शुक्रवार, 7 सितंबर 2012

अमावस्या का खौफ: पत्नी और बच्चों को उतारा मौत के घाट और...!



पुणे। एक मजदूर ने अपनी पत्नी और 3 बच्चों की गला दबाकर हत्या कर दी और इसके बाद खुद को आग लगा ली। यह घटना गुरुवार तड़के कोथरूढ़ क्षेत्र में घटी।

 

पुलिस सूत्रों के अनुसार कोथरूड इलाके का परशुराम कलमंटी किसी अंधविश्वास के चलते परेशान था और इसलिए उसने अपनी पत्नी जमुना (25) के अलावा अपने बच्चों पायल (7), मनीषा (5) और करण (3) की हत्या कर दी। इसके बाद उसने खुद को आग के हवाले कर दिया।



कोथरूड़ पुलिस थाने के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक कल्याणराव विधाते ने बताया कि परशुराम मूल रूप से कर्नाटक का निवासी है। काम के लिए वह पुणो आया हुआ था। कोथरूड़ स्थित लोकमान्य बस्ती में वह अपने परिवार के साथ रहता था।



विगत दो माह से उसे लगता था कि अमावस्या अथवा पूर्णिमा को कोई उसे मार डालेगा। इसलिए वह एक माह से घर में ही था। बुधवार की सुबह परशुराम पत्नी जमुना को लेकर उसकी मां कस्तुरबाई कांबले के घर गया था। परशुराम का भाई शरणाअप्पा उसके घर के पास ही रहता है।



गुरुवार तड़के परशुराम के भाई ने उसके घर का दरवाजा खुला देखा। उसने भीतर जाकर देखा तो जमुना और पायल के मृतदेह पड़े हुए थे और घर के पास स्थित कचरा डेपो परिसर में परशुराम, मनीषा और करन के मृतदेह पड़े हुए थे। परशुराम के भाई ने तत्काल इस बारे में कोथरूड़ पुलिस थाने को सूचित किया।



पुलिस ने मौके पर पहुंच कर सभी के शव ससुन अस्पताल पोस्टमार्टम के लिए भेज दिए। पुलिस ने बताया कि परशुराम ने जमुना और पायल की घर में ही गला दबाकर हत्या की। मनीषा और करन की कचरा डेपो के पास ले जाकर हत्या की। उसके बाद परशुराम ने खुद को जलाकर आत्महत्या की।

बीबी से झगड़कर बाप ने मासूम को दूसरी मंजिल से नीचे फेंका

जोधपुर. नई सड़क पर जुबैदा मस्जिद के सामने रहने वाले एक पिता ने डेढ़ साल के बेटे हनीफ को दूसरी मंजिल से नीचे फेंक दिया। मासूम को मामूली खरोंच आई है। घटना के बाद उसे एमडीएमएच में भर्ती करवाया गया, जहां उसकी हालत खतरे से बाहर है।
 
पुलिस ने आरोपी की पत्नी शकीला की रिपोर्ट पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कर आरोपी पिता हाफिज को गिरफ्तार किया है। बताया जाता है कि पति-पत्नी के बीच कलह व इसमें ससुराल पक्ष के हस्तक्षेप से हाफिज नाराज था।


नाराज बेटे को फेंक कर भाग गया

सदर बाजार पुलिस के अनुसार गुरुवार को नई सड़क पर जुबैदा मस्जिद के सामने रहने वाले मोहम्मद हाफिज ने अपने बेटे मोहम्मद हनीफ को दूसरी मंजिल से फेंक दिया। क्षेत्रवासियों ने पुलिस को सूचना दी, इससे पहले आरोपी मौके से भाग गया। बाद में उसे करीब एक किलोमीटर की दूरी पर उसे पकड़ लिया।


गृहक्लेश व ससुराल के हस्तक्षेप पर आया गुस्सा

पुलिस के अनुसार आरोपी मोहम्मद हाफिज और उसकी पत्नी शकीला के बीच तीन साल से अनबन चल रही है। गुरुवार को उसके ससुराल की कुछ महिलाएं शकीला से मिलने आई हुई थीं। इसी दौरान आपसी बहस झगड़े में बदल गई और आवेश में हाफिज ने अपने बेटे हनीफ को उठा लिया। जब तक महिलाएं उस बच्चे को छुड़ा पातीं, उससे पहले आरोपी ने मासूम को बालकनी से नीचे फेंक दिया। मासूम जमीन पर औंधे मुंह गिरा, लेकिन उसकी जान बच गई।

भंवरी प्रकरण : अदालत में पेश नहीं हुईं मलखानसिंह की बहन

जोधपुर. एएनएम भंवरी के अपहरण व हत्या मामले में फरार आरोपी व लूणी विधायक मलखानसिंह विश्नोई की बहन इंद्रा की संपत्ति नीलामी के संबंध में इंद्रा की मां पूर्व मंत्री रामसिंह विश्नोई की पत्नी अमरी देवी को गुरुवार को सीबीआई मामलों की विशेष अदालत में पेश होना था, लेकिन वे नहीं आईं।
 
उनकी तरफ से मेडिकल पेश कर हाजिरी माफी चाही गई। इस पर पीठासीन अधिकारी जगदीश ज्याणी ने उनके वकील से कहा कि यदि वे इस मामले में अपना पक्ष रखना चाहती हैं तो शुक्रवार को अदालत में पेश हो कर अपना पक्ष रख सकती हैं।

गुरुवार, 6 सितंबर 2012

आर एस एस परीक्षा से राजस्थानी भाषा के प्रश्न पत्र को हटाने के विरोध में शिव में दिया ज्ञापन ,

आर एस एस परीक्षा से राजस्थानी भाषा के प्रश्न पत्र को हटाने के विरोध में शिव में दिया ज्ञापन ,


शिव अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यत्य संघर्ष समिति शिव ब्लोक द्वारा आर पी एस सी द्वारा आर ऐ एस परीक्षा से राजस्थानी भाषा के प्रश्न पत्र को हटाने के विरोध में ब्लोक अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह भीयाड़ ने उप खंड अधिकारी नखतदान बारहट को मुख्यमंत्री और अध्यक्ष राजस्थान लोक सेवा योग के नाम ज्ञापन सुपुर्द कर आर पी एस सी में राजस्थानी भाषा के प्रश्न पत्र को पुनः शामिल करने की मांग की ,राजेन्द्र सिंह ने बताया की शिव उप खंड अधिकारी नखतदान बारहट को ज्ञापन सौंप कर राजस्थानी भाषा के प्रश्न पत्र को पुनः शामिल करने की मांग की ,ज्ञापन देने समिति के धन सिंह बलाई ,बख्तावर सिंह ,पदम् सिंह राजगुरु ,छगन सिंह राजगुरु ,देवी सिंह रानीगांव ,डूंगर सिंह शिव,उगम सिंह ,महेंद्र राजगुरु ,मनोहर लाल सेन म्जेथारम मेघवाल स्वरुप सिंह कोटडा सहित कई कार्यकर्ता शामिल थे .

