कांस्टेबल ने बेटे को गोली मारी
जोधपुर/ओसियां। मामूली कहासुनी के बाद बैस बॉल का बैट उठाने से आवेश में पुलिस के एक कांस्टेबल ने शुक्रवार रात ओसियां में अपने ही पुत्र को गोली मार दी। हत्या के बाद कांस्टेबल स्वयं ओसियां थाने पहुंचा और वारदात की जानकारी दी। पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर कार्रवाई शुरू की है।
पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) राहुल प्रकाश के अनुसार पुलिस कमिश्Aरेट के खाण्डा फलसा थाने में कांस्टेबल मनोहरसिंह चौहान (45) ने ओसियां के निकटवर्ती चौहानों की ढाणी स्थित घर में अपने पुत्र घनश्यामसिंह (17) को गोली मार दी। जिससे उसकी मौके पर ही मृत्यु हो गई। प्रारम्भिक जांच में सामने आया कि मनोहरसिंह ने यह गोली घर में रखी .22 की एयरगन से चलाई थी। जो अभी तक बरामद नहीं हुई है।
पुत्र की हत्या के बाद कांस्टेबल स्वयं रात करीब नौ बजे ओसियां थाने पहुंचा और थाना प्रभारी जुल्फिकार अली को पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया। पुलिस ने उसे हिरासत में लिया है। कार्रवाई के बाद शव को ओसियां के राजकीय अस्पताल की मोर्चरी में रखा गया है, जहां शनिवार सुबह पोस्टमार्टम कराया जाएगा।
एक माह की पीएल पर आया था घर
कांस्टेबल मनोहरसिंह खाण्डा फलसा थाने की चांदपोल चौकी में तैनात था। वह एक माह के पीएल अवकाश पर गत 24 जून को ही गांव गया था। उसके पिता भी पुलिस में एमटीओ थे।
बैट सेे मारने को आया था पुत्र
प्रारम्भिक पूछताछ में मनोहरसिंह ने पुलिस को बताया कि रात को घर में किसी बात को लेकर पुत्र से तकरार हो गई।
दोनों में कहासुनी इतनी बढ़ गई कि पुत्र बैस बॉल का बैट लेकर पिता को मारने के लिए बढ़ने लगा। यह देख पिता ने पास ही रखी बन्दूक से पुत्र पर गोली चला दी। जो उसके पेट के निचले हिस्से में लगी और मौके पर ही दम टूट गया। मृतक घनश्यामसिंह 12वीं कक्षा का छात्र था और चामूं स्थित ननिहाल में छात्रावास में पढ़ाई कर रहा था।
शनिवार, 29 जून 2013
पत्नी की हत्या कर पति कुएं में कूदा
पत्नी की हत्या कर पति कुएं में कूदा
रोहट(पाली)। थाना क्षेत्र के केरला गांव में गुरूवार देर रात एक पति ने अपनी ही पत्नी की धारदार हथियार से वार कर हत्या कर दी। वारदात को अंजाम देने के बाद पति खुद भी कुएं में कूद गया। यह पूरी वारदात उनके बच्चों के सामने ही हुई।
ग्रामीण वृत्ताधिकारी विकास शर्मा के अनुसार केरला मिश्रीलाल (50) पुत्र वेनाराम ने गुरूवार शाम को अपनी पत्नी सारकी देवी (45) से शराब के लिए रूपए मांगे। लेकिन उसकी पत्नी ने रूपए देने से इनकार कर दिया। घर पर उसके एक बेटे और एक बेटी ने बीच-बचाव कर मामला शांत करवाया। इसके बाद सभी परिवार के लोग खाना खा कर सो गए। रात साढ़े बारह बजे सारकी देवी के चिल्लाने की आवाजें आई। उसके बेटे ने उठ कर देखा तो मिश्रीलाल कूट से पत्नी के सिर, हाथ व पैरों पर वार कर रहा था।
बच्चे बचाने दौड़े तब तक मिश्रीलाल बाहर से दरवाजा बंद कर भाग गया। बेटे की चिल्लाने की आवाज सुन पड़ोसी मौके पर पहुंचे और पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने मौका मुआयना किया और आरोपित पति की तलाश शुरू की। सुबह गांव के समीप नदी किनारे कुएं में पति का शव मिला। पुलिस ने शव बाहर निकलवा कर परिजनों को सुपुर्द किया। घटना की जानकारी लगते ही ग्रामीण सीओ विकास शर्मा, रोहट थानाधिकारी सीताराम खोजा मय जाप्ता मौके पर पहुंचे। सारकी देवी के भाई बागावास बाड़मेर निवासी चुन्नीलाल पुत्र लच्छाराम की रिपोर्ट पर हत्या का मामला दर्ज किया गया।
रोहट(पाली)। थाना क्षेत्र के केरला गांव में गुरूवार देर रात एक पति ने अपनी ही पत्नी की धारदार हथियार से वार कर हत्या कर दी। वारदात को अंजाम देने के बाद पति खुद भी कुएं में कूद गया। यह पूरी वारदात उनके बच्चों के सामने ही हुई।
ग्रामीण वृत्ताधिकारी विकास शर्मा के अनुसार केरला मिश्रीलाल (50) पुत्र वेनाराम ने गुरूवार शाम को अपनी पत्नी सारकी देवी (45) से शराब के लिए रूपए मांगे। लेकिन उसकी पत्नी ने रूपए देने से इनकार कर दिया। घर पर उसके एक बेटे और एक बेटी ने बीच-बचाव कर मामला शांत करवाया। इसके बाद सभी परिवार के लोग खाना खा कर सो गए। रात साढ़े बारह बजे सारकी देवी के चिल्लाने की आवाजें आई। उसके बेटे ने उठ कर देखा तो मिश्रीलाल कूट से पत्नी के सिर, हाथ व पैरों पर वार कर रहा था।
