बुधवार, 31 जुलाई 2013

मुंशी प्रेमचंद की कहानी कफ़न आपके लिए

 मुंशी प्रेमचंद की कहानी कफ़न  आपके लिए 

हिन्दी कहानियों के सम्राट मुंशी प्रेमचंद के कहानियों और उपन्यासों की प्रसांगिकता आज भी कायम है। उनके उपन्यास और कहानियों में किसानों, मजदूरी और वर्ग में बंटे हुए समाज का दर्द उभरता है.उनके जन्मदिन पर आपके लिए उनकी ख्यातिप्राप्त कहानी कफ़न 




कफ़न

झोपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के और अन्दर बेटे कि जवान बीवी बुधिया प्रसव-वेदना से पछाड़ खा रही थी। रह-रहकर उसके मुँह से ऐसी दिल हिला देने वाली आवाज़ निकलती थी, कि दोनों कलेजा थाम लेते थे। जाड़े की रात थी, प्रकृति सन्नाटे में डूबी हुई, सारा गाँव अन्धकार में लय हो गया था।


घीसू ने कहा – मालूम होता है, बचेगी नहीं। सारा दिन दौड़ते ही गया, ज़रा देख तो आ।


माधव चिढ़कर बोला – मरना ही है तो जल्दी मर क्यों नही जाती ? देखकर क्या करूं?


‘तू बड़ा बेदर्द है बे ! साल-भर जिसके साथ सुख-चैन से रहा, उसी के साथ इतनी बेवफाई!’ ‘तो मुझसे तो उसका तड़पना और हाथ-पाँव पटकना नहीं देखा जाता।’


चमारों का कुनबा था और सारे गाँव में बदनाम। घीसू एक दिन काम करता तो तीन दिन आराम करता। माधव इतना कामचोर था कि आधे घंटे काम करता तो घंटे भर चिलम पीता। इसीलिये उन्हें कहीँ मज़दूरी नहीं मिलती थी। घर में मुट्ठी भर अनाज भी मौजूद हो, तो उनके लिए काम करने कि कसम थी। जब दो-चार फाके हो जाते तो घीसू पेड़ पर चढ़कर लकड़ियां तोड़ लाता और माधव बाज़ार में बेच आता। जब तक वह पैसे रहते, दोनों इधर उधर मारे-मारे फिरते। गाँव में काम कि कमी ना थी। किसानों का गाँव था, मेहनती आदमी के लिए पचास काम थे। मगर इन दोनों को उस वक़्त बुलाते, जब दो आदमियों से एक का काम पाकर भी संतोष कर लेने के सिवा और कोई चारा ना होता। अगर दोनों साधू होते, तो उन्हें सुन्तोष और धैर्य के लिए, संयम और नियम की बिल्कुल ज़रूरत न होती। यह तो इनकी प्रकृति थी। विचित्र जीवन था इनका! घर में मिट्टी के दो-चार बर्तन के सिवा और कोई सम्पत्ति नही थी। फटे चीथ्डों से अपनी नग्नता को ढांके हुए जीये जाते थे। संसार की चिंताओं से मुक्त! कर्ज़ से लदे हुए। गालियाँ भी खाते, मार भी खाते, मगर कोई गम नहीं। दीं इतने की वसूली की बिल्कुल आशा ना रहने पर भी लोग इन्हें कुछ न कुछ कर्ज़ दे देते थे। मटर, आलू कि फसल में दूसरों के खेतों से मटर या आलू उखाड़ लाते और भून-भूनकर खा लेते या दुस-पांच ईखें उखाड़ लाते और रात को चूसते। घीसू ने इसी आकाश-वृति से साठ साल कि उम्र काट दी और माधव भी सपूत बेटे कि तरह बाप ही के पद चिन्हों पर चल रहा था, बल्कि उसका नाम और भी उजागर कर रहा था। इस वक़्त भी दोनो अलाव के सामने बैठकर आलू भून रहे थे, जो कि किसी खेत से खोद लाए थे। घीसू की स्त्री का तो बहुत दिन हुए देहांत हो गया था। माधव का ब्याह पिछले साल हुआ था। जबसे यह औरत आयी थी, उसने इस खानदान में व्यवस्था की नींव डाली थी और इन दोनो बे-गैरतों का दोजख भारती रहती थी। जब से वोह आयी, यह दोनो और भी आराम तलब हो गए थे। बल्कि कुछ अकडने भी लगे थे। कोई कार्य करने को बुलाता, तो निर्बयाज भाव से दुगनी मजदूरी माँगते। वही औरत आज प्रसव-वेदना से मर रही थी, और यह दोनों शायद इसी इंतज़ार में थे कि वोह मर जाये, तो आराम से सोयें।


घीसू ने आलू छीलते हुए कहा- जाकर देख तो, क्या दशा है उसकी? चुड़ैल का फिसाद होगा, और क्या! यहाँ तो ओझा भी एक रुपया माँगता है!


माधव तो भय था कि वोह कोठरी में गया, तो घीसू आलू का एक बड़ा भाग साफ कर देगा। बोला- मुझे वहाँ जाते डर लगता है।


‘डर किस बात का है, मैं तो यहाँ हूँ ही।’ ‘तो तुम्ही जाकर देखो ना।’


‘मेरी औरत जब मरी थी, तो मैं तीन दिन तक उसके पास से हिला तक नही; और फिर मुझसे लजायेगा कि नहीं? जिसका कभी मुँह नही देखा; आज उसका उधडा हुआ बदन देखूं। उसे तन कि सुध भी तो ना होगी। मुझे देख लेगी तो खुलकर हाथ-पाँव भी ना पटक सकेगी!’


‘मैं सोचता हूँ, कोई बाल बच्चा हुआ, तो क्या होगा? सोंठ, गुड, तेल, कुछ भी तो नही है घर में!’


‘सब कुछ आ जाएगा। भगवान् दे तो! जो लोग अभी एक पैसा नहीं दे रहे हैं, वो ही कल बुलाकर रुपये देंगे। मेरे नौ लड़के हुए, घर में कभी कुछ ना था, भगवान् ने किसी ना किसी तरह बेडा पार ही लगाया।’


जिस समाज में रात-दिन म्हणत करने वालों कि हालात उनकी हालात से कुछ अच्छी ना थी, और किसानों के मुकाबले में वो लोग, जो किसानों कि दुर्बलताओं से लाभ उठाना जानते थे, कहीँ ज़्यादा सम्पन्न थे, वहाँ इस तरह की मनोवृति का पैदा हो जान कोई अचरज की बात नहीं थी। हम तो कहेंगे, घीसू किसानों से कहीँ ज़्यादा विचारवान था और किसानों के विचार-शुन्य समूह में शामिल होने के बदले बैठक बाजों की कुत्सित मंडळी में जा मिलता था। हाँ, उसमें यह शक्ति ना थी कि बैठक बाजों के नियम और निति का पालन कर्ता। इसलिये जहाँ उसकी मंडळी के और लोग गाव के सरगना और मुखिया बने हुए थे, उस पर सारा गाव ऊँगली उठाता था। फिर भी उसे यह तस्कीन तो थी ही, कि अगर वोह फटेहाल हैं तो उसे किसानों की-सी जी-तोड़ म्हणत तो नही करनी पड़ती, और उसकी सरलता और निरीहता से दुसरे लोग बेजा फायदा तो नही उठाते। दोनो आलू निकल-निकलकर जलते-जलते खाने लगे। कल से कुछ नही खाया था। इतना सब्र ना था कि उन्हें ठण्डा हो जाने दे। कई बार दोनों की ज़बान जल गयी। चिल जाने पर आलू का बहरी हिस्सा बहुत ज़्यादा गरम ना मालूम होता, लेकिन दोनों दांतों के तले पड़ते ही अन्दर का हिस्सा ज़बान, तलक और तालू जला देता था, और उस अंगारे को मुँह में रखेने से ज़्यादा खैरियत तो इसी में थी कि वो अन्दर पहुंच जाये। वहाँ उसे ठण्डा करने के लिए काफी समान था। इसलिये दोनों जल्द-जल्द निगल जाते । हालांकि इस कोशिश में उन्ही आंखों से आँसू निकल आते ।


घीसू को उस वक़्त ठाकुर कि बरात याद आयी, जिसमें बीस साल पहले वोह गया था। उस दावत में उसे जो तृप्ति मिली थी, वो उसके जीवन में एक याद रखने लायक बात थी, और आज भी उसकी याद ताज़ा थी।


बोला- वह भोज नही भूलता। तबसे फिर उस तरह का खाना और भर पेट नही मिला। लड्किवालों ने सबको भरपेट पूड़ीयां खिलायी थी, सबको!