राजस्थानियों की अस्मिता से खेल रही हें सरकार पूर्व सांसद मानवेन्द्र सिंह

सरकार के कदम की कड़ी आलोचना


राजस्थानियों की अस्मिता से खेल रही हें सरकार


बाड़मेर आर पी एस सी द्वारा आर ऐ एस परीक्षा से राजस्थानी भाषा के प्रश्न पत्र को बहार करने का बाड़मेर जिले के प्रतिनिधियों ने जबरदस्त विरोध कर सरकार के इस विरोधी कदम की कड़ी आलोचना की हें ,भारतीय जनता पार्टी के  पूर्व  सांसद मानवेन्द्र सिंह ने कहा की राजस्थानी भाषा को आर ऐ एस परीक्षा से बहार कर सरकार ने राजस्थानियों की अस्मिता से खिलवाड़ किया हें जो बर्दास्त नही किया जायेगा ,उन्होंने कहा की राजस्थानी संस्कृति,जीवन शेली ,परंपरा ,इतिहास भाषा के बिना अधूरा हें ,राजस्थानी भाषा के प्रश्न पत्र को पुनः शामिल नाघी किया तो सरकार को इसके घटक परिणाम भुगतने को टायर रहना चाहिय , भाजपा के जिला अध्यक्ष मेजर पर्वत सिंह ने कहा की राजस्थानी भाषा के साथ सरकार जिस कदर खिलवाड़ कर रही हें उससे सरकार की नियत स्वतः सामने आती हें सरकार राजस्थानी भाषा की विरोधी हें ,जब सब प्रान्तों में अपनी भाषा का प्रश्न पत्र शामिल होता हें तो राजस्थानी क्यों नहीं ,भाजपा नेत्री प्रियंका चौधरी ने कहा की आर ऐ एस परीक्षा से राजस्थानी भाषा के प्रश्न पत्र को हटाने का सरकार का निर्णय दुर्भाग्यशाली हें ,राजस्थान के युवाओ के भविष्य जके साथ सरकार खिलवाड़ कर रही हें जिसे बर्दास्त नहीं किया जाएगा ,भाजपा के पूर्व प्रदेश सचिव स्वरुप सिंह राठोड ने कहा की सरकार के इस निर्णय से लाखो राजस्थानी युवाओ का भविष्य चौपट हो जाएगा ,उन्होंने आरोप क्लागाया की बाहरी प्रान्तों के आला अधिकारियो की साज़िश का शिकार सरकार हो रही हें आज राजस्थानी भाषा को संवेधानिक मान्यता देने की तयारी चल रही हें ऐसे में आर पी एस सी से राजस्थानी भाषा के प्रश्न पत्र को हटाना सरकार की दुर्भावना को दर्शाता हें ,राजेन्द्र सिंह भिन्याद ने बताया की लाखो युवाओ के सपनों को साकार करने की बजे सरकार से युवाओ के अपने ही घर में सरकारी ओहदे पर आने के सपनों पर विराम लगा युवाओ के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया हें ,राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के संभाग उप पस्त्वी और बाड़मेर जैसलमेर प्रभारी चन्दन सिंह भाटी ने बताया की सरकार का यह कदम नकारात्मक हें इसके दुष्परिणाम युवा वर्ग को भुगतने पड़ेंगे उन्होंने कहा की यदि राजस्थानी भाषा के प्रश्न पत्र को पुनः शामिल नाशी किया गया तो राज्य भर में आन्दोलन किये जाकर सरकार के इस निर्णय का विरोध किया जाएगा ,

अवैध बीयर एवं शराब बेचते एक गिरफतार

अवैध बीयर एवं शराब बेचते एक गिरफतार

जैसलमेर पुलिस थाना जैसलमेर में जरिये मुखबिर सुचना मिली कि किशनघाट में एक व्यक्ति अवैध शराब बेच रहा है। जिस पर पुलिस थाना जैसलमेर से जेठाराम उनि मय जाब्ता द्वारा एक टीम का गठन कर गॉव किशनघाट में जाकर दबिश दी गई तो आम्बाराम पुत्र मिश्रीलाल माली निवासी किशनघाट के कब्जा से अवैध 05 बोतल बीयर एवं 39 पव्वे शराब के बरामद कर आबकारी अधिनियम के तहत गिरफतार किया गया।


बैंक एटीएम की निगरानी के लिए कडी सुरक्षा
जैसलमेर श्री गंगानगर जिले में हुई एटीएम मशीनों (एनसीआर कम्पनी) के पासवर्ड तोडकर अज्ञात आरोपीयो द्वारा करीब पचास लाख रूपये की राशि ले जाने की घटना के मदेनजर जिला पुलिस अधीक्षक ममता राहुल द्वारा जिले के समस्त वृताधिकारियों/थानाधिकारियों को अपनेअपने हल्खा क्षैत्र में लगे एटीएम की सुरक्षा व्यवस्था कडी करने के निर्देश दिये तथा पुलिस अधीक्षक द्वारा समस्त थानाधिकारियों को बैकों के एटीएम के पास रात्रि में गश्त करने के भी निर्देश दिये। पुलिस अधीक्षक द्वारा शहर जैसलमेर एवं जिले में स्थित समस्त बैंको के प्रबंधको को अपनेअपने बैंक के एटीएम की सुरक्षा गार्ड को भी सतर्कतापूर्वक ड्यूटी देने के निर्देश दिये तथा बैंक कर्मचारी एटीएम में रूपये डालते वक्त भी सम्पूर्ण गोपनीयता का सतर्कतापूर्वक ध्यान देने के निर्देश दिये।
पुलिस अधीक्षक द्वारा जिले की समस्त जनता से भी अपील की है कि वह भी अपने एटीएम के गोपनीय नम्बर किसी को नहीं बताये तथा कभी भी किसी एटीएम के पास कोई अंजान व्यक्ति दिखाई दे उसकी सुचना अपने नजदीकी थाना एवं पुलिस कंट्रोम रूम को देवे, क्योंकि जनता की सहायता से अपराधिक गतिविधीयो को रोकने में सहायता मिलेगी।