बच्चे बचाने दौड़े तब तक मिश्रीलाल बाहर से दरवाजा बंद कर भाग गया। बेटे की चिल्लाने की आवाज सुन पड़ोसी मौके पर पहुंचे और पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने मौका मुआयना किया और आरोपित पति की तलाश शुरू की। सुबह गांव के समीप नदी किनारे कुएं में पति का शव मिला। पुलिस ने शव बाहर निकलवा कर परिजनों को सुपुर्द किया। घटना की जानकारी लगते ही ग्रामीण सीओ विकास शर्मा, रोहट थानाधिकारी सीताराम खोजा मय जाप्ता मौके पर पहुंचे। सारकी देवी के भाई बागावास बाड़मेर निवासी चुन्नीलाल पुत्र लच्छाराम की रिपोर्ट पर हत्या का मामला दर्ज किया गया।
एमपी में जान ले रहा है इश्क का जुनून
एमपी में जान ले रहा है इश्क का जुनून
भोपाल। मध्यप्रदेश में इश्क की आग जिंदगी पर भारी पड़ रही है। यहां प्यार में फेल हो रहे युवक-युवतियां जिंदगी खत्म करने में लगे हैं। आत्महत्या के ऎसे मामलों में प्रदेश का स्थान देश में तीसरा है। हर रोज लगभग एक टूटा दिल मौत को गले लगा रहा है।
ये चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की वर्ष 2012 की रिपोर्ट में। रिपोर्ट बताती है कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों में जहां प्रदेश नंबर वन है, वहीं प्रेम प्रसंग में जान देने वालों का भी आंकड़ा यहां कम नहीं है।
प्रदेश में बीते साल 355 लोगों ने प्यार में असफल होने पर आत्महत्या की। इनमें 187 पुरूष और 168 महिलाएं थी। आत्महत्या करने वालों में 18 से 28 वर्ष की उम्र का युवा वर्ग ज्यादा है। औसतन पुरूष भी महिलाओं के बराबर है। देश में 3849 लोगों ने प्रेम प्रसंगों में नाकामी की वजह से आत्महत्या की है।
अस्मत खोने पर जान दी : प्रदेश में 76 महिला-युवती ने दुष्कर्म के कारण आत्महत्या की। अप्राकृतिक कृत्य के शिकार 12 युवकों ने भी जान दे दी। अवैध संबंधों के कारण 175 लोगों ने आत्महत्या कर ली। इनमें 55 महिला और 67 पुरूष थे। इसमें ग्वालियर में 31, जबलपुर में 23, इंदौर में 4 व भोपाल में दो आत्महत्या हुई।
एक्सपर्ट व्यू-
प्यार एक भावनात्मक रिश्ता होता है, जिसमें अलगाव होने पर युवा आत्मघाती कदम उठा लेते हैं। परिजनों को शंका हो तो तुरंत संबंधित की काउंसलिंग कराना चाहिए।
- डॉ. वीएस पाल, वरिष्ठ मनोचिकित्सक,एमजीएम मेडिकल कॉलेज
ये हैं टॉप 5
असम 494
तमिलनाडु 488
मध्यप्रदेश 355
ओडिशा 325
कर्नाटक 316
(आंकड़े प्रेम में आत्महत्या के)
यहां बिल्कुल नहीं
लक्षद्वीप, दमनद्वीप, नागालैंड व मिजोरम ऎसे राज्य हैं जहां प्रेम प्रसंग के चलते आत्महत्या किए जाने का एक भी मामला 2012 में दर्ज नहीं हुआ। जबकि चंडीगढ़ में सिर्फ एक केस ही मिला।
जबलपुर में ज्यादा
शहर महिला पुरूष
जबलपुर 29 17
इंदौर 10 09
भोपाल 12 05
ग्वालियर 03 02
जैन समाज को मिलेगा अल्पसंख्यक का दर्जा
जैन समाज को मिलेगा अल्पसंख्यक का दर्जा
रायपुर। छत्तीसगढ़ में जैन समाज को अल्पसंख्यक घोषित करने के लिए राज्य सरकार विधानसभा के मानसून सत्र में अल्पसंख्यक अधिनियम 1996 में संशोधन करने जा रही है।
फिलहाल जैन समाज को अल्पसंख्यक का दर्जा नहीं है। जैन समाज के लोगों ने कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री से मिलकर इस आशय की मांग उठाई थी। इसे देखते हुए शुक्रवार को राज्य कैबिनेट में अल्पसंख्यक अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव पेश किया गया, जिसे मंजूर कर लिया गया।
रायपुर। छत्तीसगढ़ में जैन समाज को अल्पसंख्यक घोषित करने के लिए राज्य सरकार विधानसभा के मानसून सत्र में अल्पसंख्यक अधिनियम 1996 में संशोधन करने जा रही है।
फिलहाल जैन समाज को अल्पसंख्यक का दर्जा नहीं है। जैन समाज के लोगों ने कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री से मिलकर इस आशय की मांग उठाई थी। इसे देखते हुए शुक्रवार को राज्य कैबिनेट में अल्पसंख्यक अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव पेश किया गया, जिसे मंजूर कर लिया गया।
रिफायनरी फिर लौटेगा पुराना वैभव ...फिर कहलाएगी पचपदरा सिटी
रिफायनरी फिर लौटेगा पुराना वैभव ...फिर कहलाएगी पचपदरा सिटी
नमक की धरती से फूटेगी तेल की धार
चन्दन सिंह भाटी
