रायपुर. गरीबों की मौत का फर्जी इंश्योरेंस करने वाले रैकेट ने एक-एक मृतक के 20-22 उत्तराधिकारी (नॉमिनी) बना डाले थे। एलआईसी की जनश्री इंश्योरेंस पॉलिसी के जरिए ऐसे ही नॉमिनी के नाम पर पंडरी की एलआईसी शाखा से पौने दो करोड़ रुपए जारी किए। यह रैकेट नगर निगम के अधिकारी, बीमा कराने वाली एनजीओ और एलआईसी के एजेंट व अधिकारियों की मिलीभगत से चलाता रहा। सीबीआई में इस घोटाले की जांच तब शुरू हुई जब एक-एक मृतक के नाम से 20-22 नामिनी की लिस्ट सामने आई।
सीबीआई ने राजधानी में जिन दो एलआईसी अफसरों एचके गढ़पाल और एके देवांगन के मकान में दबिश दी, वे पंडरी में प्रबंधकीय अधिकारी के पद पर पदस्थ हैं। उनके रहते हुए बिलासपुर जिले में जनश्री बीमा योजना के अंतर्गत सैकड़ों गरीबों का बीमा किया गया। वर्ष 2006- 2009 तक इसके लिए बिलासपुर के नगर निगम को नोडल एजेंसी नियुक्त की गई। बीमा कराने के लिए एलआईसी एजेंट व एनजीओ कार्यकर्ता विजय पांडे ने नगर निगम राजस्व विभाग के अधिकारी अशोक सूर्यवंशी के साथ मिलकर पूरी साजिश रची।
एनजीओ ने मिलकर फर्जी नामों की लिस्ट तैयार कर अलग-अलग तिथि में इसे नगर निगम में पुटअप किया। इसके बाद वहां से अलग-अलग दिनों में पांच सौ से ज्यादा मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए गए थे। प्रमाण-पत्र जारी करने के दौरान जिम्मेदार कर्मचारियों और अधिकारियों ने नाम का भी ध्यान नहीं रखा। फर्जीवाड़े में इन्होंने एक-एक मृतक के लिए 20-22 नामिनी बना डाले। डेथ सर्टिफिकेट को एलआईसी में जमा कर फर्जी नॉमिनी के नाम से पैसे निकाले गए। जांच में सारे केस फर्जी मिले।
क्या है जनश्री बीमा योजना
जनश्री बीमा योजना 1998 में केंद्र सरकार द्वारा भारतीय जीवन बीमा निगम के जरिए देशभर में शुरू की गई थी। इसके तहत गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वालों का मृत्यु पूर्व बीमा किया जाता है। 100 रुपए के प्रीमियम पर होने वाली इस बीमा योजना में बीमित व्यक्ति के मरने के बाद परिवार को 50 हजार रुपए तक देने का प्रावधान है। अगर दुर्घटना हो तो 20 हजार रुपए तक की राशि मिल सकती है। इसके लिए नगर निगम को नोडल एजेंसी बनाई जाती है। प्रदेश के जंगली इलाकों में तेंदूपत्ता मजदूरों के लिए भी जनश्री बीमा योजना का प्रावधान है, जिसे वन विभाग द्वारा संचालित किया जाता है।
भोपाल में भी हुए फर्जी बीमा
भोपाल और पड़ोसी जिलों में भी तीन महीने पहले एलआईसी में एनजीओ के जरिए फर्जी बीमा क्लेम के केस पकड़े गए थे। यह गरीबी रेखा के अलावा सामाजिक स्तर पर समूह में की जाने वाली पॉलिसी का मामला था। सीबीआई की सेंट्रल विजिलेंस टीम ने भोपाल में भी कई अधिकारियों और एलआईसी एजेंटों के घरों में छापे मारे थे। वहां से टीम को कई अहम दस्तावेज बरामद हुए और ढेरों पैसे मिले। सीबीआई ने अभी इस प्रकरण में अपराध दर्ज कर किसी की गिरफ्तारी नहीं की है। यह मामला इंवेस्टिगेशन में है। बुधवार को रायपुर और बिलासपुर में सीबीआई छापे के बाद भोपाल विजिलेंस टीम से भी जानकारी मांगी गई है। यह भी पता लगाया जा रहा है कि कहीं दोनों राज्यों की राजधानी में एक जैसे ही एनजीओ का गिरोह तो सक्रिय नहीं है?