बाड़मेर जिले में कई अपराधिक मामले दर्ज

बाड़मेर जिले में कई अपराधिक मामले दर्ज


बाड़मेर जिले के विभिन्न थानों में कई मामले दर हुए ,पुलिस अधीक्षक राहुल बारहट ने बताया की श्रीमति पवनी पुत्री दमाराम जाट नि. आकली ने मुलजिम हरीराम पुत्र विशनाराम जाट नि. अरणीयाली वगेरा 9 के विरूद्व मुकदमा दर्ज करवाया कि मुलजिमान द्वारा मुस्तगीसा का रास्ता रोककर मारपीट करना वगेरा पर मुलजिमान के विरूद्व पुलिस थाना धोरीमना पर मुकदमा दर्ज किया जाकर अग्रीम अनुसंधान किया जा रहा है।
2.प्रार्थी श्री मेहराराम पुत्र सोनाराम जाट नि. गूंगा ने मुलजिम मानाराम पुत्र धूड़ाराम प्रजापत नि. गूंगा वगेरा 8 के विरूद्व मुकदमा दर्ज करवाया कि मुलजिमान द्वारा एक राय होकर मुस्तगीस की ़ाणी में प्रवेश कर मुस्तगीस व उसके परिवार के सदस्यो के साथ मारपीट करना वगेरा पर मुलजिमान के विरूद्व पुलिस थाना शिव पर मुकदमा दर्ज किया जाकर अग्रीम अनुसंधान किया जा रहा है।
3.प्रार्थी श्री सांरगराम पुत्र रामलाल महेश्वरी नि. राय कॉलोनी बाड़मेर ने मुलजिम नवरतन पुत्र गंगाराम ओसवाल नि. बाड़मेर के विरूद्व मुकदमा दर्ज करवाया कि मुलजिम द्वारा खसरा नम्बर 1647 की भूमि को खसरा नम्बर 1647/01 की बताकर फर्जी बेचान कर मुस्तगीस के साथ धोखाधड़ी करना वगेरा पर मुलजिम के विरूद्व पुलिस थाना सदर पर मुकदमा दर्ज किया जाकर अग्रीम अनुसंधान किया जा रहा है।
4.प्रार्थी श्री प्रेमसिंह पुत्र अमरसिंह राजपूत नि. सरवाना जालोर ने मुलजिम वाहन बोलेरो आरजे 04 टीए 1359 के चालक के विरूद्व मुकदमा दर्ज करवाया कि मुलजिम द्वारा वाहन को तेजगति व लापरवाही से चलाकर मुस्तगीस के वाहन के टक्कर मारना जिससे अन्दर बैठी सवारीयों के चोटे आना वगेरा पर मुलजिम के विरूद्व पुलिस थाना सदर पर मुकदमा दर्ज किया जाकर अग्रीम अनुसंधान किया जा रहा है।
5.प्रार्थी श्री ताहिबखां पुत्र सुमेरखां मुसलमान नि. बालोतरा ने मुलजिम ओमप्रकाश अग्रवाल नि. बालोतरा के विरूद्व मुकदमा दर्ज करवाया कि मुलजिम गैस सर्विस एचपीसीएल की लापरवाही से गैस टंकी के उपर प्लास्टिक की सील में नोजल लिक होने से टंकी में आग लगना व ठीक करने को कहां तो मुस्तगीस के कहने पर गैस का नोजल रिसाव ठीक नही करना वगेरा पर मुलजिम के विरूद्व पुलिस थाना बालोतरा पर मुकदमा दर्ज किया जाकर अग्रीम अनुसंधान किया जा रहा है।

आर ऐ एस की परीक्षा के राजस्थानी भाषा के प्रश्न पत्र को बहार करने के विरोध में


आर ऐ एस की परीक्षा के राजस्थानी भाषा के प्रश्न पत्र को बहार करने के विरोध में


जैसलमेर में मुख्यमंत्री के नाम दिया ज्ञापन



जैसलमेर आर ऐ एस मुख्या परीक्षा के लिए राजस्थान लोक सेवा आयोग के नए पैटर्न में राजस्थानी भाषा ,साहित्य और संस्कृति को दरकिनार करने के विरोध में अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति जैसलमेर के बेनर तले राजस्थानी मोटियार परिषद् ,राजस्थानी छात्र परिषद् के तत्वाधान में गुरूवार को जिला कलेक्ट्रेट सूचि त्यागी को यु आई टी चेयरमेन उम्मेद सिंह तंवर के नेत्रत्व में जैसलमेर पंचायत समिति प्रधान मूलाराम चौधरी,सिकंदर शैख़ ने मुख्यमंत्री तथा राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया .जोधपुर संभाग उप पाटवी चन्दन सिंह भाटी ने बताया राजस्थान लोक सेवा आयोग के नए पैटर्न में राजस्थानी भाषा ,साहित्य और संस्कृति को दरकिनार करने से बाहरी प्रान्तों के लोग राजस्थान में आसानी से सरकारी ओहदा पाएंगे .और राजस्थानी लोग अपने ही घर में बेघर हो जायेंगे.यह राजस्थान के लिए आत्मघाती हें .राजस्थान के शिक्षित बेरोजगारों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हें .यह अन्याय बर्दास्त नहीं किया जाएगा .सरकार के इस आत्मघाती कदम के विरोध में आज आर पी एस सी का पुतला जला राजस्थानी भाषा के प्रश्न पत्र को पुनः शामिल करने की मांग की ,कार्यक्रम में बाड़मेर जैसलमेर प्रभारी चन्दन सिंह भाटी ,यु आई टी चेयरमेन उम्मेद सिंह तंवर ,प्रधान मूलाराम चौधरी ,सिकंदर शेख ,राजेंद्र सिंह चौहान ,चन्द्र प्रकाश ,मनीष रामदेव ,राजेंद्र व्यास ,आनंद जगानी ,पंकज तंवर ,सहित कई पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल थे , .भाटी ने बताया की मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को सौंपे ज्ञापन में लिखा की पधारौ म्हारे देस का जुमला पर्यटन के नजरिये से तो आकर्षक है, लेकिन नौकरियों में यह जुमला हमारी अपनी राह में रोड़ा है। पहले आरएएस के पाठ्यक्रम में राजस्थानी का सौ नंबर का पेपर हुआ करता था, वह क्यों हट गया? कैसे हटा? इस बहस में पड़े बगैर इस तर्क में ज्यादा दम है कि सरकार चुनने वाले 70 फीसदी लोग राजस्थानी ही बोलते हैं। वे चाहे पढ़-लिखकर विदेश चले गए हों, पर मिले हैं तो पूछते यही है -कीकर हो सा। आज राजस्थानी को दरकिनार करने पर कोई सरकार से यह पूछे कि हम परीक्षा देने कहां जाएं तो वह खामोश क्यों है ? जब पड़ोसी राज्य अपने प्रदेश के जयकारे लगा रहे हों, ऐसे में हम क्यों जय राजस्थान के उद्घोष में क्षेत्रीयता ढूंढें़। सरकार को लोकभाषा की परिभाषा तो समझनी ही चाहिए। राजस्थानी भाषा आज आठवीं अनुसूची में नहीं है, प्रदेशवासियों की जिद है तो वह कल जरूर होगी, लेकिन प्रदेश सरकार को राजस्थानी का महत्व समझना चाहिए। उन्होंने लिखा हें की सरकार को राजस्थानी भाषा विरोधी सोच को बदल राजस्थानियों की अस्मिता को बचाए रखने का सहयोग करना चाहिए ,संघर्ष समिति के वरिष्ठ पदाधिकारी आनंद जगानी ने कहा की निर्णय को तुरंत प्रभाव से वापस लेकर राजस्थानी भाषा के प्रश्न पत्र को आर पी एस सी में शामिल कर लेना चाहिए अन्यथा सरकार को इसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ेंगे जैसलमेर राजस्थानी भाषा संघर्ष समिति के सरंक्षक और यु आई टी चेयरमेन ने कहा की राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा के पैटर्न में बदलाव प्रदेश के प्रतिभावान छात्रों के लिए एक सदमा है। सरकार ने प्रारूप में 20 नंबर का राजस्थानी का पेपर प्रस्तावित किया था, उसे हटा लिया है। हमने अब इन परीक्षाओं के लिए पूरे देश के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। हम क्षेत्रीयता में यकीन नहीं करते लेकिन प्रदेश की पैरवी में यह कहने का अधिकार तो रखते ही हैं कि अगर बाहरी उम्मीदवारों को राजस्थान की भाषा-संस्कृति का ज्ञान है तो वे इम्तिहान के जरिए यह साबित करें तो किसको आपत्ति हो सकती है, लेकिन इस बात की जांच कौन कर रहा है कि उसे भाषा आती है या नहीं? ऐसे में हमारे होनहारों के राजस्थानी होने का मतलब क्या और प्रिवलेज क्या? यह स्थिति दरअसल तब है, जब विधानसभा में यह संकल्प पास किया जा चुका है कि राजस्थानी को भाषा का दर्जा मिलना चाहिए।
प्रधान मूलाराम चौधरी ने बताया की राजस्थान से यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि पड़ोसी राज्यों ने हमारे प्रतिभावान छात्रों के दरवाजे बंद कर रखे हैं। हम राजस्थान के अलावा किसी दूसरे प्रदेश में परीक्षा दे ही नहीं सकते और हमारे प्रदेश में आयोजित परीक्षाओं में आधे परीक्षार्थी बाहरी होंगे तो किसका हक मारा जाएगा? बाहरी आएं, लेकिन उन्हें यहां की भाषा व संस्कृति का ज्ञान तो होना ही चाहिए। अगर वे लोकभाषा को समझते हैं तो उनका स्वागत है। यक्ष प्रश्न यह है कि जो प्रतियोगी हमारी भाषा, संस्कृति, पहनावा, त्योहार-उत्सव को नहीं समझता, जिसका हमारी समस्याओं और जरूरतों से सरोकार नहीं, वह कैसे यहां लोकसेवक चयनित हो सकता है। प्रदेश के 70 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में राजस्थानी बोली जाती है। जो अधिकारी हमारी लोकभाषा को नहीं समझ सकता, वह कैसे शासकीय अधिकारी का दायित्व निभा सकेगा। जो केवल नौकरी करने के लिए आ रहे हैं और जो प्रदेश को समझते हैं, उस पर गर्व करते हैं- दोनों में फर्क कौन पहचानेगा?