बाड़मेर सरहदी जिले बाड़मेर के रियासतकालीन पचपदरा से ८ किमी दूर सांभरा गांव। रिफाइनरी की मुख्य साइट। राजस्थान की नमक की सबसे बड़ी सांभर झील से ही पचपदरा का साल्ट एरिया डवलप हुआ और इसका नाम सांभरा रखा गया। रिफाइनरी लगने के बाद चंद घरों वाले इस गांव का रियासतकालीन वैभव लौट आएगा। उस वक्त यह एरिया जोधपुर रियासत का हिस्सा था। अब रिफाइनरी से भी जोधपुर का कारोबार बढ़ेगा।
चारों तरफ दूर-दूर तक बियाबान के बीच बसे सांभरा में अंग्रेजों के जमाने में एक टीले पर नमक विभाग का दफ्तर और कॉलोनी बनाई गई थी। तब अंग्रेजों का हाकम यहां बैठता था। नमक की पहरेदारी करने के लिए चौकियां बनी हुई थीं। घोड़ों पर पहरेदारी होती थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत के वक्त 1992 में नमक की खदानों में काम करने वाले खारवालों को सरकार ने पट्टे देकर मालिक बना दिया और विभाग का दफ्तर भी शिफ्ट कर दिया। तब से आलीशान दफ्तर का भवन, डाक बंगला और करीब 70 क्वार्टर वाली कॉलोनी वीरान पड़ी है। इनमें भी 35 ठीक-ठाक हैं, बाकी खंडहर हो चुके हैं। यहीं पर एक खजाना कक्ष बना हुआ है।
इसमें सलाखों के भीतर एक तहखाने में यह खजाना आज भी इतिहास का गवाह बना हुआ है। लोहे की मोटी चद्दर से बना है भारी भरकम दरवाजा। इस पर इंग्लैंड का ताला लटक रहा है। आज यह खजाना भी मकडिय़ों के जाल से धुंधला नजर आता है।
रिफाइनरी लौटाएगी सांभरा का रियासतकालीन वैभव
जब हम इस बियाबान बस्ती में पहुंचे तो नमक विभाग के एकमात्र चौकीदार फूलचंद मिले। दफ्तर खोला और बोले- कुछ दिन पहले कलेक्टर और दूसरे अफसर आए थे। इस भवन को साफ करने की बात कह गए हैं। अब यह ऐतिहासिक भवन और कॉलोनी रिफाइनरी वालों को दे दी है। फूलचंद बताते हैं कि ४० साल हो गए यहां नौकरी करते हुए। अब तो रिटायरमेंट में एक साल बचा है, रिफाइनरी आने से पुराना वैभव तो लौटेगा, लेकिन वे यहां नहीं होंगे। अपने गांव बांसवाड़ा चले जाएंगे।
रिफाइनरी तो कर्नल के एरिया में ही रही:
बायतु के लीलाला में रिफाइनरी लगनी थी, लेकिन नहीं लगी। बायतु विधायक कर्नल सोनाराम हालांकि शिफ्टिंग से खफा है, लेकिन सांभरा व साजियाली गांव की नई साइट भी कहने को भले ही पचपदरा में हो, मगर ये गांव भी बायतु विधानसभा क्षेत्र में हैं और विधायक कर्नल ही है। विधानसभा क्षेत्रों नए सीमांकन से ये गांव भी बायतु में शामिल हो गए थे। पचपदरा की सरहद लगती है और कस्बा पास होने से विधायक मदन प्रजापत भी उत्साहित हैं। वे कहते हैं, पचपदरा का आने वाला कल चमकते रेगिस्तान की तरह सुनहरा है।
हर जाति के लोगों को होगा फायदा:
पचपदरा में रिफाइनरी लगने का फायदा हर जाति के लोगों को होगा। करीब पंद्रह हजार की आबादी वाले पचपदरा में खारवाल (नमक व्यवसाय से जुड़े लोग) की संख्या लगभग 3 हजार है। दूसरे नंबर पर 2 हजार जैन है। फिर कुम्हार, रेबारी, सुथार व अजा-जजा व अल्पसंख्यक आबादी है। पचपदरा के भंवर सिंह बताते हैं कि जैन व्यापारी कौम है और बालोतरा व्यावसायिक केंद्र हैं इसलिए उद्योग विकास में वे बड़ी भूमिका निभाएंगे। दूसरी जातियां हाथ का काम करने वाली है, उन्हें कंस्ट्रक्शन फेज और शहर बढऩे के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर के काम में रोजगार मिल सकेगा। सांभराके गणपत खारवाल कहते हैं, नमक के काम में तो मुश्किल से दो सौ रुपए दिहाड़ी मिलती है, वह भी साल में आठ माह से ज्यादा नहीं। रिफाइनरी लगने से गांव वालों को मजदूरी तो मिलेगी।
रियल एस्टेट, होटल और ट्रांसपोट्र्स को तत्काल फायदा:
पचपदरा तिराहे पर बड़ी होटलों और रेस्टोरेंट के बाहर मंगलवार को लोगों की भीड़ लगी थी। इनमें से नब्बे फीसदी जमीन के कारोबार के सिलसिले में बातचीत कर रहे थे। कोई साइट बता रहा था तो कोई जमीनों के भाव। सोमवार को ही रिफाइनरी पचपदरा में तय हुई थी इसलिए जमीनों के भाव रातों-रात बढ़ गए। जब काम शुरू हो जाएगा, तो होटल-रेस्टोरेंट व ट्रांसपोर्टर्स का काम भी बढ़ जाएगा। पचपदरा बागुन्दी से लेकर जोधपुर तक जमीनों के भाव आसमान छूने लगे हें ,भाजपा की प्रदेशाध्यक्षा वसुंधरा राजे ने इसी इलाके में सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की जमीने होने के आरोप लगाए थे
आशापूर्ण और नाग्नेशिया माता की आशीष
पचपदरा के विजय सिंह कहते हें की पचपदरा पर रिफायनरी की मेहर नागानेशिया माता और आशापूर्ण माता ने की हें .पचपदर फिर पचपदरा सिटी कहालाय्रेगा .पुराना वैभव लौटेगा .साम्भर में साम्भारा माता का भव्य मंदिर बना हें .
