गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

जब एक वेश्या टीलों ने बनवाया ऐतिहासिक तालाब गढ़ीसर का प्रवेश द्वार










जब एक वेश्या टीलों ने बनवाया ऐतिहासिक तालाब का प्रवेश द्वार

जैसलमेर’देश के सबसे अंतिम छोर पर बसी ऐतिहासिक स्वर्ण नगरी ‘जैसलमेर’ सारे विश्व में अपनी स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। रेत के समंदर में बसे जैसल में तब दूर-दूर तक पानी का नामोनिशान तक न था। राजा और प्रजा बेसब्री से वर्षाकाल का इंतज़ार करते थे। वर्षा के पानी को एकत्र करने के लिए वि. सं. 1391 में जैसलमेर के महारावल राजा जैसल ने किले के निर्माण के दौरान एक विशाल झील का निर्माण करवाया, जिसे बाद में महारावल गढ़सी ने अपने शासनकाल में पूरा करवाकर इसमें पानी की व्यवस्था की। जिस समय महारावल गढ़सी ने इसका पुनर्निर्माण करवाया था उन्हीं दिनों एक दिन धोखे से कुछ राजपूतों ने ही उनकी हत्या झील के किनारे ही कर दी थी। तब तक यह विशाल तालाब ‘गढ़सीर’ के नाम से विख्यात था जो बाद में ‘गढ़ीसर’ के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
जैसलमेर शहर के दक्षिण पूर्व में स्थित यह विशाल तालाब अत्यंत ही कलात्मक व पीले पत्थरों से निर्मित है। लबालब भरे तालाब के मध्य पीले पत्थरों से बनी राव जैसल की छतरी पानी में तैरती-सी प्रतीत होती है। गढ़ीसर तालाब 120 वर्ग मील क्षेत्रफल की परिधि में बना हुआ है जिसमें वर्षा के दिनों में चारों तरफ से पानी की आवक होती है। रजवाड़ों के शासनकाल में इसके मीठे पानी का उपयोग आम प्रजा व राजपरिवार किया करते थे। यहां के जल को स्त्रियां बड़े सवेरे सज-धज कर समूहों में लोकगीत गाती हुई अपने सिरों पर देगड़े व चरियां भर कर दुर्ग व तलहटी तक लाती थीं।
एक बार वर्षाकाल में मूसलाधार बारिश होने से गढ़सी तालाब लबालब भर गया और चारों तरफ रेगिस्तान में हरियाली छा गई। इससे राजा व प्रजा इतने रोमांचित हो उठे कि कई दिन तक जैसलमेर में उत्सव-सा माहौल रहा, लेकिन इसी बीच एक दु:खद घटना यह घटी कि अचानक तालाब के एक ओर की पाल ढह गई व पूरे शहर में पानी भर जाने के खतरे से राजा व प्रजा में भय व्याप्त हो गया। सारी उमंग खुशियां काफूर हो गयीं। उन दिनों जैसलमेर के शासक केसरी सिंह थे।
महारावल केसरी सिंह ने यह दु:खद घटना सुनते ही पूरे नगर में ढिंढोरा पिटवाकर पूरी प्रजा को गढ़सी तालाब पर पहुंचने का हुक्म दिया व स्वयं भी हाथी पर सवार हो तालाब पर पहुंच गए। लेकिन इस बीच उन्होंने अपने नगर के समस्त व्यापारियों से अपने-अपने गोदामों से रूई के भरे बोरों को लेकर आने को कहा। रूई से भरी अनेक गाडिय़ां जब वहां पहुंचीं तो राव केसरी ने अपनी सूझ-बूझ से सबसे पहले बढ़ते पानी को रोकने के लिए हाथियों को कतारबद्ध खड़ा कर दिया और प्रजा से धड़ाधड़ रूई से भरी बोरियां डलवाकर उसके ऊपर रेत की तंगारियां डलवाते गए। देखते ही देखते कुछ ही घंटों में तालाब की पाल को फिर से बांध दिया गया तथा नगर को एक बड़े हादसे से बचा लिया गया।
ऐतिहासिक गढ़ीसर तालाब को बड़े हादसे से भले ही बचा लिया गया लेकिन इसे एक बदनामी के सबब से कोई नहीं बचा सका, क्योंकि यह आज भी एक ‘बदनाम झील’ के नाम से जानी जाती है। गढ़ीसर तालाब दिखने में अत्यंत ही कलात्मक है क्योंकि इस तालाब पर स्थापत्य कला के दर्शन होते हैं। तालाब के पत्थरों पर की गई नक्काशी, बेल-बूटों के अलावा उन्नत कारीगरी, बारीक जालीदार झरोखे व तक्षण कला के नमूने हैं।
गढ़ीसर तालाब को और भी भव्यता प्रदान करने के लिए इसके ‘प्रवेश द्वार’ को यहीं की एक रूपगर्विता टीलों नामक वेश्या ने बनवाया था जिससे यह ‘वेश्या का द्वार’ के नाम से पुकारा जाता है। यह द्वार टीलों ने संवत 1909 में निर्मित करवाया था। लावण्य व सौंदर्य की मलिका टीलों वेश्या के पास बेशुमार दौलत थी जिसका उपयोग उसने अपने जीवनकाल में सामाजिक व धार्मिक कार्यों में किया। टीलों की सामाजिक व धार्मिक सहिष्णुता से बड़े-बड़े व्यापारी, सोनार व धनाढ्य वर्ग के लोग भी प्रभावित थे।
वेश्या टीलों द्वारा बनाये जा रहे द्वार को देखकर जब स्थानीय लोगों में यह कानाफूसी होने लगी कि महारावल के होते हुए भला एक वेश्या तालाब का मुख्य द्वार क्यों बनवाये। बड़ी संख्या में नगर के बाशिंदे अपनी फरियाद लेकर उस समय की सत्ता पर काबिज महारावल सैलन सिंह के पास गये। वहां पहुंच कर उन्होंने महारावल के समक्ष रोष प्रकट करते हुए कहा कि महारावल, टीलों गढ़ीसर तालाब का द्वार बनवा रही है और वह पेशे से वेश्या है। आम जनता को उस बदनाम औरत के बनवाये द्वार से गुजर कर ही पानी भरना पड़ेगा, इससे बढ़कर शर्म की बात और क्या होगी? कहा जाता है कि महारावल सैलन सिंह ने प्रजा की बात को गंभीरता से सुनने के बाद अपने मंत्रियों से सलाह-मशविरा कर तुरंत प्रभाव से ‘द्वार’ को गिराने के आदेश जारी कर दिये।
लेकिन उस समय तक ‘मुख्य द्वार’ का निर्माण कार्य अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका था। जैसे ही टीलों को महारावल सैलन सिंह के आदेश की भनक लगी तो उसने भी अपनी सूझबूझ व बड़ी चालाकी से अपने समर्थकों की सहायता से ‘मुख्य द्वार’ के ऊपर भगवान विष्णु का मंदिर हाथों-हाथ बनवा दिया। मंदिर चूंकि हिन्दुओं की भावना व श्रद्धा का प्रतीक साबित हो गया, अत: किसी ने भी मुख्य द्वार को तोडऩे की हिम्मत न जुटायी। अंतत: वेश्या टीलों द्वारा बनाया गया भव्य कलात्मक द्वार बच गया, लेकिन हमेशा-हमेशा के लिए ऐतिहासिक स्वर्ण नगरी जैसलमेर में गढ़ीसर तालाब के मुख्यद्वार के साथ वेश्या ‘टीलों ’ का नाम भी जुड़ गया।
गढ़ीसर तालाब का मुख्य द्वार गढ़ाईदार पीले पत्थरों से निर्मित है लेकिन इसके ऊपर की गई बारीक कारीगरी जहां कला का बेजोड़ नमूना है वहीं कलात्मक अलंकरण व पत्थरों पर की गई खुदाई विशेष रूप से चिताकर्षक है। जैसलमेर आने वाले हज़ारों देशी-विदेशी सैलानी ऐतिहासिक नगरी व रेत के समंदर में पानी से भरी सागर सदृश्य झील को देखकर रोमांचित हो उठते हैं।