छोटे-बडे सबने पूडीयां खायी और असली घी कि! चटनी, रीता, तीन तरह के सूखे साग, एक रसेदार तरकारी, दही, चटनी, मिठाई, अब क्या बताऊँ कि उस भोग में क्या स्वाद मिल, कोई रोक-टोक नहीं थी, जो चीज़ चाहो, मांगो, जितना चाहो खाओ। लोगों ने ऐसा खाया, ऐसा खाया, कि किसी से पानी न पीया गया। मगर परोसने वाले हैं कि पत्तल में गरम-गरम गोल-गोल सुवासित कचौद्दीयां डाल देते हैं। मन करते हैं कि नहीं चाहिऐ, पत्तल को हाथ से रोके हुए हैं, मगर वह हैं कि दिए जाते हैं और जब सबने मुँह धो लिया, तो पान एलैची भी मिली। मगर मुझे पान लेने की कहाँ सुध थी! खङा हुआ ना जाता था। झटपट अपने कम्बल पर जाकर लेट गया। ऐसा दिल दरियाव था वह ठाकुर!


माधव नें पदार्थों का मन ही मन मज़ा लेते हुए कहा- अब हमें कोई ऐसा भोजन नही खिलाता। ‘अब कोई क्या खिलायेगा। वह ज़माना दूसरा था। अब तो सबको किफायत सूझती है। शादी-ब्याह में मत खर्च करो। क्रिया-कर्म में मत खर्च करो। पूछों, गरीबों का माल बटोर-बटोर कर कहाँ रखोगे? बटोरने में तो कामं नही है। हाँ , खर्च में किफायती सूझती है। ‘


‘तुमने बीस-एक पूड़ीयां खायी होंगी?’


‘बीस से ज़्यादा खायी थी!’


‘मैं पचास खा जाता!’


‘पचास से कम मैंने भी ना खायी होगी। अच्छा पट्ठा था । तू तो मेरा आधा भी नही है ।’


आलू खाकर दोनों ने पानी पिया और वहीँ अलाव के सामने अपनी धोतियाँ ओढ़्कर पाँव पेट पर डाले सो रहे। जैसे दो बडे-बडे अजगर गेदुलियाँ मारे पडे हो।


और बुधिया अभी तक कराह रही थी।


2.


सबेरे माधव ने कोठरी में जाकर देखा, तो उसकी स्त्री ठण्डी हो गयी थी। उसके मुँह पर मक्खियां भिनक रही थी। पथ्रायी हुई आँखें ऊपर टंगी हुई थी । साड़ी देह धुल से लथपथ हो रही थी थी। उसके पेट में बच्चा मर गया था।


माधव भागा हुआ घीसू के पास आया। फिर दोनों ज़ोर-ज़ोर से है-है करने और छाती पीटने लगे। पडोस्वालों ने यह रोना धोना सुना, तो दौड हुए आये और पुरानी मर्यादा के अनुसार इन अभागों को समझाने लगे।


मगर ज़्यादा रोने-पीटने का अवसर ना था। कफ़न और लकड़ी की फिक्र करनी थी। घर में तो पैसा इस तरह गायब था, जैसे चील के घोसले में मॉस!


बाप-बेटे रोते हुए गाव के ज़मिन्दार के पास गए। वह इन दोनों की सूरत से नफरत करते थे। कयी बार इन्हें अपने हाथों से पीट चुके थे। चोरी करने के लिए, वाडे पर काम पर न आने के लिए। पूछा- क्या है बे घिसुआ, रोता क्यों है? अब तो तू कहीँ दिखलायी भी नहीं देता! मालूम होता है, इस गाव में रहना नहीं चाहता।


घीसू ने ज़मीन पर सिर रखकर आंखों से आँसू भरे हुए कहा – सरकार! बड़ी विपत्ति में हूँ। माधव कि घर-वाली गुज़र गयी। रात-भर तड़पती रही सरकार! हम दोनों उसके सिरहाने बैठे रहे। दवा दारु जो कुछ हो सका, सब कुछ किया, पर वोह हमें दगा दे गयी। अब कोई एक रोटी देने वाला भी न रह मालिक! तबाह हो गए । घर उजाड़ गया। आपका घुलाम हूँ, अब आपके सिवा कौन उसकी मिटटी पार लगायेगा। हमारे हाथ में जो कुछ था, वोह सब तो दवा दारु में उठ गया…सरकार कि ही दया होगी तो उसकी मिटटी उठेगी। आपके सिवा किसके द्वार पर जाऊं!


ज़मीन्दार साहब दयालु थे। मगर घीसू पर दया करना काले कम्बल पर रंग चढाना था। जीं में तो आया, कह दे, चल, दूर हो यहाँ से। यों तोबुलाने से भी नही आता, आज जब गरज पढी तो आकर खुशामद कर रह है। हरामखोर कहीँ का, बदमाश! लेकिन यह क्रोध या दण्ड का अवसर न था। जीं में कूदते हुए दो रुपये निकालकर फ़ेंक दिए। मगर सांत्वना का एक शब्द भी मुँह से न निकला। उसकी तरफ ताका तक नहीं। जैसे सिर के बोझ उतारा हो। जब ज़मींदर साहब ने दो रुपये दिए, तो गाव के बनिए-महाजनों को इनकार का सहस कैसे होता? घीसू ज़मीन्दार का ढिंढोरा भी पीटना जानता था। किसी ने दो आने दिए, किसी ने चार आने। एक घंटे में घीसू और माधव बाज़ार से कफ़न लाने चले। इधर लोग बांस-वांस काटने लगे।


गाव की नर्म दिल स्त्रियां आ-आकर लाश देखती थी, और उसकी बेबसी पर दो बूँद आँसू गिराकर चली जाती थी।


3.


बाज़ार में पहुंचकर, घीसू बोला – लकड़ी तो उसे जलाने भर कि मिल गयी है, क्यों माधव! माधव बोला – हाँ, लकड़ी तो बहुत है, अब कफ़न चाहिऐ।


‘तो चलो कोई हल्का-सा कफ़न ले लें।


‘हाँ, और क्या! लाश उठते उठते रात हो जायेगी। रात को कफ़न कौन देखता है!’


‘कैसा बुरा रिवाज है कि जिसे जीते-जीं तन धांकने को चीथ्डा भी न मिले, उसे मरने पर नया कफ़न चाहिऐ।’


‘कफ़न लाश के साथ जल ही तो जाता है।’


‘क्या रखा रहता है! यहीं पांच रुपये पहले मिलते, तो कुछ दवा-दारु कर लेते।


दोनों एक दुसरे के मॅन कि बात ताड़ रहे थे। बाज़ार में इधर-उधर घुमते रहे। कभी इस बजाज कि दुकान पर गए, कभी उस दुकान पर! तरह-तरह के कपडे, रेशमी और सूती देखे, मगर कुछ जंचा नहीं. यहाँ तक कि शाम हो गयी. तब दोनों न-जाने किस दयवी प्रेरणा से एक मधुशाला के सामने जा पहुंचे और जैसे पूर्व-निश्चित व्यवस्था से अन्दर चले गए. वहाँ ज़रा देर तक दोनों असमंजस में खडे रहे. फिर घीसू ने गड्डी के सामने जाकर कहा- साहूजी, एक बोतल हमें भी देना। उसके बाद कुछ चिखौना आया, तली हुई मछ्ली आयी, और बरामदे में बैठकर शांतिपूर्वक पीने लगे। कई कुज्जियां ताबड़्तोड़ पीने के बाद सुरूर में आ गए. घीसू बोला – कफ़न लगाने से क्या मिलता? आख़िर जल ही तो जाता. कुछ बहु के साथ तो न जाता. माधव आसमान कि तरफ देखकर बोला, मानो देवताओं को अपनी निश्पाप्ता का साक्षी बाना रह हो – दुनिया का दस्तूर है, नहीं लोग बाम्नों को हज़ारों रुपये क्यों दे देते हैं? कौन देखता है, परलोक में मिलता है या नहीं!


‘बडे आदमियों के पास धन है,फूंके. हमारे पास फूंकने को क्या है!’


‘लेकिन लोगों को जवाब क्या दोगे? लोग पूछेंगे नहीं, कफ़न कहाँ है?’


घीसू हसा – अबे, कह देंगे कि रुपये कंमर से खिसक गए। बहुत ढूंदा, मिले नहीं. लोगों को विश्वास नहीं आएगा, लेकिन फिर वही रुपये देंगे। माधव भी हंसा – इन अनपेक्षित सौभाग्य पर. बोला – बड़ी अच्छी थी बेचारी! मरी तो ख़ूब खिला पिला कर!