समिति के शिकंदर शेख ने बताया की प्रशासनिक सेवा में कम्युनिकेशन ही प्रबंधन है। जो हमारी भाषा नहीं समझता और इसी भाषा में किसी को समझा नहीं सकता, वह कैसे यहां प्रशासन चला पाएगा। संघ लोक सेवा आयोग से चयनित होने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के लिए केरल व तमिलनाडु जैसे राज्यों ने नियम बना रखे हैं कि जिन आईएएस व आईपीएस अधिकारियों को कैडर में उनका राज्य मिलता है, उन अधिकारियों को तीन साल में इम्तिहान देकर बताना होगा कि उन्हें स्थानीय भाषा का ज्ञान हो गया है वरना न उनकी नौकरी कन्फर्म होगी और न ही वेतन वृद्धि ही मिलेगी। इसके विपरीत हमारे यहां सब करने की छूट है। भाषा आए न आए, शासन में बने रहेंगे।

अतः दौ सौ अंक के भाषा ज्ञान के प्रश्न पत्र में सौ अंक राजस्थानी भाषा ज्ञान के लिए तथा पचास पचास अंक हिंदी और अंग्रेजी ज्ञान के लिए निर्धारित किये जाये .तभी राजस्थान को सही मायने में न्याय मिल सकेगा .

निर्णय बदले आरपीएससी, वरना बिगड़ सकती है कानून व्यवस्था -अर्जुन मेघवाल

RPSC के नये पैटर्न से राजस्थानी को बाहर करने की बीकानेर सांसद


अर्जुन मेघवाल ने की आलोचना, मुख्य मंत्री अषोक गहलोत को लिखा पत्र,


निर्णय बदले आरपीएससी, वरना बिगड़ सकती है कानून व्यवस्था -अर्जुन मेघवाल


नई दिल्ली। 6 सितम्बर 2012। आरएएस मुख्य परीक्षा के नये पैटर्न में राजस्थान लोक सेवा आयोग ने चौथे पेपर में राजस्थानी का 20 अंक का हिस्सा हटाने के निर्णय की बीकानेर सांसद अर्जुन राम मेघवाल ने आलोचना की है। सांसद मेघवाल ने इस संबंध में अषोक गहलोत मुख्य मंत्री राजस्थान सरकार को पत्र लिखा है तथा आरपीएससी से निर्णय को वापस बदले की मांग की है अन्यथा कानून व्यवस्था की स्थिति बिगडने की आष्ंाका व्यक्त की है। संासद मेघवाल ने अपने पत्र में कहा है कि आरएएस मुख्य परीक्षा के नये पैटर्न में राजस्थान लोक सेवा आयोग ने चौथे पेपर में राजस्थानी का 20 अंक का हिस्सा हटाने का निर्णय किया है जो राजस्थान एवं राजस्थानी भाषा तथा साहित्य से जुडे़ हुये नागरिकों के लिए एक गहरा आघात है। ऐसा निर्णय करने से पूर्व राजस्थान संघ लोक सेवा आयोग को सभी वर्गो से वार्ता करनी चाहिए थी तथा अन्य राज्यों के लोक सेवा आयोगों के पैटर्न को भी देखा जाना चाहिए था जो लोक सेवा आयोग ने नहीं किया है अतः आरपीएससी को अपने निर्णय को शीघ्रता से बदलना चाहिए और पूर्ववर्ती व्यवस्था ही रखनी चाहिए। राजस्थान प्रषासनिक सेवा का आदमी यदि राजस्थानी व राजस्थानी भाषा तथा साहित्य को नहीं जानेगा , तो वह क्षेत्र की समस्याओं का समाधान नहीं कर सकेगा। क्या राजस्थान लोक सेवा आयोग ने यह समझने का प्रयास नहीं किया की प्रदेष के 70 प्रतिषत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में राजस्थानी बोली जाती है। जो अधिकारी हमारी भाषा को नहीं समझ सकेगा वह कैसे अपने राजकीय उत्तरदायित्व का निर्वाह कर सकेगा , यह एक ऐसा यक्ष प्रष्न है जो राजस्थानी भाषा को बोलने और समझने वाले लोग बार - बार पूछ रहे है। मैं व्यक्तिगत रूप से तथा सार्वजनिक रूप से भी इस निर्णय की आलोचना करता हॅू तथा राजस्थान लोक सेवा आयोग से मांग करता हूॅ कि अपने निर्णय को बदले तथा पूर्ववर्ती व्यवस्था को यथावत रखे जिससे राजस्थान के युवाओं मे किसी तरह का आक्रोष उत्पन्न नहीं हो तथा क्षेत्र मे शांति व्यवस्था बनी रहे , अन्यथा व्यवस्था बिगड़ने पर इन सब की जिम्मेदारी राजस्थान लोक सेवा आयोग एवं राजस्थान सरकार पर होगी।