बुधवार, 27 अप्रैल 2011

गांव का नाम झाबरा

मान्यता के अनुसार सन् 1530 में खेड से मल्लिनाथ राठौड़ अपने गुरू झबरजी राजपुरोहित के साथ पोकरण आए। मल्लिनाथ ने अपने गुरू को यह गांव भेंट किया था। जिसके चलते झबरजी के नाम से इस गांव का नाम झाबरा पड़ा। प्राचीन समय में यहां पर पेयजल आपूर्ति करने के लिए झबरजी के कुंए का निर्माण किया गया था जो आज भी गांव में पेयजल व्यवस्था को सुचारू करने में सहयोगी है। गांव में मल्लिनाथ का जाल, ठाकुरजी का मंदिर तथा संतोकपुरी जी की 300 वर्ष पुरानी जीवित समाधी है। 

बम मिलने से सनसनी बारूद के ढेर पर सीमा क्षैत्र


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बम मिलने से सनसनी बारूद के ढेर पर सीमा क्षैत्र
बाडमेर भारत पाकिस्तान सरहद पर बसा बाडमेर जिले का सरहदी थाना क्षैत्र गडरा रोड क्षैत्र बारूद के ढेर पर सांस ले रहा हैंभारत पाकिसतान के बीच इस क्षैत्र में हुऐ युद्धों के औरान बिना फटे सैकडौं जिन्दा बम रेतिलें क्षैत्रों में दबे पडे हैं।प्रति साल एक दर्जन से अधिक बिना ुटे बम विभिन्न क्ष्रैत्रों में निकल रहे हैंये बम वो हैं जो युद्ध के दौरान रेगिस्तानी धोरों में अब जाने से फटे नहीं थे।अब धीरे धीरे जहॉ जॅहा खुदाई होती हैं,वॅहा जिन्दा बम निकल रहे हैं।जिसके कारण इस क्षैत्र के लोग दहात में हैं।मंगलवार रात्री आठ बजे गडरा गांव में एक मकान की नींव खुदाई के औरान बम मिलने से सनसनी फैल गई।बम की सूचना मिलने पर पुलिस एवं सुरक्षा एजेंसिया मोैके पर पहुॅची तथा बम को सुरक्षित रखवाया।तथा सेना के बम निरोधक दस्ते को बम नश्कि्रिय करने के लिया बुलाया गया हैं। मगलवार को रात में बाड़मेर जिले के गडरा गाव में एक सक्स अपने घर की खुदाई करावा रहा था इसी दोहरान करीब तीन फुट पर एक बम मिल गया इस पर घर के मालिक जुझार सिंह ने पुलिस  को सुचना दी जिस पर पुलिस ने  सीमा सुरक्षा बल और आर्मी के साथ मोके पर पहुची और मुआना किया गडरा इलाके के  थानाधिकारी लक्ष्मीनारायण के अनुसार यह बम 30 -४० साल पुराना है और इसका वजन करीब 5 किलो के आसपास है हमने अपने अधिकारियो को सूचित कर हमने बम निरोधक दस्ते को निष्क्रिय करने के लिए बुला लिया है  सीमा सुरक्षा बल और आर्मी के जानकारों के अनुसार यह जिंदा भी हो सकता है लिहाजा हमने अपनी एक टीम मोके पर तेनात कर दी है और लोगो से हमने कहा है कि वह इस जगह से दूर रहेने के लिए कहा गया है
लक्ष्मीनारायणथाना प्रभारी
 , गडरा थाना  बम 30 -४० साल पुराना है और इसका वजन करीब 5 किलो के आसपास है हमने अपने अधिकारियो को सूचित कर हमने बम निरोधक दस्ते को निष्क्रिय करने के लिए बुला लिया है सीमा सुरक्षा बल  और आर्मी के जानकारों के अनुसार यह जिंदा भी हो सकता है लिहाजा हमने अपनी एक टीम मोके पर तेनात कर दी है और लोगो से हमने कहा है कि वह इस जगह से दूर रहेने के लिए कहा गया है )
वोइस ओवर 2 बम निकलने से इलाके के लोगो में दहशत फेल गई है  गडरा निवासी  राजू  सिंह के अनुसारर यह तो गनीमत रही कि यह बम फटा नहीं नहीं तो बहुत बड़ा हादसा हो जाता इस इलाके में 1965  और1971 के भारत -पाक युद्ध के समय यह इलाका सेना के पास था और यह बम भी उसी समय का है ........ राजू  सिंह, निवासी,गडरा गाव(यह तो गनीमत रही कि यह बम फटा नहीं नहीं तो बहुत बड़ा हादसा हो जाता इस इलाके में 1965  और1971 के भारत -पाक युद्ध के समय यह इलाका सेना के पास था और यह बम भी उसी समय का है ........ इन इलाके में पिछले दो तीन सालो में कई बार इस तरह के बम मिल चुके है अब इन इलाके के लोग को डर लग रहा है कि कभी कोई बड़ा हादसा न हो जाए क्योकि दो साल पहले ही इस गाव पास ही बम निकला था और दो बच्चे जख्मी हो गए थे