आधी बोतल से ज़्यादा उड़ गयी। घीसू ने दो सेर पूड़ियाँ मंगायी. चटनी, आचार, कलेजियां. शराबखाने के सामने ही दुकान थी. माधव लपककर दो पत्तलों में सारे सामान ले आया. पूरा डेड रुपया खर्च हो गया. सिर्फ थोड़े से पैसे बच रहे. दोनो इस वक़्त इस शान से बैठे पूड़ियाँ खा रहे थे जैसे जंगल में कोई शेर अपना शिकार उड़ रह हो. न जवाबदेही का खौफ था, न बदनामी का फिक्र. इन सब भावनाओं को उन्होने बहुत पहले ही जीत लिया था.


घीसू दार्शनिक भाव से बोला – हमारी आत्म प्रसन्न हो रही है तो क्या उसे पुन्न न होगा? माधव ने श्रध्दा से सिर झुकाकर तस्दीख कि – ज़रूर से ज़रूर होगा. भगवान्, तुम अंतर्यामी हो. उसे बय्कुंथ ले जान. हम दोनो हृदय से आशीर्वाद दे रहे हैं. आज जो भोजन मिल वोह कहीँ उम्र-भर न मिल था. एक क्षण के बाद मॅन में एक शंका जागी. बोला – क्यों दादा, हम लोग भी एक न एक दिन वहाँ जायेंगे ही? घीसू ने इस भोले-भाले सवाल का कुछ उत्तर न दिया. वोह परलोक कि बाते सोचकर इस आनंद में बाधा न डालना चाहता था।


‘जो वहाँ हम लोगों से पूछे कि तुमने हमें कफ़न क्यों नही दिया तो क्या कहेंगे?’


‘कहेंगे तुम्हारा सिर!’


‘पूछेगी तो ज़रूर!’


‘तू कैसे जानता है कि उसे कफ़न न मिलेगा? तू मुझेईसा गधा समझता है? साठ साल क्या दुनिया में घास खोदता रह हूँ? उसको कफ़न मिलेगा और बहुत अच्छा मिलेगा!’ माधव को विश्वास न आया। बोला – कौन देगा? रुपये तो तुमने चाट कर दिए। वह तो मुझसे पूछेगी। उसकी माँग में तो सिन्दूर मैंने डाला था।


घीसू गरम होकर बोला – मैं कहता हूँ, उसे कफ़न मिलेगा, तू मानता क्यों नहीं?


‘कौन देगा, बताते क्यों नहीं?’ ‘वही लोग देंगे, जिन्होंने अबकी दिया । हाँ, अबकी रुपये हमारे हाथ न आएंगे। ‘


ज्यों-ज्यों अँधेरा बढता था और सितारों की चमक तेज़ होती थी, मधुशाला, की रोनक भी बढती जाती थी। कोई गाता था, दींग मारता था, कोई अपने संगी के गले लिपट जाता था। कोई अपने दोस्त के मुँह में कुल्हड़ लगाए देता था। वहाँ के वातावरण में सुरूर था, हवा में नशा। कितने तो यहाँ आकर एक चुल्लू में मस्त हो जाते थे। शराब से ज़्यादा यहाँ की हवा उन पर नशा करती थी। जीवन की बाधाये यहाँ खीच लाती थी और कुछ देर के लिए यह भूल जाते थे कि वे जीते हैं कि मरते हैं। या न जीते हैं, न मरते हैं। और यह दोनो बाप बेटे अब भी मज़े ले-लेकर चुस्स्कियां ले रहे थे। सबकी निगाहें इनकी और जमी हुई थी। दोनों कितने भाग्य के बलि हैं! पूरी बोतल बीच में है।


भरपेट खाकर माधव ने बची हुई पूडियों का पत्तल उठाकर एक भिखारी को दे दिया, जो खडा इनकी और भूखी आंखों से देख रह था। और देने के गौरव, आनंद, और उल्लास का अपने जीवन में पहली बार अनुभव किया।


घीसू ने कहा – ले जा, ख़ूब खा और आर्शीवाद दे। बीवी कि कमायी है, वह तो मर गयी। मगर तेरा आर्शीवाद उसे ज़रूर पहुंचेगा। रोएँ-रोएँ से आर्शीवाद दो, बड़ी गाडी कमायी के पैसे हैं!














माधव ने फिर आसमान की तरफ देखकर कहा – वह बैकुंठ में जायेगी दादा, बैकुंठ की रानी बनेगी।


घीसू खड़ा हो गया और उल्लास की लहरों में तैरता हुआ बोला – हाँ बीटा, बैकुंठ में जायेगी। किसी को सताया नहीं, किसी को दबाया नहीं। मरते-मरते हमारी जिन्दगी की सबसे बड़ी लालसा पूरी कर गयी। वह न बैकुंठ जायेगी तो क्या मोटे-मोटे लोग जायेंगे, जो गरीबों को दोनों हाथों से लूटते हैं, और अपने पाप को धोने के लिए गंगा में नहाते हैं और मंदिरों में जल चडाते हैं?


श्रद्धालुता का यह रंग तुरंत ही बदल गया। अस्थिरता नशे की खासियत है। दु:ख और निराशा का दौरा हुआ। माधव बोला – मगर दादा, बेचारी ने जिन्दगी में बड़ा दु:ख भोगा। कितना दु:ख झेलकर मरी!


वह आंखों पर हाथ रखकर रोने लगा, चीखें मार-मारकर।


घीसू ने समझाया – क्यों रोता हैं बेटा, खुश हो कि वह माया-जाल से मुक्त हो गई, जंजाल से छूट गयी। बड़ी भाग्यवान थी, इतनी जल्द माया-मोह के बन्धन तोड़ दिए।


और दोनों खडे होकर गाने लगे – ”ठगिनी क्यों नैना झाम्कावे! ठगिनी …!”


पियाक्क्ड्डों की आँखें इनकी और लगी हुई थी और वे दोनो अपने दिल में मस्त गाये जाते थे। फिर दोनों नाचने लगे। उछले भी, कूदे भी। गिरे भी, मटके भी। भाव भी बनाए, अभिनय भी किये, और आख़िर नशे से मदमस्त होकर वहीँ गिर पडे।




तेलंगाना का साइड इफेक्ट:आए इस्तीफे

तेलंगाना का साइड इफेक्ट:आए इस्तीफे

हैदराबाद। अलग तेलंगाना राज्य के गठन के निर्णय से नाराज कांग्रेस के एक सांसद व तीन विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है।


गुंटूर से सांसद रायपति संबाशिव राव ने पार्टी व लोकसभा दोनों से इस्तीफा दे दिया हे। राव अभी अमरीका में हैं। उन्होंने वहीं से अपना इस्तीफा लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार को फैक्स किया। पूर्वी गोदावरी जिले की मुम्मीदीवरम विधाससभा सीट से कांग्रेस विधायक पी सतीश कुमार व पूर्वी गोदावरी जिले की ही रामचंद्रपुरम विधानसभा सीट से विधायक थोटा त्रिमूरथुलु ने अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष एन मनोहर को भेज दिया।


अनंतपुर से तेलुगुदेशम पार्टी (टीडीपी) के विधायक पीअब्दुल गनी ने भी अपने इस्तीफ की घोषणा की है। सबसे पहले इस्तीफा 20 सूत्री कार्यक्रम समिति के अध्यक्ष तुलसी रेड्डी ने दिया था। कांग्रेस कार्यसमिति द्वारा लिए गए तेलंगाना बनाने के निर्णय की घोषणा होने के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफे की घोषणा की थी। उन्होंने अपना इस्तीफा राज्य कांग्रेस प्रमुख बी सत्यनारायण को सौंप दिया था।

गोरखालैंड के समर्थन में आत्मदाह

गोरखालैंड के समर्थन में आत्मदाह

दार्जिलिंग। अलग गोरखालैंड की मांग को लेकर गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के 72 घंटे के बंद के दूसरे दिन मंगलवार को यहां एक व्यक्ति ने पेट्रोल डालकर आत्मदाह की कोशिश की। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने किसी तरह आग बुझाई और उसे अस्पताल पहुंचाया।
90 फीसदी जले कलिम्पोंग निवासी 45 वर्षीय मंगल सिंह राजपूत को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दार्जिलिंग में बंद से दूसरे दिन भी जनजीवन प्रभावित रहा। किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।
कलिम्पोंग और कुर्सेयोंग में सभी सरकारी दफ्तर बंद रहे। जीजेएम अध्यक्ष बिमल गुरूंग ने सोमवार को धमकी दी थी कि बंद को अनिश्चित काल के लिए बढ़ाय भी जा सकता है।

