संगीतकार उस्ताद सुल्तान खान का निधन
नई दिल्ली। भारतीय शास्त्रीय संगीत के एक और पुरोधा उस्ताद सुल्तान खान का रविवार को निधन हो गया। वह 71 साल के थे। वह ख्यात सारंगी वादक के साथ-साथ सुरमयी गायकी से संगीतप्रेमियों के बीच अहम स्थान रखते थे। पिछले साल ही उन्हें देश का प्रतिष्ठित पk भूषण सम्मान प्रदान किया गया था।
उस्ताद को खो दिया
माइक्रो ब्लोगिंग साइट पर म्यूजिक कंपोजर सलीम मर्चेट ने ट्वीट कर यह दु:खद खबर सार्वजनिक की। उन्होंने कहा, "मैंने अपने उस्ताद को खो दिया, उस्ताद सुल्तान खान, मेरे गुरू, मेरे दोस्त और मेरे आदर्श। वह इस दोपहर नहीं रहे। उन जैसा सारंगी वादक अब हमारे पास कभी नहीं रहेगा।" इसके बाद गायक शान ने भी ट्वीट किया, "आघात...सच में बुरा...खानसाहब नहीं रहे।"
महज 11 साल की उम्र में शुरू किया सफर
संगीत के सीकर घराने से ताल्लुक रखने वाले उस्ताद सुल्तान खान संगीत में मरू देश की महक थे तो आगरा की शानो-शौकत और इंदौर की संजीदा तासीर भी। उस्ताद सुल्तान खान ने संगीत की शिक्षा अपने पिता गुलाब खान से हासिल की। उन्होंने अपनी पहली संगीत प्रस्तुति ऑल इंडिया कॉन्फ्रेंस में महज 11 वर्ष की आयु में दी थी। इस मंच से जब सुल्तान खान ने संगीत की दुनिया में कदम रखा तो फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने 1974 में जॉर्ज हैरिसन के डार्क हाउस वल्र्ड टूर में अंतरराष्ट्रीय स्कैल पर रवि शंकर के साथ भी प्रस्तुति दी।
अलबेला साजन से नया सफर
संजय लीला भंसाली की फिल्म "हम दिल दे चुके सनम" उस्ताद सुल्तान खान ने संगीत के अपने सफर में नया मोड़ साबित हुई। उन्होंने अलबेला साजन आयो रे... गाया था। और इसके ठीक बाद यादगार पिया बसंती रे... पेश किया इन प्रस्तुतियों से उस्ताद की मखमली आवाज के चाहने वालों की संख्या में कई गुना बढ़ गई। अब उनकी लोकप्रियता नए कीर्तिमान रचने लगी थी।
चित्रा के साथ "उस्ताद एंड द दिवाज"
उस्ताद ने न सिर्फ सारंगी वादन में देश-दुनिया में ख्याति प्राप्त की अपितु फिल्म व वीडियों एलबमों के लिए संगीत निर्देशन की भूमिका भी निभाई। उस्ताद सुल्तान खान ने 2006 में एलबम "उस्ताद एंड द दिवाज" में सुल्तान खान के अलावा चित्रा, सुनिधि चौहान और श्रेया घोषाल ने अपनी आवाज दी थी। एलबम "उस्ताद एंड द दिवाज" में सारंगी उस्ताद सुल्तान खान के अलावा दक्षिण भारत की पार्श्व गायिका चित्रा ने भी अपनी आवाज दी। पिया बसंती के बाद चित्रा ने छह साल बाद एक बार फिर उस्ताद सुल्तान खान के साथ गाया। इस एलबम में छह गाने थे। इसका संगीत संदेश शांडिल्य ने दिया और इसके गाने को इरशाद कांवल ने लिखे थे। इस एलबम को एक कहानी की तरह पिरोया गया था। जिसकी कहानी कॉल सेंटर में काम करने वाले एक लड़के और एक क्लब डांसर लड़की की थी।
उल्लेखनीय है कि उस्ताद सुल्तान खान को अब तक कई संगीत सम्मान मिले, जिनमें संगीत नाटक अकादमी अवार्ड, राष्ट्रपति सम्मान के अलावा महाराष्ट्र सरकार की ओर से दिया जाने वाला स्वर्ण पदक मिल चुका है। भारतीय सम्मानों के साथ ही उन्ह अमेरिकन अकेडमी ऑफ ऑर्टीस्ट अवॉर्ड 1998 में प्रदान किया गया। 1997 में उनसे प्रिंस चार्ल्स के 50 वें जन्मदिन के अवसर पर आयेाजित समारोह में विशेष प्रस्तुति देने का आग्रह किया गया, जिसे स्वीकार करते हुए उन्होंने संगीत रसिकों को भाव-विभोर कर दिया था।