बड़ाबाग़ जैसलमेर









बड़ाबाग़ जैसलमेर
जैसलमेर राजस्थान का सबसे ख़ूबसूरत शहर है और जैसलमेर पर्यटन का सबसे आकर्षक स्थल माना जाता है।बड़ाबाग़ जैसलमेर से 5 किलोमीटर दूर रामगढ़ रोड पर स्थित है।यह जैसलमेर के महारावलों के शमशानों पर बने कलात्मक छतरी स्मारकों के लिए विख्यात है।जैसलमेर के सांस्कृतिक इतिहास में यहाँ के स्थापत्य कला का अलग ही महत्त्व है। किसी भी स्थान विशेष पर पाए जाने वाले स्थापत्य से वहाँ रहने वालों के चिंतन, विचार, विश्वास एवं बौद्धिक कल्पनाशीलता का आभास होता है। जैसलमेर में स्थापत्य कला का क्रम राज्य की स्थापना के साथ दुर्ग निर्माण से आरंभ हुआ, जो निरंतर चलता रहा। यहाँ के स्थापत्य को राजकीय तथा व्यक्तिगत दोनो का सतत प्रश्रय मिलता रहा। इस क्षेत्र के स्थापत्य की अभिव्यक्ति यहाँ के क़िलों, गढियों, राजभवनों, मंदिरों, हवेलियों, जलाशयों, छतरियों व जन-साधारण के प्रयोग में लाये जाने वाले मकानों आदि से होती है। जैसलमेर नगर में हर 20-30 किलोमीटर के फासले पर छोटे-छोटे दुर्ग दृष्टिगोचर होते हैं, ये दुर्ग विगत 1000 वर्षो के इतिहास के मूक गवाह हैं। दुर्ग निर्माण में सुंदरता के स्थान पर मज़बूती तथा सुरक्षा को ध्यान में रखा जाता था। परंतु यहां के दुर्ग मज़बूती के साथ-साथ सुंदरता को भी ध्यान मं रखकर बनाये गये। दुर्गो में एक ही मुख्य द्वार रखने के परंपरा रही है। दुर्ग मुख्यतः पत्थरों द्वारा निर्मित हैं, परंतु किशनगढ़, शाहगढ़ आदि दुर्ग इसके अपवाद हैं। ये दुर्ग पक्की ईंटों के बने हैं। प्रत्येक दुर्ग में चार या इससे अधिक बुर्ज बनाए जाते थे। ये दुर्ग को मज़बूती, सुंदरता व सामरिक महत्त्व प्रदान करते थे।

मंगलवार, 26 अप्रैल 2011

पाकिस्‍तान में उठी बंटवारे की मांग

 पाकिस्‍तान में उठी बंटवारे की मांग के बीच पाकिस्‍तान में आतंकियों ने एक बस में आग लगा कर 15 लोगों को जिंदा जला दिया है। यह घटना मंगलवार तड़के हुई।

इससे पहले पंजाब प्रांत के मुख्‍यमंत्री शाहबाज शरीफ ने मांग की थी कि सिंध प्रांत का बंटवारा कर कराची को अलग प्रांत बनाया जाए। हालांकि सोमवार को वह अपने बयान से मुकर गए। उनके बयान पर तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। सोमवार को पाकिस्‍तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के दफ्तर पर हुए हमले को भी शरीफ के बयान से ही जोड़ कर देखा जा रहा है। मंगलवार की घटना का संबंध भी इसी बात से जोड़ा जा रहा है। हालांकि इस बारे में अभी कोई पुख्‍ता संकेत नहीं हैं। शरीफ ने अपने दफ्तर में मीडिया के सामने सफाई दी कि वह तो बस यह पूछ रहे थे कि क्‍या कराची को अलग प्रांत बनाया जा सकता है, उन्‍होंने ऐसी कोई मांग नहीं की थी या सुझाव नहीं दिया था।

