीसर चौराहे के पास जाकर पकडा जिसने अपना नाम पीरेखॉ पुत्र सदीक खॉ निवासी खिवसर पुथा मोहनग बताया जिसको पर्यटको को परेशान करने के जूर्म में शैतानिंसह महेचा सउनि प्रभारी पर्यटक सुरक्षा दल मय जाब्ता द्वारा गिरफतार किया गया तथा उसके कब्जा से बिना नम्बरी मोटर साईकिल को बरामद किया गया।
इसी प्रकार आज दिनांक 21.10.2012 कों किला गेट के पास शैलेन्द्रगिरी पुत्र धनगिरी नि0 माधव मार्ग गॉधी कॉलोनी जैसलमेर एवं आदर्श कुमार पुत्र राममिलन गुप्ता निवासी सेवाग्राम खजराबाग जिला छतरपुर मध्यप्रदेश को बिना लाईसेंस गाईडिग कर पर्यटको को घूमाते हुए शैतानिंसह महेचा सउनि प्रभारी पर्यटन सहायता बल जैसलमेर मय हैड कानि0 गणपतसिंह, कानि0 देवेन्द्रसिंह, जालमसिंह, भंवरसिंह एवं हेमेन्द्र द्वारा अलगअलग समय में पर्यटक अधिनियम के तहत गिरफतार किया गया।


जुआ खेलते 02 गिरफतार

जैसलमेर रविवार को हैड कानि0 रमेश रंगा मय जाब्ता द्वारा गडीसर प्रोल के पास से देवेन्द्र पुत्र जेठाराम मेघवाल निवासी छप्पर पाडा जैसलमेर एवं जगदीश पुत्र प्यारीराम भाट नि0 बबर मगरा जैसलमेर को जुआ खेलते हुए गिरफतार कर उनके कब्जा से 160 रूपये बरामद किये गये।

डाबला हत्या का पर्दाफाश करने के लिए पुलिस की जॉच जारी,

डाबला हत्या का पर्दाफाश करने के लिए पुलिस की जॉच जारी,


जल्द से जल्द हत्यारे होगे सलाखो के पीछे


जैसलमेर पुलिस थाना जैसलमेर के हल्खा क्षैत्र में चार रोज पूर्व गॉव डाबला के पास मिली लाश की शिनाख्त के बाद हत्या का मामला होने से पुलिस थाना जैसलमेर में मुकदमा दर्ज कर पुलिस अधीक्षक जिला जैसलमेर ममता राहुल द्वारा मृतक डालूराम के हत्यारो को जल्द से जल्द गिरफतार करने के आदेश दिये गये । जिस पर रामसिंह मीणा अति0 पुलिस अधीक्षक जैसलमेर एवं शायरसिंह वृताधिकारी जैसलमेर के निर्देशन में पुलिस के अनुभवी अधिकारियो से लेश अलगअलग टीमो का गठन किया गया। पुलिस द्वारा मृतक के नजदीकी लोगो एवं उनके रिश्तेदारो से पुछताछ जारी है। पुलिस टीमो द्वारा जिले के समस्त हल्खा क्षैत्रो में गहनता से लोगो से पुछताछ की जा रही हैं। पुलिस कडी से कडी जोडकर तथा दिनरात मेहनत कर हत्या का पर्दाफाश करने में जुटी हुई है तथा पुलिस जल्द से जल्द हत्यारो को गिरफतार करने में काम्याब होगी।


