पानी के लिए भीख मांग रही बालाऐं,एक घडा पानी के लिए याचना
कलेक्टर ने कच्ची बस्तियों में पानी की टंकिया रखने की बात कही
बाडमेर सीमावर्ती बाडमेर जिले में भीषण गमी्र के साथ ही पेयजल का जबरदस्तसंकट छाया हुआ हैं।ग्रामीण क्षैत्रों में हालात पहले से ही विकट हैं।जिलाप्रशासन पेयजल की समुचित व्यवस्था करने में विफल रहा हैं।पेयजल संकट केकारण ग्रामीण पलायन कों मजबूर हो रहे हैं,वहीं शहरी क्षैत्रों में पेयजलसंकट की स्थिति भयावह होती जा रही हेैं।शहरी क्षैत्र में पानी के एक एकघडे के लिए लोग भीख मांगने को मजबूर हो रहे हैं।शहरी क्षैत्र में सूरज कीपहली किरण के साथ कच्ची बस्ती के बाशिन्दें खाली घडे सिर पर पख कर घर घरएक मटका पानी भरवानें के लिए गिडगिडाती नजर आती ह,ैंजॅहा उनहें पानी कीबजाऐं दुत्कार ही मिलती हेैं।पानी के एक एक मटके के लिए छोटे छोटे बालकबालिकाऐं भीख मांग रहें हैं मगर इनकों पानी की भीख नहीं मिलती।शहरीक्षैत्र में पानी की आपूर्ति सात आठ दिनों में एक बार होने के कारण शहरीबाशिन्दों को 500-600 रूपयें देकर पानी का टैंकर डलवाना पड रहा हैंजिलामुख्यालय पर जिला स्तरीय अधिकारीयों की उपस्थिति के बावजुद पेयजलदापूर्ति में किसी प्रकार का सुधार नहीं होने के काण शहरी क्षैत्र केवाशिन्दें पानी का उपयोग में कंजुसी बरत रहे हैं।समस्या गरीब तबके केपरिवारों के सामने खडी हैं।सार्वजनिक नलों की परम्परा समाप्त हो जाने केबाद से ही कच्ची बस्तियों में पेयजल संकट मौत के समान हो गया हैं।गरीब तगके की स्थिति 500-600 रूप्ये देकर टैंकर डलवानें की नहीं हैं।ऐसे मेंछोटे छोटे बालक बालिकाओं के साथ घरों की महिलाऐं आसपास के क्षैत्रों केघरों में दस्तक देकर एक घडे पानी के लिए अनुनय करती नजर आती हैं।प्रशासनद्धारा शहरी क्षैत्रों में पेयजल संकट के बावजूद सरकारी पेयजल टैंकरों कीव्यवस्था नही कर पाई।जबकी पूववर्ती सालों में शहरी क्षैत्रों में स्थितकच्ची बस्तियों में पेयजल आपूर्ति के लिऐं सरकारी टैंकरों के माध्यम सेआपूर्ति की व्यवस्था की जाती रही हैं।इस वर्ष जिला प्रशासन द्धाराटैंकरों की व्यवस्था नहीं करने के कारण गरीब तबके के लोग पानी के एक घडेके लिऐं भीख मांगनें को मजबूर हैं।लौहार कच्ची बस्ती कें रावताराम भील नेबताया कि पानी की इतनी किल्लत साठ साल की उम्र में कभी नही देखी।पानी नेंहमारे परिवारों को भीख मांगना सिखा दिया।श्रीमति हरिया ने बताया कि घर घरपानी के लिए गिडगिडाते हैं,भीख मांग कर याचनाऐंक रने केि बावजूद एक घडा
पानी नशीब नही होता।पहलें कोई ना कोई पानी का एक घडा भरवा देते थे मगरपेयजल आपूर्ति सात आठ दिनों में एक बार करने के बाद पानी कोई नहीभरवाते।कितनी लाचारी एक घडे पानी के लिऐं करें।जिला कलेक्टर डॉ वीणा प्रधान ने बताया की नें बताया कि शहरी क्षैत्रों की कच्ची बस्तियों में पेयजल आपूर्ति के लिऐ प्रत्येक कच्ची बस्ती में सिंटेक्स की टंकियो की व्यवस्था की जा रही हें सभी बस्तियों में टंकिया रखवा कर टेंकरों से भरवाई जायेगी ताकि कच्ची बसतियो में पेयजल की तकलीफ ना हो साथ ही नगर पालिका कों पाबन्द किया जाऐगा।शीघ्र शहरी क्षैत्र में टैंकरों सेआपूर्ति आरम्भ की जाऐगी।