मंगलवार तड़के पाकिस्तान के ब्लूचिस्तान प्रांत में सिबी के निकट अज्ञात हमलावरों ने सवारियों से भरी बस में आग लगा दी। इस घटना में महिलाओं और बच्चों सहित कम से कम 15 लोगों की जलकर मौत हो गई।

पुलिस ने कहा कि मरने वाले में सात बच्चे शामिल हैं। इसके अलावा, मरने वाले लोगों में से तीन अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय के हैं। इनकी पहचान कपिल, वरशीन और पूजामल के तौर पर की गई है।

स्‍थानीय अखबार ' द डॉन' ने सिबी के पुलिस उपायुक्त नसीर अहमद नासिर के हवाले से कहा कि क्वेटा से करीब 160 किलोमीटर दूर यह हादसा सिबी शहर में उस वक्त हुआ जब एक बस सिंध प्रांत के जाकोबाबाद से क्वेटा की ओर जा रही थी। रास्ते में यह बस सड़क के किनारे एक रेस्तरां के सामने रूकी हुई थी।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुतातबिक दो मोटरसाइकिलों पर सवार चार हथियारबंद लोग वहां आए। इनमें से दो व्यक्ति बस में घुस गए और पेट्रोल छिड़क कर उसमें आग लगा दी। पुलिस ने बताया कि कई यात्री भीषण आग के चलते बस से बाहर निकल नहीं पाए।

नसीर ने बताया कि बस का चालक और कंडक्टर मौके से फरार हो गए जिनकी तलाश की जा रही है। इसके अलावा, बस में आग लगाने वाले संदिग्ध अपराधियों की धर-पकड़ के लिए पुलिस तलाशी अभियान चला रही है।

श्री तणोट राय मंदिर, जैसलमेर


श्री तणोट राय मंदिर











श्री तणोट राय मंदिर स्थान भाटी राजा की राजधानी थी वह मातेश्वरी के भक्त थे ! उनके आमंत्रण देने पर महामाया सातों बहने तणोट पधारी थी , इसी कारण भक्ति भाव से प्रेरित होकर राजा ने एक मन्दिर की स्थापना की थी , वर्तमान मे यह स्थान जैसलमेर नगर से १२० की.मी पशिचम सीमा किशनगढ़ रोड पर बना हुवा हें ! जो भारतीय सेना बी. एस. ऍफ़. जैसलमेर राज घराना व खाडाल के ग्रामो का मुख्य आस्था केन्द्र हें बड़ा ही भव्य रमणीक मन्दिर हें !
 सन १९६५ मे पाक सेना का पड़ाव था लेकिन मातेश्वरी की कृपा से किसी भी सैनिक के कोई खरोच भी नही आयी ! उल्टे पाक सेना की पुरी ब्रिगेड आपस मे लड मरी , उस सेना का ब्रिगेडियर यह माजरा देखकर विसमित हो गया वह मन ही मन इस देविक चमत्कार से मुसलमान होते हुवे भी भी श्रद्धा से मनोती मानने लगा व माता की शरण ग्रहण करने पर उसके प्राण बच गये पुरी ब्रिगेड ख़त्म हो गई उकत अधिकारी मैया का भक्त बन गया ! कुछ समय बाद मे पासपोर्ट से भारत आया तणोट राय की पूजा अर्चना कर पश्चिम सीमा पर दोनों मुल्क मे शान्ति बनी रहे , ऐसी कामना करके अपने वतन को लौट गया !
इस प्रकार माताजी कितनी दयालु हें जो उसे पुकारता उसे शरण व अभय कर देती हें ऐसे चमत्कारों से वसीभूत होकर बी. एस. ऍफ़. के कर्मचारी व अधिकारी तो मैया की अनन्य भगत बन गये प्रत्येक कंपनी जहा भी रहती हें सर्वप्रथम मैया का छोटा मोटा स्थान बना कर नियमित पूजा होती हें नवरात्री के दिनों मे बड़ा भव्य मेले का आयोजन होता हें ! अनेको यात्री आते हें इस प्रकार मुख्यालय से तणोट राय आवागमन के साधन नव दीन तक निशुल्क बसे चलती हें ! बी. एस. ऍफ़. के फोजी भाई तो धन्य हें जो सीमा की निगरानी करते हुवे मैया के प्रति अटूट श्रदा से सेवा पूजन करते हें , कोई मन्दिर मे सफाई का कार्य करते हें , कोई लंगर सँभालते हें और कई गाना बजाना करते हें ! कितने यात्रियों की सेवा मे जुट जाते हें , हमेशा लंगर भोजन का आयोजन होता हें ! मैया के भजन कीर्तन चलते रहते हें ,
यह युद्ध १६ नवम्बर , १९६५ को हुवा था, तनोट चारो और से घिर चुका था ! कर्नल जय सिंह राठोड़ (थैलासर)बीकानेर के नेतृतव मे केवलतीन सो सैनिक थे ! शत्रु ने तीन तरफ़ से धुहादार हमला कर दिया था ! हमारेजवान निरंतर लड़ते रहे ! दुसरे दीन एक जवान मे भगवती काभाव आया कि घभरावो मत तुम्हारा बाल भीबाका नहीं होगा ! हुवा यही तनोट राय कि कृपा से भारतीय सेना के किसी भी जवान को कोईचोट नहीं आयी,और शत्रु फौज हतास होकर पॉँच सो शव छोड़कर भाग खड़ी हुयी ! आश्चर्य इस बात का हे कि मंदीर कीआसपास ३००० बमबरसाए गए , मंदीर मे एक भी खरोच नहीं आयी , उनमे से कुछ बम आज भी मंदीर मे पड़ेहे !
तणू भूप तेडाविया, आवड़ निज एवास ! पूजा ग्रही परमेश्वरी , नामे थप्यो निवास !!

