बुधवार, 31 जुलाई 2013

संकट के साए में ऎतिहासिक विरासत

संकट के साए में ऎतिहासिक विरासत

जालोर। ऎतिहासिक वैभव को समेटे स्वर्णगिरी दुर्ग को फतह करने में अल्लाउद्दीन खिलजी की सेना को भले ही लम्बा इंतजार करना पड़ा हो, लेकिन आज इस दुर्ग पर स्थित मानसिंह महल की दीवारें दरकने लगी हैं। इस महल पर बारिश से नुकसान का खतरा मंडरा रहा है।

दुर्ग पर मानसिंह का महल वास्तुकला एवं प्राचीन स्थापत्य कला का एक नायाब नमूना है। सुरम्य प्राकृतिक छटा वाले इस दुर्ग का एक-एक पत्थर सौन्दर्य की झलक बिखेर रहा है, लेकिन उदासीनता का दंश इसके सौन्दर्य पर ग्रहण लगा रहा है। ऎतिहासिक महत्व को संजोकर रखने वाले स्वर्णगिरी दुर्ग व महलों की दीवारें क्षतिग्रस्त हो रही हैं। गत दिनों यहां पर मरम्मत कार्य व रंग रोगन भी करवाया गया था।

लेकिन महल में जाते समय दांई ओर की सुरक्षा दीवार पर कोई खास ध्यान नहीं दिया गया। ऎसे में गत दिनों हुई तेज बारिश से यह सुरक्षा दीवार ढह गई है। दीवार ढहने से मानसिंह महल पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। इस बार और तेज बारिश हुई तो महल की नींव को जोड़कर बनाई गई सुरक्षा दीवार के पत्थर निकलने से महल का एक भाग गिर सकता है।

परकोटा भी क्षतिग्रस्त
दुर्ग का परकोटा भी जगह-जगह से क्षतिग्रस्त है। भारतीय इतिहास में व्यवस्थित बसावट व समृद्धशाली नगरों में गिना जाने वाला जालोर ऎतिहासिक वैभव की चमक खो रहा है। ऎसे में तेज बारिश से परकोटे को भी नुकसान हो सकता है।

दीवार ढही
मैं दुर्ग स्थित शिव मंदिर में सोमवार को दर्शन के लिए गया था। वहां मानसिंह महल के एक तरफ की दीवार ढह गई है। अधिक बारिश से महल का एक भाग गिर सकता है।
-प्रवीणसिंह राजपुरोहित, शहरवासी

करवाएंगे ठीक
दुर्ग के जीर्णाेद्धार के लिए बजट के बारे में पुरातत्व विभाग अधिकारियों से बात हुई है। दीवार ढही है तो पुरातत्व विभाग को अवगत करवाकर ठीक करवाएंगे।
-राजन विशाल, जिला कलक्टर, जालोर

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