मवेशियों के तारबंदी में घुसाने का किया विरोध

भारत-पाक रेंजर्स बैठक

मवेशियों के तारबंदी में घुसाने का किया विरोध

बाड़मेर भारत पाकिस्तान के बीच एक सीमा स्तंभ पर कमांडेंट सीमा सुरक्षा बल एवं विंग कमांडर, पाकिस्तान सिंध रेंजर्स स्तरीय मासिक बैठक बुधवार को मुनाबाव कांफ्रेंस हॉल में आयोजित हुई।

सीमा संबंधी मामलों पर विचार-विमर्श कर शांति एवं सौहार्दपूर्ण संबंध कायम रखने के उद्देश्य से आयोजित बैठक में कमांडेंट आरके नेगी ने पाकिस्तान रेंजर्स प्रतिनिधि दल का स्वागत किया।बैठक में भारत की ओर से अंतरराष्ट्रीय सीमा के नजदीक बंकर, मोर्चा व ओपी टावर के निर्माण पर नाराजगी जताई । बैठक में मवेशी चराने की आड़ में तस्करी बढऩे की आशंका जताने के साथ ही पाकिस्तान के मवेशी सीमा पार कर भारतीय इलाके में प्रवेश करते हैं जिस पर भारतीय प्रतिनिधि मंडल ने कड़ी आपत्ति जताई। वहीं पाकिस्तान की ओर से बैठक में सीमावर्ती इलाके में सीमा सुरक्षा बल की ओर से होने वाली सालाना फायरिंग पर पाकिस्तान रेंजर्स ने आपत्ति जताई।

बैठक में सेक्टर मुख्यालय के अधीन कमांडेंट ई के मेहता ने भारतीय प्रतिनिधि दल का नेतृत्व किया। पाकिस्तानी प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व विंग कमांडर मोहम्मद सलीम राजा, 33 विंग कासिम रेंजर्स, सिंध ने किया।

बैठक में भारत की ओर से कमान्डेंट इन्द्र कुमार मेहता .परमिन्द्र सिंह ,के सी यादव ,एस के सिंह ,और आर के डगर सीमा सुरक्षा बल ने हिस्सा लिया।

बैठक के दौरान दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सुरक्षा बेहतर करने का आश्वासन दिया। बाद में दोनों देशों के प्रतिनिधि दल के प्रमुखों ने प्रतिनिधियों एवं कार्मिकों को उपहार वितरित किया गया। बैठक में लिए गए निर्णय की प्रतिलिपियों पर हस्ताक्षर कर एक दूसरे को सुपुर्द किए।




आर पी एस सी का जलाया पुतला .मुख्यमंत्री को राजस्थानियों के साथ किये अन्याय के खिलाफ दिया ज्ञापन




आर ऐ एस की परीक्षा के राजस्थानी भाषा के प्रश्न पत्र को बहार करने के विरोध में


आर पी एस सी का जलाया पुतला .मुख्यमंत्री को राजस्थानियों के साथ किये अन्याय के खिलाफ दिया ज्ञापन


बाड़मेर आर ऐ एस मुख्या परीक्षा के लिए राजस्थान लोक सेवा आयोग के नए पैटर्न में राजस्थानी भाषा ,साहित्य और संस्कृति को दरकिनार करने के विरोध में अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति ,बाड़मेर के बेनर टेल राजस्थानी मोटियार परिषद् ,राजस्थानी छात्र परिषद् के तत्वाधान में गुरूवार को जिला कलेक्ट्रेट कर्यल्के के समक्ष आर पी एस सी का पुतला जलाया गया तह मुख्यमंत्री तथा राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया .जोधपुर संभाग उप पाटवी चन्दन सिंह भाटी ने बताया राजस्थान लोक सेवा आयोग के नए पैटर्न में राजस्थानी भाषा ,साहित्य और संस्कृति को दरकिनार करने से बाहरी प्रान्तों के लोग राजस्थान में आसानी से सरकारी ओहदा पाएंगे .और राजस्थानी लोग अपने ही घर में बेघर हो जायेंगे.यह राजस्थान के लिए आत्मघाती हें .राजस्थान के शिक्षित बेरोजगारों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हें .यह अन्याय बर्दास्त नहीं किया जाएगा .सरकार के इस आत्मघाती कदम के विरोध में आज आर पी एस सी का पुतला जला राजस्थानी भाषा के प्रश्न पत्र को पुनः शामिल करने की मांग की ,कार्यक्रम में बाड़मेर जैसलमेर प्रभारी चन्दन सिंह भाटी जिला पाटवी रिड़मल सिंह दांता ,महासचिव विजय कुमार ,अनिल सुखानी ,मोटियार परिषद् के पाटवी और छात्र संघ अध्यक्ष रघुवीर सिंह तामलोर ,हिन्दू सिंह तामलोर ,राजस्थानी छात्र परिषद् के अध्यक्ष अशोक सारला ,नगर अध्यक्ष रमेश सिंह इन्दा ,अवाड़ सिंह सोढ़ा ,विजय सिंह खारा शिवराज सिंह धान्धू ,तरुण मुखी ,जीतेन्द्र फुलवारिया ,विजय सिंह तारातरा ,तेजाराम हुड्डा ,दिनेशपाल सिंह ,दिग्विजय सिंह चुली ,रतन सिंह आगोर ,किशोर सिंह बीजू ,दिलीप चारण संतोष माहेश्वरी ,तनवीर सिंह ,लक्ष्मण सिंह लुणु ,सूर्यदेव सिंह बालासर ,अवतार सिंह ,मुराद जायडू ,ओम प्रकाश जांगिड ,लोकेन्द्र सिंह देवड़ा,सहित कई कार्यकर्ता और पदाधिकारी उपस्थित थे .भाटी ने बताया की मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को सौंपे ज्ञापन में लिखा की पधारौ म्हारे देस का जुमला पर्यटन के नजरिये से तो आकर्षक है, लेकिन नौकरियों में यह जुमला हमारी अपनी राह में रोड़ा है। पहले आरएएस के पाठ्यक्रम में राजस्थानी का सौ नंबर का पेपर हुआ करता था, वह क्यों हट गया? कैसे हटा? इस बहस में पड़े बगैर इस तर्क में ज्यादा दम है कि सरकार चुनने वाले 70 फीसदी लोग राजस्थानी ही बोलते हैं। वे चाहे पढ़-लिखकर विदेश चले गए हों, पर मिले हैं तो पूछते यही है -कीकर हो सा। आज राजस्थानी को दरकिनार करने पर कोई सरकार से यह पूछे कि हम परीक्षा देने कहां जाएं तो वह खामोश क्यों है ? जब पड़ोसी राज्य अपने प्रदेश के जयकारे लगा रहे हों, ऐसे में हम क्यों जय राजस्थान के उद्घोष में क्षेत्रीयता ढूंढें़। सरकार को लोकभाषा की परिभाषा तो समझनी ही चाहिए। राजस्थानी भाषा आज आठवीं अनुसूची में नहीं है, प्रदेशवासियों की जिद है तो वह कल जरूर होगी, लेकिन प्रदेश सरकार को राजस्थानी का महत्व समझना चाहिए। उन्होंने लिखा हें की सरकार को राजस्थानी भाषा विरोधी सोच को बदल राजस्थानियों की अस्मिता को बचाए रखने का सहयोग करना चाहिए ,मोटियार परिषद् की जिला पाटवी रघुवीर सिंह ने कहा की सरकार अपने निर्णय को तुरंत प्रभाव से वापस लेकर राजस्थानी भाषा के प्रश्न पत्र को आर पी एस सी में शामिल कर लेना चाहिए अन्यथा सरकार को इसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ेंगे ,जिला पाटवी रिड़मल सिंह दांता ने कहा की

राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा के पैटर्न में बदलाव प्रदेश के प्रतिभावान छात्रों के लिए एक सदमा है। सरकार ने प्रारूप में 20 नंबर का राजस्थानी का पेपर प्रस्तावित किया था, उसे हटा लिया है। हमने अब इन परीक्षाओं के लिए पूरे देश के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। हम क्षेत्रीयता में यकीन नहीं करते लेकिन प्रदेश की पैरवी में यह कहने का अधिकार तो रखते ही हैं कि अगर बाहरी उम्मीदवारों को राजस्थान की भाषा-संस्कृति का ज्ञान है तो वे इम्तिहान के जरिए यह साबित करें तो किसको आपत्ति हो सकती है, लेकिन इस बात की जांच कौन कर रहा है कि उसे भाषा आती है या नहीं? ऐसे में हमारे होनहारों के राजस्थानी होने का मतलब क्या और प्रिवलेज क्या? यह स्थिति दरअसल तब है, जब विधानसभा में यह संकल्प पास किया जा चुका है कि राजस्थानी को भाषा का दर्जा मिलना चाहिए।

रमेश सिंह इन्दा ने बताया की राजस्थान से यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि पड़ोसी राज्यों ने हमारे प्रतिभावान छात्रों के दरवाजे बंद कर रखे हैं। हम राजस्थान के अलावा किसी दूसरे प्रदेश में परीक्षा दे ही नहीं सकते और हमारे प्रदेश में आयोजित परीक्षाओं में आधे परीक्षार्थी बाहरी होंगे तो किसका हक मारा जाएगा? बाहरी आएं, लेकिन उन्हें यहां की भाषा व संस्कृति का ज्ञान तो होना ही चाहिए। अगर वे लोकभाषा को समझते हैं तो उनका स्वागत है। यक्ष प्रश्न यह है कि जो प्रतियोगी हमारी भाषा, संस्कृति, पहनावा, त्योहार-उत्सव को नहीं समझता, जिसका हमारी समस्याओं और जरूरतों से सरोकार नहीं, वह कैसे यहां लोकसेवक चयनित हो सकता है। प्रदेश के 70 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में राजस्थानी बोली जाती है। जो अधिकारी हमारी लोकभाषा को नहीं समझ सकता, वह कैसे शासकीय अधिकारी का दायित्व निभा सकेगा। जो केवल नौकरी करने के लिए आ रहे हैं और जो प्रदेश को समझते हैं, उस पर गर्व करते हैं- दोनों में फर्क कौन पहचानेगा?

राजस्थानी छात्र परिषद् के जिला अध्यक्ष अशोक सारला ने बताया की प्रशासनिक सेवा में कम्युनिकेशन ही प्रबंधन है। जो हमारी भाषा नहीं समझता और इसी भाषा में किसी को समझा नहीं सकता, वह कैसे यहां प्रशासन चला पाएगा। संघ लोक सेवा आयोग से चयनित होने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के लिए केरल व तमिलनाडु जैसे राज्यों ने नियम बना रखे हैं कि जिन आईएएस व आईपीएस अधिकारियों को कैडर में उनका राज्य मिलता है, उन अधिकारियों को तीन साल में इम्तिहान देकर बताना होगा कि उन्हें स्थानीय भाषा का ज्ञान हो गया है वरना न उनकी नौकरी कन्फर्म होगी और न ही वेतन वृद्धि ही मिलेगी। इसके विपरीत हमारे यहां सब करने की छूट है। भाषा आए न आए, शासन में बने रहेंगे।

अतः दौ सौ अंक के भाषा ज्ञान के प्रश्न पत्र में सौ अंक राजस्थानी भाषा ज्ञान के लिए तथा पचास पचास अंक हिंदी और अंग्रेजी ज्ञान के लिए निर्धारित किये जाये .तभी राजस्थान को सही मायने में न्याय मिल सकेगा .

पाकिस्तान से निकाले हुए ये लोग अब ज़ल्द ही कहलायेंगे भारतीय

बाड़मेर भारतीय बनने की खातिर आए पाक विस्थापितों को भारतीय नागरिकता मिलने की आस जगी हैं। सात साल से भारतीय नागरिकता का इंतजार कर रहे परिवारों की मुरादें अब जल्द ही पूरी होगी। केंद्र सरकार ने समूचे प्रदेश में रह रहे पाक विस्थापितों को भारतीय नागरिकता देने को हरी झंडी दे दी है। यह प्रक्रिया अगले सप्ताह शुरू होगी।  
इस प्रक्रिया से राज्य के बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर व गंगानगर समेत विभिन्न जिलों में दशकों से नागरिकता की बाट जोह रहे लोगों की उम्मीदों को पंख लगे हैं। पाक विस्थापितों को भारतीय नागरिकता देने की यह प्रक्रिया सात साल बाद शुरू होने जा रही है।

पहले वर्ष 2004 में शिविर लगाकर लोगों को भारतीय नागरिकता दी गई थी। इसके बाद वर्ष 2005 में पाक विस्थापितों से आवेदन मांगे गए। किन्हीं कारणों के चलते प्रक्रिया रोक दी गई। हाल ही केंद्र सरकार ने यह प्रक्रिया फिर शुरू करने का निर्णय लिया। सरकार ने प्रशासन से प्रभावित व्यक्तियों के आवेदन ऑनलाइन भेजने को कहा है।