सोमवार, 25 अप्रैल 2011

जिला कलक्टर द्वारा ग्रामीण क्षेत्रो का भ्रमण विकास कार्यो का जायजा एवं ग्रामीणों की सुनी समस्याऍ


जिला कलक्टर द्वारा ग्रामीण क्षेत्रो का भ्रमण विकास कार्यो का जायजा एवं ग्रामीणों की
सुनी समस्याऍ
 जैसलमेर,जिला कलक्टर श्री गिरिराज सिंह कुशवाहा ने शनिवार को गांव करड़ा, पोछीणा, ख्यालामठ, म्याजलार, सत्तो, दव एवं खुहड़ी क्षेत्रों का भ्रमण कर विकास कार्यो के साथ ही राजीव गांधी सेवा केन्द्रों,शिक्षण संस्थाओं का जायजा लिया। उन्होने करड़ा में उच्च प्राथमिक विद्यालय का निरीक्षण किया एवं वहां बी.ए.डी.पी.योजनान्तर्गत बन रहे कक्षा कक्ष एवं स्टेडियम कार्य का अवलोकन किया। जिला कलक्टर ने ग्राम पोछीणा ने राजीवगांधी सेवा केन्द्र निर्माण कार्य का जायजा लिया एवं इस कार्य को शीघ्र ही पूर्ण करने के निर्देश प्रदान किए। उन्होने माध्यमिक विद्यालय पोछीणा में बन रहे स्टेडियम का अवलोकन किया एवं यहां ग्रामीणजनों से पानीबिजली एवं स्वास्थ्य सेवाओं के संबंध में जानकारी ली। यहां ग्रामीणजनों से नलकूप को चालू कराने का आग्र्रह किया। भ्रमण के दौरान ख्यालामठ के निवासियों ने नलकूप खुदवाए जाने का आग्रह किया वहीं गूंजनग़ के पास स्थित सखीवाला नलकूप से गूंजनग़ जा रही लाईन को वापिस चालू करने के संबंध में प्रार्थनापत्र प्रस्तुत किया। जिला कलक्टर ने ग्रामीणों को अधीक्षण अभियंता जलदाय से आवश्यक कार्यवाही करने का विश्वास दिलाया।
जिला कलक्टर श्री कुशवाहा ने गांव करड़ा, पोछीणा, ख्यालामठ, म्याजलार, सत्तो, दव एवं खुहड़ी ग्राम म्याजलार, सत्तो एवं दव में राजीवगांधी सेवाकेन्द्रों के निर्माण कार्यो का अवलोकन किया जहां कार्य प्रगति पर पाये गये। यहां पर पटवारी, ग्रामसेवक एवं सहायक ग्रामसेवक भी उपस्थित मिले। उन्होने ग्राम खुहड़ी में ग्रामीणजनों की समस्याऍ सुनी तो ग्रामीणों ने बताया कि यहां पानी खारा आता है तथा 8 नलकूप में से एक नलकूप चालू है। यहां पर जीवराज सिंह की ांणी के ग्रामीणजनों से प्लास्टिक पाईप लाईन की जगह लोहे की पाईप लाइ्रन लगाए जाने का आग्रह किया।
 खुहड़ी में की रात्री चौपाल एवं सुनी समस्याऍ
जिला कलक्टर श्री कुशवाहा ने ग्रामपंचायत खुहड़ी में रात्री चौपाल की एवं ग्रामीणजनों की समस्याऍ सुनी एवं विभागीय अधिकारियों के माध्यम से उनका निराकरण कराने का विश्वास दिलाया। रात्री चौपाल के दौरान श्री प्रेमसिंह, सुश्री हवाकंवर, श्री नारायणसिंह निवासी वरणा ने बताया कि उन्हें पालनहार योजना के तहत एक बार ही पेंशन मिली एवं पिछले छह माह सें उन्हें पेंशन नहीं मिली है। इस संबंध में जिला कलक्टर ने गंम्भीरता से लिया एवं ग्रामसेवक से पूछताछ की तो उसने बताया कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के कनिष्ठ लिपिक श्री लीलाधर से संपर्क किया गया तो उनके द्वारा अवगत कराया कि इन बच्चों को जैसलमेर लाना पड़ेगा। जिस पर जिला कलक्टर ने कनिष्ठ लिपिक श्री लीलाधर को निलम्बन करने के निर्देश दिए।
जिला कलक्टर ने रविवार को ग्राम सिपला, पिथला,कुलधरा, खाभा, लौद्रवा, गूंजनग़ एवं सम क्षेत्र का भ्रमण किया। उन्होने ग्राम सिपला एवं पिथला में राजीवगांधी सेवाकेन्द्रों के निर्माण कार्य का अवलोकन किया। उन्होने कुलधरा ,खाभा एवं लौद्रवा में विन्डमीलों के सहयोग से इन पर्यटन स्थलों के सौंदर्यकरण को ध्यान में रखते हुए विशेष कार्य कराने के तहसीलदार जैसलमेर श्री नाथूसिंह राठौड़ को निर्देश प्रदान किए। उन्होने पटवारी से विन्डमील के प्रस्तावित योजनाओं की जानकारी भी ली।
गूंजनग़ में चौपाल में सुनी ग्रामीणों की समस्याऍ