सीबीआई ने राजधानी में जिन दो एलआईसी अफसरों एचके गढ़पाल और एके देवांगन के मकान में दबिश दी, वे पंडरी में प्रबंधकीय अधिकारी के पद पर पदस्थ हैं। उनके रहते हुए बिलासपुर जिले में जनश्री बीमा योजना के अंतर्गत सैकड़ों गरीबों का बीमा किया गया। वर्ष 2006- 2009 तक इसके लिए बिलासपुर के नगर निगम को नोडल एजेंसी नियुक्त की गई। बीमा कराने के लिए एलआईसी एजेंट व एनजीओ कार्यकर्ता विजय पांडे ने नगर निगम राजस्व विभाग के अधिकारी अशोक सूर्यवंशी के साथ मिलकर पूरी साजिश रची।
एनजीओ ने मिलकर फर्जी नामों की लिस्ट तैयार कर अलग-अलग तिथि में इसे नगर निगम में पुटअप किया। इसके बाद वहां से अलग-अलग दिनों में पांच सौ से ज्यादा मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए गए थे। प्रमाण-पत्र जारी करने के दौरान जिम्मेदार कर्मचारियों और अधिकारियों ने नाम का भी ध्यान नहीं रखा। फर्जीवाड़े में इन्होंने एक-एक मृतक के लिए 20-22 नामिनी बना डाले। डेथ सर्टिफिकेट को एलआईसी में जमा कर फर्जी नॉमिनी के नाम से पैसे निकाले गए। जांच में सारे केस फर्जी मिले।
क्या है जनश्री बीमा योजना
जनश्री बीमा योजना 1998 में केंद्र सरकार द्वारा भारतीय जीवन बीमा निगम के जरिए देशभर में शुरू की गई थी। इसके तहत गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वालों का मृत्यु पूर्व बीमा किया जाता है। 100 रुपए के प्रीमियम पर होने वाली इस बीमा योजना में बीमित व्यक्ति के मरने के बाद परिवार को 50 हजार रुपए तक देने का प्रावधान है। अगर दुर्घटना हो तो 20 हजार रुपए तक की राशि मिल सकती है। इसके लिए नगर निगम को नोडल एजेंसी बनाई जाती है। प्रदेश के जंगली इलाकों में तेंदूपत्ता मजदूरों के लिए भी जनश्री बीमा योजना का प्रावधान है, जिसे वन विभाग द्वारा संचालित किया जाता है।
भोपाल में भी हुए फर्जी बीमा
भोपाल और पड़ोसी जिलों में भी तीन महीने पहले एलआईसी में एनजीओ के जरिए फर्जी बीमा क्लेम के केस पकड़े गए थे। यह गरीबी रेखा के अलावा सामाजिक स्तर पर समूह में की जाने वाली पॉलिसी का मामला था। सीबीआई की सेंट्रल विजिलेंस टीम ने भोपाल में भी कई अधिकारियों और एलआईसी एजेंटों के घरों में छापे मारे थे। वहां से टीम को कई अहम दस्तावेज बरामद हुए और ढेरों पैसे मिले। सीबीआई ने अभी इस प्रकरण में अपराध दर्ज कर किसी की गिरफ्तारी नहीं की है। यह मामला इंवेस्टिगेशन में है। बुधवार को रायपुर और बिलासपुर में सीबीआई छापे के बाद भोपाल विजिलेंस टीम से भी जानकारी मांगी गई है। यह भी पता लगाया जा रहा है कि कहीं दोनों राज्यों की राजधानी में एक जैसे ही एनजीओ का गिरोह तो सक्रिय नहीं है?
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