कुरजां की कलरव ख़त्म हो जायेगी
पचपदरा क्षेत्र में प्रति वर्ष हज़ारो की तादाद में प्रवासी पक्षी साइबेरियन क्रेन जिसे स्थानीय भाषा में कुरजां कहते हें आती हें .इस क्षेत्र को कुरजां के लिए सरंक्षित क्षेत्र घोषित करने की कार्यवाही चल रही थी .सँभारा ,नवोड़ा बेरा ,रेवाडा गाँवो के तालाबों पर कुरजां अपना प्रवासकाल व्यतीत करते हें .पचपदरा में वन्यजीवों की भरमार हें विशेषकर चिंकारा और कृष्णा मृग बहुतायत में हें .इसीलिए पचपदरा से आगे कल्यानपुर डोली को आखेट निषेध क्षेत्र घोषित कर रखा हें
विदेशी नमक के खिलाफ पचपदरा से छिड़ी थी जंग
-महात्मा गांधी के नमक आंदोलन से पहले पचपदरा से आयातित नमक के खिलाफ जंग छिड़ी थी। जब अंग्रेजों ने इस बात पर जोर दिया कि पचपदरा के नमक की मांग नहीं है। इसे बंद कर दिया जाना चाहिए। ऐसी स्थिति में पचपदरा से नमक के कुछ वैगनों को कराची बंदरगाह से लदान करवाने के बाद कलकत्ता भेजा गया। हालांकि यह बात अलग है कि अंग्रेजों की सुनियोजित स्पद्घार के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा था।
यह बात उस जमाने की है जब अंगे्रजों ने यह दावा किया था कि भारत बंगाल की जनता के पसंद का नमक पैदा नहीं कर सकता। इसकी आड़ में वे यहां विलायत से नमक लाने की मंशा रखते थे। क्योंकि बंगाल भारत में स्वच्छ नमक खाने वाला क्षेत्र माना जाता है। इसे अलावा आमतौर पर अंग्रेज लोग जहाजों के संतुलन के लिए उसमें पत्थर भरकर लाते थे। उनका मानना था कि उसे स्थान पर अगर नमक लाया जाए तो अतिरिक्त आय हो सकती है। उस समय सांभर नमक उत्पादन क्षेत्र में मशीनरी पर बि्रटिश सरकार ने भारी खर्चा किया। बावजूद इसे उत्पादन व्यय के मुकाबले कम प्राप्त हुआ। सांभर से भारी नुकसान उठाने के बाद उनका ध्यान पचपदरा के नमक उद्योग को बंद करने की तरफ गया। जब पचपदरा का नमक उद्योग संकट में पड़ने लगा तो सेठ गुलाबचंद ने नमक के कुछ वैगनों को कराची बंदरगाह से लदान करवाया। इसे अलावा कराची की नमक उत्पादन की फर्म नोशेखांजी कपनी से नमक खरीदकर नमक के एक जहाज का लदान कलकत्ता के लिए करवाया। जब यह नमक कलकत्ता के नमक बाजार में हड़ंप मच गया। उस जमाने में आयातित नमक की बि्रटिश नकंपियों का एक संगठन बना हुआ था। इसने दलालों के माफर्त पता करवाया कि पचपदरा का नमक किस भाव से बिकेगा? उस समय नमक के भाव 250 रुपए प्रति टन चल रहे थे। सेठ गुलाबचंद ने पचपदरा के नमक की विक्रय दर 175 रुपए प्रति टन बताई। लेकिन उन कंपनियों ने पचपदरा का नमक नहीं बिके इसके लिए दूसरे नमक की दर घटाकर 145 रुपए प्रति टन कर दी। इस दरिम्यान करीब दस माह तक भाव ऊपर चढ़ने के इंतजार के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला। ऐसे में मजबूरन भारी नुकसान में यह नमक बेचना पड़ा। इस तरह से पचपदरा नमक का यह आंदोलन सफल नहीं हो सका। परंतु पचपदरा उद्योग को चालू रखने का एक प्रयास था। इसी का नतीजा था कि टेरिक बोर्ड आन साल्ट इंडस्ट्री की स्थापना के बाद पचपदरा के खारवालों एवं मजदूरों ने हड़ताल के जरिए अंग्रेज सरकार का विरोध किया। सरकारी विरोध का नतीजा यह निकला कि सरकार ने यहां अधिक नमक की खाने खोदने की अनुमति दी।
अजब-गजब
झील नहीं,फिर भी होता है नमक उत्पादन
बाड़मेर। नमक उत्पादन स्थलों पर तकरीबन हर जगह एक झील होती है। लेकिन पचपदरा में ऐसी कोई झील नहीं है। इसे बावजूद यहां नमक का उत्पादन होता है।
पचपदरा नमक उत्पादन स्थल की एक विशेषता यह भी है कि अन्य सब स्थानों पर पानी को क्यारियों में सुखाया जाता है। परंतु पचपदरा में नमक के लिए खाने खोदी जाती है। इस समय तकरीबन 700 के करीब नमक की खाने चालू हैं। हालांकि पड़तल खानों की तादाद हजारों में है। पड़तल खान उसको कहा जाता है जिसको नमक उत्पादन बंद हो जाने के बाद दुबारा नहीं खुदवाया जाता। पचपदरा में प्रारंभिक अवस्था में पानी का घनत्व 13 से 14 डिग्री के तकरीबन रहता है। वहीं समुद्री पानी का यह घनत्व प्रारंभिक अवस्था में महज 3 डिग्री होता है। पानी का घनत्व मापने के लिए हाइड्रोमीटर का इस्तेमाल किया जाता है।