जिला कलक्टर ने ग्राम गुंजनग़ में ग्रामवासियों के साथ चौपाल आयोजित कर उनसे पानीबिजली ,शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में जानकारी ली। यहां पर ग्रामीणों ने बताया कि गांव में जी.एल.आर बनी हुई जो क्षतिग्रस्त है तथा पाईप लाईन भी जगहजगह लिकेज है। इस संबंध में जिला कलक्टर ने जलदाय विभाग के अधिकारियों से दूरभाष पर वार्ता कर आवश्यक कार्यवाही कराने के निर्देश दिये। यहां पर विद्यालय से जी.एल.आर.तक सड़क बनी हुई है जिस पर छोटे पत्थर लगे हुए है उसकी जगह बड़े पत्थर लगाने की ग्रामीणों ने मांग की। इसा संबंध में जिला कलक्टर ने सहायक अभियंता पंचायत समिति सम को इस मार्ग पर बड़े पत्थर लगाने के निर्देश दिये।
ग्रामीणजनों ने चिकित्सा सुविधा हेतु सम से पन्द्रह दिन में एक बार चिकित्सक भेजकर रोगियों के उपचार कराने की व्यवस्था कराने का आग्रह किया। यहां ग्रामीण उम्मेदसिंह ने बताया कि विद्यालय में मीठालाल मीणा अध्यापक कार्यरत था जिसका स्थानान्तरण तिब्बनसर होगया है उनको वापिस लगाया जायें। यहां ईश्वर सिंह पुत्र जब्बर सिंह जो गूंगा एवं बहरा है जिसे विकलांग पेंशन दिलवाने का आग्रह किया। जिला कलक्टर ने इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही करने का विश्वास दिलाया।
 सम में की रात्री चौपाल
 जिला कलक्टर श्री कुशवाहा ने ग्रामपंचायत सम में रात्री चौपाल के दौरान बिजलीपानी एवं अन्य सेवाओं के संबंध में ग्रामीणजनों से जानकारी ली एवं समस्याओं के बारे में पूछताछ की। यहां ग्राम वासियों ने अवगत कराया कि मुरीद की ांणी व कमाल की ांणी में लाईट नहीं है अतः सौलर लाईट से जोड़ा जायें। यहां ग्रामीणों ने बालिका विद्यालय खोलने का भी आग्रह किया।
रात्री चौपाल के दौरान ए.एन.एम ने अवगत कराया कि उप स्वास्थ्य केन्द्र मेघवालों की बस्ती में लाईट कनेक्शन करवाने के लिये 18 माह पूर्व पत्रावली बिजली विभाग में जमा कराई गई है। लेकिन अभी तक कनेक्शन नहीं हुआ है। जिला कलक्टर ने चौपाल के दौरान उपस्थित बिजली विभाग के अधिकारियों को तीन दिवस में विद्युत कनेक्शन जारी करने के निर्देश दिए। जिला कलक्टर ने रात्री विश्राम सम में किया।
जिला कलक्टर श्री कुशवाहा ने सोमवार को ग्राम कनोई एवं दामोदरा का भ्रमण कर राजीवगांधी सेवा निर्माण केन्द्रों निरीक्षण किया। यहां छत तक का कार्य किया हुआ पाया गया। जिला कलक्टर ने शीघ्र ही कार्य पूर्ण कराने के निर्देश दिए।
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जल भागीरथी के सहयोग से मीठे पानी के लिये आर.ओ.प्लान्ट लगाने की कार्यवाही करावें : जिला कलक्टर श्री कुशवाहा


