बाड़मेर। रोजगार के लिए पंजीकरण से हुआ मोह भंग
बाड़मेर। सुरसा के मुंह की तरह बढ़ रही बेरोजगारी के दौर में बेरोजगारों का रोजगार कार्यालय के प्रति मोह भंग हो रहा है। हजारों बेरोजगार रोजगार के लिए भटक रहे हैं, लेकिन पंजीकरण के लिए रोजगार कार्यालय की दहलीज पर चढ़ने वालों की तादाद बहुत कम है।
इसका कारण है सीधी भर्ती में रोजगार कार्यालय में रजिस्ट्रेशन (पंजीयन) की अनिवार्यता नहीं होना। ऎसे में बेरोजगार रोजगार कार्यालय में पंजीयन करवाने में दिलचस्पी नहीं ले रहे।
सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों में रोजगार के लिए बेरोजगारों की युवाओं की लम्बी कतारें लग जाती है। उन्हें बस एक अदद नौकरी चाहिए, लेकिन कभी नौकरी देने का जरिया रहे रोजगार कार्यालय के प्रति इनकी दिलचस्पी कम हो रही है।
जिला रोजगार कार्यालय में मात्र 8 हजार 280 बेरोजगारों का ही पंजीयन हो रखा है। इससे ज्यादा बेरोजगार तो हर साल शिक्षा स्नातक (बीएड) करके आ रहे हैं।
ऎसे में सवाल यह उठता है कि आखिर बेरोजगार पंजीयन क्यों नहीं करवाते? इसका एक कारण यह है कि पहले सरकारी भर्ती रोजगार कार्यालय के मार्फत आती थी और उसमें रोजगार कार्यालय से पंजीयन की अनिवार्यता होती थी, लेकिन अब सीधी भर्ती निकलने लगी है। इसके चलते रोजगार पंजीयन की अनिवार्यता खत्म हो गई है। ऎसे में बेरोजगार भी पंजीयन करवाने में कम दिलचस्पी ले रहे हैं।
अदालत में भर्ती से बढ़ा पंजीयन
करीब दो-तीन माह पहले न्यायालय में विभिन्न पदों की भर्ती आई थी। इसमें आवेदक के लिए रोजगार कार्यालय में पंजीयन होना अनिवार्य था। इसके चलते करीब एक-डेढ़ हजार आवेदन एक साथ हो गए, जबकि इससे पहले जो पंजीयन थे, वे सालों से चल रहे थे।
पंजीयन रद्द, दूबारा नहीं
कई ऎसे बेरोजगार हैं जिन्होंने एक बार पंजीयन करवाया, लेकिन इसका नवीनीकरण नहीं करवाया। ऎसे सैकड़ों युवा है जिनका पंजीयन नवीनीकरण नहीं हुआ और रद्द हो चुका है। -
बाड़मेर। सुरसा के मुंह की तरह बढ़ रही बेरोजगारी के दौर में बेरोजगारों का रोजगार कार्यालय के प्रति मोह भंग हो रहा है। हजारों बेरोजगार रोजगार के लिए भटक रहे हैं, लेकिन पंजीकरण के लिए रोजगार कार्यालय की दहलीज पर चढ़ने वालों की तादाद बहुत कम है।
इसका कारण है सीधी भर्ती में रोजगार कार्यालय में रजिस्ट्रेशन (पंजीयन) की अनिवार्यता नहीं होना। ऎसे में बेरोजगार रोजगार कार्यालय में पंजीयन करवाने में दिलचस्पी नहीं ले रहे।
सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों में रोजगार के लिए बेरोजगारों की युवाओं की लम्बी कतारें लग जाती है। उन्हें बस एक अदद नौकरी चाहिए, लेकिन कभी नौकरी देने का जरिया रहे रोजगार कार्यालय के प्रति इनकी दिलचस्पी कम हो रही है।
जिला रोजगार कार्यालय में मात्र 8 हजार 280 बेरोजगारों का ही पंजीयन हो रखा है। इससे ज्यादा बेरोजगार तो हर साल शिक्षा स्नातक (बीएड) करके आ रहे हैं।
ऎसे में सवाल यह उठता है कि आखिर बेरोजगार पंजीयन क्यों नहीं करवाते? इसका एक कारण यह है कि पहले सरकारी भर्ती रोजगार कार्यालय के मार्फत आती थी और उसमें रोजगार कार्यालय से पंजीयन की अनिवार्यता होती थी, लेकिन अब सीधी भर्ती निकलने लगी है। इसके चलते रोजगार पंजीयन की अनिवार्यता खत्म हो गई है। ऎसे में बेरोजगार भी पंजीयन करवाने में कम दिलचस्पी ले रहे हैं।
अदालत में भर्ती से बढ़ा पंजीयन
करीब दो-तीन माह पहले न्यायालय में विभिन्न पदों की भर्ती आई थी। इसमें आवेदक के लिए रोजगार कार्यालय में पंजीयन होना अनिवार्य था। इसके चलते करीब एक-डेढ़ हजार आवेदन एक साथ हो गए, जबकि इससे पहले जो पंजीयन थे, वे सालों से चल रहे थे।
पंजीयन रद्द, दूबारा नहीं
कई ऎसे बेरोजगार हैं जिन्होंने एक बार पंजीयन करवाया, लेकिन इसका नवीनीकरण नहीं करवाया। ऎसे सैकड़ों युवा है जिनका पंजीयन नवीनीकरण नहीं हुआ और रद्द हो चुका है। -
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