यह तय किया है कि चूंकि सभी व्यक्ति सात साल पहले ही आवेदन व दस्तावेज जमा करा चुके हैं। ऐसे में उनसे दोबारा आवेदन नहीं लिए जाएंगे।

इसके बजाय तहसीलों से संबंधित बाबू को आवेदन व दस्तावेजों के साथ बुलाया जाएगा और आवेदनों की ऑनलाइन फीडिंग कराई जाएगी। यह काम 12 सितंबर से शुरू होगा और 14 सितंबर तक चलेगा। कर्मचारियों को दस्तावेजों के साथ बुलाया गया है।

सभी कर्मचारी मुख्यालय स्थित सूचना विज्ञान केंद्र (निक) कार्यालय में ऑनलाइन आवेदन भराएंगे। लंबे इंतजार के बाद नागरिकता की प्रक्रिया शुरू होने से सरहदी जिलों के सैकड़ों विस्थापितों की हिंदुस्तानी बनने का सपना साकार होगा।

यह होगा फायदा

भारतीय नागरिकता मिलने से इन व्यक्तियों को भारतीय नागरिक का दर्जा मिल जाएगा। इनके राशन कार्ड, मतदाता पहचान-पत्र, पासपोर्ट, आधार कार्ड सहित तमाम सरकारी दस्तावेज बन सकेंगे, साथ ही ये व्यक्ति सरकार की सभी सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे।

ऑनलाइन होगी प्रक्रिया

केंद्र सरकार ने फर्जीवाड़ा रोकने व पूरी प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए इस बार सारी प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी है, यानि आवेदन से लेकर रिपोर्ट भेजने तक का सारा काम ऑनलाइन होगा। सरकार आवेदनों की जांच करके भारतीय नागरिकता जारी करेगी, फिर प्रशासन नागरिकता के प्रमाण-पत्र संबंधित व्यक्तियों तक पहुंचाएगा।

'केंद्र सरकार ने पाक विस्थापितों को भारतीय नागरिकता देने के निर्देश दिए हैं। इनके आवेदनों की ऑनलाइन फीडिंग करके सरकार को भेजी जाएगी।'

-डॉ. वीणा प्रधान कलेक्टर बाड़मेर।

रेलवे स्टेशन पर लूटी महिला की अस्मत

रेलवे स्टेशन पर लूटी महिला की अस्मत

नई दिल्ली। रेलवे स्पेशल फोर्स के कांस्टेबल और उसके एक साथी ने मंगलवार रात रेलवे स्टेशन के वीआईपी रूम के नजदीक 20 साल की महिला से बलात्कार किया। 24 साल के कांस्टेबल पिंटू सिंह और 21 साल के हवन प्रताप सिंह को गिरफ्तार किया गया है। दोनों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक पीडिता अपनी बहन के साथ मंगलवार रात रेलवे स्टेशन आई थी। काफी देर होने के कारण दोनों सुबह तक रेलवे स्टेशन पर ही रूक गई। इनका घर विष्णु गार्डन इलाके में हैं।

जीआरपी के एक अधिकारी ने बताया कि छोटी बहन जब लॉकर रूम की तरफ गई तभी दोनों आरोपी बड़ी बहन के पास पहुंचे। उन्होंने पीडिता से स्टेशन के दूसरे माले पर चलने को कहा,जहां वीआईपी के लिए वेटिंग रूम है। दोनों पीडिता को 201 रूम में ले गए और वहां बलात्कार किया। पुलिस इस दावे की जांच कर रही है कि पीडिता हवन सिंह को जानती थी। हवन सिंह तिलक नगर इलाके में रहता है।

8 वीं रेलवे प्रोटेक्शन स्पेशन फोर्स में तैनात पिंटू सिंह को निलंबित कर दिया गया है। डीसीपी (क्राइम एंड रेलवे)संजय जैन ने बताया कि मेडिकल परीक्षण में रेप की पुष्टि हुई है। दोनों आरोपियों को बुधवार सुबह गिरफ्तार किया गया। सूत्रों के मुताबिक दोनों की गिरफ्तारी में इसलिए देरी हुई क्योंकि पीडिता ने विरोधाभासी बयान दिए थे। उत्तर रेलवे के प्रवक्ता ने बताया कि पीडिता और दोनों आरोपियों के बीच 7 लाख रूपए को लेकर विवाद चल रहा था।

जैसलमेर के ऎतिहासिक दुर्ग के बाशिंदों ने बुधवार को अपनी समस्याओ को पिटारा खोला

मैडम, आप तो कुछ करो..

जैसलमेर। मैडम आप तो कुछ करो, यहां देखो सीवरेज जाम है, यहां भी स्थिति देखो...मकान किसी भी समय गिर सकता है, आप बताओ हमारे झूलते मकान को दुरूस्त नहीं करवाएं तो जर्जर मकान मे कैसे जिएं..। जैसलमेर के ऎतिहासिक दुर्ग के बाशिंदों ने बुधवार को अपनी समस्याओ को पिटारा खोला। प्रदेश की साहित्य, कला व संस्कृति विभाग की प्रमुख शासन सचिव गुरजोत कौर बुधवार को जिलाधिकारियो, पुरातत्व विभाग के प्रतिनिधियो व नगरपरिषद प्रशासन के साथ सोनार किले के वर्तमान हालात व स्थानीय लोगो की समस्याओ से रू-ब-रू होने यहां पहुंची।

यह बात दुर्ग मे फैलते ही दुर्गवासी प्रमुख शासन सचिव कौर के पास पहंुचे और अपनी पीड़ा बयां की। सोनार किले की घाटियो से प्रशासनिक टीम के साथ पैदल ही किले पहुंची कौर ने दशहरा चौक, जंगा पाड़ा, ढूंढ़ा पाड़ा, लादिया पाड़ा, व्यास पाड़ा, चौगान पाड़ा होते हुए कोठरी पाड़ा क्षेत्र का दौरा किया। उन्होने जर्जर हो रहे सोनार किले के मकानो को देखा और सीवरेज संबंधी खामियो की जानकारी ली। उन्होने मोरी मे जाकर सोनार किले के परकोटे की दीवार के कार्य की जानकारी ली।

नब्ज टटोली जताया भरोसा
प्रमुख शासन सचिव कौर सुबह 11 बजे कलक्टट्री सभागार मे बैठक को संबोधित करना था। जैसलमेर पहुंचने के बाद उन्होने कार्यक्रम मे बदलाव करते हुए शिव रोड व रिंग रोड होते हुए सोनार दुर्ग पहुंची। उनके दुर्ग पहुंचने की सूचना पर दुर्गवासी अपनी पीड़ा बयां करने पहुंच गए। उन्होंने भी गंभीरता से दुर्गवासियों की समस्या सुनी। उन्होने दुर्गवासियो को भरोसा रखने व सकारात्मक प्रयास करने की बात कहकर सबको शांत करने का प्रयास किया। उन्होंने कलक्ट्री सभागार मे आयोजित बैठक में कहा कि जो हो गया, वो हो गया, लेकिन अब ऎसा काम करो कि जनता यह नहीं कहे कि कुछ हुआ ही नहीं।