जिले में खारा/लवणयुक्त पानी को मीठे पानी में बदलने के लिये परिचर्चा
जल भागीरथी के सहयोग से मीठे पानी के लिये आर.ओ.प्लान्ट
लगाने की कार्यवाही करावें : जिला कलक्टर श्री कुशवाहा
 जैसलमेर, जिला कलक्टर श्री गिरिराज सिंह कुशवाहा की अध्यक्षता में जिला प्रशासन के तत्वावधान में जल भागीरथी फाउण्डेशन के सहयोग से सोमवार को कलेक्ट्रेट सभागार में जिले में खारा/लवणयुक्त पानी के समाधान के संबंध में ’’ परिचर्चा एवं प्रस्तुतीकरण ’’ कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में अतिरिक्त जिला कलक्टर श्री बलदेव सिंह उज्जवल, जल भागीरथी फाउण्डेशन की प्रोजेक्ट मैनेजर कानूप्रिया हरीश के साथ ही प्रशासनिक ,जलदाय विभाग के अधिकारी एवं ग्राम पंचायतों के सरपंचगण भी उपस्थित थे।
जिला कलक्टर श्री कुशवाहा ने अधीक्षण अभियंता जलदाय श्री मुकेश गुप्ता को निर्देश दिए कि जिले के जिन गांवों में खारा एवं लवणयुक्त पानी है ऐसे गांवों में आर.ओ.प्लान्ट लगा कर मीठे पानी में बदलने की कार्यवाही करावें ताकि ग्रामीणजनों के सहयोग से इस प्लान्ट के माध्यम से लोगों को पीने का शुद्ध एवं मीठा पानी उपलब्ध कराया जा सकें। उन्होने कहा कि जल भागीरथी संस्था द्वारा बाड़मेर के पचपदरा में खारे एवं लवणयुक्त पानी की मीठा करने के लिये जो आर.ओ.प्लान्ट लगाया गया है उसी तर्ज पर शीघ्र ही रामदेवरा, खुहड़ी एंवं अन्य गांवों को चिन्हित कर उसे संचालित करने की कार्यवाही करावें।
जिला कलक्टर श्री कुशवाहा ने इस सम्बन्ध में अतिरिक्त जिला कलक्टर श्री उज्ज्वल एवं अधीक्षण अभियंता जलदाय को कहा कि वे चिन्हित ग्रामपंचायतों के सरपंचों को पचपदरा का भ्रमण करवा कर खारे पानी से मीठे पानी के लिये संचालित किए जा रहे प्लान्ट का अवलोकन करावें ताकि वे वहां के ग्रामीणजन जिस प्रकार इस प्रोजेक्ट को चला रहे है उसे देखे एवं वहां से सीख लेकर अपने यहां ग्रामीणजनों के सहयोग से ऐसे मीठे पानी के आर.ओ.प्लान्ट लगाने की कार्यवाही कर सकें। उन्होने विशेष रूप से रामदेवरा में तत्परता के साथ चालू करने पर विशेष जोर दिया।
जिला कलक्टर ने कहा कि यदि इस प्रोजेक्ट का संचालन इस जिले में प्रारंभ हो जायें तो खारे पानी वाले गांव वासियों के लिये तो वरदान सिद्ध होगा। उन्होने अधीक्षण अभियंता जलदाय को जल भागीरथी के सहयोग से इस प्रोजेक्ट के संचालन के सम्बन्ध में विशेष प्रयास कर कार्यवाही करने के निर्देश दिए। उन्होने जल भागीरथी संस्था की प्रोजेक्ट मैनेजर से आग्रह किया है कि वे भी इस प्रोजेक्ट के संचालन में पूर्ण सहयोग प्रदान करावें। उन्होंने प्रारंभिक रूप से जिले के रामदेवरा खुहड़ी, म्याजलार, सत्तो, सिहड़ार, दव, गुंजनग़, बैरसियाला, सम, दबड़ी के सरपंचों एवं स्वयंसेवी संस्था के पदाधिकारियों से आग्रह किया है कि वे इसमें रूचि दिखा कर मीठे पानी के आर.आ.े प्लान्ट लगा कर न्यूनतम दर ग्रामीणों से वसूल कर इसके संचालन की कार्यवाही करावें।
अतिरिक्त जिला कलक्टर श्री उज्जवल ने जलदाय विभाग के अधिकारियों से कहा कि वे तकनीकी रूप से इस प्रोजेक्ट की कार्ययोजना तैयार करावें। प्रोजेक्ट मैनेजर जल भागीरथी फाउण्डेशन जोधपुर की प्रोजेक्ट मैनजर कानूप्रिया ने कार्यशाला में प्रोजेक्टर के माध्यम से पचपदरा में खारे/लवणयुक्त पानी को आर.ओ.प्लान्ट के माध्यम से मीठे पानी के रूप में बदलने की कार्यवाही के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की एवं ग्राम जल प्रबन्धन समिति द्वारा किस प्रकार से ग्रामीणजनों से न्यूनतम दर लेकर पानी वितरण किए जाने की व्यवस्था के बारे में भी प्रकाश डाला। उन्होने तालाबों एवं नाडियों में वर्षाती जल संग्रहण एवं उसके संरक्षण के बारे में भी प्रोजेक्टर के माध्यम से जानकारी प्रदान की। 

रूमालों वाली मातारानी तनोट माता रूमालों वाला मन्दिर,हजारों रूमालों में झलकती आस्था


रूमालों वाली मातारानी तनोट माता






रूमालों वाला मन्दिर,हजारों रूमालों में झलकती आस्था
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भारत पाकिस्तान सीमा पर स्थित माता तनोटराय के मन्दिर से भला कौन परिचित नही हैं।भारत पाकिस्तान के मध्य 1965 तथा 1971 के युद्ध के दौरान सरहदी क्षैत्र की रक्षा करने वाली तनोट माता का मन्दिर विख्यात हैं।तनोट माता के प्रति आम लोगों के साथ साथ सेनिकों में जबरदस्त आस्था हैं,श्रदालु अपनी मनोकामना लेकर दार्न करने आते हैं ।इस मूल मन्दिर के पास में ही श्रदालुओं नें श्रमालों का भानदार मनिदर बना रखा हैं जो देखतें बनता हैं।तनोअ माता के मन्दिर की देखरेख ,सेवा तथा पूजा पाठ सीमा सुरक्षा बल के जवान ही करते हैं।इस मन्दिर में आने वाला हर श्रदालु मन्दिर परिसर के पास अपनी मनोकामना लेकर एक रूमाल अवय बांधता हैं।पगतिदिन आने वाले सैकडो रदालुओं द्घारा इस परिसर में अतने रूमाल बान्ध दिऐ कि रूमालों का एक भव्य मन्दिर ही बन गया।श्रआलु मनोकामना पूर्ण होने पर अपना रूमाल खोलने जरूर आतें हैं।मन्दिर की व्यवस्था सम्भालने वाले सीमा सुरक्षा बल के एस चौहान नें बताया कि माता के दरबार में आने वाला हर श्रदालु अपनी मनोकामना के साथ एक रूमाल जरूर बांधता हैं40 हजार से अधिक रूमाल बनधे हैाव्यवस्थित रूप से रूमाल बान्धने के कारण एक मन्दिर का स्वरूप बन गया हे।तनोट माता मन्दिर की ख्याति पिछले पॉच सालों में जबरदस्त बी हैं।तनोट माता के बारे में जग विख्यात हैं कि भारत पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध के इौरान सैकडों बम मन्रि परियर में पाक सेना द्घारा गिराऐं गयें ।मगर एक भी बम फूटा नही।जिसके कारण गा्रमीणों के साथ साथ सेना और अर्ध सैनिक बलों के जवान पूर्ण रूप से सुरक्षित रह गये।मन्दिर को भी खरोंच तक नही आई।ं। भारत पाक युद्ध 1965 के बाद तो भारतीय सेना व सीमा सुरक्षा बल की भी यह आराध्य देवी हो गई व उनके द्वारा नवीन मंदिर बनाकर मंदिर का संचालन भी सीमा सुरक्षा बल के आधीन है। देवी को शक्ति रूप में इस क्षेत्र में प्राचीन समय से पूजते आये हैं।बहरहाल आस्था के प्रतिक तोट माता के मन्दिर परिसर में रूमालों का परिसर वाकई दशर्नीय व आकशर्क हैं।

