चिंकारा शिकार: वन विभाग ने किया सैनिकों को तलब, सेना ने किया सौंपने ने इंकार!
बाड़मेर.बाड़मेर जिले में तीन चिंकारों का शिकार करने के मामले में सेना और वन विभाग में टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। शनिवार को वन विभाग ने पांच आरोपी सैनिकों को समन भेजकर तलब किया जबकि जवाब में सेना ने सौंपने से इनकार करते हुए कहा कि कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के बाद ही विभाग को अपने सैनिकों को सौंपेंगे।
वन विभाग की टीम शिकार प्रकरण में नामजद सूबेदार गोपीलाल, हवलदार बीआर नाथ, नायक एन सरकार, लांसनायक परदेसी और सिपाही डीआर नायडू को अपने साथ ले जाकर मौका-मुआयना और बाड़मेर में पूछताछ करना चाहती थी, लेकिन सैन्य अधिकारी उन्हें कैंप एरिया के बाहर नहीं भेजने की बात पर अड़ गए।
वन अधिकारियों ने ले. कर्नल बीएस चंदेल को पांचों आरोपियों को पूछताछ के लिए रविवार सुबह नौ बजे बाड़मेर बुलाने का समन सौंप दिया। इसके अलावा सेना के यूनिट प्रभारी से भी स्टाफ, हथियार और वाहनों की जानकारी मांगी गई है।
वन विभाग की टीम ने सैन्य कैंप में शनिवार को मौका-मुआयना करने के साथ ही आरोपियों से भी प्रारंभिक पूछताछ की। ग्रामीणों से भी शिकार के बारे में जानकारी जुटाई गई।
गिरफ्तारी के लिए सेना की अनुमति जरूरी
नामजद आरोपियों के बाद ले. कर्नल बीएस चंदेल से भी पूछताछ की जाएगी। वन अधिकारी बीआर भादू ने बताया कि सेना इस मामले में चाहे कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी करती रहे, मगर आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं और पूछताछ के बाद आरोपियों को गिरफ्तार किया सकता है।
उधर, सैन्य सूत्रों के अनुसार आरोपियों के शिकार करने के सबूत पाए जाने के बाद भी उनकी गिरफ्तारी के लिए सेना से अनुमति लिया जाना जरूरी है।
यूनिट में होनी थी विशेष दावत
सूत्रों के अनुसार सेना की 88 आर्म्ड वर्कशॉप यूनिट में शुक्रवार रात विशेष दावत का होनी थी। इसमें यूनिट के 45 स्टाफ के मैंबर के अलावा दूसरी यूनिट के अधिकारियों को भी आमंत्रित किया गया था। इस दावत में हिरण का मांस स्पेशल डिश के रूप में तैयार होना था।
सैन्य अधिकारियों से लेकर जवानों तक को इसकी जानकारी थी।इस शिकार की योजना दो दिन पूर्व बनाई गई थी। शुक्रवार को स्पेशल डिश बनाने की तैयारी हो रही कि वन विभाग ने छापा मार दिया।
सैनिकों के खिलाफ पुख्ता सबूत
वन अधिकारियों का मानना है कि चिंकारा के कटे सिर व मांस और जिप्सी में खून के धब्बे मिलने से यह स्पष्ट हो चुका है कि चिंकारों का शिकार कर सैनिक कैंप में ले गए थे। बाड़मेर वन संरक्षण अधिकारी बीआर भादू ने बताया कि जांच में चिंकारा का शिकार करना पाया गया है। इस आधार पर आरोपी सैनिकों को साथ ले जाकर पूछताछ करना जरूरी है। उन्हें रविवार को पूछताछ के लिए बुलाया गया है।
वन विभाग ने कैंप में जाकर की पूछताछ
बाड़मेर के जिला वन संरक्षक के नेतृत्व में टीम शनिवार को निंबला के साजीताड़ा में सेना की 88 आर्म्ड वर्कशॉप यूनिट के कैंप में पहुंची। उन्होंने यूनिट के कमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल बीएस चंदेल और आरोपियों सहित वहां मौजूद अन्य सैनिकों से कैंप में मिले तीन चिंकारों के सिर कटे सिर व मांस के बारे में पूछताछ की।
सैनिकों ने बताया कि गांववालों ने चिंकारा का मांस लाकर दिया था। शिकार किसने, कब और कहां किया था, इस बारे में उन्होंने कुछ नहीं बताया।
चिंकारों के शिकार के खिलाफ विश्नोई समाज का प्रदर्शन
सेना के जवानों की ओर से तीन चिंकारों का शिकार किए जाने के खिलाफ विश्नोई समाज ने शनिवार को विरोध-प्रदर्शन किया। समाज के लोगों ने आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर शहर में रैली निकाली और जीव रक्षा का संदेश दिया। रैली विश्नोई छात्रावास से शुरू हुई और मुख्य मार्गो से होते हुए कलेक्ट्रेट पहुंची।
उधर, धोरीमन्ना के जंभेश्वर मंदिर में अखिल भारतीय विश्नोई जीव रक्षा सभा की बैठक बुलाई गई, जिसमें चिंकारा शिकार प्रकरण पर निंदा प्रस्ताव पारित किया गया। बाद में विश्नोई समाज के लोगों ने विकास अधिकारी को ज्ञापन सौंपा। इसमें आरोपियों को कड़ी सजा देने की मांग की गई। गुड़ामालानी में भी विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों ने कलेक्टर के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा।
चिंकारा के सिर व मांस नष्ट किए
वन विभाग की ओर से शुक्रवार को सैन्य कैंप में मिले चिंकारों के तीन कटे सिर और 25 किलो मांस को नमूने लेने के बाद शनिवार को नष्ट कर दिया गया। इस दौरान वन विभाग के कार्यालय में कलेक्टर, एसपी और मेडिकल बोर्ड में शामिल डॉक्टर उपस्थित रहे।
कोर्ट को दी सूचना
वन विभाग ने बाड़मेर स्थित सिविल न्यायाधीश कनिष्ठ अदालत को पांच नामजद आरोपियों पर मुकदमा दर्ज करने की सूचना भेज दी है।
संकट में हैं निशानियां
चिंकारों के शिकार ने प्रदेश की निशानियों पर मंडराते खतरे को उजागर कर दिया। फिलहाल प्रदेश में राजकीय पशु चिंकारा की तादाद कुछ हजार में, जबकि राजकीय पक्षी गोडावण की संख्या महज 100-125 के बीच रह गई है। वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इन्हें संरक्षित नहीं किया गया तो आने वाली पीढ़ियां इन्हें महज किताबों में ही देख सकेंगी। राज्य पुष्प रोहिड़ा और राज्य वृक्ष खेजड़ी का क्षेत्र भी कम हो रहा है।
राज्य में वन्यजीव संरक्षण को लेकर जापान भी चिंतित है। जापान की 1152.53 करोड़ की वित्तपोषित राजस्थान वानिकी एवं जैव विविधता परियोजना (जायका) के तहत भी राज्य पशु चिंकारा और राज्य पक्षी गोडावण के संरक्षण पर विशेष जोर दिया गया।