चारों तरफ दूर-दूर तक बियाबान के बीच बसे सांभरा में अंग्रेजों के जमाने में एक टीले पर नमक विभाग का दफ्तर और कॉलोनी बनाई गई थी। तब अंग्रेजों का हाकम यहां बैठता था। नमक की पहरेदारी करने के लिए चौकियां बनी हुई थीं। घोड़ों पर पहरेदारी होती थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत के वक्त 1992 में नमक की खदानों में काम करने वाले खारवालों को सरकार ने पट्टे देकर मालिक बना दिया और विभाग का दफ्तर भी शिफ्ट कर दिया। तब से आलीशान दफ्तर का भवन, डाक बंगला और करीब 70 क्वार्टर वाली कॉलोनी वीरान पड़ी है। इनमें भी 35 ठीक-ठाक हैं, बाकी खंडहर हो चुके हैं। यहीं पर एक खजाना कक्ष बना हुआ है।
इसमें सलाखों के भीतर एक तहखाने में यह खजाना आज भी इतिहास का गवाह बना हुआ है। लोहे की मोटी चद्दर से बना है भारी भरकम दरवाजा। इस पर इंग्लैंड का ताला लटक रहा है। आज यह खजाना भी मकडिय़ों के जाल से धुंधला नजर आता है।
रिफाइनरी लौटाएगी सांभरा का रियासतकालीन वैभव
जब हम इस बियाबान बस्ती में पहुंचे तो नमक विभाग के एकमात्र चौकीदार फूलचंद मिले। दफ्तर खोला और बोले- कुछ दिन पहले कलेक्टर और दूसरे अफसर आए थे। इस भवन को साफ करने की बात कह गए हैं। अब यह ऐतिहासिक भवन और कॉलोनी रिफाइनरी वालों को दे दी है। फूलचंद बताते हैं कि ४० साल हो गए यहां नौकरी करते हुए। अब तो रिटायरमेंट में एक साल बचा है, रिफाइनरी आने से पुराना वैभव तो लौटेगा, लेकिन वे यहां नहीं होंगे। अपने गांव बांसवाड़ा चले जाएंगे।
रिफाइनरी तो कर्नल के एरिया में ही रही:
बायतु के लीलाला में रिफाइनरी लगनी थी, लेकिन नहीं लगी। बायतु विधायक कर्नल सोनाराम हालांकि शिफ्टिंग से खफा है, लेकिन सांभरा व साजियाली गांव की नई साइट भी कहने को भले ही पचपदरा में हो, मगर ये गांव भी बायतु विधानसभा क्षेत्र में हैं और विधायक कर्नल ही है। विधानसभा क्षेत्रों नए सीमांकन से ये गांव भी बायतु में शामिल हो गए थे। पचपदरा की सरहद लगती है और कस्बा पास होने से विधायक मदन प्रजापत भी उत्साहित हैं। वे कहते हैं, पचपदरा का आने वाला कल चमकते रेगिस्तान की तरह सुनहरा है।
हर जाति के लोगों को होगा फायदा:
पचपदरा में रिफाइनरी लगने का फायदा हर जाति के लोगों को होगा। करीब पंद्रह हजार की आबादी वाले पचपदरा में खारवाल (नमक व्यवसाय से जुड़े लोग) की संख्या लगभग 3 हजार है। दूसरे नंबर पर 2 हजार जैन है। फिर कुम्हार, रेबारी, सुथार व अजा-जजा व अल्पसंख्यक आबादी है। पचपदरा के भंवर सिंह बताते हैं कि जैन व्यापारी कौम है और बालोतरा व्यावसायिक केंद्र हैं इसलिए उद्योग विकास में वे बड़ी भूमिका निभाएंगे। दूसरी जातियां हाथ का काम करने वाली है, उन्हें कंस्ट्रक्शन फेज और शहर बढऩे के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर के काम में रोजगार मिल सकेगा। सांभराके गणपत खारवाल कहते हैं, नमक के काम में तो मुश्किल से दो सौ रुपए दिहाड़ी मिलती है, वह भी साल में आठ माह से ज्यादा नहीं। रिफाइनरी लगने से गांव वालों को मजदूरी तो मिलेगी।
रियल एस्टेट, होटल और ट्रांसपोट्र्स को तत्काल फायदा:
पचपदरा तिराहे पर बड़ी होटलों और रेस्टोरेंट के बाहर मंगलवार को लोगों की भीड़ लगी थी। इनमें से नब्बे फीसदी जमीन के कारोबार के सिलसिले में बातचीत कर रहे थे। कोई साइट बता रहा था तो कोई जमीनों के भाव। सोमवार को ही रिफाइनरी पचपदरा में तय हुई थी इसलिए जमीनों के भाव रातों-रात बढ़ गए। जब काम शुरू हो जाएगा, तो होटल-रेस्टोरेंट व ट्रांसपोर्टर्स का काम भी बढ़ जाएगा। पचपदरा बागुन्दी से लेकर जोधपुर तक जमीनों के भाव आसमान छूने लगे हें ,भाजपा की प्रदेशाध्यक्षा वसुंधरा राजे ने इसी इलाके में सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की जमीने होने के आरोप लगाए थे
आशापूर्ण और नाग्नेशिया माता की आशीष
पचपदरा के विजय सिंह कहते हें की पचपदरा पर रिफायनरी की मेहर नागानेशिया माता और आशापूर्ण माता ने की हें .पचपदर फिर पचपदरा सिटी कहालाय्रेगा .पुराना वैभव लौटेगा .साम्भर में साम्भारा माता का भव्य मंदिर बना हें .