रविवार, 24 अप्रैल 2011

बाडमेर पानी पर खिंची तलवारें,पानी का हुआ बंटवारा










पानी पर खिंची तलवारें,पानी का हुआ बंटवारा

बाडमेर भारत पाकिस्तान की सरहद पर बसें सबसे दुर्गम ग्राम पंचायत खबडाला में गत दो सालों से पानी की भारी किल्लत झेलनें के बाद गांव में पानी को लेकर खिंचने वाली तलवारों पर लगाम कसकर ग्रामीणों ने आपसी सहमती बना कर प्रत्येक गांव में पानी का बंटवारा कर अनुकरणीय उदाहरण पो किया।यह अलग बात हैं कि गांव में पानी एक माह में चार बार ही आता हैं।खबडाला गांव के पूर्व सरपंच रतन सिंह सोा नें बताया कि विगत तीन सालों से खबडाला ग्राम पंचायत सहित बंधडा,बचिया,पूंजराज का पार,सगरानी,पिपरली,द्राभा,गारी,मणिहारी सहित 94 गांवों में पेयजल की जबरदस्त किल्लत के चलतें ग्रामीणें के सामने बडी समस्या खडी हो गई।खबडाला गांव में पानी के दो होज सरकारी योजना में बने हुऐ हैं।एक 20 साल पुराना हैं।दूसरा तीन साल पहलें बना जिसे आज तक पाईप लाईन से जोडा ही नही गया।लाखों रूप्यें खर्च कर हौज के पास ही पुओं कें लियें पानी की खेली भी बनाई गई थी।जो आज भी सूखी पडी हैं।पुराने होज में एक माह में महज चार दिन पानी की आपूर्ति होती हैं।आपूर्ति के समय आसपास के गांवों के ग्रामीण भी पानी भरने आते हैं।अतना कम पानी हमारे एक गांव की भी प्यास नहीं बुझा पाता ऐसे में दूसरे गांवों के लोगों को कैसे पानी भरने दे।इसी बात को लेकर गांवों के बीच झगडे भी होने लगे।कई बार तलवारें भी खींची।15 रोज पूर्व पानी भरने को लेकर आपसी संर्धश होनें के कारण गिराब थानें में मुकदमा भी दर्ज हुआ।रोज रोज की परोानी सें निपटने के लिऐं ग्रामीणों नें सर्व सम्मति से ग्राम पंचायत के आठों गांवों की समझौता बैठक बुला कर पानी का बंअवारा करने का निर्णय लिया गया।गांव के ही टीकमारीम मेघवाल नें बताया कि पानी के बंटवारे के तहत दो दो गांवों की बारी तय की कि पानी आपूर्ति के दिन निर्णित गांव के लोग ही पानी भरेंगे। दन्होने बताया कि गावों में पेयजल की आपूर्ति नाम मात्र ही होती हैंगांव में परम्परागत पानी के स्त्रोत बेरिया हैं। जिसके कारण आम आदमी की परूस तों जैसे तैसे बुण जती हैं मगर मवोीयों को पानी कहॉ से पिलाऐंगांव में लगभग एक दजार गायें,30 हजार भेड बकरीयॉ हैं।जिन्हें पीने के लिऐ पानी चाहियें।पाुधन के लिऐ पानी की वयवस्था के लियें 15 किलोमीटर दूर तक के गांवों में जाना पडता हैं।गांव की बेरियों का जीर्णेद्घार सरकारी योजलाओं में किया जाऐ तो ग्रामीणे के समक्ष पेयजल की किललत कुछ हद तक हल हो जाऐंगी।जिला प्रासन को कई बार लिखित और मौखिक बताया गया मगर किसी प्रकार की मदद नही हुई।गांव की महिला श्रीमति गोमती मेगवाल नें बताया ि कमणिहारी गांव की होदी में वाल्व खराब होने के कारण पानी फालतू बह जाहैं ,वाल्व को ठीक कर दे तो हमारे गांव को पानी आपूर्ति हो सकती हें।गडरा रोड कें अधिसी अभियंता सुनिल जोाी नें बताया कि खबउाला में पेयजल की समस्या हैं।पाईप लाईन खराब हैं दसे जल्द दुरूस्त कर दिया जाऐगा।एक सप्ताह में पानी की समस्या का कुछ हद तक समाधान कर दिया जाऐगा।बहरहाल ग्रामीणों ने रोज के झगडों सें परोान होकर पानी का बंटवाडा तो कर दिया मगर पानी आता ही नही तों बांटे क्या।दो बून्द पानी हलक में उतारनें की ग्रामीणो की तमाम कोािश्ों जिला प्रासन कें ुलमुल रवैयें कारण बेकार हो रही हैं।