मैडम, आप तो कुछ करो..
जैसलमेर। मैडम आप तो कुछ करो, यहां देखो सीवरेज जाम है, यहां भी स्थिति देखो...मकान किसी भी समय गिर सकता है, आप बताओ हमारे झूलते मकान को दुरूस्त नहीं करवाएं तो जर्जर मकान मे कैसे जिएं..। जैसलमेर के ऎतिहासिक दुर्ग के बाशिंदों ने बुधवार को अपनी समस्याओ को पिटारा खोला। प्रदेश की साहित्य, कला व संस्कृति विभाग की प्रमुख शासन सचिव गुरजोत कौर बुधवार को जिलाधिकारियो, पुरातत्व विभाग के प्रतिनिधियो व नगरपरिषद प्रशासन के साथ सोनार किले के वर्तमान हालात व स्थानीय लोगो की समस्याओ से रू-ब-रू होने यहां पहुंची।
यह बात दुर्ग मे फैलते ही दुर्गवासी प्रमुख शासन सचिव कौर के पास पहंुचे और अपनी पीड़ा बयां की। सोनार किले की घाटियो से प्रशासनिक टीम के साथ पैदल ही किले पहुंची कौर ने दशहरा चौक, जंगा पाड़ा, ढूंढ़ा पाड़ा, लादिया पाड़ा, व्यास पाड़ा, चौगान पाड़ा होते हुए कोठरी पाड़ा क्षेत्र का दौरा किया। उन्होने जर्जर हो रहे सोनार किले के मकानो को देखा और सीवरेज संबंधी खामियो की जानकारी ली। उन्होने मोरी मे जाकर सोनार किले के परकोटे की दीवार के कार्य की जानकारी ली।
नब्ज टटोली जताया भरोसा
प्रमुख शासन सचिव कौर सुबह 11 बजे कलक्टट्री सभागार मे बैठक को संबोधित करना था। जैसलमेर पहुंचने के बाद उन्होने कार्यक्रम मे बदलाव करते हुए शिव रोड व रिंग रोड होते हुए सोनार दुर्ग पहुंची। उनके दुर्ग पहुंचने की सूचना पर दुर्गवासी अपनी पीड़ा बयां करने पहुंच गए। उन्होंने भी गंभीरता से दुर्गवासियों की समस्या सुनी। उन्होने दुर्गवासियो को भरोसा रखने व सकारात्मक प्रयास करने की बात कहकर सबको शांत करने का प्रयास किया। उन्होंने कलक्ट्री सभागार मे आयोजित बैठक में कहा कि जो हो गया, वो हो गया, लेकिन अब ऎसा काम करो कि जनता यह नहीं कहे कि कुछ हुआ ही नहीं।
इस दौरान जिला कलक्टर शुचि त्यागी, अतिरिक्त जिला कलक्टर परशुराम धानका, नगरपरिषद आयुक्त आरके माहेश्वरी, नगरपरिषद अध्यक्ष अशोक तंवर, यूआईटी अध्यक्ष उम्मेदसिंह तंवर, आरएएस नरेश बुनकर, आरएएस ओमप्रकाश विश्नोई, सहायक अभियंता राजकुमार सिंघल, पुरातत्व अधीक्षक बीकानेर किशनलाल, संग्रहालय अधीक्षक निरंजन पुरोहित, आरयूआईडीपी के अधिशाषी अभियंता महेन्द्रसिंह पंवार, जैसलमेर विकास समिति के सचिव चंद्रप्रकाश व्यास सहित पुरातत्व सर्वेक्षण दल के प्रतिनिधि मौजूद थे।
यह है दुर्ग का "दर्द"
सोनार किला दोषपूर्ण सीवरेज व्यवस्था और विफल जलमल निकासी से क्षण-क्षण मर रहा है। नगरपरिषद क्षेत्र के वार्ड संख्या-चार के रूप में पहचाने जाने वाले इस धरोहर में 584 परिवार व 377 नल कनेक्शन है। हर दिन सीवरेज व जल-मल निकासी से किले के परकोटे की दीवारों से बह रहे पानी से "सोनार" में सीलन बढ़ रही है। इस लिविंग फोर्ट के अस्तित्व को खतरे में डालने वाले जिम्मेदार कारणों को सुधारने का रास्ता करीब पौने दो साल पहले निकाला था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण दल ने सोनार किले का सर्वे कर सम्भावनाएं भी तलाशी, लेकिन योजना को अमलीजामा नहीं पहनाया गया।
हालत यह है कि दुर्ग की दीवारों में सीवरेज, पाइपलाइन व घरेलू नालियों के रिसाव के कारण सीलन आ गई है। बरसाती जल की निकासी नहीं होने से जर्जर मकान के समीप रहने वाले लोगों को भी जान-माल की हानि का भय सताता है।