जैसलमेर पुलिस शहीद दिवस शहीदो को श्रद्घांजली





जैसलमेर  पुलिस शहीद दिवस  शहीदो को श्रद्घांजली 

जैसलमेर जैसलमेर पुलिस लाइन में रविवार को पुलिस दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में शहीद पुलिस कर्मियों को पुलिस अधीक्षक ममता राहुल के नेतृत्व में श्रधांजलि अर्पित की ,पुलिस शहीद दिवस होने पर शहीदो को श्रद्घांजली देने हेतु पुलिस लाईन जैसलमेर में पुलिस शहीद दिवस मनाया गया। जिसमें पुलिस अधीक्षक जिला जैसलमेर ममता राहुल की उपस्थिति में शहीद दिवस के उपलक्ष पर वर्ष 201112 में पुलिस एवं अर्द्धसैनिक बल में 574 शहीद हुए जवानो को 48 राईफलो की फायरिंग कर श्रद्घांजली अर्पीत की गई। पुलिस अधीक्षक द्वारा परैड का निरीक्षक किया गया तथा पुलिस अधीक्षक द्वारा पुष्प चक्र चाकर शहीदो को श्रद्घांजली अर्पीत की गई। पुलिस अधीक्षक द्वारा स्वयं शहीदो के नामो का वाचन किया गया। उक्त कार्यक्रम के उपलक्ष पर पुलिस अधीक्षक के अलावा रामिंसह मीणा अति0 पुलिस अधीक्षक जैसलमेर, शायरसिंह वृताधिकारी वृत जैसलमेर, वीरेन्द्रसिंह निपु थानाधिकारी पुलिस थाना जैसलमेर, मोहनसिंह आर0आई0 पुलिस लाईन, शिवलाल प्रभारी अपराध शाखा, कैलाश मेघवाल प्रभारी जिला विशेष शाखा, लालाराम प्रभारी यातायात शाखा तथा पूनमाराम हवलदार मेजर पुलिस लाईन जैसलमेर तथा पुलिस का मुख्यालय पर स्थित तमाम जाब्ता उपस्थित रहा। इनके अलावा पुलिस विभाग के सेवानिवृत कर्मचारी भी उपस्थित रहे।

बाड़मेर पुलिश शहीदों को श्रधांजलि अर्पित

बाड़मेर पुलिश शहीदों को श्रधांजलि अर्पित 


बाड़मेर पुलिस शहीद दिवस पर शुक्रवार वार सुबह सात बजे पुलिस लाइन मैदान में पुलिस अधिकारियों ने पुष्पचक्र अर्पित कर शहीद हुए जवानों को श्रद्धाजंली दी।इस अवसर पर कार्यवाहक पुलिस अधीक्षक नरेन्द्र सिंह   ने भी शहीदों को श्रधांजलि अर्पित की . इस मौके पर पुलिसकर्मियों ने स्वेच्छा से रक्तदान भी किया।

 

पुलिस बैंड की धुन के साथ जवानों ने शोक परेड की। परेड के बाद पुलिस अधीक्षक   ने उन पुलिस कर्मियों को याद किया, जिन्होंने दूसरों की जान बचाने के लिए खुद का जीवन दांव पर लगा दिया। इसके बाद  एएसपी नरेन्द्र सिंह  , ,पुलिस उप अधीक्षक नाजिम अली , शहर के प्रमुख थानाप्रभारी सहित कई पुलिस कर्मियों ने पुष्पचक्र अर्पित कर शहीद हुए पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजली दी। इसके बाद जवानों ने हवाई फायर कर शहीदों को सलामी दी। समारोह के बाद पुलिस कर्मियों ने सामुदायिक भवन में रक्ततान शिविर में रक्तदान भी किया

अपमानित कर मारपीट के कई मामले दर्ज

अपमानित कर मारपीट के कई मामले दर्ज


बाड़मेर गोसाईराम पुत्र नारणाराम जाति मेगवाल निवासी सरली ने मुलजिम रूपाराम जाट निवासी सरली वगैरा 3 के विरूद्व मुकदमा दर्ज करवाया कि मुलजिम द्वारा मुस्त को पेट्रोल के रूपये नहीं देकर मारपीट कर जातिगत शब्दो से अपमानित करना वगेरा पर मुलजिम के विरूद्व पुलिस थाना सदर पर मुकदमा दर्ज किया जाकर अग्रीम अनुसंधान किया जा रहा है।इसी तरह नवलकिशोर पुत्र दलाराम जाति जाट निवासी शास्त्री नगर बाड़ेमर ने मुलजिम नरेश पुत्र किस्तुराराम जाट निवासी दुगेरो का तला वगैरा 3 के विरूद्व मुकदमा दर्ज करवाया कि मुलजिमों द्वारा मुस्त. को रोककर शराब के लिए रूपये मांगना व मना करने पर मारपीट करना जिस पर मुलजिम के विरूद्व पुलिस थाना सदर पर मुकदमा दर्ज किया जाकर अग्रीम अनुसंधान किया जा रहा है।वही मोहम्मद उस्मान पुत्र अल्लाबक्स जाति मुसलमान निवासी विशनग ने मुलजिम बस आरजे19पीए 3799 के चालक वगैरा 4 के विरूद्व मुकदमा दर्ज करवाया कि मुलजिमों द्वारा मुस्तगीस का रास्ता रोककर उसके के साथ मारपीट करना व 500 रू.छीनकर ले जाना वगैरा पर मुलजिम के विरूद्व पुलिस थाना सिवाना़ पर मुकदमा दर्ज किया जाकर अग्रीम अनुसंधान किया जा रहा है।