फेसबुक ने 11 साल बाद भाईयों को मिलाया

फेसबुक ने 11 साल बाद भाईयों को मिलाया

पुणे। इनकी कहानी अनूठी हिंदी मूवी जैसी है। जिसमें दो भाई बचपन में जुदा हो जाते हैं और 11 साल बाद मिलते हैं। 22 साल के संतोष डोमाले और 24 साल के अंकुश डोमाले की जिंदगी में कोई विलेन नहीं था।

संतोष मॉर्डन कॉलेज में बी कॉम का स्टूडेंट है। अंकुश उस समय घर से चला गया था जब वह 13 साल का था। संतोष ज्यादातर वक्त फेसबुक पर बिताता था। इस कारण उसे मां की डांट भी खानी पड़ती है। एक रात 1 बजे उसके सेलफोन ने बिप किया। उसकी फेसबुक प्रोफाइल पर मराठी में मैसेज था। मैसेज में लिखा था मैं तुम्हारा भाई हूं। मुझे कॉल करो। संतोष ने फोन किया तो सामने उसका भाई अंकुश था।

संतोष ने बताया कि जब मैंने फेसबुक प्रोफाइल पर फोटो देखा तो पहचान नहीं पाया क्योंकि उसके सिर पर पगड़ी थी। वह सरदार की तरह लग रहा था। मैंने अपनी मां को उठाया और उन्हें फोटो दिखाया। मैंने पूछा कि क्या आप इसको पहचान सकती हैं। उन्होंने बताया कि यह तो तुम्हारा भाई अंकुश है। मां हेमलता ने आंखों की पुतलियों के पास और गाल पर चोट के निशान देखकर अंकुश को पहचाना।

कोई मां अपने पहले बच्चे को कैसे नहीं पहचान सकती। जब अंकुश 11 साल का और संतोष नौ साल का था तब उनके पिता का देहांत हो गया था। बकौल अंकुश पिता के देहांत के बाद मैं गलत संगत में पड़ गया था। मैं दोस्तों के साथ रात-रात भूर घूमता रहता था। मैं घर से ज्यादा से ज्यादा वक्त तक दूर रहना चाहता था। जब वह 13 साल का था तो उसने अपने चाचा की बाइक उठाई और उसे दूसरे वाहन से भिड़ा दिया। इससे बाइक क्षतिग्रस्त हो गई। बकौल अंकुश जब मैं घर लौटा तो चाचा ने बहुत पीटा और मां को शिकायत कर दी।

उन्होंने भी मुझे बुरी तरह डांटा और पीटा। गुस्से में मां ने मेरे मुंह पर 50 रूपए का नोट फेंका और कहा कि घर छोड़कर चला जा। मैं घर छोड़कर चला गया। 50 रूपए में मैंने वड़ा पाव खाया। मैंने एक सिख ट्रक ड्राइवर को अपनी कहानी सुनाई। वह मुंबई से नांदेड़ माल पहुंचाता था। ड्राइवर ने मुझे अपने साथ चलने को कहा। मैंने उसके साथ पंजाब जाने से मना कर दिया। उसने मुझे नांदेड़ में एक गुरूद्वारे में छोड़ दिया। अंकुश गुरूद्वारे के लंगर में सेवा करने लगा। इस दौरान वह एक बाबा के संपर्क में आया।

6 महीने में मैंने बाबा से सारा काम सीख लिया। 2013 में लुधियाना के गुरूद्वारे से आए एक अन्य बाबा मेजर सिंह ने मुझे काम करते हुए देखा। बाबा मेरे काम से प्रभावित हो गया और वह मुझे लुधियाना ले गया। मैं सिख बन गया और अपना नाम गुरूबाज सिंह रख लिया। अंकुश लोगों की ओर से दान में दिए जाने वाले गेंहूं को गुरूद्वारे लाता। बाबा ने अंकुश को ड्राइविंग सिखाई और लाइसेंस भी बनवा दिया।

21 जुलाई की रात उसका एक साथी से झगड़ा हो गया। उस वक्त अंकुश को अपने भाई संतोष की याद आई जिससे वह हमेशा लड़ा करता था। मैंने उसे फेसबुक पर ढूंढा और वह मिल भी गया। मैंने संतोष को अपने फोन नंबर मैसेज किए। इसके बाद उसने मुझे फोन किया। दोनों भाईयों ने करीब दो घंटे तक बात की। बाबा ने झेलम एक्सप्रेस में अंकुश का टिकट करवाया और वह 28 जुलाई को पुणे के रेलवे स्टेशन पहुंचा।

जयपुर में युवती को जिंदा जलाया

जयपुर में युवती को जिंदा जलाया

जयपुर। शिप्रापथ थाना इलाके में मंगलवार देर रात अज्ञात युवक ने एक युवती पर केरोसिन डालकर जिंदा जला दिया। पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे व एफएसएल टीम को बुलाकर साक्ष्य जुटाए हैं। देर रात तक मृतका की शिनाख्त नहीं हो पाई थी।

पुलिस ने बताया कि देर रात सूचना मिली थी कि बी-टू पाईपास पर रेलवे पुलिया के पास एक युवती की जली हुई लाश पड़ी है। मौके पर पहुंचकर देखा तो करीब 20-25 वर्षीय एक युवती की अध जली लाश पड़ी हुई थी और केरोसिन तेल की बदबू आ रही थी। मृतका का चेहरा पहचान में आ रहा था। युवती का शरीर व हाथ ही जले थे। उसने नीले रंग की जींस पहन रखी थी, जबकि टी-शर्ट व टॉपर जल चुका था। युवती ने बाटा लिखी हुई प्लास्टिक की जूतियां जैसी चप्पल पहन रखी थी।

मिले संघर्ष के निशान
मौके पर संषर्घ के कुछ निशान मिले हैं। हालांकि पुलिस ने खुदकुशी की आशंका से भी इंकार नहीं किया है, लेकिन मौके पर केरोसिन की पीपी या कुछ अन्य सामान नहीं मिलने से पुलिस खुदकुशी का मामला कम मान रही है।

संकट के साए में ऎतिहासिक विरासत

संकट के साए में ऎतिहासिक विरासत

जालोर। ऎतिहासिक वैभव को समेटे स्वर्णगिरी दुर्ग को फतह करने में अल्लाउद्दीन खिलजी की सेना को भले ही लम्बा इंतजार करना पड़ा हो, लेकिन आज इस दुर्ग पर स्थित मानसिंह महल की दीवारें दरकने लगी हैं। इस महल पर बारिश से नुकसान का खतरा मंडरा रहा है।

दुर्ग पर मानसिंह का महल वास्तुकला एवं प्राचीन स्थापत्य कला का एक नायाब नमूना है। सुरम्य प्राकृतिक छटा वाले इस दुर्ग का एक-एक पत्थर सौन्दर्य की झलक बिखेर रहा है, लेकिन उदासीनता का दंश इसके सौन्दर्य पर ग्रहण लगा रहा है। ऎतिहासिक महत्व को संजोकर रखने वाले स्वर्णगिरी दुर्ग व महलों की दीवारें क्षतिग्रस्त हो रही हैं। गत दिनों यहां पर मरम्मत कार्य व रंग रोगन भी करवाया गया था।

लेकिन महल में जाते समय दांई ओर की सुरक्षा दीवार पर कोई खास ध्यान नहीं दिया गया। ऎसे में गत दिनों हुई तेज बारिश से यह सुरक्षा दीवार ढह गई है। दीवार ढहने से मानसिंह महल पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। इस बार और तेज बारिश हुई तो महल की नींव को जोड़कर बनाई गई सुरक्षा दीवार के पत्थर निकलने से महल का एक भाग गिर सकता है।

परकोटा भी क्षतिग्रस्त
दुर्ग का परकोटा भी जगह-जगह से क्षतिग्रस्त है। भारतीय इतिहास में व्यवस्थित बसावट व समृद्धशाली नगरों में गिना जाने वाला जालोर ऎतिहासिक वैभव की चमक खो रहा है। ऎसे में तेज बारिश से परकोटे को भी नुकसान हो सकता है।

दीवार ढही
मैं दुर्ग स्थित शिव मंदिर में सोमवार को दर्शन के लिए गया था। वहां मानसिंह महल के एक तरफ की दीवार ढह गई है। अधिक बारिश से महल का एक भाग गिर सकता है।
-प्रवीणसिंह राजपुरोहित, शहरवासी