कुरजां की कलरव ख़त्म हो जायेगी
पचपदरा क्षेत्र में प्रति वर्ष हज़ारो की तादाद में प्रवासी पक्षी साइबेरियन क्रेन जिसे स्थानीय भाषा में कुरजां कहते हें आती हें .इस क्षेत्र को कुरजां के लिए सरंक्षित क्षेत्र घोषित करने की कार्यवाही चल रही थी .सँभारा ,नवोड़ा बेरा ,रेवाडा गाँवो के तालाबों पर कुरजां अपना प्रवासकाल व्यतीत करते हें .पचपदरा में वन्यजीवों की भरमार हें विशेषकर चिंकारा और कृष्णा मृग बहुतायत में हें .इसीलिए पचपदरा से आगे कल्यानपुर डोली को आखेट निषेध क्षेत्र घोषित कर रखा हें
विदेशी नमक के खिलाफ पचपदरा से छिड़ी थी जंग
-महात्मा गांधी के नमक आंदोलन से पहले पचपदरा से आयातित नमक के खिलाफ जंग छिड़ी थी। जब अंग्रेजों ने इस बात पर जोर दिया कि पचपदरा के नमक की मांग नहीं है। इसे बंद कर दिया जाना चाहिए। ऐसी स्थिति में पचपदरा से नमक के कुछ वैगनों को कराची बंदरगाह से लदान करवाने के बाद कलकत्ता भेजा गया। हालांकि यह बात अलग है कि अंग्रेजों की सुनियोजित स्पद्घार के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा था।
यह बात उस जमाने की है जब अंगे्रजों ने यह दावा किया था कि भारत बंगाल की जनता के पसंद का नमक पैदा नहीं कर सकता। इसकी आड़ में वे यहां विलायत से नमक लाने की मंशा रखते थे। क्योंकि बंगाल भारत में स्वच्छ नमक खाने वाला क्षेत्र माना जाता है। इसे अलावा आमतौर पर अंग्रेज लोग जहाजों के संतुलन के लिए उसमें पत्थर भरकर लाते थे। उनका मानना था कि उसे स्थान पर अगर नमक लाया जाए तो अतिरिक्त आय हो सकती है। उस समय सांभर नमक उत्पादन क्षेत्र में मशीनरी पर बि्रटिश सरकार ने भारी खर्चा किया। बावजूद इसे उत्पादन व्यय के मुकाबले कम प्राप्त हुआ। सांभर से भारी नुकसान उठाने के बाद उनका ध्यान पचपदरा के नमक उद्योग को बंद करने की तरफ गया। जब पचपदरा का नमक उद्योग संकट में पड़ने लगा तो सेठ गुलाबचंद ने नमक के कुछ वैगनों को कराची बंदरगाह से लदान करवाया। इसे अलावा कराची की नमक उत्पादन की फर्म नोशेखांजी कपनी से नमक खरीदकर नमक के एक जहाज का लदान कलकत्ता के लिए करवाया। जब यह नमक कलकत्ता के नमक बाजार में हड़ंप मच गया। उस जमाने में आयातित नमक की बि्रटिश नकंपियों का एक संगठन बना हुआ था। इसने दलालों के माफर्त पता करवाया कि पचपदरा का नमक किस भाव से बिकेगा? उस समय नमक के भाव 250 रुपए प्रति टन चल रहे थे। सेठ गुलाबचंद ने पचपदरा के नमक की विक्रय दर 175 रुपए प्रति टन बताई। लेकिन उन कंपनियों ने पचपदरा का नमक नहीं बिके इसके लिए दूसरे नमक की दर घटाकर 145 रुपए प्रति टन कर दी। इस दरिम्यान करीब दस माह तक भाव ऊपर चढ़ने के इंतजार के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला। ऐसे में मजबूरन भारी नुकसान में यह नमक बेचना पड़ा। इस तरह से पचपदरा नमक का यह आंदोलन सफल नहीं हो सका। परंतु पचपदरा उद्योग को चालू रखने का एक प्रयास था। इसी का नतीजा था कि टेरिक बोर्ड आन साल्ट इंडस्ट्री की स्थापना के बाद पचपदरा के खारवालों एवं मजदूरों ने हड़ताल के जरिए अंग्रेज सरकार का विरोध किया। सरकारी विरोध का नतीजा यह निकला कि सरकार ने यहां अधिक नमक की खाने खोदने की अनुमति दी।
अजब-गजब
झील नहीं,फिर भी होता है नमक उत्पादन
बाड़मेर। नमक उत्पादन स्थलों पर तकरीबन हर जगह एक झील होती है। लेकिन पचपदरा में ऐसी कोई झील नहीं है। इसे बावजूद यहां नमक का उत्पादन होता है।
पचपदरा नमक उत्पादन स्थल की एक विशेषता यह भी है कि अन्य सब स्थानों पर पानी को क्यारियों में सुखाया जाता है। परंतु पचपदरा में नमक के लिए खाने खोदी जाती है। इस समय तकरीबन 700 के करीब नमक की खाने चालू हैं। हालांकि पड़तल खानों की तादाद हजारों में है। पड़तल खान उसको कहा जाता है जिसको नमक उत्पादन बंद हो जाने के बाद दुबारा नहीं खुदवाया जाता। पचपदरा में प्रारंभिक अवस्था में पानी का घनत्व 13 से 14 डिग्री के तकरीबन रहता है। वहीं समुद्री पानी का यह घनत्व प्रारंभिक अवस्था में महज 3 डिग्री होता है। पानी का घनत्व मापने के लिए हाइड्रोमीटर का इस्तेमाल किया जाता है।
शुक्रवार, 28 जून 2013
समायोजन नहीं कराने पर 51 ग्रामसेवकांे को कारण बताओ नोटिस
समायोजन नहीं कराने पर 51 ग्रामसेवकांे को कारण बताओ नोटिसबाड़मेर जिले मंे महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत वित्तीय वर्ष 2012-13 तक व्यय राषि का समायोजन नहीं कराने पर अतिरिक्त जिला कार्यक्रम समन्वयक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने ग्रामसेवकांे को जारी किए नोटिस।
बाड़मेर, 28 जून। बाड़मेर जिले मंे महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत वित्तीय वर्ष 2012-13 तक व्यय राषि का समायोजन नहीं कराने पर बाड़मेर, षिव,सिणधरी एवं धोरीमन्ना पंचायत समितियांे की 51 ग्राम पंचायतांे के ग्रामसेवकांे को कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। इनको 7 जुलाई तक संबंधित कार्यक्रम अधिकारी के माध्यम से समायोजित राषि की सूचना सहित स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के निर्देष दिए गए है।