नई दिल्ली। भारतीय शास्त्रीय संगीत के एक और पुरोधा उस्ताद सुल्तान खान का रविवार को निधन हो गया। वह 71 साल के थे। वह ख्यात सारंगी वादक के साथ-साथ सुरमयी गायकी से संगीतप्रेमियों के बीच अहम स्थान रखते थे। पिछले साल ही उन्हें देश का प्रतिष्ठित पk भूषण सम्मान प्रदान किया गया था।
उस्ताद को खो दिया
माइक्रो ब्लोगिंग साइट पर म्यूजिक कंपोजर सलीम मर्चेट ने ट्वीट कर यह दु:खद खबर सार्वजनिक की। उन्होंने कहा, "मैंने अपने उस्ताद को खो दिया, उस्ताद सुल्तान खान, मेरे गुरू, मेरे दोस्त और मेरे आदर्श। वह इस दोपहर नहीं रहे। उन जैसा सारंगी वादक अब हमारे पास कभी नहीं रहेगा।" इसके बाद गायक शान ने भी ट्वीट किया, "आघात...सच में बुरा...खानसाहब नहीं रहे।"
महज 11 साल की उम्र में शुरू किया सफर
संगीत के सीकर घराने से ताल्लुक रखने वाले उस्ताद सुल्तान खान संगीत में मरू देश की महक थे तो आगरा की शानो-शौकत और इंदौर की संजीदा तासीर भी। उस्ताद सुल्तान खान ने संगीत की शिक्षा अपने पिता गुलाब खान से हासिल की। उन्होंने अपनी पहली संगीत प्रस्तुति ऑल इंडिया कॉन्फ्रेंस में महज 11 वर्ष की आयु में दी थी। इस मंच से जब सुल्तान खान ने संगीत की दुनिया में कदम रखा तो फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने 1974 में जॉर्ज हैरिसन के डार्क हाउस वल्र्ड टूर में अंतरराष्ट्रीय स्कैल पर रवि शंकर के साथ भी प्रस्तुति दी।
अलबेला साजन से नया सफर
संजय लीला भंसाली की फिल्म "हम दिल दे चुके सनम" उस्ताद सुल्तान खान ने संगीत के अपने सफर में नया मोड़ साबित हुई। उन्होंने अलबेला साजन आयो रे... गाया था। और इसके ठीक बाद यादगार पिया बसंती रे... पेश किया इन प्रस्तुतियों से उस्ताद की मखमली आवाज के चाहने वालों की संख्या में कई गुना बढ़ गई। अब उनकी लोकप्रियता नए कीर्तिमान रचने लगी थी।
चित्रा के साथ "उस्ताद एंड द दिवाज"
उस्ताद ने न सिर्फ सारंगी वादन में देश-दुनिया में ख्याति प्राप्त की अपितु फिल्म व वीडियों एलबमों के लिए संगीत निर्देशन की भूमिका भी निभाई। उस्ताद सुल्तान खान ने 2006 में एलबम "उस्ताद एंड द दिवाज" में सुल्तान खान के अलावा चित्रा, सुनिधि चौहान और श्रेया घोषाल ने अपनी आवाज दी थी। एलबम "उस्ताद एंड द दिवाज" में सारंगी उस्ताद सुल्तान खान के अलावा दक्षिण भारत की पार्श्व गायिका चित्रा ने भी अपनी आवाज दी। पिया बसंती के बाद चित्रा ने छह साल बाद एक बार फिर उस्ताद सुल्तान खान के साथ गाया। इस एलबम में छह गाने थे। इसका संगीत संदेश शांडिल्य ने दिया और इसके गाने को इरशाद कांवल ने लिखे थे। इस एलबम को एक कहानी की तरह पिरोया गया था। जिसकी कहानी कॉल सेंटर में काम करने वाले एक लड़के और एक क्लब डांसर लड़की की थी।
उल्लेखनीय है कि उस्ताद सुल्तान खान को अब तक कई संगीत सम्मान मिले, जिनमें संगीत नाटक अकादमी अवार्ड, राष्ट्रपति सम्मान के अलावा महाराष्ट्र सरकार की ओर से दिया जाने वाला स्वर्ण पदक मिल चुका है। भारतीय सम्मानों के साथ ही उन्ह अमेरिकन अकेडमी ऑफ ऑर्टीस्ट अवॉर्ड 1998 में प्रदान किया गया। 1997 में उनसे प्रिंस चार्ल्स के 50 वें जन्मदिन के अवसर पर आयेाजित समारोह में विशेष प्रस्तुति देने का आग्रह किया गया, जिसे स्वीकार करते हुए उन्होंने संगीत रसिकों को भाव-विभोर कर दिया था।
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