करवाएंगे ठीक
दुर्ग के जीर्णाेद्धार के लिए बजट के बारे में पुरातत्व विभाग अधिकारियों से बात हुई है। दीवार ढही है तो पुरातत्व विभाग को अवगत करवाकर ठीक करवाएंगे।
-राजन विशाल, जिला कलक्टर, जालोर

जैसलमेर का स्थापना दिवस 18 अगस्त को


जैसलमेर का स्थापना दिवस 18 अगस्त को

पुरस्कारों के लिए आवेदन जमा करवाने की अंतिम तिथि १० अगस्त 


जैसलमेर जैसलमेर का 858वां स्थापना दिवस 18 अगस्त को मनाया जाएगा। जैसलमेर फोर्ट पैलेस एंड म्यूजियम के वरिष्ठ प्रबंधक डॉ. रघुवीरसिंह भाटी ने बताया कि हर वर्ष की भांति सावण शुक्ला द्वादशी स्थापना दिवस पर दिए जाने वाले विशेष सम्मान एवं पुरस्कारों के लिए प्रविष्ठियां आमंत्रित की गई है। जिले के मूल निवासी सेना, बीएसएफ, पुलिस व अन्य क्षेत्रों में अदम्य साहस का परिचय देने वालों को महारावल घड़सी वीरता पुरस्कार, साहित्य शिक्षा एवं काव्य के क्षेत्र में शोध एवं अनुसंधान के लिए महारावल हरिराज साहित्य पुरस्कार, शिल्प व कला के क्षेत्र में महारावल अमरसिंह पुरस्कार, इतिहास लेखन एवं शोध कार्य के लिए महारावल जैसलम पुरस्कार, पर्यटन में सहयोग देने पर जैसलमेर पर्यटन पुरस्कार, समाज सेवा के क्षेत्र में महारावल जवाहिर सिंह पुरस्कार, महिला विकास के कार्यों में योगदान के लिए राजकुमारी रत्नावती पुरस्कार, रम्मत कला में योगदान देने पर कवि तेज रम्मत कला पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। प्रविष्ठियां भिजवाने वाले अपने कार्य, जन्म तिथि एवं अन्य आवश्यक जानकारियां फोर्ट पैलेस म्यूजियम में जमा करवा सकते है। साथ ही जिले में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान करने वाले विद्यार्थी को प्रतिभा पुरस्कार के लिए अपने विद्यालय व जिला शिक्षा अधिकारी एवं कॉलेज प्राचार्य के माध्यम से प्रविष्ठियां भेजे। प्रविष्ठियां जमा करवाने की अंतिम तिथि 10 अगस्त है।

अधर में हेमाराम का इस्तीफा

अधर में हेमाराम का इस्तीफा
बाड़मेर। रिफाइनरी विवाद को लेकर दिया गया राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी का मुख्यमंत्री का भेजा गया इस्तीफा एक हफ्ते से अधर में है। मुख्यमंत्री की ओर से इस बारे में कोई जवाब नहीं दिया है। इधर, हेमाराम चौधरी भी जयपुर जाने की बजाय बाड़मेर बैठे है।

24 जुलाई को हेमाराम ने राजस्व मंत्री पद से इस्तीफा दिया। इसके दूसरे ही दिन उनको मनाने के लिए कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष डॉ. चंद्रभान, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के फोन आए। साथी मंत्रियों, प्रभारी मंत्री, सांसद और विधायकों ने भी समझाइश की। हेमाराम इसके बाद बाड़मेर स्थित अपने घर में ही है और दो दिन गुड़ामालानी क्षेत्र का दौरा किया। मंगलवार को वे बाड़मेर में ही रहे।

असमंजस की स्थिति : प्रदेश के केबिनेट मंत्री के इस्तीफे के बावजूद मामूली प्रयास करके बात को ढीली छोड़ने ने असमंजस की स्थिति ला दी है। उनको मनाने के लिए कोई प्रदेश स्तर का नेता पहुंचा है और न ही समझाइश के विशेष प्रयास हुए है।

इधर कर्नल को जिम्मेवारी: रिफाइनरी को लेकर हेमाराम का विवाद बायतु विधायक कर्नल सोनाराम से हुआ। उन्होंने रिफाइनरी पर भी राज्य सरकार के विरूद्ध बयानबाजी की। बावजूद इसके कर्नल को चुनाव समिति में शामिल किया गया। इसमें हेमाराम चौधरी का नाम नहीं है।

अभी जयपुर जाने का मानस नहीं
अभी जयपुर जाने का मानस नहीं है। मैं अपना इस्तीफा दे चुका हूं। आज घर पर ही था। स्थानीय लोग आए उनसे मुलाकात की।
हेमाराम चौधरी, राजस्व मंत्री

रीत का रायता बनी जनसुनवाई

रीत का रायता बनी जनसुनवाई

बाड़मेर। जिला मुख्यालय पर मंगलवार को महिला आयोग की जनसुनवाई रीत का रायता बनकर रह गई। सरकारी तंत्र ने 150 के करीब आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा सहयोगिनियों को बुलाकर टाउन हॉल की सीटों को भरा। इसके बाद 44 महिलाएं रही जिनकी सुनवाई डेढ़ घंटे में ही निपट गई।

महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती लाडकुमारी जैन को सुबह 10 बजे जनसुनवाई करनी थी, लेकिन वे करीब दोपहर 12 बजे पहुंची। यहां आधा टाउन हॉल खाली था, आधी सीटों पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहयोगिनियों को बुलाया गया था। जिनकी संख्या करीब डेढ़ सौ थी। संबोधन सत्र को इन्होंने सुना और इसके बाद रवाना हो गई।

यह हुई कार्रवाई
यहां 44 महिलाओं को बुलाया गया। उनके आवेदन लिए। विभागीय अधिकारियों को बुलाकर उनसे कार्य नहीं होने का कारण पूछा गया। इन मामलों में शीघ्र कार्रवाई के निर्देश दिए गए। संख्या कम होने से डेढ़ घंटे में यह सारी कार्रवाई निपट गई। स्वयं महिला आयोग की अध्यक्ष ने संवाददाताओं के सवाल के जवाब में कहा कि प्रचार प्रसार नहीं होने से संख्या कम रही।

अधिकारी रहे मौजूद
जिला कलक्टर भानुप्रकाश एटूरू, पुलिस अधीक्षक राहुल बारेठ, अतिरिक्त जिला कलक्टर अरूण पुरोहित, महिला एवं बाल विकास के अशोक गोयल सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे। जनसुनवाई में जिला प्रमुख मदनकौर, विधायक मेवाराम जैन, नगरपरिषद सभापति उषा जैन उपस्थित रही।

एक बेटे की आत्महत्या दूसरा गुम
बाड़मेर शहर के एक परिवार ने शिकायत की कि सूदखोरों के चक्कर में फंसे उनके एक बेटे ने आत्महत्या कर ली और दूसरा घर से गायब है। इस मामले में मदद की जाए।

नहीं मिल रहे गेहूं: एक महिला ने शिकायत की कि उसको राशन के गेहूं व बीपीएल की सुविधाएं नहीं मिल रही है।

बजट जारी करवाओ
उदाराम मेघवाल ने कहा कि अनुसूचित जाति जनजाति पर अत्याचार के मामलों में बजट नहीं होने से मदद नहीं मिल रही, राज्य सरकार से बजट जारी करवाओ।

रो पड़ी महिलाएं और बच्चे
दहेज प्रताड़ना, तलाक, परिवार व बच्चों को छोड़ने के मामलों में अपनी व्यथा बताते हुए महिलाओं व बच्चों के आंसू निकल पडे। इनको ढाढ़स बंधाते हुए कार्रवाई का भरोसा दिया।

बोलती कुछ हूं लिखते कुछ है
महिला आयोग अध्यक्ष रवाना हुई तो बाड़मेर शहर की एक विवाहिता ने शिकायत की कि आपको चिट्ठी लिखी। पुलिस को आपने बयान के निर्देश दिए। मैं बोलती कुछ हूं और लिखा कुछ जाता है। इस पर जैन ने निर्देश दिए कि अब ऎसा नहीं होना चाहिए।

अब झाडियों में फेंक रहे है भ्रूण
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती लाडकुमारी ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि पहले कन्याभू्रण हत्या होती थी। सिटीस्केन मशीनों पर प्रतिबंध लगाया तो अब कन्याभ्रूण को झाडियो में फैंकने की घटनाएं बढ़ रही है। इसके लिए समाज को सशक्त होना पड़ेगा। पुलिस की भूमिका ऎसी हों कि गुण्डागर्दी वाले तत्वों में डर रहे। उन्होंने कहा कि बाड़मेर जिले से महिला उत्पीड़न के 69 प्रकरण हमारे पास आए है। यहां ऎसा कोई नहीं बता रहा है। 44 की सुनवाई तो आज हुई है।