जैसलमेर। मैडम आप तो कुछ करो, यहां देखो सीवरेज जाम है, यहां भी स्थिति देखो...मकान किसी भी समय गिर सकता है, आप बताओ हमारे झूलते मकान को दुरूस्त नहीं करवाएं तो जर्जर मकान मे कैसे जिएं..। जैसलमेर के ऎतिहासिक दुर्ग के बाशिंदों ने बुधवार को अपनी समस्याओ को पिटारा खोला। प्रदेश की साहित्य, कला व संस्कृति विभाग की प्रमुख शासन सचिव गुरजोत कौर बुधवार को जिलाधिकारियो, पुरातत्व विभाग के प्रतिनिधियो व नगरपरिषद प्रशासन के साथ सोनार किले के वर्तमान हालात व स्थानीय लोगो की समस्याओ से रू-ब-रू होने यहां पहुंची।
यह बात दुर्ग मे फैलते ही दुर्गवासी प्रमुख शासन सचिव कौर के पास पहंुचे और अपनी पीड़ा बयां की। सोनार किले की घाटियो से प्रशासनिक टीम के साथ पैदल ही किले पहुंची कौर ने दशहरा चौक, जंगा पाड़ा, ढूंढ़ा पाड़ा, लादिया पाड़ा, व्यास पाड़ा, चौगान पाड़ा होते हुए कोठरी पाड़ा क्षेत्र का दौरा किया। उन्होने जर्जर हो रहे सोनार किले के मकानो को देखा और सीवरेज संबंधी खामियो की जानकारी ली। उन्होने मोरी मे जाकर सोनार किले के परकोटे की दीवार के कार्य की जानकारी ली।
नब्ज टटोली जताया भरोसा
प्रमुख शासन सचिव कौर सुबह 11 बजे कलक्टट्री सभागार मे बैठक को संबोधित करना था। जैसलमेर पहुंचने के बाद उन्होने कार्यक्रम मे बदलाव करते हुए शिव रोड व रिंग रोड होते हुए सोनार दुर्ग पहुंची। उनके दुर्ग पहुंचने की सूचना पर दुर्गवासी अपनी पीड़ा बयां करने पहुंच गए। उन्होंने भी गंभीरता से दुर्गवासियों की समस्या सुनी। उन्होने दुर्गवासियो को भरोसा रखने व सकारात्मक प्रयास करने की बात कहकर सबको शांत करने का प्रयास किया। उन्होंने कलक्ट्री सभागार मे आयोजित बैठक में कहा कि जो हो गया, वो हो गया, लेकिन अब ऎसा काम करो कि जनता यह नहीं कहे कि कुछ हुआ ही नहीं।
इस दौरान जिला कलक्टर शुचि त्यागी, अतिरिक्त जिला कलक्टर परशुराम धानका, नगरपरिषद आयुक्त आरके माहेश्वरी, नगरपरिषद अध्यक्ष अशोक तंवर, यूआईटी अध्यक्ष उम्मेदसिंह तंवर, आरएएस नरेश बुनकर, आरएएस ओमप्रकाश विश्नोई, सहायक अभियंता राजकुमार सिंघल, पुरातत्व अधीक्षक बीकानेर किशनलाल, संग्रहालय अधीक्षक निरंजन पुरोहित, आरयूआईडीपी के अधिशाषी अभियंता महेन्द्रसिंह पंवार, जैसलमेर विकास समिति के सचिव चंद्रप्रकाश व्यास सहित पुरातत्व सर्वेक्षण दल के प्रतिनिधि मौजूद थे।
यह है दुर्ग का "दर्द"
सोनार किला दोषपूर्ण सीवरेज व्यवस्था और विफल जलमल निकासी से क्षण-क्षण मर रहा है। नगरपरिषद क्षेत्र के वार्ड संख्या-चार के रूप में पहचाने जाने वाले इस धरोहर में 584 परिवार व 377 नल कनेक्शन है। हर दिन सीवरेज व जल-मल निकासी से किले के परकोटे की दीवारों से बह रहे पानी से "सोनार" में सीलन बढ़ रही है। इस लिविंग फोर्ट के अस्तित्व को खतरे में डालने वाले जिम्मेदार कारणों को सुधारने का रास्ता करीब पौने दो साल पहले निकाला था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण दल ने सोनार किले का सर्वे कर सम्भावनाएं भी तलाशी, लेकिन योजना को अमलीजामा नहीं पहनाया गया।
हालत यह है कि दुर्ग की दीवारों में सीवरेज, पाइपलाइन व घरेलू नालियों के रिसाव के कारण सीलन आ गई है। बरसाती जल की निकासी नहीं होने से जर्जर मकान के समीप रहने वाले लोगों को भी जान-माल की हानि का भय सताता है।
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