अतिरिक्त जिला कार्यक्रम समन्वयक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी एल.आर.गुगरवाल ने बताया कि महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत वित्तीय वर्ष 2012-13 तक व्यय राषि के समायोजन के लिए उपयोगिता प्रमाण पत्र जारी करवाकर समायोजन करने के लिए 17 से 26 जून तक पंचायत समिति स्तर पर अभियान चलाया गया था। इस अभियान के लिए जिला स्तर से प्रभारी अधिकारी नियुक्त कर प्रभावी मोनेटरिंग करने के निर्देष दिए गए थे। इस अभियान के दौरान लापरवाही बरतने पर 51 ग्राम पंचायतांे के ग्रामसेवकांे को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए है। इस अभियान के दौरान अनुपस्थित रहने वाले ग्रामसेवकांे एवं समायोजन मंे अपेक्षानुसार प्रगति प्राप्त नहीं होने पर संबंधित ग्रामसेवकांे के खिलाफ कार्यवाही की जा रही है। उन्हांेने बताया कि बाड़मेर पंचायत समिति मंे ग्राम सेवक जगदीष गर्ग ग्राम पंचायत बूठ, कृष्ण कुमार देरासर, नारायणराम तारातरा, खीयाराम गंगाला, मदनसिंह उडंखा, भीमाराम धारासर, षिव पंचायत समिति मंे भीयाड़ भंवरलाल, मांगीलाल बीसू, लाखसिंह चेतरोड़ी, महेन्द्रसिंह गडरारोड़, नरसिंगदान हरसाणी, कैलाषदान झणकली, छगनसिंह तामलोर, बालोतरा पंचायत समिति मंे ग्रामसेवक बीरबलराम ग्राम पंचायत नेवरी, सुषील कुमार आसोतरा, जूंजाराम रैवाड़ा मैया, बायतू पंचायत समिति मंे ग्रामसेवक चन्द्रप्रकाष ग्राम पंचायत झाक, तुलसाराम जाजवा, नारणाराम लूनाडा, नगाराम खोखसर, तुलसाराम केसूंबला, कंवरलाल जाखड़ा,सिवाना पंचायत समिति मंे ग्रामसेवक बाबूलाल ग्राम पंचायत बामसीन, धोरीमन्ना पंचायत समिति मंे जगदीष ग्राम पंचायत सूदाबेरी, जगदीष चैनपुरा, मोहनलाल गुड़ामालानी, ताराराम षौभाला दर्षान, गुणेषाराम मंगले की बेरी, राणाराम बेरीगांव,मोहनलाल बारासण, अचलाराम लूखू, विरधाराम बोर, चांदाराम सिंधासवा, सूरजकरण गांधव, सिणधरी पंचायत समिति मंे मोहनलाल आदर्ष चवा, श्रीमती कमला कुड़ला, रामाराम कादानाडी, प्रभूसिंह खारा महेचान,खेताराम जूना मीठा खेड़ा, गंगाविषन दाखा, पुखराज बांड, रावताराम भूका, खीयाराम मेहलू, मूलाराम मालपूरा, भंवरलाल षिवकर, प्रभूसिंह सड़ा, भीखाराम सरली, भीखाराम सांजटा, केसाराम गोलिया, जूंजाराम सेवनियाला, पोकरराम ग्राम पंचायत होडू को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं।
गुगरवाल ने बताया कि संबंधित ग्रामसेवकांे को व्यक्तिषः निर्देष दिए गए है कि 7 जुलाई तक अपना स्पष्टीकरण कार्यक्रम अधिकारी के माध्यम से प्रस्तुत करें। निर्धारित तिथि तक स्पष्टीकरण प्राप्त नहीं होने की स्थिति मंे राजस्थान सिविल सेवा नियम सीसीए नियम 1958 के नियम 17 के तहत कार्यवाही प्रारंभ की जाएगी।
बाड़मेर, 28 जून। बाड़मेर जिले मंे महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत वित्तीय वर्ष 2012-13 तक व्यय राषि का समायोजन नहीं कराने पर बाड़मेर, षिव,सिणधरी एवं धोरीमन्ना पंचायत समितियांे की 51 ग्राम पंचायतांे के ग्रामसेवकांे को कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। इनको 7 जुलाई तक संबंधित कार्यक्रम अधिकारी के माध्यम से समायोजित राषि की सूचना सहित स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के निर्देष दिए गए है।
अतिरिक्त जिला कार्यक्रम समन्वयक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी एल.आर.गुगरवाल ने बताया कि महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत वित्तीय वर्ष 2012-13 तक व्यय राषि के समायोजन के लिए उपयोगिता प्रमाण पत्र जारी करवाकर समायोजन करने के लिए 17 से 26 जून तक पंचायत समिति स्तर पर अभियान चलाया गया था। इस अभियान के लिए जिला स्तर से प्रभारी अधिकारी नियुक्त कर प्रभावी मोनेटरिंग करने के निर्देष दिए गए थे। इस अभियान के दौरान लापरवाही बरतने पर 51 ग्राम पंचायतांे के ग्रामसेवकांे को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए है। इस अभियान के दौरान अनुपस्थित रहने वाले ग्रामसेवकांे एवं समायोजन मंे अपेक्षानुसार प्रगति प्राप्त नहीं होने पर संबंधित ग्रामसेवकांे के खिलाफ कार्यवाही की जा रही है। उन्हांेने बताया कि बाड़मेर पंचायत समिति मंे ग्राम सेवक जगदीष गर्ग ग्राम पंचायत बूठ, कृष्ण कुमार देरासर, नारायणराम तारातरा, खीयाराम गंगाला, मदनसिंह उडंखा, भीमाराम धारासर, षिव पंचायत समिति मंे भीयाड़ भंवरलाल, मांगीलाल बीसू, लाखसिंह चेतरोड़ी, महेन्द्रसिंह गडरारोड़, नरसिंगदान हरसाणी, कैलाषदान झणकली, छगनसिंह तामलोर, बालोतरा पंचायत समिति मंे ग्रामसेवक बीरबलराम ग्राम पंचायत नेवरी, सुषील कुमार आसोतरा, जूंजाराम रैवाड़ा मैया, बायतू पंचायत समिति मंे ग्रामसेवक चन्द्रप्रकाष ग्राम पंचायत झाक, तुलसाराम जाजवा, नारणाराम लूनाडा, नगाराम खोखसर, तुलसाराम केसूंबला, कंवरलाल जाखड़ा,सिवाना पंचायत समिति मंे ग्रामसेवक बाबूलाल ग्राम पंचायत बामसीन, धोरीमन्ना पंचायत समिति मंे जगदीष ग्राम पंचायत सूदाबेरी, जगदीष चैनपुरा, मोहनलाल गुड़ामालानी, ताराराम षौभाला दर्षान, गुणेषाराम मंगले की बेरी, राणाराम बेरीगांव,मोहनलाल बारासण, अचलाराम लूखू, विरधाराम बोर, चांदाराम सिंधासवा, सूरजकरण गांधव, सिणधरी पंचायत समिति मंे मोहनलाल आदर्ष चवा, श्रीमती कमला कुड़ला, रामाराम कादानाडी, प्रभूसिंह खारा महेचान,खेताराम जूना मीठा खेड़ा, गंगाविषन दाखा, पुखराज बांड, रावताराम भूका, खीयाराम मेहलू, मूलाराम मालपूरा, भंवरलाल षिवकर, प्रभूसिंह सड़ा, भीखाराम सरली, भीखाराम सांजटा, केसाराम गोलिया, जूंजाराम सेवनियाला, पोकरराम ग्राम पंचायत होडू को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं।
गुगरवाल ने बताया कि संबंधित ग्रामसेवकांे को व्यक्तिषः निर्देष दिए गए है कि 7 जुलाई तक अपना स्पष्टीकरण कार्यक्रम अधिकारी के माध्यम से प्रस्तुत करें। निर्धारित तिथि तक स्पष्टीकरण प्राप्त नहीं होने की स्थिति मंे राजस्थान सिविल सेवा नियम सीसीए नियम 1958 के नियम 17 के तहत कार्यवाही प्रारंभ की जाएगी।
सडको पर निकले चंदा जुटाने मानवेन्द्र सिंह
सडको पर निकले चंदा जुटाने मानवेन्द्र सिंह
सिंह ने करीब बारह बजे स्टेशन रोड पहुचे तथा पैदल कार्यकर्ताओ के साथ राहगीरों एवं दुकानदारों से चंदा देने का आग्रह किया।
बेटियां छोड़ धन ले भागी घरवाली
बेटियां छोड़ धन ले भागी घरवाली
जयपुर। राजस्थान के सीकर में 2 बेटियों को लावारिश फेंकने वाली घटना के दूसरे ही शुक्रवार को फिर राजस्थान में ममता शर्मसार हुई। जयपुर में एक विवाहित महिला अपनी दो बेटियों को घर छोड़ भाग गई और साथ में पति को भी कंगाल बना गई।
जानकारी के अनुसार राजधानी के जवाहर सर्किल इलाके में कथित महिला ने भागने से पहले पति के बैंक खाते से 1.7 लाख रूपए और लॉकर से जेवर भी निकाल ले गई। पुलिस ने इस्तगासे के आधार पर मामला दर्ज करके जांच शुरू कर दी है। पुलिस का मानना है कि मामला काफी पुराना है और जांच के बाद ही हकीकत सामने आएगी।
पुलिस के अनुसार जगतपुरा के पिनारमप अपार्टमेंट निवासी संजीव कुमार ने पत्नी रूपाली के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। संजीव कुमार के दो बेटियां है जो अब मां के बिना रह रही है। संजय के अनुसार आरोपी पत्नी रूपाली ने 9 मार्च-2012 को झांसे से बैंक खाते से 1.7 लाख रूपए निकाले और बैंक लॉकर में रखे सोने-चांदी के गहने और सामान भी निकाल लिया और मौका मिलते हुए वह बेटियों को छोड़ फरार हो गई।
उधर,पति को तीर्थस्थल पर दिया दगा
सामोद थाने में एक व्यक्ति ने शुक्रवार को एक विवाहिता की गुमशुदगी का मामला दर्ज कराया है। पुलिस ने बताया कि जुगराजपुरा अजीतगढ़ निवासी एक व्यक्ति ने मामला दर्ज कराया कि उसका पुत्र व पुत्रवधु सामोद स्थित वीर हनुमानजी के दर्शनों के लिए 25 जून को गए थे। दोपहर बाद वे मंदिर में जाने लगे तो पुत्रवधु ने मंदिर में जाने से इंकार कर उसका नीचे ही इंतजार करने की बात कही। जब उसका पुत्र डेढ़ घंटे बाद वापस लौटा तो पुत्रवधु नदारद थी।
सेना के जवानो ने हरीतिमा का दिया सन्देश
सेना के जवानो ने हरीतिमा का दिया सन्देश
बाड़मेर सरहदी जिले बाड़मेर में सीमा की सुरक्षा में जुटे सीमा सुरक्षा बल के जवानो ने पर्यावरण सरंक्षण के प्रति अपना फर्ज निभाते हुए ग्यारह सौ पोधा रोपण कर जिले में हरित क्रांति का सन्देश दिया .107 बटालियन सीमा सुरक्षा बल द्वारा शुक्रवार को मानसुन की शुरूआत होने पर बटालियन के कार्यवाहक कमाण्डेंट श्री परमिन्दर सिंह, द्वितीय कमान अधिकारी एंव अन्य अधिकारी और अन्य पदाधिकारीयों द्वारा 107 बटालियन की सभी सीमा चौकियों एंव बटालियन परिसर मगरा कैम्प बाडमेर(राजस्थान) को हरा भरा बनाने के लिए लगभग 1100 पौधों का वृक्षारोपण किया गया।
बाड़मेर सरहदी जिले बाड़मेर में सीमा की सुरक्षा में जुटे सीमा सुरक्षा बल के जवानो ने पर्यावरण सरंक्षण के प्रति अपना फर्ज निभाते हुए ग्यारह सौ पोधा रोपण कर जिले में हरित क्रांति का सन्देश दिया .107 बटालियन सीमा सुरक्षा बल द्वारा शुक्रवार को मानसुन की शुरूआत होने पर बटालियन के कार्यवाहक कमाण्डेंट श्री परमिन्दर सिंह, द्वितीय कमान अधिकारी एंव अन्य अधिकारी और अन्य पदाधिकारीयों द्वारा 107 बटालियन की सभी सीमा चौकियों एंव बटालियन परिसर मगरा कैम्प बाडमेर(राजस्थान) को हरा भरा बनाने के लिए लगभग 1100 पौधों का वृक्षारोपण किया गया।
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