सितंबर माह तक जिला स्तरीय जन सुनवाई जारी रहेगी। दूर दराज के लोग जयपुर नहीं आ सकते हंै। जिला स्तरीय जनसुनवाई का उन्हें फायदा मिलेगा। यह दुर्दशा है कि महिला उत्पीड़न के 40 से 50 प्रतिशत मामले न्यायालय से इस्तगासा आने के बाद दर्ज हो रहे हैं। पुलिस सीधा दर्ज नहीं कर रही है। महिलाओं के मामले में वकील की फीस भी नहीं लगती। विधिक सहायता मुफ्त है लेकिन जानकारी के अभाव में इसका उपयोग नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि अपराध पहले भी था, लेकिन महिलाएं जागरूक नहीं थी। अब जागरूकता के कारण प्रकरण सामने आ रहे हंै।

राज्य महिला आयोग "पुलिस" से परेशान
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष लाडकुमारी जैन महिलाओं पर हो रहे उत्पीड़न के मामलों में जितनी परेशान नहीं है उससे कहीं ज्यादा शिकायतें उनको पुलिस से है। जिला स्तरीय जनसुनवाई में जैन का संबोधन पुलिस से शिकायतों के इर्द गिर्द रहा और उन्होंने यहां तक कह दिया कि मैं दु:खी हूं कि कानून का सही इस्तेमाल नहीं हो रहा है।

498 ए का गलत उपयोग
जैन की पहली शिकायत थी कि पुलिस 498 ए का गलत उपयोग कर रही है। घरेलू हिंसा के मामलों में भी धारा 498 ए लगा दी जाती है। इस कारण आरोपी छूट जाते है और महिला का प्रकरण झूठा साबित हो जाता है।

अदमवकुआ लगा दिया
पुलिस 60 से 70 प्रतिशत मामलों में अदमवकुआ लिख देती है। जिसका मतलब महिलाएं नहीं समझ पाती है। मैं भी अब समझी हूं। इसका मतलब है वाकया घटा ही नहीं। इससे महिलाओं के मामले झूठे साबित हो रहे हैं।

पुलिस वालों को नहीं मामलों की जानकारी
महिला के बयान लेने व एफआईआर दर्ज करने वाले कई एसआई व एएसआई को कानून की जानकारी नहीं है। वे घरेलू हिंसा के मामलों को 498 ए में दर्ज कर देते हंै।

498 नहीं दहेज का कानून
उन्होंने कहा कि 498 ए को बदनाम किया जा रहा है। यह दहेज का कानून नहीं है। जो भी महिला हिंसा के अधिकतम मामलों में 498 ए जबरन घुसाया जा रहा है, जो महिला के पक्ष में नहीं है।

समझौते दिखावटी
जैन ने कहा कि पुलिस मे मामला दर्ज होने के बाद समझौते करवाए जाते है। 60 फीसदी समझौते दिखावटी होते है। समझौतों के बाद महिलाएं पीहर बैठी रहती है।

महिला डेस्क में मालखाने का सामान
महिला आयोग की अध्यक्ष ने यहां तक कहा कि कई थानों में महिला डेस्क के बोर्ड तो लगा दिए गए है लेकिन वहां मालखाने का सामान पड़ा रहता है।

छह महीने तक नोटिस तामिल नहीं
महिलाओं के मामले में तीन दिन में सम्मन तालीम होने चाहिए। न्यायालय से सम्मन जारी तो हो जाते हंै लेकिन पुलिसकर्मी छह माह तक तालीम नहीं करवाते हैं।

मंगलवार, 30 जुलाई 2013

महिलाओं को घरेलू हिंसा से राहत दिलाने को 2005 का अधिनियम उपयोगी - जैन



राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने सुनी महिलाओं की समस्याएं

महिलाओं को घरेलू हिंसा से राहत दिलाने को 2005 का अधिनियम उपयोगी - जैन

बाड़मेर, 30 जुलार्इ। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष प्रो. लाड कुमारी जैन ने कहा कि महिलाएं उत्पीडन से राहत पाने के लिए घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम 2005 का सहारा लेकर बिना धन खर्च किए न्याय प्राप्त करे। उन्होंने इस अधिनियम का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करने पर भी जोर दिया ताकि प्रताडित महिलाएं इस अधिनियम के तहत संरक्षण प्राप्त कर सके।

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष जैन मंगलवार को भगवान महावीर टाउन हाल में जिला स्तरीय महिला अधिकार जागरूकता अभियान एवं महिला जन सुनवार्इ के दौरान महिलाओं को सम्बोधित कर रही थी। आयोग की अध्यक्ष जैन ने कहा कि महिला घरेलू हिंसा संरक्षण अधिनियम के तहत पुलिस थाने को जमानत देने का अधिकार नही है और न ही कोर्ट से बाहर समझौता करवाने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि पीडित महिलाएं अपने केश को मजबूत बनाने के लिए दहेज उत्पीडन के तहत 498वें में मुकदम्मा दर्ज करवाते है जिसके लिए उन्हें जहां धनराषि खर्च करनी पडती है वही लम्बे समय तक उन्हें न्याय प्राप्त नहीं होता है। उन्होंने महिलाओं से कहा कि 2005 का कानून घरेलू हिंसा को संरक्षण दिलवाता है। यह सिंगल विण्डों कानून है यह कानून किसी भी अन्य कानून की धारा को नहीं काटता है बलिक सहज सरल रूप से न्याय उपलब्ध कराने के लिए बनाया गया है। उन्होंने कहा कि हर आयु वर्ग की महिला जन्म से लेकर मृत्यु तक इस कानून का उपयोग कर सकती है। यह रार्इट टू रेजीडेन्स का कानून है।

उन्होंने पुलिस अधिकारियों से आग्रह किया है कि वे थानों में महिला डेस्क के माध्यम से इस अधिनियम का अधिक से अधिक प्रचार प्रसार करे ताकि इसका पीडित महिलाएं अधिक उपयोग कर सके। आयोग की अध्यक्ष ने महिलाओं से आग्रह किया है कि वे घरेलू हिंसा को सहन नही करे एवं प्रताडित होने पर महिला आयोग में मामला दर्ज करावे। उन्होंने महिलाओं को शिक्षित होकर अधिक सशक्त बनने की सीख दी। उन्होंने पुलिस अधिकारियों से कहा कि वे महिला उत्पीडन के मामलों को गम्भीरता से लेकर उसमें समय पर राहत दिलाये। उन्होंने कहा कि आयोग का गठन अक्टूम्बर 2012 में हुआ था। इस आयोग ने अब तक 17-18 जिलों में जिला स्तरीय महिला सुनवार्इ कर पीडित महिलाओं को न्याय दिलवाने का प्रयास किया है वही सितम्बर माह तक प्रदेश के बाकी जिलो में भी महिला जन सुनवार्इ का भी कार्यक्रम है।

आयोग की सदस्य लता प्रभाकर चौधरी ने भी महिला उत्पीडन के मामले में आयोग द्वारा की जाने वाली गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि महिलाओं के उत्थान के लिए राज्य सरकार अनेको योजनाएं चला रही है जिसका पूरा-पूरा लाभ महिलाएं जागृत होकर उठाए।

जिला प्रमुख श्रीमती मदन कौर ने महिला आयोग द्वारा बाड़मेर में जिला स्तरीय महिला जन सुनवार्इ के लिए आभार जताया एवं कहा कि आयोग के आने से महिलाओं का मनोबल बढेंगा वहीं पीडित महिलाओं को राहत मिलेंगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार महिलाओं के उत्थान के लिए सतत प्रयासरत है।

इस मौके पर जिला कलक्टर भानु प्रकाष एटुरू, पुलिस अधीक्षक राहुल बारहठ, नगर परिषद सभापति श्रीमती उषा जैन, मुख्य कार्यकारी अधिकारी एल.आर.गुगरवाल, अतिरिक्त कलेक्टर अरूण पुरोहित समेत संबंधित विभागों के अधिकारी एवं स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे।

-

02 हिस्ट्रीशीटर पाबंद,स्थार्इ वारंटी गिरफतार





पुलिस थाना सम में 02 हिस्ट्रीशीटर पाबंद
जैसलमेर पुलिस थाना सम में काफी समय से हिस्ट्रीशीटर नरपतसिंह पुत्र पहाडसिंह निवासी बीदा एवं हैदरखा पुत्र आमदखा उम्र 64 साल निवासी केशुओं की ढाणी, सम को 110 सीआरपीसी के तहत पाबंद किया गया गया।


