मुन्ना भाई सांप वाला वो बचाता है जिंदगियां
करता है साँपों से मुहब्बत
-सिकंदर शैख़
साँपों का नाम सुनते ही शरीर में एक कंपकंपी सी दौड़ जाती है, और इस रेंगने वाले जीव से हर कोई दूर ही रहना पसंद करता है , हालांकि कई सपेरे जैसी जातियां इनके साथ ही पलती बढती है मगर आज कल उन्होंने भी इनसे खेलना बंद कर दिया है, मगर जैसलमेर में जैन परिवार में जन्मे मुन्ना का तो मानो यही काम है , साँपों से लोगों की इन्दगी बचाना ही उसका मकसद नहीं है वरन साँपों को भी बचाना मानो उसकी ही ज़िन्दगी का एक हिस्सा बन गया है ,
भारत -पाक सीमा पर बसा जैसलमेर क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा जिला है और सुदूर इलाकूं में बसी बस्तियां जहाँ बरसात के मौसम में सबसे ज्यादा साँपों से नुक्सान का भय बना रहता है , बरसात के दिन आते ही साँपों के काटने की घटनाएं बढ़ जाती है और जैसलमेर जैसे सीमावर्ती जिले में तो ग्रामीण इलाकों से ऐसी घटनाए आम है, लोग इन साँपों से बचने के लिए जरूरी उपाय तो करते ही है मगर कभी कभी साँपों को मार भी डालते हैं, ऐसे में एक सख्स ऐसा ब्व्ही है जो इन साँपों से लोगों की जिंदगियां तो बचाता ही है साथ ही साथ लोगों से इन साँपों की जिंदगियां भी बचाता है,
-सिकंदर शैख़
साँपों का नाम सुनते ही शरीर में एक कंपकंपी सी दौड़ जाती है, और इस रेंगने वाले जीव से हर कोई दूर ही रहना पसंद करता है , हालांकि कई सपेरे जैसी जातियां इनके साथ ही पलती बढती है मगर आज कल उन्होंने भी इनसे खेलना बंद कर दिया है, मगर जैसलमेर में जैन परिवार में जन्मे मुन्ना का तो मानो यही काम है , साँपों से लोगों की इन्दगी बचाना ही उसका मकसद नहीं है वरन साँपों को भी बचाना मानो उसकी ही ज़िन्दगी का एक हिस्सा बन गया है ,
भारत -पाक सीमा पर बसा जैसलमेर क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा जिला है और सुदूर इलाकूं में बसी बस्तियां जहाँ बरसात के मौसम में सबसे ज्यादा साँपों से नुक्सान का भय बना रहता है , बरसात के दिन आते ही साँपों के काटने की घटनाएं बढ़ जाती है और जैसलमेर जैसे सीमावर्ती जिले में तो ग्रामीण इलाकों से ऐसी घटनाए आम है, लोग इन साँपों से बचने के लिए जरूरी उपाय तो करते ही है मगर कभी कभी साँपों को मार भी डालते हैं, ऐसे में एक सख्स ऐसा ब्व्ही है जो इन साँपों से लोगों की जिंदगियां तो बचाता ही है साथ ही साथ लोगों से इन साँपों की जिंदगियां भी बचाता है,
जैसलमेर शहर में एक जैन परिवार में जन्मे मुन्ना की ज़िन्दगी का तो यही मकसद लगता है , शहर में जब भी कोई सांप निकलता है तो लोगों की ज़बान पर एक ही नाम आता है मुन्ना भाई।।।
मुन्ना भाई इस शहर में मुन्ना भाई सांप वाला" के नाम से मशहूर हो गया है , वो इन साँपों को पकड़ता है और इन्हें दूर निर्जन स्थानों पर छोड़ देता है ताकि सांप को कोई नुक्सान नहीं पहुंचे
मुन्ना भाई इस शहर में मुन्ना भाई सांप वाला" के नाम से मशहूर हो गया है , वो इन साँपों को पकड़ता है और इन्हें दूर निर्जन स्थानों पर छोड़ देता है ताकि सांप को कोई नुक्सान नहीं पहुंचे
मुन्ना बताता है की " बचपन में वो मदारियों को साँपों के साथ खेलते देखता था तब से उसको ये सब बहुत अच्छा लगने लगा, उसके बाद मवो जब महारष्ट्र रहते थे तब स्कूल में सांप निकलते थे तो वो उनको पकड़ लेता और लोगों से छोड़ देता था क्योंकि उसको दर रहता था की कोई इन खूबसूरत साँपों को मार न दे" फिर यहाँ जैसलमेर आने पर उसने देखा की काफी तादाद में साँपों के काटने की घटनाये होती है और लोग उनको मार डालते थे जिससे उसने ये बीड़ा उठाया की वो इनको मरने नहीं देगा . और फिर तबसे मुन्ना कोई काम नहीं करता है बस वो इन साँपों को बचने की धुन में ही लगा रहता है
ऐसा नहीं है की मुन्ना को साँपों ने कभी काटा नहीं है मुन्ना कहता है की उसको चार बार साँपों ने काटा है मगर लोगों को साँपों से बचने और साँपों की जिंदगियां बचने के लिए उसको अपने प्राणों की भी चिंता नहीं है
ऐसा नहीं है की मुन्ना को साँपों ने कभी काटा नहीं है मुन्ना कहता है की उसको चार बार साँपों ने काटा है मगर लोगों को साँपों से बचने और साँपों की जिंदगियां बचने के लिए उसको अपने प्राणों की भी चिंता नहीं है
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें