रविवार, 30 नवंबर 2014

वादे और इरादे

वादे और इरादे
शब्दकोश में अगर मजबूरी शब्द नहीं होता तो हमारी सरकारों का क्या होता? पांच साल तक वह जनता को क्या जवाब देतीं? सरकार आज कोई वादे को पूरा करने में नाकाम रहती है तो अदालत हो या जनता की अदालत में मजबूरी का बहाना लेकर अपना पीछा छुड़ाना चाहती है। आज भले केन्द्रीय मंत्री संसद में कोई भी बयान क्यों न दे लेकिन सरकार आने पर सौ दिन में विदेशों से काला धन वापस लाने का वादा करने वाली सरकार भी उसी पुरानी परिपाटी पर चलती नजर आ रही है। 


promises and intentions

भाजपा सरकार भी पिछली सरकार की तरह अपनी मजबूरियां गिना कर काला धन वापस लाने में असमर्थता जता रही है। वित्त मंत्री अरूण जेटली संसद में बयान दे रहे हैं कि सरकार काला धन लाने के मुद्दे पर गंभीर है लेकिन उसे अंतरराष्ट्रीय संधियों की पालना करनी पड़ती है। वे अब कह रहे हैं कि कुछ खाताधारकों ने बैंकों से अपनी रकम निकाल ली। लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेन्द्र मोदी, तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह और स्वयं जेटली जब सौ दिन में काला धन वापस लाने की बात कह रहे थे तब क्या उन्हें अंतरराष्ट्रीय संधियों से वचनबद्धता की जानकारी नहीं थी?

काला धन वापस लाने में यदि इतनी मजबूरियां हैं तो क्या ये मजबूरियां मनमोहन सिंह सरकार के सामने नहीं रहीं होंगी? भाजपा नेता इस मुद्दे पर तब सरकार को संसद में क्यों घेरते थे? क्या जनता को यह बताने के लिए कि यूपीए सरकार में काला धन वापस लाने की इच्छाशक्ति नहीं है या फिर वह काले धन कुबेरों को बचाना चाहती है। विपक्ष में रहकर सरकार पर आरोप लगाना आसान होता है क्योंकि उसमें कुछ बिगड़ता नहीं है। भाजपा नेताओं को अब पता चल रहा होगा कि आरोप लगाने और उसे साबित करने में कितना अंतर होता है? पूरे बहुमत के साथ सरकार में बैठकर भी यदि जोर-शोर से किए गए वादे को पूरा करने में नाकामी हाथ लगे तो मतदाता कथनी और करनी के अंतर को भी साफ समझ लेते हैं।

काले धन का मुद्दा भाजपा पिछले चार-पांच साल से जोर-शोर से उठाती रही है और उसने जनता को यह विश्वास दिला दिया था कि उसके सत्ता में आने के सौ दिन में काला धन वापस आ जाएगा। देश खुशहाल हो जाएगा और लोगों पर टैक्स की मार कम हो जाएगी। अब तो दो सौ दिन पूरे होने जा रहे हैं। फिर भी सरकार मजबूरियों का रोना रो रही है तो कैसे लगे कि "अच्छे दिन" आने वाले हैं।

पॉलिटेक्निक कर रहे छात्र ने लगाई फांसी

पॉलिटेक्निक कर रहे छात्र ने लगाई फांसी
बैतूल।चंद्रशेखर वार्ड में किराए से रहने वाले पॉलिटेक्निक के एक छात्र ने शनिवार दोपहर अपने ही कमरे मे फांसी लगा ली,जिससे उसकी मौत हो गई। फांसी लगाए जाने का कारण अज्ञात है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

Are Polytechnic student hanging made

थाना कोतवाली की सब इंस्पेक्टर रमा मेश्राम ने बताया कि दोपहर में सूचना मिली कि चंद्रशेखर वार्ड में शांति देशमुख के मकान में किराए से रहने वाले पॉलिटेक्निक के छात्र कन्हैया मसतकर ने अपने ही कक्ष मे फांसी लगा ली,जिससे उसकी मौत हो गई। वह शासकीय पॉलिटेक्निक सोनाघाटी में इलेक्ट्रानिक्स में द्वितीय वर्ष का छात्र था। आठ महीने पहले ही किराए के मकान में रहने आया था।


मेश्राम ने बताया कि कन्हैया सुबह दस बजे के लगभग अपने कमरे मे आया था। उसने बाजू में ही रहने वाले सिद्धार्थ से कुर्सी मांगी और अपने कमरे में चला गया। कुछ देर बाद जब सिद्धार्थ वापस कुर्सी लेने पहुंचा तो अंदर से दरवाजा बंद था।


सिद्धार्थ ने खिड़की से देखा तो कन्हैया फांसी पर लटका हुआ था। कन्हैया ने लेंटर की छत रस्सी बांधकर कुर्सी के सहारे फांसी लगा ली थी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच पड़ताल के बाद शव को उतारा। छात्र के परिजन भी पहुंच गए थे। -

कल्याणपुर। लड़खड़ाई पेयजल आपूर्ति

कल्याणपुर। लड़खड़ाई पेयजल आपूर्ति

कल्याणपुर। कस्बे में बिगड़ी जलापूर्ति व्यवस्था पर रहवासियों की परेशानियां बढ़ गई है। सर्दी में भी पेयजल किल्लत है। ओवरहैड टैंक के निर्माण का कार्य धीमी गति से होने से यह स्थिति बनी हुई है।

क्षेत्र में मीठा पानी उपलब्ध करवाने के लिए वर्ष 2008 में मुख्यमंत्री ने उम्मेदसागर-धवा-कल्याणपुर-समदड़ी-खंडप पेयजल योजना का शिलान्यास किया था।

जिस पर कस्बे सहित क्षेत्र के लोगों ने शीघ्र ही पेयजल समस्या के निजात मिलने को लेकर उम्मीद संजोई थी, लेकिन योजना की धीमी गति से चल रहे कार्य पर ग्रामीणों को पेयजल के रूप में पहले की तरह ही परेशानियां उठानी पड़ रही है।


Plummeting water supply

वैकल्पिक व्यवस्था बंद
उम्मेदसागर-कल्याणपुर-खंडप पेयजल योजना के तहत सरकार ने कस्बे समदड़ी में पेयजल सप्लाई शुरू की थी। कस्बे के ग्रामीणों की मांग पर सरकार ने वैकल्पिक व्यवस्था के लिए पेयजल लाइन से कस्बे के तालाब में पानी छोड़ने का निर्णय लिया।

इस पर तालाब में एकत्रित होने वाले पानी को ग्रामीण टंकियों से भरकर अपनी जरूरत पूरी करते थे, लेकिन पांच दिन पूर्व जलदाय विभाग की ओर से एयरवॉल्व पर लगा इनडेन्ड हटा दिया गया।

जिससे पेयजल सप्लाई बंद हो गई। ऎसे में तालाब में नहीं पहुंच रहे पानी से पेयजल को लेकर कस्बे सहित क्षेत्रके ग्रामीणों के सामने समस्या खड़ी हो गई है।

तिरसिंगड़ी, थोब, रेवाड़ा तालाब का पानी टैंकरों से डलवाकर ग्रामीण अपनी जरूरत पूरी कर रहे हैं। टैंकर संचालकों के प्रति टैंकर 7-8 सौ रूपए राशि वसूलने से ग्रामीणों की हालत खस्ताहाल हो गई है।

धीमी गति से हो रहा कार्य
पेयजल योजना का पानी उपलब्ध करवाने के लिए जलदाय विभाग की ओर से ओवरहैड टैंक का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन कार्य की गति इतनी धीमी है कि आधा ही कार्य पूरा हो पाया है। इस पर कई दिनों तक ग्रामीणों को योजना का सीधा पानी उपलब्ध नहीं होगा यह तय सा है।

बालोतरा। पदरिक्तता का असर अध्ययन पर

बालोतरा। पदरिक्तता का असर अध्ययन पर
बालोतरा। राजकीय एमबीआर स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राचार्य सहित व्याख्याताओं के रिक्त पदों के कारण विद्यार्थियों का अध्ययन प्रभावित हो रहा है।

वर्ष 2008 में महाविद्यालय को स्नातकोत्तर में क्रमोन्नत तो कर दिया, लेकिन स्वीकृत पदों को नहीं भरा गया। विज्ञान संकाय नहीं होने से छात्र पढ़ाई के लिए अन्यत्र बड़े शहरों की ओर रूख करने को मजबूर है।

शारीरिक शिक्षक नहीं होने से खिलाडियों को आगे बढ़ने के अवसर से वंचित होना पड़ रहा है। रिक्त पद भरने को लेकर छात्रों ने कई बार विरोध प्रदर्शन भी किया।

सरकार व जनप्रतिनिधियों को अवगत करवाया, लेकिन सिवाय आश्वासन के इन्हें आज दिन तक कुछ नहीं मिला। जनप्रतिनिधियों की फौरी पैरवी पर समस्या जस की तस बनी हुई है।


To study the effect of Pdriktta

यह है स्थिति
महाविद्यालय में एक माह से प्राचार्य का पद रिक्त है। एक वर्ष से अधिक समय से उप प्राचार्य का पद रिक्त है। राजनीति विज्ञान के स्वीकृत व्याख्याता के तीनों पद खाली है।

भूगोल, अर्थशास्त्र, लेखाशास्त्र व्याख्याताओं के पद लम्बे समय से रिक्त है। इसके अलावा लाइब्रेरियन, कनिष्ठ लिपिक, प्रयोगशाला सहायक, प्रयोगशाला ब्रेवर व एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का पद भी रिक्त है।

परिणाम पर पड़ता है असर
नगर में महाविद्यालय नाममात्र का ही है। प्राचार्य सहित व्याख्याताओं के पद लम्बे समय से रिक्त होने से पढ़ाई चौपट हुई जा रही है। जिसका खामियाजा परीक्षा परिणाम के रूप में भुगतना पड़ता है। सरकार पद भरें।
महेन्द्र प्रजापत, छात्रसंघ महासचिव

अवगत करवाते हैं
पद रिक्तता को लेकर कॉलेज शिक्षा निदेशालय को समय-समय पर अवगत करवाते हैं। वहां से ही पदों की स्वीकृति की जाती है। व्यवस्था में परेशानी तो आती है, लेकिन सहयोग से कार्य करते हैं।
रचना चैतन्य, कार्यवाहक प्राचार्य

पद रिक्तता से छात्राओ की पढ़ाई प्रभावित
मोकलसर. कस्बे के मेहरामचंद हुण्डिया राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में लम्बे समय से प्रधानाचार्य सहित व्याख्याताओं के पद रिक्त होने से बालिकाओं की पढ़ाई चौपट हो रही है।

परेशान अभिभावक व बालिकाएं कई बार जनप्रतिनिधियों से पद भरने की मांग कर चुके हैं, लेकिन आज दिन तक एक भी पद नहीं भरा गया है। इससे अभिभावकों व ग्रामीणों में रोष्ा है।

विद्यालय में वर्ष 2005 से प्रधानाचार्य का पद रिक्त चल रहा है। अंग्रेजी, हिंदी, इतिहास, हिंदी साहित्य विष्ायों के व्याख्याता के पद भी रिक्त हैं।

शैक्षणिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक व्याख्याता व दो वरिष्ठ अध्यापकों को यहां नियुक्त कर रखा है, लेकिन इनके अवकाश पर रहने से छात्राओं की पढ़ाई चौपट हो जाती है। विद्यालय का हर वर्ष कम रहते परिणाम पर इस बात को समझा जा सकता है।

रिक्त पद भरें
विद्यालय में बड़ी संख्या में पद रिक्त है। जिससे छात्रों की पढ़ाई चौपट हुई जा रही है। सरकार से कई बार मांग की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं की जा रही है।
रेशमीदेवी भाटी, सरपंच मोकलसर

परिणाम प्रभावित
विद्यालय में बड़ी संख्या में पद रिक्तता के चलते बालिकाओं का परिणाम प्रभावित हो रहा है। सरकार अविलम्ब रिक्त पद भरें।
अणसीदेवी, जिला परिषद सदस्य

प्रयास जारी है
रिक्त पदों को भरने को लेकर सरकार को अवगत करवाया गया है। प्रयास जारी है, उम्मीद है शीघ्र ही पद भरे जाएंगे।
हमीरसिंह भायल, विधायक -

बाड़मेर। रोजगार के लिए पंजीकरण से हुआ मोह भंग

बाड़मेर। रोजगार के लिए पंजीकरण से हुआ मोह भंग
बाड़मेर। सुरसा के मुंह की तरह बढ़ रही बेरोजगारी के दौर में बेरोजगारों का रोजगार कार्यालय के प्रति मोह भंग हो रहा है। हजारों बेरोजगार रोजगार के लिए भटक रहे हैं, लेकिन पंजीकरण के लिए रोजगार कार्यालय की दहलीज पर चढ़ने वालों की तादाद बहुत कम है।
इसका कारण है सीधी भर्ती में रोजगार कार्यालय में रजिस्ट्रेशन (पंजीयन) की अनिवार्यता नहीं होना। ऎसे में बेरोजगार रोजगार कार्यालय में पंजीयन करवाने में दिलचस्पी नहीं ले रहे।

सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों में रोजगार के लिए बेरोजगारों की युवाओं की लम्बी कतारें लग जाती है। उन्हें बस एक अदद नौकरी चाहिए, लेकिन कभी नौकरी देने का जरिया रहे रोजगार कार्यालय के प्रति इनकी दिलचस्पी कम हो रही है।

Employment grew disillusioned with the registration

जिला रोजगार कार्यालय में मात्र 8 हजार 280 बेरोजगारों का ही पंजीयन हो रखा है। इससे ज्यादा बेरोजगार तो हर साल शिक्षा स्नातक (बीएड) करके आ रहे हैं।

ऎसे में सवाल यह उठता है कि आखिर बेरोजगार पंजीयन क्यों नहीं करवाते? इसका एक कारण यह है कि पहले सरकारी भर्ती रोजगार कार्यालय के मार्फत आती थी और उसमें रोजगार कार्यालय से पंजीयन की अनिवार्यता होती थी, लेकिन अब सीधी भर्ती निकलने लगी है। इसके चलते रोजगार पंजीयन की अनिवार्यता खत्म हो गई है। ऎसे में बेरोजगार भी पंजीयन करवाने में कम दिलचस्पी ले रहे हैं।

अदालत में भर्ती से बढ़ा पंजीयन
करीब दो-तीन माह पहले न्यायालय में विभिन्न पदों की भर्ती आई थी। इसमें आवेदक के लिए रोजगार कार्यालय में पंजीयन होना अनिवार्य था। इसके चलते करीब एक-डेढ़ हजार आवेदन एक साथ हो गए, जबकि इससे पहले जो पंजीयन थे, वे सालों से चल रहे थे।

पंजीयन रद्द, दूबारा नहीं
कई ऎसे बेरोजगार हैं जिन्होंने एक बार पंजीयन करवाया, लेकिन इसका नवीनीकरण नहीं करवाया। ऎसे सैकड़ों युवा है जिनका पंजीयन नवीनीकरण नहीं हुआ और रद्द हो चुका है। -

बाड़मेर। अव्यवस्था में भी 100 महिलाओं ने कराई नसबंदी

बाड़मेर। अव्यवस्था में भी 100 महिलाओं ने कराई नसबंदी

बाड़मेर। स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व प्राथमिक केंद्र में शनिवार को परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत नसबंदी शिविर का आयोजन किया गया। इस दौरान सिणधरी में 67 एवं होडू में 25 महिलाओं की नसबंदी की गई। इसी तरह अजीज में आयोजित शिविर में 7 महिलाओं की नसबंदी की गई। जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि आज भी नसबंदी के शिविर धोरीमन्ना, जासोल, खंडप में लगाए जाएंगे।

100 women sterlized insystmaticly

रहा अव्यवस्था का आलम
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में बने विश्राम गृह को स्टोर के रूप में उपयोग करने से नसबंदी के लिए आने वाली महिलाओं व उनके परजिन को परेशानी का सामना करना पड़ा। महिलाएं दिन भर परिसर में पेड़ों व भवनों की छाया में बैठी रही एवं विश्राम गृह पर ताला लटकता रहा। -

सिवाना। फर्जी लूट पर्दाफाश, आरोपित गिरफ्तार


सिवाना। फर्जी लूट पर्दाफाश, आरोपित गिरफ्तार
सिवाना। पुलिस ने 28 दिन पूर्व दर्ज लूट के फर्जी प्रकरण का पर्दाफाश करते हुए दो आरोपितों को गिरफ्तार किया है। थानाधिकारी ज्ञानसिंह ईदा ने बताया कि जोगाराम पुत्र छोगाराम निवासी मायलावास ने 1 नवम्बर को रिपोर्ट पेश कर बताया था कि उसने सुरेश कुमार पुत्र धुकाराम निवासी मायलावास को जीप देकर डूंगरसिंह पुरोहित को लाने के लिए देवड़ा गांव भेजा था। जो वापिस नहीं लौटा।

पीछे जाने पर देखा तो अर्जियाणा सरहद के नाले में जीप की सीट पर सुरेश कुमार बंधा हुआ था। वहीं गाड़ी के कांच टूटे हुए थे। 21 सौ रूपए व मोबाइल छीन लिया था। रिपोर्ट में बताया कि उसने घटना से पूर्व सुरेश कुमार को तीन लाख रूपए दिए थे।

प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक अनिल देशमुख व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जसाराम बोस के निर्देश पर पुलिस उप अधीक्षक राजेन्द्र डिढारिया की निगरानी में सहायक थानाधिकारी सिवाना शेराराम, कांस्टेबल पदमपुरी, बृजमोहन की टीम गठित की गई।

टीम सुरेश कुमार की गतिविधियों पर नजर रखे हुए थी। मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने सुरेश कुमार व पेमाराम पुत्र गणेशाराम मवड़ी को तलब कर पूछताछ की। जिस पर लूट के मामले का पर्दाफाश हुआ।

loot plan exposed, accused arrested

एक दिन पहले बनाई लूट की योजना
घटना से पूर्व रात्रि जोगाराम ने मार्बल खरीदी को जाने के लिए सुरेश कुमार को 3 लाख रूपए दिए थे। इस पर सुरेश ने अपने मित्र पेमाराम के साथ मिलकर लूट की घटना क ो अंजाम देने का षड्यंत्र रचा।

जोगाराम ने 1 नवम्बर को सुबह सुरेश को डूंगरसिंह को लाने के लिए देवड़ा भेजा। इस दौरान तय योजना के अनुसार सुरेश की जानकारी पर पेमाराम देवड़ा को जाने वाले मार्ग पर मोटर साइकिल से पहुंचा। अर्जियाणा के समीप दोनों ने बनावटी लूट दर्शाने क लिए गाड़ी के कांच फोड़े।

वहीं पेमाराम ने सुरेश को गाड ी में बांध दिया। तीन लाख रूपए व मोबाइल लेकर पेमाराम यहां से चला गया। सुरेश के नहीं पहुंचने पर जोगाराम उसकी खोज में देवड़ा की ओर रवाना हुआ तो वह गाड़ी से बंधा मिला पाया। इस पर उसने लूट को लेकर पुलिस में रिपोर्ट पेश की।

पुलिस की टीम ने मुखबिर की सूचना पर दोनों आरोपितों को गिरफ्तार किया। कड़ी पूछताछ में जुर्म करना स्वीकार किया। सुरेश कुमार ने 2 लाख व पेमाराम ने 1 लाख रूपए आपस में बांटकर लेना कबूल किया। पुलिस ने आरोपितों को गिरफ्तार कर बरामदगी के प्रयास शुरू किए। 

पोस्टमास्टरों ने किया लाखों का गबन

पोस्टमास्टरों ने किया लाखों का गबन

जयपुर। जयपुर के दो डाकघरों में गबन का खुलासा हुआ है, जिनमें औचक निरीक्षण के दौरान लाखों रूपए की गड़बड़ी सामने आई है। इनमें ज्योति नगर स्थित विद्युत भवन डाकघर से 3.34 लाख और चौमूं डाकघर से 1.25 लाख रूपए का अधिकारियों ने गबन कर लिया ।

दोनों ही जगह पोस्टमास्टरों की मिलीभगत सामने आई है। विभाग ने एक पोस्टमास्टर को निलंबित कर जांच शुरू कर दी है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जांच के बाद राशि और बढ़ सकती है। जांच में उपभोक्ताओं के खातों को भी खंगाला जा रहा है।
postmaster the embezzlement of lakh

चेक में दर्शाई राशि
विद्युत भवन परिसर में संचालित डाकघर में उपभोक्ता बचत खाता, आवर्ती जमा, मासिक आय योजना में नकद जमा कराते रहे। पोस्टमास्टर अमर सिंह ने कुछ हिस्सा रोकड़ के बजाय चेक में दर्शाकर 3.34 लाख की राशि को खुद की जेब में भर लिया । आरोपित को दो दिन पहले ही निलंबित किया है।

पहले भागा फिर जमा कराई राशि
चौमूं डाकघर में औचक निरीक्षण के लिए पहुंची टीम को राशि कम मिली। पोस्टमास्टर रामजीलाल सोलंकी तत्काल वहां से चलता बना। अधिकारियों के रोकने पर जरूरी काम का हवाला देकर निकल गया। वापस लौटा और बकाया राशि जमा करा दी। बाकी राशि दूसरी जगह रखने की आड़ लेते हुए बचाव किया।

निदेशक (डाक सेवा) दुष्यंत मुद्गल से सवाल-जवाब
सवाल. दो डाकघरों में सरकारी रोकड़ में सेंधमारी हुई है?
जवाब. ज्योति नगर और चौमूं डाकघर में करीब 4.60 लाख रूपए का गबन सामने आया है। इसमें पोस्टमास्टर की मिलीभगत सामने आई है। जांच के बाद वास्तविक गबन राशि सामने आएगी।
सवाल. क्या इनके खिलाफ कार्रवाई की गई है?
जवाब. ज्योति नगर डाकघर के पोस्टमास्टर को निलंबित किया है। चौमूं के मामले में विस्तृत जांच जारी है।
सवाल. दूसरे को निलंबित क्यों नहीं किया?
जवाब. दस्तावेज की जांच की जा रही है, जिसके आधार पर कार्रवाई करेंगे।

पहले भी हुए ऎसे मामले
जयपुर के राजापार्क डाकघर में करीब 33 लाख रूपए का गबन। पोस्टमास्टर निलंबित, जांच सीबीआई को सौंपी गई।

जेएलएन मार्ग स्थित डाकघर के पोस्टमास्टर ने घर का लोन चुकाने के लिए सरकारी खजाने से पांच लाख रूपए ले लिए। विभाग ने उसको निलंबित किया।

प्रताप नगर, सेक्टर 11-12 स्थित डाकघर के पोस्टमास्टर ने आरडी (आवर्ती जमा) लॉट की पासबुक में रोकड़ जमा होने की मुहर तो लगा दी, लेकिन करीब 2.50 लाख रूपए खुद उपयोग में ले लिए।

हल्दियों का रास्ता स्थित डाकघर में कार्यरत कर्मचारी ने उपभोक्ता की खाता राशि जमा कराने के बजाय अपने पास 5 साल तक रखा।

भरतपुर जिले के डीग मुख्य डाकघर के अंतर्गत कामां स्थि

इंसाफ के लिये दर दर भटक रहा पिता

इंसाफ के लिये दर दर भटक रहा पिता 

जयपुर। अशोक नगर इलाके में दो माह पहले हुई 11वीं के छात्र गौरांग की मौत की गुत्थी अभी तक नहीं सुलझी है। इस संबंध में हरियाणा के फरीदाबाद निवासी मृतक के चाचा ने अशोक नगर थाने में हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था, जबकि पुलिस ने ट्रेन की चपेट में आने से मौत होना बताया था।

अब मृतक गौरांग के पिता धर्मेन्द्र शर्मा निष्पक्ष जांच कर बेटे की मौत के जिम्मेदार लोगों का पता लगाने के लिए पुलिस अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं। उन्होंने दो दिन पहले पुलिस कमिश्नर को ज्ञापन भी दिया है। इसके अलावा पुलिस से कुछ सवालों के जवाब मांगे हैं।

पिता ने दिल्ली निवासी किसी लड़की के चक्कर में बेटे की मौत में एक शराब ठेकेदार और खुद के साले की संदिग्ध भूमिका बताई है। पहले अशोक नगर थाना पुलिस के पास प्रकरण था, लेकिन अब विधायपुकरी थाना प्रभारी के पास है।
death of son and wandering father for justice

यह है मामला
गौरांग जवाहर नगर निवासी अपने मामा के पास रहकर पढ़ रहा था। 29 सितम्बर की रात मामा को खाना लाने की कहकर निकला था, लेकिन वापस नहीं लौटा। एसएमएस अस्पताल में 2 अक्टूबर को उसके शव की पहचान हुई थी।

इन सवालों का मांगा जवाब
मामा ने बताया लाल टीशर्ट पहनकर घर से
निकला गौरांग, जबकि शव मिला तो काली टीशर्ट में था?
गौरांग दिल्ली निवासी एक लड़की को ठेकेदार व मामा के मोबाइल से मैसेज भेजता था, ठेकेदार को थाने लाते ही किसके कहने पर तुरंत छोड़ दिया?

गौरांग की कनपटी और गर्दन के पीछे ही चोट क्यों लगी, शरीर के अन्य हिस्से पर खरोंच क्यों नहीं आई?
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ट्रेन की चपेट में आना नहीं, बल्कि संभावना बताई है?

पुलिस ने शव की फोटो और वीडियोग्राफी क्यों नहीं करवाई?
बेटे ने आत्महत्या की तो पुलिस उसके सबूत बताए?