पुलिस थाना सदर के हल्का खुहडी थाने स्थार्इ वारंटी गिरफतार

जैसलमेर पुलिस थाना सदर के हल्का में दौराने हल्का गश्त नारायणलाल विश्नोर्इ, निरीक्षक पुलिस, मय जाब्ता द्वारा जरिये मुखबीर इतला पुलिस थाना खुहडी का स्थार्इ वारंटी कूम्पसिंह पुत्र चतुरसिंह राजपुत निवासी छतांगर को धउआ गाव से गिरफतार किया गया जाकर न्यायालय में पेश किया गया। कूम्पसिंह एसीजेएम कोर्ट में आबकारी अधिनियम के प्रकरण का स्थार्इ वारंटी है। स्थार्इ वारंटी काफी लम्बे समय से शराब तस्करी करता है तथा इसके विरूद्ध पुलिस थाना खुहडी मुकदमे भी दर्ज है।

जैसलमेर महिला व बच्ची को भगाकर ले जाने वाला आरोपी मुम्बई से गिरफतार,

महिला व बच्ची को भगाकर ले जाने वाला आरोपी मुम्बई से गिरफतार,


परिजनों को सुपुर्द की माँ बेटी


जैसलमेर पुलिस थाना कोतवाली जैसलमेर में एक लिखित रिपोर्ट इस आश्य की परिवादी द्वारा पेश की कि दिनांक सप्ताह पूर्व को उसकी पत्नी व बच्ची को घेंवरराम पुत्र चुतराराम भार्गव नि0 नोख जिला जैसलमेर शादी की नियत से भगा कर ले गया हैं जिसके साथ मेरी बच्ची भी हैं। उसके साथ कोर्इ भी घटना हो सकती हैं। जिस पर थाना में आरोपी घेंवरराम के विरूद्ध अपहरण का प्रकरण दर्ज कर अनुसंधान प्रयाग भारती स0उ0नि0 को सुपुर्द किया गया।
उक्त घटना को जिला पुलिस अधीक्षक पंकज चौधरी द्वारा गंभीरता से लेते वृताधिकारी जैसलमेर सायरसिंह के सुपरवीजन में हरीश राठौड़ थानाधिकारी कोतवाली जैसलमेर, प्रयाग भारती सउनि, दिनेशकुमार कानि0, पवनी महिला कानि0 की टीम गठित कर मुल0 व भगवर्इया की तलाश मुम्बर्इ भेजी गर्इ तथा कानि0 माधोसिंह व मुकेश बीरा को संदिग्धान के मोबार्इल नम्बरों की काल डिटैल मंगवार्इ जाकर उनका विश्लेषण कर संदिग्ध नम्बरों की लोकेशन ली जाकर गठित टीम के सदस्यों को समय समय पर अवगत कराने के निर्देश दिये गये।जिस पर टीम द्वारा लगातार एवं सुझबुझ से कार्यवाही करते हुए अपहरणकर्ता घेंवरराम एवं महिला व बच्ची को मुम्बर्इ से दस्तयाब कर जैसलमेर लाया गया तथा बाद पुछताछ महिला व बच्ची को उसके परिवार को सुपूर्द किया गया तथा मुलजिम से पुछताछ जारी हैं।


ऐसे हुआ पर्दाफाश - संदिग्ध नम्बरों के विश्लेषण में एक संदिग्ध नम्बर मिलने पर उसकी लोकेशन ली गर्इ तो आरोपी का टिम्भुर्णी जिला शौलापुर (महाराष्ट्र) होने की जानकारी मिलने पर प्रयाग भारती सउनि मय कानि0 दिनेश कुमार, पवनी महिला कानि0 ने टिम्भुर्णी पहुंच, बड़ी सर्तकता व सावधानी के साथ आरोपी घेंवरराम पुत्र चुतराराम भार्गव नि0 नोख जिला जैसलमेर को दस्तयाब कर उसके कब्जा से भगवर्इया मय बच्ची के बरामद कर जैसलमेर लाये। मुल0 को आज पेश अदालत किया जहां न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया।

महात्मा गांधी नरेगा के प्रभावी कि्रयान्वयन को चलेगा पांच सूत्री अभियान



महात्मा गांधी नरेगा के प्रभावी कि्रयान्वयन को चलेगा पांच सूत्री अभियान

-पांच सूत्री अभियान के तहत पंचायत समिति एवं ग्राम पंचायत स्तर पर कर्इ कार्य संपादित किए जाएंगे।

बाड़मेर, 30 जुलार्इ। महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत विभिन्न सूचनाओं को एमआर्इएस में अपडेट करने, नरेगा अधिनियम-2005 के अनुसार ग्राम पंचायत एवं पंचायत समिति स्तर पर संघारित आवश्यक रिकार्ड को अपडेट करने, उपयोगिता प्रमाण पत्राें के समायोजन एवं गत वर्ष के कार्यों के मूल्यांकन तथा अपूर्ण कार्यों को पूर्ण कराने के लिए पांच सूत्री अभियान चलाया जाएगा। पांच सूत्री अभियान के तहत 31 अगस्त तक निर्देशाें की पालना करने के निर्देश दिए गए हैं। ऐसा नहीं होने पर मनरेगा अधिनियम 2005 की धारा 25 एवं नियमित कार्मिकाें के विरूद्व सेवा नियमाें के अनुसार कार्यवाही की जाएगी।

अतिरिक्त जिला कार्यक्रम समन्वयक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी एल.आर.गुगरवाल ने बताया कि पांच सूत्री अभियान के दौरान एमआर्इएस अपडेशन कार्य के तहत परिवार के बीपीएल एवं अल्पसंख्यक,अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति, ओबीसी, राष्ट्रीय स्वास्थ्य लाभ बीमा योजना, आधार नंबर संबंधित सूचना को अपडेट करने, पाइप लाइन में प्रदर्शित व्यय भुगतान एवं दिनांक अंकित करने, चालू एवं पूर्ण कार्यों के फोटो अपलोड करने का कार्य किया जाएगा। ग्राम पंचायत स्तर मनरेगा अधिनियम के अनुसार 30 जून 2013 तक की सिथति के अनुसार रिकार्ड अपडेशन किया जाएगा। इसके तहत परिवार पंजीयन प्रार्थना पत्र इन्द्राज रजिस्टर, जोब कार्ड रजिस्टर, बेरोजगारी भत्ता रजिस्टर, जोब कार्ड जारी रजिस्टर, ग्राम रोजगार रजिस्टर, परिसंपति एवं संचयी व्यय रजिस्टर, शिकायत पंजिका, केशबुक का अपडेट किया जाएगा। निर्धारित स्थानाें पर रोजगार की मांग प्रपत्र वितरण करने के साथ पूर्व के बकाया भुगतान का निस्तारण किया जाएगा। रिकार्ड अपडेशन के उपरांत ग्राम पंचायत द्वारा निर्धारित प्रारूप में प्रमाण पत्र कार्यक्रम अधिकारी को देना होगा, जिसका कार्यक्रम अधिकारी को सत्यापन कराना होगा।

गुगरवाल ने बताया कि पंचायत समिति स्तर पर ऐसे प्रकरण, जिनमें बेरोजगारी भत्ता देय प्रदर्शित हो रहा है, परंतु वास्तव में बेरोजगारी भत्ता देय नहीं, को अपडेट किया जाएगा। इसी तरह मस्टररोल नियंत्रण रजिस्टर, ग्राम पंचायत के अतिरिक्त अन्य कार्यकारी संस्था से मस्टररोल प्रापित रजिस्टर, प्रपत्र-10, शिकायत पंजिका, अभियंताआें द्वारा प्रपत्र 29 का अपडेशन एवं लंबित जांचाें का निस्तारण किया जाएगा। रिकार्ड अपडेशन के बाद पंचायत समिति को भी निर्धारित प्रारूप में प्रमाण पत्र अतिरिक्त जिला कार्यक्रम समन्वयक को देना होगा। इसका सत्यापन कराया जाएगा। अभियान के दौरान 31 मार्च 2012 तक संपादित समस्त कार्यों के उपयोगिता प्रमाण पत्र जारी कर समायोजन करवाया जाएगा। ऐसे कार्य जिनका मूल्यांकन होना बकाया है, इसका मूल्यांकन कर राशि का समायोजन कराया जाएगा। इसी तरह 31 मार्च 2012 तक स्वीकृत कार्यों में से अपूर्ण कार्याेंं को पूर्ण कर कार्य योजना तैयार कराने के निर्देश दिए गए हैं।