इस दौरान जिला कलक्टर शुचि त्यागी, अतिरिक्त जिला कलक्टर परशुराम धानका, नगरपरिषद आयुक्त आरके माहेश्वरी, नगरपरिषद अध्यक्ष अशोक तंवर, यूआईटी अध्यक्ष उम्मेदसिंह तंवर, आरएएस नरेश बुनकर, आरएएस ओमप्रकाश विश्नोई, सहायक अभियंता राजकुमार सिंघल, पुरातत्व अधीक्षक बीकानेर किशनलाल, संग्रहालय अधीक्षक निरंजन पुरोहित, आरयूआईडीपी के अधिशाषी अभियंता महेन्द्रसिंह पंवार, जैसलमेर विकास समिति के सचिव चंद्रप्रकाश व्यास सहित पुरातत्व सर्वेक्षण दल के प्रतिनिधि मौजूद थे।

यह है दुर्ग का "दर्द"
सोनार किला दोषपूर्ण सीवरेज व्यवस्था और विफल जलमल निकासी से क्षण-क्षण मर रहा है। नगरपरिषद क्षेत्र के वार्ड संख्या-चार के रूप में पहचाने जाने वाले इस धरोहर में 584 परिवार व 377 नल कनेक्शन है। हर दिन सीवरेज व जल-मल निकासी से किले के परकोटे की दीवारों से बह रहे पानी से "सोनार" में सीलन बढ़ रही है। इस लिविंग फोर्ट के अस्तित्व को खतरे में डालने वाले जिम्मेदार कारणों को सुधारने का रास्ता करीब पौने दो साल पहले निकाला था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण दल ने सोनार किले का सर्वे कर सम्भावनाएं भी तलाशी, लेकिन योजना को अमलीजामा नहीं पहनाया गया।

हालत यह है कि दुर्ग की दीवारों में सीवरेज, पाइपलाइन व घरेलू नालियों के रिसाव के कारण सीलन आ गई है। बरसाती जल की निकासी नहीं होने से जर्जर मकान के समीप रहने वाले लोगों को भी जान-माल की हानि का भय सताता है।

जैसलमेर विधायक व एसीईओ भिड़े

जैसलमेर विधायक व एसीईओ भिड़े

जैसलमेर। जैसलमेर के जिला परिषद कक्ष का ताला तोड़कर वहां मौजूद रिकार्ड से छेड़छाड़ करने के मामले ने मंगलवार को तूल पकड़ लिया। बात इतनी बढ़ गई कि जिलापरिषद मे युवाओं की भीड़ जमा हो गई और विधायक छोटूसिंह भाटी की अगुवाई मे भाजपा कार्यकर्ता भी वहां पहुंचे। इस दौरान विधायक भाटी ने जिलापरिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बलदेवसिंह उज्ज्वल के सामने रोष जताया कि एक दिन पहले सोमवार को थर्ड ग्रेड भर्ती परीक्षा के सफल अभ्यर्थियो के दस्तावेजो की जांच के दौरान संदेह होने के बावजूद संबंधित कार्मिको ने वरिष्ठ अधिकारियो को इस संबंध मे अवगत क्यों नहीं कराया, जो कि किसी भी लिहाज से उचित नहीं कहा जा सकता।

उन्होने इस बात पर भी रोष जताया कि यह युवाओं के भविष्य का मामला था, इसलिए संबंधित रिकार्ड की सुरक्षा के लिए पुलिस की व्यवस्था करनी थी, जो कि नहीं की गई। इस बीच जब इस मामले मे भाजपा कार्यकर्ताओ की ओर से जिलापरिषद के कार्मिको की मिलीभगत होने का आरोप लगाया तो जिला परिषद के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी देवाराम सुथार व विधायक भाटी आपस मे उलझ पड़े। सीईओ को समझाइश कर दोनो को शांत करवाना पड़ा। पुलिस मे रिपोर्ट दर्ज कराने पर ही मामला शांत हो पाया। इस दौरान जिलापरिषद के बाहर युवाओं की भीड़ जमा हो गई। विधायक के साथ मनोहरसिंह अड़बाला, ओम सेवक, भगवानसिंह, एबीवीपी के जिला संयोजक लालूसिंह सहित अन्य लोग थे।

कार्यालय खुलते ही हड़कंप
इससे पूर्व मंगलवार सुबह जिलापरिषद कार्यालय खुलते ही हड़कंप मच गया। जब कार्यालय का ताला खोला गया तो एक कक्ष का ताला गायब था और उसकी कुंडी टूटी हुई थी। भीतर जाकर जब रिकार्ड को संभाला गया तो एक रिकार्ड के साथ छेड़छाड़ की गई थी। इसके बाद वहां कार्यरत अधिकारियो व कर्मचारियो मे हड़कंप मच गया। जिलापरिषद कार्यालय की छत के दरवाजे की कुंडी भी टूटी हुई थी। पुलिस ने इस संबंध में जिलापरिषद की रिपोर्ट पर मामला दर्ज कर लिया है। दर्ज रिपोर्ट में बताया गया है कि अज्ञात व्यक्ति रात्रि मे कार्यालय मे घुसे और ताला तोड़कर हरिकिशन बाना के फार्म से छेड़छाड़ की। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच उपनिरीक्षक चिमनाराम को सौंपी है।

महंगी पड़ी लापरवाही
दस्तावेज की जांच के दौरान गड़बड़झाला उजागर होने के बाद उसकी अनदेखी विभाग को भारी पड़ गई। दरअसल गत सोमवार को दस्तावेज की जांच के दौरान हिंदी विषय मे वरीयता सूची मे शामिल एक अभ्यर्थी के हस्ताक्षरो का मिलान नहीं होने से वहां मौजूद कार्मिकों को संदेह हुआ, तो उन्होने संबंधित अभ्यर्थी को भीड़ अधिक होने के कारण बाद मे आने की बात कही। इसके बाद वह अभ्यर्थी वापिस नहीं लौटा। मंगलवार को भी दस्तावेजो की जांच का दिन होने के कारण कार्यरत कर्मचारियो ने इसे गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन जब सुबह कक्ष के ताले टूटे मिले और एक अभ्यर्थी के फार्म के साथ छेड़छाड़ की हुई मिली, वहीं फोटो भी दूसरा लगा मिला तो हड़कंप मच गया।

इन्होने कहा
यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। पुलिस मे मामला दर्ज करवाया गया है, लेकिन विभाग की ओर से भी जांच करवाई जा रही है।
-बलदेवसिंह उज्ज्वल मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिलापरिषद, जैसलमेर