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बाडमेर सीमावर्ती बाडमेर जिले में भीषण गमी्र के साथ ही पेयजल का जबरदस्तसंकट छाया हुआ हैं।ग्रामीण क्षैत्रों में हालात पहले से ही विकट हैं।जिलाप्रशासन पेयजल की समुचित व्यवस्था करने में विफल रहा हैं।पेयजल संकट केकारण ग्रामीण पलायन कों मजबूर हो रहे हैं,वहीं शहरी क्षैत्रों में पेयजलसंकट की स्थिति भयावह होती जा रही हेैं।शहरी क्षैत्र में पानी के एक एकघडे के लिए लोग भीख मांगने को मजबूर हो रहे हैं।शहरी क्षैत्र में सूरज कीपहली किरण के साथ कच्ची बस्ती के बाशिन्दें खाली घडे सिर पर पख कर घर घरएक मटका पानी भरवानें के लिए गिडगिडाती नजर आती ह,ैंजॅहा उनहें पानी कीबजाऐं दुत्कार ही मिलती हेैं।पानी के एक एक मटके के लिए छोटे छोटे बालकबालिकाऐं भीख मांग रहें हैं मगर इनकों पानी की भीख नहीं मिलती।शहरीक्षैत्र में पानी की आपूर्ति सात आठ दिनों में एक बार होने के कारण शहरीबाशिन्दों को 500-600 रूपयें देकर पानी का टैंकर डलवाना पड रहा हैंजिलामुख्यालय पर जिला स्तरीय अधिकारीयों की उपस्थिति के बावजुद पेयजलदापूर्ति में किसी प्रकार का सुधार नहीं होने के काण शहरी क्षैत्र केवाशिन्दें पानी का उपयोग में कंजुसी बरत रहे हैं।समस्या गरीब तबके केपरिवारों के सामने खडी हैं।सार्वजनिक नलों की परम्परा समाप्त हो जाने केबाद से ही कच्ची बस्तियों में पेयजल संकट मौत के समान हो गया हैं।गरीब तगके की स्थिति 500-600 रूप्ये देकर टैंकर डलवानें की नहीं हैं।ऐसे मेंछोटे छोटे बालक बालिकाओं के साथ घरों की महिलाऐं आसपास के क्षैत्रों केघरों में दस्तक देकर एक घडे पानी के लिए अनुनय करती नजर आती हैं।प्रशासनद्धारा शहरी क्षैत्रों में पेयजल संकट के बावजूद सरकारी पेयजल टैंकरों कीव्यवस्था नही कर पाई।जबकी पूववर्ती सालों में शहरी क्षैत्रों में स्थितकच्ची बस्तियों में पेयजल आपूर्ति के लिऐं सरकारी टैंकरों के माध्यम सेआपूर्ति की व्यवस्था की जाती रही हैं।इस वर्ष जिला प्रशासन द्धाराटैंकरों की व्यवस्था नहीं करने के कारण गरीब तबके के लोग पानी के एक घडेके लिऐं भीख मांगनें को मजबूर हैं।लौहार कच्ची बस्ती कें रावताराम भील नेबताया कि पानी की इतनी किल्लत साठ साल की उम्र में कभी नही देखी।पानी नेंहमारे परिवारों को भीख मांगना सिखा दिया।श्रीमति हरिया ने बताया कि घर घरपानी के लिए गिडगिडाते हैं,भीख मांग कर याचनाऐंक रने केि बावजूद एक घडा
पानी नशीब नही होता।पहलें कोई ना कोई पानी का एक घडा भरवा देते थे मगरपेयजल आपूर्ति सात आठ दिनों में एक बार करने के बाद पानी कोई नहीभरवाते।कितनी लाचारी एक घडे पानी के लिऐं करें।जिला कलेक्टर डॉ वीणा प्रधान ने बताया की नें बताया कि शहरी क्षैत्रों की कच्ची बस्तियों में पेयजल आपूर्ति के लिऐ प्रत्येक कच्ची बस्ती में सिंटेक्स की टंकियो की व्यवस्था की जा रही हें सभी बस्तियों में टंकिया रखवा कर टेंकरों से भरवाई जायेगी ताकि कच्ची बसतियो में पेयजल की तकलीफ ना हो साथ ही नगर पालिका कों पाबन्द किया जाऐगा।शीघ्र शहरी क्षैत्र में टैंकरों सेआपूर्ति आरम्भ की जाऐगी।
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