लंदन. इंटरनेट उपभोक्ताओं के लिए बढिय़ा खबर है। इंटरनेट पर तेजी से घट रहे वेब एड्रेसेज की चिंता हल हो गई है। अब कई लाख करोड़ वेब एड्रेस सुरक्षित रखने की सुविधा उपलब्ध हो गई है। बुधवार से नया इंटरनेट प्रोटोकॉल वर्जन6 (आईपीवी6) शुरू हो गया।
मौजूदा समय में आईपीवी4 प्रोटोकॉल का इस्तेमाल हो रहा है। यह प्रोटोकॉल केवल चार अरब आईपी एड्रेस ही सपोर्ट करता है। लेकिन इंटरनेट उपयोग करने वालों की संख्या चार अरब से कहीं अधिक है। ऐसे में आईपी एड्रेस आपस में बांटना पड़ता था। इससे आने वाले समय में वेब एड्रेस खत्म होने का भी खतरा था। लेकिन नए प्रोटोकॉल की मदद से इंटरनेट पर हर उपकरण को अलग आईपी एड्रेस मिल सकेगा। इंटरनेट सोसाइटी के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर लेजली डेगल ने कहा, 'यह प्रोटोकॉल भविष्य में इंटरनेट इस्तेमाल करने का स्थायी तरीका है।'
पहले क्या थी मुश्किल
आईपी एड्रेस बांटने के चलते धीमी इंटरनेट स्पीड
कई उपकरणों के एक समान एड्रेस होने के चलते उन्हें ट्रैक करने में मुश्किल
सुरक्षा की दृष्टि से कमजोर
अब क्या होगा फायदा
अलग आईपी एड्रेस के चलते बढ़ेगी नेट स्पीड
सुरक्षा की दृष्टि से अधिक फायदेमंद।
जल्दी ट्रैक किए जा सकेंगे उपकरण
साल के अंत तक आईपीवी6 से जुडेंगी सरकारी वेबसाइट्स
देश की सभी सरकारी वेबसाइट्स साल के अंत तक आईपीवी-6 से जुड़ जाएंगी। दूरसंचार सचिव आर. चंद्रशेखर ने कहा, 'यह प्रोटोकॉल सुरक्षा मुद्दों को बेहतर तरीके से संभाल सकता है। पूरा देश 2020 तक इसका उपयोग शुरू कर देगा।' फि लहाल सरक ारी वेबसाइटें आईपीवी4 पर हैं। चंद्रशेखर ने आईपीवी6 की शुरुआत के उपलक्ष में यहां आयोजित क ार्यक्रम में यह जानक ारी दी। उन्होंने क हा, 'आईपीवी6 का डिजाइन सुरक्षात्मक मामलों को बेहतर ढंग से निपटने के लिए किया गया है। इस साल दिसंबर तक सभी सरकारी वेबसाइट आईपीवी6 अनुकूल होंगी। पूरे देश के लिए आर्ईपीवी6 के लिए 2020 तक का समय रखा गया है।'
मौजूदा समय में आईपीवी4 प्रोटोकॉल का इस्तेमाल हो रहा है। यह प्रोटोकॉल केवल चार अरब आईपी एड्रेस ही सपोर्ट करता है। लेकिन इंटरनेट उपयोग करने वालों की संख्या चार अरब से कहीं अधिक है। ऐसे में आईपी एड्रेस आपस में बांटना पड़ता था। इससे आने वाले समय में वेब एड्रेस खत्म होने का भी खतरा था। लेकिन नए प्रोटोकॉल की मदद से इंटरनेट पर हर उपकरण को अलग आईपी एड्रेस मिल सकेगा। इंटरनेट सोसाइटी के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर लेजली डेगल ने कहा, 'यह प्रोटोकॉल भविष्य में इंटरनेट इस्तेमाल करने का स्थायी तरीका है।'
पहले क्या थी मुश्किल
आईपी एड्रेस बांटने के चलते धीमी इंटरनेट स्पीड
कई उपकरणों के एक समान एड्रेस होने के चलते उन्हें ट्रैक करने में मुश्किल
सुरक्षा की दृष्टि से कमजोर
अब क्या होगा फायदा
अलग आईपी एड्रेस के चलते बढ़ेगी नेट स्पीड
सुरक्षा की दृष्टि से अधिक फायदेमंद।
जल्दी ट्रैक किए जा सकेंगे उपकरण
साल के अंत तक आईपीवी6 से जुडेंगी सरकारी वेबसाइट्स
देश की सभी सरकारी वेबसाइट्स साल के अंत तक आईपीवी-6 से जुड़ जाएंगी। दूरसंचार सचिव आर. चंद्रशेखर ने कहा, 'यह प्रोटोकॉल सुरक्षा मुद्दों को बेहतर तरीके से संभाल सकता है। पूरा देश 2020 तक इसका उपयोग शुरू कर देगा।' फि लहाल सरक ारी वेबसाइटें आईपीवी4 पर हैं। चंद्रशेखर ने आईपीवी6 की शुरुआत के उपलक्ष में यहां आयोजित क ार्यक्रम में यह जानक ारी दी। उन्होंने क हा, 'आईपीवी6 का डिजाइन सुरक्षात्मक मामलों को बेहतर ढंग से निपटने के लिए किया गया है। इस साल दिसंबर तक सभी सरकारी वेबसाइट आईपीवी6 अनुकूल होंगी। पूरे देश के लिए आर्ईपीवी6 के लिए 2020 तक का समय रखा गया है।'
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