किसकी होगी जिम्मेदारी: पंचायत एवं जिला स्तर से प्रगति प्रस्तुत करने का उत्तरदायित्व एमआर्इएस मैनेजर र्इजीएस का होगा। प्रत्येक पंचायत समिति के लिए नोडल अधिकारी बनाए जाएंगे, जो सप्ताह में दो दिन आवंटित ग्राम पंचायत एवं पंचायत समिति में जाकर प्रगति एवं गुणवत्ता की निगरानी करेंगे।

होगी अनुशासनात्मक कार्यवाही: पांच सूत्री अभियान के दौरान निर्देशाें के पालना नहीं करने पर संविदा कार्मिकाें के खिलाफ मनरेगा अधिनियम की धारा-25 एवं नियमित कार्मिकाें के विरूद्व डीपीसी द्वारा सेवा नियमाें के अनुसार कार्यवाही की जाएगी। जिन कार्मिकाें के विरूद्व अनुशासनात्मक कार्यवाही राज्य स्तर से की जानी है, उनके विरूद्व कार्यवाही के लिए डीपीसी द्वारा आरोप पत्र एवं आरोप विवरण पत्र विभाग को प्रेषित करने के निर्देश दिए गए हैंै।

मुजफ्फरनगरः बदला लेने के लिए शादी, गैंग रेप

मुजफ्फरनगर।। एक लड़का-लड़की गांव से लापता हुए। लड़की के भाई ने इसका बदला लड़के की बहन से लिया। उसने न सिर्फ उससे शादी की बल्कि शादी के कुछ ही घंटे बाद अपने भाइयों के साथ मिलकर उससे गैंग रेप किया। यह सनसनीखेज मामला उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के एक गांव का है। बताया जा रहा है कि इसमें गांव की पंचायत की रजामंदी थी। पंचायत ने कहा था कि लड़के ने जिसकी बहन के साथ ऐसा किया उस लड़की के भाई उसकी बहन के साथ वैसा ही करें।rape
मामला पुराना है लेकिन इसका खुलासा तब हुआ जब शीतल (बदला हुआ नाम) ने पुलिस को केस दर्ज करवाया। उसने बताया कि 15 फरवरी को उसके भाई पर गांव की एक युवती के साथ भाग जाने का आरोप लगा था। 26 मार्च को लड़की वालों ने लड़के के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई तो पुलिस ने दोनों को खोज कर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया। वहां दोनों ने कहा कि अपनी इच्छा से दोनों ने शादी की है। इस पर अदालत ने उन्हें छोड़ देने का आदेश दिया।

इससे पहले दोनों के भागने से कुछ ही दिन बाद गांव में पंचायत हुई, जहां पंचायत ने कहा कि जिस लड़की को भगाया गया उसका भाई शीतल से शादी करेगा। शीतल के माता-पिता से मुआवजे के तौर पर 75 हजार रुपए देने को भी कहा गया। शीतल का कहना है कि अगर वह शादी के लिए मना करती तो गांव में खून की नदियां बह जातीं। इसलिए उसने शादी के लिए हामी भर दी लेकिन जिस दिन शादी हुई, उसी दिन उसके देवर ने उसके साथ रेप किया। आरोप यह भी है कि लड़की ने जब रेप की बात अपने ससुर को बताई तो उसने कहा कि यह शादी हुई ही बदला लेने के लिए है। यह सिलसिला काफी समय चला। शीतल से उसके देवर गैंग रेप तक कर चुके हैं। जैसे-तैसे 21 जुलाई को शीतल उनके चंगुल से छूटने में कामयाब हुई और 27 जुलाई को पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई।

हर घर में होगा शौचालय,बेरीवाला ग्राम पंचायत बनेगी मिसाल



हर घर में होगा शौचालय,बेरीवाला ग्राम पंचायत बनेगी मिसाल

-निर्मल भारत अभियान के तहत बाड़मेर जिले की बेरीवाला ग्राम पंचायत में करीब 500 घराें में शौचालयाें का निर्माण हो चुका है। शेष घराें में शौचालय निर्माण के लिए युद्व स्तर पर कार्य चल रहा है। पशिचमी राजस्थान में बेरीवाला ग्राम पंचायत निर्मल भारत अभियान के जरिए एक मिसाल स्थापित करने जा रही है।

बाड़मेर ,30 जुलार्इ। बाड़मेर जिले की बेरीवाला ग्राम पंचायत प्रत्येक घर में शौचालय के जरिए मिसाल स्थापित करेगी। निर्मल भारत अभियान, महात्मा गांधी नरेगा योजना एवं केयर्न एनर्जी के सहयोग से बेरीवाला ग्राम पंचायत के 1331 घराें में शौचालयाें का निर्माण कराया जा रहा है। यहां अब तक करीब 500 शौचालयाें का निर्माण हो चुका है। शौचालय निर्माण को लेकर ग्रामीण खासा उत्साह दिखा रहे हैं।

बाड़मेर जिले की सिणधरी पंचायत समिति की बेरीवाला ग्राम पंचायत में निर्मल भारत अभियान को लेकर सरपंच खरथाराम चौधरी एवं ग्रामीणाें ने ग्राम चायत में खुले में शौच जाने की प्रवृति को रोकने के लिए शौचालय निर्माण की मंशा जतार्इ। इस पर बाड़मेर जिला प्रमुख श्रीमती मदनकौर, मुख्य कार्यकारी अधिकारी एल.आर.गुगरवाल, सरपंच खरथाराम चौधरी की केयर्न के अधिकारियाें से विस्तारपूर्वक बातचीत हुर्इ। उन्हाेंने इस अभियान में पूरा सहयोग देने का भरोसा दिलाया। इसमें धारा संस्थान के एमडी महेश पनपालिया ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभार्इ। ग्राम पंचायत की ओर से शौचालय निर्माण के लिए ग्रामीणाें से भी संपर्क किया गया तो उन्हाेंने रजामंदी जताते हुए इस महत्वपूर्ण अभियान में पूरे सहयोग का भरोसा दिलाया। इस पर केयर्न इंडिया एवं ग्राम पंचायत के मध्य निर्मल भारत अभियान के तहत शौचालय निर्माण के लिए करार पत्र पर हस्ताक्षर हुए। इसके तहत केयर्न इंडिया ने शौचालय निर्माण के लिए 1 करोड़ 19 लाख 82 हजार रूपए की स्वीकृति दी। इसके अलावा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति एवं लघु सीमांत परिवाराें के लिए महात्मा गांधी नरेगा योजना से प्रत्येक परिवार 4433 रूपए की स्वीकृति जारी की गर्इ। मौजूदा समय में करीब 500 घराें में शौचालयाें का निर्माण हो चुका है। शेष घराें में शौचालय निर्माण का कार्य चल रहा है। बेरीवाला ग्राम पंचायत के सरपंच खरथाराम बताते है कि उनका सपना है कि प्रत्येक घर में शौचालय का निर्माण हो। अगले दो-तीन माह में प्रत्येक घर में शौचालय का निर्माण हो जाएगा। ग्रामीणाें का इस अभियान में सहयोग मिल रहा है। वे स्वयं शौचालय निर्माण के लिए आगे आ रहे है। जिन घराें में शौचालयाें का निर्माण हो चुका है वहां पर भी ग्रामीण जाकर देखने के साथ अपने घर में बेहतर शौचालय निर्माण करा रहे है। वे बताते है कि कुछ परिवाराें ने तो एक घर में दो-दो शौचालयों का निर्माण कराया है। इसमें से एक स्वयं के परिवार के लिए और दूसरा मेहमानाें के लिए। ग्रामीण भेराराम के मुताबिक हम अपने घराें में शौचालय बना रहे है कि इससे विशेषकर बहन-बेटियाें एवं बुजुगाें के लिए सुविधा होगी। साथ ही गदंगी की वजह से होने वाली बीमारियाें पर रोक लगेगी। शौचालय बनाने के लिए सरकार मदद दे रही है, जबकि सभी को आगे आकर शौचालय निर्माण कराना चाहिए।

बेरीवाला ग्राम पंचायत में निर्मल भारत अभियान के तहत प्रत्येक घर में शौचालय का निर्माण कराया जा रहा है। इससे निर्मल भारत का सपना साकार होगा। दूसरी ग्राम पंचायताें को भी इस अभियान से जुड़ना चाहिए।

-एल.आर.गुगरवाल, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद,बाड़मेर